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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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अपडेट नंबर 23 आ गया है आप सभी पाठक उसे पढ़कर आनंद ले सकते हैं page number 72 मे धन्यवाद।

हम आप सब से एक आग्रह करना चाहते हैं आप सब कहानी पढ़ते हैं लेकिन कहानी कैसी लगी वह नहीं बताते हैं इसलिए हम आप सब से आग्रह करते हैं कि जो भी पाठक कहानी को पढ़ते हैं वह अपना विचार दो शब्द बोलकर जरूर रखें और जो पाठक ने अपनी आईडी नहीं बनाई है वह अपना आईडी बनाएं और अपना विचार जरूर रखें धन्यवाद।
 
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ranveer888

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भाग 8

फिर दूसरे दिन सुबह होने के बाद राजनाथ उठकर नाश्ता पानी करके कुछ काम से वह बाहर चला जाता है इधर आरती घर में घर का सारा काम खत्म करके खाना-वाना बनाके फिर वह नहाने के लिए चली जाती है फिर नहा के आने के बाद अपना बाल झाड़ती है फिर अपने मांग में थोड़ा सा सिंदूर लगाती है फिर खाना खा लेती है फिर खाना खाने के बाद वह बरामदे में बैठकर थोडी़ देर आराम कर रही थी तभी उधर से राजनाथ आ जाता है।

फिर आरती अपने बाप को देखते ही चौकी पर से उठकर खड़ी हो जाती है और बोलती है बाबूजी आगे आज बड़ी देर लगा दी।

तो राजनाथ बोलता हां बेटा कुछ काम था इसलिए देर हो गई।

फिर आरती बोलती है कि ठीक है आप पैर हांथ धोकर आई मैं तब तक आपके लिए खाना लगती हूं।

तो राजनाथ बोलना हां बेटा मुझे भी भूख लगी है जोर से और फिर वह हाथ पैर धोने के लिए चला जाता है धो के आने के बाद वह खाने के लिए बैठ जाता है।

तभी आरती खाना लेकर आती है और जैसे ही खाना नीचे रखने के लिए झुकती तो उसका खुला हुआ बाल सरक कर नीचे आ जाता है इस वजह से उसके बाल की खुशबू सीधे राजनाथ की नाक में चली जाती है क्योंकि अभी वह नहा कर आई थी तो इसलिए साबुन और शैंपू की खुशबू उसके बदन से अभी गया नहीं था इस वजह से उसकी बदन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और वह खुशबू सीधे राजनाथ की नाक से होते हुए सीधे उसके दिमाग में जाकर असर करने लगता है वह मदहोश होने लगता है।


फिर आरती राजनाथ को खाना देने के बाद फिर वह किचन की तरफ जाने लगती है पानी का गिलास लाने के लिए तो राजनाथ उसको जाते हुए पीछे से देखने लगता है क्योंकि आरती की पतली कमर एक तरफ से पूरा दिख रहा था क्योंकि आरती ने अपनी साड़ी का पल्लू कंधे के ऊपर से घूमा कर कमर की एक साइड दबा रखी थी जिसे एक साइड की उसकी कमर और और सामने से उसकी पेट और नाभि नजर आ रही थी और उसके खुले बाल जो लहरा रहे थे फिर जैसे ही आरती किचन से गिलास लेकर आ रही थी तो राजनाथ ने उसको आते हुए ऊपर से नीचे तक देखा तो उसको ऐसा लगा कि जैसे किसी ने उसकी सोचने और समझने की ताकत छीन ली हो।

उसको अपनी बेटी को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई सेक्स की पुजारन अपना भूख मिटाने के लिए अपने देवता के पास आ रही है मांग में हल्का सा सिंदूर खुले हुए बाल और कमर में लपेटी हुई साड़ी की पल्लू और उसकी बदन से आ रही मनमोहक खुशबू जो एक स्वर्ग की अप्सरा की तरह लग रही है यह सब अपनी बेटी के बारे में सोच रहा होता है

तभी आरती हाथ में गिलास लिए हुए उसके पास आ जाती है और जैसे ही गिलास रखने के लिए नीचे झुकती है वैसे ही उसके खुले हुए बाल इस बार भी नीचे सरक जाता है और उसकी खुशबू एक बार फिर राजनाथ की नाक में चली जाती है और राजनाथ उस खुशबू को सूंघते ही उसको अलग ही आनंद आने लगता है।

आरती गिलास रखने के बाद फिर से किचन में चली जाती है।

इधर राजनाथ के साथ अभी जो कुछ हुआ उसका आनंद लेते हुए वह धीरे-धीरे खाना खाने लगता है और मन ही मन सोचने लगता है कि जो खुशबू सुघं कर मुझे इतना आनंद आ रहा है क्या वह खुशबू मुझे दोबारा सुघंने के लिए मिलेगा लेकिन कैसे मिलेगा।

और वह फिर से सोचने लगता है कि ऐसा कौन सा उपाय लगाऊं की आरती कुछ देर मेरे पास रह सके तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आता फिर वह आरती से पूछता है की दादी कहां गई है।

तो आरती जवाब देती है कि कहीं बाहर गई है घूमने के लिए।

तो राजनाथ पूछता है की कितनी देर से गई है।

तो आरती जवाब देती है जी काफी देर हो गई है गए हुए।

तो राजनाथ पूछता है कि तुमने खाना खाया कि नहीं।

तो आरती जवाब देती है कि हां मैंने खाना खा लिया है।
फिर राजनाथ कुछ देर के बाद बोलता है कि अभी तुम कुछ काम करने जा रही है क्या।

तो आरती जवाब देती कि नहीं अभी तो कोई काम नहीं है क्यों क्या हुआ कोई काम है क्या।

फिर राजनाथ कुछ रुक कर बोलता है नहीं कुछ खास काम नहीं है।

तो आरती पूछती है क्या काम है।

तो राजनाथ बोलता है कि नहीं नहीं कोई काम नहीं है बस ऐसे ही पूछ रहा था।

तो आरती को लगता है कि बाबूजी कुछ छुपा रहे हैं तो वह फिर से पूछती है और बोलती है कि क्या काम है बोलिए ना।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं नहीं रहने दे तु गुस्सा होगी।

तो आरती बोलती की आप सचमुच में मुझे गुस्सा दिला रहे हैं बताइए ना क्या बात है।

तो राजनाथ डरते हुए उसकी तरफ देख कर बोलता है कि मेरा बदन हाथ हल्का-हल्का दर्द कर रहा है तो तुम थोड़ा दबा देती तो ठीक हो जाता।

तो आरती यह बात सुनकर मन नहीं मन मुस्कुराती और सोचती है कि इतनी सी बात बताने के लिए इतना डर रहे थे तो मैं भी थोड़ा और इनको डराती हूं।


फिर वह बोलती हैं कि ऐसा क्या काम कर के आए हैं जो आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है और जब रात में दबाने के लिए जाती हूं तो मेरे ऊपर खिसयाने लगते हैं और बोलते हैं कि छोड़ दे, मत दबा, तू थक गई है, तो जाकर सो जा, तरह-तरह के बहाने करते हैं और अभी बोल रहे हैं कि बदन हाथ दर्द कर रहा है इतना बोलकर वह चुप हो जाती है।

फिर राजनाथ बोलता है सॉरी बाबा गलती हो गई मुझसे अब मैं तुमसे कभी नहीं कहूंगा पैर हांथ दबाने के लिए।

फिर आरती झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलती है कि सॉरी बोलने से कुछ नहीं होगा पहले यह बताइए की रात में आप मुझे मना क्यों कर रहे थे।

तो फिर राजनाथ बोलता है अरे बाबा मैं तो तुम्हारे अच्छे के लिए बोल रहा था कि तू थक गई होगी तो आज रहने दे आज मत दबा कल दबाना अगर मेरी बात तुमको खराब लगी हो तो मुझे माफ कर दे आज के बाद नहीं बोलूंगा।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है ठीक है ठीक है आज भर माफ करती हूं आगे से माफ नहीं करूंगी।

तभी राजनाथ उसकी तरफ देखा है और वह भी मुस्कुरा देता है और समझ जाता है कि आरती मेरे साथ मजाक कर रही है फिर वह खाना खाने के बाद बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाकर आराम करने लगता है और सोचने लगता है की आरती पैर दबाने के लिए आएगी कि नहीं।

फिर कुछ ही देर में आरती उसकी कमरे की तरफ जाती है कमरे का दरवाजा खुला हुआ था तो आरती जब कमरे के अंदर गई तो वहां अंधेरा था सिर्फ दरवाजे के सामने बाहर से लाइट जा रही थी जिस तरफ बेड था उस तरफ अंधेरा था सिर्फ हल्का-हल्का दिखाई दे रहा था तो फिर आरती कुछ देर खड़ी रही और बोली कि आप यहां अंदर क्यों सो रहे हैं बाहर में क्यों नहीं सोए।
तो राजनाथ समझ गया कि पैर दबाने के लिए आई है तो वह भी अपना झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला क्यों यहां सोने के लिए मना है क्या।


तो आरती बोलती है कि नहीं सोने के लिए मना नहीं है आप दोपहर में बाहर बरामदे में सोते हैं इसलिए बोल रही हूं।

तो राजनाथ बोलता है कि नहीं आज मुझे अंदर सोने का मन था इसलिए मैं यहां सोया हूँ। तुम क्यों परेशान हो रही हो।

तो आरती बोलती है मैं परेशान नहीं हो रही हूँ अभी आप बोल रहे थे ना की आपका बदन हाथ दर्द कर रहा है।


तो फिर राजनाथ बोलता है कि बदन हाथ दर्द कर रहा है तो तुमको उससे क्या है।

तो फिर आरती बोलती है कि मुझे उससे क्या है मैं दबाने के लिए आई हूँ।

तो राजनाथ बोलता है कि मुझे नहीं दबवाना है।

तो आरती बोलती है क्यों क्या हो गया क्यों नहीं दबवाना गुस्सा हो गए क्या अरे वह तो मैं मजाक कर रही थी और आपको बुरा लग गय अच्छा सॉरी बाबा आगे से मैं मजाक नहीं करूंगी।

तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है मजाक कर रही थी पक्का।

आरती हां बाबा पक्का मजाक कर रही थी।

राजनाथ मैं भी मजाक कर रहा था फिर दोनों हंसने लगते हैं फिर आरती बोलती है बाबूजी बाहर चलिए ना बरामद मे वहां अच्छे से दबा दूंगी यहां अंधेरा है।

फिर राजनाथ-- बोलता हैं नहीं नहीं यहीं पर ठीक है।

तो आरती बोलता है क्यों वहां क्या होगा।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं बाहर दादी आ आ जाएगी।

तो आरती बोलती है कि तो क्या हुआ दादी आ जाएगी तो क्या करेगी।

राजनाथ करेगी कुछ नहीं सिर्फ गुस्सा करेगी और बोलेगी की ऐसा क्या काम करके आया है जो अभी दिन में पैर हाथ दबवा रहा है रात में भी दबवाता है और और दिन में भी दबवा रहा है म इसलिए मैं कह रहा हूँ की यही ठीक रहेगा।

फिर आरती बोलती है अच्छा ठीक है फिर बेड के नजदीक जाती है और कहती है कि इधर साइड में आई ना उतना दूर मेरा हाथ कैसे पहुंचेगा राजनाथ भी तो यही चाह रहा था कि जितना हो सके उतना उसके करीब आ सके और वह सरक कर उसके करीब आ जाता है फिर आरती पैर दबाने लगी तो उसके बाल नीचे गिर जा रहे थे तो वह अपने बाल को समेट कर बांधने लगी तो राजनाथ ने उसको बोला कि बाल को क्यों बांध रही हो तो आरती जवाब देती कि नीचे गिर जा रही हैं इसलिए तो राजनाथ उसको बोलता है कि नहीं उसे खुला रहने दो अच्छा लग रहा है।

तो आरती बोलता है कि आपको कैसे पता कि अच्छा लग रहा है यहां अंधेरे में तो कुछ दिख नहीं रहा है तो राजनाथ मन में सोचता है कि मुझे दिखाई भले नहीं दे रहा है लेकिन उसकी खुशबू जो आ रही है उससे बढ़कर है फिर बोलता है कि जितना जरूरत है उतना दिखाई दे रहा है मुझे।

फिर आरती बोलती है ठीक है जब आप कह रहे हैं तो छोड़ देती हूँ।

फिर कुछ ही देर हुए थे की दादी बाहर से आ गई जैसे ही बाहर का गेट खुलने की आवाज आई तो आरती ने झांक कर देखा की दादी आ गई है यह सुनते ही राजनाथ का दिमाग खराब हो गया और बोलने लगा की मां को भी अभी आना था कुछ देर बाद आती तो क्या हो जाता।


फिर दादी आरती को आवाज लगाती है आरती, आरती कहां हो बेटा।

फिर आरती जवाब देती है जी दादी मैं यहां हूं आ रही हूं।
फिर राजनाथ आरती से बोलता है कि छोड़ दे अब जा जा कर देख क्या बोल रही है फिर आरती वहां से चली जाती है और बोलती है कि मैं अभी देख कर आ रही हूं फिर दादी के पास जाकर बोलती हैं दादी क्या हुआ तो दादी बोलती हैं बेटा प्यास लगी है पानी ला कर देना फिर पूछती है राजनाथ आया कि नहीं तो आरती जवाब देती कि हां बाबूजी तो कब के आ गये।

