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Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Great going bhai.. Bus confusion hota rahata hai kyunki.. Kahani २ different tarck par chal rahi hai.. Mix ho kar...
ये तो बहुत ही बेसिक और साधारण सी अतीत की यादो की मोतियों को वर्तमान की सीधी डोर मे गुहती हुई कहानी है ।

अगली स्टोरी mysetry & crime होने वाली है
उसमे तो गच्चा खा जाओगे यार फिर मेरी ही बदमानी होगी कि मेरे पाठक इतने कम आईक्यू वाले है 😁
ऐसा गजब मत करना दोस्त
 

Raja jani

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वास्तविक लगते हुए भी कामुक कल्पना जितनी गहराई से सोच में उभरती है ,ऐसा काम ही लोग लिख पाते है बंधु।बस एक बात मुक्त यौनाचार मत दिखाना इस कहानी में,व्यभिचार इतना खुले आम होने लगे तो कहानी का उत्तेजक पहलू हल्का हो जाता है मेरे विचार से।
 
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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वास्तविक लगते हुए भी कामुक कल्पना जितनी गहराई से सोच में उभरती है ,ऐसा काम ही लोग लिख पाते है बंधु।बस एक बात मुक्त यौनाचार मत दिखाना इस कहानी में,व्यभिचार इतना खुले आम होने लगे तो कहानी का उत्तेजक पहलू हल्का हो जाता है मेरे विचार से।
बिल्कुल सही कहा
वासना की खूबसूरती उसके छिपे हुए अंदाज मे ही है
खुले पन मे उसको फूहड़ता की संज्ञा दे दी जाती है
पर्दे मे होता व्याभिचार भी वन्दनीय हो जाता है और खुले मे किये गया दान भी निंदनीय हो जाता है ।

खैर ये एक तरह का समाजिक संस्कार है मगर जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा भी ।
आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव के लिए धन्यवाद मित्र
 
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UPDATE 002

मनपसंद हलवा

"अम्मी ...अम्मी आओ ना "
मैं उनको आवाज देते हुए रसोई घर से हाल में आ गया , सामने देखा तो अम्मी सोफे पर सर टिका पर लेटी हुई थी और उनका सूट कूल्हे से हट गया था ।

IMG-20240928-082413
बड़े विशालकाय चूतड बिना पैंटी के सलवार में साफ साफ झलक रहे थे , मगर दिल अक्सर यही बेईमान हो जाता है , उधर मेरी दसवीं के प्रैक्टिकल के लिए गृह विज्ञान की रेसिपी जल रही थी और यहां अम्मी के भारी चूतड को बेपर्दा हुआ देख कर भीतर से मैं ।

अम्मी को देख कर लोअर में मेरे हलचल ही होने लगी , ऐसा पहली बार नही था जब मैंने अम्मी के मुबारक पहाड़ जैसे ऊंचे उभरे हुए कूल्हे और मुलायम गाड़ देखी थी, मगर हर बार महज झलक भर से वो हसीन नजारा मेरी आंखो से कही खो सा जाता था
मगर आज वो दिन कुछ और ही था , मै धीरे धीरे अम्मी की ओर बढ़ने लगा मेरी नजर एक टक उनकी गाड़ की लाइन में जमी थी जो सलवार पर उभरी हुई थी , देखने भर से ही मुझे भीतर से महसूस हो रहा था कि कितने मुलायम होंगे , मेरे लोअर में लंड हरकत करने लगा था
मैंने मौका देख कर उन्हे छू लेना चाहा , मेरे हाथ उन लजीज रसभरे फूले हुए गुलगुलो को छुने को मचल रहे थे

" शानू "
एक तेज करकस आवाज और मैं भीतर से कांप उठा , मेरा रोम रोम भीतर से थरथराने लगा । डर से चेहरा सफेद होने लगा और उस आवाज से अम्मी भी चौक कर उठ गई ।

वो अब्बू की आवाज थी और अम्मी हड़बड़ा कर जल्दी जल्दी अपना दुपट्टा सर पर करने लगी और उन्हें कही से जलने की बू आई और वो मेरी ओर देखी और गुस्से से लाल होकर - अब फिर से क्या जला रहा है कमीने तू

अम्मी गुस्से में भागती हुई रसोई घर में गई और मैं भी तेजी से उनके पीछे गया - सॉरी अम्मी , कबसे तो जगा रहा था आपको , अब ये हलवा भी जल गया । कल मेरा प्रैक्टिकल है ?

अम्मी ने एक नजर बाहर देखा और अब्बू को ना पाकर एक गहरी सास ली - उफ्फ, बेटा तूने इसमें हिस्सा लिया ही क्यों ?

मै - अम्मी वो मीनू मैडम ने सबको बोला है सिख कर आने को ,कहती है कि शादी के बाद काम आयेगी

अम्मी मेरे भोले से जवाब पर खिलखिलाई - अच्छा तो तु भी इसीलिए सीख रहा है कि शादी के बाद अपनी बीवी को हलवा खिलाएगा हिहिही

मै हल्का सा उनके करीब होकर उनसे लिपटने को हुआ - नही तो ? मै तो अपनी प्यारी अम्मी को खिलाऊंगा ।

अम्मी रसोई घर से बाहर देखती हुई मुझसे दूर हट गई - हा हा अब लिपट मत , बड़ा आया प्यारी अम्मी का दीवाना हिहिही

मुझे बड़ी जलन सी हुई कि एक तो अम्मी ने मुझे दूर किया और उसपे से मेरे प्यार का मजाक उड़ाया , गुस्सा भी आ रहा था तब मगर मैं अपनी अम्मी से नाराज कैसे हो सकता था । कितना मुश्किल होता है जिससे प्यार करो उसपे गुस्सा दिखाना । फिल्मों में कई बार ऐसा देखा था सोचता था कि ये सब नाटक होगा मगर वो सब हकीकत में मेरे साथ होता दिख रहा था ।

