- 7,277
- 20,254
- 174
Dekhta hu bhaiBhai, kabhi mere story pe bhi aa jaao..story almost end hone waala hai..bahut din ho gaye lekin wahan Darshan nahi diye
. Hope you'll find time and do visit my story. Look forward to your comments. Thanks.
DREAMBOY40
बहुत बहुत धन्यवाद आपका मित्रबहुत ही बेहतरीन अपडेट है!
बहुत बहुत शुक्रिया रेखा जीAwesome update
Purani yado aur vartman ka bhetrin sangam kiya hai aapne
Jaandaar shaandar update bhaiUPDATE 003
सैटरडे
: अम्मी यार कब तक ऐसे चलेगा , मुझे कितना मन होता है आपसे बात करने का
: हा हा सब पता है कितना मन होता है तेरा , लेकिन तू ऐसा कुछ भी नही भेजेगा फालतू खर्च करने की जरूरत नहीं है और मैं फोन करती हूं ना रोज
: कहा रोज करती हो , सैटरडे संडे जब मेरी छुट्टी होती है आप भी छुट्टी मार लेती हो ( मैंने घुडक कर जवाब दिया )
अम्मी चुप थी और वो भी जानती थी फोन न करने का असल कारण जानता हूं।
: अच्छा वीडियो काल करू
: वो जुबैदा के बेटे ने आज गेम खेल कर नेट खतम कर दिया है ( अम्मी उदास आवाज में बोली )
घर से आए मुझे आज दो रोज हो गए थे , मै पहले ही हफ्ते भर की छुट्टी की ले चुका था , अब तक घर से कोई फोन या किसी ने मेरी खोज खबर भी नहीं ली थी ।
अम्मी जो किसी ने किसी तरह से आस पास मुहल्ले में किसी का फोन लेकर मुझसे लगभग रोज ही बात कर लिया करती थी वो भी मेरा हाल चाल नही ली थी और उसपे से आज सैटरडे था
आज अब्बू घर आ जाते है और फिर सोमवार को ही जाते है
मुझे खुद से ही चिढ़ होने लगी थी कि क्यू मै मेरी भावनाओं को संभाल नहीं पाता , क्यू मै इतना जल्दी जजबाती हो जाता हूं। काश उस रात में मैं अब्बू से नही उलझता तो अम्मी से बात तो कर पाता ।
मैंने मोबाइल निकाल कर स्क्रीन के apps स्क्रोल करने लगा , कुछ भी समझ नही आ रहा था कैसे समय काटू ।
: यस्स यसस् हिही कट गई न ( मै खिलखिलाया )
: हा हा चल चल , आगे आ फिर बताती हु , ये ले खुल गई मेरी ( अम्मी ने ताली मारी )
दो चार बार पासे फेंके गए और एक बार फिर अम्मी के घेरे में उनकी गोटी मेरे आगे थी ।
: हिहिही अब कैसे बचोगी
" शानू सुन तो " अब्बू ने आवाज दी
: अम्मी मैं आ रहा हु और खबरदार मेरी गोटिया फेरी तो , सब याद मुझे इस बार आपको हरा के रहूंगा हिहिही
इधर अब्बू ने मुझे 500 का नोट पकड़ा दिया - बब्बन शेरा दुकान देख रहा है
: जी अब्बू वो तो पुलिस चौकी के आगे , वहां ( मैने शब्दो में ही घर से बब्बन शेरा की दुकान तक की दूरी नाप दी )
: हा वही , आज शनिवार है तो उसने बढ़िया शीरे वाली गुजिया तैयार की होगी , आधा किलो लेकर आ और धीरे धीरे जाना , कही लेकर गिर मत जाना
: बस गुजिया ही ( मैने आंखे नचा कर उन्हे देखा )
: अच्छा समोसा भी ले लेना अपने और अम्मी के लिए
मै खुश हुआ और बरामदे में तख्त के नीचे रखी चप्पल पहन कर एक झोला हाथो में फोल्ड करता हुआ मस्ती से गुनगुनाता हुआ बाहर निकल गया ।
ऐसा कम ही बार होता था कि अब्बू मुझे मनचाही चीजे खाने पीने के लिए छूट देते थे , शायद महीने में एक दो बार ही जब वो ड्यूटी से घर आते थे ।
