भाग 11
आरती घर के अंदर से छुप कर यह सब देख रही थी और यह सोच रही थी कि काश मेरा पति भी इस साँढ़ की तरह हठा कठा और ताकतवर होता तो कीतना मजा आता ।
उधर राजनाथ भी यह जानता था की आरती चुप-चुप के सब देख रही हैं।
उधर साँड़ अभी तक तिन बार बछिया के ऊपर चढ़ कर उसके गर्भ में डाल चुका था और अब वह थोडा थक भी गया था इस वजह वो थोडा सांत हो गया था।
फिर राजनाथ भी उठकर बाहर चला गया घूमने के लिए ।
फिर आरती ने देखा की बाबूज बाहर चले गए तो वह उठ कर जाती है और आंगन का गेट अंदर से बंद कर देती है और बंद करने के बाद वापस आती है और वही आंगन में खड़ी होकर साँढ़ और बछिया को गौर से देखने लगी और सोचने लगी की साँढ़ कितना किस्मत वाला कि इसको बुढ़ापे में नई जवान बछिया का सील खोलने के लिए मिला कितनी अच्छे से अपना मुंह और नाक रगड़ रगड़ के सूंघ के उसकी कमसीन जवानी और चूत का मजा ले रहा है। वह
फिर कुछ देर के बाद शाम होने लगी तो अपने रात का खाना बनाने में लग गई। फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी बाहर से घूम फिर के आ गया और आते ही उसने सेंड और बछिया को देखने लगा और उसने देखा कि साँड़ बछिया के पास खड़ा है और बछीया बैठी हुई है शायद वह थक गई थी इस वजह से बैठ गई थी।
तभी आरती उधर से आती है और बोलती है बाबूजी अब शाम होने वाला है अब उसको यहां से भेजिएगा नहीं , तो राजनाथ पूछता है किसको , तो आरती बोली साँढ़ को और किसको शाम होने वाला है उसको भेजिएगा नहीं।
तो राजनाथ बोलता है कि हां मैं भी यही सोच रहा था कि अब उसको यहां से बाहर निकाल के भेज देता हूं , फिर वह हाथ में छड़ी लेकर साँढ़ को बाहर निकालने के लिए जाता है।
तो साँढ़ गेट तक जाता है फिर वापस दौड़ कर बछिया के पास आ जाता है बछिया को सुंघने लगता है और बछिया जो बैठी हुई थी वह उठकर खड़ी हो जाती है , फिर राजनाथ उसको कुछ देर सुंघने देता है और फिर से उसको बाहर निकालने लगता है। और इस बार भी वह गेट गेट तक जाता है वापस दौड़कर बछिया के पास आ जाता है इसी तरह हुआ तीन-चार बार करता है लेकिन वह बाहर नहीं जाता है। फिर राजनाथ उसको छोड़ देता है और आरती के पास जाकर बोलता है कि मैंने बहुत कोशिश की लेकिन वह जाने के लिए तैयार नहीं इसलिए आज उसको रात भर यही रहने देते हैं कल सुबह उसको यहां से भगा देंगे , तो फिर आरती बोलती है कि यहां रहेगा तो कुछ गड़बड़ तो नहीं करेगा , तो राजनाथ बोलता है कि यह जो अपना काम करने है वह करेगा और क्या करेगा फिर कल सुबह होते ही इसको यहां से भेज देंगे , राजनाथ फिर से बोलता है कि लगता है इसका मन अभी तक भरा नहीं इसलिए यह जाना नहीं चाह रहा है और लगता है खेत की जुताई भी अभी पूरी तरह से हुआ नहीं है इसलिए अभी और जोतना चाह रहा है , यह बात उसने आरती की मजे लेने के लिए बोला था , तो आरती भी अनजान बनते हुए बोलती है कि कौन सा खेत का जूताई करना बाकी है , आरती बात करते हुए अपनी नज़रें नीचे करके कुछ काम कर रही थी , तो राजनाथ उसकी तरफ देखते हुए फिर से बोलता है अरे वही खेत जिसको वह जोतने के लिए आया है। तो आरती फिर से अपनी नज़रें नीचे किए हुए बोलती है कि आप क्या बोल रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
तो राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है कि यह सब बात तुमको समझ में नहीं आएगा जिसका खेत है उसको और जो जोतने वाल है उसको उन दोनों को मालूम है। इसलिए तू अपना दिमाग मत लगा और अपना काम कर , ठीक है बाबा मैं अपना दिमाग नहीं लगाती वैसे भी जानकर मुझे क्या मिलेगा फिर वह खाना बनाने में लग जाती है।
फिर सब लोग रात का खाना खाते हैं और खाना खाने के बाद राजनाथ और दादी अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं फिर आरती भीअपना खाना खाती और खाने के बाद फिर दूध गर्म करति है फिर एक बड़ा गलास दूध लेकर राजनाथ को देने के लिए उसके कमरे में जाती है और जाकर बोलता है यह लीजिए आपका दूध जल्दी से पी लीजिए।
