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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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अपडेट नंबर 23 आ गया है आप सभी पाठक उसे पढ़कर आनंद ले सकते हैं page number 72 मे धन्यवाद।

हम आप सब से एक आग्रह करना चाहते हैं आप सब कहानी पढ़ते हैं लेकिन कहानी कैसी लगी वह नहीं बताते हैं इसलिए हम आप सब से आग्रह करते हैं कि जो भी पाठक कहानी को पढ़ते हैं वह अपना विचार दो शब्द बोलकर जरूर रखें और जो पाठक ने अपनी आईडी नहीं बनाई है वह अपना आईडी बनाएं और अपना विचार जरूर रखें धन्यवाद।
 
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ranveer888

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भाग १८
आरती नहा के आने के बाद राजनाथ से कहती है कि मैं नहा कर आ गई हूँ आप जाकर अपना पैर हाथ धो लीजिए ।


उसके बाद राजनाथ पैर हांथ धोने के लिए वॉशरूम में जाता है और पर हांथ धोने लगता है तभी उसकी नजर आरती के खोले हुए कपड़े पर जाती है जो आरती ने नहाने से पहले जो कपड़े खोलकर रखे थे वह सब वहीं पड़ा हुआ था आरती ने जल्दबाजी में साइड करके रखना भूल गई और राजनाथ की नजर उसकी ब्रा और पैंटी पर गई जो ऊपर ही रखा हुआ था फिर वह उसको उठा कर देखने लगता है और उस पैंटी को देखते ही उसकी आंखँ के सामने उसकी बेटी की काले बालों वाली चूत नजर आने लगती है और वह अपने मन मे सोचता है कि मेरी बेटी की चूत इसी पैंटी के अंदर छुपी हुई रहती है उसको उलट पलट के देखने लगता है तो उसको उसमें खून की दाग नजर आती है शायद पीरियड के टाइम में जो ब्लड निकलता है वो उसमें गिर गया होगा उसको देखने के बाद फिर वहीं पर रख देता है और पैर हांथ धोकर वहां से आता है और सीधे अपने कमरे में जाकर बैठ जाता है इस वक्त वह आरती के सामने आने में झिझक क रहा था।

कुछ देर के बाद आरती उसको खाने के लिए बुलाने गई और कमरे के बाहर से ही बोली बाबूजी आईए खाना खा लीजिए।

तो राजनाथ अंदर से जवाब देता हाँ बेटा आ रहा हूँ।

फिर राजनाथ खाना खाने के लिए बरामदे में आकर बैठ जाता है फिर आरती किचन से खाना लेकर आती है उसको खाने के लिए देती है और देखकर कमरे के अंदर चली जाती है दोनों बाप बेटी एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे फिर राजनाथ खाना खाने के बाद अपने कमरे में चला जाता है फिर कुछ देर आराम करने के बाद वह फिर कहीं बाहर चला जाता है।

उसको जाने के बाद आप आरती बैठकर सोचने लगी कि आज उसके साथ क्या-क्या हुआ और यह सब सो कर उसको बहुत शर्म आ रही थी और यह सोच रही थी कि आज तक मुझे किसी ने इस हालत में नहीं देखा था मेरे पति के अलावा और मेरे बाबूजी ने मुझे उस हालत में आज देख लिया और यह सोचकर उसके शरीर में गण गनाहट होने लगी कि अगर मेरे बाबूजी की जगह कोई और होता तो आज तो मेरी इज्जत चली जाती यह तो अच्छा हुआ कि मेरे बाबूजी ने हीं मुझे देखा है वह थोड़े ही किसी बाहर वाले को बताने जाएगें कि उन्होंने मुझे नंगा देखा है और यह सोचकर उसको तसल्ली होती है और कहती है कि मुझे मेरे बाबूजी पर पूरा भरोसा है वह ऐसा कभी नहीं करेंगे।


फिर शाम होने लगती है तो फिर वह रात का खाना बनाने में लग जाती है फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी घर आ जाता है और वह सीधा अपने कमरे में जाकर सो जाता है।

खाना बनाने के बाद आरती दादी और राजनाथ को खाने के लिए बुलाती है।


फिर दोनों जाकर खाना खाते हैं और खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं।

फिर आरती भी अपना खाना खाने लगती है और खाते-खाते यह सोंच रही थी की आज बाबूजी को मालिश करने के लिए उनके सामने कैसे जाऊंगी खाना खाने के बाद कुछ देर वह बैठी रहती है और सोचती है कि जाऊं कि नहीं जाऊं उनकी मालिश करने के लिए फिर वह सोचती है कि आज नहीं तो कल उनके सामने तो जाना ही पड़ेगा।

उधर राजनाथ यह सोच रहा था कि आरती आज मालिश करने के लिए आएगी कि नहीं अगर आएगी तो मैं उसको क्या बोलूंगा।

फिर कुछ देर के बाद आरती उसके कमरे में आती है दूध का गिलास लेकर रखते हुए कहती है कि दूध पी लीजिए ठंडा हो जाएगा और फिर वह वापस चली जाती है और किचन में जाकर बैठकर सोचने लगती है और कहती है कि कुछ देर के बाद जाऊंगी मालिश करने के लिए तब तक वह दूध भी पी लेंगे।