मै मस्ती में जेब में रखी नोट को बीड़ी की तरह रोल करता हुआ आगे बढ़ रहा था कि मुझे ख्याल आया ,और में सड़क पर एकदम से ठहर गया । आखिरी बार जब अम्मी ने एक नोट दिया था तो फटा निकला था और सब्जी मंडी में मेरी हालत खराब हो गई थी उसे भजाते भजाते
मै झोले को कांख में दबाया और जेब से वो बीड़ी बनी नोट को फैलाया तो शक सही निकला , 500 की नोट हल्की सी फटी हुई थी ।
: अभी जाकर दूसरी ले लेता हु नही तो लेट हुआ तो अब्बू खुद की गलती के लिए भी मुझे ही दांत लगा देंगे ( मै खुद से बातें करता हुआ वापस घर की ओर घूम गया ।
मैं घर वापिस आया और चैनल सरका कर बरामदे से हाल में आया तो सब और एक चुप सन्नाटा पसरा था और अब्बू के कमरे का दरवाजा बंद था
मै उनको आवाज देने को हुआ कि अम्मी की आवाज आई
: उम्मम्म शानू के अब्बू क्या करते है हटिए धत्त अहा नही और लूडो मत बिगाड़ियेगा शानू आएगा तो मुझे कहेगा कि चीटिंग की है मैने
: आहा मेरी बेगम कहा उन छोटी गोटियों में उलझी हैं जरा मेरी गोटियों पर भी ध्यान दीजिए
: आह धत्त गंदे मै नही छूती जाओ अअह्ह्ह् देखो तो बाबू साहब की जबरजस्ती उम्मम्म
: अह्ह्ह्ह्ह शानू की अम्मी तुम्हारी गुदाज हथेलियां मेरा मूड बना देती है
: सिर्फ हथेलियां ही ? हिहिहिही
: अअह्ह्ह्हह रुकिए ना कितनी तेजी रहती है आपको उह्ह्ह्ह शानू के अब्बू अह्ह्ह्ह्ह अम्मी नोचिए मत उम्मम्म
अंदर अम्मी की सिसकियां उठने लगी और बाहर मेरे चढ़ढे में मेरा लंड सर उठाने लगा । अब समझ आया कि महीने में एक दो बार क्यू अब्बू मुझे किसी न किसी बहाने बाजार में आधे घंटे के लिए पठा देते थे ।
जबरजस्त सुरसुरी सी दौड़ रही थी बदन में मेरे उसपे से अम्मी की कामुक सिसकियां और उनके बीच की बातें सुनकर मेरा लंड और भी फौलादी होने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह आइए ना कहा रुक गए
: बस हो ही गया बेगम अह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त शॉट मिला है इस बार
: धत्त गंदे , क्यू निकालते है ये सब किसी ने देख लिया तो ?
: मेरी जान इसे मैं खास तौर पर छिपा कर रखता हु अगर पासवर्ड भूल गया तो मैं भी नही निकाल सकता
: अच्छा जी ऐसा क्या पासवर्ड बना दिया जो आप भूल नही पाते अअह्ह्ह्ह मेरे राजा आराम से उम्मम्म पूरा गर्म है उह्ह्ह्ह
: फरीदा , वो भी अंग्रेजी में ..सब कैपिटल
मैंने अम्मी का नाम सुनकर चौका और एक मुस्कुराहट सी फेल गई मेरे चेहरे पर और वही कमरे में चुदाई की मादक सिसकियां उठने लगी ।
मैंने मुस्कुरा कर खुद से बात करते हुए बोला - अब तो ये नोट मुझे चला कर ही आना पड़ेगा हिहीही
: नही साहब नही चलेगी , दूसरी देदो
: अरे यार हद है ( मैने पर्स से दूसरी नोट निकाल कर सब्जी वाले को दी )
फिर रूम पर आकर किचन में लाइफ की दूसरी सबसे चीज में भीड है , अम्मी की बताई रेसिपी से आज मिक्सवेज खाने का मन हो रहा था ।
फटाफट सारी सब्जियां काट ली मसाले भुने और फ्राई कर कुकुर चढ़ा दिया ।
तभी मेरे फोन पर घंटी बजी मैं खुश हुआ ये सोच कर कि शायद अम्मी ने किया होगा मगर वो ऑफिस का कलीग निकाला
: हा बोल भाई ( मै उखड़े हुए स्वर में )
: ओहो मिया क्या हाल है घर के
: रूम पर हूं भाई , काम बता ?