: लेलो बाबूजी अच्छे आम है
: कैसे दिए काका ?
: पक्के हापुस है बाबूजी , मुंह लगाओ तो भैंस की थन जैसे दूध की तरह रस से भर जाए

मै मुस्कुराया - अरे दिए कितने भाव से ?
: 250 रुपए दर्जन से बेंच रहा हु बाबूजी
मैंने रेडी वाले काका को उसके पैसे दिए और आम लेकर आस पास देखा तो हाईवे से मेरे टाउन की ओर जाने वाले रूट पर कुछ ऑटो रिक्शा लाइन में लगे थे ।
सुबह का समय था सबके नंबर थे और पहली वाले में मैं भी बैठ गया ।

" लो भैया तुम भी खाओ , चने अच्छे है " , उस ऑटो वाले ड्राइवर ने मेरी ओर हाथ बढ़ाया ।
मै - जी अभी ब्रश नही किया मैंने
ड्राइवर : खुशबू अच्छी है , कितने भाव के दिए
मैंने एक नजर उस चाइना पन्नी में रखे हुए दो दरजन आमों की ओर देखा और मुस्कुरा कर - 250 के 12
ड्राइवर : बाप रे इतनी मंहगाई , हम जैसो को तो अब छुने को नहीं मिलती । रोशनी की मां तो चार रोज से कह रही है कि सीजन है आम लेते आओ बच्चे ज़िद दिखाते है । मगर पैसे दाल रोटी से बचे तो न शौक पूरे हो ।

उस ड्राइवर की लार छोड़ती जीभ ही ये सब उससे बुलवा रही थी ये तो पक्का था और मुझे हसी तब आई जब इसमें भी अम्मी की कही बात याद आ गई,ऐसे जब कोई चर्चा करे तो उसे अपने हिस्से से कुछ देदो नही तो नजर लग जाती है चीजों में ।

और नजर लगने का मेरा अनुभव बहुत बुरा रहा है , चार चार रोज तक पेट छुटता रहता था बचपन में । फिर अम्मी किसी सोखा ओझा से झाड़ फूंक करवाती तब तबियत ठीक होती मेरी ।
मै झट से 4 आम निकाल कर उसको देने लगा , वो मना करने लगा - अरे रोशनी बिटिया के लिए लेते जाओ , उसके चाचा की ओर से । बच्ची खुश रहेगी

वो ड्राइवर के चेहरे पर खुशी की लाली देख कर मैं खुश हो गया ,उसने एक पुराने से झोले में वो आम पहले अपने गमछे में लपेटे फिर रखे ।
फिर तो मानो उसमे कोई तेजी आ गई ,ये चिल्ला चिल्ला कर सवारियां बटोरने लगा और फिर मुझे अपने बगल में ही बिठा लिया

: कहा से हो बाबू तुम
: जी काजीपुर से ही हूं
: खास काजीपुर में ? कौन सा टोला ?
: खोवामंडी
: अच्छा वो बिलाल भाई जो टेलर है उनके आस पास क्या ?
: जी जी , बस वही गली में घर है मेरा
: क्या नाम है अब्बा का तुम्हारे बाबू
: जी अकरम अली
: अरे तो तुम वो बड़े बाबू के बेटे हो , वाह मिया क्या बात है , तुम्हारी भी नौकरी है ना कही ?
मै उसकी खुशी देख कर खुद भी खुश होने लगा और वो तेजी से ऑटो चलाता हुआ मुझसे बात करता रहा ।
: जी इंदौर में है
: अच्छा अच्छा , क्या करते हो वहा
: वो **** विभाग में सीनियर टेक्नीशियन हू
: सरकारी है ?
: जी

फिर वो आखिर तक मेरा स्टाफ नही आ गया कभी अपनी गरीबी की मार तो कभी मेरे अब्बू की बड़ी बड़ी बातें करता रहा और फिर मैं उतर गया ।

: क्या इंजीनियर साहब , शर्मिंदा करेंगे अरे बड़े बाबू सुनेगे तो क्या कहेंगे ।
: अरे बोहनी का समय है रख लीजिए
फिर मैंने जबरन उसे पैसे दिए और अलविदा कहा और निकल पड़ा अपने चौराहे से घर की ओर


सुबह का वक्त अब खड़ा होकर दुपहर की धूप छूने हो रहा था , सड़क के किनारे से होकर मकानों की छाया में चलने लगा था मैं ।
चौराहे से घर अभी दूर था और खोवामंडी के बंदर पूरे लखनऊ में आतंक मचाते हैं इसीलिए उधर जाने से पहले एक किराना स्टोर से झोला लेने चला गया ।


:हरी वाली इलाइची लेना बड़ी बड़ी हो एकदम अंगूर के दाने जैसी , ऐसी मरियल मत लेना और लिख ...
: बादाम पिस्ता 100 100 ग्राम , उस सेठानी से कहना कि नए पैकेट खोल के देगी , नही तो इस बार अच्छे से हिसाब करूंगी इसका ।

: अम्मी आपकी सहेली है तो आप चले जाओ ना , वो आंटी मुझे बहुत परेशान करती है
: प्रैक्टिकल किसका है
: मेरा ( उतरे से चेहरे से )
: हा तो जाना हो जा नही तो रहने दे और तेरी मामी लगेगी वो थोड़ा मजाक सहना सीख