अभी तक 10 मिनट बीत चुके थे और राजनाथ यह सोचकर अभी तक दूध नहीं पिया था की आरती फिर से आकर कहेगी तो पिएगा क्योंकि उसको आदत हो गई थी की आरती जबरदस्ती उसको खुशामद करके पिलाएगी।

तभी उधर से आरती कमरे के अंदर आती है और गिलास को जाकर देखती हैं तो उसमें दूध अभी भी वैसा ही रखा हुआ था तो वह राजनाथ से कहती की आपने अभी तक दूध क्यों नहीं पीया।

तो राजनाथ कुछ जवाब नहीं दिया वह चुपचाप सोया हुआ था।


तो आरती दूध का गिलास लेकर उसको देने के लिए जाती है और कहती है कि जल्दी से उठकर दूध पी लीजिए ठंडा हो गया पूरा।

तो राजनाथ उसकी तरफ देखा है करता है तुमने अपना दूध पिया।

तो आरती जवाब देती हां मैंने कब कब पी लिया आप जल्दी से पीजिए फिर वह दूध लेकर पीने लगता है और स्पीकर चुपचाप सो जाता है।

फिर आरती भी चुपचाप उसके पैर में मालिश करने लगती है दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे ।


तो कुछ देर के बाद राजनाथ उसको देखते हुए कहता है बेटा आरती क्या तू मुझसे नाराज है।

तो आरती कहती है नहीं तो मैं क्यों नाराज होउंगी।

तो राजनाथ कहता है कि नहीं मुझे लगा की शायद तुम मुझसे नाराज हो आज वाली बात को लेकर देखो बेटा आज जो कुछ भी हुआ वह अनजाने में और गलती से हुआ उसके लिए मैं तुमसे दोबारा माफी मांगता हूँ मुझे माफ कर दो।

तो फिर आरती कहती है कि आप मुझे बार-बार माफी क्यों मांग रहे हो मुझे पता है यह सब अनजाने में हूआ इसलिए आपको माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है।

तो राजनाथ कहता है कि मुझे लगा कि तुम मुझसे नाराज हो यह सोचकर कि मैं यह सब जानबूझकर किया इसलिए मेरा माफी मांगना जरूरी था।

तो आरती कहती है कि मुझे आप पर पूरा विश्वास है कि आप जानबूझकर ऐसा नहीं कर सकते इसलिए आप अपने मन मे कोई संकोच मत रखीए मैंने आपको माफ कर दिया है।

तो राजनाथ कहता है क्या तुमने मुझे सच में माफ कर दिया।

तो आरती रहती है हाँ हाँ मैंने आपको माफ कर दिया और कितनी बार कहूँ और अगर आपने मुझे उस हालत में देख भी लिया है तो क्या हो गया आप कोई बाहर वाला थोड़ी हैं जिसको देखने से मेरी इज्जत चली गई आपकी जगह पर कोई बाहर वाला होता तब मुझे डर होता कि मुझे किसी बाहर वाले ने नंगा देख लिया अब मेरा क्या होगा।

यह बात सुनते ही राजनाथ का मन खुशी से झूम उठा फिर वह मुस्कुराते हुए कहता हैं।
अच्छा मेरे देखने से तुमको कोई दिक्कत नहीं है।

तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है अब आप चुप रहेंगे कि मैं यहां से चली जाऊं।

तो राजनाथ कहता है अरे मैं कोई गलत थोड़ी बोल रहा हूँ जो तुम बोल रही हो वही तो मैं बोल रहा हूँ।

आरती- तो क्या आप दोबारा मुझे उसी तरह देखना चाहते हैं अगर देखना चाहेंगे तो दिखा दूंगी ।

तो राजनाथ कहता है यह तुम कैसी बात कर रही हो मैंने तुमसे कहा कि मैं देखना चाहता हूँ।

आरती- नहीं मैं यह नहीं कह रही हूँ कि आप देखना चाह रहे हैं मैं एक उदाहरण के तौर पर कह रही हूँ की अगर आपने मुझे नंगा देख भी लिय तो आप थोड़ी ही किसी बाहर वाले को बताएंगे कि आपने मुझे नंगा देख लिय जिससे मेरी इज्जत चली जाएगी।

तो राजनाथ कहता हैं कि हाँ यह बात तुम्हारी सही है यह की जो बात हमारे बीच होगी वह किसी बाहर वाले को पता नहीं चलेगा।

यह सब बात सुनकर राजनाथ की हिम्मत बढ़ने लगती है फिर कुछ देर के बाद वह कहता है आरती बेटा एक बात पूछूं बुरा तो नहीं मानोगी।

तो आरती कहती हां पूछिए क्या बात है।

राजनाथ-- नहीं अगर बुरा लगेगा तो नहीं पूछूंगा।

आरती- बोलिए तो सही क्या बात है नहीं बुरा मानूंगी।

तो राजनाथ धीरे से कहता है तुमने जंगल झाड़ क्यों बढा़ के रखा हुआ है।


आरती को यह बात समझ में नहीं आती तो वह पूछती है कौन सा जंगल झाड़।

राजनाथ-- फिर से मुस्कुराते हुए कहता है वही जो खेत के ऊपर बडा़-बडा़ झाड़ जो उगा हुआ हैं।

तो आरती को समझ में आने लगता है और वह सोचती है कहीं बाबूजी मेरी बूर के ऊपर बाल है उसकी बात तो नहीं कर रहें हैं।
यह बात समझते ही वो शर्मा जाती है और वह फिर अनजान बनते हुए पूछती है यह आप कौन सी झाड़ की बात कर रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा।