तो फिर दादी पूछती है कि कहां है वह नजर नहीं आ रहा।

तो आरती जवाब देती कि वह अपने कमरे में आराम कर रहे हैं।


तो फिर वह बोलती है कि तू वहां क्या कर रही थी उसके कमरे में तो आरती थोड़ा हड़बड़ा जाती है और बात को संभालते हुए बोलती है कि कुछ नहीं वो सामान इधर-उधर हो गया तो वही सब रख रही थी फिर दादी से पूछती खाना खाओगी ।

तो दादी बोलती है कि नहीं मैं अभी नहीं खाऊंगी मैं बाद में खा लूंगी तू जो काम कर रही थी वो जाके कर।

फिर आरती वापस अपने बाप के कमरे में आ जाती है।

तो तो राजनाथ पूछता है कि क्या हुआ दादी कहां है।

तो आरती जवाब देती है कि जी वो बाहर बैठी हुई है।

तो राजनाथ उसको मना करने लगा और कहने लगा कि अब रहने दे मत दबाओ दादी जान जाएगी तो गड़बड़ हो जाएगा ।

तो आरती बोलती है कि कुछ नहीं होगा आप टेंशन क्यों ले रहे हैं मैं सब संभाल लूंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि अच्छा कैसे संभाल लेगी।

तो आरती बोलती है कि वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि एक काम कर दरवाजा बंद कर दे।

तो फिर आरती बोलती है कि दरवाजा बंद कर देंगे तो दादी को शक नहीं होगा।

तो राजनाथ बोलता है तो फिर क्या करें फिर वह अपना दिमाग लगाता है और आरती को बोलता है कि एक काम कर तू बाहर जा और जाकर दादी को बोल की मैं बाथरूम जा रही हूं लैट्रिन करने के लिए और तुम उधर पीछे से होते हुए घूम कर यहां आ जाओ ताकि दादी देख ना पाए।


फिर आरती राजनाथ की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहती अच्छा ठीक है मैं जा रही हूं और वह जाकर दादी को बोलकर उधर पीछे से घूम के आ जाती है और अंदर आके पूछती है अब क्या करना है।

तो राजनाथ बोलता है कि क्या करना है दरवाजा अंदर से बंद कर दे फिर आरती दरवाजा अंदर से बंद कर देती है और बंद करने के बाद वह धीरे-धीरे बेड के करीब जाती है और बोलती है की आपने दरवाजा क्यों बंद करने के लिए बोला अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा है तभी राजनाथ उसका हाथ पकड़ के बेड पास ले आता है और कहता है यहां बैठो फिर आरती पूछती है कि दरवाजा क्यों बंद करवाया आपने।

तो राजनाथ उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है कि कोई डिस्टर्ब ना करें इसलिए।।

फिर आरती बोलती है अगर दादी खोजते खोजते इधर आ गई तो।

तो फिर राजनाथ बोलत हैं कि मैं दादी से बोल दूंगा की आरती यहां नहीं आई है फिर आरती मुस्कुराने लगती है आरती बेड पर बैठी हुई थी और राजनाथ करवट लेकर सोया हुआ था और एक हाथ उसके कंधे पर रखा हुआ था और अपना मुंह उसके पीठ के करीब करके उसके बाल और उसकी बदन की खुशबू को सुंघ रहा था और धीरे-धीरे उसके बाल को सहलाते हुए बोला कि तुम्हारे बाल कितने खूबसूरत और मुलायम है।

फिर आरती बोलती है कि अच्छा मेरी तारीफ करने के लिए दरवाजा बंद करवाया है मेरी तारीफ करना बंद कीजिए और मुझे अपना काम करने दीजिए नहीं तो देर हो जाएगी फिर दादी भी मुझे ढूंढने लगेगी।

आगे की कहानी अगले भाग में

Wow bahut maza aa raha hai padhkar😍😍😍🌺
 
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ranveer888

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भाग 9

फिर आरती बोलती है कि मेरी तारीफ करना बंद कीजिये और मुझे मेरा काम करने दीजिए नहीं तो फिर देर हो जाएगी फिर दादी मुझे ढूँढते हूए इधर आ जाएगी।

तो फिर राजनाथ-- बोलता है आजाएगी तो आने दो कया होगा।

तो फिर आरती बोलती है कि अच्छा ऐसी बात तो ठीक है फिर दरवाजा क्यों बंद करवाया है जा कर खोल देती हूँ और बाहर जा के दादी को भी बोल देती हूँ की आप मुझे ढूँढीएगा मत मैं कमरे के अंदर आपके बेटे का पैर हांथ दबा रही हूं फिर वह बेड से उठकर जाने लगती है तभी राजनाथ झट से उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ खींच लेता है और इस हड़बड़ी में आरती सीधे उसके ऊपर गिर जाती है और उसकी छाती यानी उसका दूध सीधे उसके छाती से जाकर टकरा जाता है और उसके बाल सीधे उसके मुंह पर गिर जाता है और यह सब इतना जल्दी हुआ कि राजनाथ को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह क्या करें तो चुपचाप उसी तरह लेटा रहा।

फिर आरती अपने आप को संभालते हुए उठकर खड़ी हुई और बोली कि बाबूजी आप भी ना एकदम बच्चों की तरह करते हैं आपने इतना जोर से खींच कि मैं गिर गई।

राजनाथ अरे मैंने तो सिर्फ तुम्हारा हाथ पकड़ा है खींचा थोड़ी है।

आरती अच्छा सिर्फ हाथ पकड़ने से मैं इतनी जोर से आपके ऊपर गिर गई।

राजनाथ अच्छा सॉरी बाबा मुझे माफ कर दे मैंने तो सिर्फ हल्का सा खींचा था मुझे क्या पता था कि तुम्हारे अंदर इतनी भी ताकत नहीं है कि तुम सीधा मेरे ऊपर गिर जाओगी।

आरती तो क्या आप मुझे अपनी तरह पहलवान समझते हैं जो मैं आपका मुकाबला करूंगी।

राजनाथ अच्छा सॉरी बाबा मुझे माफ कर दे मेरे से गलती हो गई।

अच्छा यह सब छोड़िए पहले ये बताइए कि आपने मुझे पकड़ क्यों।

राजनाथ-- तुम दरवाजा ना खोल दो जाकर इस वजह से मैंने तुमको पड़ा।


आरती क्यों क्या हुआ अभी तो आप कह रहे थे कि आपको कोई डर नहीं है फिर दरवाजा खोलने से क्यों डर रहे हैं।

राजनाथ-- अरे मैं तो मजाक कर रहा था तुम मजाक को भी सीरियस ले लेती हो।

आरती आप मजाक करते रहिए अब मैं जा रही हूं।

राजनाथ क्यों क्या हुआ क्यों जा रही हो।


आरती जाऊंगी नहीं तो क्या यही बैठी रहूंगी बहुत देर हो चुकी है दादी ढूंढने लगेगी तो उनको क्या जवाब दूंगी अगर आपको और पैर हांथ दबवाना है तो रात में जितना कहेंगे उतना दबा दूंगी लेकिन अभी मैं जा रही हूं फिर वह दरवाजा खोल के बाहर देखी की दादी बैठी है कि नहीं तो दादी बाहर में नहीं थी तो वह निकल के चली गई।

और इधर राजनाथ मन ही मन बहुत खुश था कि वह जो चाह रहा था उसमें कामयाब हो गया आज उसने अपनी बेटी को और उसकी बदन की खुशबू को इतने करीब से महसूस कर पाया था और इस खुशी में उसके पैजामे के अंदर मे उसका मोटा तगड़ा लंड भी उछाल उछाल के खुश हो रहा है था की काश आरती मेरी बेटी नहीं मेरी बीवी होती तो कितना मजा आता।

फिर दो दिन के बाद दोनों बाप बेटी अस्पताल जाते हैं अपना रिपोर्ट लेने के लिए[ फिर नर्स दोनों को अंदर जाने के लिए बोलती है फिर वह दोनों अंदर जाते हैं तो डॉक्टर दोनों को बैठने के लिए बोलती है फिर रिपोर्ट निकाल कर पढ़ने लगती है और पढ़ने के बाद बोलती है की आप दोनों की रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं है फिर राजनाथ को बोलता है क्या प्रकार रिपोर्ट बिल्कुल सही है आपकी पत्नी जैसा बोल रही थी वैसा कुछ नहीं है ।

तो राजनाथ मन ही मन बोलता है कि वह मेरे बारे में थोड़ी बोल रही थी वह तो अपने पति के बारे में बोल रही थी और यह तो मेरा रिपोर्ट है और मेरे में कोई कमी थोड़ी है की रिपोर्ट में गलत बतायेगा।

डॉक्टर फिर से बोलती है कि आपकी पत्नी का भी रिपोर्ट सही है थोड़ा बहुत प्रॉब्लम उसके लिए मैं दवा लिख दे रही हूं दवा खाने के बाद वह ठीक हो जाएगा।

फिर राजनाथ आरती को देखकर और फिर डॉक्टर को देखते हुए बोलता है कि हमको दवा नहीं दीजिएगा क्या।

तो डॉक्टर बोलता है कि आपको दवा की तो जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी आपके लिए भी कुछ दवा लिख दे रही हूं इसमें से एक आपका वीर्य गाढ़ा करने वाला है दूसरा आपका सेक्स पावर बढ़ाएगा,
एक बात और आप दोनों पति-पत्नी दूध पीजिए दूध पीने से आप दोनों को सेक्स करने की चाहत बढ़ेगी और आप दोनों ज्यादा से ज्यादा सेक्स कर सकेंगे इसलिए जितना हो सके उतना दूध पीजिए अभी मैं आप दोनों के लिए दो महीना के लिए दवा लिख दे रही हूँ उसको खाइए फिर कैसा क्या रहेगा दो महीने के बाद आकर बताइएगा अब आप लोग जाइए और बाहर मेडिकल से दवा लेकर घर जाइए।


फिर वह दोनों उठकर जाने लगे तो डॉक्टर ने आवाज दी राजनाथ जी , फिर राजनाथ पीछे मुड़कर उसके पास आते हुए बोला जी मैडम जी।

फिर डॉक्टर ने बोला कि आपका घर गांव मे है तो क्या आप खेती-बाड़ी करते हैं ।

तो राजनाथ ने जवाब दिया जी हां मैडम खेती बाड़ी करते हैं।

तो फिर डॉक्टर ने बोला कि आप खेती-बाड़ी करते हैं तो आपको तो मालूम होगा की खेत की जुताई जब तक अच्छे से बार-बार नहीं होगी उसमें फसल नहीं उगेगा इसलिए आप भी अपनी खेत की जुताई अच्छे से कीजिए और बार-बार कीजिए तब जाकर उसमें फसल उगेगा फिर डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोली कि आप मेरी बात को समझे कि नहीं।

तो राजनाथ भी मुस्कुराते हुए बोला जी मैडम मैं समझ गया वह तो पहले ही समझ गया था कि डॉक्टर कौन सी खेत की जुताई करने के बात कर रही है वहीं पर आरती जो थोड़ी दूर में खड़ी थी वह भी उनकी बात सुनकर समझ गई और शरमाते हुए अपनी मुंह दूसरी तरफ कर ली फिर डॉक्टर ने बोला अब आप लोग जाइए।

फिर राजनाथ आरती के पास आया बोला कि चलो और आरती अभी भी अपनी नज़रें नीचे करके शर्मा रही थी फिर वह दोनों बाहर आए और बाहर आकर मेडिकल से दवा खरीदी दवा खरीदने के बाद नर्स के पास गए यह पूछने के लिए की दवा कब से और कैसे खाना है।

फिर नर्स ने राजनाथ को बताया कि आपको रात में एक-एक टैबलेट खाना है और आपकी पत्नी को रात में और सुबह दो टाइम खाना है और उनको अगला पीरियड आएगा उसके तीन दिन के बाद से खाना है और दोनों को साथ में रहना है।

दवा लेने के बाद दोनों बाप बेटी घर वापस आ गए फिर शाम का खाना बना फिर सब लोगों ने खाना खाया फिर खाना खाने के बाद राजनाथ अपने कमरे में सोने चला गया और दादी भी अपने कमरे में चली गई फिर आरती बर्तन समेटकर दूध गर्म करने लगी उसके घर में एक गाय थी वह दूध देती थी क्योंकि आज डॉक्टर ने दोनों को दूध पीने के लिए बोली थी इसलिए वह दूध गर्म करने लगी गरम करने के बाद वह एक गिलास में दूध लेकर राजनाथ को देने के लिए गई और बोली बाबूजी यह लीजिए आपका पहले दूध पी लीजिएगा उसके बाद सोइएगा।

तो राजनाथ बोला की दूध, दूध क्यों लाई है मैं तो दूध पीता नहीं।

तो फिर आरती बोली कि मुझे पता है क्या आप दूध नहीं पीते लेकिन आज डॉक्टर ने क्या बोला आपने सुना नहीं।

तो राजनाथ बोला की अरे वह मेरे लिए थोड़ी बोल रहा थी वह तो तुमको पीने के लिए बोली रही थी।

तो आरती जवाब देती है नहीं नहीं वह हमको नहीं वो दोनों को पीने के लिए बोल रही थी।

तो राजनाथ बोलता हैं कि अरे हां वो तुम दोनों को पीने के लिए बोली है।

तो आरती अनजान बनते हुए पूछती है कि कौन हम दोनों के लिए।

तो राजनाथ बोलता हैं तुम दोनों को यानी कि तुमको और दामाद जी को।

तो फिर आरती पूछती है की आपका दामाद यहां है जो पिएगा।

तो राजनाथ बोलता है अरे अभी यहां नहीं है तो क्या हुआ जब तुम उसके पास जाओगी तब पिलाना।

