- 72
- 951
- 84
जिन पाठकों ने १०० पृष्ठ पूर्ण होने पर हमें शुभकामनाएं दी हैं उन सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।
भाग २९आ गया है पृष्ठ १०० मे आप सभी उसका आनंद लीजिए धन्यवाद।
भाग २९आ गया है पृष्ठ १०० मे आप सभी उसका आनंद लीजिए धन्यवाद।
ekdom lajawab, superb,mast, exciting, aur bahut hi hot update!भाग २२
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की राजनाथ अपने दामाद को फोन करके कहता है कि वह आकर आरती को यहां से ले जाए ताकि जो डॉक्टर ने दवा दिया है वह उसको चालू कर सके अब आगे ।
राजनाथ का दामाद आरती को लेने के लिए उसके घर आया हुआ है, और आरती भी उसके साथ जाने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो जाती है इस उम्मीद में की डॉक्टर ने जो दवा दिया है वह काम कर जाए और ऊपर वाले की दुआ भी लग जाए ताकि उसके पेट में बच्चा रह जाए और उसके ऊपर से बाँझ होने का कलंक मिट जाए और वह दुनिया के सामने अपना सर उठा के चल सके और सबको बता सके की वो बाँझ नहीं है यही सोचकर वह अपना सामान सब पैक करके रेडी हो जाती है जाने के लिए। तभी राजनाथ
उसके पास आता है और उसको सब समझता है की दवा जैसे-जैसे खाने के लिए डॉक्टर ने बोला है वैसे ही खाना गड़बड़ मत करना।
आरती हाँ उस में सब लिखा हुआ है कैसे-कैसे खाना है मैं देख लूंगी।
राजनाथ ठीक है अगर कुछ गड़बड़ हो तो मुझे फोन करना अब चलो नहीं तो लेट हो जाएगी और आराम से जाना दोनो वहां पहुंच कर मुझे फोन कर देना की पहुंच गए हो और तुम कोई टेंशन मत लेना जो भी होगा अच्छा ही होगा तुम कभी अपने आप को अकेला मत समझना मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ और रहूँगा तुमसे बढ़कर मेरे लिए और कुछ नहीं है।
यह सब बातें सुनकर आरती अपने आँखों में आंसू आने से रोक नहीं पाती है और वह उसके पास जाकर उसके गले लग कर रोने लगती है ।
राजनाथ अरे पगली यह क्या तुम तो रोने लग गई अब तुम रोना बंद कर नहीं तो मैं भी रोने लगूँगा यह बोलते हुए उसके भी आँखों में आंसू के कुछ बूँदे आ ही जाती है फिर वह अपने आप को संभालता है और आरती को चुप कराता है और उसे लेकर कमरे से बाहर आता है उसका दामाद बाहर ही खड़ा था फिर दोनों पति-पत्नी साथ में जाने के लिए निकल जाते हैं ।
राजनाथ उदास मन से अपनी बेटी को जाते हुए देखता रह जाता है और वह चली जाती है।
आरती के जाने के बाद राजनाथ अपना उदास मन को बदलने के लिए वह घर से बाहर गाँव में अपने दोस्तों यारों के पास चला जाता है फिर कुछ घंटे के बाद राजनाथ का मोबाइल बजाता है तो उसमें देखा तो उसके दामाद के नंबर से फोन आ रहा था तो वह उसे रिसीव करता है तो उधर से आवाज आती है हेलो बाबूजी मैं आरती बोल रही हूँ हम लोग यहाँ अच्छे से पहुँच गए हैं इसलिए फोन कर रही हूँ आप अपना ख्याल रखना।
राजनाथ -- हाँ बेटा तुम लोग भी अपना ख्याल रखना फिर कॉल कट जाता है, फिर राजनाथ शाम को घर वापस आता है तो घर में अपनी बेटी को ना देख कर उसकी मन फिर उदास हो जाता है और उसको वह सब बात याद आने लगता है जो आरती उसके लिए करती थी कैसे वह जब कहीं बाहर से घर में आता था तो आरती उसके लिए पानी लाती थी उसको खाने के लिए पूछती थी बाकी वह हर काम करती थी जो उसकी पत्नी उसके लिए करती थी सिर्फ एक काम के अलावा और वह कम था उसका बिस्तर गर्म करना यह काम वह कर भी नहीं सकती थी क्योंकि बीच में बाप बेटी का रिश्ता जो आ जाता था यही सब वह सोच रहा होता कि तभी उसकी माँ उसके पास आती है और उसे खाने के लिए कहती है। लेकिन वह उसे मना कर देता और कहता है कि मुझे भूख नहीं है मैं नहीं खाऊँगा लेकिन माँ के जिद करने के बाद वह खाने के लिए बैठ जाता है लेकिन थोड़ा बहुत खाता है बाकी सारा खाना छोड़ देता है फिर वह सोने के लिए चला जाता है लेकिन वहाँ भी उसे नींद कहाँ आने वाली थी घँटो बिस्तर पर करवट बदलने के बाद बहुत मुश्किल से उसे नींद आती है।
फिर जब सुबह उठा तो देखा कि उसकी माँ घर के काम मे लगी हुई है क्योंकि जब आरती रहती थी तो सारा काम वही करती थी उसके जाने की वजह से अब सारा काम उसकी दादी को करनी पड़ रही थी ।
यह देखकर राजनाथ भी घर के काम में उसके साथ में उसका सहयोग करने लगता है फिर इसी तरह एक दिन और बीत गया दिन तो किसी तरह कट जाता था लेकिन रात में राजनाथ को आरती की याद सताने लगती है।
आज जब वह बिस्तर पर लेट करवटें बदल रहा होता तो उसके मन में ख्याल आता है कि की आरती को फोन करके देखता हूँ कि वह क्या कर रही है ।
फिर वह अपने दामाद के नंबर में फोन मिलाता है जैसे ही रिंग होता है तो फट से आरती उठा लेती है , और बोलती हेलो बाबूजी मैं आरती बोल रही हूँ आप कैसे हो।
राजनाथ-- हाँ बेटा मैं ठीक हूँ तुम कैसी हो।
आरती-- मैं भी ठीक हूँ आपने खाना-वाना खाया कि नहीं और दादी कैसी है ।
राजनाथ-- हाँ बेटा मैने खाना खा लिया और दादी भी ठीक है बेटा तुमने खाना खाया कि नहीं और दामाद जी कहाँ है।
आरती --हाँ बाबूजी मैने भी खाना खा लिया है और वो भी यहीँ हैं।
राजनाथ-- बेटा मैंने कोई डिस्टर्ब तो नहीं किया ना तुम लोगों को मैं इस वक्त फोन करने के लिए डर रहा था ।
आरती-- क्यों किस लिए डर रहे थे।
राजनाथ कुछ काम कर रही होगी और मेरे फोन से डिस्टर्ब हो जाओगी
इसलिए।
आरती-- इस वक्त क्या काम करूंगी कुछ नहीं ।
राजनाथ-- अरे पगली में उस काम की बात कर रहा हूँ जो पति-पत्नी मिलकर करते हैं और वह काम रात में ही होता है ।
आरती-- राजनाथ की बात समझ जाती है और शर्मा जाती है थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहती है यह आप क्या कह रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है ,
और आरती का पति भी वही था तो इस वजह से वह खुलकर बात नहीं कर पा रही थी।
राजनाथ- अब तुम इतनी सी बात नहीं समझ पा रही हो तो अब मैं क्या कर सकता हूँ ठीक है अब मैं फोन रखता हूँ तुम लोग अपना काम करो यह बोलकर राजनाथ फोन काट देता है और मन ही मन मुस्कुराता है और सोचता है कि मेरी बेटी इतनी बेवकूफ तो नहीं हो सकती कि यह बात उसको समझ में ना आया हो ।
उधर आरती भी मन ही मन मुस्कुराती है और कहती है मेरे बाबूजी भी कितना चलांक और समझदार हैं।
.........