तो फिर राजनाथ बोलता है यह तो सिर्फ एक गिलास और दूसरा गिलास कहां है , तो आरती बोलती हैं दूसरा गिलास किस लिए खाली आप ही तो पीएंगे और कौन पिएगा , तो फिर राजनाथ बोलता है कि मैं तुम्हारा गिलास की बात कर रहा हूं तुम्हारा दूध कहां है।
तो फिर आरती बोलती है कि मेरा दूध वहीं पर है मैं वही जाकर पी लूंगी आप अपना पी लीजिए।
तो फिर राजनाथ बोलता है नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता तुम भी अपना दूध यहीं पर लेकर आवऔर मेरे सामने पियो।
तो फिर आरती बोलती है कि क्यों आपको मेरे ऊपर भरोसा नहीं है क्या।
तो राजनाथ बोलता हैं कि भरोसे की बात नहीं है बात जरूरत की है क्योंकि दूध पीना मेरे लिए जरूरी नहीं है जितना तुम्हारे लिए जरूरी है लेकिन फिर भी तुम मुझे पिला रही हो तो मेरा भी तो फर्ज बनता है कि मैं भी तुमको अपनी आंखों के सामने दूध पिलाऊँ।
तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अच्छा-अच्छा ठीक है मैं भी अपने दूध लेकर आती हूं और आपके सामने बैठ कर पियूंगी फिर वह दूध लेने के लिए चली जाती है और एक गिलास में दूध लेकर आती है फिर उसके सामने बैठकर पीने लगती हैं फिर राजनाथ भी अपना दूध पी लेता है फिर आरती दोनों गिलास लेकर चली जाती है फिर कुछ देर के बाद एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर राजनाथ के कमरे के तरफ जाने लगती है तो उसकी नजर आंगन में जाती है जिधर साँढ़ और बछिया खड़े थे तो उसने देखा कि साँढ़ फिर से बछीया को परेशान कर रहा है और उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहा है और वह देखते हुए राजनाथ के कमरे में चली जाती है।
तो राजनाथ उसको देखकर समझ जाता है की मालिश करने के लिए आई है लेकिन वह अनजान बनते हुए पूछता है की क्या हुआ अब किस लिए आई है नींद नहीं आ रहा है क्या जाओ जाकर सो जा।
तो आरती बोलती है कि नींद तो बहुत आ रही है लेकिन आपका मालिश भी तो करना है कल भी आपका मालिश नहीं कर पाई थी इसलिए इसलिए मैंने सोचा कि आज आपका मालिश करके ही जाऊंगी नहीं तो आप सोचेंगे कि मेरी बेटी ने 2 दिन मालिश की और फिर बीशर गया , अच्छा बाबूजी में जब दूध पीती हूँ ना तो मेरा पेट भारी लगने लगता और मुझे नींद भी आने लगती है क्या आपको भी ऐसा लगता है।
राजनाथ हां बेटा मुझे भी बिल्कुल वैसा ही लगता है अगर तुमको नींद आ रही है तो तुम जाकर सो जाओ मालिश नहीं भी करोगी तो चलेगा।
तो आरती बोलती हैं नहीं नहीं मालिश करने आई हूं तो थोड़ा बहुत करके ही जाऊंगी और वह मालिश करने लगती है फिर उसको बछीया और साँढ़ की बात आ जाती है तो वह बोलती है कि बाबूजी आपने साँढ़ को उस टाइम भगाया नहीं वह बछिया को परेशान कर रहा है।
तो राजनाथ पूछता हैं क्यों क्या हुआ।
तो आरती शरमाते हुए अपने नज़रे नीच करके बोलता है कि होगा क्या मैंने उसको देखा तो वह अभी भी बछीया के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहा था।
तो राजनाथ मुस्कुराते उसकी तरफ देखकर बोलता है की अरे इसमें गलत क्या कर रहा है वो तो वही कर रहा है जो करने के लिए आया है , तो फिर आरती कुछ नहीं बोल पाती और वह चुपचाप मालिश करने लगती है।
फिर राजनाथ उसको ऊपर से नीचे तक देखा है तो उसके मन में उसको छेड़ने का मन करने लगता है और वह बोलता है कि सेंड जो आज मेहनत कर रहा है उसका फल तो उसको 9 महीने के बाद मिल जाएगा जब वह आप और नाना दोनों एक ही दिन में बन जाएगा।
तो फिर आरती उसकी बात सुनने के बाद बोलती है कि यह आप क्या बोल रहे हैं मैं कुछ समझी नहीं बाप और नाना एक ही दिन में बन जाएगा मतलब , मतलब यह कि वही साँढ़ उस बछिया का बाप है।
तो फिर आरती बोलती है कि वह उस बछीया का आप कैसे है ।