तो राजनाथ और थोड़ा खुलकर बोलता है अरे वही खेत जिसके ऊपर तुमने काला काला झाड़ बढा़ के रखा हुआ है ।


तो आरती कहती है अच्छा आप उस झाड़ की बात कर रहे हैं तो मैंने उसको थोड़ी बढ़ाया है वो तो अपने आप ही बढा़ है।

राजनाथ-- वह तो मुझे भी पता है कि वह अपने आप ही बढ़ता है लेकिन उसको साफ तो करना चाहिए।

आरती क्यों उसको रहने से कुछ दिक्कत है क्या ।

राजनाथ नहीं दिक्कत तो नहीं है लेकिन झाड़ साफ रहता है तो खेत की जुताई करने में अच्छा लगता है।


कोई खेत को जोतने वाला है ही नहीं है तो साफ किसके लिए करूंगी।

क्यों दामाद जुताई नहीं करते क्याi

(अगला अपडेट पेज नंबर 42 में मिले
Baap bhi khulne laga beti se oohhh age hor maza ayega 😍😍😍
 
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Chut chatu

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Wow mast kahani hai ab dekhna hai ki ek baap beti me chudai kaise suru hoti hai aur kaisi hoti hai
 
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Chut chatu

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Aah bahut hi kamuk kahani hai uff Kya mast vartalap krwaye ho baap beti ke bich Maja AA gaya padh kar
 
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ranveer888

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भाग २०
राजनाथ आरती से पूछता है उस ब्रा और पेंटी के बारे में जो आज ही उसने आरती को एक दर्जन खरीद कर दिया था उसी की साइज के बारे में की पहन कर देखा कि नहीं।

आरती जवाब देती है कि नहीं पहनकर तो नहीं देखा और पहन कर देखने की क्या जरूरत है साइज देखकर लिया है तो ठीक ही होगा।

राजनाथ फिर भी एक बार पहन कर देख लेना चाहिए कहीं अगर बड़ा छोटा हो गया तो फिर बाद में दिक्कत होगा।

आरती ठीक है आप कह रहे हैं तो पहन कर देख लूंगी फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है क्या आप आप भी ब्रा और पैंटी की फिटिंग देखेंगे।

राजनाथ नहीं मै क्यों देखुंगा तुम खुद पहन कर देख लो की फिटिंग सही है कि नहीं।


आरती क्यों आप नहीं देखेंगे उसकी फिटिंग।

राजनाथ नहीं मैं क्यों देखूंगा तुम्हारे कपड़े हैं तुम खुद पहन कर देख सकती हो की फिटिंग सही है कि नहीं तो फिर मैं क्यों देखुंगा।


आरती तो फिर आपने इससे पहले वाली ब्रा और पैंटी की फिटिंग क्यों देखी थी।

राजनाथ वह तो मैंने पहली बार तुम्हारे लिए लाया था तो मुझे तुम्हारी साइज के बारे में पता नहीं था इसलिए मैने पूछा था की फिटिंग सही है कि नहीं मैंने तुमको दिखाने के लिए नहीं कहा था वो तो तुमने खुद अपनी मर्जी से दिखाई थी इसलिए मैंने देखा था।


आरती अच्छा तो मैं अपनी मर्जी से दिखाऊंगी तो आप देखेंगे।

राजनाथ नहीं मैं नहीं देखूंगा क्योंकि देखने की जरूरत नहीं।

आरती ठीक है नहीं देखना चाहते हैं तो मत देखिए अब आपका मालिश हो गया अब मैं जा रही हूँ सोने के लिए


फिर वह चली जाती है सोने के लिए उसके जाने के बाद राजनाथ सोचने लगता है है कि क्या मैने सही किया उसको मना करके या मुझे हाँ बोल देना चाहिए उधर आरती अपने बेड पर सोते हुए सोचने लगती है कि क्या बाबूजी सच में देखना नहीं चाहते या सिर्फ ऊपरी मन से मुझे दिखाने के लिए ऐसा कह रहे हैं क्योंकि मैं उनकी बेटी हूँ इसलिए या फिर वो मुझे देखना चाह रहे हो लेकिन बाप बेटी के रिश्ते की वजह से वो पीछे हट रहे हैं नहीं तो दुनिया में ऐसा इंसान या मर्द नहीं होगा कि वो इतना शरीफ हो कि उसके सामने एक जवान और खूबसूरत लड़की आकर उसको अपनी बदन की खूबसूरती दिखाएं और उसे देखने से मना कर दे।