मै - नमस्ते मामी
सेठानी - अरे शानू बेटा, आजा आजा चाय बन ही गई , कैसा है ?
मै - जी ठीक हु मामी , नहीं अभी ब्रश नही किया । मुझे एक झोला चाहिए था
सेठानी - हा हा अपनी मामी के लिए तेरे पास 100 बहाने है अभी कोई छोरी भैया बोल कर भी बुलाए तो उसके पीछे भौरा बनके नाचता जाएगा

मै मुस्कुराने लगा सेठानी का मजाक कुछ ऐसा ही था रिश्ते में मामी लगती थी क्योंकि मेरे मामू का ससुराल इनके मायके के गांव में ही था ।

: कही कोई पटा तो नही रखी उधर ,मुझे बता दे तेरी अम्मी को नहीं बताती मै
: क्या मामी लाओ झोला , ये सब नहीं करता मै ( मुझे कोई छेड़े मुझे भाता नहीं था )
: हम्मम फिर ठीक है और खबरदार मेरे अलावा किसी पर डोरे डाले तो
: क्या कर लोगी ( मै हसा)
: ऐसे कान पकड़ कर घर खींच लाऊंगी तुझे बदमाश कही का , चल अब चाय लाई हू पी कर ही जा

हार कर मुझे चाय पीनी ही पड़ी और चुस्कियां लेते हुए - मामी एक बात पूछूं
सेठानी - हा बोल
मै - पूरे खोवामंडी एक मैं ही मिला था परेशान करने को , इतने हैंडसम है आपके शौहर फिर भी मुझ अबला पर डोरे डालती हो
सेठानी - शुक्र कर अभी तक तेरा तबला नही बजाया , मुझे तो तू बड़ा नमकीन लगता है ना इसलिए
मै अजीब सा मुंह बना कर - नमकीन
सेठानी मेरे गाल खींच कर - हा हर तरह के मसाले है तुझमें हिहिही
मै उठता हुआ अपने गाल झाड़ने लगा मानो उसके उंगलियों के निशान मिटा रहा हो कही अम्मी ना देख ले - धत्त मामी तुम भी ना , अब मैं जा रहा हु

मै उठ कर जाने लगा - पोंछ ले पोंछ ले एक दिन खूब गाढ़ी लाल लिपस्टिक लगा कर पप्पी लूंगी , जुम्मे रात तक नहीं छूटेगी

मै डर गया कि इसका कोई भरोसा नहीं वो अम्मी के आगे भी मुझे छेड़ने से बाज नहीं आती है और मैं सरपट अपना सामान लेकर निकल गया

मुहल्ले में घुसते ही लोगो की सलाम बंदगी चालू हो गई , रुक रुक कर सबसे सफर का हाल चाल साझा करना पड़ा
घर वापसी मुझे ये एक और झंझट मेरा पीछा नहीं छोड़ती, सब के सब अब्बू की वजह से और जबसे नौकरी की पढ़ाई के लिए बाहर गया तबसे मेरा हाल चाल कुछ ज्यादा ही लेते है
हर बार मेरी छुट्टियों के पल से घंटे दो घंटे भर का समय ये सब खा जाते है और लिहाज बस मैं कुछ कहता नही बस भीतर ही भीतर जलता हूं कि इन कमबख्तो की वजह से मुझे मेरी अम्मी के पास पहुंचने में जो देरी लग रही है उसकी तड़प ये क्या जाने ।

जबरन विदा लेकर घर की ओर गुजरने लगा , खोवामण्डी अब कहने को खोवामंडी रह गई है । पुराने हलवाई अब सब यहां से अमीर होकर शहर चले गए , उनकी दुकानों में अब दूसरे चाय नाश्ता की टीन शेड लग गई है और इसी वजह से यह बंदर बहुत बढ़ गए है ।

अक्सर घर आते हुए मेरी नजर बिलाल के बंद पड़े पुराने मकान की दूसरी मंजिल की बाहर दीवार पर निकले हुए सलियों पर जाती है , जहा एक बार एक हरामी बंदर अम्मी की नई सलवार ले कर भागा था और बिलाल के छत की चारदीवारी पर से गिरा दिया मगर वो उन बाहर निकले हुए सलियों में अटके गया ।
और पूरे मुहल्ले को पता चल गया था कि अम्मी के कूल्हे कितने चौड़े है ।
पूरे बरसात अम्मी का वो सलवार वहा झंडे के जैसे लहराता रहा और बारिश धूप में सड़ गल कर खत्म हो गया ।

आज भी मेरी नजर वहा गई और भीतर से एक दबी हुई खुन्नस उस बंदर के लिए हल्की सी बजबजा कर शांत हो गई
मै घर का चैनल सरका कर बरामदे में दाखिल हुआ और अब्बू के पैर छुए

: खुश रहो और जाकर नहा लो पहले
: जी अब्बू

फिर मैं अपना समान लेकर दरवाजे से घुसा और गैलरी से हाल में गया , अम्मी कही नही दिखी ।
किचन में झोला रख कर मैं बैग लेकर ऊपर अपने कमरे में जाने लगा और मुझे ऊपर अम्मी की पायलों की खनक मिली
मै खुश हुआ और कमरे के दरवाजे पर बैग रख कर - अम्मीई

अम्मी खुश होकर मेरी ओर देखी और अपना दुपट्टा सही करने लगी - अरे आ गया बेटा

मै आगे बढ़ा और झुक कर अम्मी को कमर से पकड़ कर उनको पूरा उठा लिया - अम्मी मेरी अम्मी मैं आ गया हिहिहि

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: अरे ये क्या कर रहा है शानू छोड़ मुझे , तेरे अब्बू ने देख लिया तो शामत हो जाएगी
अब्बू का नाम आते ही मेरा मुंह उतर गया और उखड़ कर मेरे मुंह से निकल ही गया - इतना भी क्या डरना अब्बू से