Shaandar jabardast Lovely updateभाग २२
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की राजनाथ अपने दामाद को फोन करके कहता है कि वह आकर आरती को यहां से ले जाए ताकि जो डॉक्टर ने दवा दिया है वह उसको चालू कर सके अब आगे ।
राजनाथ का दामाद आरती को लेने के लिए उसके घर आया हुआ है, और आरती भी उसके साथ जाने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो जाती है इस उम्मीद में की डॉक्टर ने जो दवा दिया है वह काम कर जाए और ऊपर वाले की दुआ भी लग जाए ताकि उसके पेट में बच्चा रह जाए और उसके ऊपर से बाँझ होने का कलंक मिट जाए और वह दुनिया के सामने अपना सर उठा के चल सके और सबको बता सके की वो बाँझ नहीं है यही सोचकर वह अपना सामान सब पैक करके रेडी हो जाती है जाने के लिए। तभी राजनाथ
उसके पास आता है और उसको सब समझता है की दवा जैसे-जैसे खाने के लिए डॉक्टर ने बोला है वैसे ही खाना गड़बड़ मत करना।
आरती हाँ उस में सब लिखा हुआ है कैसे-कैसे खाना है मैं देख लूंगी।
राजनाथ ठीक है अगर कुछ गड़बड़ हो तो मुझे फोन करना अब चलो नहीं तो लेट हो जाएगी और आराम से जाना दोनो वहां पहुंच कर मुझे फोन कर देना की पहुंच गए हो और तुम कोई टेंशन मत लेना जो भी होगा अच्छा ही होगा तुम कभी अपने आप को अकेला मत समझना मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ और रहूँगा तुमसे बढ़कर मेरे लिए और कुछ नहीं है।
यह सब बातें सुनकर आरती अपने आँखों में आंसू आने से रोक नहीं पाती है और वह उसके पास जाकर उसके गले लग कर रोने लगती है ।
राजनाथ अरे पगली यह क्या तुम तो रोने लग गई अब तुम रोना बंद कर नहीं तो मैं भी रोने लगूँगा यह बोलते हुए उसके भी आँखों में आंसू के कुछ बूँदे आ ही जाती है फिर वह अपने आप को संभालता है और आरती को चुप कराता है और उसे लेकर कमरे से बाहर आता है उसका दामाद बाहर ही खड़ा था फिर दोनों पति-पत्नी साथ में जाने के लिए निकल जाते हैं ।
राजनाथ उदास मन से अपनी बेटी को जाते हुए देखता रह जाता है और वह चली जाती है।
आरती के जाने के बाद राजनाथ अपना उदास मन को बदलने के लिए वह घर से बाहर गाँव में अपने दोस्तों यारों के पास चला जाता है फिर कुछ घंटे के बाद राजनाथ का मोबाइल बजाता है तो उसमें देखा तो उसके दामाद के नंबर से फोन आ रहा था तो वह उसे रिसीव करता है तो उधर से आवाज आती है हेलो बाबूजी मैं आरती बोल रही हूँ हम लोग यहाँ अच्छे से पहुँच गए हैं इसलिए फोन कर रही हूँ आप अपना ख्याल रखना।
राजनाथ -- हाँ बेटा तुम लोग भी अपना ख्याल रखना फिर कॉल कट जाता है, फिर राजनाथ शाम को घर वापस आता है तो घर में अपनी बेटी को ना देख कर उसकी मन फिर उदास हो जाता है और उसको वह सब बात याद आने लगता है जो आरती उसके लिए करती थी कैसे वह जब कहीं बाहर से घर में आता था तो आरती उसके लिए पानी लाती थी उसको खाने के लिए पूछती थी बाकी वह हर काम करती थी जो उसकी पत्नी उसके लिए करती थी सिर्फ एक काम के अलावा और वह कम था उसका बिस्तर गर्म करना यह काम वह कर भी नहीं सकती थी क्योंकि बीच में बाप बेटी का रिश्ता जो आ जाता था यही सब वह सोच रहा होता कि तभी उसकी माँ उसके पास आती है और उसे खाने के लिए कहती है। लेकिन वह उसे मना कर देता और कहता है कि मुझे भूख नहीं है मैं नहीं खाऊँगा लेकिन माँ के जिद करने के बाद वह खाने के लिए बैठ जाता है लेकिन थोड़ा बहुत खाता है बाकी सारा खाना छोड़ देता है फिर वह सोने के लिए चला जाता है लेकिन वहाँ भी उसे नींद कहाँ आने वाली थी घँटो बिस्तर पर करवट बदलने के बाद बहुत मुश्किल से उसे नींद आती है।
फिर जब सुबह उठा तो देखा कि उसकी माँ घर के काम मे लगी हुई है क्योंकि जब आरती रहती थी तो सारा काम वही करती थी उसके जाने की वजह से अब सारा काम उसकी दादी को करनी पड़ रही थी ।
यह देखकर राजनाथ भी घर के काम में उसके साथ में उसका सहयोग करने लगता है फिर इसी तरह एक दिन और बीत गया दिन तो किसी तरह कट जाता था लेकिन रात में राजनाथ को आरती की याद सताने लगती है।
आज जब वह बिस्तर पर लेट करवटें बदल रहा होता तो उसके मन में ख्याल आता है कि की आरती को फोन करके देखता हूँ कि वह क्या कर रही है ।
फिर वह अपने दामाद के नंबर में फोन मिलाता है जैसे ही रिंग होता है तो फट से आरती उठा लेती है , और बोलती हेलो बाबूजी मैं आरती बोल रही हूँ आप कैसे हो।
राजनाथ-- हाँ बेटा मैं ठीक हूँ तुम कैसी हो।
आरती-- मैं भी ठीक हूँ आपने खाना-वाना खाया कि नहीं और दादी कैसी है ।
राजनाथ-- हाँ बेटा मैने खाना खा लिया और दादी भी ठीक है बेटा तुमने खाना खाया कि नहीं और दामाद जी कहाँ है।
आरती --हाँ बाबूजी मैने भी खाना खा लिया है और वो भी यहीँ हैं।
राजनाथ-- बेटा मैंने कोई डिस्टर्ब तो नहीं किया ना तुम लोगों को मैं इस वक्त फोन करने के लिए डर रहा था ।
आरती-- क्यों किस लिए डर रहे थे।
राजनाथ कुछ काम कर रही होगी और मेरे फोन से डिस्टर्ब हो जाओगी
इसलिए।
आरती-- इस वक्त क्या काम करूंगी कुछ नहीं ।
राजनाथ-- अरे पगली में उस काम की बात कर रहा हूँ जो पति-पत्नी मिलकर करते हैं और वह काम रात में ही होता है ।
आरती-- राजनाथ की बात समझ जाती है और शर्मा जाती है थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहती है यह आप क्या कह रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है ,
और आरती का पति भी वही था तो इस वजह से वह खुलकर बात नहीं कर पा रही थी।
राजनाथ- अब तुम इतनी सी बात नहीं समझ पा रही हो तो अब मैं क्या कर सकता हूँ ठीक है अब मैं फोन रखता हूँ तुम लोग अपना काम करो यह बोलकर राजनाथ फोन काट देता है और मन ही मन मुस्कुराता है और सोचता है कि मेरी बेटी इतनी बेवकूफ तो नहीं हो सकती कि यह बात उसको समझ में ना आया हो ।
उधर आरती भी मन ही मन मुस्कुराती है और कहती है मेरे बाबूजी भी कितना चलांक और समझदार हैं।
.........
