हम अगले दिन सुबह जल्दी ही दादा दादी के घर के लिए निकल लिए और करीब रात के 12 बजे दादी के घर पर पहुंचे। दादा दादी का घर दो मंजिला पुराने जमाने का बना हुआ है। बड़े पापा ऊपर के माले में रहते थे। और दादा दादी नीचे रहते थे। और नीचे ही पापा का भी कमरा था पर बंद पड़ा हुआ था। शायद उनके इंतज़ार में।
रूही और अरून जुड़वा थे और मेरे ही क्लास में पढ़ते थे। और रूही मेरी गर्ल फ्रेंड भी थी। तब मुझे पता नहीं था कि ये मेरे बड़े पापा की लड़की है, मेरी बहन है।
जब हम घर पहुंचे तो दादा दादी हमें देख कर खुश हो गए। लेकिन हमें देख कर रोने लगे।
दादा जी - बेटा, बाप के गुस्से को भी नहीं संभाल सकते थे तुम लोग। इतने साल हमसे दूर कैसे रह लिए। क्या हमारे प्यार में कुछ कमी रह गई थी या हम पर भरोसा ही नहीं था। शादी कर ली थी तो क्या उसके बाद तो हमारे पास आ सकते थे।
पापा मम्मी - हम डर गए थे पापा। हमें लगा कि आप हमें अलग कर देंगे।
तब मैं आगे बढ़ी और दादा के पैर छुए और बोली।
मैं - दादा जी मैं आपका पोता हूं। मुझे तो कभी पता ही नहीं था कि मेरे पास इतने रिश्ते हैं। दादा दादी हैं, बड़े पापा बड़ी मम्मी हैं, मेरा भाई है और मेरी बहन है। क्या आप मुझसे भी नाराज़ हैं।
दादा दादी( एक साथ)- नहीं मेरे लाल हम तुझसे क्यों नाराज़ होने लगे।
और मुझे उठा कर गले से लगा लिया।
फिर सभी लोग आ गए हमसे मिलने। बड़े पापा और बड़ी मम्मी तो हमसे रोते हुए मिल रहे थे। पीहू दीदी मुझसे गले मिलीं फिर अरुण आकर मिला।
अरुण और रूही तो सरप्राइज थे कि मैं उनका भाई था और रूही तो परेशान ही हो गई थी। क्योंकि उसे इस बात का भी डर था कि मेरा और उसका रिश्ता न खुल जाए सबके सामने। पर मिलना तो था ही सबके सामने। तो डरते हुए मुझसे आ कर गले मिली। तो उसका डर देख कर मुझे उससे शरारत करने की सूझी तो उसे मैंने कस कर गले लगा लिया और कान में बोली
मैं - अब बच कर कहां जाओगी जाने मन मैं भी यहीं हूं और तुम भी यहीं हो।
अरुण को तो मालूम था कि हम दोस्त हैं पर दादी दादा और बड़े पापा, बड़ी मम्मी को नहीं मालूम था तो वो चौंक गए तो अरुण ने उन्हें बताया
अरुण - हम same क्लास में पढ़ते हैं और बहुत अच्छे दोस्त हैं इसलिए हम फ्री हैं थोड़ा। पर हमें पता नहीं था कि ये हमारा भाई है।
ऐसे ही सब मिले पर लेट ज्यादा हो गए थे तो दादा जी ने कहा
दादा जी - लेट ज्यादा हो गया है अभी आराम करो जा कर कल सुबह बात करेंगे। कल से काम भी बहुत है तो आराम कर लो। (फिर पापा से) बेटा तेरा कमरा वैसे का वैसा ही है। तेरा कमरा तेरा इंतज़ार कर रहा है जा जाकर आराम कर। हम कल बात करेंगे।
ये सुन हम सब अपने अपने कमरे में चले गए तो फिर बड़े पाप ने कमरा खोल कर दिया और सारा इंतज़ाम भी कर दिया जैसे रात के लिए पानी का जग और ओढ़ने के लिए रजाई। हम तीनो लेट कर सो गए।
अगले दिन सुबह साढ़े सात बजे के करीब मेरी आंख खुली। आज कि सुबह बहुत अच्छी लग रही थी। मैं उठ कर बाहर गई तो देखा सभी लोग बरामदे में बैठे हुए थे।
मैं - good morning.
सभी लोग एक साथ - good morning.
मम्मी - बेटा जल्दी से तैयार हो कर नाश्ता कर ले फिर काम भी करना है।
बड़ी मम्मी - क्या सुमन, यहां काम करने वाले बहुत हैं और उसे थोड़ी मस्ती करने दो। बेटा तुम टेंशन मत लो और जाओ गांव घूम कर आओ। अरुण और रूही जाओ अपने भाई को गांव घुमा कर आओ।
अरुण - जी मम्मी। चल भाई घूम कर आते हैं।