अम्मी आंखे दिखा कर - शानू चुप कर तू , क्या बोले जा रहा है
मेरा मूड खराब हो गया , भीतर से एक चिढ़ सी हो रही थी हर बार जब कभी अम्मी के करीब होने का सोचता या अब्बू आ जाते या फिर उनका नाम और अब तो धीरे धीरे अब्बू के नाम से भी मुझे चिढ़ होने लगती है ।

अम्मी मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर मुस्कुराई और बोली - वैसे मैंने तेरे लिए आज आम और सूजी वाला हलवा बनाया है ।

मै खुशी से चहक उठा और थोड़ा जलन भी हुआ कि इन्हे सब पता होता है मुझे कब कैसे मनाना है । कभी तो मुझे फिल्मों वाला ड्रामा करने देती ये औरत ।

मै - सच अम्मी और अब्बू आम लाए थे?
अम्मी मुस्कुरा कर थोड़ा हक जता कर - लायेंगे क्यू नही, उनमे इतनी हिम्मत जो तेरी अम्मी का कहा टाल दे हिहीही

मै हसने लगा तो वो मेरे बाल में हाथ घुमा कर जा जल्दी से नहा ले और कपड़े निकाल कर वाशिंग मशीन में डाल देना

अम्मी बाहर जाने लगी तो मैंने उन्हें रोका - अम्मी रुको न
अम्मी मुस्कुरा कर - हा बोल ना
मैंने झट से बैग से वो चमकीली पन्नी वाला गिफ्ट निकाल और उनको देता हुआ - ये आपकी शादी की सालगिरह का तोहफा अम्मी ,

अम्मी उस चमकती लाल पन्नी वाली गिफ्ट के पैकेट को देख कर खुश हो गई - वाओ कितना प्यारा पैकिंग हुआ है और ये क्या लिखा है


मेरी प्यारी अम्मी को शादी की सालगिराह मुबारक हो , आपका शानू और ये क्या है ?

अम्मी ने उंगली रख कर एक emoji पर मेरी ओर देखा और वहा मैंने एक चुम्मी वाली emoji अपने पेन से बनाई थी जिसे देख कर मेरी हसी निकल गई ।

अम्मी मुझे देख कर मुस्कुराई - बदमाश कही का ,चल मै जाती हु तू जल्दी से आजा नहा कर

मै - अम्मी खोल कर देखो ना क्या
अम्मी - नही नही बाद में जल्दी से नहा कर आजा अभी तेरे अब्बू ने नाश्ता नहीं किया है लेट हुआ तो डांट मिलेगी

फिर अम्मी वो गिफ्ट अपने हाथ ऐसे झुलाते लेकर कर गई मानो मेरा दिया हुआ दिल लटका रखा हो और मेरे मजे ले रही हो , मुझे सता रही हो कि ऐसे ही लटका कर रखूंगी तुझे बच्चू ।

मुझे फिर गुस्सा आया मगर उनकी हिलकोरे खाती बलखाती गाड़ ने मेरे दिल को चैन दिया और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई ।
ना जाने क्यों अम्मी पर गुस्सा मैं कर ही नहीं पाता ।


खैर मैं नहा कर नीचे गया , चाय नाश्ता होने लगा । अब्बू से मेरी कोई खास बात चीत होती नही थी मगर न जाने क्यू वो आज वो खुद से पहल कर बातें कर रहे थे ।

: वहा रहने वहने की कोई दिक्कत नही है ना
: जी नहीं अब्बू , नया फ्लैट है rent भी सस्ता है उसका
: आस पास का क्या माहौल है
: सब ठीक ही है ,क्यों ?
: अरे घर परिवार लेकर रहने लायक है या नही ये पूछ रहा हूं
: हा , और भी लोग है वहा फैमली लेकर ( मैने अम्मी की ओर देखकर इशारे से पूछा क्या बात है तो वो ना में सर हिला दी जैसे उन्हें भी नही पता हो )
: ठीक है , आज शाम को अनवर भाई साहब आ रहे है थोड़ा कायदे से पेश आना
: जी अब्बू

मै बड़ी उलझन में था कि अब्बू ने मुझसे ऐसे बात क्यू की और फिर अनवर चचा को मुझसे क्या काम हो सकता है ।
अम्मी के पास भी इनसब का कोई जवाब नही था और अब्बू नाश्ता कर बाजार के लिए निकल गए ।

शाम हुई और तकरीबन 5 बजे तक अनवर चचा अपनी इनोवा से पूरे परिवार के साथ घर आए ।
चचा-चची के साथ उनकी बहु और उसने दो छोटे बच्चे थे जो बरामरे गलियारे हाल में शोर मचा कर खेल कूद करने लगे और अम्मी के साथ सबके लिए नाश्ते लगाते समय मेरी नजर हाल में अनवर चचा की बहु के साथ बैथी हुई रेहाना पर गई

: ओह नो , नो नो अम्मी मैं तो भाग रहा हु इंदौर अभी के अभी
: क्या हुआ शानू
: अम्मी रेहाना आई
: क्या ( अम्मी चौक कर रसोई से हाल में देखी )
हम दोनो उसके आने का मतलब साफसाफ समझ गए थे और मुझे समझ आ गया कि क्यू सुबह नाश्ते पर अब्बू ने मुझसे मेरे रहने वाली जगह का जायजा लिया

मै अम्मी को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर घुमाया और उसकी आंखो में अपनी डबडबाती आंखो से पूरे विश्वास से देखता हुआ : अम्मी .... मै ये शादी नही करूंगा .

