Bakchod Londa
Member
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Final part
शबनम बोली असलम से भैया तेल लगा कर सरसों का
आज रात मैं तेरी हूँ सपना पूरा कर लो अपना बरसो का
असलम मेरे भाई पहले इस मोट्टे लौड़े पे मलके थोडा तेल
फिर तेरा जितना मन चाहे मुझको यह डाल के लौड़ा पेल
बाजी अपनी चाट चाट पहले से ही लौडा किया है चिकना
बड़े प्यार से इसे डालूंगा चुत के अंदर ध्यान रखूंगा इतना
तेरा तो ये इतना लंबा मोटा है मुझको डर लगता है भइया
तू है पुरा सांड के जैसा तगडा और मैं हूं छोटी से गइया
लेकर हाथ में तेल सरसों का उसके लौड़े पे लगी मैं मलने
देख कड़कपन लौड़े का दिल की धड़कन लगी थी बढ़ने
जिसका किया इंतजार इतने दिनों से घड़ी आज वो आई
बड़ी आपी को ठोकने चलाथा आज रात में असलम भाई
पकड़ हाथ में लन असलम ने जल्दी चूत पे मेरी टिकाया
रख एक हाथ को मुंह पर मेरे नीचे से धक्का एक लगाया
चीख निकली हलक से मेरे रह गई दब के मुंह के अंदर
ऐसा लगा जैसे असलम ने चूत में घुसा दिया हो खंजर
आंसू निकल गये आखों से मेरी मैं दर्द से लगी करहाने
आधे से भी ज्यादा हो गया है अंदर असलम लगा बताने
बस इतना ही रहने दे असलम अब ज्यादा नहीं घुसाना
फिर कभी ना दूंगी तुझको जो तूने कहना मेरा ना माना
आपी पूरा लिया बिना औरत को मजा कहां आता है
ख़ुशी ख़ुशी से लेती है वो तो जब पूरा अंदर जाता है
अम्मी को भी थोड़ा दर्द हुआ इसको लेने में पहली बार
अब तो हर रात मजे से लेती है वोह अंदर पूरा हथियार
धीरे-धीरे से ये चूत में आपकी अपनी जगह बना लेगा
जिस सुख को तुम तरसी हो वो पूरा तुम्हें मजा देगा
सच कहता था असलम अब मेरा भी दर्द लगा था घटने
अब उसके हर धक्के के साथ अब मजा लगा था बढ़ने
असलम की ताक़त और जुनून को आज था मैंने माना
चूदने का असली सुख क्या होता है आज था मैंने जाना
जहां आजतक कुछ नहीं पहुंचा था वहां पहुंचा हथियार
मेरी बच्चेदानी पे असलम का लौडा चोट रहा था मार
असलम के मोटे लंड पर मैं पटक रही थी अपने चूतड
असलम ने हाथों में थाम रखे थे मेरे दोनों मस्त कबूतर
कभी लिटा कर और कभी बिठा असलम ने चूत बजाई
असली मर्द से पड़ाथा पाला जिसने सचमें प्यास बुझाई
चिपक के दूजे से पूरी रात ये खेल हम दोनों ने खेला
अगली सुबह तक असलम ने मुझको चार बार था पेला
एक ही रात में मेरी फुद्दी सूज गई फुल के हुई पकौड़ा
अगली सुबह भी मेरी जांघों के बीच पड़ा हुआ था लौड़ा
सुबह उठाने को हम दोनों को जब अम्मी कमरे में आईं
देख के बिस्तर की ऐसी हालत अम्मी थोड़ा सा मुस्काई
देखो अम्मी असलम ने मेरी चूत का कैसा हाल किया है
पूरी रात ही चोदा है मुझको इसने तो सोने नहीं दिया है
याद रखना बेटी बिस्तर पर औरत को वही मर्द है भाता
बुरी तरह से निचोड़ औरत को उसकी पूरी रात बजाता
गरम पानी लेकर तेरी चूत की कर देती हूँ थोड़ी सिकाई
