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Bahot shaandaar lajawab update dostआज मधु को उस मंदिर में आये हुए पूरे 2 साल बीत चुके थे ।इस बीच ऐसा कुछ भी नही हुआ जो बताया जाए । वह अपनी नॉर्मल जिंदगी जी रही थी ।पुजारी जी के मदद से उसने अपनी गुजर बसर करने के लिए हर जरूरी चीज मिल गयी थी । वह अपना पूरा समय आया को पालने में और इसके अलावा कुछ समय मिलता तो वह मंदिर में पूजा पाठ और साफ सफाई पर ध्यान देती ।हा इस बीच एक चीज हुई जो कि नॉर्मल नही थी और वह थी आर्या की ग्रोथ एक नॉर्मल बच्चे से कई गुना तेज बढ़ रहा था और वही दूसरी तरफ सुनैना ने दुनिया भर में फैले अपने गुलामो की मदद से दुनिया भर में काम वासना लोभ आपराधिक प्रविर्ती जैसे दुर्विचारो को चरम पर पहुचा दिया था ।आज हर इंसान इन विकारो से इतना ग्रस्त हो गया था कि अंधेरे की ताकत कई गुना बढ़ चुकी थी जिससे खुश हो कर अंधेरे के सम्राट महामहिम ने सुनैना को पूरे ब्रह्मांड की एक नायिका के रूप में घोषित कर दिया था ।सुनैना अपने दिमाग के बल पर आज के वक्त में महामहिम के बाद सबसे ताकतवर बन चुकी थी ।वही दूसरी तरफ ठाकुर विजय अपने बड़े बेटे और बहू की लाश देखने के बाद टूट से गये थे ।अब उन्हें ऐसा लग रहा था कि इस सब के कारण वही है ।उधर उनका छोटा बेटा अपने बड़े भाई के मौत के बाद पूरा बिजनेस खुद सम्भाल रहा था । वही ऋतु ने इस बीच एक बच्ची को जन्म दिया । वह मानसी को तो पहले से ही पसन्द नही करती थी और जबसे उसके सास सुसर ने अपने बेटे के मरने के बाद से अपने ही दुखो में खोये हुए थे उन्हें तो और कुछ से मतलब ही नही रह गया था इसका फायदा उठा कर ऋतु मानसी पर बहुत ही जुल्म किया करती थी और सुनैना के फैलाये जा रहे दुर्गुणों के कारण उसकी क्रूरता और भी बढ़ गयी थी ।आज मानसी का जीवन नरक से बदतर हो गई थी ।जिसके बारे में मारिया को पता चल चुका था ।ऐसा नही था कि इस बारे में सुनैना नही जानती थी पर अभी वह इस बात पर ध्यान ना देकर अपनी ताकत बढ़ाने में लगी हुई थी पर जब मारिया से यह बर्दाश्त के बाहर हो गया क्यूंकि इस समय ऋतु ने जुल्म की इंतहा कर दी थी उस लड़की पर उसे कई दिनों से सिर्फ पानी पर रखी हुई थी तो इसी बात को लेकर आज मारिया सुनैना के पास पहुच गई जो कि ध्यान में बैठी हुई थी ।जब सुनैना को आभास हुआ कि कोई है उसके पास तो वह अपने ध्यान से बाहर आई जब उसने मारिया को सामने देखी तो बोली
सुनैना : क्या बात है मारिया तुम कुछ परेशान दिख रही हो कोई बात कहना है तुमको
मारिया उसके सामने घुटनो के बल झुक कर प्रणाम करती है और बोलती है
मारिया : अगर आप हमारी गुस्ताखी को माफ करे तो मैं आपसे कुछ कहने की इज्जाजत चाहूंगी।
सुनैना : मैं तुम्हारे मन मे चल रहे भाव से अनजान नही हु पर तुम जानती हो कि मैं अपने सभी पुराने नातो से मुक्त हो चुकी हूं इसलिए मैं उस बारे में कुछ नही कर सकती ।
अभी इसके आगे वह कुछ और बोलती इससे पहले ही उसके सामने महामहिम खुद प्रकट हो चुके थे और उन्हें देखते है मारिया और सुनैना घुटनो के बल झुक जाती है तब महामहिम बोले
महामहिम : नही सुनैना तुम सभी बन्धनों से मुक्त हो सकती हो पर माँ के बंधन से नही हो सकती हो और दूसरी बात यह है कि उसके अंदर वह क्षमता है जो कि तुम्हारे ताकत को कई गुना बढ़ा सकती हो ।