अम्मी एकदम से हड़बड़ा गई मेरी आंखो में आंसुओ के साथ साथ एक बगावत दिख रही थी जो मेरे ही अब्बू के खिलाफ थी , उन्हे डर था कही मेहमानों के आगे मै कुछ हंगामा ना कर दू ।
अम्मी मेरे चेहरे को थाम कर अपनी ओर किया - बेटा देख तू चुप हो जा और खुदा के लिए तू कुछ अनर्थ मत करना वरना तेरे अब्बू खाम्खा नाराज हो जाएंगे

मेरी आंखे सुर्ख लाल होने लगी मुझे अपनी अम्मी मुझसे दूर होती दिखने लगी वो सोच ने मेरी आंखे छलका दी

और होठ बुदबुदाहट के साथ फफकने वाले थे की अम्मी ने उंगली रख दी - नही बेटा रोना मत , तुझे मेरी कसम है अगर तू रोया तो
वो अपने दुपट्टे से मेरा चेहरा पोछने लगी उनकी आंखे पूरी नम हो गई थी ।
मै तो भीतर से टूट ही गया मानो , अम्मी ने तो मुझे मेरे हिस्से का दुख भी मनाने की इजाजत नही दी और अगले ही पल अम्मी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया मैं हार कर फफक पड़ा - अम्मी मुझे ये शादी नही करनी , नही करनी

अम्मी ने मेरा सर अपने सीने से लगा कर कस लिया मुझे सालों बाद उनके गुदाज नरम फूले हुए चूचे मेरे गालों को छू रहे थे और अम्मी ने जब मुझे कसा तो वो ऐसे दब रहे थे जैसे पाव की बन हो , उसपे से उनकी सूट से आती वो मादक गंध मेरे नथुनों में बसने लगी थी । कई बार मैं इनकी खुशबू ले चुका था - तू फिकर ना बेटा , तेरी अम्मी है ना अभी । चुप हो जा मेरे बच्चे चुप हो जा


" शानू की अम्मी , अरे आओ भई मेहमान आ गए है "
अम्मी झट से मुझसे अलग हुई और अपना चेहरा पोंछ कर ट्रे लेकर बाहर चली गई मैं भी उनके साथ अपना हुलिया सही कर दूसरी ट्रे लेकर बाहर आया

जारी रहेगी
Super Update ❤️❤️❤️ Bhai
 
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UPDATE 003

सैटरडे

: अम्मी यार कब तक ऐसे चलेगा , मुझे कितना मन होता है आपसे बात करने का
: हा हा सब पता है कितना मन होता है तेरा , लेकिन तू ऐसा कुछ भी नही भेजेगा फालतू खर्च करने की जरूरत नहीं है और मैं फोन करती हूं ना रोज
: कहा रोज करती हो , सैटरडे संडे जब मेरी छुट्टी होती है आप भी छुट्टी मार लेती हो ( मैंने घुडक कर जवाब दिया )
अम्मी चुप थी और वो भी जानती थी फोन न करने का असल कारण जानता हूं।
: अच्छा वीडियो काल करू
: वो जुबैदा के बेटे ने आज गेम खेल कर नेट खतम कर दिया है ( अम्मी उदास आवाज में बोली )


घर से आए मुझे आज दो रोज हो गए थे , मै पहले ही हफ्ते भर की छुट्टी की ले चुका था , अब तक घर से कोई फोन या किसी ने मेरी खोज खबर भी नहीं ली थी ।

अम्मी जो किसी ने किसी तरह से आस पास मुहल्ले में किसी का फोन लेकर मुझसे लगभग रोज ही बात कर लिया करती थी वो भी मेरा हाल चाल नही ली थी और उसपे से आज सैटरडे था

आज अब्बू घर आ जाते है और फिर सोमवार को ही जाते है
मुझे खुद से ही चिढ़ होने लगी थी कि क्यू मै मेरी भावनाओं को संभाल नहीं पाता , क्यू मै इतना जल्दी जजबाती हो जाता हूं। काश उस रात में मैं अब्बू से नही उलझता तो अम्मी से बात तो कर पाता ।
मैंने मोबाइल निकाल कर स्क्रीन के apps स्क्रोल करने लगा , कुछ भी समझ नही आ रहा था कैसे समय काटू ।


: यस्स यसस् हिही कट गई न ( मै खिलखिलाया )
: हा हा चल चल , आगे आ फिर बताती हु , ये ले खुल गई मेरी ( अम्मी ने ताली मारी )
दो चार बार पासे फेंके गए और एक बार फिर अम्मी के घेरे में उनकी गोटी मेरे आगे थी ।
: हिहिही अब कैसे बचोगी

" शानू सुन तो " अब्बू ने आवाज दी

: अम्मी मैं आ रहा हु और खबरदार मेरी गोटिया फेरी तो , सब याद मुझे इस बार आपको हरा के रहूंगा हिहिही

इधर अब्बू ने मुझे 500 का नोट पकड़ा दिया - बब्बन शेरा दुकान देख रहा है
: जी अब्बू वो तो पुलिस चौकी के आगे , वहां ( मैने शब्दो में ही घर से बब्बन शेरा की दुकान तक की दूरी नाप दी )
: हा वही , आज शनिवार है तो उसने बढ़िया शीरे वाली गुजिया तैयार की होगी , आधा किलो लेकर आ और धीरे धीरे जाना , कही लेकर गिर मत जाना

: बस गुजिया ही ( मैने आंखे नचा कर उन्हे देखा )
: अच्छा समोसा भी ले लेना अपने और अम्मी के लिए

मै खुश हुआ और बरामदे में तख्त के नीचे रखी चप्पल पहन कर एक झोला हाथो में फोल्ड करता हुआ मस्ती से गुनगुनाता हुआ बाहर निकल गया ।
ऐसा कम ही बार होता था कि अब्बू मुझे मनचाही चीजे खाने पीने के लिए छूट देते थे , शायद महीने में एक दो बार ही जब वो ड्यूटी से घर आते थे ।

