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Adultery आर्या मैडम

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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मैडम ने जब आखिर मेरे होंठ छोड़ें तो मैंने उनसे थोड़ा शरमाते हुए कहा. "मैडम, मैं भी आप की चूत चूसना चाहता हूँ." मैडम ने इस बात पर खुश होकर मुझे फ़िर से चूम लिया. "जरूर चुसवाऊँगी अपने प्यारे स्टुडेन्ट को अपनी चूत, पर अभी नहीं बेटे, अभी वक्त नहीं है, मेहमान आने वाले हैं और मुझे तैयार होना है, आज तो तू मुझे बस चोद डाल, मैं कबसे तड़प रही हूँ तुझसे चुदने के लिये" और लेटे लेटे ही उन्हों ने अपना गाऊन ऊपर किया, मेरे फ़िर से तन्नाये लंड को अपनी चूत में घुसेड़ा और मुझे कस के बाँहों में भींच कर अपने ऊपर लिटा लिया.

मुझे मैडम की गोरी गोरी घने बालों में घिरी चूत की बस एक झलक दिखी, मैंने उनसे अनुरोध किया कि मुझे अपना लावण्य ठीक से देखने तो दें पर वे बोली "आज नहीं, टाइम नहीं है बेटे, अगली बार मन लगा कर दिखाऊँगी".

अब मेरा लंड उस गरम तपती गीली म्यान में गड़ा हुआ था. मैडम की चूत बड़ी कोमल थी पर कुछ ढीली भी लग रही थी. सहसा उस मखमली बुर ने सिकुड़ कर मेरे लंड को ऐसे पकड़ लिया जैसे किसी ने मुठ्ठी में कस कर भींच लिया हो. मैं मस्ती से कराह उठा क्यों की मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी उमर में भी मैडम की चूत ऐसे मुझे जकड सकती है. मेरी हैरानी पर मैडम प्यार से मुस्कुराई और मुझे चूमते हुए बोली "इस बुर के चमत्कार अब रोज दिखाऊँगी बेटे पर अभी तो मुझे बस तू चोद, देर मत कर."

मैं भी अब फ़िर से पूरा गरमा चुका था. मैडम की बात मानकर उन्हें मैंने चोदना शुरू कर दिया. पहले मैं घुटने टेक कर आधा बैठा हुआ उन्हें चोद रहा था कि उनपर मेरा वजन न आये पर उनके कहने पर मैंने उन्हें बाँहों में भर लिया और उनपर पूरा लेट गया. फ़िर अपना मुंह उनके मीठे होंठों पर जमा कर उनका दीर्घ चुंबन लेता हुआ मैं हचक हचक कर पूरी एकाग्रता से उन्हें चोदने लगा.

मैंने काफ़ी देर तक बड़ी मेहनत और प्यार से अपनी मैडम को चोदा. मैडम ने भी कहा कि मैं एक बार झड चुका हूँ इसलिये अब सब्र से उन्हें कम से कम आधे घंटे तक चोदूँ जिससे उन्हें भी खूब झडने का मौका मिले. उनकी बुर अब इस तरह गीली थी कि मानों गरम गरम घी से भरी हो. लंड चलने से ’पक्क पक्क पक्क’ ऐसी आवाज़ें भी आ रहीं थी.

मेरी आधे घंटे की लगातार मेहनत सफ़ल रही और आर्या मैडम चार बार झड़ीं. हर बार झडने पर वे एक सिस्कारी भरती और मुझे बेतहाशा चूमने लगती. आखिर मैं भी सह न सका और स्खलित हो गया. थका हुआ पूरी तरह से संतुष्ट मैं मैडम के चिकने शरीर को बाहों में भरे हुए उन पर पड़ा रहा और वे बड़े दुलार से मुझे चूमती रहीं और मेरी पीठ और नितंब सहलाती रहीं. उनकी बुर तो मेरे लंड को छोड़ ही नहीं रही थी और गाय के थन जैसा दुह रही थी.