इतना बोल कर वह गायब हो जाते है । अब यंहा पर ऐसा नही था कि महामहिम को उस लड़की पर दया आ गयी थी क्यूंकि यह भावना तो उसके अंदर है ही नही बल्कि वह उसको इसलिए सुनैना के पास लाने के लिए बोला था क्यूंकि एक मानसी ही है जिसकी मदद से सुनैना अंधेरे की मदद से उसके मकसद को पूरा कर सकती है क्यूंकि मानसी जिस ग्रह नक्षत्र में पैदा हुई थी उस नक्षत्र में जन्मी बालिका ही उस दरवाजे को खोल सकती है जिसकी मदद से वह नरक का दरवाजा खोल सकती है जो कई हजार सालो से उसमे कैद है पर उसके लिए उसका 21 वर्ष की जब होगी तभी कर सकती है ।
इधर मारिया ने महामहिम के जाने के बाद बोलती है
मारिया : अब तो आपको कोई भी आपत्ति नही होनी चाहिए क्यूंकि अब तो महामहिम ने भी बोल दिया है।
सुनैना : तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है क्या अब मैं उसके पास जाऊं भी तो कैसे और उसे अपने पास कैसे रख सकती हूं।
मारिया : यह आप बोल रही हैं मुझे यकीन नहीं हो रहा है क्योंकि ऐसा कोई भी काम नहीं है जो आप नहीं कर सकती हैं फिर यह तो बहुत छोटा सा काम है।
सुनैना : जो तुम्हे छोटा काम दिख रहा है वह काम कितना मुश्किल है यह तुम्हे नही पता ।
मारिया : वही तो मैं भी पूछना चाहती हूं कि ऐसा क्या मुश्किल है जो आपको करना असंभव दिख रहा है अगर आप चाहे तो पल भर में उसे वहां से गायब कर के यहां पर ला सकती हैं फिर ऐसी क्या बात है।
सुनैना : बात यह है कि मैं उसे अपने पास रखूंगी भी तो किस रिश्ते से अब उसमें मैं यह तो बोल नहींं सकती कि वह मेरी बेटी है और दूसरा क्या बोलूं क्योंकि जब वह मेरे पास आएगी आज वह छोटी है तो कोई भी सवाल नही करेगी लेकिन आगे जाकर उसके मन मे भी तो सवाल आ सकते है ना।
मारिया : तो इसमें इतना सोचने की क्या बात है आप खुद की बहन बन जाइए और बोल दीजिए कि मैं तुम्हारी मां की सहेली हूं इसलिए तुम्हारी मौसी हूं अब ऐसा तो है नहीं कि आपके परिवार वाले या आपके ससुराल वाले आपके सभीी दोस्तों को जानते होंगे और अगर कोई जानता भी था तो वह तो अब रहा नही।
सुनैना : यह तो तुमने बिल्कुल ठीक कहा इस बारे में तो मैंने सोचा ही नही ऐसा करने से कोई शक भी नही करेगा और जैसे वंहा के हालात है तो इस बात का किसी को कोई फर्क पड़ने वाला भी नही है।
वही दूसरी तरफ आज आर्या का दूसरा जन्मदिन था तो आज मधु ने पुजारी जी से बोल कर मंदिर में आर्या के लिए पूजा करवा रही थी । पूजा हो जाने के बाद उसकी आँखों से कुछ अंशुओ की बूंदे गिर पड़ी जिसे देख कर पुजारी जी बोले
पुजारी : पुत्री बीती बातो को याद करने से तकलीफ के सिवा और कुछ भी नही मिलने वाला है इसलिए उन दुखद घटनाओ को याद करके कोई फायदा नही है ।
मधु : बाबा मैं खुद के लिए दुखी नहीं हूं बल्कि इसलिए दुखी हु कि जिस आर्या को महलो का सुख मिलना चाहिए वह आज इस तरह जंगलो में पलने के लिए विवश है ।मैं यंहा पर इसका सही ढंग से पोषण भी नही कर पा रही हु ।
पुजारी : पुत्री यह दो साल आर्या के लिए संकट के थे इसलिए ऐसा बिता पर वह समय जल्द ही आने वाला है जब तुम्हे कोई अपना मिलेगा।
मधु : बाबा आप भी जानते है कि उस दुष्ट के आदमी आज भी मुझे और इसे खोज रहे है तो ऐसे में अगर मैं अपने मायके जाउंगी तो संकट उन लोगो पर भी आ सकता है।
वही परीलोक में रानी परी राजगुरु के साथ बैठी हुई बाते कर रही थी