आज रात तो फ़िर से असलम ने करनी है तेरी ठुकाई
मेरी तो अम्मी पूरी चूत छिल चुकी है चलने में कठीनाई
अपनी आपा को ऐसा चोदता है क्या कोई उसका भाई
अम्मी मेरी बात मान कर तुम रात मेरे साथ ही रहना
धीरे-धीरे से आज ठोके मुझको तुम असलम से कहना
शब्बो मेरी बच्ची तुझे अब तक बात समझ नहीं आई
औरत ठंडी तभी होती है जब बेरेहमी से हो मिले ठुकाई
औरत की नीचे चूत में जब लगते है मर्द के धक्के गहरे
तभी औरत की चूत में उठती है अजब सुकून की लहरे
अम्मी सच्ची कहती थी अब मुझको भी मजा लगा आने
मौका मिलते असलम पर चढ़ जाती मैं अपनी मारवाने
अगले दो हफ्ते तक हर रात असलम ने मेरी खूब बजाई
मेरी कोख में असलम ने हर रात को भरी थी ढेर मलाई
असलम ने चोद चोद के मेरी फुद्दी कर दी इतनी खुल्ली
अब मजा कहां आताथा लेने में शोहरकी छूटी सी लूली
असलम के लौड़े की याद अब हर वक्त लगी थी खलने
मेरी कोख में अब असलम का बच्चा भी लग था पलने
अब तो जब भी जी चाहता है मेरा अम्मी के घर जाती हूं
असलम के लौड़े से चुदवा कर अपनी प्यास बुझाती हूं
मेरी पूरी कहानी सुन के अब तक समझ चुके हो आप
मेरे दोनों बच्चोंका मेरा भाई असलम ही है असली बाप
Aur aapko in chand lines to rahi sahi kasar bhi poori kar di. Very beautiful. Hats off to you.शबनम चाहे असलम के बेटे की अम्मा बनना
इसीलिए अपने छेद में लिया असलम का गन्ना
कोल्हू जैसी चूत ने निचोडा गन्ने का रस सारा
सूखे पड़े वीराने में जैसे बरस पड़ा फव्वारा
बोया बीज जो असलम ने और अपना रंग दिखाया
सुनी पड़ी उस कोख में, दो दो बार दिया जलाया
बच्चा पाने की शबनम की जो हसरत हो गई पूरी
बुझाने आ जाती प्यास जो उसकी रह जाती थी अधूरी
What a way to end this fabulous poetry..!!
Will wait for more...
arushi_dayal
आपके हाथों में आके माँ बेटे का इन्सेस्ट भी, जिससे , जैसा आपने कहा बहुत से लोग असहज महसूस करते हैं, रसीला लगने लगता है। आपके चित्रों और शब्दों का अद्भुत संगम और उसके साथ कहानी में जो आप टर्न और नए कैरेक्टर लाती हैं वो जबरदस्त है जैसे इस बार शबनमसिलसिला हम दोनो के प्यार का था एक साल से जारी
और इस एक साल में असलम ने मेरी चुत दबा की मारी
बिना निकाह के मुझसे असलम मेरा बना हुआ था शोहर
मेरे हर एक छेद पर लगी हुई थी उसके लौड़े की मोहर
नशा असलम से चुदने का मुझपे हर दिन ही बढ़ता जाए
जितनी भी ये आग भुजाना चाहु ये उतनी ही बढ़ती जाए
जो बड़े मजे से जो चल रही थी हम दोनो के बीच चुदाई
उसको एकदिन मेरी बेटी ने आकार पीहर में रोक लगाई
बेबसी से देखी उसकी आँखों में और चेहरा था मुरझाया
देख कर अपनी बेटी की ऐसी हालत मेरा मन घबराया
मेरे बहुत पूछने पर शबनम अपनी मुश्किल लगी बताने
मेरी सास मारती रहती है आजकल मुझको दिन भर ताने
साल का अरसा बीत चुका था जब हुई थी उनकी शादी