तो राजनाथ बोलता है कि जब उसे बछिया की मां पहली बार प्रेग्नेंट हुई थी तो उसी ने उसको गर्भवती किया था उसके बाद वह बछिया पैदा हुई थी तो इस हिसाब से वह उसका बाप हुआ कि नहीं और आज उसी बछिया को यानी अपनी बेटी को प्रेग्नेंट कर रहा है तो जब वह बछिया मां बनेगी तो उस के बच्चे का बाप भी तो वही कहलाएगा और उसकी मां का बाप तो वो पहले से ही है तो उस हिसाब से उस बच्चे का बाप और नाना दोनों हुआ कि नहीं।
तो फिर आरती बोलता है कि लेकिन यह तो गलत है आपने ऐसा क्यों करने दिया।
तो राजनाथ बोलता है कि इसमें गलत क्या है और मैं इसमें क्या कर सकता हूं।
तो फिर आरती बोलती कि गलत क्यों नहीं है एक आप अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे कर सकत हैं।
तो राजनाथ बोलता है की अरे तुमको यह सब गलत लग रहा है क्योंकि तुम इंसान हो और वह सब जानवर है इसलिए उनके लिए रिश्ते कोई मायने नहीं रखता चाहे चाहे वह बाप बेटी हो या भाई बहन हो उन सबके लिए बराबर है वह सब सिर्फ अपनी सेक्स की भूख पूरा करना जानते हैं और उनके लिए कुछ मायने नहीं रखता फिर आरती चुप हो जाती है और कुछ नहीं बोलती।
राजनाथ चुपचाप देखकर फिर उसको छोड़ने लगता है और बोलता है की साँढ तो 9 महीने के बाद बाप और नाना बन जाएगा लेकिन मैं कब बनुंगा बाप तो मैं बन नहीं सकता लेकिन नाना कब बनुंगा।
तो फिर आरती भी मन ही मन मुस्कुराते हुए बोलती है की क्यों बाप क्यों नहीं बन सकते आप।
तो राजनाथ बोलता है कि अब मैं इस उम्र में बाप कहां से बन पाऊंगा।
तो फिर आरती बोलती है क्यों क्या हुआ आपको जो इस उम्र में बाप नहीं बन सकते जब साँढ़ इस उम्र में बाप बन सकता है तो आप क्यों नहीं बन सकते।
तो राजनाथ बोलता नहीं मैं बाप नहीं बन सकता क्योंकि मुझे इस उम्र में कोई लड़की नहीं मिलेगी और नहीं अब शादी करूंगा इसलिए मै बाप भी नहीं बन सकता।
तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है क्यों क्यों नहीं मिल सकता आपको इस उम्र में लड़की आप करना चाहेंगे तो जरूर आपको मिलेगी मैंने बहुत से लोगों को देखा है बुढ़ापे में शादी करते हुए वह भी जवान लड़कियों के साथ जब वह सब कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं कर सकते।
तो राजनाथ बोलता है कि और सब की बात अलग है मेरी बात अलग हमारे गांव घर वाले क्या बोलेंगे की घर में जवान बेटी है और और बुडढा चला है शादी करने के लिए इसको तो कुछ शर्म हया तो है ही नहीं।
तो आरती बोलती है कि तो क्या हुआ गांव वालों को बोलने दीजिए बोलने से क्या होगा।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि अब तुम मेरा मजाक उड़ाना बंद कर और जा जाकर सो जा अब बहुत हो गया तेल मालिश।
फिर आरती हंसते हुए कहती है मैं आपके भले के लिए कह रही हूँऔर आप मुझे ही गलत समझ रहे हैं फिर वह सोने के लिए चली जाती है फिर वह बेड पर सोती है तो उसको फिर से बछीया और साँढ़ वाली बात याद आ जाती है और सोचने लगती है कि एक बाप अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे कर सकता है फिर वह सोचती है कि साँढ़ अगर अपनी बेटी के साथ ऐसा कर सकता है तो क्या मेरे बाबूजी मेरे साथ ऐसा कर सकते हैं अगर साँढ एक जानवर हो के इतना मजा ले ले के कर सकता है तो फिर मेरे बाबूजी तो एक चालक और होशियार आदमी है जब वह मेरे साथ करेंगे तो और अच्छे से और मजे ले लेकर करेंगे उनका जितना बड़ा हथियार है और जब वह मेरे छोटी सी चूत में डालेंगे तो मेरी तो हालात ही खराब हो जाएगी , लेकिन मेरे बाबूजी क्या मेरे साथ ऐसा करेंगे मुझे तो नहीं लगता क्योंकि वह जितना दुनियादारी के बारे में सोचते हैं उस हिसाब से मुझे नहीं लगता की कभी मेरे साथ ऐसा करेंगे और यही सब सोचते सोचते हो उसे फिर नींद आ जाती है।
आगे की कहानी अगले भाग में।