रानी परी : गुरदेव अब वह समय आ गया है जब आर्या और मधु को उस जंगल से बाहर की दुनिया की तरफ लाना होगा क्यूंकि जिस बुराई से उसे लड़ना है उसके बीच मे रह कर पलने से उसके अंदर वह क्षमता पैदा होगी कि वह बुराई से लड़ सके।
राजगुरु : हा रानी साहिबा आप ठीक बोल रही है अगर ऐसा नही हुआ तो वह आगे जाकर कमजोर हो जाएगा फिर आप तो जानती ही है कि क्या हो सकता है।
रानी परी : ठीक है गुरदेव फिर इसके लिए जो भी उचित है वह आप बोले हम जरूर करेंगे।
राजगुरु : अभी हमे कुछ करने की जरूरत नही है। आर्या में सारी शक्तियां पहले से ही जाग्रत अवस्था मे है इसलिए वह सामान्य बालको से भिन्न है पर मैंने महाकाल के आशीर्वाद से उसकी सक्तियो को 18 शाल तक के लिए बांध दिया है जिससे कि उसके जान को खतरा ना हो और मैं खुद पुजारी के रूप में वंहा रह कर के उसकी सुरक्षा और पालन पोषण की सारी व्यवस्था करता ही हु पर अब उसे बाहरी दुनिया मे जाना ही होगा।
रानी परी : गुरदेव बिना शक्तियों के वह शिक्षा कैसे ग्रहण करेगा। जो कि एक आम इंसान के लिए संभव नही है।
राजगुरु : आप भूल रही है रानी की उसकी शक्तियां सिर्फ सुप्त अवस्था मे ना कि उसके पास से गायब है वह उसके अंदर ही है जिसकी वजह से एक आम इंसान तो रहेगा ही नही कभी।
रानी परी : तो उसको कंहा रखने के लिए सोच रहे है ।
राजगुरु : अब उसके परिवार में एक ही ऐसा है जिसके बारे में विजय नही जानता है और उसकी सक्तिया बंधी होने के कारण दुष्ट सक्तियो के लिए तो पहले से सुरक्षित है वह चाह के भी उसको ना तो खोज सकेंगे और ना ही उसका कुछ बिगाड़ सकते है।
Bahot shaandaar mazedaar lajawab update dostरानी परी राजगुरु की बात को सुनकर समझ नही पाई की वह किसकी बात कर रहे है तो वह बोली
रानी परी : गुरदेव आप किसकी बात कर रहे है मैं कुछ समझ नही पाई ।आखिर ऐसा कौन है जिसके पास वह दोनो सुरक्षित रह सकती है।
राजगुरु : आज के समय मे आर्या और मधु के अलावा उसके परिवार की एक मात्र जीवित सदस्य है कोमल जो कि आर्या की बुआ है और एक वही है जंहा पर उसकी उचित तौर पर पालन पोषण हो सकता है किन्तु उसमे भी एक समस्या है ।
रानी परी : कैसी समस्या है गुरदेव ।
राजगुरु : कोमल और मधु दोनो ही एक दूसरे से पूरी तरह से अनजान है ऐसे में उनको मिलाना कठिन हो सकता है ।
रानी परी उनकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहती है
रानी परी : ऐसा कुछ भी नही होगा आप बिलकुल निश्चिन्त रहे ।मैं खुद उन दोनो की भेंट करवाउंगी ।
राजगुरु : अगर आप ऐसा कर पाती है तो हमारी बहुत बड़ी समस्या हल हो जाएगी ।
रानी परी : तो इसके लिए सबसे पहले आप मुझे मधु से भेंट करवाइये उसके बाद ही मैं कोमल के यंहा पर जाकर उसकी जानकारी उसे दूंगी और यह कोशिश करूँगी की उन दोनों का मिलन जल्द से जल्द हो सके ।
राजगुरु : ठीक है अगर आपकी यही इच्छा है तो ऐसा ही करते है ।मैं आपको उससे भेंट करवा देता हूं।