तो आरती गुस्सा होते हुए बोली कि मैं उसके पास नहीं जाऊंगी।

तो राजनाथ पूछता है क्यों नहीं जाएगी।

तो जवाब देती है क्यों जाऊंगी मैं यहां अपने से नहीं आई हूँ उन लोगों की वजह से आई जब तक वह मुझे लेने के लिए नहीं आएगा मैं नहीं जाऊंगी।


तो राजनाथ बोलता है ठीक है मैं तुमको वहां लेकर जाऊंगा।

तो आरती बोलती है कि आप क्यों लेकर जाएंगे क्या आप हमको लाने के लिए गए थे जो आप लेकर जाएंगे जब तक वह खुद नहीं आएगा तब तक मैं नहीं जाऊंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि ठीक है मैं दामाद जी से बात करूंगा और वह तुमको लेकर जाएगा ठीक है

तो आरती बोलती है ठीक है जब आएगा तब देखा जाएगा अभी आप दूध पीजिए।

तो राजनाथ बोलता है कि मैं क्यों दूध पीउँगा मुझे थोड़ी पीने के लिए बोला है।

तो आरती बोलती है आपको पीने के लिए नहीं बोला है तो क्या हुआ कोई दवा थोड़ी है कि पीने से खराबी करेगा पीने से और फायदा करेगा और ताकत भी बढे़गा इसलिए जल्दी से पी लीजिए।


तो राजनाथ बोलता है कि तुम मेरे साथ जबरदस्ती कर रही हो ।

तो आरती बोलती कि हां मैं जबर्दस्ती कर रही हूं फिर भी आपको पीना पड़ेगा।


तो फिर राजनाथ पूछता है की तुम अपना दूध पी के आई हो।

तो फिर आरती जवाब देती आप नहीं पी रहे हैं तो फिर मैं क्यों पिऊंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि ठीक है जब तुम पियोगी तो मैं भी पी लूंगा।

तो आरती बोलती है की आप पीजिए मैं जाकर पी लूंगी।

तो राजनाथ बोलता है नहीं नहीं यही लेकर आओ और मेरे सामने पियो।

तो आरती बोलती ठीक है मैं लेकर आ रही हूं फिर वह दूध लेकर आई और दोनों बाप बेटी ने दूध पिया फिर दूध पीने के बाद आरती ने बोला कि मैं अब जा रही हूं सोने के लिए आप भी सो जाइए।

तो राजनाथ ने पूछा क्यों क्या हुआ नींद आ रही है क्या।


तो आरती बोली सोने का टाइम हो गया है तो नींद तो आएगी ही ना।।

तो राजनाथ बोला ठीक है तो जाओ जाकर सो जाओ।

फिर वह चली जाती है जब वह दादी के पास जाती है तो उसे याद आता है कि दूध पिलाने के चक्कर में बाबूजी को मालिश करना ही भूल गई उधर राजनाथ भी यही सोच रहा है कि दूध देने के चक्कर में मालिश करना भूल गई फिर आरती तेल मालिश करने के लिए जा रही थी तभी उसका पेट भारी-भारी लगने लगा शायद आज पहली बार दूध पिया था इसलिए लग रहा था फिर उसने सोचा थोड़ी देर आराम कर लेती हूं उसके बाद जाऊंगी फिर वह लेट गई लेटने के बाद उसे अस्पताल की बात याद आ गई और वह मन ही मन शर्मा ने लगी और उसको वह बात याद आने लगी कि कैसे डॉक्टर बाबूजी को बोल रही थी की फसल उगाने के लिए खेत को अच्छे से जोतना पड़ेगा मतलब डॉक्टर बाबूजी को बोल रही थी कि आपको अच्छे से चोदना पड़ेगा यानी की वो मेरे बारे में बोल रही थी कि अच्छे से चुदाई करना पड़ेगा यह सोचते ही वह अंदर ही अंदर गण गणा जाती है और सोचती है कि यह मेरी कैसी किस्मत है कि कोई दूसरा आदमी मेरे बाप को मुझे चोदने के लिए बोल रहा हे और मैं कुछ नहीं बोल पाई यह सब सोचते सोचते उसको नींद आ जाती है।


उधर राजनाथ भी यही सब सोचते सोचते अपना लंड सहलाते हुए वह भी सो जाता है।

अचानक रात में आरती की नींद खुलती है और वह उठकर पेशाब करने के लिए बाथरूम की तरफ जाती है तो देखी है कि बाथरूम का लाइट जल रहा है तो वह समझ जाती है कि बाथरूम में कोई है तो उसको लगा कि शायद बाबूजी होंगे तो वह धीरे-धीरे और करीब गई तो उसे पेशाब करने की आवाज आने लगी बाथरूम का दरवाजा खुला था लेकिन वह दूसरी तरफ इसलिए आरती को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो उसके मन में देखने का लालच आ गया कि बाबूजी अंदर क्या कर रहे हैं तो वह धीरे-धीरे और करीब गई तो बाथरूम के साइड वाले दीवाल में एक छोटा सा छेद था उसे छेद में से आरती अंदर झांक कर देखने लगी जैसे ही उसने अंदर झांका तो उसके होश उड़ गए।

क्योंकि राजनाथ अपना लंबा मोटा तगड़ा लंड अपना हाफ पेंट खोल के लंड निकाल कर मूत रहा था और आरती यह सब उसके दाहिना साइड वाले दीवाल से अंदर देखी तो चौंक गई और सोच में पड़ गई कि उसके बाबूजी का इतना बड़ा लंड है आज तक मैंने किसी का इतना बड़ा लड नहीं देखा।

अस्पताल से आने के बाद राजनाथ का लंड अपनी बेटी के बारे में सोचते ही खड़ा हो जाता है अभी भी वह अपनी बेटी के ही बारे में सोच रहा है कि काश एक बार उसकी चूत में लंड घुसाने के लिए मिल जाता तो मेरा जीवन धन्य हो जाता पेशाब करने के बाद अपने लंड को पकड़ के ऊपर नीचे डोलाने लगता है यह देखकर आरती और गाना गाना जाती है और सोचने लगती है कि काश मेरा पति का इसका आधा भी होता फिर वह अपने बाप का लंड देखकर अंदाजा लगाने लगती है कि कितना इंच का होगा फिर उसने देखा कि उसके लंड के जड़ में काफी घुंघराले काले काले बाल है फिर उसने अंदाजा लगाया की जड़ से सुपाडा तक पूरा कम से कम 9 इंच का होगा इतना बड़ा लंड जिसके अंदर जाएगा उसका तो जीवन ही सफल हो जाएगा।

आगे की कहानी अगले भाग में
Ohhh very nice erotic
 
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ranveer888

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भाग 10
 फिर राजनाथ पेशाब करने के बाद अपने लंड को अच्छी तरह से ऊपर नीचे करके डोलाया फिर अपने मुट्ठी में पकड़ के ऊपर से नीचे तक दो-तीन बार उसको सहलाया फिर वह अपनी पैंट उठाकर पहनने लगा ।

तो आरती समझ गई कि अब बाबूजी बाहर आएंगे और इधर ही से जाएंगे तो मुझे दूसरी तरफ जाकर छुपना पड़ेगा फिर वह बाथरूम के दूसरी तरफ जाकर छिप जाती है फिर राजनाथ पेशाब करने के बाद वह अपने कमरे में सोने के लिए चला जाता है।

राजनाथ के जाने के बाद आरती फिर बाथरूम के अंदर जाती है और जाकर उसे जगह को गौर से देखने लगती है और मन ही मन सोचती है और कहती है कि मेरे बाबूजी ने अभी यहीं खड़े होकर अपने मोटे लंड से मूत रहे थे और अब मैं भी उसी जगह पर मुतने जा रही हूं फिर वह सोचती है कि हम दोनों बाप बेटी का शरीर एक दूसरे से नहीं मिल सकता लेकिन आज हम दोनों का पेशाब जरूर एक दूसरे से मिलेगा यह सोचते हुए उसने अपनी साड़ी को ऊपर उठाकर मुतने के लिए बैठ गई और अपनी चूत से मोटी धार छोड़ते हुए , छर,छर करके मुतने लगी फिर पेशाब करने के बाद वह उठी और उठकर अपने कमरे में चली गई और वह सोने की कोशिश करने लगी लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने उसका बाप का लंड आ रहा था और वह सोच रही थी कि मेरे बाबूजी के पास इतना बड़ा लंड है और मैं एक छोटे-मोटे लंड के लिए तरस रही हूं लेकिन मुझे वह भी नहीं मिल रहा यह भी किस्मत किस्मत की बात है।

मेरा बाप मशीन गंज लेकर घूम रहा है और मैं उसकी बेटी एक छोटा सा पिस्तौल के लिए भी तरस रही है। यह सब सोंचते हुए उसे नींद आ जाती है।

फिर सुबह उठकर वह अपने काम में लग जाती है और राजनाथ भी सुबह उठकर और नाश्ता पानी करके वह अभी किसी काम से बाहर चला जाता है फिर कुछ देर के बाद आरती को उसकी गइया कि गगाने की आवाज आती है जो घर के पीछे बंधी हुई थी और वह रह, रह के बार-बार आवाज दे रही थी फिर आरती ने सोचा कि गइया बार-बार क्यों आवाज दे रही है तो उसने जाकर देखा तो वह गइया नहीं थी बल्कि बछिया थी यानी उस गइया की बड़ी बेटी जो अब जवान हो चुकी थी लेकिन अभी तक उसने कोई बच्चा नहीं दिया था वही बछिया रह-रह के आवाज कर रही थी तो आरती को समझ में नहीं आया कि यह क्यों बार-बार आवाज दे रही हैं। तो वह अपनी दादी को जाकर बोली दादी दादी वो जो अपनी बछिया है वह बार-बार गगा रही है।

तो दादी ने पूछा और कहा की बछिया गगा रही है क्यों क्या हुआ उसको काहे गगा रही है।

तो आरती बोली पता नहीं हमको तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है काहे गगा रही है अब आप ही चल कर देखो आपको कुछ समझ में आ जाए। फिर दादी बोली अच्छा ठीक है चल मेरे साथ में चल कर देखती हूं की क्या हुआ है उसे। फिर दोनों उसके पास जाती है और दादी बछिया को चारों तरफ घूम के देखने लगती है फिर भी उनको कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी उनकी नजर बछिया की पूछ पर गई जो बछिया अपनी पूछ को बार-बार उठा रही थी फिर दादी उसके पीछे जाती है और उसके प्राइवेट पार्ट को यानी उसकी योनि को गौर से देखने लगती है तो वह समझ जाती है कि इसकी योनी फूल गई है और इसका रंग भी हल्का-हल्का बदल गया है और छूने से नरम भी लग रहा है।

फिर आरती पूछती है क्या हुआ दादी कुछ समझ में आया कि नहीं। तो फिर दादी बोलती है हां हमारी समझ में आ गया है और कहती है की बछिया गरमा गई है यानी गरम हो गई है और यह बच्चा देने के लायक हो गई है इसलिए यह बार-बार आवाज दे रही है। तो फिर आरती बोलती है कि अब क्या करना पड़ेगा।

तो दादी बोलती है कुछ नहीं इसको सांढ़ के पास लेकर जाना पड़ेगा, तो फिर आरती पूछती है कि सांढ़ के पास क्यों लेकर जाना पड़ेगा, तो फिर दादी बोलती है रे बेवकूफ सांढ़ के पास नहीं तो क्या गधे के पास लेकर जाएगी और सुन राजनाथ आएगा तो उसको बोल देना बछिया को सांढ़ के पास लेकर जाने के लिए।
तो फिर आरती बोलती है कि मैं नहीं कहूंगी आप ही उनको बोल देना। तो फिर दादी बोलती है कि ठीक है जब तुमको शर्म आ रहा है बताने में तो मैं ही उसको बोल दूंगी, वैसे वह गया कहां है। तो आरती बोलती है पता नहीं गए होंगे कहीं कुछ काम से।

आरती- फिर घर के काम लग जाती है फिर दोपहर को राजनाथ बाहर से आता है फिर खाना खाने के बाद आराम करने जा रहा था तो आरती उसको बछिया वाली बात बताती है और बोलती है बाबूजी और दादी बछिया को दिखाने के लिए बोल रही थी। तो राजनाथ पूछता है बछिया को कौन बछिया को, तो आरती बोलती है कि अपनी बछिया है उसको, तो राजनाथ बोलता है कि अपनी बछिया को क्या हुआ उसको और कहां दिखाने के लिए बोल रही थी। तो आरती धीरे से शरमाते हुए बोली की जी वो दादी उसको सांँढ़ के पास लेकर जाने के लिए बोली है।

तो राजनाथ उसको बोलता हैं कि यह तू क्या बोल रही है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

तो फिर आरती बोलती है कि आप खुद ही जाकर देख लीजिए ना उसको सुबह वो गगाय रही है।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि ठीक है मैं जाकर देखता हूं फिर वह देखने के लिए घर के पीछे में जाता है जहां वह बंधी हुई थी फिर वह उसको गौर से चारों तरफ देखा है तो उसको भी समझ में आ जाता है कि यह गरमा गई है हीरो आरती के पास वापस आता है और बोलता है कि हां मैंने उसको देख लिया है वह अब गरमा गई है उसको साँढ़ को दिखाना पड़ेगा तो मैं उसको शाम में दिखा दूंगा, दिखा क्या दूंगा उसको यहीं पर ले आऊंगा वो तो इधर ही बस्ती में घूमता रहता है।

आरती समझ गई कि बाबूज किसकी बात कर रहे हैं वह उस काले साँढ़ की बात कर रहे हैं जो हमारे ही बस्ती का है जो आवारा घूमता रहता है इधर-उधर और उसका सिर्फ दो ही काम है इधर-उधर घूम कर खाना और दूसरा काम है हमारी बस्ती की जितनी भी गायें हैं उन सब को प्रेग्नेंट करना यानी की गाभिन करना।

