शानू साहब अपने अम्मा जान ' फरीदा ' के प्रति इन्सेस्ट फीलिंग्स रखते हैं लेकिन यह फीलिंग्स अबतक एकतरफा ही दिख रहा है ।
बचपन की बातें या यह कहें जब तक वह फाइनेंशियल अपने मां-बाप पर निर्भर थे तब की बात कुछ और थी पर चूंकि अब वह सेल्फ एम्पलाई है , गवर्नमेंट जाॅब है तो उन्हे अपने फीलिंग्स फरीदा मैम से अवश्य शेयर करना चाहिए । वो यह सब इशारों मे भी कर सकते है ।
सिर्फ फैंटेसी मे जीने वाले व्यक्ति स्वयं तक सीमित होकर रह जाते हैं । जब तक कन्वर्सेशन ना हो , संवाद ना हो तब तक कोई खिचड़ी कैसे पक सकती है !
शानू साहब को थोड़ा-बहुत इन्सेस्ट से बाहर अड़ोस - पड़ोस की महिलाओं पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए । आखिर वह भी तो किसी न किसी प्रिंस चार्मिंग का इन्तजार कर रही होगी । उदाहरण के तौर पर आप फिलहाल अलिना मैडम को ही ले लीजिए । अलिना खुबसूरत है , जवान है , शिक्षित है और अच्छे खासे कद काठ की भी है ।
बहुत बढ़िया लिख रहे है आप । आप की लेखनी से हम ऑलरेडी भलीभाँति परिचित हैं । किरदारों का कैरेक्टर डेवलपमेंट , परिवेश क्रियेशन , डबल मिनिंग्स इरोटिक कन्वर्सेशन , काॅमेडी पर पकड़ , डायलॉग राइटिंग आप की लेखनी के तत्व रहे हैं ।
आउटस्टैंडिंग अपडेट भाई ।