: अरे इतना जल्दी , फ्री हो तो आज सैटरडे नाइट हो जाए
: नही यार मूड नहीं है फिर कभी , तू बता किस लिए फोन किया
: अरे यार तेरे लॉकर का पासवर्ड क्या है ? वो जो लास्ट वीक होटल *** में कंप्लेन पूरा किया था उसकी रिसीविंग माग रहे है बड़े साहब
: अच्छा , लॉकर तक पहुंच फिर बताता हु
: वही खड़ा हु भाई
: वो capital में सब रहेगा
F A R E E D A
मेरी सांसे तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी , अब्बू गुसलखाने में थे और तेजी से फोल्डर खोलकर एक फाइल ओपन की
सामने अम्मी अपनी सूट को कूल्हे तक उठा कर खड़ी थी और नीचे उनकी सलवार उतर चुकी थी और बड़े विशालकाय भारी भरकम खूबसूरत जोड़े में उनके मोटे मोटे चूतड आपस में चिपके हुए थे , अधिक चर्बी होने से दरारें इतनी सकरी दिख रही थी मानो दोनो पंजों से फाड़ कर ही उनकी सुराख देख सकते थे ।
मेरा लंड एकदम से बौरा गया और मेरे हाथ उसको मिजने लगे थे कि बगल से एक दूसरे हाथ ने मुझसे मोबाइल छीन कर चटाक से एक जोर का तमाचा मेरे गाल पर जड़ दिया
जिसकी गूंज से कुछ देर के लिए मेरे कानो में सुन्न सा हो गया , अम्मी भाग कर आई - क्या हुआ शानू के अब्बू , आवाज कैसी
मै अपने गाल पर हाथ रखे हुए उस लाल निशान को छिपाए हुए खड़ा था जो अभी अभी अब्बू ने मुझे चिपकाया था । निशान को तो फिर भी छिपा लेता मगर आंखो में आई लाली कैसे छिपा पाता
अम्मी को देखू तो ना जाने क्यू बस रोना आ ही जाता था , इशारे में अब्बू के पीछे से ही अम्मी ने ना में सर हिलाया और मैं आसू छलकने से पहले ही ऊपर अपने कमरे में चला गया ।
अम्मी के पूछने पर भी अब्बू ने उन्हें कुछ नही बताया ।
अम्मी वापस चली गई
उधर किचन में सीटियां लग रही थी
: ओह गॉड क्या मस्त खुशबू है ( मैने कुकर का ढक्कन खोल कर खिले खिल मिक्स वेज की खुशबू ली । अभी से भूख तेज होने लगी थी
फटाफट से मैने रोटियां बनाई और चावल चढ़ा कर नहाने चला गया ।
पूरा कमरा मिक्स वेज की भीनी मस्त खुशबू से महक उठा था ।
: ले खा ले ( अम्मी ने थाली मेरे बिस्तर पर रखते हुए बोली )
मै उखड़े हुए मन से कटोरी में अम्मी के बनाए मिक्स वेज देखे तो जीभ से लार टपकने लगी , मगर अब्बू की मार का असर अभी तक था । खुद की गलती होने पर भी भीतर एक मनमुटाव सा था , हालाकि वो मेरी पहली गलती थी ।
: क्यू छूता है उनका मोबाइल , जब पता है उन्हे पसंद नही
मुझे पता चल गया कि अम्मी को कुछ भी पता नही है और फिर वो मुझे निवाला बना कर खिलाने लगी , उनकी ममता से अक्सर मैं दिल पसीज जाता था ।
मेरे रुआस चेहरे पर हाथ फेरकर मुस्कुराती हुई - अगर इस साल 12वीं में तू अच्छे नंबर से पास हो गया तो मैं खुद तुझे नया मोबाइल दिलवाऊंगी
मुझे अम्मी की बातो में कही छल नजर नहीं आता था क्योंकि वो मन से साफ थी मगर डर था अब्बू का
: मगर अब्बू मानेंगे ?