फिर शाम के 4:00 के करीब राजनाथ उस साँढ़ को खोज के लाता है साँढ़ जैसे ही गेट के अंदर आता है तो इधर-उधर अपना मुंडी घूम के देखने लगत है वो अपनी भाषा में यही सोच रहा होगा कि मुझे यहां क्यों लाया गया है यहां तो कोई गाय भी नहीं है। राजनाथ फिर गेट को अंदर से बंद कर देता है ताकि निकल के भाग ना सके फिर राजनाथ सोचता है की बछिया को यही आंगन में लाकर बांधना पड़ेगा पीछे वहां जगह नहीं हो सकेगा फिर वह घर के पीछे से बछीया को लाने के लिए जाता है।

तभी आरती घर के अंदर से बाहर आती है तो वह साँढ़ को देखकर चौंक जाती है और उसकी भारी भरकम शरीर देखकर सोचने लगती है और कहती है कि हमारी बछिया तो इसके सामने एकदम बच्ची लगेगी वो तो इसका वजन भी नहीं रोक पाएगी जब यह उसके ऊपर चढ़ेगा तो वह तो इसके नीचे दब के मर जाएगी।

तभी राजनाथ बछिया को लेकर आता है और वही आंगन के दीवार के साइड में एक खूटा उसी में उसको बांध देता है । साँढ़ जैसे ही बछीया को देखा है तो वह दौड़कर उसके पास जाता है और जाते ही उसकी प्राइवेट पार्ट को सुनने लगता है यानी उसकी योनि, या चूत, बूर जो भी बोले अपनी मुंह और नाक से सूंघने लगा, और बछिया भी अपनी पूछ उठाकर आराम से उसको सुंघने दे रही थी और साँढ़ बार-बार उसको सूंघ रहा था शायद वह सूंघ कर यह जानने की कोशिश कर रहा था कि आज मैं जिसकी सील तोड़ने जा रहा हूं क्या वह पूरी तरह से तैयार है कि नहीं।

कुछ देर सूंघने के बाद उसको तसल्ली हो ही जाता है कि यह लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है फिर वह अपना लंबा हथियार निकलता है उसकी लंबाई करीब करीब 1 फीट से ज्यादा ही होगा। फिर वह चढ़ने की कोशिश करता है और चढ़ ही जाता है। लेकिन वह अंदर नहीं जा रहा था क्योंकि उसका निशाना सही से नहीं लग पा रहा था, और बछिया उसकी भारी वजन को बहुत मुश्किल से ही संभाल पा रही थी, जब साँढ़ का लिंग अंदर नहीं गया तो वह उतर गया। और उतर कर फिर सुंघने लगा और सुंघने के बाद एक बार फिर से चढ़ गया और इस बार निशाना सही जगह पर लगा और निशान लगते ही एक जोरदार झटका के साथ पूरा का पूरा अंदर कर दिया अंदर करते ही बछिया का पूरा शरीर सिकुड़ गया शायद इस वजह से की झटका ज्यादा जोर का था, झटका तो था ही एक वजह यह भी थी की आज पहली बार उसके पेट के अंदर में कोई इतना बड़ा सामान गया था इस वजह से वह संभाल नहीं पाई। कुछ देर इस तरह अपनी पीठ को ऊपर और अपनी पेट को अंदर सिकुडे़ हुए खड़ी रही साँढ़ ने जब उसके पेट के अंदर अपना बीज डालकर अपना सामान बाहर निकाला तो उसके साथ-साथ उसका लंड का पानी और बछिया की चूत का पानी दोनों का पानी एक साथ मिलकर उसकी चूत से निकल रहा था इधर साँढ़ अपना काम कर रहा था, और राजनाथ वहीं सामने बैठकर यह सब देख रहा था ,और उसके पीछे आरती घर के अंदर से छुप कर यह सब देख रही थी।

इधर साँढ़ अपना काम करते हुए आज वह एक और कुंवारी बछिया का सील तोड़ चुका था। और वह एक बार फिर से उसके अंदर अपना लंड घुसाने की तैयारी में था और देखते ही देखते वह फिर से चढ़ जाता है और इस बार भी उसने सही निशाना लगाया और एक जोरदार झटका मार देता है और शायद इस बार झटका कुछ ज्यादा तेज था इस वजह से बछीया उसको संभाल नहीं पाई और वह गिर गई तब तक साँढ़ अपना काम कर चुका था और अपना बीज एक बार फिर उसके बच्चेदानी में डाल चुका था।

और यह सब आरती घर के अंदर से छुप कर देख रही थी और यह सब देखकर उसके शरीर में सीहरन पैदा होने लगती है और वह साँढ़ को देखकर मन ही मन सोचती है कि काश मेरा भी पति ऐसा ही ताकतवर होता ।

आगे की कहानी अगले भाग में
Bahut hi kamuk aur mazedaar update
 
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ranveer888

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भाग 11

आरती घर के अंदर से छुप कर यह सब देख रही थी और यह सोच रही थी कि काश मेरा पति भी इस साँढ़ की तरह हठा कठा और ताकतवर होता तो कीतना मजा आता ।

उधर राजनाथ भी यह जानता था की आरती चुप-चुप के सब देख रही हैं।


उधर साँड़ अभी तक तिन बार बछिया के ऊपर चढ़ कर उसके गर्भ में अपना बीज डाल चुका था और अब वह थोडा थक भी गया था इस वजह वो थोडा सांत हो गया था।
फिर राजनाथ भी उठकर बाहर चला गया घूमने के लिए ।

फिर आरती ने देखा की बाबूजी बाहर चले गए तो वह उठ कर जाती है और आंगन का गेट अंदर से बंद कर देती है और बंद करने के बाद वापस आती है और वही आंगन में खड़ी होकर साँढ़ और बछिया को गौर से देखने लगी और सोचने लगी की साँढ़ कितना किस्मत वाला कि इसको बुढ़ापे में नई जवान बछिया का सील खोलने के लिए मिला कितनी अच्छे से अपना मुंह और नाक रगड़ रगड़ के सूंघ के उसकी कमसीन जवानी और चूत का मजा ले रहा है।

फिर कुछ देर के बाद शाम होने लगी तो अपने रात का खाना बनाने में लग गई। फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी बाहर से घूम फिर के आ गया और आते ही उसने साँढ़ और बछिया को देखने लगा और उसने देखा कि साँड़ बछिया के पास खड़ा है और बछीया बैठी हुई है शायद वह थक गई थी इस वजह से बैठ गई थी।

तभी आरती उधर से आती है और बोलती है बाबूजी अब शाम होने वाला है अब उसको यहां से भेजिएगा नहीं , तो राजनाथ पूछता है किसको , तो आरती बोली साँढ़ को और किसको शाम होने वाला है उसको भेजिएगा नहीं।

तो राजनाथ बोलता है कि हां मैं भी यही सोच रहा था कि अब उसको यहां से बाहर निकाल के भेज देता हूं , फिर वह हाथ में छड़ी लेकर साँढ़ को बाहर निकालने के लिए जाता है।

तो साँढ़ गेट तक जाता है फिर वापस दौड़ कर बछिया के पास आ जाता है बछिया को सुंघने लगता है और बछिया जो बैठी हुई थी वह उठकर खड़ी हो जाती है , फिर राजनाथ उसको कुछ देर सुंघने देता है और फिर से उसको बाहर निकालने लगता है। और इस बार भी वह गेट गेट तक जाता है वापस दौड़कर बछिया के पास आ जाता है इसी तरह हुआ तीन-चार बार करता है लेकिन वह बाहर नहीं जाता है। फिर राजनाथ उसको छोड़ देता है और आरती के पास जाकर बोलता है कि मैंने बहुत कोशिश की लेकिन वह जाने के लिए तैयार नहीं इसलिए आज उसको रात भर यही रहने देते हैं कल सुबह उसको यहां से भगा देंगे , तो फिर आरती बोलती है कि यहां रहेगा तो कुछ गड़बड़ तो नहीं करेगा , तो राजनाथ बोलता है कि गड़बड़ क्या करेगा जो करने आया है वही करेगा और क्या करेगा फिर कल सुबह होते ही इसको यहां से भेज देंगे , राजनाथ फिर से बोलता है कि लगता है इसका मन अभी तक भरा नहीं इसलिए यह जाना नहीं चाह रहा है और लगता है खेत की जुताई भी अभी पूरी तरह से हुआ नहीं है इसलिए अभी और जोतना चाह रहा है , यह बात उसने आरती की मजे लेने के लिए बोला था , तो आरती भी अनजान बनते हुए बोलती है कि कौन सा खेत का जूताई करना बाकी है , आरती बात करते हुए अपनी नज़रें नीचे करके कुछ काम कर रही थी , तो राजनाथ उसकी तरफ देखते हुए फिर से बोलता है अरे वही खेत जिसको वह जोतने के लिए आया है। तो आरती फिर से अपनी नज़रें नीचे किए हुए बोलती है कि आप क्या बोल रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

तो राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है कि यह सब बात तुमको समझ में नहीं आएगा जिसका खेत है उसको और जो जोतने वाल है उसको उन दोनों को मालूम है। इसलिए तू अपना दिमाग मत लगा और अपना काम कर , ठीक है बाबा मैं अपना दिमाग नहीं लगाती वैसे भी जानकर मुझे क्या मिलेगा फिर वह खाना बनाने में लग जाती है।


फिर सब लोग रात का खाना खाते हैं और खाना खाने के बाद राजनाथ और दादी अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं फिर आरती भीअपना खाना खाती और खाने के बाद फिर दूध गर्म करति है फिर एक बड़ा गलास दूध लेकर राजनाथ को देने के लिए उसके कमरे में जाती है और जाकर बोलता है यह लीजिए आपका दूध जल्दी से पी लीजिए।

तो फिर राजनाथ बोलता है यह तो सिर्फ एक गिलास और दूसरा गिलास कहां है , तो आरती बोलती हैं दूसरा गिलास किस लिए खाली आप ही तो पीएंगे और कौन पिएगा , तो फिर राजनाथ बोलता है कि मैं तुम्हारा गिलास की बात कर रहा हूं तुम्हारा दूध कहां है।

तो फिर आरती बोलती है कि मेरा दूध वहीं पर है मैं वही जाकर पी लूंगी आप अपना पी लीजिए।


तो फिर राजनाथ बोलता है नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता तुम भी अपना दूध यहीं पर लेकर आवऔर मेरे सामने पियो।

तो फिर आरती बोलती है कि क्यों आपको मेरे ऊपर भरोसा नहीं है क्या।

तो राजनाथ बोलता हैं कि भरोसे की बात नहीं है बात जरूरत की है क्योंकि दूध पीना मेरे लिए जरूरी नहीं है जितना तुम्हारे लिए जरूरी है लेकिन फिर भी तुम मुझे पिला रही हो तो मेरा भी तो फर्ज बनता है कि मैं भी तुमको अपनी आंखों के सामने दूध पिलाऊँ।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अच्छा-अच्छा ठीक है मैं भी अपने दूध लेकर आती हूं और आपके सामने बैठ कर पियूंगी फिर वह दूध लेने के लिए चली जाती है और एक गिलास में दूध लेकर आती है फिर उसके सामने बैठकर पीने लगती हैं फिर राजनाथ भी अपना दूध पी लेता है फिर आरती दोनों गिलास लेकर चली जाती है फिर कुछ देर के बाद एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर राजनाथ के कमरे के तरफ जाने लगती है तो उसकी नजर आंगन में जाती है जिधर साँढ़ और बछिया खड़े थे तो उसने देखा कि साँढ़ फिर से बछीया को परेशान कर रहा है और उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहा है और वह देखते हुए राजनाथ के कमरे में चली जाती है।

तो राजनाथ उसको देखकर समझ जाता है की मालिश करने के लिए आई है लेकिन वह अनजान बनते हुए पूछता है की क्या हुआ अब किस लिए आई है नींद नहीं आ रहा है क्या जाओ जाकर सो जा।

तो आरती बोलती है कि नींद तो बहुत आ रही है लेकिन आपका मालिश भी तो करना है कल भी आपका मालिश नहीं कर पाई थी इसलिए इसलिए मैंने सोचा कि आज आपका मालिश करके ही जाऊंगी नहीं तो आप सोचेंगे कि मेरी बेटी ने 2 दिन मालिश की और फिर बीशर गया , अच्छा बाबूजी में जब दूध पीती हूँ ना तो मेरा पेट भारी लगने लगता और मुझे नींद भी आने लगती है क्या आपको भी ऐसा लगता है।

राजनाथ हां बेटा मुझे भी बिल्कुल वैसा ही लगता है अगर तुमको नींद आ रही है तो तुम जाकर सो जाओ मालिश नहीं भी करोगी तो चलेगा।

तो आरती बोलती हैं नहीं नहीं मालिश करने आई हूं तो थोड़ा बहुत करके ही जाऊंगी और वह मालिश करने लगती है फिर उसको बछीया और साँढ़ की बात आ जाती है तो वह बोलती है कि बाबूजी आपने साँढ़ को उस टाइम भगाया नहीं वह बछिया को परेशान कर रहा है।

तो राजनाथ पूछता हैं क्यों क्या हुआ।

तो आरती शरमाते हुए अपने नज़रे नीच करके बोलता है कि होगा क्या मैंने उसको देखा तो वह अभी भी बछीया के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहा था।

तो राजनाथ मुस्कुराते उसकी तरफ देखकर बोलता है की अरे इसमें गलत क्या कर रहा है वो तो वही कर रहा है जो करने के लिए आया है , तो फिर आरती कुछ नहीं बोल पाती और वह चुपचाप मालिश करने लगती है।