आखिर उन्हों ने एक लम्बी सांस ली और मुझे बाजू में कर के उठ बैठी. "चल अब मेहमान आते होंगे, बहुत मजा आया वरुण बेटे, बहुत तृप्त किया तूने अपनी मैडम को, काफ़ी गुरु-दक्षिणा चुका दी. बोल अब कब आयेगा?" अपना गाउन ठीक करते हुए उन्हों ने पूछा. मैंने भी कपड़े पहने और कहा "मैडम, आप जब बुलाएंगी, मैं आ जाऊंगा. कल ही आ जाऊँ?"

वे हंस कर बोली "बड़ा नादान है तू, मुझे फंसाना है क्या? हम बस हफ़्ते में एक बार इस तरह मिल सकते हैं, नहीं तो पास पड़ोस के लोग शक करेंगे और अगली बार मुझे एकाध घंटे तक नहीं, कई दिनों तक चाहिये अपना प्यारा स्टुडेन्ट" मैं भी सोच में पड़ गया, उनसे अलग रहने की कल्पना भी अब मुझे सहन नहीं हो रही थी.

मैडम मेरा मुरझाया चेहरा देख कर प्यार से मुस्कुराई और मुझे चूम कर बोली "तेरी मिडटर्म छुट्टी इसी शनिवार से है ना?" मैंने हाँ कहा तो मेरी पीठ थपथपा कर वे बोली. "तो काम बन गया, तू सब मित्रों को बता कि दस दिन तू घूमने जा रहा है. घर भी चिठ्ठी लिख दे कि छुट्टी में नहीं आ रहा है. फ़िर शुक्रवार रात को चुपचाप मेरे घर आ जाना. बंगले के पिछवाड़े से आना, दरवाजा खुला रहेगा. यहीं दस दिन रहना, तुझे ऐसा छुपा कर रखूंगी कि किसी को पता नहीं चलेगा. खूब पढ़ाऊँगी तुझे!"

मैंने खुश होकर उन्हें ज़ोरों से चूम लिया "शुक्रिया मैडम, मैं बैग लेकर आ जाऊंगा" वे शैतानी से हंस कर बोली. "बैग खाली ही लाना, कपड़ों की जरूरत नहीं पड़ेगी तुझे हफ़्ते भर. और सुन! जरा काबू रख अपने आप पर हफ़्ते भर! एकदम मस्त होकर आना मेरे यहाँ."

मैं वापिस आया तो पाँव खुशी के मारे जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. वह हफ़्ता मैंने कैसे काटा यह सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ. पर मैडम को किये वादे के अनुसार मैंने हफ़्ते भर न तो हस्तमैथुन किया न कामुक विचार आने दिये. खूब पढ़ाई करता और रात को थक कर सो जाता. मैडम की क्लास में भी पीछे बैठता था. मैडम ने भी हफ़्ते भर तक मेरी ओर देखा भी नहीं. सिर्फ़ शुक्रवार की क्लास में क्षण भर मेरी ओर अर्थभरी निगाहों से देखा और निकल गई.

शाम को होस्टल खाली हो गया. मैं भी खाली बैग लेकर निकल पड़ा. सब दोस्तों को बताया कि घूमने जा रहा हूँ और बाहर आकर पास ही बगीचे में टाइम पास करता रहा. रात को अंधेरा होने पर चुपचाप मैडम के घर गया और आसपास कोई न होने की तसल्ली करने के बाद पीछे के दरवाजे से अंदर चला गया. आँगन पार कर के मैं सीधा बाजू के दरवाजे से बैठने के कमरे में चला गया.

अंदर धीमी रोशनी जल रही थी और मैडम सोफ़े पर बैठ कर एक रंगीन चित्रों वाली कामुक मेगेज़ीन देख रही थी. उन्हों ने मुझे देखा तो मुस्कराकर उठी और पहले दरवाजा बंद किया. मैं उनके सजे धजे रूप को देखता ही रह गया. मेरे कुछ कहने के पहले उन्हों ने पहले बाहर का दरवाजा लगाया और मुझे चुप रहने का इशारा करती हुई खींच कर अंदर ले गई. उन्हों ने अपने बेडरूम के पास के रूम का दरवाजा खोला और मुझे अंदर जाने को कहा.