आरती अपने आप को अपनी बदन की खूबसूरती दिखाने के लिए तैयार थी लेकिन राजनाथ अभी भी झिझक रहा था वह आगे बढ़ने से लेकिन आरती धीरे-धीरे अपने बाप के प्रति आकर्षित हो रही थी और वह मन ही मन चाह रही थी कि राजनाथ उसकी बदन की खूबसूरती को देखें और उसकी तारीफ करें और ऐसी सोच उसके दिल और दिमाग में आने का एक ही कारण था कि जो प्यार और दुलार उसके पति से मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा था और दूसरी वजह यह थी कि वह राजनाथ के घर में अकेली और उसके साथ रह रही यहां उन दोनों को कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं था दादी थी लेकिन वह इतना समझ नहीं पाती थी इन दोनों बाप बेटी के बीच में क्या चल रहा है और उसका ज्यादा वक्त इधर-उधर घूमने में ही बीत जाता है इस वजह से दोनों बाप बेटी को उससे कोई ज्यादा फर्क भी नहीं पड़ रहा था और जब एक जवान मर्द और एक जवान औरत दोनों एक ही साथ एक ही घर में लंबे समय तक रहते हैं तो स्वाभाविक तौर पर दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो ही जाएंगे चाहे उन दोनों के बीच कोई भी रिश्ता हो जैसे-जैसे दोनों एक दूसरे के करीब आते जाएंगे वैसे-वैसे दोनों के दिल और दिमाग पर जिस्म की भूख हावी होने लगे लगेगा और यह भूख इतना बढ़ जाएगा कि दोनों को एक दूसरे की जिस्म की भूख मिटाना ही पड़ेगा।

और आज आरती और राजनाथ के साथ यही हो रहा है कि ना चाहते हुए भी दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो रहे हैं इसी वजह से राजनाथ जब अपनी बेटी को और उसकी बदन को देखा है तो उसके मन में भी आता है कि वह बाप बेटी के रिश्ते की दीवार को गिरा दे लेकिन वह अपने आप को यह सोचकर रोक लेता है कि दुनिया और समाज वाले क्या सोचेंगे और फिर वह मेरी बेटी है मैं अपनी बेटी के साथ ऐसा नहीं कर सकता।

लेकिन दूसरी तरफ आरती को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की दुनिया और समाज वाले मेरे बारे में क्या सोचेंगे और नहीं उसको इस रिश्ते से कोई फर्क पड़ रहा था कि वह दोनों बाप बेटी है।

और इसी तरह दोनों बाप बेटी अपने अपने ख्यालों में खोए हुए दोनों को नींद आ जाती है फिर सुबह उठकर सब अपने-अपने काम में लग जाते हैं राजनाथ सुबह नाश्ता पानी करके कहीं बाहर चला जाता है अपने काम से इधर आरती अपना खाना-वाना बनाने में लग जाती है खाना बनाने के बाद वह नहाने धोने में लग जाती है नहाने के बाद और अपना नाश्ता करती है और नाश्ता करके फिर कुछ देर आराम करने लगती है तब तक दोपहर हो जाता है और फिर राजनाथ भी घर आ जाता है और फिर आरती उसको खाना खाने के लिए कहती है और फिर उसको खाना लाकर देती है।

फिर राजनाथ चुपचाप खाना खाने लगता है खाते-खाते पूछता है की दादी कहां गई है तो आरती जवाब देती कि पता नहीं सुबह नाश्ता करके निकली हुई है किसी के घर में बैठी हुई होगी।

राजनाथ तुमने खाना खाया कि नहीं।

आरती आपने खाना खाया नहीं मैं ही पहले खा लूंगी सुबह नाश्ता किया है आपके खाने के बाद खा लूंगी।

राजनाथ खाना खाने के बाद वही बरामदे में चौकी के ऊपर लेट कर आराम करने लगता है आरती राजनाथ को लेते हुए देखकर उसके दिमाग में ख्याल आता है की दादी अभी घर में नहीं है और सिर्फ हम दोनों ही बाप बेटी हैं तो क्यों ना इस पल का थोड़ा बहुत फायदा उठा लिया जाए यह सोचकर वो राजनाथ के पास जाती है और कहती है बाबूजी सो गए क्या तो राजनाथ अपनी आंख बंद कर लेटा हुआ था तो आंख खोल कर आरती को देखते हुए कहता है नहीं क्यों क्या हुआ।

आरती नहीं मैं पूछ रही थी कि आपका पैर दबा दूं क्या मैं सोच रही थी की आप आप बाहर से आए हैं तो थक गए होंगे इसलिए दबा देती हूं।

राजनाथ उसकी आंखों में देखते हुए कहता है क्या बात है आज मेरे ऊपर बड़ा प्यार आ रहा है क्या बात हो गई आज।

आरती कुछ नहीं क्या बात होगी आप मेरे बाबूजी हैं आपके ऊपर प्यार नहीं आएगा तो किसके ऊपर आएगा आप मेरे लिए इतना सब कुछ करते हैं तो क्या मैं आपका पैर भी नहीं दबा सकती।


राजनाथ वह तो ठीक है लेकिन मुझे तो अभी थकान महसूस नहीं हो रही है अगर फिर भी तो दबाना चाह रही है तो दबा दो लेकिन दादी आ गई तो फिर क्या होगा।

आरती तो क्या होगा मैं बोल दूंगी की पैर ही तो दबा रही हूं और कुछ थोड़ी कर रही हूं।

राजनाथ वो तुमको नहीं वह मुझे चार बात सुनाएगी और रहेगी कि ऐसा क्या कमाई करता है कि रात में भी पैर दबवाता और दिन में भी दबवा रहा है इसलिए जा और देख कर आवो कि बाहर वाला गेट बंद है कि नहीं फिर आरती संगे संग जाती है बाहर वाला गेट बंद करके आ जाती है और कहती है कि मैं गेट बंद कर दिया अब आपको कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना।