मै मस्ती में जेब में रखी नोट को बीड़ी की तरह रोल करता हुआ आगे बढ़ रहा था कि मुझे ख्याल आया ,और में सड़क पर एकदम से ठहर गया । आखिरी बार जब अम्मी ने एक नोट दिया था तो फटा निकला था और सब्जी मंडी में मेरी हालत खराब हो गई थी उसे भजाते भजाते

मै झोले को कांख में दबाया और जेब से वो बीड़ी बनी नोट को फैलाया तो शक सही निकला , 500 की नोट हल्की सी फटी हुई थी ।

: अभी जाकर दूसरी ले लेता हु नही तो लेट हुआ तो अब्बू खुद की गलती के लिए भी मुझे ही दांत लगा देंगे ( मै खुद से बातें करता हुआ वापस घर की ओर घूम गया ।

मैं घर वापिस आया और चैनल सरका कर बरामदे से हाल में आया तो सब और एक चुप सन्नाटा पसरा था और अब्बू के कमरे का दरवाजा बंद था
मै उनको आवाज देने को हुआ कि अम्मी की आवाज आई


: उम्मम्म शानू के अब्बू क्या करते है हटिए धत्त अहा नही और लूडो मत बिगाड़ियेगा शानू आएगा तो मुझे कहेगा कि चीटिंग की है मैने
: आहा मेरी बेगम कहा उन छोटी गोटियों में उलझी हैं जरा मेरी गोटियों पर भी ध्यान दीजिए
: आह धत्त गंदे मै नही छूती जाओ अअह्ह्ह् देखो तो बाबू साहब की जबरजस्ती उम्मम्म
: अह्ह्ह्ह्ह शानू की अम्मी तुम्हारी गुदाज हथेलियां मेरा मूड बना देती है
: सिर्फ हथेलियां ही ? हिहिहिही
: अअह्ह्ह्हह रुकिए ना कितनी तेजी रहती है आपको उह्ह्ह्ह शानू के अब्बू अह्ह्ह्ह्ह अम्मी नोचिए मत उम्मम्म

अंदर अम्मी की सिसकियां उठने लगी और बाहर मेरे चढ़ढे में मेरा लंड सर उठाने लगा । अब समझ आया कि महीने में एक दो बार क्यू अब्बू मुझे किसी न किसी बहाने बाजार में आधे घंटे के लिए पठा देते थे ।
जबरजस्त सुरसुरी सी दौड़ रही थी बदन में मेरे उसपे से अम्मी की कामुक सिसकियां और उनके बीच की बातें सुनकर मेरा लंड और भी फौलादी होने लगा

: अह्ह्ह्ह्ह आइए ना कहा रुक गए
: बस हो ही गया बेगम अह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त शॉट मिला है इस बार
: धत्त गंदे , क्यू निकालते है ये सब किसी ने देख लिया तो ?
: मेरी जान इसे मैं खास तौर पर छिपा कर रखता हु अगर पासवर्ड भूल गया तो मैं भी नही निकाल सकता
: अच्छा जी ऐसा क्या पासवर्ड बना दिया जो आप भूल नही पाते अअह्ह्ह्ह मेरे राजा आराम से उम्मम्म पूरा गर्म है उह्ह्ह्ह
:
फरीदा , वो भी अंग्रेजी में ..सब कैपिटल


मैंने अम्मी का नाम सुनकर चौका और एक मुस्कुराहट सी फेल गई मेरे चेहरे पर और वही कमरे में चुदाई की मादक सिसकियां उठने लगी ।
मैंने मुस्कुरा कर खुद से बात करते हुए बोला - अब तो ये नोट मुझे चला कर ही आना पड़ेगा हिहीही


: नही साहब नही चलेगी , दूसरी देदो
: अरे यार हद है ( मैने पर्स से दूसरी नोट निकाल कर सब्जी वाले को दी )

फिर रूम पर आकर किचन में लाइफ की दूसरी सबसे चीज में भीड है , अम्मी की बताई रेसिपी से आज मिक्सवेज खाने का मन हो रहा था ।
फटाफट सारी सब्जियां काट ली मसाले भुने और फ्राई कर कुकुर चढ़ा दिया ।
तभी मेरे फोन पर घंटी बजी मैं खुश हुआ ये सोच कर कि शायद अम्मी ने किया होगा मगर वो ऑफिस का कलीग निकाला

: हा बोल भाई ( मै उखड़े हुए स्वर में )
: ओहो मिया क्या हाल है घर के
: रूम पर हूं भाई , काम बता ?
: अरे इतना जल्दी , फ्री हो तो आज सैटरडे नाइट हो जाए
: नही यार मूड नहीं है फिर कभी , तू बता किस लिए फोन किया
: अरे यार तेरे लॉकर का पासवर्ड क्या है ? वो जो लास्ट वीक होटल *** में कंप्लेन पूरा किया था उसकी रिसीविंग माग रहे है बड़े साहब
: अच्छा , लॉकर तक पहुंच फिर बताता हु
: वही खड़ा हु भाई
: वो capital में सब रहेगा

F A R E E D A

मेरी सांसे तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी , अब्बू गुसलखाने में थे और तेजी से फोल्डर खोलकर एक फाइल ओपन की


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सामने अम्मी अपनी सूट को कूल्हे तक उठा कर खड़ी थी और नीचे उनकी सलवार उतर चुकी थी और बड़े विशालकाय भारी भरकम खूबसूरत जोड़े में उनके मोटे मोटे चूतड आपस में चिपके हुए थे , अधिक चर्बी होने से दरारें इतनी सकरी दिख रही थी मानो दोनो पंजों से फाड़ कर ही उनकी सुराख देख सकते थे ।