फिर राजनाथ उसको ऊपर से नीचे तक देखा है तो उसके मन में उसको छेड़ने का मन करने लगता है और वह बोलता है कि साँढ़ जो आज मेहनत कर रहा है उसका फल तो उसको 9 महीने के बाद मिल जाएगा जब वह आप और नाना दोनों एक ही दिन में बन जाएगा।

तो फिर आरती उसकी बात सुनने के बाद बोलती है कि यह आप क्या बोल रहे हैं मैं कुछ समझी नहीं बाप और नाना एक ही दिन में बन जाएगा मतलब , मतलब यह कि वही साँढ़ उस बछिया का बाप है।

तो फिर आरती बोलती है कि वह उस बछीया का बाप कैसे है ।

तो राजनाथ बोलता है कि जब उस बछिया की मां पहली बार प्रेग्नेंट हुई थी तो उसी ने उसको गर्भवती किया था उसके बाद वह बछिया पैदा हुई थी तो इस हिसाब से वह उसका बाप हुआ कि नहीं और आज उसी बछिया को यानी अपनी बेटी को प्रेग्नेंट कर रहा है तो जब वह बछिया मां बनेगी तो उस के बच्चे का बाप भी तो वही कहलाएगा और उसकी मां का बाप तो वो पहले से ही है तो उस हिसाब से उस बच्चे का बाप और नाना दोनों हुआ कि नहीं।

तो फिर आरती बोलता है कि लेकिन यह तो गलत है आपने ऐसा क्यों करने दिया।

तो राजनाथ बोलता है कि इसमें गलत क्या है और मैं इसमें क्या कर सकता हूं।

तो फिर आरती बोलती कि गलत क्यों नहीं है एक आप अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे कर सकत हैं।

तो राजनाथ बोलता है की अरे तुमको यह सब गलत लग रहा है क्योंकि तुम इंसान हो और वह सब जानवर है इसलिए उनके लिए रिश्ते कोई मायने नहीं रखता चाहे वह बाप बेटी हो या भाई बहन हो उन सबके लिए बराबर है वह सब सिर्फ अपनी सेक्स की भूख पूरा करना जानते हैं और उनके लिए कुछ मायने नहीं रखता फिर आरती चुप हो जाती है और कुछ नहीं बोलती।

राजनाथ चुपचाप देखकर फिर उसको छेड़ने लगता है और बोलता है की साँढ तो 9 महीने के बाद बाप और नाना बन जाएगा लेकिन मैं कब बनुंगा बाप तो मैं बन नहीं सकता लेकिन नाना कब बनुंगा।

तो फिर आरती भी मन ही मन मुस्कुराते हुए बोलती है की क्यों बाप क्यों नहीं बन सकते आप।

तो राजनाथ बोलता है कि अब मैं इस उम्र में बाप कहां से बन पाऊंगा।

तो फिर आरती बोलती है क्यों क्या हुआ आपको जो इस उम्र में बाप नहीं बन सकते जब साँढ़ इस उम्र में बाप बन सकता है तो आप क्यों नहीं बन सकते।

तो राजनाथ बोलता नहीं मैं बाप नहीं बन सकता क्योंकि मुझे इस उम्र में कोई लड़की नहीं मिलेगी और नहीं अब शादी करूंगा इसलिए मै बाप भी नहीं बन सकता।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है क्यों क्यों नहीं मिल सकता आपको इस उम्र में लड़की आप करना चाहेंगे तो जरूर आपको मिलेगी मैंने बहुत से लोगों को देखा है बुढ़ापे में शादी करते हुए वह भी जवान लड़कियों के साथ जब वह सब कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं कर सकते।

तो राजनाथ बोलता है कि और सब की बात अलग है मेरी बात अलग हमारे गांव घर वाले क्या बोलेंगे की घर में जवान बेटी है और और बुडढा चला है शादी करने के लिए इसको तो कुछ शर्म हया तो है ही नहीं।

तो आरती बोलती है कि तो क्या हुआ गांव वालों को बोलने दीजिए बोलने से क्या होगा।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि अब तुम मेरा मजाक उड़ाना बंद कर और जा जाकर सो जा अब बहुत हो गया तेल मालिश।

फिर आरती हंसते हुए कहती है मैं आपके भले के लिए कह रही हूँऔर आप मुझे ही गलत समझ रहे हैं फिर वह सोने के लिए चली जाती है फिर वह बेड पर सोती है तो उसको फिर से बछीया और साँढ़ वाली बात याद आ जाती है और सोचने लगती है कि एक बाप अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे कर सकता है फिर वह सोचती है कि साँढ़ अगर अपनी बेटी के साथ ऐसा कर सकता है तो क्या मेरे बाबूजी मेरे साथ ऐसा कर सकते हैं अगर साँढ एक जानवर हो के इतना मजा ले ले के कर सकता है तो फिर मेरे बाबूजी तो एक चालक और होशियार आदमी है जब वह मेरे साथ करेंगे तो और अच्छे से और मजे ले लेकर करेंगे उनका जितना बड़ा हथियार है और जब वह मेरे छोटी सी चूत में डालेंगे तो मेरी तो हालात ही खराब हो जाएगी , लेकिन मेरे बाबूजी क्या मेरे साथ ऐसा करेंगे मुझे तो नहीं लगता क्योंकि वह जितना दुनियादारी के बारे में सोचते हैं उस हिसाब से मुझे नहीं लगता की कभी मेरे साथ ऐसा करेंगे और यही सब सोचते सोचते हो उसे फिर नींद आ जाती है।

आगे की कहानी अगले भाग में।
Very nice erotic update 😍 😍 😍
 
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ranveer888

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कभाग १४

राजनाथ जब आरती से ब्रा के बारे में पूछता है कि उसका नाम क्या है।

तो आरती जवाब देती है कि उसका नाम ब्रा है उसको ब्रा कहते हैं यह नाम अच्छे से याद कर लीजिए नहीं तो कल वहां जाकर भूल मत जाइएगा।

तो राजनाथ बोलता है अरे नहीं भूलूंगा अगर भूल भी गया तो क्या होगा किसी से पूछ लूंगा दुकानदार से ही पूछ लूंगा।

तो फिर आरती बोलती है अच्छा दुकानदार से पूछ लेंगे क्या पूछेंगे दुकानदार से।


तो फिर राजनाथ बोलता है क्या पूछूंगा यही पूछूंगा की लड़कियां सब ब्लाउज के अंदर में पहनती है उसको क्या बोलते हैं।

तो फिर आरती बोलती है अच्छा अगर दुकानदार ने आपसे उल्टा पूछ लिया कि आप क्यों पूछ रहे हैं तो क्या बोलेंगे।

तो फिर राजनाथ बोलता है तो मैं बोल दूंगा कि हमको खरीदना है।

तो फिर आरती बोलती है अगर उसने दोबारा फिर से पूछ लिया कि किसके लिए खरीदना है तो।

तो फिर राजनाथ बोलता है मैं बोल दूंगा की अपनी बीवी के लिए खरीद रहा हूं।

तो फिर आरती बोलती है अगर उसने फिर से पूछ लिया कि बुढ़ापे में अपनी बीवी के लिए ब्रा खरीदने के लिए आए हैं पहले कभी नहीं खरीदा क्या तो फिर आप क्या जवाब देंगे।

तो तो फिर राजनाथ बोलता है तुम मुझे और मत डराओ अगर उसने मुझसे पूछ लिया तो मैं सीधा-सीधे बोल दूंगा कि मैं अपनी बेटी के लिए खरीद रहा हूं अगर एक बाप अपनी बेटी के लिए साया साड़ी ब्लाउज बाकी और सब कपड़े खरीद सकता है तो ब्रा और पैंटी क्यों नहीं खरीद सकता वह भी तो कपड़ा ही है।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए बोलती है क्याआप दुकानदार के सामने ऐसा बोल पाएंगे।

तो फिर राजनाथ बोलता है हां क्यों नहीं बोल पाऊंगा बिल्कुल बोल सकता हूं ।

तो फिर आरती बोलती है मुझे तो नहीं लगता कि आप बोल पाएंगे क्योंकि आपके अंदर उतनी हिम्मत नहीं है।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि अच्छा तो तुम मुझे चैलेंज कर रही है तू मुझे चैलेंज मत कर तो खाली अपना साइज बता दे बाकी मैं खुद समझ लूंगा तुमको खाली ब्रा से मतलब अगर मैंने तुमको ब्रा ला कर नहीं दिया तब तुम मुझे डरपोक और बाकी जो कुछ बोलना है बोल सकती हो लेकिन अभी नहीं अभी तुम सिर्फ अपना साइज बता दो।

तो फिर आरती कहती है क्यों साइज क्यों बताऊंगी मैं साइज नहीं बताऊंगी।

तो फिर राजनाथ पूछता है क्यों साइज क्यों नहीं बताएगीअगर साइज नहीं बताएगी तो फिर मैं लाऊँगा कैसे।

तो फिर आरती कहती है कि जब पैंटी बिना नाप के बिना साइज पूछे ला सकते हैं तो फिर ब्रा क्यों नहीं ला सकते ब्रा भी वैसा हीं ले आइए मैं देखना चाहती हूं कि आपका अंदाजा इस बार भी सही होता है कि नहीं।

तो फिर राजनाथ बोलता है अच्छा ठीक है तो मैं ले आऊंगा लेकिन बाद में मत बोलना कि बड़ा हो गया है छोटा हो गया है

तो फिर आरती बोलती है क्यों नहीं बोलूंगी अगर साइज सही नहीं होगा तो मैं तो बोलूँगी की साइज सही नहीं है बड़ा है या छोटा है।


तो फिर राजनाथ बोलता है अरे वाह चित भी तेरी पट भी तेरी नाप भी नहीं देगी अरे उल्टा मुझे ही सुनाएगी यह तो तेरी दादागिरी है।

तो फिर आरती बोलती है आपको जो भी समझना है समझीए है मैं आपको जो भी कहूंगी वह आपको सुनना पड़ेगा और करना भी पड़ेगा।

तो फिर राजनाथ बोलता है अच्छा ठीक है बाबा मैं तुम्हारी हर बात मानूंगा लेकिन तुमको मेरी एक बात माननी पड़ेगी।

तो फिर आरती बोलती है क्या बात माननी पड़ेगी।

तो फिर राजनाथ बोलता है पहले तुम मानने के लिए तैयार होगी तभी तो मैं बोलूंगा।

तो फिर आरती जवाब देती ठीक है मैं आपकी एक बात मानने के लिए तैयार हूं।

तो फिर राजनाथ बोलता है तो ठीक है सुनो अगर मैं ब्रा सही साइज का ले आया तो फिर मुझे क्या मिलेगा।

तो फिर आरती उसकी बात सुनकर थोड़ा सोचती है और फिर बोलती है कि आपको क्या चाहिए।

तो फिर राजनाथ बोलता है क मैंने अभी कुछ सोचा नहीं है कि मुझे क्या चाहिए लेकिन अगर मैंने वह काम सही से कर दिया तो फिर मुझे कुछ ईनाम तो मिलना चाहिए ना।

तो फिर आरती बोलती है ठीक है आपको जो भी इनाम चाहिए मैं आपको दूंगी लेकिन मैं जो मैं दे सकती हूं वही दूंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता हैं हां हां ठीक तुम जो दे सकती हो वही दोगी ना जो नहीं दे सकोगी वह कहां से दोगी।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है ठीक है तो कल देखते हैं कि इनाम मिलता है या सजा मिलता है तब तक राजनाथ की मालिश भी हो गई फिर वह मालिश करने के बाद आरती सोने के लिए चली गई ।

फिर दूसरे दिन राजनाथ तैयार होकर बाजार चला जाता है ब्रा लाने के लिए फिर एक कपड़े की दुकान में जाकर दो पीस ब्रा लेता है उसकी छाती के हिसाब से और उसके दूध इतने बड़े नहीं थे इसलिए छोटी साइज का ही लेता है ताकि उसको अच्छी तरह से फिटिंग आ सके फिर ब्रा लेकर वापस घर आता है और घर आकर ब्रा की पैकेट आरती के हाथ में दे देता है। और बोलता है यह लोग तुम्हारा सामान और इसे पहन कर बताना की फिटिंग कैसी है।

आरती शरमाते हुए वह पैकेट हाथ में ले लेती है और कहती है कि मैं अभी इसे थोड़ी पहनूंगी बाद में पहनूंगी।

राजनाथ बोलता है ठीक है रात में बता देना।

तो फिर आरती कहती है कि मैं अभी इसको नहीं पहन सकती क्योंकि मैं आज नहाई नहीं हूँ इसलिए आपको और इंतजार करना पड़ेगा।

तो फिर राजनाथ कहता है कि ठीक है नहाई नहीं हो तो अभी जाकर नहा लो अभी शाम नहीं हुआ अभी 4:00 रहा है जल्दी से जाकर नहा लो।

तो फिर आरती रहती है कि मैं अभी नहीं नहा सकती मैं इसलिए नहीं नहा सकती क्योंकि मेरा पीरियड चालू है और वह आपको भी पता है इसलिए मैं अभी नहीं नहा सकती जब मेरा पीरियड बंद होगा तभी मैं नहाउंगी और फिर इसको पहनूंगी फिर आपको बताऊंगी कि इसकी फिटिंग कैसी है इसलिए अभी आपको और इंतजार करना पड़ेगा कम से कम 2 दिन तक।