Nice startभाग 1
नमस्कार साथियों मेरा नाम राजनाथ है और मैं आज आपको अपनी जिंदगी की कहानी बताने जा रहा हूं।
इस कहानी के मुख्य किरदार हैं पहले किरदार मेरी मां है जिनकी उम्र इस वक्त 75 साल है।
और इस कहानी का दूसरा किरदार मैं हूं मेरा नाम राजनाथ है और मेरी उम्र 55 साल है।
और तीसरा किरदार मेरी पत्नी थी जिसका स्वर्गवास हो चुका है वह अब इस दुनिया में नहीं है।
और इस कहानी का चौंथा और सबसे अहम किरदार मेरी इकलौती बेटी जिसका नाम आरती है।
और उसकी शादी हो चुकी है और उसकी उम्र अभी 26 साल है।
और पांचवा किरदार है अशोक जो मेरा दामाद और मेरी बेटी का पति भी है और उसकी उम्र 30 साल है।
और कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी कुछ किरदार और भी आएंगे उनको आगे जाकर बताऊंगा।
अब आते हैं कहानी पर जैसे कि मैं आप लोगों को बताया कि मेरा नाम राजनाथ है और मैं एक गांव इलाके में रहता हूं और मैं उसे इलाके का सरपंच भी हूं इसलिए मेरा उसे एरिया में बहुत इज्जत और नाम भी है और मेरे घर में इस वक्त मैं और मेरी मां जो बूढी हो चुकी है और तीसरा मेरे घर का नौकर जिसका नाम रघु है जो कि मेरा दोस्त भी है।
और मेरा कोई बेटा नहीं है मेरा सिर्फ एक ही बेटी है आरती जिसकी शादी हो चुकी है और वह इस वक्त मेरे घर में आई हुई है क्योंकि उसके ससुराल में झगड़ा चल रहा है और झगड़ा का कारण यह है कि उसकी शादी को 6 साल हो चुके हैं और उसका कोई बच्चा नहीं है अभी तक इसलिए उसके साथ ससुर उसको ताना मारते रहते हैं और भला बुरा सुनाते रहते हैं कि इसमें कोई खराबी है इसलिए बच्चा नहीं हो रहा है।
तो आज मैं बाजार गया हुआ था घर का कुछ सामान लाने के लिए तो जैसे मैं बाजार से घर वापस आया
तो मेरी बेटी ने पूछा बाबूजी आप आ गए तो मैंने कहा हां बेटा आ गया बहुत प्यास लगी है जरा पानी लाना।
आरती- जी बाबू जी अभी लाई यह लीजिए पानी।
राजनाथ- बेटा दादी कहां गई बाबूजी दादी कहीं बाहर गई है घूमने के लिए अच्छा ठीक है बेटा आज गर्मी बहुत है मैं नहाने जा रहा हूं मेरा कपड़ा और साबुन लाकर देना तो।
आरती- जी बाबूजी तब तक आप नल के पास चलिए मैं आपके कपड़े लेकर आती हूं।
फिर मैं नल पर जाकर नहाने लगा और उसके बाद मेरी बेटी मेरे कपड़े लेकर आई और वह बोली पापा आप नहा कर आईए तब तक मैं खाना बनाती हूं
फिर मैंने कहा ठीक है बेटा तू जा जाकर खाना बना
फिर मैं जब नहा कर आया तब तक मेरी मां भी बाहर से आ चुकी थी और वह आंगन में बैठी हुई थी और वह मुझे देखकर बोली बेटा राजू तू आ गया वह मुझे राजनाथ नहीं बुलाती है वह मुझे राजू कह कर ही बुलाती है
फिर मैंने कहा मां मैं तो कब से आया हूं तू कहां गई थी।
फिर मेरी मां ने कहा बेटा मैं शंकर के घर गया हुआ था उसकी बेटी का बच्चा हुआ है ना उसे देखने के लिए।
फिर मैंने कहा कि शंकर की बेटी को जिसका अगले साल शादी हुआ था।
मेरी मां हां हां उसी का लड़का हुआ है।
आगे की कहानी अगले भाग में।
Very interesting storyभाग 2
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा कि राजनाथ की मां आपने पड़ोसी के घर गई थी जिसका नाम शंकर है उसकी बेटी का बच्चा हुआ था उसको देखने के लिए
और जब वह वापस अपने घर आई तो उसके दिमाग में यही चल रहा था कि सभी के बच्चे हो रहे हैं लेकिन उसकी पोती आरती को बच्चा नहीं हो रहा है।
यही सब सोंचते हुए उसने अपने बेटे राजनाथ से बोली बेटा राजू कुछ सोचा है इसके बारे में कि सिर्फ अपने काम में ही लगा रहेगा या इसके बारे में भी कुछ सोचेगा।
राजनाथ-- किसके बारे में क्या सोचा है मां।
राजनाथ की मां अरे अपनी आरती के बारे में और किसके बारे में तुझे कुछ होश है उसकी शादी को इतना साल हो गया और अभी तक उसकी गोद नहीं भरा है उसको कहीं जाकर दिखाएगा या ऐसे ही छोड़ देगा उसको।
राजनाथ-- ठीक है मां मैं दामाद जी से बोलता हूं कहीं जाकर इलाज कराने के लिए और समधी जी से भी बोलता हूं कि वह भी दामाद जी से कहे की आरती को यहां से ले जाए और इलाज करवाए।
राजनाथ की मां अरे उनको क्या बोलेगा उनको इतनी फिक्र होती तो वह आरती को यहां लाकर नहीं छोड़ देते अब तक कहीं ना कहीं जाकर दिखाए होते उनको तो बस पोता और पोती से मतलब है।
इसलिए अब तुमको ही कुछ करना पड़ेगा अब तुम इसको अपने जाकर दिखाओ।
राजनाथ-- ठीक है मां मैं कोई अच्छा सा डॉक्टर पता लगाता हूं उसके बाद मै इसको ले जाकर दिखाऊंगा।
राजनाथ की मां अरे डॉक्टर के पास काहे के लिए लेकर जाएगा डॉक्टर कुछ नहीं करेगा वह खाली पैसा लूटेगा मैं जहां कहती हूं वहां इसको लेकर जाओ काली पहाड़ी के पीछे एक बाबा रहते हैं और वह इन सब का बहुत बढ़िया इलाज करते हैं इसलिए तुम भी आरती को वहीं लेकर जाओ।
राजनाथ-- नहीं मां ऐसी कोई बात नहीं आजकल बहुत सारे -अच्छे अच्छे डॉक्टर हैं जो बढ़िया से इलाज करते हैं इसलिए एक बार कोई अच्छी लेडिस डॉक्टर के पास चेकअप करवा कर देख लेता हूं कि वह कुछ बताता है कि नहीं बताता है तो ठीक है अगर नहीं बताया तो तुम जहां कह रही हो जो बाबा के पास फिर वही लेकर जाऊंगा।
राजनाथ की मां ठीक है जैसे तुम्हारी मर्जी अगर तुमको डॉक्टर के पास जाकर तसल्ली करना है तो जाकर देख ले।
और आरती यह सब बात दरवाजे के पीछे से खड़ी होकर सब सुन रही थी।
और वह लोग आंगन में बैठकर बातें कर रहे थे फिर उसकी दादी ने आवाज लगाई आरती आरती
उधर दरवाजे के पीछे से आरती ने आवाज दी जी दादी अभी आई फिर वह शरमाते हुए अपने बाबूजी और दादी के पास जाकर खड़ी हो गई और बोली हां दादी क्या हुआ फिर दादी ने कहा बेटा खाना बन गया