मेरा लंड एकदम से बौरा गया और मेरे हाथ उसको मिजने लगे थे कि बगल से एक दूसरे हाथ ने मुझसे मोबाइल छीन कर चटाक से एक जोर का तमाचा मेरे गाल पर जड़ दिया

जिसकी गूंज से कुछ देर के लिए मेरे कानो में सुन्न सा हो गया , अम्मी भाग कर आई - क्या हुआ शानू के अब्बू , आवाज कैसी

मै अपने गाल पर हाथ रखे हुए उस लाल निशान को छिपाए हुए खड़ा था जो अभी अभी अब्बू ने मुझे चिपकाया था । निशान को तो फिर भी छिपा लेता मगर आंखो में आई लाली कैसे छिपा पाता

अम्मी को देखू तो ना जाने क्यू बस रोना आ ही जाता था , इशारे में अब्बू के पीछे से ही अम्मी ने ना में सर हिलाया और मैं आसू छलकने से पहले ही ऊपर अपने कमरे में चला गया ।

अम्मी के पूछने पर भी अब्बू ने उन्हें कुछ नही बताया ।
अम्मी वापस चली गई
उधर किचन में सीटियां लग रही थी

: ओह गॉड क्या मस्त खुशबू है ( मैने कुकर का ढक्कन खोल कर खिले खिल मिक्स वेज की खुशबू ली । अभी से भूख तेज होने लगी थी

फटाफट से मैने रोटियां बनाई और चावल चढ़ा कर नहाने चला गया ।

पूरा कमरा मिक्स वेज की भीनी मस्त खुशबू से महक उठा था ।
: ले खा ले ( अम्मी ने थाली मेरे बिस्तर पर रखते हुए बोली )
मै उखड़े हुए मन से कटोरी में अम्मी के बनाए मिक्स वेज देखे तो जीभ से लार टपकने लगी , मगर अब्बू की मार का असर अभी तक था । खुद की गलती होने पर भी भीतर एक मनमुटाव सा था , हालाकि वो मेरी पहली गलती थी ।

: क्यू छूता है उनका मोबाइल , जब पता है उन्हे पसंद नही
मुझे पता चल गया कि अम्मी को कुछ भी पता नही है और फिर वो मुझे निवाला बना कर खिलाने लगी , उनकी ममता से अक्सर मैं दिल पसीज जाता था ।
मेरे रुआस चेहरे पर हाथ फेरकर मुस्कुराती हुई - अगर इस साल 12वीं में तू अच्छे नंबर से पास हो गया तो मैं खुद तुझे नया मोबाइल दिलवाऊंगी

मुझे अम्मी की बातो में कही छल नजर नहीं आता था क्योंकि वो मन से साफ थी मगर डर था अब्बू का

: मगर अब्बू मानेंगे ?
: तेरे अब्बू को कैसे मनाना है तेरी अम्मी जानती है , अब खाना खा ले

खाना खा कर मैं लेट गया
शाम हुई तो सिराज को फोन घुमाया वही ऑफिस का कलीग जिसका सुबह फोन आया था

: कहा है भाई
: बस घर के निकल रहा हु दोस्त ( फोन के दूसरी तरफ से आवाज आई)
: कही चलें क्या ( उबासी और हल्की माइग्रेशन में अपनी ललाट मसलता हुआ )
: नही भाई , सुबह तूने मना किया तो मैंने भी आज घर पर बोल दिया तो ...
: अच्छा ...
: तू भी आजा ना , अम्मी भी याद रही थी

मैंने सोचा वैसे भी घर से फोन या हाल चाल लेने वाला कोई है नहीं और यहा अकेले रुका तो तबियत अलग खराब कर लूंगा इसीलिए मैं सिराज को हा बोल दिया : ठीक है भाई बाइक लेके आजा रूम पे

वो भी खुश हो गया
ऑफिस में सिराज एक प्राइवेट स्टाफ था , मेरी तो सरकारी नौकरी थी मगर वो भी उसी पोस्ट एक निजी कंपनी के टेंडर के जरिए अपनी नौकरी लगवाई थी । घर परिवार और आय से उतना संपन्न नही होने के बावजूद भी एक गजब की दिलदारी उसमे थी । बस उसका यही किरदार मुझे भाता था और मेरी उससे खूब जमती थी ।
उसकी अम्मी भी मुझे अपने बेटे से बढ़कर ही प्यार देती थी ।
खैर सिराज बाइक लेकर नीचे आया और मैं भी उसके साथ निकल गया ।


: अरे ऐसे जाएगा क्या खुशखबरी देने
: तो फिर , अब क्या दूल्हा बनके जाऊ
: ये ले , उस मिठाई की दुकान से पेड़े ले लेना ( अम्मी ने मेरे जेब में पैसे रखते हुए कहा )
: और ऐसे किसी के यहां खाली हाथ नहीं जाते


: अरे रोक रोक रोक
: क्या हुआ भाई
: कुछ नही रुक जा आता हू अभी ( मै एक स्वीट हाउस में चला गया और वापस आकर उसके बाइक पर बैठ गया )
: साले तुझे अम्मी की पसंद की मिठाई हमेशा याद रहती है हां
: सिर्फ तेरी ही अम्मी है क्या वो , चल अब

फिर मैं उसके साथ घर निकल गया और वहा मेरी पहले के जैसे ही खातिरदारी हुई
सिराज और उसकी अम्मी मैं सब हाल में बैठे थे कि अभी एक लड़की पानी लेके आई और उसे देखते ही मेरी हालत खस्ता होने लगी
मैंने गुस्से से घूर कर सिराज को देखा और इशारे से पूछा ये यहां कब आई
वो बस बत्तीसी दिखाए जा रहा था ।
दरअसल वो लड़की सिराज के बड़े भाई की साली थी और उसके कजरारी आंखो के शरारत भरे इशारे मुझे बेचैन कर जाते थे । बैठना तक मुस्किल जान पड़ता था और मेरी इस तकलीफ से सिराज की अम्मी की वाकिफ थी ।