तो फिर राजनाथ कहता ठीक है अब ऐसी बात है तो इंतजार करना ही पड़ेगा और क्या कर सकते हैं फिर दो दिन इसी तरह बीत जाता है तीसरे दिन राजनाथ नाश्ता करते हुए आरती को कहता है आज तीसरा दिन है तो क्या आज मैं साइज के बारे में जान सकूंगा कि नहीं

तो फिर आरती कहती है कि आप उसकी साइज जानने के लिए इतना उत्सुक क्यों है क्या कोई खास बात है क्या।

तो फिर राजनाथ कहता है कि मैं उसकी साइज जानने के लिए इसलिए उत्सुक हूँ की मेरी बेटी ने मुझे चैलेंज दिया है कि मैं सही साइज की ला पाता हूं कि नहीं इसलिए मैं जानने के लिए उत्सुक हूं कि मैंने जो लाया है वह सही है कि नहीं।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है कि बस सिर्फ यही बात है कोई और बात तो नहीं है ना।

तो फिर राजनाथ कहता हैं कि नहीं और कोई बात नहीं मैं तो सिर्फ उसकी शायज जानना चाह रहा हूँ बस और कुछ नहीं।

तो फिर आरती कहती है कि आपको रात तक और इंतजार करना पड़ेगा उसकी सायज जानने के लिए।

तो फिर राजनाथ कहता है ठीक है कोई बात नहीं 2 दिन इंतजार कर लिया तो रात तक भी कर लुंगा। फिर वह खाना-वाना खाकर कोई काम करने के लिए बाहर चला जाता है उसके बाद आरती अपना घर का काम सब खत्म करके दोपहर में वह नहाने के लिए वॉशरूम में चली जाती है और फिर अच्छे से नहाती है और नहाने के बाद राजनाथ का लाया हुआ ब्रा और पैंटी पहनती है और पहनने के बाद मन ही मन वह बहुत खुश होती है और कहती है कि बाबूजी की नजर की तो दाद देनी पड़ेगी बिना नाप बताएं इतनी सही फिटिंग और सही के साइज कैसे ला सकते हैं यह सब सोंचते हुए वह फिर अपनी ब्लाउज और साया साड़ी सब पहनती है और पहन करके वॉशरूम से बाहर आती है और बाहर आकर अपनी बाल उल झाड़ के थोड़ा बहुत मेकअप भी कर लेती है जिससे और भी खूबसूरत लगने लगती है फिर शाम का खाना बनाने में लग जाती है और फिर राजनाथ भी घर आ जाता है और फिर रात का खाना दादी और राजनाथ को खाने के लिए देती है फिर वह दोनों खाना खाकर दोनों अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं। फिर आरती भी अपना काम खत्म करके खाना खाकर और दूध गर्म करके राजनाथ के कमरे में रखने के लिए जाती है फिर मालिश करने के लिए तेल भी लेकर आ जाती है और फिर राजनाथ से कहती है बाबूजी दूध पी लीजिए नहीं तो फिर ठंडा हो जाएगा

राजनाथ जैसे ही उसको अपने सामने लाइट की रोशनी में देखा है तो वह देखता ही रह जाता है काले कलर की साड़ी और काले कलर की ब्लाउज में उसकी बेटी इतनी खूबसूरत लग रही थी कि वह उसको देख कर वह अलग ही दुनिया मे पहुंच गया उसकी गोरे बदन पर काले कलर की लिबास
इतना जच रहा था कि शब्दों में बयां नहीं क्या जा सकता।

फिर आरती कहती है बाबूजी क्या सोच रहे हैं उठिए ना दूध पी लीजिए जल्दीसे।

राजनाथ उसकी बात सुनते ही थोड़ा हड़बड़ा जाता है और कहता है हां हां पी रहा फिर वह दूध पीने लगता है और पीने के बाद में फिर बेड पर लेट जाता है फिर आरती बेड के करीब जाती है और उसका पैर पकड़ के तेल मालिश करने लगती है आरती जैसे ही राजनाथ के करीब गई तो उसकी बदन की खुशबू सीधे उसकी नाक में चली गई जिसको सूंघते ही वह मंत्र

मुगध हो गया फिर वह उसकी बॉडी को देखा और देख कर सोचने लगा कि इसने ब्लाउज के अंदर में ब्रा पहनी है कि नहीं उसको देखते ही मालूम पड़ गया कि अंदर में ब्रा पहनी है।।

कुछ देर तक दोनों चुपचाप रहे तो राजनाथ ने उससे पूछा क्या हुआ तुमने बताया नहीं की साइज कैसी है।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है कि मैं क्या बताऊंगी आप खुद ही देख लीजिए की साइज कैसी है।

तो फिर राजनाथ कहता है कि यह क्या मजाक मैं कैसे देख सकता हूं मेरे पास क्या कोई दूरबीन है जो अंदर झांक के देख लूंगा।

तो फिर आरती फिर से मुस्कुराते हुए कहती कि वो तो मुझे पता नहीं की आपके पास दूरबीन है कि नहीं वह आपका प्रॉब्लम आपको कैसे देखना है वह आप समझीए मैं आपके सामने पहन के खड़ी हूं आप जैसे कहेंगे दिखाने के लिए मैं दिखा दूंगी आप मुझसे बोल सकते हैं की आपको कैसे देखना है

तो फिर राजनाथ कहता है कि यार तुम अब मेरे साथ गलत कर रही तुमने खुद ही बोला था कि बताओगी और अब बहाना कर रही हो।

तो फिर आरती कहती है कि इसमें बहाने की क्या बात है मैं तो खुद आपसे कह रही हूं कि आप देख लीजिए आपके जैसे देखना है।

तो फिर राजनाथ कहता हैं कि मुझे देखना नहीं है तुम सिर्फ अपने मुंह से बोल कर बता सकती हो की साइज ठीक है कि नहीं ।

तो फिर आरती कहती है कि अच्छा तो मैं अपने मुंह से बोलकर बता दूंगी तो आप मान लेंगे।

तो फिर राजनाथ कहता है कि क्यों नहीं मानूंगा अगर सच कहोगी तो जरूर मानूंगा।

तो फिर आती कहती है की ठीक है तो मैं बता देती हूं आपने जो लाया है उसकी साइज सही नहीं उसकी साइज मेरे साइज से बड़ी है।

तो फिर राजनाथ कहता है कि नहीं ऐसे नहीं तुमको सच बोलना पड़ेगा और सच बोलने के लिए तुमको मेरी कसम खा कर बोलना पड़ेगा कि तुम सच कह रही हो।

तो फिर आरती कहती कि यह क्या बात हुई अभी आपने कहा कि आप मेरी बात मानेंगे और अब आप कह रहें हैं की कसम खाना पड़ेगा मैं कोइ कसम वसम नहीं खाऊंगी आपको मानना है तो मानीए नहीं मानना है तो मत मानिए लेकिन मैं कसम नहीं खाऊंगी।

तो फिर राजनाथ कहता है कि नहीं ऐसे कैसे होगा मुझे कैसे पता चलेगा कि तुम सच कह रही हो कि झूठ कह रही हो इसलिए तुमको कसम खाना ही पड़ेगा।

तो फिर आरती कहती कि ठीक है जब आपको साइज ही जानी है तो कल सुबह तक रुकिए मैं कल आपको बता दूं की साइज कैसी है बता क्या दिखा दूंगी आप खुद ही देख लीजिएगा।

तो फिर राजनाथ उदास होते हुए कहता है कि अब तुम बहाना कर रही हो नहीं बताने के लिए के लिए।

तो फिर आरती कहती है कि मैं बहाना नहीं कर रही हूं सिर्फ कल सुबह तक रुकिए ना फिर आपको सब पता चल जाएगा।

इतना बोल करके वह फिर सोने के लिए चली जाती है।


फिर दूसरे दिन सुबह होते ही सब उठकर अपने-अपने काम में लग जाते हैं आरती अपनी खाना-वाना बनाने में लग जाती हैं राजनाथ कहीं बाहर चला जाता है।

फिर राजनाथ बाहर से घूम फिर के आता है और फिर नाश्ता करता है नाश्ता करने के बाद फिर वह कहीं जाने लगता है तो आरती कहती है कि बाबूजी आप कहीं जा रहे हैं क्या।

तो फिर राजनाथ कहता है कि हां कुछ काम है मैं कुछ देर में जाकर आ जाऊंगा।

तो फिर आरती कहती है कि आप अपना मोबाइल दे रखीए ना मुझे कहीं फोन करना है मेरी सहेली के पास बहुत दिन हो गया बात किए हुए।

तभी राजनाथ अपनी पॉकेट से मोबाइल निकालता है और आरती के हाथ में देते हुए कहता है जहां बात करना है कर लेना वह एक स्मार्टफोन था बड़ा साइज का आरती अपने हाथ में मोबाइल लेते ही बहुत खुश हो जाती हैं राजनाथ के जाने के बाद वह घर में अकेली रह जाती है और दादी भी कहीं बाहर गई थी इसलिए वह घर में अभी अकेली थी फिर वह बाहर का गेट बंद करके आती है और आके अपनी ब्लाउज खोलने लगती है और ब्लाउज खोल के रख देती है अब वह सिर्फ ब्रा में थी फिर वह मोबाइल का कैमरा चालू करती है मोबाइल से अपनी अपनी गर्दन से लेकर पेट तक का हिस्सा जिसमें ब्रा की फोटो अच्छी से आ सके फिर उसने मोबाइल का कैमरा चालू किया और अपनी पहनी हुई ब्रा का फोटो निकालने लगी जिससे उसने चार फोटो निकाली उसे फोटो यानी तस्वीर में उसके गर्दन से लेकर पेट तक का पूरा हिसा क्लियर दिख रहा था।

अब आप लोग समझी गए होंगे कि उसने वह तस्वीर क्यों निकाली उसने वह तस्वीर राजनाथ को दिखाने के लिए निकाली है ताकि राजनाथ उसकी ब्रा की फिटिंग देख सके फिर वह उस तस्वीर को मोबाइल में सेव करके रख देती है।

अब आगे यह देखना है कि राजनाथ उस तस्वीर को देखने के बाद उसकी हालत क्या होती है।

आगे की कहानी अगले भाग में।


(अगला भाग पेज नंबर 21 में मिलेगा)


Hona kya hai mast ho jayega baap beti ki bra ka size dekh ke
 
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भाग। १५

फिर राजनाथ दोपहर में वापस घर आता है खाना खाने के लिए तो आरती उसको खाना देती है फिर वह खाना खाकर अपने कमरे में आराम करने के लिए जा रहा था तो आरती उसको मोबाइल देते हुए कहती है बाबूजी मोबाइल ले लीजिए फिर मुस्कुराते हुए कहती है मोबाइल में बहुत अच्छी-अच्छी तस्वीर है किसकी है वह तस्वीर ।

तो फिर राजनाथ कहता तस्वीर कौन सी तस्वीर इसमें तो कोई तस्वीर नहीं है।

यह तो आरती को भी पता है कि मोबाइल में कोई तस्वीर पहले से नहीं थी वह तो उस तस्वीर की बात कर रही जो अभी उसने थोड़ी देर पहले अपनी ब्रा वाली तस्वीर खींची है उसकी बात कर रही है जिसके बारे में राजनाथ को कोई पता नहीं है।

तो आरती कहती है अरे वाह मोबाइल आपका है और आप ही को पता नहीं है कि इसमें तस्वीर है वह किसकी है।


तो राजनाथ उससे पूछता है कि तुम कौन सी तस्वीर की बात कर रही है जो मुझे पता नहीं है। फिर वह अपना मोबाइल चालू करके देखने लगता है ।

तो आरती कहती है ठीक है नहीं बताना चाहते हैं तो मत बताइए जाइए जाकर आराम कीजिए ।

फिर राजनाथ मोबाइल लेकर कमरे में चला जाता है सोने के लिए फिर वह अपना मोबाइल चालू करके देखने लगता है और सोचता है की आरती कौन सी तस्वीर की बात कर रही है जैसे ही वह फाइल खोलता है और वह तस्वीर देखते ही चौंक जाता है और सोचने लगते हैं कि यह सब तस्वीर मेरे मोबाइल में कैसे आया फिर वह उसे तस्वीर को गौर से देखने लगता है कि यह सब तस्वीर किसकी है क्योंकि उसमें उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था सभी तस्वीर को बार-बार गौर से देखने लगता है तभी उसकी नजर तस्वीर की पीछे वाली लोकेशन पर जाती है और वह उसे लोकेशन को गौर से देखने लगता है और देखते ही समझ जाता है कि यह लोकेशन उसी की घर की है लेकिन फिर भी उसका दिल मानने को तैयार नहीं था और बोल रहा था कि नहीं यह नहीं हो सकता फिर वह सभी तस्वीर को बारी-बारी से देखने लगता और तसल्ली करने लगता है कि कहीं मेरी आंख धोखा तो नहीं दे रही फिर वह उस ब्रा को और उस बॉडी को गौर से देखा है और देखने के बाद उसे यकीन हो जाता है कि यह तस्वीर किसी और कि नहीं बलकी मेरी बेटी आरती की है क्योंकि इस तस्वीर में जो सब दिख रहा है सब मैचिंग कर रहा है इसका मतलब यह तस्वीर आरती ने खुद खींची है मेरे मोबाइल से ब्रा की फिटिंग दिखाने के लिए ताकि मैं देख सकूं लेकिन उसने इसमें अपना चेहरा क्यों नहीं दिखाई हो सकता है कि उसको शर्म आ रही होगी या फिर वह यह देखना चाह रही है कि मैं पहचान पाता हूं कि नहीं ।फिर वह सभी तस्वीर को बारी-बारी से देख ही जा रहा था और वह यह सोचकर खुश हो रहा था कि आज मेरी बेटी ने अपनी वो चीज दिखा दी जो मैं कभी सोच नहीं सकता था ।