राजनाथ नहीं अब मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी अब तुम जितना पैर दबाना चाहती है दबा सकती हो और मुस्कुरा देता है और आरती भी मुस्कुराने लगती है और फिर वह झुक कर उसकी तरफ मुंह करके उसका पैर दबाने लगती है तो उसके बाल जो थे वह बार-बार नीचे सामने की तरफ गिर जा रहे थे क्योंकि आज वह नहाई हुई थी तो उसने अपने बाल को अभी तक बांधी नहीं थी इस वजह से उसका बाल बार-बार नीचे गिर जा रहा था और उसके बाल से शैंपू और उसकी बदन की खुशबू की मिश्रण जो था वो सीधा राजनाथ के नाक में घुस रहा था और वह जैसे ही उसको सूंघता है और वह सब कुछ भूल कर अलग ही दुनिया में खोने लगता है तभी आरती अपने बाल को लपेटकर पीछे मुड़कर बांध लेती है सभी राजनाथ उसकी तरफ देखा है तो देख कर चौंक जाता क्योंकि जब वह झूक कर उसका पैर दबा रही होती है तो उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके दोनों छाती यानी उसके दोनों दूध उसको साफ-साफ नजर आ रहा था उसका ब्लाउज का गला बड़ा था इस वजह से उसका पूरा का पूरा दूध लटका हुआ नजर आ रहा था सिर्फ उसका काला भाग और निप्पल जो होता है वही नजर नहीं आ रहा था बाकि पूरा नजर आ रहा था उसको देखते ही राजनाथ का लंड टाइट होने लगता है वो तो वह तो अच्छा था कि उसने आज लंगोट बांध रखा था नहीं तो आज वो अपनी बेटी के सामने अपने लंड को खड़ा होने से नहीं रोक पाता राजनाथ को जैसे ही यह ख्याल आया कि उसने लंगोट बांध रखा है तो वह रिलैक्स हो गया की आरती को मेरे बारे में नहीं पता चलेगा कि मैं उसके बारे में क्या सोच रहा हूं अब वह और अच्छे से अपनी बेटी के

बदन को छुप छुप कर देखने लगा और लंगोट के अंदर उसका लंड सीधा होने के लिए बेचैन हो रहा था लेकिन वह बेचारा सीधा खड़ा नहीं हो पा रहा था।

तभी आरती देख लेती है कि बाबूजी छुप छुप के मेरे दूध को देख रहे हैं और वह दूसरी तरफ मुंह करके मुस्कुराने लगती है और यह देखकर उसे भी अच्छा लगने लगता है इधर बाप बेटी का यह सब चल ही रहा था कि तभी गेट के बाहर से दादी की आवाज आती है और वह कहती है गेट खोलने के लिए और दोनों बाप बेटी उसकी आवाज सुनकर हड़बड़ा जाते हैं।

राजनाथ कहता है कि अभी गेट नहीं लगा हुआ हो तो वो मुझे देखते ही चार बात सुना देती जा और जल्दी से गेट खोल दे नहीं तो गुस्सा होगी फिर आरती मुस्कुराते हुए गेट खोलने के लिए चली जाती है और राजनाथ चुपचाप आँख बंद करके सो जाता है और आरती गेट खोलते ही दादी से कहती है दादी कहाँ थी इतनी देर कब से इंतजार कर रही हूँ चलो जल्दी से खाना खा लो मैं भी अभी तक नहीं खाई हूँ फिर दोनों दादी और पोती खाना खाने लगती है और राजनाथ कुछ देर आराम करने के बाद वह भी कहीं निकल जाता है घूमने के लिए।

आरती खाना खाने के बाद कुछ देर आराम करने के लिए वह अपने कमरे में जाकर सो जाती है तभी उसकी याद आता है कि बाबूजी ने ब्रा और पैंटी पहन कर देखने के लिए कहा था फिर वह बेड से उठती है और अलमारी के पास जाकर अलमारी खोल के उसमें से एक पीस ब्रा और पैंटी निकालती है पहनने के लिए फिर साड़ी और ब्लाउज खोलकर ब्रा और पैंटी पहन कर देखती है तो फिटिंग बिल्कुल सही था फिर वह सोचती है कि बाबूजी ने तो देखने के लिए मना किया फिर उनको बताऊंगी कैसे मोबाइल भी नहीं है कि उसमें तस्वीर निकाल कर उनको दिखा देती फिर शाम को जब राजनाथ घर आता है और खाना-वाना खाने के बाद सोने के लिए चला जाता है फिर आरती भी कुछ देर के बाद खाना खाकर उसकी मालिश करने के लिए जाती है और जाकर चुपचाप मालिश करने लगती है फिर कुछ देर इसी तरह बीत जाता है और दोनों बाप बेटी एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे आरती सोच रही थी कि इनको बताऊँ कि नहीं ब्रा और पैंटी के बारे में।

राजनाथ भी अपने मन मे यही सोच रहा था कि पूछूं कि नहीं पूछूं कुछ देर के बाद खामोशी तोड़ते हुए पूछ ही लेता है और आरती से कहता है कि पहन के देखा कि नहीं ।

आरती अनजान बनते हुए कहती है आप क्या पहनने के बारे में पूछ रहे हैं।

राजनाथ अरे ब्रा और पेंटी के बारे में पूछ रहा हूँ पहन कर देखी कि नहीं।

आरती अच्छा आप क्यों पूछ रहे हैं आपने तो कल ही मना कर दिया था कि आप नहीं देखेंगे तो फिर पूछ क्यों रहे अगर आप जानना चाहते हैं फिटिंग के बारे में तो मैं नहीं बताऊंगी अगर आप जानना चाहते हैं तो खुद आपको अपनी आँखों से देखना पड़ेगा अगर आप नहीं देखना चाहते तो मत देखिए मैं क्या कर सकती हूँ।