: तेरे अब्बू को कैसे मनाना है तेरी अम्मी जानती है , अब खाना खा ले
खाना खा कर मैं लेट गया
शाम हुई तो सिराज को फोन घुमाया वही ऑफिस का कलीग जिसका सुबह फोन आया था
: कहा है भाई
: बस घर के निकल रहा हु दोस्त ( फोन के दूसरी तरफ से आवाज आई)
: कही चलें क्या ( उबासी और हल्की माइग्रेशन में अपनी ललाट मसलता हुआ )
: नही भाई , सुबह तूने मना किया तो मैंने भी आज घर पर बोल दिया तो ...
: अच्छा ...
: तू भी आजा ना , अम्मी भी याद रही थी
मैंने सोचा वैसे भी घर से फोन या हाल चाल लेने वाला कोई है नहीं और यहा अकेले रुका तो तबियत अलग खराब कर लूंगा इसीलिए मैं सिराज को हा बोल दिया : ठीक है भाई बाइक लेके आजा रूम पे
वो भी खुश हो गया
ऑफिस में सिराज एक प्राइवेट स्टाफ था , मेरी तो सरकारी नौकरी थी मगर वो भी उसी पोस्ट एक निजी कंपनी के टेंडर के जरिए अपनी नौकरी लगवाई थी । घर परिवार और आय से उतना संपन्न नही होने के बावजूद भी एक गजब की दिलदारी उसमे थी । बस उसका यही किरदार मुझे भाता था और मेरी उससे खूब जमती थी ।
उसकी अम्मी भी मुझे अपने बेटे से बढ़कर ही प्यार देती थी ।
खैर सिराज बाइक लेकर नीचे आया और मैं भी उसके साथ निकल गया ।
: अरे ऐसे जाएगा क्या खुशखबरी देने
: तो फिर , अब क्या दूल्हा बनके जाऊ
: ये ले , उस मिठाई की दुकान से पेड़े ले लेना ( अम्मी ने मेरे जेब में पैसे रखते हुए कहा )
: और ऐसे किसी के यहां खाली हाथ नहीं जाते
: अरे रोक रोक रोक
: क्या हुआ भाई
: कुछ नही रुक जा आता हू अभी ( मै एक स्वीट हाउस में चला गया और वापस आकर उसके बाइक पर बैठ गया )
: साले तुझे अम्मी की पसंद की मिठाई हमेशा याद रहती है हां
: सिर्फ तेरी ही अम्मी है क्या वो , चल अब
फिर मैं उसके साथ घर निकल गया और वहा मेरी पहले के जैसे ही खातिरदारी हुई
सिराज और उसकी अम्मी मैं सब हाल में बैठे थे कि अभी एक लड़की पानी लेके आई और उसे देखते ही मेरी हालत खस्ता होने लगी
मैंने गुस्से से घूर कर सिराज को देखा और इशारे से पूछा ये यहां कब आई
वो बस बत्तीसी दिखाए जा रहा था ।
दरअसल वो लड़की सिराज के बड़े भाई की साली थी और उसके कजरारी आंखो के शरारत भरे इशारे मुझे बेचैन कर जाते थे । बैठना तक मुस्किल जान पड़ता था और मेरी इस तकलीफ से सिराज की अम्मी की वाकिफ थी ।
: आज सुबह ही सिराज के अब्बू लिवा लाए है , कल इसको एग्जाम देने जाना है ( सिराज की अम्मी ने मुझे तसल्ली दिलाई )
: और भाई शानू क्या हाल चाल , शादी वादी के बारे क्या ख्याल है ( सिराज के अब्बू ने कुरकुरे चिप्स मेरी ही प्लेट से उठाते हुए बोले )
मै कुछ बोलता उसके पहले सिराज की अम्मी ने उन्हे आंखे दिखाई और इशारे से कुछ बुदबुदाई ।
मै और सिराज बस हल्के से मुस्कुराये और मेरी नजर उस लड़की पर गई जो रसोई के दरवाजे पर खड़ी मुझे देखते हुए अपनी दुपट्टे का कोना चबा रही थी ।
मेरी तो हालत खराब होने लगी और मैं सिराज को उठाता हुआ - चल चल ऊपर चलते है
और ऊपर खुली छत पर हम पहुंचे तो मैने उसका गला जकड़ लिया : साले हरामी , अभी भी दांत दिखा रहा । बहिनचोद बता नही सकता था कि ये डायन भी है घर पर