और सास उसकी भड़क रही थी बनने को जल्दी से दादी
शबनम बोली जब जावेद से बिस्तर पर कुछ नहीं होता
अब कहाँ से ला कर दे दूं मैं उसकी माँ को उसका पोता
एक बार अस्पताल मैंने चोरी से अपना था टेस्ट करवाया
सच्ची अम्मी मैं मां बन सकती हूं डॉक्टर ने मुझे बताया
तुम्ही बताओ मुझको अम्मी मैं अब किसके नीचे लेट के
हाथ जोड़ के करु गुजारिश की वो मुझको कर दे पेट से
अपनी शबनम के लिए मुझे करना था अब कोई उपाय
ऐसा कुछ करना था जल्दी से कि उसका घर बच जाये
सोच लिया इसको भी है असलम के लौड़े के नीचे लाना
उसकेपहले मेरे और असलम का रिश्ता होगा इसे बताना
अगर यकीन है अपनी अम्मी पर तो कहना थी इक बात
मेरे और असलम में एक साल से है जिस्मानी तालुकात
असलम के ताकत और जोश की हो मैं चुकीअब दीवानी
एकबार तो मेरी भी कोख पलने लगी थी उसकी निशानी
मेरी बात मान ले शबनम बेटा असलम एक मर्द है सच्चा
बस चंद ही दिनों में वो तेरी कोख में दे देगा एक बच्चा
एक बार तू जो आ गई नीचे वो गाभिन तुझको कर देगा
अपने वीर्य की कर बोछार वो तेरी कोख को भर देगा
अम्मी अब तुम क्या बोल रही हो ये सब बेकार की बातें
तुम चाहती हो असलम के बिस्तर पर गुजारू अपनी रातें
मेर चाहना मायने नहीं रखता नहीं बेटी ये तेरी है मजबूरी
तेरी कोख में जल्दी इक बच्चा होना होगया बहुत जरूरी
लेकिन अम्मी ये कैसा हो सकता है वो है मेरा छोटा भाई
तो इस रिश्ते को भूल के कैसे करु मैं उसके साथ चुदाई
ये जिस्म की भूख है रुखसाना बातों से नहीं मिट पायेगी
आज गर असलम नहीं तो कल और किसी से मरवाएगी
अगर तुझे मंजूर है तो बोल असलम से मैं कर लुंगी बात
अगर वो भी मान गया तो तू चुदवा लेना आज ही रात
इतनी भी जल्दी नहीं अम्मी यहीं रहूंगीकुछ और भी रातें
पहले मैं भी देखना चाहती हूं तुमको असलम से मरवाते
देख लेना आज असलम वो कैसे लंड पे मुझे बिठाता है
पकड़ के मेरे चूचे गच्चा गच्च वो मेरी पूरी रात बजता है
रात को खिड़की से नीलू देख रही थी अपनी आँखें फाड़े
असलम जब मुझको चोद रहा था तो अपना लंड घुसाड़े
पूरी रात दौड़ाया असलम ने चूत में अपना तगडा घोड़ा
कोई भी छेद मेरा असलम ने दोबाराउस रात नहीं छोड़ा
मुझको तो डर लगता है अम्मी असलम तो है पूरा सांड
देखा मैंने वो कैसे आपकी कलरात को मर रहा था गांड
यादरख बेटी बिस्तर पे औरत को हमेशा वो मर्द है भाता
अच्छे से निचोड़ औरत को जो उसकी पूरी रात बजाता
सुबह मिली जब शबनम मुझको बोली शरमा के थोडा
अम्मी मैं त्यार हूं लेने के लिए असलम भाई का लौड़ा
बिलकुल सही कहा आपने.. वही सामग्री का इस्तेमाल करते हुए कुछ खानसामे ऐसे व्यंजन पकाते है जिसका स्वाद भुलाये नहीं भूलता .. !!आपके हाथों में आके माँ बेटे का इन्सेस्ट भी, जिससे , जैसा आपने कहा बहुत से लोग असहज महसूस करते हैं, रसीला लगने लगता है। आपके चित्रों और शब्दों का अद्भुत संगम और उसके साथ कहानी में जो आप टर्न और नए कैरेक्टर लाती हैं वो जबरदस्त है जैसे इस बार शबनम