उसने जो ब्रा लाया था वह काफी छोटा था इस वजह से आरती के दूध यानी ( बूब्स) पूरा दीख रहा था जिसको देख के राजनाथ को बहुत आनंद आ रहा था और उसके अरमान फिर से जागने लगता है और उसका लंड भी पजामे के अंदर मे अपना सर उठाने लगता है फिर राजनाथ पजामे के ऊपर से ही अपने हाथ से उसको धीरे-धीरे सहलाने लगता है जिससे उसका लंड और कड़क हो जाता है।


फिर वह सोचने लगता है कि अगर मेरी बेटी खुद मुझे मौका दे रही है तो क्यों ना मैं भी थोड़ा बहुत इस मौके का फायदा उठा लूँ अब आगे देखता हूं वह क्या करती है वह जरूर इस तस्वीर के बारे में दोबारा पूछेगी।

उधर आरती यह सोच रही है कि वह सब तस्वीर देख कर बाबूजी मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे क्या वह तस्वीर को पहचान पाएंगे या नहीं अगर नहीं पहचान पाए तो फिर मुझे कुछ करना पड़ेगा।

फिर कुछ देर आराम करने के बाद राजनाथ कुछ काम करने के लिए बाहर चला जाता है और वह फिर शाम को घर आता है तब तक आरती रात का खाना बना ली थी।

फिर वह राजनाथ और दादी को खाना खाने के लिए कहती है फिर राजनाथ खाना खाने के लिए जाकर बैठता है तभी आरती उधर से खाना लेकर आती है उसको देने के लिए जैसे ही वह झुकती है तो राजनाथ उसकी दूध को देखने की कोशिश करता है ताकि थोड़ा बहुत ब्लाउज के ऊपर से उसके दूध दिखाई दे सके उसने जब से मोबाइल वाली तस्वीर देखी है तब से उसके दिमाग से वह दृश्य जाने का नाम नहीं ले रहा है।

फिर राजनाथ खाना खाने के बाद अपने कमरे में सोने के लिए चला जाता है।

फिर आरती भी अपना खाना खाकर वह भी कुछ देर के बाद दूध का गिलास लेकर राजनाथ को देने के लिए उसके कमरे में जाती है अब दूध का गिलास रखते हुए कहती है बाबूजी दूध पी लीजिए ठंडा हो जाएगा फिर वह सरसों का तेल लाने के लिए जाती है मालिश के लिए फिर कुछ देर में वापस आती है तो देखी है कि राजनाथ अभी भी सोया हुआ तो वह दूध का गिलास हाथ में लेकर उसको देने के लिए जाती और कहती है बाबूजी उठीए ना दूध ठंडा हो रहा है जल्दी से पी लीजिए।

तो फिर राजनाथ कहता है हां बेटा रखो ना थोड़ी देर में पी लूंगा।

तभी आरती उसका हाथ पकड़ कर उठाने लगती है और कहती हैं बाद में नहीं अभी पी लीजिए दूध एकदम ठंडा हो गया है ।


फिर राजनाथ को उठना पड़ता है वह आरती के हाथ से दूध का गिलास लेते हुए कहता है तू भी तो अपना दूध पी लो।

तो आरती कहती है हां हां मैं भी पी रही हूं ऐसा भला हो सकता है कि मेरे पिए पबगैर आप पीले मुझे तो पीना ही पड़ेगा और फिर दोनों मुस्कुराने लगते हैं।


फिर दूध पीने के बाद आरती तेल लेकर मालिश करने लगती है और मालिश करते-करते यही सोच रही है कि बाबूजी उस तस्वीर के बारे में कुछ पूछेंगे उधर राजनाथ भी अपने मन मे यह सोच रहा है की आरती उस तस्वीर के बारे में कुछ पूछेगी।

और दोनों इसी असमंजस में रहते हैं की आरती सोचती है पहले बाबूजी पूछेंगे और राजनाथ सोचता है कि पहले आरती पूछेगी और इसी चक्कर में दोनों कुछ नहीं बोल रहे थे ।

फिर राजनाथ को लगता है की आरती शायद बोलने में शर्म आ रही है तो फिर वह आरती से कहता है बेटा तुमने वह बात अभी तक नहीं बताई।

तो फिर आरती कहती है कौन सा बात।


तो फिर राजनाथ कहता है वही ब्रा वाली बात जो तुमने कल कहा था कि सुबह बताऊंगी और सुबह से शाम होगई लेकिन अभी तक तुमने बताई नहीं।

तो फिर आरती कहती है कि अच्छा वो वाली बात वह तो मैं बता दूंगी लेकिन उससे पहले आपको मुझे बताना पड़ेगा जो मैंने आपसे पूछी थी।

तो फिर राजनाथ कहता है कि तुमने मुझसे कौन सी बात पूछी थी।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है की याद कीजिए आज दोपहर में मैं आपसे क्या पूछी थी।

तो फिर राजनाथ अनजान बनते हुए बोलता है कहीं तुम मोबाइल वाली तस्वीर की बात तो नहीं कर रही हो।


तो फिर आरती कहती है की आपको सब पता है फिर भी आप मेरे सामने नाटक कर रहे हैं कौन सी तस्वीर क्या तस्वीर।

तो फिर से राजनाथ अनजान बनते हुए कहता है बेटा मुझे सच में उसे तस्वीर के बारे में नहीं पता की वह तस्वीर मेरे मोबाइल में कहां से आई।

तो फिर आरती कहती है की क्या आपको सच में पता नहीं है की तस्वीर किसकी है।

राजनाथ को तो सब पता है कि यह तस्वीर आरती है लेकिन वह मजे लेने के लिए अनजान बन रहा है और वह चाह रहा है की आरती खुद अपने मुंह से बोले कि यह तस्वीर उसकी है।

तो फिर राजनाथ कहता है बेटा मुझे सच में पता नहीं कि यह तस्वीर किसकी अगर मुझे पता होता कि यह तस्वीर किसकी है तो मुझे बताने में क्या दिक्कत थी मैं बता देता।

तो फिर आरती कहती है कि ठीक है अगर आपको पता नहीं है तो फिर रहने दीजिए।

फिर आरती कहती है कि मैं आपसे एक बात पूछना चाहती हूं उसी तस्वीर के बारे उसमें जो ब्रा पहनी हुई है उसकी फिटिंग कैसी है।

तो राजनाथ अभी भी अनजान बनते हुए कहता है कि पता नहीं मैंने ठीक से देखा नहीं है तस्वीर को।

तो फिर आरती कहचती है कि ठीक से देखा नहीं है तो अभी देख लीजिए और देख कर मुझे बताइए की कैसी है।

तो फिर राजनाथ कहता है कि लेकिन क्यों उसकी फिटिंग देखने से क्या होगा।

राजनाथ आरती के सामने दिखावा कर रहा है कि वह तस्वीर को देखना नहीं चाहता है ताकि आरती को लगे की उसका बाप एक शरीफ आदमी है जो उसके सामने वह सब तस्वीर देखने में शरमा रहा है।

और मैं उसकी फिटिंग देखकर क्या करूं तुम खुद ही देखो लो।

तो फिर आरती कहती कि पहले आप देख कर बताइए तो सही उसके बाद में आपको बताऊंगी की क्यों आपको देखने के लिए बोल रही हूं।

तो राजनाथ कथा अच्छा ठीक है कहां है मेरा मोबाइल ला देखकर बता देता हूँ।

फिर आरती मोबाइल उठा कर देती है उसको देखने के लिए आरो मोबाइल चालू करके तस्वीर देखने लगता है और कुछ देर देखने के बात बोलता है कि फिटिंग तो बहुत अच्छी है। दोनों अच्छी है फिटिंग भी और वो भी।

तो फिर आरती कहती है कि दोनों अच्छी है मतलब मैं समझी नहीं क्या दोनों अच्छी है।

तो राजनाथ कहता है वही दोनों ब्रा और उसकी बॉडी दोनों की फिटिंग अच्छी है तस्वीर को देखकर लग रह है कि यह तस्वीर किसी कुंवारी लड़की का है इसकी उम्र 18 19 की लग रही है।

तो फिर आरती शरमाते हुए पूछती है की
आपको कैसे पता की यह किसी कुंवारी लड़की की तस्वीर है।

तो राजनाथ कहता है की इसकी बॉडी देखकर तो यही लग रहा है की यह कुंवारी है।

तो आरती फिर से पूछती है की इसकी बॉडी में ऐसा क्या देख लिया आपने जो आपको लग रहा है कि यह कुंवारी है।

तो फिर राजनाथ कहता है की इसकी बॉडी और इसकी दोनों छाती को देखकर लग रह है कि यह कुंवारी है अगर यह शादीशुदा होती तो इसकी दोनों छाती के साइज बड़े-बड़े होते।

तो आरती अपनी छाती का साइज सुनते ही शर्मा जाती हैं
और कहती है कि ऐसे आप कैसे कह सकते हैं क्या किसी कुंवारी लड़की के साइज बड़े नहीं होते हैं क्या।

तो फिर राजनाथ कहता ह कि हां कुंवारी लड़की के साइज बड़े हो सकते हैं लेकिन एक शादीशुदा औरत की छाती की साइज इतनी छोटी नहीं हो सकती क्योंकि इसकी साइज तभी बढ़ती है जब इसके ऊपर किसी दूसरे का हाथ लगता है और जब किसी लड़की की शादी हो जाती है उसकी सारी संपत्ति उसके हस्बैंड यानी उसके पति के हाथ में चली जाती है और फिर उसके बाद उसका पति उसके साथ क्या करता है यह सभी को पता है। हां अगर कोई लड़की अपने पति को हांथ न लगाने दे तो अलग बात है फिर मैं नहीं कह सकता।

तो आरती कहती है अच्छा ठीक है मैं आपकी बात को मान लेती हूं की यह कुंवारी लड़की है। अब आप इस तस्वीर को दोबारा गौर से देखिए और इसके पीछे की लोकेशन देखकर बताइए कि यह कहां की।

फिर राजनाथ अनजान बनते हुए उस तस्वीर को देखने लगता है और पहचान की कोशिश करता है कि यह लोकेशन कहां की है कुछ देर देखने के बाद कहता की यह तो अपने घर की लोकेशन लग रहा है लेकिन इसमें कैसे आया।

तो फिर आती कहती है कि यह तो ठीक है की आपने इस लोकेशन को पहचान लिया अब आप यह बताइए की इस ब्रा को आप पहचानते हैं कि नहीं।


फिर राजनाथ ब्रा को देखते हुए कहता है कि यह तो वही ब्रा लग रहा है जो मैंने तुमको ला कर दिया था।

तो फिर आरती कहती है की
इसकी लोकेशन हमारे घर की है और यह ब्रा भी वही है जो आपने मुझे ला कर दिया था अब आप मुझे यह बताइए कि इस ब्रा को पहनने वाली इस घर में और कौन है।

तो फिर राजनाथ कहता है कि तुम यह कहना चाह रही हो कि यह तस्वीर तुम्हारी है।


तो फिर आरती कहती है कि आपको क्या लग रहा है किया तस्वीर मेरी नहीं है।

तो फिर राजनाथ कहता है कि मुझे कैसे पता चलता है की यह तस्वीर तुम्हारी है तुमने इसमें अपना चेहरा ही नहीं दिखाया है तो मैं कैसे बताता की तस्वीर तुम्हारी है ।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है कि आप अपनी बेटी को ही नहीं पहचान पाए तो मैं आपसे और क्या कहूंगी।

तो फिर राजनाथ भी मुस्कुराते हुए कहता हैं अच्छा तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे कि मैं तुमको पहले भी इस रूप में देखा है ।

तो आरती फिर से मुस्कुराते हुए कहती है इस रूप में नहीं देखा है तो क्या हुया लेकिन आप मुझे हर रोज तो देखते हैं ना।

तो राजनाथ भी मजे लेते हुए कहता है रोज देखता हूं तो साड़ी ब्लाउज में देखता हूं की ब्रा पैंटी में देखता हूं।

तो फिर आरती कहती है कि अच्छा तो आप मुझे ब्रा और पैंटी में देखना चाहते हैं।

तो फिर राजनाथ कहता है कि अरे मैंने कब कहा कि मैं तुम्हें ब्रा पैंटी मे देखना चाहता हूं वह तो मैं एग्जांपल दे रहा था कि अगर साड़ी ब्लाउज वाली तस्वीर होती तो मैं पहचान लेता।

तो फिर आरती कहती है कि वह सब छोड़िए और आप यह बताइए की फिटिंग कैसी है।

आगे की कहानी अगले भाग में।

(अगला भाग पेज नंबर 25 में मिलेगा)
Arti dheere dheere fasha hi legi apne baap kl uffff
 
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ranveer888

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भाग १७

राजनाथ शाम को घर वापस आता है तब तक आरती रात का खाना बना कर रेडी कर चुकी थी फिर वह राजनाथ और दादी को खाना खाने के लिए बुलाती है फिर वह दोनों खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं।

उसके बाद आरती भी खाना खाती है और वह खाना खाने के बाद हर रोज की तरह दूध गर्म करती है फिर दो गिलास में दूध लेकर राजनाथ के कमरे में जाती है एक अपनी और एक उसकी फिर वह राजनाथ को दूध पीने के लिए कहती है फिर दोनों अपना-अपना दूध का गिलास लेकर पीने लगते हैं फिर दूध पीने के बाद राजनाथ बेड पर लेट जाता है और आरती फिर उसकी मालिश करने लगती है। मालिश करते-करते उसके दिमाग में यही चल रहा था कि बाबूजी ने वह तस्वीर देखी कि नहीं अभी तक तो उन्होंने कुछ बताया नहीं अगर बताएंगे नहीं तो हमको कैसे मालूम पड़ेगा कि उन्होंने वह तस्वीर देखी कि नहीं।