आरती हां दादी खाना बन गया अभी लेकर आती हूं फिर सभी लोगों ने खाना खाया और खाना खाने के बाद राजनाथ अपने कमरे में सोने चला गया और आरती और दादी दोनों एक ही कमरे में सोती थी तो आरती अपनी दादी की पैर दबा रही थी तो फिर उसकी दादी ने कहा तुम्हारा बाबूजी भी इधर-उधर घूमते फिरते थक जाता है उसको भी जाकर पैर हाथ थोड़ा दबा दे जब से तुम्हारी मां गई है उसे बेचारे को देखभाल करने वाला कोई नहीं है।
आरती अपनी दादी की बात सुनकर शर्मा रही थी और सोच रही थी कि कैसे वह अपने बापू के पैर जाकर दबा आएगी क्योंकि आज तक उसने कभी ऐसा नहीं किया था इसलिए उसे शर्म आ रही थी और वह चुपचाप अपनी दादी की पैर दबा रही थी तो फिर उसकी दादी ने कहा अरे मेरा पैर को छोड़ और जा अपने बाप का पैर थोड़ा दबा दे उसकी थकान मिट जाएगी।
फिर वह ना चाहते हुए भी अपने बाप के कमरे में जाने लगी और दरवाजे के पास जाकर उसने धीरे से आवाज दी बाबूजी सो गए क्या अंदर से उसके बाप ने आवाज दी के आरती जी बापू जी क्या बात है बेटा आओ अंदर आओ खुला है फिर वह अंदर गई तो उसके बाप ने पूछा क्या बात है कोई काम है क्या।
फिर आरती ने कहा कि जी आपका पैर दबा दूं क्या।
तो राजनाथ ने चैंकते हुए पूछा क्यों क्या हुआ मेरे पैर को।
तो फिर आरती ने कहा कि जि वो दादी कह रही थी कि आप थक गए होंगे इसलिए बोल रही थी जा जाकर पैर दबा दे।
फिर राजनाथ ने कहा कि क्या दादी ने ऐसा करने के लिए कहा तो फिर आरती ने कहा कि जी दादी ने हीं बोला है।
फिर राजनाथ ने बोला कि ठीक है जाओ जाकर तुम सो जाओ और दादी को बोल देना कि मैंने मना किया
फिर आरती ने कुछ देर सोचने के बाद बोली कि मैं वापस जाऊंगी फिर मुझे दादी डांटेगी और बोलेगी कि मैंने जो तुमको करने के लिए बोली वह बिना किए हुए वापस आ गई ।
फिर राजनाथ ने कहा कि क्या सच में तू मेरा पैर दबाना चाहती है।
तो आरती ने कहा कि जी हां
तो फिर राजनाथ ने कहा ठीक है हल्का-हल्का दबा दे फिर वह सीधा होकर लेट गया और आरती पलंग के साइड में झुक कर खड़ी हो गई और पैर दबाने लगी और राजनाथ को भी अपनी बेटी से पहली बार पैर दबाते हुए हैं बहुत ही आनंद आ रहा था और कुछ देर इसी तरह आनंद लेने के बाद उसने कहा कि बेटा अब हो गया अब रहने दे और तू जाकर आराम कर फिर आरती वहां से चली गई और वह दादी के पास जाकर सो गई और अपने बापू के बारे में सोचने लगी कि मेरे बाबूजी इस उम्र में भी कितने मजबूत है क्योंकि आरती का पति एक दुबला पतला और ढीला डाला इंसान है इसलिए जब आज उसे अपने बाप का पैर हाथ दबाने को मिला तो उसे समझ में आया कि एक
असली मर्द कैसा होता है। और यह सब सोचते सोचते उससे भी नींद आ गई।
आगे की कहानी अगले भाग में
Mast updateभाग 3
आरति सुबह उठकर अपने घर का काम करने लगी और राजनाथ भी सुबह उठकर कहीं घूमने के लिए चला गया फिर दोपहर को घर आया तो आरती ने पूछा बाबूजी आप आ गए खाना लगा दूं आपके लिए।
तो राजनाथ ने कहा हां बेटा खाना लगाओ तब तक मैं पैर हांथ धो कर आता हूं।
आरती ठीक है बाबूजी आप पैर हांथ धोकर आईए मैं खाना लगती हूं।
उसके बाद राजनाथ पैर हांथ धो कर आया और नीचे चटाई बिछाया हुआ था उसी पर बैठ गया फिर आरती ने थाली में खाना ला कर दिया और वह खाने लगा।
और आरती वही साइड में खड़ी होकर देख रही थी फिर राजनाथ ने खाना खाते-खाते उसने आरती से कहा बेटा आरती।
तो आरती ने कहा जी बाबूजी।
फिर राजनाथ ने कहा बेटा मैं एक डॉक्टर पता लगा कर आया हूँ जिस किसी को भी बच्चा नहीं होता उसका वह इलाज करता है इसलिए कल सुबह तुम जल्दी से तैयार हो जाना मैं तुमको लेकर जाऊंगा उसके पास।
फिर आरती ने पूछा बाबूजी कितना सुबह जाना है फिर हमको खाना भी तो बनाना पड़ेगा।
तो राजनाथ ने कहा हां तुम सुबह खाना-वाना बना लेना फिर उसके बाद नहा वहां के रेडी होना उसके बाद हम लोग 10:00 बजे के करीब यहां से निकलेंगे।
फिर आरती ने कहा ठीक है कल सुबह मैं जल्दी उठूंगी और घर का सभी काम खत्म करके खाना-वाना बनाकर फ्री हो जाऊंगी।
फिर राजनाथ ने पूछा दादी कहां है तो आरती ने कहा कि दादी खाना- खाकर अपने कमरे आराम कर रही है।
फिर राजनाथ ने आरती से पूछा कि तुमने खाना खाया तो आरती ने जवाब दिया कि नहीं आपको खाने के बाद खाऊंगी।
फिर राजनाथ ने कहा मेरा तो खाना हो गया अब तू जा जल्दी से खाना खा ले और तू मेरा इंतजार मत किया कर मेरा आने में कभी-कभी देर भी हो सकती है इसलिए तू अपने टाइम पर खाना खा लिया कर।
तो फिर आरती ने जवाब दिया कि मैं आपके खाए बगैर मै कैसे खा सकती हूँ।
तो फिर राजनाथ ने कहा क्यों क्यों नहीं खा सकती।
तो फिर आरती ने जवाब दिया कि आप भूखे रहेंगे और मैं खा लूंगी।
तो फिर राजा नाथ ने कहा कि यह तुम कौन से जमाने की बात कर रही है यह बहुत पहले हुआ करता था कि घर की औरतें भूखी रहती थी कि जब तक उसका मर्द नहीं खाएगा तब तक वह नहीं खायेगी और वैसे भी मैं तुम्हारा पति नहीं मैं तुम्हारा बाप हूँ तो तू मेरे लिए क्यों भूखी रहेगी।
तो फिर आरती में जवाब दिया क्या आप मेरे पति नहीं है तो क्या हुआ आप मेरे पिताजी तो हैं और वैसे भी एक लड़की की जिंदगी में उसका पति बाद में आता है पहले तो उसका पिता ही रहता है।
फिर राजनाथ ने मुस्कुराते का ठीक है ठीक है मैं तुमसे जीत नहीं सकता अब मेरा खाना हो गया और तू भी जाकर अब जल्दी से खा ले और मैं भी थोड़ा आराम कर लेता हूं।