भाई वही जो बहन के काम आयेसिलसिला हम दोनो के प्यार का था एक साल से जारी
और इस एक साल में असलम ने मेरी चुत दबा की मारी
बिना निकाह के मुझसे असलम मेरा बना हुआ था शोहर
मेरे हर एक छेद पर लगी हुई थी उसके लौड़े की मोहर
नशा असलम से चुदने का मुझपे हर दिन ही बढ़ता जाए
जितनी भी ये आग भुजाना चाहु ये उतनी ही बढ़ती जाए
जो बड़े मजे से जो चल रही थी हम दोनो के बीच चुदाई
उसको एकदिन मेरी बेटी ने आकार पीहर में रोक लगाई
बेबसी से देखी उसकी आँखों में और चेहरा था मुरझाया
देख कर अपनी बेटी की ऐसी हालत मेरा मन घबराया
मेरे बहुत पूछने पर शबनम अपनी मुश्किल लगी बताने
मेरी सास मारती रहती है आजकल मुझको दिन भर ताने
साल का अरसा बीत चुका था जब हुई थी उनकी शादी
और सास उसकी भड़क रही थी बनने को जल्दी से दादी
शबनम बोली जब जावेद से बिस्तर पर कुछ नहीं होता
अब कहाँ से ला कर दे दूं मैं उसकी माँ को उसका पोता
एक बार अस्पताल मैंने चोरी से अपना था टेस्ट करवाया
सच्ची अम्मी मैं मां बन सकती हूं डॉक्टर ने मुझे बताया
तुम्ही बताओ मुझको अम्मी मैं अब किसके नीचे लेट के
हाथ जोड़ के करु गुजारिश की वो मुझको कर दे पेट से
अपनी शबनम के लिए मुझे करना था अब कोई उपाय
ऐसा कुछ करना था जल्दी से कि उसका घर बच जाये
सोच लिया इसको भी है असलम के लौड़े के नीचे लाना
उसकेपहले मेरे और असलम का रिश्ता होगा इसे बताना
अगर यकीन है अपनी अम्मी पर तो कहना थी इक बात
मेरे और असलम में एक साल से है जिस्मानी तालुकात
असलम के ताकत और जोश की हो मैं चुकीअब दीवानी
एकबार तो मेरी भी कोख पलने लगी थी उसकी निशानी
मेरी बात मान ले शबनम बेटा असलम एक मर्द है सच्चा
बस चंद ही दिनों में वो तेरी कोख में दे देगा एक बच्चा
एक बार तू जो आ गई नीचे वो गाभिन तुझको कर देगा
अपने वीर्य की कर बोछार वो तेरी कोख को भर देगा
अम्मी अब तुम क्या बोल रही हो ये सब बेकार की बातें
तुम चाहती हो असलम के बिस्तर पर गुजारू अपनी रातें
मेर चाहना मायने नहीं रखता नहीं बेटी ये तेरी है मजबूरी
तेरी कोख में जल्दी इक बच्चा होना होगया बहुत जरूरी
लेकिन अम्मी ये कैसा हो सकता है वो है मेरा छोटा भाई
तो इस रिश्ते को भूल के कैसे करु मैं उसके साथ चुदाई
ये जिस्म की भूख है रुखसाना बातों से नहीं मिट पायेगी
आज गर असलम नहीं तो कल और किसी से मरवाएगी
अगर तुझे मंजूर है तो बोल असलम से मैं कर लुंगी बात
अगर वो भी मान गया तो तू चुदवा लेना आज ही रात
इतनी भी जल्दी नहीं अम्मी यहीं रहूंगीकुछ और भी रातें
पहले मैं भी देखना चाहती हूं तुमको असलम से मरवाते
देख लेना आज असलम वो कैसे लंड पे मुझे बिठाता है
