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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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New Member
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जिन पाठकों ने १०० पृष्ठ पूर्ण होने पर हमें शुभकामनाएं दी हैं उन सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।
भाग २९आ गया है पृष्ठ १०० मे आप सभी उसका आनंद लीजिए धन्यवाद।
 

Enjoywuth

Well-Known Member
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Ab dono door hai hai toh thoda bichedne ka gam aur bekarari dono ko aur pass layegi

Kuch. Utejak baate bhi hongi
 

Jangali107

Jangali
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भाग २२
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की राजनाथ अपने दामाद को फोन करके कहता है कि वह आकर आरती को यहां से ले जाए ताकि जो डॉक्टर ने दवा दिया है वह उसको चालू कर सके अब आगे ।

राजनाथ का दामाद आरती को लेने के लिए उसके घर आया हुआ है, और आरती भी उसके साथ जाने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो जाती है इस उम्मीद में की डॉक्टर ने जो दवा दिया है वह काम कर जाए और ऊपर वाले की दुआ भी लग जाए ताकि उसके पेट में बच्चा रह जाए और उसके ऊपर से बाँझ होने का कलंक मिट जाए और वह दुनिया के सामने अपना सर उठा के चल सके और सबको बता सके की वो बाँझ नहीं है यही सोचकर वह अपना सामान सब पैक करके रेडी हो जाती है जाने के लिए। तभी राजनाथ
उसके पास आता है और उसको सब समझता है की दवा जैसे-जैसे खाने के लिए डॉक्टर ने बोला है वैसे ही खाना गड़बड़ मत करना।

आरती हाँ उस में सब लिखा हुआ है कैसे-कैसे खाना है मैं देख लूंगी।

राजनाथ ठीक है अगर कुछ गड़बड़ हो तो मुझे फोन करना अब चलो नहीं तो लेट हो जाएगी और आराम से जाना दोनो वहां पहुंच कर मुझे फोन कर देना की पहुंच गए हो और तुम कोई टेंशन मत लेना जो भी होगा अच्छा ही होगा तुम कभी अपने आप को अकेला मत समझना मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ और रहूँगा तुमसे बढ़कर मेरे लिए और कुछ नहीं है।

यह सब बातें सुनकर आरती अपने आँखों में आंसू आने से रोक नहीं पाती है और वह उसके पास जाकर उसके गले लग कर रोने लगती है ।

राजनाथ अरे पगली यह क्या तुम तो रोने लग गई अब तुम रोना बंद कर नहीं तो मैं भी रोने लगूँगा यह बोलते हुए उसके भी आँखों में आंसू के कुछ बूँदे आ ही जाती है फिर वह अपने आप को संभालता है और आरती को चुप कराता है और उसे लेकर कमरे से बाहर आता है उसका दामाद बाहर ही खड़ा था फिर दोनों पति-पत्नी साथ में जाने के लिए निकल जाते हैं ।
राजनाथ उदास मन से अपनी बेटी को जाते हुए देखता रह जाता है और वह चली जाती है।

आरती के जाने के बाद राजनाथ अपना उदास मन को बदलने के लिए वह घर से बाहर गाँव में अपने दोस्तों यारों के पास चला जाता है फिर कुछ घंटे के बाद राजनाथ का मोबाइल बजाता है तो उसमें देखा तो उसके दामाद के नंबर से फोन आ रहा था तो वह उसे रिसीव करता है तो उधर से आवाज आती है हेलो बाबूजी मैं आरती बोल रही हूँ हम लोग यहाँ अच्छे से पहुँच गए हैं इसलिए फोन कर रही हूँ आप अपना ख्याल रखना।

