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Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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सभी सम्मानित नागरिकों को सुचित किया जा रहा है
परसों देर रात आपके भाई का चार लोगों ने जबरन पकड़ कर
तिलक कर दिया है , तबसे घर से बाहर आना जाना नहीं हो पा रहा है
मक्खियों के जैसे कजिन्स और कजिंसीया पूरा दिन आगे पीछे भिनभिना रही है , मोबाइल खोलने तक की फुरसत नहीं हो पा रही है । ऐसे में अपडेट न लिख पा रहा हु और जो है उसे पोस्ट करने की फुरसत नहीं है ।
अभी भी पाखाने के बाहर दरवाजा पीटा जा रहा है , हगने भी नहीं दे रहे है
घुइयां के बीज सारे:buttkick:

अत: आप सभी बंधुओ से निरोध है कि अगर इधर दो चार रोज में अपडेट देने में सक्षम रहा तो जरूर मिल जाएगा
अन्यथा क्षमा प्रार्थी रहूंगा ।
सारी कहानी
फेरे और सुहागरात के बाद ही बढ़ेगी ।


आपके बधाईयों की प्रतीक्षा रहेगी
सुहागरात के लिए चियरअप जरूर करिएगा 🙏
आपका बड़े लौड़े वाला छोटा भाई
DREAMBOY40
 
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MilkyAunty

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UPDATE 011

Good morning

रात ढल रही थी और मै शर्म से अपने कमरे से निकल नहीं रहा था ।
शाम की चाय के लिए भी अम्मी ने आवाज नहीं दी थी अजीब सा डर लग रहा था मन में
मोबाइल भी अम्मी के पास ही था ।
रात के 9 बजने को हो रहे थे और किचन में सीटियां कबकी बज कर शांत हो चुकी थी , दोपहर से ही भूख लगी थी और उसपे से अम्मी की फिकर अलग थी ।
समझ नहीं आ रहा था क्या करूं
बड़ी हिम्मत कर मै उठा और जीने से नीचे आने लगा , अम्मी के कमरे से हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी ।
शायद अब्बू से फोन पर कुछ बात कर रही होगी ऐसा मुझे लगा ।
ना जाने क्यों ऐसी सिचुएशन में भी अब्बू अम्मी की बातें करना मेरे लंड को भाने लगा , और वो अपना सर उठाने लगाने लगा ।
फट भी रही थी कि अगर अम्मी से अब्बू से कह दिया तो पिटाई तय थी ।
बिल्लियों के जैसे बिना आहट के मै जीने से उतर कर अम्मी के कमरे के पास गया, दरवाजा पूरा खुला तो ऐसे में मैं बिना दरवाजे के आगे गए किनारे से ही दीवाल से लग गया ।

: सारी गलती मेरी है यार , मै तुझसे बातों में लगी थी और फिर उसने मोबाइल मागा तो दे दिया मैने ( अम्मी फोन पर बोली )
मै समझ गया मेरी ही हो रही है मगर किससे?
: मेरी तो हिम्मत नहीं हो रही है कि उसके सामने जाऊ। बेचारा दुपहर से नीचे नहीं आया ।
कुछ देर तक अम्मी फोन पर सामने वाली की बातें सुनती रही
: हा खाना बना लिया है मैने , मुझे बहुत अफसोस हो रहा है कि खुद की गलती होते हुए आज पहली बार मेरा हाथ उठा उसके ऊपर ( अम्मी फोन पर समझा रही थी और उनकी बातों से मुझे हिम्मत हो रही थी )
मै समझ गया कि अगर मैने पहल की तो चीज़ें नॉर्मल हो सकती है और शायद अब्बू तक बातें न जाए ।

: अम्मी भूख लगी है ( मै रुआंस लहजे में अम्मी के कमरे के दरवाजे पर आ गया )
: अच्छा नगमा तू फोन रख , शानू आया है । ( अम्मी मुझे देख कर बोली )
: हम्मम मै करती हूं अभी ( अम्मी ने फोन काट दिया )
नगमा नाम सुनते ही मै समझ गया कि अम्मी अपने सहेली से बात कर ही थी

मै वही दरवाजे पर खड़ा रहा और अम्मी को देख रहा था भरी आंखों से । अम्मी ने मुझे देखा और दुपट्टा सही करती हुई नजरे चुराने लगी ।
वो मेरी ओर बढ़ रही थी बिना कुछ बोले और मेरे बगल से निकल कर किचन में खाना निकालने लगी ।

मै उनके पीछे चला गया
: अम्मी आप भी खा लो न प्लीज
अम्मी के हाथ रुक गए और मगर वो मेरे ओर चेहरा नहीं की थी ।
फिर से वो मेरी ही प्लेट में परोस रही थी ।
: सॉरी अम्मी , प्लीज ( अम्मी फफक पड़ी और मैं उनकी पीछे से हग कर लिया)
मेरी आंखो से भी आंसू गिर रहे थे नहीं पता क्यों मगर अम्मी के गुदाज मुलायम चूतड से चिपक खड़े होना और उनकी पीठ पर सर टिकाना बहुत भा रहा था मुझे , वही अम्मी किचन स्लैब पकड़ कर खड़ी खड़ी रो रही थी ।
: अम्मी प्लीज आप रो मत , सॉरी मुझे नहीं देखना चाहिए था वो सब ( वो सिसकती फफकती रही )
: मुझे नहीं चाहिए मोबाईल आप ही रखो इसे , लेकिन प्लीज आप भी खाना खा लो । दुपहर से आपने कुछ नहीं खाया । ( मै अम्मी के कंधे पर सर रखता हुआ पीछे से ही बोला )
: तूने खा लिया बड़ा जैसे , चाय बनाई थी आया क्यों नहीं पीने ( अम्मी मेरी ओर घूम कर बोली )
: सॉरी मुझे लगा आप नाराज होगी ( मै उदास चेहरे से उनकी ओर देखा , आंसुओं ने आंखे और गाल दोनो गाल कर दिए थे उनके )
: तुझसे मै भला क्यों नाराज होऊंगी रे, इधर आ ( अम्मी ने खींच कर मुझे अपने सीने से लगा लिया )
गुदाज छातियों में मै कही खो सा गया और वो मेरे सर को कस कर हग कर ली थी। सालों बाद ऐसे दुलारा था अम्मी ने मुझे , इन रसीले मम्मों को महज छूने भर के ख्वाब थे मेरे और अम्मी उन्हीं में मुझे कसे जा रही थी , लंड खुद ब खुद अकड़ने लगा था ,
: हवसी कही का ( मैने मन में लंड को डांटा )
: अम्मी अपनी थाली भी लगाओ न प्लीज ( मैने अम्मी से फिर से रिक्वेस्ट की )
: क्यों मुझे अपनी थाली में नहीं खाने देगा उम्मम ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली )
: क्या सच में , आप मेरे थाली ने खाओगे ( मै चहक कर एक बार फिर से उनसे लिपटने को हुआ )
: ऊहू अब और चिपका चिपकी नहीं ( अम्मी बोल कर हसने लगी तो मैं फिर से उनको हग कर किया )
: ओहो बाबा हो गया , अब छोड़ न बदमाश
: हीहीहीही , लेकिन आपको मेरे हाथ से ही खाना पड़ेगा
: उम्मम , ठीक है ( अम्मी ने मुस्कुरा कर बोला )
फिर हम हाल में आए और सोफे पर बैठ कर खाने लगे ।
मै अम्मी को खिचड़ी खिला रहा था
: हम्म्म ये सही है , अब से रोज तू ही खिलाना मुझे । मुझे मेहनत नहीं करनी पड़ेगी
: अब्बू रहेंगे तब भी ( मै हंसते हुए बोला और वो आंखे दिखा कर हसने लगी )
: बहुत बिगड़ गया है तू , पढ़ाई में ध्यान दे एग्जाम सर पर है और मोबाइल.. !!
: वो आप ही रखो , मुझे नहीं चाहिए
: चला लेना कभी कभी , लेकिन मुझसे पूछ कर ही ( अम्मी की बात सुनकर मैं चहक उठा)
: थैंक्यू अम्मी

थोड़ी देर बाद मै अम्मी के साथ बैठा था ।
: अम्मी , आपने उस बारे ने अब्बू को बता दिया क्या ? ( डरते हुए बोला मै )
: नहीं क्यों , बता दूं
: नहीं नहीं प्लीज , अब्बू मुझे ही मारेंगे बिना गलती के !!
मेरी बात पर अम्मी मुस्कुराई
: अगर मेरी गलती नहीं थी तो आपने मारा क्यों ( मै दुलराते हुए उनसे चिपककर बोला )
: किसने कहा तेरी गलती नहीं थी ( अम्मी ने मेरी ओर देखा )
: वो सब तो आप भरवा कर लाई थी न , मै तो बस मूवी देखने के लिए खोला था ।
: चुप कर तू , ऐसे बात करेगा अपनी अम्मी से ( वो डांटने को हुई मगर चुप हो गई )
: मै तुझे इस गलती के लिए नहीं मारा , तेरी आदतें बहुत बिगड़ गई है इसीलिए मारा तुझे ।
: मेरी आदतें ? मैने क्या किया अब ( भीतर से मेरी फट रही थी कि अब क्या पता चल गया अम्मी को )

: अगर तुझे पता था वो सब वीडियो गंदी थी तो क्यों देख रहा था बोल । तुझे मोबाइल बंद करके रख देना चाहिए था ( अम्मी ने मुझे घूर कर देखा )
: सॉरी न अम्मी ? ( मै उनके बाजू को पकड़े हुए उनके कंधे पर अपने गाल रखे हुए उनसे बोला , एक अजीब सी गुदगुदी लग रही थी बदन में )
: और तू अपनी आदतें सुधार ले किसी दिन तेरे अब्बू ने पकड़ लिया तो खूब पिटाई होगी तेरी और अभी तेरी उम्र नहीं है ये सब करने की समझा ( अम्मी ने हड़काया मुझे )
: अब क्या किया मैने ? ( मै चौक कर सीधा होकर अम्मी की देखते हुए बोला )
: चल इतना भी भोला बनने की जरूरत नहीं है , तेरी सारी हरकतों के सबूत है मेरे पास समझा ( अम्मी मुंह बनाते हुए बोली )
: मतलब ? सच में नहीं पता आप किस बारे में बात कर रही है ?
: अच्छा अब तुझे ये भी बताना पड़ेगा कि जीने पर तो कभी बाथरूम में तो कभी वहा दरवाजे के पास ( अम्मी ने अपने कमरे के दरवाजे के पास इशारे किया ) छिप छिप कर क्या करता है सारे निशान मिल जाते है मुझे । एक लगाऊंगी अभी कमीना कही का ( अम्मी बोलते बोलते एकदम गुस्से से लाल होने लगी )
: उन्हीं सब आदतों को सोच कर तुझे मारा था , कहा से सीख रहा है ये सब तू ( अम्मी फिर से मेरे ऊपर गरजी ) कौन से दोस्त तुझे बिगाड़ रहे है बोल
: सॉरी ( मै बस इतना ही बोला , भीतर से मेरी फटी हुई थी और अपनी लापवाही के लिए खुद को गालियां बक रहा था , अम्मी को कैसे पता मै हिलाता हूं, जरूर मेरे वीर्य के दाग देखी होंगी )
: चूतिया हु बहनचोद मै ( मन ही मन खुद को गरियाया और उखड़ा हुआ एक टक अम्मी को निहार रहा था अब ना जाने क्या बोल दे वो )
: चल अब सो जा जाकर ( अम्मी ने गुस्से से कहा )
शायद वो मेरे मूठ मारने वाली बातें मुझसे नहीं कहना चाहती थी मगर मुझसे कह कर वो खुद से ही शर्मिंदा थी और उस बात का गुस्सा मुझ पर ही निकाल रही थी , मै चुपचाप ऊपर चला गया ।

रात के 11 बजने को हो रहे थे और मुझे नीद नहीं आ रही थी
बेसब्री थी जहन में अम्मी के पास जाने की उनकी बातें सुनने की
आखिर मैं कमरे से बाहर निकल आया और दबे पाव जीने से सरकता हुआ अम्मी के कमरे तक
अभी भी उनकी बातें चल रही थी
बातों से वो नॉर्मल दिख रही थी कुछ हसी ठिठौली भरी बातें हो रही थी , उनकी सहेली नगमा से ।
: अच्छा सुन वीडियो कॉल करती हु दिखा दे न , क्या छुपा रही है ?
: उम्मम इतना मन कर रहा है क्या , कल आ रही हु न तब देख लेना ?( नगमा मामी बोली )
: बस एक झलक तो दे दे , अच्छा बस सेल्फी भेज दे न ( अम्मी कसमसाते हुए बोली )
: अच्छा रुक भेजती हु
: एक मिनट ऐसे रहना ( अम्मी बोलकर शांत हुई और उनके बिस्तर से उठने की आहट मुझे मिली )
मै समझ गया कि मेरी चोरी पकड़े जाने वाली है ।
: शानू ??? ( अम्मी ने दरवाजा खोलकर मुझे आवाज लगाई)
मेरी फटी हुई थी ये सोच कर कि इनको भनक कैसे लगी कि मैं आया हु , जीने के नीचे छिपा है मै खुद से बडबडा रहा था ।

: नहीं कुछ नहीं मुझे लगा शानू नीचे आया है ( अम्मी दरवाजा लगाते हुए बोली )
मै लपक कर वापस कमरे के दरवाजे के पास से सरक कर खिड़की पर आ गया
: ओह्ह्ह्ह यार कितनी टाइट है ( अम्मी मोबाईल पर कुछ देख रही थी )
: तू भी दिखा दे
: आहा कल देख लेना हीहिही ( अम्मी खिलखिलाई )
: धत्त कामिनी है तू एक नंबर की ( नगमा मामी हंसते हुए बोली )
उनकी बातें कुछ कुछ मेरे समझ में आ रही थी मगर पूरी नहीं अब कल के लिए मेरा इंतजार बढ़ने लगा था कि कल क्या होगा ।
मै वापस चुपचाप अपने बिस्तर पर सो गया