पकड़ के मेरे चूचे गच्चा गच्च वो मेरी पूरी रात बजता है
रात को खिड़की से नीलू देख रही थी अपनी आँखें फाड़े
असलम जब मुझको चोद रहा था तो अपना लंड घुसाड़े
पूरी रात दौड़ाया असलम ने चूत में अपना तगडा घोड़ा
कोई भी छेद मेरा असलम ने दोबाराउस रात नहीं छोड़ा
मुझको तो डर लगता है अम्मी असलम तो है पूरा सांड
देखा मैंने वो कैसे आपकी कलरात को मर रहा था गांड
यादरख बेटी बिस्तर पे औरत को हमेशा वो मर्द है भाता
अच्छे से निचोड़ औरत को जो उसकी पूरी रात बजाता
सुबह मिली जब शबनम मुझको बोली शरमा के थोडा
अम्मी मैं त्यार हूं लेने के लिए असलम भाई का लौड़ा
इन्सेस्ट की कहानियों से यह फोरम भरा पड़ा है बल्कि पटा पड़ा है और भाई बहन का नंबर सबसे आगेFinal part
शबनम बोली असलम से भैया तेल लगा कर सरसों का
आज रात मैं तेरी हूँ सपना पूरा कर लो अपना बरसो का
असलम मेरे भाई पहले इस मोट्टे लौड़े पे मलके थोडा तेल
फिर तेरा जितना मन चाहे मुझको यह डाल के लौड़ा पेल
बाजी अपनी चाट चाट पहले से ही लौडा किया है चिकना
बड़े प्यार से इसे डालूंगा चुत के अंदर ध्यान रखूंगा इतना
तेरा तो ये इतना लंबा मोटा है मुझको डर लगता है भइया
तू है पुरा सांड के जैसा तगडा और मैं हूं छोटी से गइया
लेकर हाथ में तेल सरसों का उसके लौड़े पे लगी मैं मलने
देख कड़कपन लौड़े का दिल की धड़कन लगी थी बढ़ने
जिसका किया इंतजार इतने दिनों से घड़ी आज वो आई
बड़ी आपी को ठोकने चलाथा आज रात में असलम भाई
पकड़ हाथ में लन असलम ने जल्दी चूत पे मेरी टिकाया
रख एक हाथ को मुंह पर मेरे नीचे से धक्का एक लगाया
चीख निकली हलक से मेरे रह गई दब के मुंह के अंदर
ऐसा लगा जैसे असलम ने चूत में घुसा दिया हो खंजर
आंसू निकल गये आखों से मेरी मैं दर्द से लगी करहाने
आधे से भी ज्यादा हो गया है अंदर असलम लगा बताने
बस इतना ही रहने दे असलम अब ज्यादा नहीं घुसाना
फिर कभी ना दूंगी तुझको जो तूने कहना मेरा ना माना
आपी पूरा लिया बिना औरत को मजा कहां आता है
ख़ुशी ख़ुशी से लेती है वो तो जब पूरा अंदर जाता है
अम्मी को भी थोड़ा दर्द हुआ इसको लेने में पहली बार
अब तो हर रात मजे से लेती है वोह अंदर पूरा हथियार
धीरे-धीरे से ये चूत में आपकी अपनी जगह बना लेगा
जिस सुख को तुम तरसी हो वो पूरा तुम्हें मजा देगा
सच कहता था असलम अब मेरा भी दर्द लगा था घटने
अब उसके हर धक्के के साथ अब मजा लगा था बढ़ने
असलम की ताक़त और जुनून को आज था मैंने माना
चूदने का असली सुख क्या होता है आज था मैंने जाना
जहां आजतक कुछ नहीं पहुंचा था वहां पहुंचा हथियार
मेरी बच्चेदानी पे असलम का लौडा चोट रहा था मार
असलम के मोटे लंड पर मैं पटक रही थी अपने चूतड
असलम ने हाथों में थाम रखे थे मेरे दोनों मस्त कबूतर
कभी लिटा कर और कभी बिठा असलम ने चूत बजाई
असली मर्द से पड़ाथा पाला जिसने सचमें प्यास बुझाई