राजनाथ हार मानते हुए कहता है अच्छा बाबा मैं हार मान गया मैं तुमसे बहस नहीं कर सकता अब तुम जो कहोगी मैं वही करूंगा अब यह बताओ कि कब दिखाओगीअपनी ब्रा और पैंटी की फीटिंग।

आरती कब क्या दिखाऊंगी अभी देख लीजिए।

राजनाथ अभी कहां से दिखाओगी क्या मोबाइल में तस्वीर खींचकर रखी है जो अभी दिखाओगी।

आरती मोबाइल की जरूरत नहीं है मैं खुद आपके सामने खड़ी हूं तो मोबाइल की क्या जरूरत है।
राजनाथ को समझ में नहीं आता है कि यह क्या बोल रही है तो वह कहता है कि मैं कुछ समझ नहीं तुम क्या कह रही हो।

आरती मैं यह कह रही हूँ कि जब मैं खुद आपके सामने ब्रा और पैंटी पहनकर खड़ी हूं तो मोबाइल की क्या जरूरत है खुद अपनी आंखों से देख लीजिए।

यह बात सुनते ही राजनाथ चौक जाता है और चौंकते हुए कहता है ए तुम क्या कह रही हो ए कैसे हो सकता है।


आरती क्यों नहीं हो सकता मोबाइल में देख सकते हो तो ऐसे क्यों नहीं देख सकते और ऐसे देखने से तो और अच्छे से नजर आएगा।

राजनाथ वह तो ठीक है लेकिन मैं तुमको इस हालत में नहीं देख सकत यह गलत है।

आरती अच्छा ब्रा और पैंटी में देखना गलत है लेकिन पूरा नंगा देखना गलत नहीं है।

राजनाथ मैंने तुम्हें कब नंगा देखा है जो तुम कह रही हो की नंगा देखने में कोई गलत नहीं है।

आरती अच्छा नहाते वक्त आपने मुझे वॉशरूम में नंगा नहीं देखा है।

 राजनाथ वह तो मैं गलती से देखा था जानबूझकर थोड़ी देखा थ।

आरती जानबूझकर देखा है या गलती से देखा देखा तो है ना फिर ब्रा और पैंटी में देखना क्या गलत है।

राजनाथ लेकिन।

आरती लेकिन वेकिन छोड़िए देखना है तो बोलिए नहीं तो मैं जा रही हूँ सोने के लिए।

राजनाथ ठीक है अगर तुम नहीं मान रही हो और दिखाना ही चाह रही हो तो दिखा ही दो ।

आरती में क्या दिखाऊंगी आप खुद देख लीजिए।

राजनाथ नहीं अगर तुम खुद दिखाओगी तो दिखाओ नहीं तो फिर मैं भी नहीं देखूंगा।

आरती ठीक है मैं ही दिखा देती हूँ लेकिन आप अपनी आंख बंद कीजिए मैं जब तक ना कहूं खोलने के लिए राजनाथ अपनी आंख बंद कर लेता है और आरती अपनी साड़ी और ब्लाउज खोलने लगती है और खोलकर अलग कर देती है पूरी तरह ब्रा और पैंटी में खड़ी हो जाती है और फिर धीरे से कहती है कि आप अपनी आंख खोल लीजिए राजनाथ जैसे ही अपनी आंख खोलता है और सामने अपनी बेटी को ब्रा और पैंटी में देखकर दंग रह जाता है और उसको लगता है कि एक कुंवारी लड़की अभी-अभी जवान हो रही है वह उसके सामने खड़ी है इसको देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे इसको अभी किसी ने छुआ भी नहीं है राजनाथ उसकी बॉडी को ऊपर से नीचे तक निहारते हुए देख रहा था और आरती चुपचाप अपनी नज़रें झुका कर खड़ी हुई थी शर्म के मारे और वह कुछ बोल भी नहीं पा रही थी कुछ देर इसी तरह खड़ी रहने के बाद आरती धीरे से कहती है की बाबूजी अब मैं साड़ी पहन लूं तो राजनाथ कहता हैं हां हां पहन लो फिर वह साड़ी और ब्लाउज पहनकर फिर वहां से निकल के अपने कमरे में चली जाती है।

उसको जाने के बाद राजनाथ एकदम बेचैन हो जाता है उसका लंड पजामे के अंदर में उछल रहा था और राजनाथ को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उधर आरती अपने कमरे में जाकर बेड पर लेट कर सोचने लगती है और कहती है कि मैं यह सब अपने बाबूजी के सामने कैसे किया यह सोचकर उसका शरीर शर्म के मारे सिहर जाता है फिर दूसरे दिन सुबह होती है सुबह के बाद दोपहर होती है और दोपहर में राजनाथ कहीं बाहर से आता है तो आरती उसको खाना खाने के लिए देती है जैसे ही आरती किचन से खाना लेकर आ रही होती है तो राजनाथ उसको देख रहा होता है जैसे ही वह खाना देने के लिए झुकती है तो राजनाथ को उसकी दोनों दूध नजर आ जाता है राजनाथ उसको देखकर मुस्कराने लगता है तो आरती भी समझ जाती है कि बाबूजी क्यों मुस्कुरा रहे हैं अभी मुस्कुराते हुए वहां से चली जाती है फिर वह खाना खाते हो आरती से पूछता है दादी घर में नहीं है क्या तो आरती जवाब देती नहीं वह कहीं गई हुई घूमने के लिए राजनाथ खाना खाने के बाद फिर आराम करने लगता है तो आरती उसके पास जाती है और मुस्कुराते हुए पूछती है कि पैर दबा दूं क्या तो राजनाथ भी मुस्कुराते हुए कहता है अब तुम दबाने के लिए आई हो तो दबा दो पूछने की क्या जरूरत।