उधर राजनाथ यह सोचकर चुपचाप था की जब आरती मुझसे पूछेगी उस तस्वीर के बारे में तब बताऊंगा और वह आरती को मालिश करते हुए उसकी बदन को ऊपर से नीचे तक बड़े गौर से देख रहा था और कल्पना यानी इमेजिनेशन कर रहा था कि जब आरती बिना कपड़े के बिल्कुल नंगी होकर मेरे सामने आएगी तो कैसी दिखेगी यही सब सोचकर राजनाथ अपने आप में खोया हुआ था और उधर आरती चुपचाप मालिश किया जा रही थी।

फिर कुछ देर बीतने के बाद आरती सोचती है कि लगता है बाबूजी कुछ नहीं बोलेंगे मुझे ही कुछ करना पड़ेगा तभी वह बोलती है बाबूजी आज तो आप बहुत खुश होंगे।

तो राजनाथ उसकी बात सुनकर बोलता है क्यों किस बात के लिए खुश होऊंगा।


इसलिए कि जो आप देखना चाहते थे वह आपको आज देखने के लिए मिल गया ।

मैं समझा नहीं क्या देखने के लिए मिल गया।

वही जो आप कल कह रहे थे कि एक चीज की फिटिंग दिखाई दूसरे की नहीं दिखाई आज तो आपने दोनों की फिटिंग देख ली तो क्या खुशी नहीं हुई

राजनाथ फिर भी अनजान बनते हुए कहता है क्या तुम पैंटी की फिटिंग की बात कर रही हो कहाँ तुमने तो उसकी फिटिंग दिखाई ही नहीं है तो कहाँ से देखूंगा और जब देखा ही नहीं हूं तो फिर खुशी किस बात की होगी कल तो तुमने कहा कि तुम्हारी मर्जी होगी तो दिखाओगी नहीं होगी तो नहीं दिखाओगी देखता हूँ कब तुम्हारी मर्जी होती है कि नहीं होती है।

आरती तो क्या आपने अभी तक नहीं देखी है।

राजनाथ कहाँ से देखूंगा।

आरती वहीं से जहां से आपने ब्रा की फीटिंग देखी थी। क्या वहीं पर दूसरे वाली की तस्वीर नहीं है।

राजनाथ वह तो मैने मोबाइल में देखी थी उसमें तो एक ही चीज की तस्वीर थी दूसरी वाली की कहाँ थी।

आरती वह तो आपने कल देखी थी क्या आज आपने मोबाइल खोल कर देखी।

राजनाथ नहीं आज तो मैंने तस्वीर वाली फाइल खोलकर नहीं देखी।

आरती नहीं देखी है तो पहले देख लीजिए उसके बाद बात करिए।

राजनाथ अच्छा ऐसी बात है तो अभी देख लेता हूँ फिर वह मोबाइल चालू करके उसकी तस्वीर को देखने लगता है उसने तो वह तस्वीर पहले ही देख ली थी लेकिन उसको दिखाने के लिए उसके सामने वह तस्वीर खोलकर देख रहा था ताकि आरती को लगे कि वह पहली बार उसके सामने वह तस्वीर देख रहा है।

तभी आरती पूछती है क्यों क्या हुआ तस्वीर है कि नहीं उसमें ।

तो राजनाथ कहता है कि हाँ तस्वीर तो है लेकिन तुमने मुझे बताया ही नहीं तो कैसे मालूम पड़ता कि तुमने इसके अंदर तस्वीर खींच कर रखी है।

आरती जब मैं सुबह आपसे मोबाइल मांग कर ली थी तो आपको समझ में नहीं आया कि मैने मोबाइल मांग कर क्यों रखी है।

राजनाथ मुझे कैसे समझ में आएगा कि तुम फोटो खींचने के लिए मोबाइल मांग रही हो मैं समझा कि किसी से बात करना होगा इसलिए तुमने मोबाइल मांग कर ली हो।

आरती अछा अब वह सब छोड़िए और अब यह बताइए की फिटिंग कैसी है और मैं कैसी लग रही हूं।


राजनाथ एकदम लाजवाब और परफेक्ट फिटिंग है और तुम तो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रही हो एकदम अप्सरा की तरह जो किसी भी पुरुष को अपने बस में कर सकती है।

यह बात सुनते ही आरती शर्मा के अपनी नज़रें नीचे कर लेती है और फिर धीरे से बोलती है क्या मैं इतनी खूबसूरत लग रही हूँ।
मैं अपनी शब्दों में बयां नहीं कर सकता तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो किसी आम इंसान की तो छोड़ो तुम उसको भी अपने बस में कर सकती हो जो सेक्स और वासना की मोह माया त्याग सन्यासी बन चुका है वह भी अगर तुमको इस रूप में देखेगा तो सब कुछ छोड़कर तुम्हारे पास दौड़ा आएगा।

आरती अच्छा ऐसी क्या खास चीज नजर आ गई इस तस्वीर को देखकर की आप मेरी इतनी तारीफ कर रहे हैं

राजनाथ कोई एक या दो चीज अच्छी रहती तो गिन के बताता ना तुम्हारे अंदर वह सारी अच्छाइयां और खूबियां हैं जो एक औरत में एक मर्द को पूरी तरह से संतुष्ट करने के लिए चाहिए वह शारी खूबियां है तेरे अंदर और यह बात मैं दावे के साथ कह रहा हूं क्योंकि मैं एक मर्द हूँ और मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि एक मर्द को एक औरत में सबसे ज्यादा अच्छी क्या लगती है।

राजनाथ की यह बात सुनकर आरती अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी और उसे शर्म भी आ रही थी।


फिर वह बोलती है कि मैं आपकी बेटी हूं इसलिए आप मेरी झूठ-मुठ की तारीफ कर रहे हैं।

अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं कि मैं झूठ नहीं सच बोल रहा हूँ अगर मैं दूसरे को यह तस्वीर दिखा कर पूछता तो वह भी तुम्हारे सामने यही बात बोलता लेकिन मैं यह तस्वीर किसी को दिखा नहीं सकता।

तो आरती मुस्कुराते यह कहती है क्यों अगर दिखाना है किसी को तो दिखा दीजिए।


तो राजनाथ कहता है मैं इतना बेवकूफ हूँ जो किसी को दिखा दूंगा।

तो फिर आरती कहती है क्यों क्या होगा अगर दिखा देंगे तो।

तो राजनाथ कहता है कि मैं ऐसे ही किसी को अपनी बेटी की बदन की खूबसूरती की मजे लेने के लिए दे दूंगा और वह मेरी बेटी की बदन की खूबसूरती के मजे ले और मैं देखता रहूंगा ऐसी अनमोल चीज देखने के लिए बहुत बड़ी किस्मत चाहिए और मैं ऐसे ही किसी को मजे लेने के लिए दे दूंगा।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अच्छा तो सिर्फ आप अपनी बेटी की खूबसूरती के मजे लेंगे किसी और को नहीं लेने देंगे।

तो राजनाथ गुस्सा होते हुए कहता हैं तू फिर मेरे ऊपर आ गई मैंने कब कहा कि सिर्फ मैं तुम्हारी खूबसूरती देखूंगा और किसी और को नहीं देखने दूंगा वो तो तुम कह रही थी कि दूसरे को दिखाने के लिए तो मैं वही समझा रहा था कि मेरे घर की इज्जत को कोई बाहर वाला कैसे देख सकता है तो तुम उल्टा मेरे ही ऊपर दोस्त डाल देती हो
कि मैं देखना चाहता हूं।

तो आरती बात को संभालते हुए कहती है अरे बाबूजी मैं भी तो वही कह रही हूं कि हमारी इज्जत को कोई बाहर वाला क्यों देखेगा अगर आप मेरी तस्वीर या मुझे देखते हैं किसी हालत में हो तो हमारे घर की बात है गहरी ही में रहेगी इसलिए यह सब तस्वीर में आपको दिखा रही हूं क्योंकि मुझे पता है कि मेरे बाबूजी मेरी इज्जत को कभी दाग नहीं लगने देंगे।

राजनाथ अभी भी झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहता है कि अब तुम मेरे सामने बात बना रही हो।

तभी आरती को लगता है कि बाबूजी और ज्यादा गुस्सा हो जाएं उससे पहले मैं यहां से चली जाती हूं फिर वह कहती है बाबूजी आपका मालिश हो गया अब मैं जा रही हूं आप सो जाइए और वह चली जाती है सोने के लिए।

आरती के जाने के बाद राजनाथ अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था जो आज उसको अपनी बेटी की बदन की खूबसूरती की तारीफ करके जो मजा और आनंद प्राप्त हुआ था और हो रहा था उसको यह सब सो कर अलग ही एहसास हो रहा था।


उधर आरती भी अपने बाप के मुंह से अपनी इतनी तारीफ सुनकर वह अलग ही दुनिया में खोई हुई थी और यह सब सोचते सोचते दोनों बाप बेटी सो जाते हैं फिर दूसरे दिन सुबह उठकर सब अपने-अपने काम में लग जाते हैं सुबह नाश्ता पानी करके राजनाथ कुछ काम के लिए बाहर जाने लगता है तो आरती से कह देता है कि मैं दोपहर में लौटूंगा फिर आरती भी घर का सब काम खत्म करके आराम करने लगती है फिर वह आराम करने के बाद उठती है तो देखी है 12:00 बज रहा है तो फिर वह नहाने के लिए चली जाती है फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी घर वापस आता है तो बाहर का गेट लगा हुआ था तो आरती को आवाज ना देकर वह खुद ही गेट को खोल लेता है फिर वह घर के अंदर आता है तो आरती कहीं दिखाई नहीं देती और दादी भी घर में नहीं थी फिर वह पैर हांथ धोने के लिए वॉशरूम में जाता है और जैसे ही वॉशरूम के दरवाजे पर पहुंचता है तो अंदर का नजारा देखकर वह चौंक जाता है क्योंकि आरती वॉशरूम के अंदर पूरी तरह से नंगी होकर नहा रही थी और उस वक्त उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था क्योंकि उसे वक्त घर में कोई नहीं था इस वजह से वह बेफिक्र होकर नहा रही थी उसको जरा भी यह एहसास नहीं था कि आज उसका बाप उसको इस हालत में देख लेगा क्योंकि वॉशरूम में दरवाजा नहीं था इस वजह से राजनाथ सीधे जाकर दरवाजे पर खड़ा हो गया था और आरती खड़ी होकर अपने सर पर पानी डाल रही थी आंख बंद कर के और उसका मुंह दरवाजे के तरफ था इस वजह से उसका जो सारा अनमोल खजाना था वह राजनाथ को साफ-साफ दिख रहा था राजनाथ को जो उस तस्वीर में पैंटी और ब्रा की वजह से नहीं दिखता आज वह सब कुछ देख रहा था और उसकी नजर सीधे उसकी काले-काले झांट वाली चूत पर जाकर टिक गई उसकी बुर पर इतने घने बाल थे कि उसकी बुर बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा था।

फिर आरती ने जैसे ही पानी डालने के बाद अपनी आंख खोली तो सामने अपने बाप को देखकर वह हड़बड़ा गई और अपने दोनों हाथ से अपने दूध को छुपाते हुए दूसरी तरफ मुड़ गई और राजनाथ भी हड़बड़ा गया और वह भी पीछे मुड़कर सॉरी बोलकर वहां से निकल के साइड में आ गया और माफी मांगने लगा और कहने लगा मुझे माफ कर दो बेटा मुझे पता नहीं था कि तुम नहा रही हो इसलिए मैं पैर हाथ धोने के लिए आया था इसलिए मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो।

फिर आरती को भी लगने लगा कि बाबूजी ने जान बुझ कर ऐसा नहीं किया है फिर वह कहती है बाबूजी मैं जानती हूं की आप जानबूझकर ऐसा नहीं कर सकते इसलिए आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है बस आप थोड़ी देर रुकिए मेरा नहाना हो गया है मैं कपड़े पहन कर बाहर आती हूं फिर आप अपना पैर हाथ धो लेना।

तो फिर राजनाथ कहता है कोई बात नहीं बेटा मैं घर में जाकर बैठता हूँ तुम आराम से नहा कर आना कोई जल्दी नहीं है फिर वो वहाँ से चला जाता है।

फिर आरती अपने कपड़े पहने लगती है और वह सोचती है कि यह मेरे साथ आज क्या हो गया बाबूजी ने आज मुझे पूरी तरह से नंगा देख लिय वो क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में अब मैं कैसे जाऊंगी उनके सामने।

उधर राजनाथ के मन मे उथल-पुथल मचा हुआ था और वह भी यही सोच रहा था की आरती मेरे बारे में क्या सोच रही होगी कहीं उसको ऐसा तो नहीं लग रहा होगा कि मैने यह सब जानबूझकर तो नहीं किया।

फिर आरती नहा के घर में जाती है तो देखती है राजनाथ बाहर बरामदे में नहीं है तो वह सोचती है कि शायद अपने कमरे में होंगे फिर उसके कमरे की तरफ जाती है और दरवाजे के पास जाकर धीरे से आवाज देती है बाबूजी मेरा नहाना हो गया अब जाकर अपना पैर हांथ धो लीजिए।

अंदर से राजनाथ आवाज देता है हाँ बेटा आ रहा हूं। और वह पर हांथ धोने के लिए चला जाता है।

अब आगे की कहानी अगले भाग में।


(अगला अपडेट पेज नंबर 35 में मिलेगा)









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