चिपक के दूजे से पूरी रात ये खेल हम दोनों ने खेला
अगली सुबह तक असलम ने मुझको चार बार था पेला
एक ही रात में मेरी फुद्दी सूज गई फुल के हुई पकौड़ा
अगली सुबह भी मेरी जांघों के बीच पड़ा हुआ था लौड़ा
सुबह उठाने को हम दोनों को जब अम्मी कमरे में आईं
देख के बिस्तर की ऐसी हालत अम्मी थोड़ा सा मुस्काई
देखो अम्मी असलम ने मेरी चूत का कैसा हाल किया है
पूरी रात ही चोदा है मुझको इसने तो सोने नहीं दिया है
याद रखना बेटी बिस्तर पर औरत को वही मर्द है भाता
बुरी तरह से निचोड़ औरत को उसकी पूरी रात बजाता
गरम पानी लेकर तेरी चूत की कर देती हूँ थोड़ी सिकाई
आज रात तो फ़िर से असलम ने करनी है तेरी ठुकाई
मेरी तो अम्मी पूरी चूत छिल चुकी है चलने में कठीनाई
अपनी आपा को ऐसा चोदता है क्या कोई उसका भाई
अम्मी मेरी बात मान कर तुम रात मेरे साथ ही रहना
धीरे-धीरे से आज ठोके मुझको तुम असलम से कहना
शब्बो मेरी बच्ची तुझे अब तक बात समझ नहीं आई
औरत ठंडी तभी होती है जब बेरेहमी से हो मिले ठुकाई
औरत की नीचे चूत में जब लगते है मर्द के धक्के गहरे
तभी औरत की चूत में उठती है अजब सुकून की लहरे
अम्मी सच्ची कहती थी अब मुझको भी मजा लगा आने
मौका मिलते असलम पर चढ़ जाती मैं अपनी मारवाने
अगले दो हफ्ते तक हर रात असलम ने मेरी खूब बजाई
मेरी कोख में असलम ने हर रात को भरी थी ढेर मलाई
असलम ने चोद चोद के मेरी फुद्दी कर दी इतनी खुल्ली
अब मजा कहां आताथा लेने में शोहरकी छूटी सी लूली
असलम के लौड़े की याद अब हर वक्त लगी थी खलने
मेरी कोख में अब असलम का बच्चा भी लग था पलने
अब तो जब भी जी चाहता है मेरा अम्मी के घर जाती हूं
असलम के लौड़े से चुदवा कर अपनी प्यास बुझाती हूं
मेरी पूरी कहानी सुन के अब तक समझ चुके हो आप
मेरे दोनों बच्चोंका मेरा भाई असलम ही है असली बाप
superbFinal part
शबनम बोली असलम से भैया तेल लगा कर सरसों का
आज रात मैं तेरी हूँ सपना पूरा कर लो अपना बरसो का
असलम मेरे भाई पहले इस मोट्टे लौड़े पे मलके थोडा तेल
फिर तेरा जितना मन चाहे मुझको यह डाल के लौड़ा पेल
बाजी अपनी चाट चाट पहले से ही लौडा किया है चिकना
बड़े प्यार से इसे डालूंगा चुत के अंदर ध्यान रखूंगा इतना
तेरा तो ये इतना लंबा मोटा है मुझको डर लगता है भइया
तू है पुरा सांड के जैसा तगडा और मैं हूं छोटी से गइया
लेकर हाथ में तेल सरसों का उसके लौड़े पे लगी मैं मलने
देख कड़कपन लौड़े का दिल की धड़कन लगी थी बढ़ने
जिसका किया इंतजार इतने दिनों से घड़ी आज वो आई
बड़ी आपी को ठोकने चलाथा आज रात में असलम भाई
पकड़ हाथ में लन असलम ने जल्दी चूत पे मेरी टिकाया
रख एक हाथ को मुंह पर मेरे नीचे से धक्का एक लगाया
चीख निकली हलक से मेरे रह गई दब के मुंह के अंदर
ऐसा लगा जैसे असलम ने चूत में घुसा दिया हो खंजर