अगली सुबह मेरी नींद खुली तो मै नरम मुलायम बिस्तर में चादरों के लिपटा हुआ था और मेरे देह पर रात में पहनी हुई एक टीशर्ट और मेरी अपनी ही बॉक्सर थी ।
आसपास का माहौल देखते ही चेहरे पर मुस्कुरा आ गई और बीती रात हुई मैम के साथ बाथरूम में मस्ती को सोच कर लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा ।
अंगड़ाई लेकर मै फ्रेश हुआ और उन्हीं कपड़ो में बाहर आया तो मैम टेबल पर बैठ कर काम रही थी , नाइटी में उनकी बड़ी सी गाड़ पूरे गोल मटोल शेप में नजर आ रही ही थी , देखते ही ईमान डोल गया
बॉक्सर के ऊपर से अपने फड़फड़ाते लंड को मसलता हुआ मै उनके पास गया
: गुड मॉर्निंग मैम ( उनको पीछे से हग करता हुआ नाइटी के उसपे से उनके मुलायम चूचों को मसल दिया )
: अह्ह्ह्ह्ह बदमाश , गुड मॉर्निंग ऐसे करते है क्या ? ( वो सिसकते हुए बोली )


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: तो फिर कैसे करते है आप ही बताओ न ( मैने पीछे से उनकी गोल मटोल चूतड़ों की दरारों में नाइटी के ऊपर से उंगली घिसने लगा , उनके नरम चूतड़ों को हथेली में भरने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू हटो न , मुझे ये फाइल रेडी करनी है ( वो सिसकती कसमसाती हुई बोली )
: मै कहा आपको रोक रहा हु मै ( मै उनके गर्दन कंधे को चूमता हुआ नीचे सरकने लगा और धीरे धीरे उनकी शॉर्ट नाइटी को उनके चूतड़ के नीचे से खींचता हुआ बैठने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू क्या कर रह रहे हो उम्मम्म ( वो अपने बड़े बड़े गोल मटोल चूतड़ों को हल्का सा उठाते हुए बोली ताकि उनके चूतड़ों के बीच दबी हुई नाइटी आसानी से उठ जाए )

सामने उनके चूतड़ स्टूल पर फैले हुए और मेरे पंजे उनके नरम नंगे मुलायम चूतड को सहलाते हुए चूमने लगे
: उह्ह्ह्ह शानू ऐसे मै कैसे काम कर पाऊंगी , तंग मत करो न प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई गुदगुदी हो रही है कितने मुलायम होठ है तुम्हारे
:ओह्ह्ह उम्मम बदमाश काट क्यों रहे हो ( मैम हल्का सा उचकी जब मैने उनके रसीले चूतड़ पर दांत लगाए )
: आपकी गाड़ बहुत मोटी है मैम उम्मम
: धत्त गंदे कैसा बोल रहे हो , शर्म नहीं आ रही , छोड़ो ना हटो वहाआअ सेहह ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई उम्मम्म क्याह्ह कर रहे अह्ह्ह्ह फक्क्क् उह्ह्ह्ह शानू उम्मम


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मैने उनके कसे हुए चूतड़ों को फैलाते हुए उनकी गाड़ की सुराख पर जीभ चलाने लगा और वो बुरी तरह से अकड़ने फड़कने लगी
उनकी भूरी सुराख को अच्छे से चाटते हुए मै उनके चूतड़ को फैलाते जा रहा था
: ओह्ह्ह्ह्ह गॉड शानू उम्मम यस बेबी फक्क्क् ओह्ह्ह्ह खा जाओ कितना अच्छा लग रहा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू डाल दो न
: क्या चाहिए मैम ( मै खड़ा होकर अपना 9 इंच लंबा बियर की कैन जैसा मोटा मूसल निकाल उसपे थूक लगाते हुए दूसरे साथ से मैम की गाड़ पर अंगूठा दरते हुए बोला )
: वही जो तुम्हारे हाथ में है ( वो बड़ी बड़ी आंखों से गर्दन घुमा कर गहरी गहरी सास लेते हुए मेरा लंड घूरते हुए बोली )
: इसका नाम भी है मैम ( मै मेरे लंड का सुपाड़ा उनके गाड़ के सुराख पर टिकाया घिसने लगा , वो आंखे उलटती हुई खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी )
: बोलो न मैम ( मैने ढेर सारा थूक लेकर उनकी गाड़ की सुराख पर लीपते बोला )
: ल लंड डालो न मेरी जान ओह्ह्ह्ह प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई आराम से ओह्ह्ह्ह टाइट है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड बड़ा है आराम से शानू ( मै मेरा सुपाड़ा उनकी गाड़ में भेद चुका था जो बड़ी मशक्कत से जा रहा था , रात में ही मैम ने बताया था कि उनके शौहर उनकी गाड़ बहुत मारते थे और सुबह मेरी नियत खराब हो गई ).


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: अह्ह्ह्ह्ह मैम आपकी गाड़ बहुत कसी है आह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है घुसाने ओह्ह्ह ( मै हल्का हल्का उनकी गाड़ में लंड आगे पीछे करने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई हार्ड ओह्ह्ह्ह गॉड इट्स टू बिग इन माय एस्स उम्मम अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड
: लो मेरी सेक्सी मैम अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ बहुत मस्त है आह्ह्ह्ह चोद चोद इसको भर दूंगा मैं अह्ह्ह्ह्ह मैम


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: डोंट काल मी मैम, से माय नेम बेबी फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू
: अह्ह्ह्ह्ह रेशमा मेरी जान ओह्ह्ह्ह लेह मेरा मोटा लंड अपनी गाड़ में ओह्ह्ह्ह जिस दिन से ज्वाइन किया था तेरे गाड़ ने मुझे पागल कर रखा था अह्ह्ह्ह्ह
: तो एक बार मांग लेते मेरे राजा खुद खोल कर बैठी जाती मै तेरे लंड पर ओह्ह्ह्ह्ह
: ओह गॉड सच में क्या , ऑफिस में ही चुदवा लेती क्या
: जब ऑफिस में मिजवा सकती हु तो चुदवा क्यों नहीं सकती ( मैम की बातें सुनकर मेरा लंड और अकड़ गया )
: तो उस बहनचोद आहूजा से मिज़वाती हो अपने चूचे उम्मम
: बस दो बार अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह रुकना मत चोदो ओह्ह्ह्ह गॉड आ रहा है ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
: साली रंडी आज तेरी फाड़ दूंगा ( मै पूरे जोश में अपना लंड उनकी गाड़ में पेलने लगा और वो झड़ रही थी )
: हा फाड़ दो भर दो मेरी गाड़ ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू पेलो और तेज अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई हार्ड


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: अह्ह्ह्ह लह्ह्ह साली अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो लह्ह्ह भर दिया
मै उनकी गाड़ में झड़ते हुए लंड बाहर निकाल दिया और


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वो स्टूल पर बैठे हुए रही
धीरे धीरे उनकी गाड़ सारा रस बाहर उगलने लगी जो उनकी चूत से रिसकर कर फर्श पर गिरने लगी और वो खिलखिला रही थी मै भी उस रंडी को देख कर अपना लंड सहला रहा था ।

फिर मै उसके पास आगे गया और उसके लिप्स चूसने लगा
: नहाने चले
: हम्म्म ( वो मुस्कुरा कर बोली )
फिर हम नहाने के लिए बाथरूम में गए और फिर ऑफिस के लिए तैयार होने लगे ।


मै रेडी होकर नीचे आया और अम्मी ने नाश्ता तैयार कर दिया था
: शानू नाश्ता कर ले बेटा ( अम्मी आज खुश थी )
: जी अम्मी
: अच्छा सुन आज लेट तो नहीं होगा तुझे ( अम्मी ने नाश्ते की प्लेट देते हुए पूछा )
: पता नहीं अम्मी , आज प्रोजेक्ट सबमिट करना है शाम भी हो जाएगी क्यों ( मै जान रहा था कि अम्मी बस मुझसे कनफर्म कर रही थी क्योंकि आज नगमा मामी आने वाली है )
: अरे अगर समय से आ गया तो बाजार चलना था शॉपिंग के लिए
: अह कोशिश करूंगा अम्मी , और अगर लेट हुआ तो जुबैदा चच्ची के मोबाइल पर काल कर दूंगा ( मोबाईल का नाम आते ही अम्मी के चेहरे के हाव भाव बदल गए )
: तू फोन लेकर जाएगा क्या ?
: ओह सॉरी भूल गया था , मैने तो प्रोमिस किया है न मोबाइल नहीं चलाने का ( मै उखड़े हुए स्वर में जबरन मुस्कुराहट लाते हुए बोला)
: अरे बेटा ऐसा नहीं है , लेकिन अब हिसाब भर मोबाइल चलाना । तेरे एग्जाम भी तो आ रहे है उसकी तैयारी कर ( अम्मी ने मेरे सर सहलाती हुई बोली)
: जी अम्मी ( एक अजीब सी सरसराहट हुई बदन ने अम्मी ने जब हाथ फेरा तो )
: जल्दी से नाश्ता कर ले , 10 तो यही बज गए

मै कुछ कि तभी हाल में नगमा मामी काले बुरखे में दाखिल हुई और उन्हें देखकर मेरे दिल की बेचैनी बढ़ने लगी


:हाय , रेडी ? ( मैम बोली )
: हा, लेकिन ... आप ऐसे ?
: क्यों अच्छी नहीं लग रही हूं ( रेशमा मैम ने पोज देते हुए कहा और अपनी कूल्हे बाहर निकाले )
: वो तो ठीक है लेकिन आज आहूजा सर की पैंट खुल जाएगी हीहीहीही
: और तुम्हारी उम्मम ( मैम ने सीधे मेरे लंड को जींस के ऊपर से पकड़ लिया और मेरी हालत खराब होने लगी । मैने उनकी कमर में हाथ डाल कर उनकी गाड़ मसलता हुआ )
: अगर मेरा पेंट खुली तो आपकी लिपिस्टिक खराब हो जाएगी ( वो मेरी आंखो में देख रही थी और उनकी सांसे गरम हो रही थी । फिर वो मुस्कुराने लगी)
: तुम ना, छोड़ो लेट हो रहा है

फिर हम बातें करते हुए गाड़ी से ऑफिस के लिए निकल गए।
जारी रहेगी
bahut bahut mast aur lajawab update, bahut achi writings,ekdom superb aur faadu kahaani!
 
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UPDATE 011

Good morning

रात ढल रही थी और मै शर्म से अपने कमरे से निकल नहीं रहा था ।
शाम की चाय के लिए भी अम्मी ने आवाज नहीं दी थी अजीब सा डर लग रहा था मन में
मोबाइल भी अम्मी के पास ही था ।
रात के 9 बजने को हो रहे थे और किचन में सीटियां कबकी बज कर शांत हो चुकी थी , दोपहर से ही भूख लगी थी और उसपे से अम्मी की फिकर अलग थी ।
समझ नहीं आ रहा था क्या करूं
बड़ी हिम्मत कर मै उठा और जीने से नीचे आने लगा , अम्मी के कमरे से हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी ।
शायद अब्बू से फोन पर कुछ बात कर रही होगी ऐसा मुझे लगा ।
ना जाने क्यों ऐसी सिचुएशन में भी अब्बू अम्मी की बातें करना मेरे लंड को भाने लगा , और वो अपना सर उठाने लगाने लगा ।
फट भी रही थी कि अगर अम्मी से अब्बू से कह दिया तो पिटाई तय थी ।
बिल्लियों के जैसे बिना आहट के मै जीने से उतर कर अम्मी के कमरे के पास गया, दरवाजा पूरा खुला तो ऐसे में मैं बिना दरवाजे के आगे गए किनारे से ही दीवाल से लग गया ।

: सारी गलती मेरी है यार , मै तुझसे बातों में लगी थी और फिर उसने मोबाइल मागा तो दे दिया मैने ( अम्मी फोन पर बोली )
मै समझ गया मेरी ही हो रही है मगर किससे?
: मेरी तो हिम्मत नहीं हो रही है कि उसके सामने जाऊ। बेचारा दुपहर से नीचे नहीं आया ।
कुछ देर तक अम्मी फोन पर सामने वाली की बातें सुनती रही
: हा खाना बना लिया है मैने , मुझे बहुत अफसोस हो रहा है कि खुद की गलती होते हुए आज पहली बार मेरा हाथ उठा उसके ऊपर ( अम्मी फोन पर समझा रही थी और उनकी बातों से मुझे हिम्मत हो रही थी )
मै समझ गया कि अगर मैने पहल की तो चीज़ें नॉर्मल हो सकती है और शायद अब्बू तक बातें न जाए ।

: अम्मी भूख लगी है ( मै रुआंस लहजे में अम्मी के कमरे के दरवाजे पर आ गया )
: अच्छा नगमा तू फोन रख , शानू आया है । ( अम्मी मुझे देख कर बोली )
: हम्मम मै करती हूं अभी ( अम्मी ने फोन काट दिया )
नगमा नाम सुनते ही मै समझ गया कि अम्मी अपने सहेली से बात कर ही थी

मै वही दरवाजे पर खड़ा रहा और अम्मी को देख रहा था भरी आंखों से । अम्मी ने मुझे देखा और दुपट्टा सही करती हुई नजरे चुराने लगी ।
वो मेरी ओर बढ़ रही थी बिना कुछ बोले और मेरे बगल से निकल कर किचन में खाना निकालने लगी ।

