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भाग २३४
कहानी में बदलाव
पिछली कई पोस्टों से मैं जिक्र कर रही थी कहानी में बदलाव आने वाला है तो बस अगली पोस्ट शुरू करने से पहले दो तीन बातें बता दूँ
१ अब तक मैं कोशिश कर रही थी की जो कुछ हुआ उसी घटनाक्रम में हरदिन की बात, और फिर अगले दिन की, लेकिन थोड़ा सा इस क्रम में बाधा पड़ेगी, जैसे अभी तक पोस्ट २१५ से पोस्ट २३३ तक जीजू के आने के बाद की घटनाओं का जिक्र था, लेकिन एक बात थी जो उन के आने के पहले की थी जिसका थोड़ा सा इशारा मैंने पोस्ट २१ ३ में किया भी था, लेकिन अब शायद उसे दुहराना याद दिलाना पड़े क्यों की पोस्ट २१३ नया दिन नयी सुबह पिछले साल दिसंबर में पोस्ट हुयी थी और आगया दिसंबर २४ और वहीँ से फिर से बात शुरू करनी है इसलिए। और अगली पोस्ट यानी २१४ में गुड्डी को छोड़ने गयी थी तो बोला भी था गुड्डी से
" अच्छा तुझे अकेले आने की जरूरत नहीं , तेरा खसम किस बात के लिए है ,..." और बात साफ़भी कर दी " तेरा बचपन का यार , तेरे भइया ,... वो आ जाएंगे तुझे ६ बजे लेने ,... "
जब डेढ़ बजे वो फ्लाइट में बैठे ही थे , उसी समय मैं, ने उन्हें बोल दिया था और ये भी की
अपनी बहन को अंदर भेज कर , गाडी पार्क कर के , पांच छ मिनट के बाद ही अंदर घुसेंगे।
तो बस अब अगले भाग में कहानी फिर मुड़ के उस जगह पहुँच जायेगी जिस दिन जीजू लोग आये थे और जीजू लोगों का किस्सा तो इत्ते विशार में बता दिया तो उसी पार्ट में जीजू लोगों के जाने के बाद की कहानी चलेगी
२ दूसरा फरक ये आएगा की कहानी अब तक फर्स्ट परसन में मैं सुना रही थी लेकिन अब कहानी की जगह एक साथ कई जगहों पर होगी तो सेकेण्ड और थर्ड परसन में भी होगी
३ अब कहानी करीब करीब वहां पहुँच गयी हैं जहाँ पिछला फोरम बंद हुआ था, दो तीन भाग शायद पोस्ट भी हुआ था लेकिन एकदम आखिरी दिनों में जिसे कम लोगों ने पढ़ा और धुंधली सी याद है तो बस अब कहानी वहां पहुँच गयी है
लेकिन कहने वाली वही है, कहानी भी उन्ही लोगो की और पढ़ने वाले भी तो बस आपका प्यार दुलार आशीष मिलता रहेगा यही कामना है।
कहानी में बदलाव
पिछली कई पोस्टों से मैं जिक्र कर रही थी कहानी में बदलाव आने वाला है तो बस अगली पोस्ट शुरू करने से पहले दो तीन बातें बता दूँ
१ अब तक मैं कोशिश कर रही थी की जो कुछ हुआ उसी घटनाक्रम में हरदिन की बात, और फिर अगले दिन की, लेकिन थोड़ा सा इस क्रम में बाधा पड़ेगी, जैसे अभी तक पोस्ट २१५ से पोस्ट २३३ तक जीजू के आने के बाद की घटनाओं का जिक्र था, लेकिन एक बात थी जो उन के आने के पहले की थी जिसका थोड़ा सा इशारा मैंने पोस्ट २१ ३ में किया भी था, लेकिन अब शायद उसे दुहराना याद दिलाना पड़े क्यों की पोस्ट २१३ नया दिन नयी सुबह पिछले साल दिसंबर में पोस्ट हुयी थी और आगया दिसंबर २४ और वहीँ से फिर से बात शुरू करनी है इसलिए। और अगली पोस्ट यानी २१४ में गुड्डी को छोड़ने गयी थी तो बोला भी था गुड्डी से
" अच्छा तुझे अकेले आने की जरूरत नहीं , तेरा खसम किस बात के लिए है ,..." और बात साफ़भी कर दी " तेरा बचपन का यार , तेरे भइया ,... वो आ जाएंगे तुझे ६ बजे लेने ,... "
जब डेढ़ बजे वो फ्लाइट में बैठे ही थे , उसी समय मैं, ने उन्हें बोल दिया था और ये भी की
अपनी बहन को अंदर भेज कर , गाडी पार्क कर के , पांच छ मिनट के बाद ही अंदर घुसेंगे।
तो बस अब अगले भाग में कहानी फिर मुड़ के उस जगह पहुँच जायेगी जिस दिन जीजू लोग आये थे और जीजू लोगों का किस्सा तो इत्ते विशार में बता दिया तो उसी पार्ट में जीजू लोगों के जाने के बाद की कहानी चलेगी
२ दूसरा फरक ये आएगा की कहानी अब तक फर्स्ट परसन में मैं सुना रही थी लेकिन अब कहानी की जगह एक साथ कई जगहों पर होगी तो सेकेण्ड और थर्ड परसन में भी होगी
३ अब कहानी करीब करीब वहां पहुँच गयी हैं जहाँ पिछला फोरम बंद हुआ था, दो तीन भाग शायद पोस्ट भी हुआ था लेकिन एकदम आखिरी दिनों में जिसे कम लोगों ने पढ़ा और धुंधली सी याद है तो बस अब कहानी वहां पहुँच गयी है
लेकिन कहने वाली वही है, कहानी भी उन्ही लोगो की और पढ़ने वाले भी तो बस आपका प्यार दुलार आशीष मिलता रहेगा यही कामना है।
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