: अच्छा है ना , मस्त मौका है मसल डाल साली को , बहिनचोद मुझे लाइन देती तो अब तक फाड़ चुका होता
: हा तो जा न , कल उसको लेके एग्जाम के बहाने मेरे रूम में ठोक लियो
मेरी बात पर वो मुझे देख कर एक टक हसने लगा
: क्या ? ( मैंने उसकी कमीनेपन से भरी हंसी को हल्का हल्का समझने लगा था )
: नहीई ऐसा सोचना भी मत ( मैने सिरे से उसके इरादे को खारिज किया )
: क्या नही यार , वैसे भी तेरी छुट्टी है और मुझे बस घंटे भर का काम है **** साइट पर कुछ पैसे बन जायेंगे यार
साले ने मुझे इमोशनली फसा ही दिया उस पिसाचिनी अलीना के चक्कर में , ऐसी हवस तो हम मर्दों में भी नही टपकती जितनी उसकी भूरी पुतलियों आंखो में समाई हुई है । होठ भी हरकत करें तो मेरी सांसे गरमाने लगती है ।
ना जाने मेरी क्या हालत होने वाली थी ।
कुछ देर में मेरा खाना पीना हुआ और मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था ।
अम्मी यादें सता रही थी , कितनी बेचैनी थी मैं ही जान रहा था ।
सिराज तो खर्राटे भर रहा था मगर मुझे नींद कहा ।
: अब्बू मान तो जाएंगे न अम्मी , मैने 12वी पास भी कर ली है ।
: उनकी फिकर मत कर , सो जा तु ( अम्मी मेरे सर को दुलारते हुए बोली )
: आप कहा जा रही है
: तेरे अब्बू को मनाने ( अम्मी ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और बिस्तर से उठ गई )
अम्मी के बातों का मत्लब मै बखूबी जानता था और उनकी मुस्कुराहट में छिपी शरारत से मेरे तन बदन में सुरसुरि सी फैल गई । लंड जोश में फड़कने लगा और उनकी मटकती गाड़ देख कर मैं पागल सा हो गया ।
कुछ पल का इंतजार और मैं अम्मी के कमरे के पास पहुंच गया ।
मादक सिसकियों की भुनभुनाहट दरवाजे के पास साफ साफ सुनाई दे रही थी
: उम्मम्म ऐसा क्यू करते है , मान जाइए न
: अअह्ह्ह्हह इतने दिन तक तुझे दूरी और तेरे ये नायाब चूतड उम्मम्म
: और शानू की बेचैनी का क्या ? उसको बोल कर आई हूं मैं कि आपको मनाने जा रही हूं
: अह्ह्ह्ह मेरी जान बस थोड़ा देर उह्ह्ह्ह रगड़ने दो ना अपनी इन गर्म लबलबाते चूत की फाकों में उह्ह्ह्ह
: बस कुछ देर और मेरे सरताज मैं बस अभी आईआई
: अरे अरे जमीला रुको न , सिराज की अम्मी रुको तो !!
अगली सुबह मैं नहा धोकर सिराज के कमरे से निकल कर उसकी अम्मी के कमरे में पहुंचा तो अलीना तैयार बैठी थी
चुस्त सलवार में उसके कूल्हे पूरे कसे हुए थे और छाती पर सूट की कसावट से उसके उम्दा कबूतरो के जोड़े आपस में चिपके हुए थे हल्की झलकती चुन्नी में उसके बगल से 32 साइज के गोल मटोल दूध की कटोरी देख देख कर मेरी भी लार टपक गई।
कनखियो से उसने मुझे देखा और अपने कर्ली लटो को कानो के के पीछे के लगी
मैंने सिराज की चाबी अपने उंगलियों में नचाते हुए उसको इशारे से : चलें
बड़ी सम्भ्यता से मुस्कुराते हुए वो हां में सर हिलाई
: आराम से जाना बेटा , भीड़ होगी रास्ते पर
: आप फिकर ना करें अम्मी , आराम करिए ( अलीना ने बिस्तर पर लेटी सिराज की अम्मी के बदन पर चादर डालते हुए बोली ) चलिए ।
मै भी सिराज की अम्मी को अलविदा कह कर निकल गया बाइक से ।
जारी रहेगी
बहुत बहुत आभार मित्रJaandaar shaandar update bhai