फिर राजनाथ वहां से उठकर चला गया और फिर आरती ने भी खाना खाया और फिर इसी तरह पूरा दिन बीत गया।
फिर शाम को आरती ने खाना बनाया और सभी लोगों ने खाना खाया और खाना खाने के बाद राजनाथ अपने रूम में सोने चला गया फिर आरती ने भी अपना घर का काम थोड़ा बहुत था उसे खत्म कर के वह भी सोने गई तो उसने देखा की दादी सो चुकी है फिर वह भी सोने जा रही थी कि तभी उसको याद आया कि कल उसने अपने बापू का पैर दबाया था और वह सोचने लगी कीआज भी जाकर दबा दूँ क्या और मैं उनके पास जाऊंगी तो वह पूछेंगे की दादी ने भेजा है क्या तो मैं क्या जवाब दूंगी दादी तो चुकी है।
फिर कुछ देर सोचने के बाद अपने कमरे से निकल कर अपने बापू की कमरे की तरफ जाने लगी और दरवाजे के पास जाने के बाद उसने धीरे से आवाज लगाई बाबूजी बाबूजी सो गए क्या ।
अंदर राजनाथ भी यही सब सोच रहा था कि आज आरती पैर दबाने के लिए आएगी कि नहीं आएगी तभी उसके कान में आरती की आवाज पड़ी और उसने जवाब दिया की के आरती दरवाजा खुला है अंदर आजाओ फिर आरती अंदर आई तो फिर उसने पूछा कि क्या बात है कोई काम है क्या।
फिर आरती ने मजाकिया अंदाज में कहा क्यों कोई काम रहेगा तभी आ आऊंगी ऐसी नहीं आ सकती क्या।
तो फिर राजनाथ ने कहा की अरे नहीं बेटा मैंने ऐसा कब कहा कि तू ऐसे नहीं आ सकती मैंने तो इसलिए पूछा कि अभी सोने का टाइम हो चुका और तू यहां आई है तो कोई तो काम होगा।
तो फिर आरती ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि मेरा कुछ काम नहीं है आप थक गए होंगे इसलिए आपका पैर दबाने के लिए आई हूँ।
तो फिर राजनाथ ने भी मुस्कुराते हुए कहा अच्छा अच्छा तो आज दादी ने फिर तुमको यहाँ भेज दिया।
तो आरती ने जवाब दिया की मुझे दादी ने नहीं भेजा है मैं अपने से आई हूँ दादी सो चुकी हैं।
तो फिर राजनाथ ने कहा कि क्या दादी सो गई है तो फिर तुम यहां क्यों आई हो तुम भी सो जाति आराम से।
तो फिर आरती ने कहा हां मैं भी सोने जा रही थी फिर मुझे याद आया कि आप थक गए होंगे तो थोड़ा आपका पैर हांथ दबा दूंगी तो आपको आराम मिलेगा।
फिर राजनाथ ने कहा तू मेरा इस तरह से रोज-रोज पैर हाथ दबाओगी और फिर मुझे आदत लग जाएगा और तू यहां से चली जाएगी तो फिर मैं क्या करूंगा।
फिर आरती ने कहा कि आप फिकर मत कीजिए मैं यहां से कहीं नहीं जा रही हूं।
आगे की कहानी अगले भाग में।
Sahi ja rahi hai updateभाग 4
आरती ने कहा कि आप फिकर मत कीजिए मैं यहां से कहीं नहीं जा रही हूं।
राजनाथ ने बोला क्यों तू अपने ससुराल नहीं जाएगी।
तो आरती ने जवाब दिया नहीं।
तो राजनाथ ने पूछा क्यों क्या हुआ क्यों नहीं जाएगी।
तो आरती ने जवाब दिया किस लिए जाऊंगी उन लोगों ने मेरे लिए क्या किया है जो मैं उनकी शक्ल देखने के लिए जाऊंगी।
तो राजनाथ ने कहा कि अरे उन लोगों ने कुछ नहीं किया तो क्या हुआ लेकिन दामाद जी के पास तो जाएगी ना।
तो आरती ने जवाब दिया कि आपके दामाद ने भी कौन सा बड़ा काम कर दिया है जो मैं उसके पास जाऊंगी और सब तो छोड़िए एक पति का फर्ज होता है वह भी ओ सही से नहीं नाभि सका ।
तो फिर राजनाथ ने कहा कि बेटा इतना गुस्सा नहीं करते मैं दामाद जी से बात करूंगा और उनको समझाऊंगा की ओ तुम्हारा ख्याल रखें और तुम्हारी जरूरत को पूरा करें।
तो आरती ने कहा कि आपके कहने और पूछने से कुछ होने वाला नहीं मुझे पता है कि वह क्या करेगा और क्या नहीं करेगा और क्या कर सकता है।
और अगर आपको मेरे यहां रहने से दिक्कत है
तो मैं चली जाऊं फिर कभी नहीं आऊंगी आपके घर।
राजनाथ उसकी बात सुनकर समझ गया कि यह अभी गुस्से में है तो वह बात को संभालते हुए उसने कहां की अरे बेटा तू तो गुस्सा हो गई मैं तो बस तुमको समझा रहा था फिर भी अगर तुमको वहां नहीं जाना है तो मत जा। और फिर यह कभी मत कहना कि मैं यहां नहीं रहूंगी या कभी नहीं आऊंगी तुम जानती हो कि मेरा तुम्हारे सिवा कोई नहीं है और अब मैं तुमसे कभी नहीं कहूंगा कि तुम यहां से जाओ जब तक तुम्हारी मर्जी नहीं होगी तब तक तुम यहां से कहीं मत जाना।
फिर उसने कुछ जवाब नहीं दिया चुपचाप पैर दबाने लगी।
उसके बाद राजनाथ ने भी कुछ नहीं बोला और वह चुपचाप उसको देख रहा था तभी उसकी नजर आरती की कमर पर गई जहां उसकी नाभि और पेट नजर आ रहा था ओ उसे देखते हुए मैं नहीं मन सोचने लगा कि इसकी कमर इतनी पतली है अगर इसके पेट में बच्चा रह गया तो यह उसको पैदा कैसे करेगी इसकी कमर इतनी पतली है तो इसकी ओ वाला रास्ता तो और भी पतला होगा मैंने तो सोचा था की शादी के बाद मोटी हो जाएगी लेकिन शादी के इतने साल भी इसकी बॉडी में कोई बदलाव नहीं आया सिर्फ इसकी खूबसूरती पहले से ज्यादा बढ़ गई और वैसे भी पतली दुबली लड़कियां ही खूबसूरत और सुंदर लगती है और मेरी बेटी भी इस मामले में किसी से कम नहीं है फिर कुछ देर के बाद उसने आरती से कहा बेटा अब हो गया और कितनी देर दबाएगी तू जा जाकर सो जा तुमको सुबह जल्दी उठना भी है इसलिए तो जा जाकर सो जा।
फिर आरती ने कुछ नहीं कहा और वह चुपचाप चली गई सोने के लिए जब वह सोने जा रही थी तो उसके मन में चल रहा था कि मुझे बाबूजी से ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी और वह सो गई फिर सुबह हुई तो उठकर अपने काम में लग गई ।
फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी उठ गया और वह कहीं बाहर जा रहा था घूमने के लिए तो उसने आरती से बोला बेटा में कुछ देर में आऊंगा तब तक तुम अपना काम खत्म करके रेडी होकर रहना उसके बाद हम लोग डॉक्टर के पास चलेंगे।