इधर मधु भी आर्या के साथ उसको नहला कर तैयार करने के बाद भोजन बनाती है खुद के लिए और पुजारी जी के लिए वही बाहर आर्या भी अपने खेल में मग्न था लेकिन जब काफी देर हो जाती है और पुजारी जी अभी तक नही आये तो मधु बाहर मंदिर पर जाकर देखने के लिए कुटिया से बाहर आती है और जैसे ही उसकी नजर आर्या पर पड़ती है उसकी जान निकल जाती है क्यूंकि आर्या एक जहरीले सांप को पकड़ कर खेल रहा था जिसकी वजह से वह सांप गुस्से में फुंकार मार रहा था पर आर्या डरने की जगह और भी हस रहा था तब मधु उसकी तरफ भाग कर जाती है और किसी तरह से उसके हाथों से उस सांप को छुड़ा कर जंगल की तरफ छोड़ देती है और आर्या को गले लगा लेती है और रोने लगती है तभी पुजारी जी वंहा पर आ जाते है और मधु को इस तरह रोते हुए देख कर बोलते है
पुजारी जी : क्या बात है तुम इस तरह क्यों रो रही हो ।
मधु : बाबा आज तो मेरे जीने का एक मात्र सहारा जिसके लिए मैं सारी दुखो को झेल कर भी आज जिंदा हु वह बहुत बड़े खतरे में पड़ गया था ।आर्या ने खेल खेल में जहरीले सांप को पकड़ लिया था वह तो अच्छा हुआ कि उस सांप ने इसे काटा नही वरना अनर्थ हो जाता ।
पुजारी जी : नही पुत्री ऐसा कुछ भी नही होता क्यूंकि मैंने इसे महाकाल कवच से सुरक्षित किया हुआ है जिसकी वजह से इसका कोई कुछ भी नही बिगाड़ सकता है और वैसे भी तुम चिंता मत करो अब ज्यादा दिन तक तुम्हे यंहा पर नही रहना होगा ।मैंने तुम्हें बोला था ना कि जल्द ही तुम्हे कोई अपना मिलेगा जो कि तुम्हे सारे दुखो से मुक्त करेगा इनसे मिलो (रानी परी की तरफ इशारा करते हुए जो कि इस समय एक सामान्य महिला के रूप थी ) यह मेरी बहन है और यह उसी सहर में रहती है जंहा पर तुम्हारे पति की बहन कोमल अपने परिवार के साथ रहती है।
पुजारी जी की बात सुनकर मधु को झटका लगता है क्यूंकि वह इस बात से बिल्कुल भी अनजान थी कि उसके पति का कोई बहन भी है तो वह बोलती है कि
मधु : बाबा आपको कोई भर्म हुआ है जंहा तक मैं जानती हूं मेरी कोई ननद नही है और अगर होती तो मेरी शादी में उससे मुलाकात हुई होती ना।
पुजारी जी : नही पुत्री ऐसा है कि तुम्हे उसके बारे में कोई जानकारी नही है और ना ही उसे है कि तुम लोगो के साथ क्या हुआ है ।पिछले पांच सालों से वह यंहा पर लौट कर कभी आयी ही नही और तुम्हारे ससुर की वजह से तुम्हारे पति भी उनसे चोरी से मिलते थे पर इस डर से की अगर पिता जी को इस बात का पता चल गया तो वह नाराज हो जाएंगे इसलिए उन्होंने इस बारे में तुम्हे कभी नही बताया ।
मधु : तो क्या वह उनको कुछ भी नही पता है कि हमारे साथ क्या हुआ है ।
रानी परी : (साधारण महिला के भेष में) : नही पुत्री वह कुछ भी नही जानती है तुम्हारी सास मेरी ही गांव की है इसलिए हम लोग अक्सर मिला करते थे और वह मुझसे ही अपनी पुत्री कोमल का हाल चाल लिया करती थी किन्तु पिछले दो सालों से मैं बाहर गयी हुई थी तो मुझे कुछ पता नही चला और जब यंहा पर आई तो मुझे उस दुखद घटना के बारे में मालूम चला और फिर जब मैं भैया से मिलने के लिए यंहा पर आई तो तुम्हारे बारे में मुझे मालूम हुआ मुझे तुम्हारे साथ हुई दुर्घटना का बहुत दुख है
मधु : माँ जी अब तो मैं उस दुखद पल को याद भी नही करती हूं ।अगर आर्या की जिम्मेदारी मेरे सर पर नही होती तो अब तक मैंने खुद को खत्म कर लिया होता ।अब अगर ऐसा है तो मैं इसकी जिम्मेदारी उन्हें देकर अपनी इस मनहूस जिंदगी से छुटकारा ले लुंगी।
पुजारी जी : नही पुत्री तुम ऐसा सोचना भी मत भविष्य में तुमको इसका मार्गदर्शन करना होगा और एक माँ की पूरी जिम्मेदारी तुम्हे निभानी होगी ।इन दो सालों में तुम्हे यह तो पता चल ही गया है कि आर्या एक असाधरण लड़का है और आगे इसे ऐसे बहुत से कार्य करने है जिसमे इसकी मदद तुम्हारे सिवा और कोई नही कर सकेगा क्यूंकि यह तुम्हारे सिवा और किसी की बात नही मानेगा ।