मै उनके पीछे चला गया
: अम्मी आप भी खा लो न प्लीज
अम्मी के हाथ रुक गए और मगर वो मेरे ओर चेहरा नहीं की थी ।
फिर से वो मेरी ही प्लेट में परोस रही थी ।
: सॉरी अम्मी , प्लीज ( अम्मी फफक पड़ी और मैं उनकी पीछे से हग कर लिया)
मेरी आंखो से भी आंसू गिर रहे थे नहीं पता क्यों मगर अम्मी के गुदाज मुलायम चूतड से चिपक खड़े होना और उनकी पीठ पर सर टिकाना बहुत भा रहा था मुझे , वही अम्मी किचन स्लैब पकड़ कर खड़ी खड़ी रो रही थी ।
: अम्मी प्लीज आप रो मत , सॉरी मुझे नहीं देखना चाहिए था वो सब ( वो सिसकती फफकती रही )
: मुझे नहीं चाहिए मोबाईल आप ही रखो इसे , लेकिन प्लीज आप भी खाना खा लो । दुपहर से आपने कुछ नहीं खाया । ( मै अम्मी के कंधे पर सर रखता हुआ पीछे से ही बोला )
: तूने खा लिया बड़ा जैसे , चाय बनाई थी आया क्यों नहीं पीने ( अम्मी मेरी ओर घूम कर बोली )
: सॉरी मुझे लगा आप नाराज होगी ( मै उदास चेहरे से उनकी ओर देखा , आंसुओं ने आंखे और गाल दोनो गाल कर दिए थे उनके )
: तुझसे मै भला क्यों नाराज होऊंगी रे, इधर आ ( अम्मी ने खींच कर मुझे अपने सीने से लगा लिया )
गुदाज छातियों में मै कही खो सा गया और वो मेरे सर को कस कर हग कर ली थी। सालों बाद ऐसे दुलारा था अम्मी ने मुझे , इन रसीले मम्मों को महज छूने भर के ख्वाब थे मेरे और अम्मी उन्हीं में मुझे कसे जा रही थी , लंड खुद ब खुद अकड़ने लगा था ,
: हवसी कही का ( मैने मन में लंड को डांटा )
: अम्मी अपनी थाली भी लगाओ न प्लीज ( मैने अम्मी से फिर से रिक्वेस्ट की )
: क्यों मुझे अपनी थाली में नहीं खाने देगा उम्मम ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली )
: क्या सच में , आप मेरे थाली ने खाओगे ( मै चहक कर एक बार फिर से उनसे लिपटने को हुआ )
: ऊहू अब और चिपका चिपकी नहीं ( अम्मी बोल कर हसने लगी तो मैं फिर से उनको हग कर किया )
: ओहो बाबा हो गया , अब छोड़ न बदमाश
: हीहीहीही , लेकिन आपको मेरे हाथ से ही खाना पड़ेगा
: उम्मम , ठीक है ( अम्मी ने मुस्कुरा कर बोला )
फिर हम हाल में आए और सोफे पर बैठ कर खाने लगे ।
मै अम्मी को खिचड़ी खिला रहा था
: हम्म्म ये सही है , अब से रोज तू ही खिलाना मुझे । मुझे मेहनत नहीं करनी पड़ेगी
: अब्बू रहेंगे तब भी ( मै हंसते हुए बोला और वो आंखे दिखा कर हसने लगी )
: बहुत बिगड़ गया है तू , पढ़ाई में ध्यान दे एग्जाम सर पर है और मोबाइल.. !!
: वो आप ही रखो , मुझे नहीं चाहिए
: चला लेना कभी कभी , लेकिन मुझसे पूछ कर ही ( अम्मी की बात सुनकर मैं चहक उठा)
: थैंक्यू अम्मी

थोड़ी देर बाद मै अम्मी के साथ बैठा था ।
: अम्मी , आपने उस बारे ने अब्बू को बता दिया क्या ? ( डरते हुए बोला मै )
: नहीं क्यों , बता दूं
: नहीं नहीं प्लीज , अब्बू मुझे ही मारेंगे बिना गलती के !!
मेरी बात पर अम्मी मुस्कुराई
: अगर मेरी गलती नहीं थी तो आपने मारा क्यों ( मै दुलराते हुए उनसे चिपककर बोला )
: किसने कहा तेरी गलती नहीं थी ( अम्मी ने मेरी ओर देखा )
: वो सब तो आप भरवा कर लाई थी न , मै तो बस मूवी देखने के लिए खोला था ।
: चुप कर तू , ऐसे बात करेगा अपनी अम्मी से ( वो डांटने को हुई मगर चुप हो गई )
: मै तुझे इस गलती के लिए नहीं मारा , तेरी आदतें बहुत बिगड़ गई है इसीलिए मारा तुझे ।
: मेरी आदतें ? मैने क्या किया अब ( भीतर से मेरी फट रही थी कि अब क्या पता चल गया अम्मी को )

: अगर तुझे पता था वो सब वीडियो गंदी थी तो क्यों देख रहा था बोल । तुझे मोबाइल बंद करके रख देना चाहिए था ( अम्मी ने मुझे घूर कर देखा )
: सॉरी न अम्मी ? ( मै उनके बाजू को पकड़े हुए उनके कंधे पर अपने गाल रखे हुए उनसे बोला , एक अजीब सी गुदगुदी लग रही थी बदन में )
: और तू अपनी आदतें सुधार ले किसी दिन तेरे अब्बू ने पकड़ लिया तो खूब पिटाई होगी तेरी और अभी तेरी उम्र नहीं है ये सब करने की समझा ( अम्मी ने हड़काया मुझे )
: अब क्या किया मैने ? ( मै चौक कर सीधा होकर अम्मी की देखते हुए बोला )
: चल इतना भी भोला बनने की जरूरत नहीं है , तेरी सारी हरकतों के सबूत है मेरे पास समझा ( अम्मी मुंह बनाते हुए बोली )
: मतलब ? सच में नहीं पता आप किस बारे में बात कर रही है ?
: अच्छा अब तुझे ये भी बताना पड़ेगा कि जीने पर तो कभी बाथरूम में तो कभी वहा दरवाजे के पास ( अम्मी ने अपने कमरे के दरवाजे के पास इशारे किया ) छिप छिप कर क्या करता है सारे निशान मिल जाते है मुझे । एक लगाऊंगी अभी कमीना कही का ( अम्मी बोलते बोलते एकदम गुस्से से लाल होने लगी )
: उन्हीं सब आदतों को सोच कर तुझे मारा था , कहा से सीख रहा है ये सब तू ( अम्मी फिर से मेरे ऊपर गरजी ) कौन से दोस्त तुझे बिगाड़ रहे है बोल
: सॉरी ( मै बस इतना ही बोला , भीतर से मेरी फटी हुई थी और अपनी लापवाही के लिए खुद को गालियां बक रहा था , अम्मी को कैसे पता मै हिलाता हूं, जरूर मेरे वीर्य के दाग देखी होंगी )
: चूतिया हु बहनचोद मै ( मन ही मन खुद को गरियाया और उखड़ा हुआ एक टक अम्मी को निहार रहा था अब ना जाने क्या बोल दे वो )
: चल अब सो जा जाकर ( अम्मी ने गुस्से से कहा )
शायद वो मेरे मूठ मारने वाली बातें मुझसे नहीं कहना चाहती थी मगर मुझसे कह कर वो खुद से ही शर्मिंदा थी और उस बात का गुस्सा मुझ पर ही निकाल रही थी , मै चुपचाप ऊपर चला गया ।

रात के 11 बजने को हो रहे थे और मुझे नीद नहीं आ रही थी
बेसब्री थी जहन में अम्मी के पास जाने की उनकी बातें सुनने की
आखिर मैं कमरे से बाहर निकल आया और दबे पाव जीने से सरकता हुआ अम्मी के कमरे तक
अभी भी उनकी बातें चल रही थी
बातों से वो नॉर्मल दिख रही थी कुछ हसी ठिठौली भरी बातें हो रही थी , उनकी सहेली नगमा से ।
: अच्छा सुन वीडियो कॉल करती हु दिखा दे न , क्या छुपा रही है ?
: उम्मम इतना मन कर रहा है क्या , कल आ रही हु न तब देख लेना ?( नगमा मामी बोली )
: बस एक झलक तो दे दे , अच्छा बस सेल्फी भेज दे न ( अम्मी कसमसाते हुए बोली )
: अच्छा रुक भेजती हु
: एक मिनट ऐसे रहना ( अम्मी बोलकर शांत हुई और उनके बिस्तर से उठने की आहट मुझे मिली )
मै समझ गया कि मेरी चोरी पकड़े जाने वाली है ।
: शानू ??? ( अम्मी ने दरवाजा खोलकर मुझे आवाज लगाई)
मेरी फटी हुई थी ये सोच कर कि इनको भनक कैसे लगी कि मैं आया हु , जीने के नीचे छिपा है मै खुद से बडबडा रहा था ।

: नहीं कुछ नहीं मुझे लगा शानू नीचे आया है ( अम्मी दरवाजा लगाते हुए बोली )
मै लपक कर वापस कमरे के दरवाजे के पास से सरक कर खिड़की पर आ गया
: ओह्ह्ह्ह यार कितनी टाइट है ( अम्मी मोबाईल पर कुछ देख रही थी )
: तू भी दिखा दे
: आहा कल देख लेना हीहिही ( अम्मी खिलखिलाई )
: धत्त कामिनी है तू एक नंबर की ( नगमा मामी हंसते हुए बोली )
उनकी बातें कुछ कुछ मेरे समझ में आ रही थी मगर पूरी नहीं अब कल के लिए मेरा इंतजार बढ़ने लगा था कि कल क्या होगा ।
मै वापस चुपचाप अपने बिस्तर पर सो गया


अगली सुबह मेरी नींद खुली तो मै नरम मुलायम बिस्तर में चादरों के लिपटा हुआ था और मेरे देह पर रात में पहनी हुई एक टीशर्ट और मेरी अपनी ही बॉक्सर थी ।
आसपास का माहौल देखते ही चेहरे पर मुस्कुरा आ गई और बीती रात हुई मैम के साथ बाथरूम में मस्ती को सोच कर लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा ।
अंगड़ाई लेकर मै फ्रेश हुआ और उन्हीं कपड़ो में बाहर आया तो मैम टेबल पर बैठ कर काम रही थी , नाइटी में उनकी बड़ी सी गाड़ पूरे गोल मटोल शेप में नजर आ रही ही थी , देखते ही ईमान डोल गया
बॉक्सर के ऊपर से अपने फड़फड़ाते लंड को मसलता हुआ मै उनके पास गया
: गुड मॉर्निंग मैम ( उनको पीछे से हग करता हुआ नाइटी के उसपे से उनके मुलायम चूचों को मसल दिया )
: अह्ह्ह्ह्ह बदमाश , गुड मॉर्निंग ऐसे करते है क्या ? ( वो सिसकते हुए बोली )


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: तो फिर कैसे करते है आप ही बताओ न ( मैने पीछे से उनकी गोल मटोल चूतड़ों की दरारों में नाइटी के ऊपर से उंगली घिसने लगा , उनके नरम चूतड़ों को हथेली में भरने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू हटो न , मुझे ये फाइल रेडी करनी है ( वो सिसकती कसमसाती हुई बोली )
: मै कहा आपको रोक रहा हु मै ( मै उनके गर्दन कंधे को चूमता हुआ नीचे सरकने लगा और धीरे धीरे उनकी शॉर्ट नाइटी को उनके चूतड़ के नीचे से खींचता हुआ बैठने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू क्या कर रह रहे हो उम्मम्म ( वो अपने बड़े बड़े गोल मटोल चूतड़ों को हल्का सा उठाते हुए बोली ताकि उनके चूतड़ों के बीच दबी हुई नाइटी आसानी से उठ जाए )

सामने उनके चूतड़ स्टूल पर फैले हुए और मेरे पंजे उनके नरम नंगे मुलायम चूतड को सहलाते हुए चूमने लगे
: उह्ह्ह्ह शानू ऐसे मै कैसे काम कर पाऊंगी , तंग मत करो न प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई गुदगुदी हो रही है कितने मुलायम होठ है तुम्हारे
:ओह्ह्ह उम्मम बदमाश काट क्यों रहे हो ( मैम हल्का सा उचकी जब मैने उनके रसीले चूतड़ पर दांत लगाए )
: आपकी गाड़ बहुत मोटी है मैम उम्मम
: धत्त गंदे कैसा बोल रहे हो , शर्म नहीं आ रही , छोड़ो ना हटो वहाआअ सेहह ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई उम्मम्म क्याह्ह कर रहे अह्ह्ह्ह फक्क्क् उह्ह्ह्ह शानू उम्मम


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मैने उनके कसे हुए चूतड़ों को फैलाते हुए उनकी गाड़ की सुराख पर जीभ चलाने लगा और वो बुरी तरह से अकड़ने फड़कने लगी
उनकी भूरी सुराख को अच्छे से चाटते हुए मै उनके चूतड़ को फैलाते जा रहा था
: ओह्ह्ह्ह्ह गॉड शानू उम्मम यस बेबी फक्क्क् ओह्ह्ह्ह खा जाओ कितना अच्छा लग रहा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू डाल दो न
: क्या चाहिए मैम ( मै खड़ा होकर अपना 9 इंच लंबा बियर की कैन जैसा मोटा मूसल निकाल उसपे थूक लगाते हुए दूसरे साथ से मैम की गाड़ पर अंगूठा दरते हुए बोला )
: वही जो तुम्हारे हाथ में है ( वो बड़ी बड़ी आंखों से गर्दन घुमा कर गहरी गहरी सास लेते हुए मेरा लंड घूरते हुए बोली )
: इसका नाम भी है मैम ( मै मेरे लंड का सुपाड़ा उनके गाड़ के सुराख पर टिकाया घिसने लगा , वो आंखे उलटती हुई खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी )
: बोलो न मैम ( मैने ढेर सारा थूक लेकर उनकी गाड़ की सुराख पर लीपते बोला )
: ल लंड डालो न मेरी जान ओह्ह्ह्ह प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई आराम से ओह्ह्ह्ह टाइट है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड बड़ा है आराम से शानू ( मै मेरा सुपाड़ा उनकी गाड़ में भेद चुका था जो बड़ी मशक्कत से जा रहा था , रात में ही मैम ने बताया था कि उनके शौहर उनकी गाड़ बहुत मारते थे और सुबह मेरी नियत खराब हो गई ).