तो आरती ने जवाब दिया ठीक है आप भी जल्दी आइएगा तो राजनाथ में जवाब दिया हां हां मै टाइम पर आ जाऊंगा और वह चला गया।
फिर 10:00 दोनों बाप बेटी रेडी होकर अपने स्कूटर पर बैठकर डॉक्टर के पास जाने के लिए निकले फिर आधा घंटे के बाद दोनों डॉक्टर के पास पहुंच गए फिर पहुंचने के बाद हाल में बैठकर डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे।
तभी राजनाथ में आरती से बोल तुमको जो कुछ भी डॉक्टर पूछेगा साफ-साफ अच्छे से बताना।
तो आरती ने राजनाथ से पूछा कि आप अंदर नहीं जाएगा।
मैं अंदर जाकर क्या करूंगा वो तुमसे सवाल पूछेगा वह मुझे थोड़ी पूछेगा अगर दामाद जी यहां होते तो वह तुम्हारे साथ में जाते और वहां जाकर कुछ बताते भी मैं वहां जाऊंगा तो क्या बताऊंगा तभी अंदर से नर्स आई और उसने पूछा की आरती किसका नाम है आप अंदर आईए आपको मैडम बुला रही है फिर वह डरते डरते अंदर गई तो वहां एक लेडिस डॉक्टर बैठी थी उसने आरती को देखा और बोली लिए यहां बैठिए सामने दो कुर्सी लगी हुई थी उसी एक कुर्सी पर आरती बैठ गई फिर डॉक्टर ने पूछा किस लिए आई हैं बच्चे के लिए तो आरती ने जवाब दिया जी हां तो डॉक्टर ने पूछा अकेली आई हो क्या तो आरती ने जवाब दिया कि मैं अकेली नहीं हूं क्या डॉक्टर ने कहा अकेली नहीं है तो उनको यहां बुलाए।
फिर आरती वहां से उठकर बाहर गई है और उसने राजनाथ से कहा कि आपको भी अंदर बुला रहे।
तो राजनाथ ने पूछा कि हमको क्यों बुला रही।
तो आरती ने जवाब दिया हमको नहीं पता कि क्यों बुला रही हैं चलिए ना जल्दी।
फिर दोनों साथ में अंदर गया और जाकर दोनों सामने कुर्सी पर बैठ गए।
फिर डॉक्टर ने पूछा की शादी को कितने साल हो गए तो राजनाथ ने आरती की तरफ देखा तो कुछ बोल नहीं रही थी तो उसने जवाब दिया की जी 6 साल हो रहे हैं।
फिर से डॉक्टर ने पूछा कि 6 साल में कभी भी बच्चा नहीं रुक।
तो राजनाथ आरती की तरफ देखने लगा इशारा करने लगा कि बताओ तो आरती फिर भी कुछ नहीं बोल रही थी सभी राजनाथ कुछ बोलने जा रहा था कि डॉक्टर ने उसे रोक दिया और बोला कि आप मत बोलिए इनको बोलने दीजिए फिर डॉक्टर ने आरती से बोला कि मैं जो पूछ रही हूं उसका जवाब भी क्या बच्चा कभी रुका है कि नहीं रुक है।
तो आरती ने शर्माते हुए जवाब की जी नहीं रुक है।
फिर डॉक्टर ने पूछा कि आपका महीना टाइम पर आता है आगे पीछे होता है।
फिर आरती में जवाब दिया की जी टाइम पर आता है।
फिर डॉक्टर ने पूछा क्या आप दोनों कितने टाइम के बाद मिलते हैं मेरा मतलब है कितने देर के बाद सेक्स करते हैं यह सब बात सुनकर आरती को बहुत शर्म आ रही थी और वह कुछ बोल नहीं रही थी चुपचाप अपनी नज़रें नीचे करके बैठी हुई थी और वह सोच रही थी कि अपने बाप के सामने यह सब कैसे बताएं।
आगे की कहानी अगले भाग में।
Shandar. Updateभाग 5
डॉक्टर ने आरती से पूछा कि आप कितने अंतराल के बाद सेक्स करते हो।
आरती अपने बाप के सामने यह सब बताने में शर्मा रही थी। तो फिर डॉक्टर ने अपना तरीका अपनाया और वह राजनाथ को वही बगल में एक रूम था उसमें जाकर बैठने के लिए बोला।
फिर राजनाथ वहां से उठकर बगल वाले रूम में जाकर बैठ गया फिर डॉक्टर ने आरती से बोला अब तुम्हारी बात यहां कोई नहीं सुनेगा इसलिए अब मैं जो भी तुमसे पूछ रहा हूं उसका सही-सही जवाब दो।
और एक बात आप लोग भी समझ गए होंगे कि डॉक्टर को अभी तक यह नहीं पता है की आरती और राजनाथ दोनों बाप बेटी है वह दोनों को पति पत्नी समझ रही है।
दूसरी तरफ आरती और राजनाथ को भी पता नहीं है कि डॉक्टर उन दोनों को पति-पत्नी समझ रही है।
तो डॉक्टर ने बोला कि डेली मिलते हो कि छोड़ छोड़कर मिलते हो। तो आरती ने जवाब दिया कि जी छोड़ छोड़ कर मिलते हैं।
तो डॉक्टर ने पूछा कितने दिन के बाद।
तो आरती ने जवाब दिया जी चार-पांच दिन के बाद कभी-कभी एक हफ्ता भी हो जाता है ।
तो फिर डॉक्टर ने पूछा कि चार-पांच दिन के बाद मिलते हो तो रात में एक ही बार मिलते की दोबारा भी मिलते हो।
तो आरती ने जवाब दिया की जी एक ही बार मिलते हैं।
तो फिर से डॉक्टर ने पूछा की कितनी देर तक मिलते हो मेरा मतलब है तुम्हारे पति का पानी कितना देर में छूटता है।
आरती को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे आरती कुछ बोलती इससे पहले डॉक्टर ने फिर से पूछा बताओ कितना देर चलता है 10 मिनट 15 मिनट 20 मिनट आधा घंटा बताओ तो तो आरती ने जवाब दिया कि जी 5 मिनट तक ही चलता है तो फिर डॉक्टर भी हैरान होते हुए बोली की क्या सिर्फ 5 मिनट ही चलता है ऐसे कैसे काम चलेगा हफ्ते में एक बार मिलोगे और सिर्फ 5 मिनट ही करोगे तो कैसे बच्चा रहेगा।
डॉक्टर ने फिर आरती से पूछा कि तुम्हारा पानी छूटता है कि नहीं। तो आरती ने जवाब दिया कि जी नहीं तो डॉक्टर ने कहा कि जब तुम्हारा पानी छूटेगा ही नहीं तो शुक्राणु गर्भ के अंदर कैसे जाएगा आरती कुछ बोल नहीं पाई और चुपचाप सुन रही थी तभी डॉक्टर ने फिर से पूछा कि तुम्हारा पति का वीर्य जो गिरता है वह गाढा़ रहता है कि पतला रहता है मेरा मतलब है घी के जैसा रहता है या उसे पतला रहता है।
तो आरती ने जवाब दिया की जी पतला रहता है तो डॉक्टर ने बोला कि पतला रहता है तो लिंग बाहर आते ही वह भी सब बाहर आ जाता होगा आता है कि नहीं तो आरती ने जवाब दिया कि जी सब बाहर आ जाता है।