आंसू निकल गये आखों से मेरी मैं दर्द से लगी करहाने
आधे से भी ज्यादा हो गया है अंदर असलम लगा बताने
बस इतना ही रहने दे असलम अब ज्यादा नहीं घुसाना
फिर कभी ना दूंगी तुझको जो तूने कहना मेरा ना माना
आपी पूरा लिया बिना औरत को मजा कहां आता है
ख़ुशी ख़ुशी से लेती है वो तो जब पूरा अंदर जाता है
अम्मी को भी थोड़ा दर्द हुआ इसको लेने में पहली बार
अब तो हर रात मजे से लेती है वोह अंदर पूरा हथियार
धीरे-धीरे से ये चूत में आपकी अपनी जगह बना लेगा
जिस सुख को तुम तरसी हो वो पूरा तुम्हें मजा देगा
सच कहता था असलम अब मेरा भी दर्द लगा था घटने
अब उसके हर धक्के के साथ अब मजा लगा था बढ़ने
असलम की ताक़त और जुनून को आज था मैंने माना
चूदने का असली सुख क्या होता है आज था मैंने जाना
जहां आजतक कुछ नहीं पहुंचा था वहां पहुंचा हथियार
मेरी बच्चेदानी पे असलम का लौडा चोट रहा था मार
असलम के मोटे लंड पर मैं पटक रही थी अपने चूतड
असलम ने हाथों में थाम रखे थे मेरे दोनों मस्त कबूतर
कभी लिटा कर और कभी बिठा असलम ने चूत बजाई
असली मर्द से पड़ाथा पाला जिसने सचमें प्यास बुझाई
चिपक के दूजे से पूरी रात ये खेल हम दोनों ने खेला
अगली सुबह तक असलम ने मुझको चार बार था पेला
एक ही रात में मेरी फुद्दी सूज गई फुल के हुई पकौड़ा
अगली सुबह भी मेरी जांघों के बीच पड़ा हुआ था लौड़ा
सुबह उठाने को हम दोनों को जब अम्मी कमरे में आईं
देख के बिस्तर की ऐसी हालत अम्मी थोड़ा सा मुस्काई
देखो अम्मी असलम ने मेरी चूत का कैसा हाल किया है
पूरी रात ही चोदा है मुझको इसने तो सोने नहीं दिया है
याद रखना बेटी बिस्तर पर औरत को वही मर्द है भाता
बुरी तरह से निचोड़ औरत को उसकी पूरी रात बजाता
गरम पानी लेकर तेरी चूत की कर देती हूँ थोड़ी सिकाई
आज रात तो फ़िर से असलम ने करनी है तेरी ठुकाई
मेरी तो अम्मी पूरी चूत छिल चुकी है चलने में कठीनाई
अपनी आपा को ऐसा चोदता है क्या कोई उसका भाई
अम्मी मेरी बात मान कर तुम रात मेरे साथ ही रहना
धीरे-धीरे से आज ठोके मुझको तुम असलम से कहना
शब्बो मेरी बच्ची तुझे अब तक बात समझ नहीं आई
औरत ठंडी तभी होती है जब बेरेहमी से हो मिले ठुकाई
औरत की नीचे चूत में जब लगते है मर्द के धक्के गहरे
तभी औरत की चूत में उठती है अजब सुकून की लहरे
अम्मी सच्ची कहती थी अब मुझको भी मजा लगा आने
मौका मिलते असलम पर चढ़ जाती मैं अपनी मारवाने
अगले दो हफ्ते तक हर रात असलम ने मेरी खूब बजाई
मेरी कोख में असलम ने हर रात को भरी थी ढेर मलाई
असलम ने चोद चोद के मेरी फुद्दी कर दी इतनी खुल्ली
अब मजा कहां आताथा लेने में शोहरकी छूटी सी लूली
असलम के लौड़े की याद अब हर वक्त लगी थी खलने
मेरी कोख में अब असलम का बच्चा भी लग था पलने
अब तो जब भी जी चाहता है मेरा अम्मी के घर जाती हूं
असलम के लौड़े से चुदवा कर अपनी प्यास बुझाती हूं