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: अह्ह्ह्ह्ह मैम आपकी गाड़ बहुत कसी है आह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है घुसाने ओह्ह्ह ( मै हल्का हल्का उनकी गाड़ में लंड आगे पीछे करने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई हार्ड ओह्ह्ह्ह गॉड इट्स टू बिग इन माय एस्स उम्मम अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड
: लो मेरी सेक्सी मैम अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ बहुत मस्त है आह्ह्ह्ह चोद चोद इसको भर दूंगा मैं अह्ह्ह्ह्ह मैम


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: डोंट काल मी मैम, से माय नेम बेबी फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू
: अह्ह्ह्ह्ह रेशमा मेरी जान ओह्ह्ह्ह लेह मेरा मोटा लंड अपनी गाड़ में ओह्ह्ह्ह जिस दिन से ज्वाइन किया था तेरे गाड़ ने मुझे पागल कर रखा था अह्ह्ह्ह्ह
: तो एक बार मांग लेते मेरे राजा खुद खोल कर बैठी जाती मै तेरे लंड पर ओह्ह्ह्ह्ह
: ओह गॉड सच में क्या , ऑफिस में ही चुदवा लेती क्या
: जब ऑफिस में मिजवा सकती हु तो चुदवा क्यों नहीं सकती ( मैम की बातें सुनकर मेरा लंड और अकड़ गया )
: तो उस बहनचोद आहूजा से मिज़वाती हो अपने चूचे उम्मम
: बस दो बार अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह रुकना मत चोदो ओह्ह्ह्ह गॉड आ रहा है ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
: साली रंडी आज तेरी फाड़ दूंगा ( मै पूरे जोश में अपना लंड उनकी गाड़ में पेलने लगा और वो झड़ रही थी )
: हा फाड़ दो भर दो मेरी गाड़ ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू पेलो और तेज अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई हार्ड


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: अह्ह्ह्ह लह्ह्ह साली अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो लह्ह्ह भर दिया
मै उनकी गाड़ में झड़ते हुए लंड बाहर निकाल दिया और


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वो स्टूल पर बैठे हुए रही
धीरे धीरे उनकी गाड़ सारा रस बाहर उगलने लगी जो उनकी चूत से रिसकर कर फर्श पर गिरने लगी और वो खिलखिला रही थी मै भी उस रंडी को देख कर अपना लंड सहला रहा था ।

फिर मै उसके पास आगे गया और उसके लिप्स चूसने लगा
: नहाने चले
: हम्म्म ( वो मुस्कुरा कर बोली )
फिर हम नहाने के लिए बाथरूम में गए और फिर ऑफिस के लिए तैयार होने लगे ।


मै रेडी होकर नीचे आया और अम्मी ने नाश्ता तैयार कर दिया था
: शानू नाश्ता कर ले बेटा ( अम्मी आज खुश थी )
: जी अम्मी
: अच्छा सुन आज लेट तो नहीं होगा तुझे ( अम्मी ने नाश्ते की प्लेट देते हुए पूछा )
: पता नहीं अम्मी , आज प्रोजेक्ट सबमिट करना है शाम भी हो जाएगी क्यों ( मै जान रहा था कि अम्मी बस मुझसे कनफर्म कर रही थी क्योंकि आज नगमा मामी आने वाली है )
: अरे अगर समय से आ गया तो बाजार चलना था शॉपिंग के लिए
: अह कोशिश करूंगा अम्मी , और अगर लेट हुआ तो जुबैदा चच्ची के मोबाइल पर काल कर दूंगा ( मोबाईल का नाम आते ही अम्मी के चेहरे के हाव भाव बदल गए )
: तू फोन लेकर जाएगा क्या ?
: ओह सॉरी भूल गया था , मैने तो प्रोमिस किया है न मोबाइल नहीं चलाने का ( मै उखड़े हुए स्वर में जबरन मुस्कुराहट लाते हुए बोला)
: अरे बेटा ऐसा नहीं है , लेकिन अब हिसाब भर मोबाइल चलाना । तेरे एग्जाम भी तो आ रहे है उसकी तैयारी कर ( अम्मी ने मेरे सर सहलाती हुई बोली)
: जी अम्मी ( एक अजीब सी सरसराहट हुई बदन ने अम्मी ने जब हाथ फेरा तो )
: जल्दी से नाश्ता कर ले , 10 तो यही बज गए

मै कुछ कि तभी हाल में नगमा मामी काले बुरखे में दाखिल हुई और उन्हें देखकर मेरे दिल की बेचैनी बढ़ने लगी


:हाय , रेडी ? ( मैम बोली )
: हा, लेकिन ... आप ऐसे ?
: क्यों अच्छी नहीं लग रही हूं ( रेशमा मैम ने पोज देते हुए कहा और अपनी कूल्हे बाहर निकाले )
: वो तो ठीक है लेकिन आज आहूजा सर की पैंट खुल जाएगी हीहीहीही
: और तुम्हारी उम्मम ( मैम ने सीधे मेरे लंड को जींस के ऊपर से पकड़ लिया और मेरी हालत खराब होने लगी । मैने उनकी कमर में हाथ डाल कर उनकी गाड़ मसलता हुआ )
: अगर मेरा पेंट खुली तो आपकी लिपिस्टिक खराब हो जाएगी ( वो मेरी आंखो में देख रही थी और उनकी सांसे गरम हो रही थी । फिर वो मुस्कुराने लगी)
: तुम ना, छोड़ो लेट हो रहा है

फिर हम बातें करते हुए गाड़ी से ऑफिस के लिए निकल गए।
जारी रहेगी
Waaaooo sooo 🔥 🔥 🔥 Aaaahhhhhh 👅👅👅♥️

afterschool-special
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Bulbul_Rani

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UPDATE 001

सफर

इंदौर जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 3 पर मैं एक टी स्टाल के पास खड़ा होकर , सफर के लिए स्नैक्स पानी बोतल वगैरह ले रहा था , इंदौर - पटना एक्सप्रेस अभी कुछ मिंट लेट थी ।
अक्सर मेरे साथ ये अनुभव रहा है कि जब भी कही जाने की जल्दी हो तो सवारी कही न कही खुद लेट हो ही जाती है और वो महज कुछ मिंट की देरी से लगता है कि अब समय से सारा सोचा हुआ काम होगा ही नही ।

तभी सामने से इंदौर - पटना एक्सप्रेस तेजी से हॉर्न बजाती हुई अपनी जगह पर रुकती है और मैं अपना एक पिट्ठू बैग लेकर 3Ac के एक कोच के चढ़ जाता हूं।

चढ़ते उतरते यात्रियों की भीड़ से गुजर कर अपनी सीट खोजता हुआ मैं आगे बढ़ रहा था , दोपहर के 2 बज रहे थे और ट्रेन निकल पड़ी थी ।
हल्के झटके से मैं संभलता हुआ अपना बैग वही किनारे रख कर एक महिला जो मेरे सीट पर लेटी हुई उनको खड़े खड़े आवाज देने लगा ।
आस पास के लोग भी उन्हें आवाज देने लगे , उस केबिन शायद उस वक्त तक कोई और महिला नही थी ।
स्वस्थ तदुरुस्त बदन की मालकिन दिख रही थी , पटियाला सलवार और सूट में अपने ऊपर लंबा चौड़ा काटन का दुपट्टा चढ़ाए गहरी नींद में थी वो ।
कूल्हे पर हुई सलवार में उसके मोटे विशालकाय मटके जैसे चूतड बहुत ही कामुक नजर आ रहे थे , और उन उन्नत फैले हुए नितंब को देख कर पल भर के लिए मुझे किसी की याद आई , मगर सोती हुई निर्दोष महिला के अंग निहारने से मेरे भीतर का पौरुष मुझे धिक्कारने लगा ।

मैंने नजरें फेर ली और बड़े असहज भाव से कुछ पल उनके उठने की राह निहारी , आस पास बड़ी बेबसी से जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर बाकी बैठे हुए लोगो की देखा मगर शायद उन्हें भी इस चीज के लिए फर्क नहीं पड़ रहा था , शायद वो पहले भी काफी बार से उस महिला को उठाना चाह रहे थे ।

तभी उन भले लोगो में से एक ने घिसक कर मुझे खिड़की से लगी हुई किनारे की ओर सीट में जगह देदी ।
बड़ी मुश्किल से अपने कूल्हे पिचकाकर मैं वहा बैठ पा रहा था , कुछ ही मिनट बीते होंगे कि मेरी ही बेल्ट अब बगल से कुछ कमर में तो कुछ पेट में चुभने लगी थी ।
मुझे ये सफर एक झंझट सा महसूस हो रहा था , महगी टिकट और सीट भी कन्फर्म थी मगर ऐसे सफर करना पड़ रहा था ।
थोड़ा खुद को सही करता बेल्ट ढीला का बोगी की लोहे की दीवाल में सर टिका दिया , तिरछी नजर कर शीशे से बाहर निहार रहा था जल्द ही मेरी पुतलियां भी तंग होने लगी और मैंने नजरें सामने की अह्ह्ह्ह्ह गजब की ठंडक आ रही थी ,
उस महिला के दुपट्टे के नीचे से हल्की सी उसके नूरानी घाटियों की झलक सी मिली और थोड़ा सा गर्दन सेट किया तो एक लंबी गहरी दरार
आस पास नजर घुमा कर देखा तो सब बातो में लगे थे तो कोई झपकियां ले रहा था ,
मेरी नजर रह रह कर उस महिला के सूट में लोटी हुई छातियों के दरखतों के जा रही थी, कभी खुद को धिक्कारता तो कभी लालच हावी होने लगता और जैसे पल भर को आंखे मूंदता तो एक कामकल्पना से परिपूर्ण दृश्य मेरी आंखो में भर सा जाता , जहा कई कहानीयां उभर आती थी मन में ।
बार बार चीजे मन में घूमने से मेरे पेंट में कसावट सी होने लगी , जिसे छिपाने के लिए मुझे अपनी बैग का सहारा लेना पड़ा ।

कुछ देर बाद एक आदमी अगले स्टेशन पर उतर गया और मुझे भी आराम से बैठने का मौका मिला । मगर जैसे ही तन को सुख हुआ मन अपनी मनमानीयों पर उतर आया ।

अब मेरी नजर उस महिला को भरपूर नजर से निहारने लगी थी , बैग अभी भी मेरे जांघो पर थी । नीचे पेंट में तम्बू का साइज बढ़ने लगा था ।
ऐसा ही सूट सलवार कोई पहनता है जिसे मैं बचपन से देखता आ रहा हूं और वो मुझे बहुत अजीज थी ।

मेरी अम्मी ,
अभी कल ही बात लगती है कि मैं जब उनसे लिपट जाया करता था , उनके मखमली पेट पर जब वो लेटी होती थी मैं चढ़ कर अटखेलियां कर लिया करता था , उनके मोटे मोटे खरबूजे जैसे दूध की थैलियों में सर छिपा कर उनका दुलार प्यार जबरन ले लिया करता था ।

गर्मी की दोपहर अक्सर सोते हुए मेरे पैर उनके विशालकाय चूतड पर ही होते थे , अक्सर मोबाइल चलाते हुए मेरे पैर के पंजे उनके मुलायम चूतड को सलवार के ऊपर से आंटे की तरह घंटो गुदते रहते ।

अम्मी - शानू बेटा क्या कर रहा है
मैं - अम्मी मूवी देख रहा हु बस लास्ट सीन है
अम्मी - ओहो पैर हटा ना अपना , क्या कबसे गीज रहा है मुझे
मै अपनी धुन में मस्त था - अम्मी बस 5 मिंट
अम्मी - मैं क्या बोल रही हू और ये क्या सुन रहा है , कुछ नही हो सकता इसका आह्ह् रब्बा पुरा कमर लोहे का कर दिया

अम्मी लड़खड़ाती हुई उठी और गुसलखाने की ओर बढ़ गई , मैने मुस्कुरा कर मोबाइल से नजर हटा कर कमरे से बाहर जाती हुई अम्मी की मोटी थिरकती गाड़ देख कर अपना खड़ा लंड मिस दिया ।

"कितने बजे भैया ,अरे हस क्यूं रहे हो बताओ ना कितने बजे "
मै चौक कर नजर उठा कर देखा तो आस पास की सीट सब खाली थी और वो महिला जो सो रही थी वो सामने खड़ी होकर मुझे ही आवाज दे रही थी - जी ? जी 03.45 हो रहे है ।

वो महिला सुस्त होकर एक बार फिर उस सीट पर बैठ गई ।
दुपट्टे की चादर अभी भी उसके खरबूजे से चूची को अच्छे से ढके हुए थी मगर उनके उभार छिपाने में नाकाम थी ।
महिला - भैया पानी साफ है क्या ?
मै - जी , लीजिए
मैंने ढक्कन खोलकर उसकी और बढ़ाया और एक सास में जितना पी सकी वो पी गई , कुछ छलक कर उसके होठों से होकर ठूढी से टपक कर उसके सीने पर गिरने लगी और दाई ओर से चूचे के ऊपरी भाग पर दुपट्टा और सूट पर थोड़ा सा हिस्सा गिला होकर उसके सीने से चिपक गया , देखने ऐसा लग रहा था मानो दुपट्टे के नीचे उसकी रसदार चूचियां पूरी नंगी ही है ।

उसने मुझे पानी का बोतल दिया - थैंक यू
मैंने मुस्कुरा कर - आप अकेली सफर कर रही है क्या ?
उस महिला ने मुझे अजीब नजरो से देखा और फिर कुछ देर चुप्पी किए रही मुझे लगा शायद उसे मेरा सवाल समझ नही आया या फिर मेरी शक्ल ही ऐसी है ।

कुछ देर बाद वो बोली - मेरी बहन का इंतकाल हो गया था उसी सिलसिले में आई थी अब वापिस जा रही हू , और मेरे शौहर बाहर रहते है ।
उसकी बातें सुन कर मुझे तो बहुत गहरा दुख हुआ , फिर मैंने उसे खाने के लिए पूछा पहले तो उसने मना किया फिर मैंने जब दुबारा से कहा तो वो उसने मेरी टिफिन से एक रोटी ले ली

मै - कैसी है सब्जी , मैने बनाई है ?
वो मुस्कुराई और स्वाद लेती हुई - बनानी आती है क्या ?
मै - हा अम्मी से सीखी है ,
वो - अच्छी है
मै टिफिन आगे कर - और दू
वो ना में सर हिलाती हुई खाना खाने लगी और उसकी निगाहें शीशे से बाहर थी । गुमसुम सी आंखे उसकी बहुत हल्की फुल्की मुस्कान लिए सब देख रही थी ।
[मैंने भी नज़रे बाहर की ओर कर सपाट खेतो की ओर निहारने लगा , मेरी बनाई हुई सब्जी अभी भी मेरे दांतो मे पिस रही थी और मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी

"ओहो , ऐसे नही जला देगा तू हट, हट जा " अम्मी मुझे अपने देह से मुझे धकेलती हुई मेरे हाथो से कलछी और कपड़ा ले लेती है जिससे मैंने कराही पकड़ी थी ।
अम्मी के मुलायम स्पर्श से मैं भीतर से सिहर उठा और वही उनसे लग कर खड़ा होकर उनके देह से आ रही भीनी सी खुश्बु को अपनी सासो में बसा लेना चाह रहा था ।

" अब अगला उबाल आए तो उतार देना "

" अब अगला स्टाफ आए तो बता देना " , उस महिला ने कहा ।
" जी ? जी , ठीक है "

महिला मुझे घूरती हुई - तुम फिर मुस्कुरा रहे हो ?