इधर यह सब बात इन दोनों के बीच में हो रही थी और उधर राजनाथ कमरे में बैठकर यह सब बात सुन रहा था क्योंकि वह जिस रूम में बैठा था वहां एक स्पीकर लगा हुआ था जिससे उसको यह सब बात सुनाई दे रहा था क्योंकि जब किसी को एक दूसरे के सामने बात बताने में शर्म आती है तो यह तरीका वह लोग अपनाते हैं ताकि जब बाद में उससे पूछा जाए इस बारे में तो सही से बता सके उधर राजनाथ को यह सब बात सुनकर अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और दूसरी तरफ उसे मजा भी आ रहा था अपनी बेटी की सीक्रेट बातें सुनकर और वो यह भी समझ रहा था रहा था कि मुझे यहां आरती की बात सुनने के लिए बिठाया है लेकिन क्यों मैं तो उसका पति नहीं हूं तो मुझे क्यों सुना रहे हैं कहीं यह तो नहीं की डॉक्टर मुझे उसका पति समझ रही है अगर ऐसा है तो यह तो गलत है क्या आरती को यह बात पता है कि मैं उसकी बात सुन रहा हूं नहीं उसको कहां से पता होगा वह बेचारी तो वहां बैठी है।
राजनाथ को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अब वह मजबूर होकर अपनी बेटी की बातें सब सुन रहा था और अपने दामाद पर गुस्सा भी आ रहा था कि मेरा दामाद मेरी बेटी का पति इतना निकम्मा कमजोर कैसे हो सकता है।
डॉक्टर ने फिर आरती से पूछा कि पति पत्नी में लड़ाई झगड़ा होता है।
तो आरती ने जवाब दिया कि जी कभी-कभी होता है मारपीट भी करता है क्या जी नहीं मारपीट नहीं करते।
फिर डॉक्टर ने कहा कि तुमने अभी जो सारी बातें बताई क्या मैं वह सब बातें तुम्हारे पति से पूछ सकता हूं।
तो आरती अपने मन मे सोचने लगी कि मेरा पति तो यहां है नहीं तो ए किस से पूछेगी फिर उसने जवाब दिया कीजिए हां पूछ सकते हैं।
फिर डॉक्टर ने कहा अच्छा ठीक है अब तुम उस रूम में जाकर बैठो और अपने पति को यहां भेजो यह बात सुनते ही आरती एकदम से घबरा गई और सोचने लगी कि मेरा पति मेरे पति यहां कहां है वहां तुम मेरे बाबूजी बैठे हैं और वह घबराए हुए नजरों से डॉक्टर को देख रही थी जब डॉक्टर ने फिर से कहा रे बैठी हुई क्यों हो जाओ अपने हस्बैंड को यहां भेजो फिर उसने कहा कि मेरे हस्बैंड डॉक्टर ने कहा कि हां तुम्हारे हस्बैंड ने क्या दूसरे क्या जो उनको यहां जल्दी से भेजो।
फिर वह धीरे से उठकर घबराते हुए उस रूम में जाने लगी जहां उसके बाबूजी बैठे हुए थे।
उधर यह सब बात सुनकर राजनाथ को शौक लग गय था कि यह क्या हो गया अब मैं क्या करूंगा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
तभी आरती रूम के अंदर आई तो देखा कि उसके बाबूजी अकेले रूम में बैठे हुए हैं अचानक दोनों की नजरे मिली और दोनों सोच रहे हैं कि एक दूसरे से क्या बात बोले फिर आरती शरमाते हुए अपनी नज़रें झुका लिया और कुछ नहीं बोली फिर कुछ छन के बाद राजनाथ ने बोला की बेटी डॉक्टर ने क्या बोला।
तो आरती अपनी नज़रें झुकाए हुए बोली कि जी वो आपको बुला रही है यह बात तो राजनाथ को पता था क्योंकि वह सब सुन रहा था तो वह अनजान बनते हुए पूछा कि मुझे बुला रही है तो आरती ने जवाब दिया की जी आपको बुला रही है फिर उसने क्या अच्छा ठीक है मैं जाता हूं फिर वह डॉक्टर के पास चला गया।
इधर आरती हैरान होते हुए अपने आप से मन मे बात करते हुए सोच रही थी कि यह मेरे साथ क्या होगया यह डॉक्टर तो हम दोनों के बारे में उल्टा ही समझ बैठी अगर उसने बाबूजी से सारी बातें बता दी और बोल दिया कि यह सब बातें आपकी पत्नी बोल रही थी तो वह मेरे बारे में क्या सोचेंगे कि मेरी बेटी ने मुझे अपना पति बना लिया हे भगवान अब मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
तभी राजनाथ डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर ने कहा कि आईए बैठीए यह आवाज जैसे ही आरती के कानों मे पहुंची तो वह चौंक गई है वह इधर-उधर देखने लगी कि यह आवाज कहां से आ रही है फिर डॉक्टर ने बोला कि अभी जो हम दोनों के बीच में बातें हो रही थी वह सब आपने सुना कि नहीं।
तो राजनाथ ने अनजान बनते हुए पूछा कि जी कौन सी बातें।
तो डॉक्टर ने जवाब दिया कि वही बातें जो आपकी पत्नी और मेरे बीच में हो रही थी।
इतना बात सुनते ही उधर आरती की पैरों के तले जमीन खिसक गई और वह हैरान परेशान हो गई कि यह मैंने क्या कर दिया अभी जो भी बातें मैंने डॉक्टर को बताई वह सब बातें बाबूजी ने सुन लिया हे भगवान क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में।
तो राजनाथ में डॉक्टर को जवाब दिया कि जी सुना है।
तो डॉक्टर ने पूछा कि क्या उसने सब सही बताई है या कुछ गलत बताई है तो राजनाथ अब मजबूरी में क्या जवाब देता तो उसने कहा की जी वह सब सही बताई है।
फिर डॉक्टर ने कहा की अच्छा ठीक है अभी हम कुछ जांच लिख दे रहे हैं वह आप दोनों को कराना पड़ेगा।
तो राजनाथ ने पूछा कि जी दोनों को कराना पड़ेगा।
जब डॉक्टर ने जवाब दिया कि हां आप दोनों को करना पड़ेगा आपकी पत्नी का बलड और पेशाब जांच करना पड़ेगा और आपका सीमन जांच करना पड़ेगा मेरा मतलब है आपका वीर्य अभी आप दोनों बाहर जाकर अपना सेंपल दे दीजिए और 2 दिन के बाद आइएगा फिर हम आप दोनों का रिपोर्ट देखकर दवा लिखेंगे आप मेरी बात समझे कि नहीं तो राजनाथ ने जवाब दिया कि जी समझ गए।
तो ठीक है अपनी पत्नी को लेकर जाइए और वहां नर्स को अपना सेंपल दे दीजिए।
फिर राजनाथ डरते डरते आरती के रूम में गया और वह मन ही मन सोच रहा है की आरती मेरे बारे में क्या सोच रही होगी जैसे ही वह अंदर गया तो आरती अपनी नज़रें नीचे करके चुपचाप बैठी हुई थी फिर वह कुछ देर खड़ा होकर आरती को देखा आरती भी अपने बाप से नजरे नहीं मिला पा रही थी।