: आज सुबह ही सिराज के अब्बू लिवा लाए है , कल इसको एग्जाम देने जाना है ( सिराज की अम्मी ने मुझे तसल्ली दिलाई )
: और भाई शानू क्या हाल चाल , शादी वादी के बारे क्या ख्याल है ( सिराज के अब्बू ने कुरकुरे चिप्स मेरी ही प्लेट से उठाते हुए बोले )
मै कुछ बोलता उसके पहले सिराज की अम्मी ने उन्हे आंखे दिखाई और इशारे से कुछ बुदबुदाई ।

मै और सिराज बस हल्के से मुस्कुराये और मेरी नजर उस लड़की पर गई जो रसोई के दरवाजे पर खड़ी मुझे देखते हुए अपनी दुपट्टे का कोना चबा रही थी ।
मेरी तो हालत खराब होने लगी और मैं सिराज को उठाता हुआ
- चल चल ऊपर चलते है
और ऊपर खुली छत पर हम पहुंचे तो मैने उसका गला जकड़ लिया : साले हरामी , अभी भी दांत दिखा रहा । बहिनचोद बता नही सकता था कि ये डायन भी है घर पर

: अच्छा है ना , मस्त मौका है मसल डाल साली को , बहिनचोद मुझे लाइन देती तो अब तक फाड़ चुका होता
: हा तो जा न , कल उसको लेके एग्जाम के बहाने मेरे रूम में ठोक लियो
मेरी बात पर वो मुझे देख कर एक टक हसने लगा

: क्या ? ( मैंने उसकी कमीनेपन से भरी हंसी को हल्का हल्का समझने लगा था )
: नहीई ऐसा सोचना भी मत ( मैने सिरे से उसके इरादे को खारिज किया )
: क्या नही यार , वैसे भी तेरी छुट्टी है और मुझे बस घंटे भर का काम है **** साइट पर कुछ पैसे बन जायेंगे यार

साले ने मुझे इमोशनली फसा ही दिया उस पिसाचिनी अलीना के चक्कर में , ऐसी हवस तो हम मर्दों में भी नही टपकती जितनी उसकी भूरी पुतलियों आंखो में समाई हुई है । होठ भी हरकत करें तो मेरी सांसे गरमाने लगती है ।
ना जाने मेरी क्या हालत होने वाली थी ।

कुछ देर में मेरा खाना पीना हुआ और मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था ।
अम्मी यादें सता रही थी , कितनी बेचैनी थी मैं ही जान रहा था ।
सिराज तो खर्राटे भर रहा था मगर मुझे नींद कहा ।


: अब्बू मान तो जाएंगे न अम्मी , मैने 12वी पास भी कर ली है ।
: उनकी फिकर मत कर , सो जा तु ( अम्मी मेरे सर को दुलारते हुए बोली )
: आप कहा जा रही है
: तेरे अब्बू को मनाने ( अम्मी ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और बिस्तर से उठ गई )

अम्मी के बातों का मत्लब मै बखूबी जानता था और उनकी मुस्कुराहट में छिपी शरारत से मेरे तन बदन में सुरसुरि सी फैल गई । लंड जोश में फड़कने लगा और उनकी मटकती गाड़ देख कर मैं पागल सा हो गया ।
कुछ पल का इंतजार और मैं अम्मी के कमरे के पास पहुंच गया ।

मादक सिसकियों की भुनभुनाहट दरवाजे के पास साफ साफ सुनाई दे रही थी

: उम्मम्म ऐसा क्यू करते है , मान जाइए न
: अअह्ह्ह्हह इतने दिन तक तुझे दूरी और तेरे ये नायाब चूतड उम्मम्म
: और शानू की बेचैनी का क्या ? उसको बोल कर आई हूं मैं कि आपको मनाने जा रही हूं
: अह्ह्ह्ह मेरी जान बस थोड़ा देर उह्ह्ह्ह रगड़ने दो ना अपनी इन गर्म लबलबाते चूत की फाकों में उह्ह्ह्ह
: बस कुछ देर और मेरे सरताज मैं बस अभी आईआई
: अरे अरे जमीला रुको न , सिराज की अम्मी रुको तो !!
अगली सुबह मैं नहा धोकर सिराज के कमरे से निकल कर उसकी अम्मी के कमरे में पहुंचा तो अलीना तैयार बैठी थी


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चुस्त सलवार में उसके कूल्हे पूरे कसे हुए थे और छाती पर सूट की कसावट से उसके उम्दा कबूतरो के जोड़े आपस में चिपके हुए थे हल्की झलकती चुन्नी में उसके बगल से 32 साइज के गोल मटोल दूध की कटोरी देख देख कर मेरी भी लार टपक गई।

कनखियो से उसने मुझे देखा और अपने कर्ली लटो को कानो के के पीछे के लगी
मैंने सिराज की चाबी अपने उंगलियों में नचाते हुए उसको इशारे से : चलें
बड़ी सम्भ्यता से मुस्कुराते हुए वो हां में सर हिलाई

: आराम से जाना बेटा , भीड़ होगी रास्ते पर
: आप फिकर ना करें अम्मी , आराम करिए ( अलीना ने बिस्तर पर लेटी सिराज की अम्मी के बदन पर चादर डालते हुए बोली ) चलिए ।

मै भी सिराज की अम्मी को अलविदा कह कर निकल गया बाइक से ।

जारी रहेगी
Super Update Bhai ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️
 
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