मै हंसता हुआ - जी ? वो काफी समय बाद घर जा रहा हु तो बस अम्मी की बातें याद आ रही है ।

वो महिला मुस्कुरा कर - बहुत प्यार करते हो न अपनी अम्मी को ?
मै अचरज से - आपको कैसे पता ?

महिला इतराहट भरी मुस्कुराहट से - तुम्हारी बातों में तुम्हारी अम्मी ही बसी होती है इसीलिए

मै उसकी बात सुनकर ऐसे मुस्कुराता जैसे वो मेरी प्रेमिका के बारे में बोल रही थी ।

महिला - कहा से आ रहे हो ?
मै - जी इंदौर में ही नौकरी है मेरी और लखनऊ जाना है ।

महिला - खास लखनऊ ही ?
मै - जी नहीं , वहा मुख्य शहर से बाहर एक गांव है वही घर है मेरा और आप ?

महिला - मुझे अगले ही स्टेशन पर उतरना है और फिर यह तो तुम अकेले पड़ जाओगे

मै हस कर - आप भी चलिए फिर मेरे साथ
महिला खिलखिलाई - अम्मी से मिलवाने हिहिहिही
मै भी उसकी खिलखिलाई सूरत देख कर हस पड़ा - हा और है ही कौन मेरा ?

वो महिला का चेहरा फीका सा पड़ने लगा - क्यू , अब्बू नही है ?
मै मुस्कुरा कर - है , वो मेरी उनसे खास बनती नही इसीलिए

महिला - और बहन ?
मैंने ना में सर हिला दिया ।

कुछ देर यूं ही हमारी बातें चलती रही और फिर आधे घंटे बाद वो उतर गई , जल्द ही कुछ नए यात्री आ गए मैंने भी इत्मीनान से अपनी सीट लेली और पैर फैला कर कोने से टेक लेकर आंख मूंद लिया ।

मेरे जहन में अब भी उस महिला की बातें चल रही थी और वो लाइन मेरे दिल में बस सी गई थी " तुम्हारी बातों में तुम्हारी अम्मी बसी होती है "

गाड़ी स्टेशन दर स्टेशन गुजरती रही और भीड़ आती जाती रही , चेहरे बदलते रहे

" अरे अरे भाई साहब देख कर बैग है मेरा " मैने एक आदमी को डांट लगाई हो अपने परिवार के साथ अभी अभी बोगी में चढ़ा था और उसके जूते मेरे बैग पर आ गए थे ।
मैंने झल्लाते हुए बैग ऊपर किया और उसको झाड़ते हुए चैन खोल कर बैग में रखा हुआ वो गिफ्ट का वो बॉक्स देखा जिसकी लाल चमकीली पन्नी देख कर मेरे होठ मुस्कुराने लगे ।
मैंने वापस बैग की चैन बंद कर बैग को अपने गोद में रख कर सीने से लगाए हुए आंख बंद लिया ।

" नही नही नही , इससे बड़ी नही मिलेगी भैया ये ही सबसे बड़ी size मेरे पास "
" भैया आपको जितने पैसे चाहिए लेलो कही से मेरे लिए शेम यही सूट की 4XL साइज देदो" , मैं मिन्नते करते हुए उस दुकानदार से बोला ।

दुकानदार ने अपने किसी स्टाफ कर बाजार की दूसरी गली से वही ड्रेस मेरे पसंद की साइज में मंगवाई और मैंने फाइनल करवा लिया
दुकानदार - देख समझ लो भैया इस साइज की कोई वापसी नहीं लूंगा मैं , आपको यकीन है ना कि जिसको आप देंगे उनकी साइज यही है ?
मै मुस्कुराता हुआ - हा भईया पता है , मेरी ही अम्म..... , अब पैक भी करवा दो ।


" टिकट टिकट , ओह भाईसाहब टिकट दिखाइए"
मैंने टीटी को अपनी टिकट दी और वो आगे बढ़ गया
मेरे मन में एक कड़वाहट सी होने लगी थी अब , ढलती रात में भी कोई न कोई मुझे डिस्टर्ब कर देता था । जिस वजह से मैने एसी की टिकट निकलवाई थी वो सफल नहीं दिख रही थी
मेरी नजर ऊपर के बर्थ पर गई सोचा किसी से बदली कर लू
मगर ऊपर वही आदमी लेटा हुआ मोबाइल चला रहा था जिसको आते ही मैंने फटकार लगा दी थी ।

रात के 10 बजने को हो रहे थे कि मेरी फोन की घंटी बजनी शुरू हुई और स्क्रीन पर अब्बू का नंबर देख कर मेरा मूड और भी उखड़ सा गया - हा हैलो नमस्ते अब्बू
: हम्म्म लो तुम्हारी अम्मी बात करेगी
मै एक पल के चहक उठा मगर अगले ही पल जब अहसास हुआ कि अब्बू भी घर पर है तो मेरा मन मायूस सा हो गया ।
मै - जी नमस्ते अम्मी
: क्या हुआ बेटा , तबियत ठीक है ना तेरी ? ट्रेन मिली ? कुछ खाना पीना किया ?
सवालों पर सवाल, फिकरमंद अम्मी ने मुझपर दागे और उसके लाड में मैं भी मुस्कुरा कर - इतनी फिकर है तो खुद क्यूं नही आती जाती हो अपने बेटे के साथ , हूह

मोबाइल में छाई चुप्पी की वजह मै समझ सकता था अब्बू के कारण अम्मी खुलकर कभी मुझसे अपने दिल की बात नही कहती और न ही ज्यादा लाड प्यार जताती ।
मै उनकी चुप्पी पर उखड़े मन से बोल पड़ा - आप फिकर ना करे , अब्बू से कह दें , मैं ठीक हूं और खाना पीना भी हो गया है सुबह 6 बजे लखनऊ पहुंच जाऊंगा ।

: ठीक है बेटा , रखती हु
मै - जी बाय
अभी फोन कटा नही था और अब्बू को शायद लगा कि कट गया । फोन पर उनकी बड़बड़ाहट और अम्मी पर गुस्सा साफ साफ सुनाई दे रहा था ।

ये सब पहली बार मैं नही सुन रहा था और मैने फोन काट दिया । आंखे भर आई मेरी ।
मेरी डबडबाई आंखे मिडल बर्थ पर लेटी एक चाची ने देख ली और करवट लेकर बोली - क्या हुआ बच्चा , सब ठीक है ना

मै आंख पोछ कर - जी ? जी सब ठीक है ?
चाची - अकेले सफर कर रहे हो क्या बच्चा
मै - जी चाची , घर जा रहा हु
चाची - कुछ खाना पीना किया ?
मै मुस्कुरा कर - आप फिकर ना करें , मैं खाना खा चुका हु । वो बस अम्मी की याद आ गई थी

चाची सीधी होकर लेट गई - सो जा बच्चा , रो कर अपनी अम्मी को तकलीफ मत दे

मै अचरज से - मतलब ?
चाची - अरे वो तेरी अम्मी है , तू उसका ही अंश है तू रोएगा तो उसका भी कलेजा रोएगा बेटा । सो जा

मै उसकी बात सुनकर अपने आशु साफ किए और लेट गया
मेरे दिमाग में उस चाची की बात घूमने लगी कि क्या सच में ऐसा होता होगा कि मैं जैसा महसूस करूंगा वो अम्मी भी करेंगी । अगले ही पल मेरी घटिया सोच मेरे साफ पाक भावनाओं पर हावी हो गई ।

मै मुस्कुरा कर खुद को गाली देते हुए - बीसी तू नहीं सुधरेगा कभी हिहीही

कुछ देर तक लेटे रहने के बाद भी मुझे नीद नही आ रही थी रात गहराती चली गई और ख्याल अम्मी के बातें उनकी यादों से भरता चला गया ।

मै उठा और बैग सही से रख कर बाथरूम की जाने लगा रास्ते में बोगी के हर कपार्टमेंट में कोई न कोई महिला के कपड़े अस्त व्यस्त दिखे ।
मन में तरंगे भी उठनी शुरू हुई और बाथरूम में जाते ही मैंने अपना अकड़ा हुआ लंड निकाल कर पेशाब करने लगा

मोबाइल हाथ में था तो उसको चलाने लगा कि मेरी नजर गैलरी ऐप पर गई
मै पूरी शिद्दत से अपने मन को रोक रहा था मगर मेरे दिमाग पर हवस हावी होने लगा था और मैने गहरी सास लेते हुए hide image से एक तस्वीर बाहर निकाली


वो एक वीडियो कॉल के दौरान ली गई स्क्रीन शॉट थी जिसमे अम्मी पहली बार बिना दुपट्टे के मेरे सामने थी और मैंने झट से वो कैप्चर कर ली थी ।

IMG-20221208-142520
तस्वीर में उनके उन्नत और सूट में कसे हुए थन जैसे चूचे देखकर मेरा लंड बौरा उठा और मैं तेजी से अपना लंड सहलाते हुए आंखे बंद कर कभी अम्मी का चेहरा याद करता तो कभी तस्वीर में अम्मी की मोटी मोटी चूचियां निहारता , उनके गुलाबी गाल और लाल लाल कश्मीरी सेब रंग के होठ देख कर मेरे होठ बड़बड़ाने लगे ,मगर ट्रेन के टॉयलेट में एक डर था कि कही कोई मेरी आवाज न सुन ले ।

अम्मी उह्ह्ह्ह मेरी अम्मी आप क्यू नही आ जाती मेरे पास अअह्ह्ह्ह सीईईईईईआई मैं आपको हमेशा के अपना बना लेना चाहता हुं उह्ह्ह्ह पकड़ो ना मेरा लंड , कब मेरे तपते लंड को अपने इन होठों की मिठास से ठंडा करोगी , कब मेरे होठ तुम्हारे रसीले निप्पल को दुबारा से जूठा करेंगे अअह्ह्ह्ह अम्मी अहह्ह्ह्
मै अब और नही रूकूंगा अअह्ह्ह्ह इस बार तो आपको छू लूंगा , आपके बड़े मुबारक चूतड पर हाथ लगाऊंगा अह्ह्ह्ह्ह अम्मी कितने साल हो गए आपकी नरम नरम गाड़ को छुए , आपके बड़े रसीले खरबूजे जैसे चूची में अपना सर रख कर सोए उह्ह्ह्ह अम्मी मुझे बड़ा नही होना अअह्ह्ह्ह मैं आपका होकर रहना चाहता हु अह्ह्ह्ह सीईईईईईआई मत दूर करो मुझे उह्ह्ह्ह ओह येस्स उम्मम्म गॉड फक्क्क्क उह्ह्ह्ह अम्मीई अअह्ह्ह्हह

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और देखते ही देखते मेरी तेज गाढ़ी मलाईदार पिचकारी बाथरूम की दिवालों पर एक के बाद एक छूटती रही और मैं मोबाइल जेब में रख कर अंत तक उसे निचोड़ता रहा ।

फिर आकर अपनी सीट पर सो गया
अगली सुबह तड़के मेरी नीद खुली , कंपार्टमेंट में अजीब गुपचुप तरीके भिनभिनाहट मची हुई थी और कुछ देर में मुझे भनक लगी कि वहा अनजाने में लोग मेरी ही बात कर रहे थे , क्योंकि हिलाने के बाद मैने पानी से कुछ भी साफ नही किया था वैसे ही निकल आया था ।
मुझे हसी भी आई और खुद को गालियां भी दी मैने की एक जग पानी मार देता तो क्या हो जाता

खैर मैं लखनऊ उतर चुका था मुझे सीतापुर रोड के लिए बस लेनी थी और आगे 15-17km बाद ही हाईवे से लगा मेरा छोटा सा कस्बानूमा गांव था - काजीपुर ।

जारी रहेगी
Superb start
 
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UPDATE 011

Good morning

रात ढल रही थी और मै शर्म से अपने कमरे से निकल नहीं रहा था ।
शाम की चाय के लिए भी अम्मी ने आवाज नहीं दी थी अजीब सा डर लग रहा था मन में
मोबाइल भी अम्मी के पास ही था ।
रात के 9 बजने को हो रहे थे और किचन में सीटियां कबकी बज कर शांत हो चुकी थी , दोपहर से ही भूख लगी थी और उसपे से अम्मी की फिकर अलग थी ।
समझ नहीं आ रहा था क्या करूं
बड़ी हिम्मत कर मै उठा और जीने से नीचे आने लगा , अम्मी के कमरे से हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी ।
शायद अब्बू से फोन पर कुछ बात कर रही होगी ऐसा मुझे लगा ।
ना जाने क्यों ऐसी सिचुएशन में भी अब्बू अम्मी की बातें करना मेरे लंड को भाने लगा , और वो अपना सर उठाने लगाने लगा ।
फट भी रही थी कि अगर अम्मी से अब्बू से कह दिया तो पिटाई तय थी ।
बिल्लियों के जैसे बिना आहट के मै जीने से उतर कर अम्मी के कमरे के पास गया, दरवाजा पूरा खुला तो ऐसे में मैं बिना दरवाजे के आगे गए किनारे से ही दीवाल से लग गया ।

: सारी गलती मेरी है यार , मै तुझसे बातों में लगी थी और फिर उसने मोबाइल मागा तो दे दिया मैने ( अम्मी फोन पर बोली )
मै समझ गया मेरी ही हो रही है मगर किससे?
: मेरी तो हिम्मत नहीं हो रही है कि उसके सामने जाऊ। बेचारा दुपहर से नीचे नहीं आया ।
कुछ देर तक अम्मी फोन पर सामने वाली की बातें सुनती रही
: हा खाना बना लिया है मैने , मुझे बहुत अफसोस हो रहा है कि खुद की गलती होते हुए आज पहली बार मेरा हाथ उठा उसके ऊपर ( अम्मी फोन पर समझा रही थी और उनकी बातों से मुझे हिम्मत हो रही थी )
मै समझ गया कि अगर मैने पहल की तो चीज़ें नॉर्मल हो सकती है और शायद अब्बू तक बातें न जाए ।

: अम्मी भूख लगी है ( मै रुआंस लहजे में अम्मी के कमरे के दरवाजे पर आ गया )
: अच्छा नगमा तू फोन रख , शानू आया है । ( अम्मी मुझे देख कर बोली )
: हम्मम मै करती हूं अभी ( अम्मी ने फोन काट दिया )
नगमा नाम सुनते ही मै समझ गया कि अम्मी अपने सहेली से बात कर ही थी

मै वही दरवाजे पर खड़ा रहा और अम्मी को देख रहा था भरी आंखों से । अम्मी ने मुझे देखा और दुपट्टा सही करती हुई नजरे चुराने लगी ।
वो मेरी ओर बढ़ रही थी बिना कुछ बोले और मेरे बगल से निकल कर किचन में खाना निकालने लगी ।