उसने धीरे से कहा की आरती बेटा बाहर चलो फिर आरती धीरे से उठी और उसके पीछे-पीछे चलने लगी फिर दोनों जैसे ही हाल में बाहर आए तो वहां नर्स बैठी हुई थी तो राजनाथ ने उसको अपना रिपोर्ट देते हुए बोला कि की जांच करवाना है तो नर्स ने रिपोर्ट दिखाओ देखकर बोला कि अच्छा ठीक है आप यहां बैठिए और मैडम को मेरे साथ आने दीजिए फिर वह आरती को लेकर अंदर गई और वहां ब्लड का सैंपल लिया और लेने के बाद उसको एक छोटा सा प्लास्टिक का डीबी उसको दिया और बोली कि बाथरूम में जाकर इसमें अपना पेशाब लेकर आईए और आरती बाथरूम में गई और अपना पेशाब लेकर आई और नर्स को दे दिया फिर नर्स ने उसको एक और प्लास्टिक का डीबी दिया और बोली इसको अपने पति को जाकर दीजिए और बोलिए अपना वीर्य इसमें निकाल कर लाए फिर उसने बोला कि ऊपर में एक शोरूम खाली है वहीं पर उनको लेकर जाइए।
आरती ने वह डीबी लिया और लेकर धीरे-धीरे बाहर आने लगी और मन ही मन सोचने लगी की कैसे अपने बाप को जाकर बोलेगी की इसमें अपना वीर्य निकाल कर लाइए फिर धीरे-धीरे अपने बाप के पास पहुंची तो राजनाथ ने पूछा की हो गया।
तो आरती ने धीरे से जवाब दिया की जी मेरा हो गया नर्स ने जो डीबी आरती को दिया था उसको राजनाथ के तरफ बढा़ते हुए बोली कि यह आपके लिए दिया तो राजा नाथ ने पूछा कि मेरे लिए तो आरती ने कहा कि जी आपको इसमें लेकर आने के लिए बोली तो राजनाथ थोड़ा अनजान बनते हुए बोला की क्या लेकर आने के लिए बोली इसमें।
तो आरती और शर्माने लगी और धीरे से बोली की जिओ आपका वाला लेकर आने के लिए बोली राजनाथ फिर भी नहीं समझ रहा था उसने फिर से पूछा कि मेरा वाला क्या लेकर आने के लिए बोली।
तो आरती ने फिर से बोला कि जिओ अंदर में डॉक्टर नहीं बोल रही थी की आपका भी जांच होगा
यह बात सुनते ही राजनाथ में कहां की हां हां अभी मैं समझा और वह उठकर जाने लगा तो आरती ने कहा जी कहां जा रहे हैं राजनाथ ने कहा कि मैं लेकर आ रहा हूं तुम यहीं बैठो तो आरती ने कहा कि जिओ नर्स ने बोला कि ऊपर लेकर जाने के लिए।
तो राजनाथ ने पूछा कि ऊपर ऊपर कहां लेकर जाना तो आरती ने कहा कि जिओ नर्स बोल रही थी ऊपर में एक रूम खाली है वहीं आपको लेकर जाने के लिए बोली चलिए ना देखते हैं किधर है फिर दोनों बाप बेटी ऊपर जाने लगे जैसे ही दोनों ऊपर पहुंचे तो देखा कि सामने एक रूम है और उसके दरवाजे पर लिखा हुआ था कि यह रूम सिर्फ पति-पत्नी के लिए है।
तोतो राजनाथ ने बोला कि शायद यही रूम है अंदर चलकर देखते हैं जैसे ही दरवाजे को धकेला वह खुल गया।
फिर जब दोनों अंदर गए तो अंदर पूरा अंधेरा था दरवाजे के साइड में छूकर देखा तो वहां स्विच का बोर्ड लगा हुआ था फिर उसे दबाया तो लाइट जल गई और लाइट जलते ही पूरा रूम रोशनी से जग मांगा गया जब उन दोनों बाप बेटी की नजर कमरे की दीवार पर गई तो दोनों चौंक गए क्योंकि चारों तरफ दीवार में लड़कियों की फोटो लगी हुई थी उसमें से बहुत सारी लड़कियां नंगी भी थी फिर दोनों बाप बेटी झट से बाहर आ गए तो राजनाथ में आरती की तरफ देखा तो अपने नजरे नीचे करके शर्मा रही थी फिर राजनाथ में आरती से कहा कि तुम नीचे जाकर बैठो मैं लेकर आता हूं।
तो आरती ने कहा कि आप लेकर आई मैं यहीं खड़ी रहती हूं फिर वह रूम के अंदर चला गया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया रूम के अंदर एक बेड लगाया हुआ था उसी पर वह बैठ गया और दीवाल पर जो फोटो लगा हुआ था उन सब को देखने लगा और उन सब में जितना भी फोटो था सब दुबली पतली लड़कियों का फोटो था उनमें से बहुत सारी लड़कियां नंगी भी थी उनको देखकर उसके दिमाग में ख्याल आने लगा कि मेरी बेटी जब नंगी होती होगी तो इसी तरह दिखती होगी और उसके पजामे के अंदर जो उसका बड़ा सा हथियार जो अपनी बेटी का ख्याल रखते हुए अभी तक सोया हुआ था वो अचानक से जागने लगा और अब पुरी तरह से जा चुका था अब उसे ना अपनी बेटी का ख्याल था ना और किसी का अब तो वह सिर्फ अपनी मर्दानगी दिखाना चाह रहा था वह तो चाह रहा था कि उसे किसी के साथ लडने का मौका मिले और वह सब तोड़ फाड़ के रख दे वह अपनी बेटी का ख्याल करते हुए जैसे ही उसने अपना हाथ पैजामे के ऊपर से अपने लंड को सहलाया तो वो और ऊपर की तरफ उछलने लगा और जैसे कह रहा हो कि मुझे यहां से जल्दी बाहर निकालो जैसे ही उसने पैजामे का नाडा खोला वैसे ही सांप की तरह बाहर निकल कर फुफकारने लगा और ऐसा लग रह था कि कई महीना या सालों से भूखा हो फिर से उसने अपना हाथ उसके सुपाड़ा को ऊपर से सहलाया जैसे सपेरा अपने सांप की मुंडी को सहलाता है और वह सांप और फुफकारने लगता है इस तरह उसका लंड भी हाथ से छूते ही और झटका मारने लगता है फिर वह अपने लंड को मुट्ठी में कस के पकड़ कर धीरे-धीरे बोलने लगा कि काश दामाद की जगह मै होता आज और मेरी बेटी आज मेरे नीचे लेटी होती तो कितना मजा आता उसकी इतनी चुदाई करता की एक ही रात में उसकी बच्चेदानी में अपना बीज भर देता और 9 महीने के बाद वह मां बन जाती लेकिन मेरी किस्मत ऐसी कहां जो मुझे यह मौका मिलेगा अब तो मुझे जिंदगी भर हाथ से ही काम चलाना पड़ेगा और वह अपनी मुट्ठी में पकड़ कर अपने लंड को आगे पीछे करने लगा कुछ ही देर में उसका गाढा़ जमा हुआ माल उसके लंड से बाहर निकलने वाला था कि उसने झट से डिब्बे का ढक्कन खोलकर अपनी लंड को मुंह में लगाया जितना जमा हुआ माल था सब बाहर निकल गया।
आगे की कहानी अगले भाग में।