आरती पैर दबाने लगती है तो राजनाथ कहता है कि कल रात को तुमने जो दिखाया वह ठीक से नहीं देख पाया।

आरती क्यों क्यों नहीं देख पाए अच्छे से तो दिखाया था फिर भी बोल रहे हैं कि नहीं देख पाए।

राजनाथ वो रात का टाइम था ना इस वजह से ठीक से नजर नहीं आ रहा था।

आरती मतलब आप कहना क्या चाह रहे।

राजनाथ मेरा मतलब है कि अगर अभी दिखाओगी तो अच्छे से और क्लियर दिखेगा अगर तुम दिखाना चाहोगी तो अगर नहीं दिखाना चाहती है तो कोई बात नहीं


आरती मुस्कुराते हुए अच्छा पहले देखना नहीं चाहते थे और अब अच्छे से देखना है अगर दादी आ गई तो।

 राजनाथ दादी आएगी तो क्या होगा गेट तो अंदर से बंद रहेगा ।

तो जाइए देख लीजिए कि गेट अंदर से बंद है कि नहीं राजनाथ झट से उठता है और गेट बंद करके आता है और कहता है कि बंद है अब कोई दिक्कत नहीं होगा और वह चौकी पर बैठकर आरती को देखने लगता है और आरती चुपचाप खड़ी थी तो राजनाथ उसको कहता है कि अब क्या सोच रही है अब तो दिखा दो।

आरती धीरे से कहती है मैं नहीं दिखाऊंगी आप खुद देख लीजिए।

राजनाथ ऊपर का कपड़ा उतारोगी तभी तो देखूंगा मेरा मतलब है साड़ी और ब्लाउज खोलोगी तभी तो देखूंगा।

आरती मैं नहीं खोलूंगी आप खुद खोल लीजिए।

राजनाथ यह क्या बात है रात में तो तुमने अपने से खुद खोल कर दिखाया था और अभी मुझे खोलने के लिए कह रही हो।

आरती इसलिए की रात में मैंने आपको दिखाया था और अभी आप देखना चाह रहे हैं इसलिए आपको ही खोलना पड़ेगा।
.................


(अगला अपडेट पेज नंबर 64 में मिलेगा)
Very erotic update 💯 🌺 🔥
 
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ranveer888

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भाग २२
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की राजनाथ अपने दामाद को फोन करके कहता है कि वह आकर आरती को यहां से ले जाए ताकि जो डॉक्टर ने दवा दिया है वह उसको चालू कर सके अब आगे ।

राजनाथ का दामाद आरती को लेने के लिए उसके घर आया हुआ है, और आरती भी उसके साथ जाने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो जाती है इस उम्मीद में की डॉक्टर ने जो दवा दिया है वह काम कर जाए और ऊपर वाले की दुआ भी लग जाए ताकि उसके पेट में बच्चा रह जाए और उसके ऊपर से बाँझ होने का कलंक मिट जाए और वह दुनिया के सामने अपना सर उठा के चल सके और सबको बता सके की वो बाँझ नहीं है यही सोचकर वह अपना सामान सब पैक करके रेडी हो जाती है जाने के लिए। तभी राजनाथ
उसके पास आता है और उसको सब समझता है की दवा जैसे-जैसे खाने के लिए डॉक्टर ने बोला है वैसे ही खाना गड़बड़ मत करना।

आरती हाँ उस में सब लिखा हुआ है कैसे-कैसे खाना है मैं देख लूंगी।

राजनाथ ठीक है अगर कुछ गड़बड़ हो तो मुझे फोन करना अब चलो नहीं तो लेट हो जाएगी और आराम से जाना दोनो वहां पहुंच कर मुझे फोन कर देना की पहुंच गए हो और तुम कोई टेंशन मत लेना जो भी होगा अच्छा ही होगा तुम कभी अपने आप को अकेला मत समझना मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ और रहूँगा तुमसे बढ़कर मेरे लिए और कुछ नहीं है।

यह सब बातें सुनकर आरती अपने आँखों में आंसू आने से रोक नहीं पाती है और वह उसके पास जाकर उसके गले लग कर रोने लगती है ।

राजनाथ अरे पगली यह क्या तुम तो रोने लग गई अब तुम रोना बंद कर नहीं तो मैं भी रोने लगूँगा यह बोलते हुए उसके भी आँखों में आंसू के कुछ बूँदे आ ही जाती है फिर वह अपने आप को संभालता है और आरती को चुप कराता है और उसे लेकर कमरे से बाहर आता है उसका दामाद बाहर ही खड़ा था फिर दोनों पति-पत्नी साथ में जाने के लिए निकल जाते हैं ।
राजनाथ उदास मन से अपनी बेटी को जाते हुए देखता रह जाता है और वह चली जाती है।