रूम काफ़ी बड़ा था और उसमें एक बड़ा डबलबेड, सोफ़ा, कुर्सियाँ, एक टेबल और एक सकरी लम्बी बेंच थी. मैडम ने दरवाजा लगाते हुए कहा "यहाँ अब तुझे दस दिन रहना है, तू इस कमरे से बाहर नहीं जायेगा, अगर कोई आया या मैं बाहर गयी तो ताला लगाकर जाऊँगी. तू अब ऐसा कर कि नहा ले तब तक मैं ताला लगाकर और सब खिड़की दरवाजे बंद कर आती हूँ."

मैं नहाने चला गया और खूब देर तक मन लगाकर नहाया. बीच में ही मैडम ने दरवाजा खटखटा कर कहा कि मैं कपड़े बाहर उन्हें दे दूँ. मैंने हाथ निकालकर कपड़े उन्हें दे दिये. नहाने के बाद मेरे ध्यान में आया कि पहनने के कपड़े तो हैं ही नहीं. मुझे थोड़ी शर्म लगी पर बदन पोछ कर मैं टोवेल लपेटकर बाहर आ गया.

आर्या मैडम सोफ़े पर बैठ कर मेरा इंतज़ार कर रहीं थी. मुझे शरमाते हुए देखकर बोली. "कपड़े चाहिये? वे तो मैंने छुपा दिये हैं. अब तू मेरा कैदी है. दस दिन कहीं नहीं जा पायेगा."

फ़िर मेरी ओर देखकर देखकर बड़े प्यार से मुस्कराकर बोली. "वरुण बेटे, तू बड़ा प्यारा, चिकना लड़का है. मैं बड़ी किस्मत वाली हूँ कि तुझ जैसा जवान खूबसूरत छोकरा मुझे प्यार करता है."

मैंने अब पहली बार मैडम को मन भर कर देखा. वे ऐसे सजी थी जैसे पार्टी में जाना हो. उनका अभी अभी नहाया हुआ स्वस्थ गोरा शरीर बड़ा आकर्षक लग रहा था. उन्हों ने बाल जुड़े में बांध रखे थे और होंठों पर हलकी गुलाबी लिपस्टिक लगा रखी थी. गुलाबी पारदर्शक शिफॉन की साड़ी पहनी थी जिसमें से उनका साटिन का गुलाबी पेटीकोट दिख रहा था.

गोरे पैरों में लाल रंग की नाजुक पट्टियों वाली ऊंची एडी की सेंडल पहन रखी थी. अंग में गुलाबी पारदर्शक स्लीवलेस ब्लाउज़ था. ब्लाउज़ इतना बारीक कपड़े का था कि उसमें से उनकी गहरे लाल रंग की लेस वाली ब्रेसियर साफ़ दिखती थी. ब्लाउज़ काफ़ी लो कट भी था और उसके ऊपरी भाग में से मैडम के गोरे मुलायम उरोजों का ऊपरी उभार स्पष्ट दिखता था.

मैडम अब मेरी तरफ़ देखते हुए सोफ़े पर कोहनी रखकर आधी लेट गई और उनका पल्लू नीचे गिर पड़ा. इस पोज़ में उनके मस्त उभरे हुए कस कर ब्रा में बंधे उरोज और मतवाले लगने लगे. मेरा लंड अब खड़ा होने लगा और टोवेल में एक तम्बू तनने लगा. उसे देख कर मैडम हंसी और सोफ़ा थपथपाकर प्यार से कहा. "साड़ी पसंद आयी तुझे लगता है. दूर खड़ा क्या घूर रहा है, आ यहाँ मेरे पास बैठ."
Sexyyyyy gazab update
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LUSSY
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WAH GOOD STORY
 
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vakharia

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Tumahri story ki sbse achii chuz ye badi umra ki aurate hai i want to fuck aunty
Thanks for the comments bhai :heart:
 

vakharia

Supreme
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Bahut hi shandar update he vakharia Bhai,

Jitni asasani se arya madam ne varun ko chut aur gaand de di thi......soniya utni jaldi dene wali nahi.............varun ko abhi wait karna padega soniya ke liye

Keep posting Bro
Thanks bhai❤️💖❤️
 
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