मै उनके पीछे चला गया
: अम्मी आप भी खा लो न प्लीज
अम्मी के हाथ रुक गए और मगर वो मेरे ओर चेहरा नहीं की थी ।
फिर से वो मेरी ही प्लेट में परोस रही थी ।
: सॉरी अम्मी , प्लीज ( अम्मी फफक पड़ी और मैं उनकी पीछे से हग कर लिया)
मेरी आंखो से भी आंसू गिर रहे थे नहीं पता क्यों मगर अम्मी के गुदाज मुलायम चूतड से चिपक खड़े होना और उनकी पीठ पर सर टिकाना बहुत भा रहा था मुझे , वही अम्मी किचन स्लैब पकड़ कर खड़ी खड़ी रो रही थी ।
: अम्मी प्लीज आप रो मत , सॉरी मुझे नहीं देखना चाहिए था वो सब ( वो सिसकती फफकती रही )
: मुझे नहीं चाहिए मोबाईल आप ही रखो इसे , लेकिन प्लीज आप भी खाना खा लो । दुपहर से आपने कुछ नहीं खाया । ( मै अम्मी के कंधे पर सर रखता हुआ पीछे से ही बोला )
: तूने खा लिया बड़ा जैसे , चाय बनाई थी आया क्यों नहीं पीने ( अम्मी मेरी ओर घूम कर बोली )
: सॉरी मुझे लगा आप नाराज होगी ( मै उदास चेहरे से उनकी ओर देखा , आंसुओं ने आंखे और गाल दोनो गाल कर दिए थे उनके )
: तुझसे मै भला क्यों नाराज होऊंगी रे, इधर आ ( अम्मी ने खींच कर मुझे अपने सीने से लगा लिया )
गुदाज छातियों में मै कही खो सा गया और वो मेरे सर को कस कर हग कर ली थी। सालों बाद ऐसे दुलारा था अम्मी ने मुझे , इन रसीले मम्मों को महज छूने भर के ख्वाब थे मेरे और अम्मी उन्हीं में मुझे कसे जा रही थी , लंड खुद ब खुद अकड़ने लगा था ,
: हवसी कही का ( मैने मन में लंड को डांटा )
: अम्मी अपनी थाली भी लगाओ न प्लीज ( मैने अम्मी से फिर से रिक्वेस्ट की )
: क्यों मुझे अपनी थाली में नहीं खाने देगा उम्मम ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली )
: क्या सच में , आप मेरे थाली ने खाओगे ( मै चहक कर एक बार फिर से उनसे लिपटने को हुआ )
: ऊहू अब और चिपका चिपकी नहीं ( अम्मी बोल कर हसने लगी तो मैं फिर से उनको हग कर किया )
: ओहो बाबा हो गया , अब छोड़ न बदमाश
: हीहीहीही , लेकिन आपको मेरे हाथ से ही खाना पड़ेगा
: उम्मम , ठीक है ( अम्मी ने मुस्कुरा कर बोला )
फिर हम हाल में आए और सोफे पर बैठ कर खाने लगे ।
मै अम्मी को खिचड़ी खिला रहा था
: हम्म्म ये सही है , अब से रोज तू ही खिलाना मुझे । मुझे मेहनत नहीं करनी पड़ेगी
: अब्बू रहेंगे तब भी ( मै हंसते हुए बोला और वो आंखे दिखा कर हसने लगी )
: बहुत बिगड़ गया है तू , पढ़ाई में ध्यान दे एग्जाम सर पर है और मोबाइल.. !!
: वो आप ही रखो , मुझे नहीं चाहिए
: चला लेना कभी कभी , लेकिन मुझसे पूछ कर ही ( अम्मी की बात सुनकर मैं चहक उठा)
: थैंक्यू अम्मी

थोड़ी देर बाद मै अम्मी के साथ बैठा था ।
: अम्मी , आपने उस बारे ने अब्बू को बता दिया क्या ? ( डरते हुए बोला मै )
: नहीं क्यों , बता दूं
: नहीं नहीं प्लीज , अब्बू मुझे ही मारेंगे बिना गलती के !!
मेरी बात पर अम्मी मुस्कुराई
: अगर मेरी गलती नहीं थी तो आपने मारा क्यों ( मै दुलराते हुए उनसे चिपककर बोला )
: किसने कहा तेरी गलती नहीं थी ( अम्मी ने मेरी ओर देखा )
: वो सब तो आप भरवा कर लाई थी न , मै तो बस मूवी देखने के लिए खोला था ।
: चुप कर तू , ऐसे बात करेगा अपनी अम्मी से ( वो डांटने को हुई मगर चुप हो गई )
: मै तुझे इस गलती के लिए नहीं मारा , तेरी आदतें बहुत बिगड़ गई है इसीलिए मारा तुझे ।
: मेरी आदतें ? मैने क्या किया अब ( भीतर से मेरी फट रही थी कि अब क्या पता चल गया अम्मी को )

: अगर तुझे पता था वो सब वीडियो गंदी थी तो क्यों देख रहा था बोल । तुझे मोबाइल बंद करके रख देना चाहिए था ( अम्मी ने मुझे घूर कर देखा )
: सॉरी न अम्मी ? ( मै उनके बाजू को पकड़े हुए उनके कंधे पर अपने गाल रखे हुए उनसे बोला , एक अजीब सी गुदगुदी लग रही थी बदन में )
: और तू अपनी आदतें सुधार ले किसी दिन तेरे अब्बू ने पकड़ लिया तो खूब पिटाई होगी तेरी और अभी तेरी उम्र नहीं है ये सब करने की समझा ( अम्मी ने हड़काया मुझे )
: अब क्या किया मैने ? ( मै चौक कर सीधा होकर अम्मी की देखते हुए बोला )
: चल इतना भी भोला बनने की जरूरत नहीं है , तेरी सारी हरकतों के सबूत है मेरे पास समझा ( अम्मी मुंह बनाते हुए बोली )
: मतलब ? सच में नहीं पता आप किस बारे में बात कर रही है ?
: अच्छा अब तुझे ये भी बताना पड़ेगा कि जीने पर तो कभी बाथरूम में तो कभी वहा दरवाजे के पास ( अम्मी ने अपने कमरे के दरवाजे के पास इशारे किया ) छिप छिप कर क्या करता है सारे निशान मिल जाते है मुझे । एक लगाऊंगी अभी कमीना कही का ( अम्मी बोलते बोलते एकदम गुस्से से लाल होने लगी )
: उन्हीं सब आदतों को सोच कर तुझे मारा था , कहा से सीख रहा है ये सब तू ( अम्मी फिर से मेरे ऊपर गरजी ) कौन से दोस्त तुझे बिगाड़ रहे है बोल
: सॉरी ( मै बस इतना ही बोला , भीतर से मेरी फटी हुई थी और अपनी लापवाही के लिए खुद को गालियां बक रहा था , अम्मी को कैसे पता मै हिलाता हूं, जरूर मेरे वीर्य के दाग देखी होंगी )
: चूतिया हु बहनचोद मै ( मन ही मन खुद को गरियाया और उखड़ा हुआ एक टक अम्मी को निहार रहा था अब ना जाने क्या बोल दे वो )
: चल अब सो जा जाकर ( अम्मी ने गुस्से से कहा )
शायद वो मेरे मूठ मारने वाली बातें मुझसे नहीं कहना चाहती थी मगर मुझसे कह कर वो खुद से ही शर्मिंदा थी और उस बात का गुस्सा मुझ पर ही निकाल रही थी , मै चुपचाप ऊपर चला गया ।

रात के 11 बजने को हो रहे थे और मुझे नीद नहीं आ रही थी
बेसब्री थी जहन में अम्मी के पास जाने की उनकी बातें सुनने की
आखिर मैं कमरे से बाहर निकल आया और दबे पाव जीने से सरकता हुआ अम्मी के कमरे तक
अभी भी उनकी बातें चल रही थी
बातों से वो नॉर्मल दिख रही थी कुछ हसी ठिठौली भरी बातें हो रही थी , उनकी सहेली नगमा से ।
: अच्छा सुन वीडियो कॉल करती हु दिखा दे न , क्या छुपा रही है ?
: उम्मम इतना मन कर रहा है क्या , कल आ रही हु न तब देख लेना ?( नगमा मामी बोली )
: बस एक झलक तो दे दे , अच्छा बस सेल्फी भेज दे न ( अम्मी कसमसाते हुए बोली )
: अच्छा रुक भेजती हु
: एक मिनट ऐसे रहना ( अम्मी बोलकर शांत हुई और उनके बिस्तर से उठने की आहट मुझे मिली )
मै समझ गया कि मेरी चोरी पकड़े जाने वाली है ।
: शानू ??? ( अम्मी ने दरवाजा खोलकर मुझे आवाज लगाई)
मेरी फटी हुई थी ये सोच कर कि इनको भनक कैसे लगी कि मैं आया हु , जीने के नीचे छिपा है मै खुद से बडबडा रहा था ।

: नहीं कुछ नहीं मुझे लगा शानू नीचे आया है ( अम्मी दरवाजा लगाते हुए बोली )
मै लपक कर वापस कमरे के दरवाजे के पास से सरक कर खिड़की पर आ गया
: ओह्ह्ह्ह यार कितनी टाइट है ( अम्मी मोबाईल पर कुछ देख रही थी )
: तू भी दिखा दे
: आहा कल देख लेना हीहिही ( अम्मी खिलखिलाई )
: धत्त कामिनी है तू एक नंबर की ( नगमा मामी हंसते हुए बोली )
उनकी बातें कुछ कुछ मेरे समझ में आ रही थी मगर पूरी नहीं अब कल के लिए मेरा इंतजार बढ़ने लगा था कि कल क्या होगा ।
मै वापस चुपचाप अपने बिस्तर पर सो गया


अगली सुबह मेरी नींद खुली तो मै नरम मुलायम बिस्तर में चादरों के लिपटा हुआ था और मेरे देह पर रात में पहनी हुई एक टीशर्ट और मेरी अपनी ही बॉक्सर थी ।
आसपास का माहौल देखते ही चेहरे पर मुस्कुरा आ गई और बीती रात हुई मैम के साथ बाथरूम में मस्ती को सोच कर लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा ।
अंगड़ाई लेकर मै फ्रेश हुआ और उन्हीं कपड़ो में बाहर आया तो मैम टेबल पर बैठ कर काम रही थी , नाइटी में उनकी बड़ी सी गाड़ पूरे गोल मटोल शेप में नजर आ रही ही थी , देखते ही ईमान डोल गया
बॉक्सर के ऊपर से अपने फड़फड़ाते लंड को मसलता हुआ मै उनके पास गया
: गुड मॉर्निंग मैम ( उनको पीछे से हग करता हुआ नाइटी के उसपे से उनके मुलायम चूचों को मसल दिया )
: अह्ह्ह्ह्ह बदमाश , गुड मॉर्निंग ऐसे करते है क्या ? ( वो सिसकते हुए बोली )


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: तो फिर कैसे करते है आप ही बताओ न ( मैने पीछे से उनकी गोल मटोल चूतड़ों की दरारों में नाइटी के ऊपर से उंगली घिसने लगा , उनके नरम चूतड़ों को हथेली में भरने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू हटो न , मुझे ये फाइल रेडी करनी है ( वो सिसकती कसमसाती हुई बोली )
: मै कहा आपको रोक रहा हु मै ( मै उनके गर्दन कंधे को चूमता हुआ नीचे सरकने लगा और धीरे धीरे उनकी शॉर्ट नाइटी को उनके चूतड़ के नीचे से खींचता हुआ बैठने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू क्या कर रह रहे हो उम्मम्म ( वो अपने बड़े बड़े गोल मटोल चूतड़ों को हल्का सा उठाते हुए बोली ताकि उनके चूतड़ों के बीच दबी हुई नाइटी आसानी से उठ जाए )

सामने उनके चूतड़ स्टूल पर फैले हुए और मेरे पंजे उनके नरम नंगे मुलायम चूतड को सहलाते हुए चूमने लगे
: उह्ह्ह्ह शानू ऐसे मै कैसे काम कर पाऊंगी , तंग मत करो न प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई गुदगुदी हो रही है कितने मुलायम होठ है तुम्हारे
:ओह्ह्ह उम्मम बदमाश काट क्यों रहे हो ( मैम हल्का सा उचकी जब मैने उनके रसीले चूतड़ पर दांत लगाए )
: आपकी गाड़ बहुत मोटी है मैम उम्मम
: धत्त गंदे कैसा बोल रहे हो , शर्म नहीं आ रही , छोड़ो ना हटो वहाआअ सेहह ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई उम्मम्म क्याह्ह कर रहे अह्ह्ह्ह फक्क्क् उह्ह्ह्ह शानू उम्मम


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मैने उनके कसे हुए चूतड़ों को फैलाते हुए उनकी गाड़ की सुराख पर जीभ चलाने लगा और वो बुरी तरह से अकड़ने फड़कने लगी
उनकी भूरी सुराख को अच्छे से चाटते हुए मै उनके चूतड़ को फैलाते जा रहा था
: ओह्ह्ह्ह्ह गॉड शानू उम्मम यस बेबी फक्क्क् ओह्ह्ह्ह खा जाओ कितना अच्छा लग रहा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू डाल दो न
: क्या चाहिए मैम ( मै खड़ा होकर अपना 9 इंच लंबा बियर की कैन जैसा मोटा मूसल निकाल उसपे थूक लगाते हुए दूसरे साथ से मैम की गाड़ पर अंगूठा दरते हुए बोला )
: वही जो तुम्हारे हाथ में है ( वो बड़ी बड़ी आंखों से गर्दन घुमा कर गहरी गहरी सास लेते हुए मेरा लंड घूरते हुए बोली )
: इसका नाम भी है मैम ( मै मेरे लंड का सुपाड़ा उनके गाड़ के सुराख पर टिकाया घिसने लगा , वो आंखे उलटती हुई खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी )
: बोलो न मैम ( मैने ढेर सारा थूक लेकर उनकी गाड़ की सुराख पर लीपते बोला )
: ल लंड डालो न मेरी जान ओह्ह्ह्ह प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई आराम से ओह्ह्ह्ह टाइट है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड बड़ा है आराम से शानू ( मै मेरा सुपाड़ा उनकी गाड़ में भेद चुका था जो बड़ी मशक्कत से जा रहा था , रात में ही मैम ने बताया था कि उनके शौहर उनकी गाड़ बहुत मारते थे और सुबह मेरी नियत खराब हो गई ).