आरती के जाने के बाद राजनाथ अपना उदास मन को बदलने के लिए वह घर से बाहर गाँव में अपने दोस्तों यारों के पास चला जाता है फिर कुछ घंटे के बाद राजनाथ का मोबाइल बजाता है तो उसमें देखा तो उसके दामाद के नंबर से फोन आ रहा था तो वह उसे रिसीव करता है तो उधर से आवाज आती है हेलो बाबूजी मैं आरती बोल रही हूँ हम लोग यहाँ अच्छे से पहुँच गए हैं इसलिए फोन कर रही हूँ आप अपना ख्याल रखना।

राजनाथ -- हाँ बेटा तुम लोग भी अपना ख्याल रखना फिर कॉल कट जाता है, फिर राजनाथ शाम को घर वापस आता है तो घर में अपनी बेटी को ना देख कर उसकी मन फिर उदास हो जाता है और उसको वह सब बात याद आने लगता है जो आरती उसके लिए करती थी कैसे वह जब कहीं बाहर से घर में आता था तो आरती उसके लिए पानी लाती थी उसको खाने के लिए पूछती थी बाकी वह हर काम करती थी जो उसकी पत्नी उसके लिए करती थी सिर्फ एक काम के अलावा और वह कम था उसका बिस्तर गर्म करना यह काम वह कर भी नहीं सकती थी क्योंकि बीच में बाप बेटी का रिश्ता जो आ जाता था यही सब वह सोच रहा होता कि तभी उसकी माँ उसके पास आती है और उसे खाने के लिए कहती है। लेकिन वह उसे मना कर देता और कहता है कि मुझे भूख नहीं है मैं नहीं खाऊँगा लेकिन माँ के जिद करने के बाद वह खाने के लिए बैठ जाता है लेकिन थोड़ा बहुत खाता है बाकी सारा खाना छोड़ देता है फिर वह सोने के लिए चला जाता है लेकिन वहाँ भी उसे नींद कहाँ आने वाली थी घँटो बिस्तर पर करवट बदलने के बाद बहुत मुश्किल से उसे नींद आती है।

फिर जब सुबह उठा तो देखा कि उसकी माँ घर के काम मे लगी हुई है क्योंकि जब आरती रहती थी तो सारा काम वही करती थी उसके जाने की वजह से अब सारा काम उसकी दादी को करनी पड़ रही थी ।

यह देखकर राजनाथ भी घर के काम में उसके साथ में उसका सहयोग करने लगता है फिर इसी तरह एक दिन और बीत गया दिन तो किसी तरह कट जाता था लेकिन रात में राजनाथ को आरती की याद सताने लगती है।

आज जब वह बिस्तर पर लेट करवटें बदल रहा होता तो उसके मन में ख्याल आता है कि की आरती को फोन करके देखता हूँ कि वह क्या कर रही है ।

फिर वह अपने दामाद के नंबर में फोन मिलाता है जैसे ही रिंग होता है तो फट से आरती उठा लेती है , और बोलती हेलो बाबूजी मैं आरती बोल रही हूँ आप कैसे हो।

राजनाथ-- हाँ बेटा मैं ठीक हूँ तुम कैसी हो।

आरती-- मैं भी ठीक हूँ आपने खाना-वाना खाया कि नहीं और दादी कैसी है ।

राजनाथ-- हाँ बेटा मैने खाना खा लिया और दादी भी ठीक है बेटा तुमने खाना खाया कि नहीं और दामाद जी कहाँ है।

आरती --हाँ बाबूजी मैने भी खाना खा लिया है और वो भी यहीँ हैं।

राजनाथ-- बेटा मैंने कोई डिस्टर्ब तो नहीं किया ना तुम लोगों को मैं इस वक्त फोन करने के लिए डर रहा था ।

आरती-- क्यों किस लिए डर रहे थे।

राजनाथ कुछ काम कर रही होगी और मेरे फोन से डिस्टर्ब हो जाओगी
इसलिए।

आरती-- इस वक्त क्या काम करूंगी कुछ नहीं ।

राजनाथ-- अरे पगली में उस काम की बात कर रहा हूँ जो पति-पत्नी मिलकर करते हैं और वह काम रात में ही होता है ।

आरती-- राजनाथ की बात समझ जाती है और शर्मा जाती है थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहती है यह आप क्या कह रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है ,
और आरती का पति भी वही था तो इस वजह से वह खुलकर बात नहीं कर पा रही थी।

राजनाथ- अब तुम इतनी सी बात नहीं समझ पा रही हो तो अब मैं क्या कर सकता हूँ ठीक है अब मैं फोन रखता हूँ तुम लोग अपना काम करो यह बोलकर राजनाथ फोन काट देता है और मन ही मन मुस्कुराता है और सोचता है कि मेरी बेटी इतनी बेवकूफ तो नहीं हो सकती कि यह बात उसको समझ में ना आया हो ।

उधर आरती भी मन ही मन मुस्कुराती है और कहती है मेरे बाबूजी भी कितना चलांक और समझदार हैं।

.........
Bahut badhia update.next update ka besabri se intzaar hai 👍👍👍
 
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Chut chatu

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Lekhak ki ye baat bahut achhi lagi wo Pathak ki suvidha ke liye har update ke ant me yah Bata de rahe hai ki agla update kis page par milega is Kary ke liye lekhak ko hardik dhanyvaad
 
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