राजनाथ -- हाँ बेटा तुम लोग भी अपना ख्याल रखना फिर कॉल कट जाता है, फिर राजनाथ शाम को घर वापस आता है तो घर में अपनी बेटी को ना देख कर उसकी मन फिर उदास हो जाता है और उसको वह सब बात याद आने लगता है जो आरती उसके लिए करती थी कैसे वह जब कहीं बाहर से घर में आता था तो आरती उसके लिए पानी लाती थी उसको खाने के लिए पूछती थी बाकी वह हर काम करती थी जो उसकी पत्नी उसके लिए करती थी सिर्फ एक काम के अलावा और वह कम था उसका बिस्तर गर्म करना यह काम वह कर भी नहीं सकती थी क्योंकि बीच में बाप बेटी का रिश्ता जो आ जाता था यही सब वह सोच रहा होता कि तभी उसकी माँ उसके पास आती है और उसे खाने के लिए कहती है। लेकिन वह उसे मना कर देता और कहता है कि मुझे भूख नहीं है मैं नहीं खाऊँगा लेकिन माँ के जिद करने के बाद वह खाने के लिए बैठ जाता है लेकिन थोड़ा बहुत खाता है बाकी सारा खाना छोड़ देता है फिर वह सोने के लिए चला जाता है लेकिन वहाँ भी उसे नींद कहाँ आने वाली थी घँटो बिस्तर पर करवट बदलने के बाद बहुत मुश्किल से उसे नींद आती है।

फिर जब सुबह उठा तो देखा कि उसकी माँ घर के काम मे लगी हुई है क्योंकि जब आरती रहती थी तो सारा काम वही करती थी उसके जाने की वजह से अब सारा काम उसकी दादी को करनी पड़ रही थी ।

यह देखकर राजनाथ भी घर के काम में उसके साथ में उसका सहयोग करने लगता है फिर इसी तरह एक दिन और बीत गया दिन तो किसी तरह कट जाता था लेकिन रात में राजनाथ को आरती की याद सताने लगती है।

आज जब वह बिस्तर पर लेट करवटें बदल रहा होता तो उसके मन में ख्याल आता है कि की आरती को फोन करके देखता हूँ कि वह क्या कर रही है ।

फिर वह अपने दामाद के नंबर में फोन मिलाता है जैसे ही रिंग होता है तो फट से आरती उठा लेती है , और बोलती हेलो बाबूजी मैं आरती बोल रही हूँ आप कैसे हो।

राजनाथ-- हाँ बेटा मैं ठीक हूँ तुम कैसी हो।

आरती-- मैं भी ठीक हूँ आपने खाना-वाना खाया कि नहीं और दादी कैसी है ।

राजनाथ-- हाँ बेटा मैने खाना खा लिया और दादी भी ठीक है बेटा तुमने खाना खाया कि नहीं और दामाद जी कहाँ है।

आरती --हाँ बाबूजी मैने भी खाना खा लिया है और वो भी यहीँ हैं।

राजनाथ-- बेटा मैंने कोई डिस्टर्ब तो नहीं किया ना तुम लोगों को मैं इस वक्त फोन करने के लिए डर रहा था ।

आरती-- क्यों किस लिए डर रहे थे।

राजनाथ कुछ काम कर रही होगी और मेरे फोन से डिस्टर्ब हो जाओगी
इसलिए।

आरती-- इस वक्त क्या काम करूंगी कुछ नहीं ।

राजनाथ-- अरे पगली में उस काम की बात कर रहा हूँ जो पति-पत्नी मिलकर करते हैं और वह काम रात में ही होता है ।

आरती-- राजनाथ की बात समझ जाती है और शर्मा जाती है थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहती है यह आप क्या कह रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है ,
और आरती का पति भी वही था तो इस वजह से वह खुलकर बात नहीं कर पा रही थी।

राजनाथ- अब तुम इतनी सी बात नहीं समझ पा रही हो तो अब मैं क्या कर सकता हूँ ठीक है अब मैं फोन रखता हूँ तुम लोग अपना काम करो यह बोलकर राजनाथ फोन काट देता है और मन ही मन मुस्कुराता है और सोचता है कि मेरी बेटी इतनी बेवकूफ तो नहीं हो सकती कि यह बात उसको समझ में ना आया हो ।

उधर आरती भी मन ही मन मुस्कुराती है और कहती है मेरे बाबूजी भी कितना चलांक और समझदार हैं।

.........
Jabra update
 
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Hardik

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Superb and brilliant writing skills.
 
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Hot Aunty.

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bahut badiya kahaani, shandaar,mast aur ekdom sexy writings! Please keep going!
 
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Rajeshkamal

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shandar
 

Ekra.

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Chamatkar aur ekdum danshu update
 
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