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: अह्ह्ह्ह्ह मैम आपकी गाड़ बहुत कसी है आह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है घुसाने ओह्ह्ह ( मै हल्का हल्का उनकी गाड़ में लंड आगे पीछे करने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई हार्ड ओह्ह्ह्ह गॉड इट्स टू बिग इन माय एस्स उम्मम अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड
: लो मेरी सेक्सी मैम अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ बहुत मस्त है आह्ह्ह्ह चोद चोद इसको भर दूंगा मैं अह्ह्ह्ह्ह मैम


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: डोंट काल मी मैम, से माय नेम बेबी फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू
: अह्ह्ह्ह्ह रेशमा मेरी जान ओह्ह्ह्ह लेह मेरा मोटा लंड अपनी गाड़ में ओह्ह्ह्ह जिस दिन से ज्वाइन किया था तेरे गाड़ ने मुझे पागल कर रखा था अह्ह्ह्ह्ह
: तो एक बार मांग लेते मेरे राजा खुद खोल कर बैठी जाती मै तेरे लंड पर ओह्ह्ह्ह्ह
: ओह गॉड सच में क्या , ऑफिस में ही चुदवा लेती क्या
: जब ऑफिस में मिजवा सकती हु तो चुदवा क्यों नहीं सकती ( मैम की बातें सुनकर मेरा लंड और अकड़ गया )
: तो उस बहनचोद आहूजा से मिज़वाती हो अपने चूचे उम्मम
: बस दो बार अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह रुकना मत चोदो ओह्ह्ह्ह गॉड आ रहा है ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
: साली रंडी आज तेरी फाड़ दूंगा ( मै पूरे जोश में अपना लंड उनकी गाड़ में पेलने लगा और वो झड़ रही थी )
: हा फाड़ दो भर दो मेरी गाड़ ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू पेलो और तेज अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई हार्ड


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: अह्ह्ह्ह लह्ह्ह साली अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो लह्ह्ह भर दिया
मै उनकी गाड़ में झड़ते हुए लंड बाहर निकाल दिया और


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वो स्टूल पर बैठे हुए रही
धीरे धीरे उनकी गाड़ सारा रस बाहर उगलने लगी जो उनकी चूत से रिसकर कर फर्श पर गिरने लगी और वो खिलखिला रही थी मै भी उस रंडी को देख कर अपना लंड सहला रहा था ।

फिर मै उसके पास आगे गया और उसके लिप्स चूसने लगा
: नहाने चले
: हम्म्म ( वो मुस्कुरा कर बोली )
फिर हम नहाने के लिए बाथरूम में गए और फिर ऑफिस के लिए तैयार होने लगे ।


मै रेडी होकर नीचे आया और अम्मी ने नाश्ता तैयार कर दिया था
: शानू नाश्ता कर ले बेटा ( अम्मी आज खुश थी )
: जी अम्मी
: अच्छा सुन आज लेट तो नहीं होगा तुझे ( अम्मी ने नाश्ते की प्लेट देते हुए पूछा )
: पता नहीं अम्मी , आज प्रोजेक्ट सबमिट करना है शाम भी हो जाएगी क्यों ( मै जान रहा था कि अम्मी बस मुझसे कनफर्म कर रही थी क्योंकि आज नगमा मामी आने वाली है )
: अरे अगर समय से आ गया तो बाजार चलना था शॉपिंग के लिए
: अह कोशिश करूंगा अम्मी , और अगर लेट हुआ तो जुबैदा चच्ची के मोबाइल पर काल कर दूंगा ( मोबाईल का नाम आते ही अम्मी के चेहरे के हाव भाव बदल गए )
: तू फोन लेकर जाएगा क्या ?
: ओह सॉरी भूल गया था , मैने तो प्रोमिस किया है न मोबाइल नहीं चलाने का ( मै उखड़े हुए स्वर में जबरन मुस्कुराहट लाते हुए बोला)
: अरे बेटा ऐसा नहीं है , लेकिन अब हिसाब भर मोबाइल चलाना । तेरे एग्जाम भी तो आ रहे है उसकी तैयारी कर ( अम्मी ने मेरे सर सहलाती हुई बोली)
: जी अम्मी ( एक अजीब सी सरसराहट हुई बदन ने अम्मी ने जब हाथ फेरा तो )
: जल्दी से नाश्ता कर ले , 10 तो यही बज गए

मै कुछ कि तभी हाल में नगमा मामी काले बुरखे में दाखिल हुई और उन्हें देखकर मेरे दिल की बेचैनी बढ़ने लगी


:हाय , रेडी ? ( मैम बोली )
: हा, लेकिन ... आप ऐसे ?
: क्यों अच्छी नहीं लग रही हूं ( रेशमा मैम ने पोज देते हुए कहा और अपनी कूल्हे बाहर निकाले )
: वो तो ठीक है लेकिन आज आहूजा सर की पैंट खुल जाएगी हीहीहीही
: और तुम्हारी उम्मम ( मैम ने सीधे मेरे लंड को जींस के ऊपर से पकड़ लिया और मेरी हालत खराब होने लगी । मैने उनकी कमर में हाथ डाल कर उनकी गाड़ मसलता हुआ )
: अगर मेरा पेंट खुली तो आपकी लिपिस्टिक खराब हो जाएगी ( वो मेरी आंखो में देख रही थी और उनकी सांसे गरम हो रही थी । फिर वो मुस्कुराने लगी)
: तुम ना, छोड़ो लेट हो रहा है

फिर हम बातें करते हुए गाड़ी से ऑफिस के लिए निकल गए।
जारी रहेगी
Super Update ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏👍👍👍❤️🙏❤️🙏🙏 waiting for next update please soon complete this story
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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UPDATE 011

Good morning

रात ढल रही थी और मै शर्म से अपने कमरे से निकल नहीं रहा था ।
शाम की चाय के लिए भी अम्मी ने आवाज नहीं दी थी अजीब सा डर लग रहा था मन में
मोबाइल भी अम्मी के पास ही था ।
रात के 9 बजने को हो रहे थे और किचन में सीटियां कबकी बज कर शांत हो चुकी थी , दोपहर से ही भूख लगी थी और उसपे से अम्मी की फिकर अलग थी ।
समझ नहीं आ रहा था क्या करूं
बड़ी हिम्मत कर मै उठा और जीने से नीचे आने लगा , अम्मी के कमरे से हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी ।
शायद अब्बू से फोन पर कुछ बात कर रही होगी ऐसा मुझे लगा ।
ना जाने क्यों ऐसी सिचुएशन में भी अब्बू अम्मी की बातें करना मेरे लंड को भाने लगा , और वो अपना सर उठाने लगाने लगा ।
फट भी रही थी कि अगर अम्मी से अब्बू से कह दिया तो पिटाई तय थी ।
बिल्लियों के जैसे बिना आहट के मै जीने से उतर कर अम्मी के कमरे के पास गया, दरवाजा पूरा खुला तो ऐसे में मैं बिना दरवाजे के आगे गए किनारे से ही दीवाल से लग गया ।

: सारी गलती मेरी है यार , मै तुझसे बातों में लगी थी और फिर उसने मोबाइल मागा तो दे दिया मैने ( अम्मी फोन पर बोली )
मै समझ गया मेरी ही हो रही है मगर किससे?
: मेरी तो हिम्मत नहीं हो रही है कि उसके सामने जाऊ। बेचारा दुपहर से नीचे नहीं आया ।
कुछ देर तक अम्मी फोन पर सामने वाली की बातें सुनती रही
: हा खाना बना लिया है मैने , मुझे बहुत अफसोस हो रहा है कि खुद की गलती होते हुए आज पहली बार मेरा हाथ उठा उसके ऊपर ( अम्मी फोन पर समझा रही थी और उनकी बातों से मुझे हिम्मत हो रही थी )
मै समझ गया कि अगर मैने पहल की तो चीज़ें नॉर्मल हो सकती है और शायद अब्बू तक बातें न जाए ।

: अम्मी भूख लगी है ( मै रुआंस लहजे में अम्मी के कमरे के दरवाजे पर आ गया )
: अच्छा नगमा तू फोन रख , शानू आया है । ( अम्मी मुझे देख कर बोली )
: हम्मम मै करती हूं अभी ( अम्मी ने फोन काट दिया )
नगमा नाम सुनते ही मै समझ गया कि अम्मी अपने सहेली से बात कर ही थी

मै वही दरवाजे पर खड़ा रहा और अम्मी को देख रहा था भरी आंखों से । अम्मी ने मुझे देखा और दुपट्टा सही करती हुई नजरे चुराने लगी ।
वो मेरी ओर बढ़ रही थी बिना कुछ बोले और मेरे बगल से निकल कर किचन में खाना निकालने लगी ।

मै उनके पीछे चला गया
: अम्मी आप भी खा लो न प्लीज
अम्मी के हाथ रुक गए और मगर वो मेरे ओर चेहरा नहीं की थी ।
फिर से वो मेरी ही प्लेट में परोस रही थी ।
: सॉरी अम्मी , प्लीज ( अम्मी फफक पड़ी और मैं उनकी पीछे से हग कर लिया)
मेरी आंखो से भी आंसू गिर रहे थे नहीं पता क्यों मगर अम्मी के गुदाज मुलायम चूतड से चिपक खड़े होना और उनकी पीठ पर सर टिकाना बहुत भा रहा था मुझे , वही अम्मी किचन स्लैब पकड़ कर खड़ी खड़ी रो रही थी ।
: अम्मी प्लीज आप रो मत , सॉरी मुझे नहीं देखना चाहिए था वो सब ( वो सिसकती फफकती रही )
: मुझे नहीं चाहिए मोबाईल आप ही रखो इसे , लेकिन प्लीज आप भी खाना खा लो । दुपहर से आपने कुछ नहीं खाया । ( मै अम्मी के कंधे पर सर रखता हुआ पीछे से ही बोला )
: तूने खा लिया बड़ा जैसे , चाय बनाई थी आया क्यों नहीं पीने ( अम्मी मेरी ओर घूम कर बोली )
: सॉरी मुझे लगा आप नाराज होगी ( मै उदास चेहरे से उनकी ओर देखा , आंसुओं ने आंखे और गाल दोनो गाल कर दिए थे उनके )
: तुझसे मै भला क्यों नाराज होऊंगी रे, इधर आ ( अम्मी ने खींच कर मुझे अपने सीने से लगा लिया )
गुदाज छातियों में मै कही खो सा गया और वो मेरे सर को कस कर हग कर ली थी। सालों बाद ऐसे दुलारा था अम्मी ने मुझे , इन रसीले मम्मों को महज छूने भर के ख्वाब थे मेरे और अम्मी उन्हीं में मुझे कसे जा रही थी , लंड खुद ब खुद अकड़ने लगा था ,
: हवसी कही का ( मैने मन में लंड को डांटा )
: अम्मी अपनी थाली भी लगाओ न प्लीज ( मैने अम्मी से फिर से रिक्वेस्ट की )
: क्यों मुझे अपनी थाली में नहीं खाने देगा उम्मम ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली )
: क्या सच में , आप मेरे थाली ने खाओगे ( मै चहक कर एक बार फिर से उनसे लिपटने को हुआ )
: ऊहू अब और चिपका चिपकी नहीं ( अम्मी बोल कर हसने लगी तो मैं फिर से उनको हग कर किया )
: ओहो बाबा हो गया , अब छोड़ न बदमाश
: हीहीहीही , लेकिन आपको मेरे हाथ से ही खाना पड़ेगा
: उम्मम , ठीक है ( अम्मी ने मुस्कुरा कर बोला )
फिर हम हाल में आए और सोफे पर बैठ कर खाने लगे ।
मै अम्मी को खिचड़ी खिला रहा था
: हम्म्म ये सही है , अब से रोज तू ही खिलाना मुझे । मुझे मेहनत नहीं करनी पड़ेगी
: अब्बू रहेंगे तब भी ( मै हंसते हुए बोला और वो आंखे दिखा कर हसने लगी )
: बहुत बिगड़ गया है तू , पढ़ाई में ध्यान दे एग्जाम सर पर है और मोबाइल.. !!
: वो आप ही रखो , मुझे नहीं चाहिए
: चला लेना कभी कभी , लेकिन मुझसे पूछ कर ही ( अम्मी की बात सुनकर मैं चहक उठा)
: थैंक्यू अम्मी

थोड़ी देर बाद मै अम्मी के साथ बैठा था ।
: अम्मी , आपने उस बारे ने अब्बू को बता दिया क्या ? ( डरते हुए बोला मै )
: नहीं क्यों , बता दूं
: नहीं नहीं प्लीज , अब्बू मुझे ही मारेंगे बिना गलती के !!
मेरी बात पर अम्मी मुस्कुराई
: अगर मेरी गलती नहीं थी तो आपने मारा क्यों ( मै दुलराते हुए उनसे चिपककर बोला )
: किसने कहा तेरी गलती नहीं थी ( अम्मी ने मेरी ओर देखा )
: वो सब तो आप भरवा कर लाई थी न , मै तो बस मूवी देखने के लिए खोला था ।
: चुप कर तू , ऐसे बात करेगा अपनी अम्मी से ( वो डांटने को हुई मगर चुप हो गई )
: मै तुझे इस गलती के लिए नहीं मारा , तेरी आदतें बहुत बिगड़ गई है इसीलिए मारा तुझे ।
: मेरी आदतें ? मैने क्या किया अब ( भीतर से मेरी फट रही थी कि अब क्या पता चल गया अम्मी को )