मेरी पूरी कहानी सुन के अब तक समझ चुके हो आप
मेरे दोनों बच्चोंका मेरा भाई असलम ही है असली बाप
कोमल जी... मैं बस अपने विचारों को अपने शब्दों में पिरोने की कोशिश करती हूँ। आपकी अच्छी टिप्पणी के लिए वास्तव में धन्यवाद। लेकिन मैं आपकी क्षमता और शैली से मेल नहीं खा सकती। आप एक प्रतीक हैंआपके हाथों में आके माँ बेटे का इन्सेस्ट भी, जिससे , जैसा आपने कहा बहुत से लोग असहज महसूस करते हैं, रसीला लगने लगता है। आपके चित्रों और शब्दों का अद्भुत संगम और उसके साथ कहानी में जो आप टर्न और नए कैरेक्टर लाती हैं वो जबरदस्त है जैसे इस बार शबनम
इन्सेस्ट की कहानियों से यह फोरम भरा पड़ा है बल्कि पटा पड़ा है और भाई बहन का नंबर सबसे आगे
लेकिन कौन से फैक्टर होते हैं, क्या कोई हिचकिचाहट होती है, देह के आकर्षण के अलावा भी क्या कोई बात होती है जो उन्हें नजदीक लाती है और इस कहानी में ये सब बाते हैं जो अक्सर इन्सेस्ट की कहानी में नहीं होती, लेकिन जादूगरी ये है की ये सब बाते एक दो पोस्ट में ही आप ले आती हैं और ये मेरी जैसी लेखिकाओं के लिए सीखने का सबब बन सकती है जो एक ही बात पे कलम घसीटती रहती हैं जबतक कलम घिस न जाए।
शबनम की सास की प्रतारणा,
मेरे बहुत पूछने पर शबनम अपनी मुश्किल लगी बताने
मेरी सास मारती रहती है आजकल मुझको दिन भर ताने
साल का अरसा बीत चुका था जब हुई थी उनकी शादी
और सास उसकी भड़क रही थी बनने को जल्दी से दादी
और साथ में परेशानी शबनम में नहीं उसके शौहर में ये भी बात कहानी में कितनी साफगोई से लेकिन कितने कम शब्दों में आयी
शबनम बोली जब जावेद से बिस्तर पर कुछ नहीं होता
अब कहाँ से ला कर दे दूं मैं उसकी माँ को उसका पोता
एक बार अस्पताल मैंने चोरी से अपना था टेस्ट करवाया
सच्ची अम्मी मैं मां बन सकती हूं डॉक्टर ने मुझे बताया
और उसके साथ का चित्र, और फिर शबनम की माँ ने जो रास्ता बताया, कौन माँ अपनी बेटी की इस हाल से विचलित नहीं होगी, लेकिन फिर भी शबनम की झिझक का जो अपने चित्र खींचा
लेकिन अम्मी ये कैसा हो सकता है वो है मेरा छोटा भाई
तो इस रिश्ते को भूल के कैसे करु मैं उसके साथ चुदाई
ये जिस्म की भूख है रुखसाना बातों से नहीं मिट पायेगी
आज गर असलम नहीं तो कल और किसी से मरवाएगी
देह की मस्ती और मजे के बारे में लिखने वाले बहुत हैं लेकिन मन में क्या हो रहा है यह लिखने वाले विरले हैं
मैं मानती हूँ मन को मथने वाले मन्मथ देव की आप पर विशेष कृपा है और वही आपकी लेखनी को प्रेरित करते हैं
हाँ आगे के लिए कुछ सुझाव
क्या शबनम के दोनों बच्चों में से कोई बेटी भी है तो कुछ दशक या सालों के अंतराल पर एक संभावना हो सकती है तीन पीढ़ियां एक साथ
या फिर शबनम की कोई ननद हो
या फिर आप कुछ और सोच लीजिये लेकिन भाग ३ का इन्तजार रहेगा