: अगर तुझे पता था वो सब वीडियो गंदी थी तो क्यों देख रहा था बोल । तुझे मोबाइल बंद करके रख देना चाहिए था ( अम्मी ने मुझे घूर कर देखा )
: सॉरी न अम्मी ? ( मै उनके बाजू को पकड़े हुए उनके कंधे पर अपने गाल रखे हुए उनसे बोला , एक अजीब सी गुदगुदी लग रही थी बदन में )
: और तू अपनी आदतें सुधार ले किसी दिन तेरे अब्बू ने पकड़ लिया तो खूब पिटाई होगी तेरी और अभी तेरी उम्र नहीं है ये सब करने की समझा ( अम्मी ने हड़काया मुझे )
: अब क्या किया मैने ? ( मै चौक कर सीधा होकर अम्मी की देखते हुए बोला )
: चल इतना भी भोला बनने की जरूरत नहीं है , तेरी सारी हरकतों के सबूत है मेरे पास समझा ( अम्मी मुंह बनाते हुए बोली )
: मतलब ? सच में नहीं पता आप किस बारे में बात कर रही है ?
: अच्छा अब तुझे ये भी बताना पड़ेगा कि जीने पर तो कभी बाथरूम में तो कभी वहा दरवाजे के पास ( अम्मी ने अपने कमरे के दरवाजे के पास इशारे किया ) छिप छिप कर क्या करता है सारे निशान मिल जाते है मुझे । एक लगाऊंगी अभी कमीना कही का ( अम्मी बोलते बोलते एकदम गुस्से से लाल होने लगी )
: उन्हीं सब आदतों को सोच कर तुझे मारा था , कहा से सीख रहा है ये सब तू ( अम्मी फिर से मेरे ऊपर गरजी ) कौन से दोस्त तुझे बिगाड़ रहे है बोल
: सॉरी ( मै बस इतना ही बोला , भीतर से मेरी फटी हुई थी और अपनी लापवाही के लिए खुद को गालियां बक रहा था , अम्मी को कैसे पता मै हिलाता हूं, जरूर मेरे वीर्य के दाग देखी होंगी )
: चूतिया हु बहनचोद मै ( मन ही मन खुद को गरियाया और उखड़ा हुआ एक टक अम्मी को निहार रहा था अब ना जाने क्या बोल दे वो )
: चल अब सो जा जाकर ( अम्मी ने गुस्से से कहा )
शायद वो मेरे मूठ मारने वाली बातें मुझसे नहीं कहना चाहती थी मगर मुझसे कह कर वो खुद से ही शर्मिंदा थी और उस बात का गुस्सा मुझ पर ही निकाल रही थी , मै चुपचाप ऊपर चला गया ।

रात के 11 बजने को हो रहे थे और मुझे नीद नहीं आ रही थी
बेसब्री थी जहन में अम्मी के पास जाने की उनकी बातें सुनने की
आखिर मैं कमरे से बाहर निकल आया और दबे पाव जीने से सरकता हुआ अम्मी के कमरे तक
अभी भी उनकी बातें चल रही थी
बातों से वो नॉर्मल दिख रही थी कुछ हसी ठिठौली भरी बातें हो रही थी , उनकी सहेली नगमा से ।
: अच्छा सुन वीडियो कॉल करती हु दिखा दे न , क्या छुपा रही है ?
: उम्मम इतना मन कर रहा है क्या , कल आ रही हु न तब देख लेना ?( नगमा मामी बोली )
: बस एक झलक तो दे दे , अच्छा बस सेल्फी भेज दे न ( अम्मी कसमसाते हुए बोली )
: अच्छा रुक भेजती हु
: एक मिनट ऐसे रहना ( अम्मी बोलकर शांत हुई और उनके बिस्तर से उठने की आहट मुझे मिली )
मै समझ गया कि मेरी चोरी पकड़े जाने वाली है ।
: शानू ??? ( अम्मी ने दरवाजा खोलकर मुझे आवाज लगाई)
मेरी फटी हुई थी ये सोच कर कि इनको भनक कैसे लगी कि मैं आया हु , जीने के नीचे छिपा है मै खुद से बडबडा रहा था ।

: नहीं कुछ नहीं मुझे लगा शानू नीचे आया है ( अम्मी दरवाजा लगाते हुए बोली )
मै लपक कर वापस कमरे के दरवाजे के पास से सरक कर खिड़की पर आ गया
: ओह्ह्ह्ह यार कितनी टाइट है ( अम्मी मोबाईल पर कुछ देख रही थी )
: तू भी दिखा दे
: आहा कल देख लेना हीहिही ( अम्मी खिलखिलाई )
: धत्त कामिनी है तू एक नंबर की ( नगमा मामी हंसते हुए बोली )
उनकी बातें कुछ कुछ मेरे समझ में आ रही थी मगर पूरी नहीं अब कल के लिए मेरा इंतजार बढ़ने लगा था कि कल क्या होगा ।
मै वापस चुपचाप अपने बिस्तर पर सो गया


अगली सुबह मेरी नींद खुली तो मै नरम मुलायम बिस्तर में चादरों के लिपटा हुआ था और मेरे देह पर रात में पहनी हुई एक टीशर्ट और मेरी अपनी ही बॉक्सर थी ।
आसपास का माहौल देखते ही चेहरे पर मुस्कुरा आ गई और बीती रात हुई मैम के साथ बाथरूम में मस्ती को सोच कर लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा ।
अंगड़ाई लेकर मै फ्रेश हुआ और उन्हीं कपड़ो में बाहर आया तो मैम टेबल पर बैठ कर काम रही थी , नाइटी में उनकी बड़ी सी गाड़ पूरे गोल मटोल शेप में नजर आ रही ही थी , देखते ही ईमान डोल गया
बॉक्सर के ऊपर से अपने फड़फड़ाते लंड को मसलता हुआ मै उनके पास गया
: गुड मॉर्निंग मैम ( उनको पीछे से हग करता हुआ नाइटी के उसपे से उनके मुलायम चूचों को मसल दिया )
: अह्ह्ह्ह्ह बदमाश , गुड मॉर्निंग ऐसे करते है क्या ? ( वो सिसकते हुए बोली )


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: तो फिर कैसे करते है आप ही बताओ न ( मैने पीछे से उनकी गोल मटोल चूतड़ों की दरारों में नाइटी के ऊपर से उंगली घिसने लगा , उनके नरम चूतड़ों को हथेली में भरने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू हटो न , मुझे ये फाइल रेडी करनी है ( वो सिसकती कसमसाती हुई बोली )
: मै कहा आपको रोक रहा हु मै ( मै उनके गर्दन कंधे को चूमता हुआ नीचे सरकने लगा और धीरे धीरे उनकी शॉर्ट नाइटी को उनके चूतड़ के नीचे से खींचता हुआ बैठने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू क्या कर रह रहे हो उम्मम्म ( वो अपने बड़े बड़े गोल मटोल चूतड़ों को हल्का सा उठाते हुए बोली ताकि उनके चूतड़ों के बीच दबी हुई नाइटी आसानी से उठ जाए )

सामने उनके चूतड़ स्टूल पर फैले हुए और मेरे पंजे उनके नरम नंगे मुलायम चूतड को सहलाते हुए चूमने लगे
: उह्ह्ह्ह शानू ऐसे मै कैसे काम कर पाऊंगी , तंग मत करो न प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई गुदगुदी हो रही है कितने मुलायम होठ है तुम्हारे
:ओह्ह्ह उम्मम बदमाश काट क्यों रहे हो ( मैम हल्का सा उचकी जब मैने उनके रसीले चूतड़ पर दांत लगाए )
: आपकी गाड़ बहुत मोटी है मैम उम्मम
: धत्त गंदे कैसा बोल रहे हो , शर्म नहीं आ रही , छोड़ो ना हटो वहाआअ सेहह ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई उम्मम्म क्याह्ह कर रहे अह्ह्ह्ह फक्क्क् उह्ह्ह्ह शानू उम्मम


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मैने उनके कसे हुए चूतड़ों को फैलाते हुए उनकी गाड़ की सुराख पर जीभ चलाने लगा और वो बुरी तरह से अकड़ने फड़कने लगी
उनकी भूरी सुराख को अच्छे से चाटते हुए मै उनके चूतड़ को फैलाते जा रहा था
: ओह्ह्ह्ह्ह गॉड शानू उम्मम यस बेबी फक्क्क् ओह्ह्ह्ह खा जाओ कितना अच्छा लग रहा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू डाल दो न
: क्या चाहिए मैम ( मै खड़ा होकर अपना 9 इंच लंबा बियर की कैन जैसा मोटा मूसल निकाल उसपे थूक लगाते हुए दूसरे साथ से मैम की गाड़ पर अंगूठा दरते हुए बोला )
: वही जो तुम्हारे हाथ में है ( वो बड़ी बड़ी आंखों से गर्दन घुमा कर गहरी गहरी सास लेते हुए मेरा लंड घूरते हुए बोली )
: इसका नाम भी है मैम ( मै मेरे लंड का सुपाड़ा उनके गाड़ के सुराख पर टिकाया घिसने लगा , वो आंखे उलटती हुई खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी )
: बोलो न मैम ( मैने ढेर सारा थूक लेकर उनकी गाड़ की सुराख पर लीपते बोला )
: ल लंड डालो न मेरी जान ओह्ह्ह्ह प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई आराम से ओह्ह्ह्ह टाइट है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड बड़ा है आराम से शानू ( मै मेरा सुपाड़ा उनकी गाड़ में भेद चुका था जो बड़ी मशक्कत से जा रहा था , रात में ही मैम ने बताया था कि उनके शौहर उनकी गाड़ बहुत मारते थे और सुबह मेरी नियत खराब हो गई ).


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: अह्ह्ह्ह्ह मैम आपकी गाड़ बहुत कसी है आह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है घुसाने ओह्ह्ह ( मै हल्का हल्का उनकी गाड़ में लंड आगे पीछे करने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई हार्ड ओह्ह्ह्ह गॉड इट्स टू बिग इन माय एस्स उम्मम अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड
: लो मेरी सेक्सी मैम अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ बहुत मस्त है आह्ह्ह्ह चोद चोद इसको भर दूंगा मैं अह्ह्ह्ह्ह मैम


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: डोंट काल मी मैम, से माय नेम बेबी फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू
: अह्ह्ह्ह्ह रेशमा मेरी जान ओह्ह्ह्ह लेह मेरा मोटा लंड अपनी गाड़ में ओह्ह्ह्ह जिस दिन से ज्वाइन किया था तेरे गाड़ ने मुझे पागल कर रखा था अह्ह्ह्ह्ह
: तो एक बार मांग लेते मेरे राजा खुद खोल कर बैठी जाती मै तेरे लंड पर ओह्ह्ह्ह्ह
: ओह गॉड सच में क्या , ऑफिस में ही चुदवा लेती क्या
: जब ऑफिस में मिजवा सकती हु तो चुदवा क्यों नहीं सकती ( मैम की बातें सुनकर मेरा लंड और अकड़ गया )
: तो उस बहनचोद आहूजा से मिज़वाती हो अपने चूचे उम्मम
: बस दो बार अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह रुकना मत चोदो ओह्ह्ह्ह गॉड आ रहा है ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
: साली रंडी आज तेरी फाड़ दूंगा ( मै पूरे जोश में अपना लंड उनकी गाड़ में पेलने लगा और वो झड़ रही थी )
: हा फाड़ दो भर दो मेरी गाड़ ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू पेलो और तेज अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई हार्ड


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: अह्ह्ह्ह लह्ह्ह साली अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो लह्ह्ह भर दिया
मै उनकी गाड़ में झड़ते हुए लंड बाहर निकाल दिया और


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वो स्टूल पर बैठे हुए रही
धीरे धीरे उनकी गाड़ सारा रस बाहर उगलने लगी जो उनकी चूत से रिसकर कर फर्श पर गिरने लगी और वो खिलखिला रही थी मै भी उस रंडी को देख कर अपना लंड सहला रहा था ।

फिर मै उसके पास आगे गया और उसके लिप्स चूसने लगा
: नहाने चले
: हम्म्म ( वो मुस्कुरा कर बोली )
फिर हम नहाने के लिए बाथरूम में गए और फिर ऑफिस के लिए तैयार होने लगे ।


मै रेडी होकर नीचे आया और अम्मी ने नाश्ता तैयार कर दिया था
: शानू नाश्ता कर ले बेटा ( अम्मी आज खुश थी )
: जी अम्मी
: अच्छा सुन आज लेट तो नहीं होगा तुझे ( अम्मी ने नाश्ते की प्लेट देते हुए पूछा )
: पता नहीं अम्मी , आज प्रोजेक्ट सबमिट करना है शाम भी हो जाएगी क्यों ( मै जान रहा था कि अम्मी बस मुझसे कनफर्म कर रही थी क्योंकि आज नगमा मामी आने वाली है )
: अरे अगर समय से आ गया तो बाजार चलना था शॉपिंग के लिए
: अह कोशिश करूंगा अम्मी , और अगर लेट हुआ तो जुबैदा चच्ची के मोबाइल पर काल कर दूंगा ( मोबाईल का नाम आते ही अम्मी के चेहरे के हाव भाव बदल गए )
: तू फोन लेकर जाएगा क्या ?
: ओह सॉरी भूल गया था , मैने तो प्रोमिस किया है न मोबाइल नहीं चलाने का ( मै उखड़े हुए स्वर में जबरन मुस्कुराहट लाते हुए बोला)
: अरे बेटा ऐसा नहीं है , लेकिन अब हिसाब भर मोबाइल चलाना । तेरे एग्जाम भी तो आ रहे है उसकी तैयारी कर ( अम्मी ने मेरे सर सहलाती हुई बोली)
: जी अम्मी ( एक अजीब सी सरसराहट हुई बदन ने अम्मी ने जब हाथ फेरा तो )
: जल्दी से नाश्ता कर ले , 10 तो यही बज गए

मै कुछ कि तभी हाल में नगमा मामी काले बुरखे में दाखिल हुई और उन्हें देखकर मेरे दिल की बेचैनी बढ़ने लगी


:हाय , रेडी ? ( मैम बोली )
: हा, लेकिन ... आप ऐसे ?
: क्यों अच्छी नहीं लग रही हूं ( रेशमा मैम ने पोज देते हुए कहा और अपनी कूल्हे बाहर निकाले )
: वो तो ठीक है लेकिन आज आहूजा सर की पैंट खुल जाएगी हीहीहीही
: और तुम्हारी उम्मम ( मैम ने सीधे मेरे लंड को जींस के ऊपर से पकड़ लिया और मेरी हालत खराब होने लगी । मैने उनकी कमर में हाथ डाल कर उनकी गाड़ मसलता हुआ )
: अगर मेरा पेंट खुली तो आपकी लिपिस्टिक खराब हो जाएगी ( वो मेरी आंखो में देख रही थी और उनकी सांसे गरम हो रही थी । फिर वो मुस्कुराने लगी)
: तुम ना, छोड़ो लेट हो रहा है

फिर हम बातें करते हुए गाड़ी से ऑफिस के लिए निकल गए।
जारी रहेगी
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