रानी परी : अभी तो केवल मैं तुमसे मिलने और बालक को देखने के लिए आई हुई थी और अब मैं चलती हु जल्द ही मैं फिर वापस आउंगी और उस बार मैं अकेले नही बल्कि तुम्हारी ननद कोमल भी मेरे साथ ही होगी।
वही दूसरी तरफ मारिया और सुनैना मानसी को लेने के लिए बाई रोड जा रही थी क्यूंकि वह नही चाहती थी कि कोई उन दोनों के बारे में जाने लेकिन इसका मतलब यह भी नही था कि वह आम लोगो की तरह जा रही थी सुनैना के गाड़ी के आगे पीछे गाड़ियों का रेला सा लगा हुआ था जिसमे एक से बढ़कर एक खतरनाक हथियार से लैस आदमी बैठे हुए थे। वंहा ऋतु आज भी हर रोज की तरह मानसी को बुरा भला बोल रही थी और उस छोटी सी बच्ची मानसी पर जुल्म कर रही थी वही पास के रूम में ठाकुर विजय हर रोज की तरह आज भी अपने बुरे कर्मो को याद करके रो रहे थे और उनकी बीवी उनको शान्त करा रही थी कि अचानक उनके कानों में ऋतु के चिल्लाने की आवाज आती है तो ठाकुर विजय अपनी बीवी से बोलते है
विजय : राधा जा कर देख अब क्या हो गया है क्यों उस बिन मा बाप के बच्ची के ऊपर वह चिल्ला रही है।
राधा अपने पति की बात मानकर जाकर बाहर देखती है तो उसका कलेजा मुह में आ जाता है क्यूंकि ऋतु उसे बुरी तरह से पिट रही थी तो राधा दौड़ कर जा कर मानसी को छुड़वाती है और बोलती है
राधा : बहु तुममे इतना भी रहम नही है क्यों इस बिन मा बाप की बच्ची पर तु इतना जुल्म कर रही है ।तूने तो इसकी पूरी जिंदगी ही नरक बना कर रखी हुई है । हमने पहले ही इतने गुनाह किये हुए है जिसकी सजा हम भुगत रहे है और तू उसके बाद भी इस बेचारी पर जुल्म कर रही है।
ऋतु : मा जी आप तो बीच में ना ही आओ तो अच्छा होगा आज इसकी गलती की सजा इसे देकर ही रहूंगी।
राधा : अब क्या गलती कर दी इस बच्ची ने जो तू इतना जुल्म कर रही है ।
ऋतु : इसने मेरी इतनी महंगी साड़ी जला दी है तो क्या मैं इसकी पूजा करू ।अब इसके मा बाप तो मर गए और इसे छोड़ गए हमारी जिंदगी में नरक घोलने के लिए।
म
Shaandaar mazedaar lajawab update dostऋतु की बात सुनकर राधा जी अभी कुछ बोलती इससे पहले ही एक आवाज सुनकर वह दोनों चौक जाती है यह कोई और नही बल्कि सुनैना थी जो कि काफी देर से इन लोगो की बातों को सुन और देख रही थी ।यह बात अलग थी कि वह अभी घर मे कदम रखी है लेकिन उसे यह बात सुनने के लिए यंहा पर होना कोई जरूरी नही था तो वह बोली
सुनैना : ऋतु एक शब्द और नही बोलना मानसी के खिलाफ वरना तुम्हारी जिंदगी मैं नरक से भी बदतर कर दूंगी ।
सुनैना अपनी बेटी को इस हाल में देख कर उसके आंखों में आँशु आ गए ।मानसी कंहा पहले गुड़िया की तरह दिखती थी और कितनी मासूम सी थी किन्तु आज उसके चहेरे से मासूमियत गायब सी हो गयी थी । उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि मानो वह कितनी दिनों से भूखी हो तो वह बोली कि
सुनैना : तुम सब ने इस मासूम सी बच्ची पर इतना जुल्म किया कि इसकी मासूमियत ही छीन लिया तुम सबने ।
उसकी बात सुनकर ऋतु जो पहले से गुस्से में थी सुनैना की बातों ने उसमे घी का काम किया और वह भड़कती हुई बोली
ऋतु : तुम होती कौन हो हमारे बीच मे बोलने वाली और तू अंदर तक कैसे आ गयी।
ऋतु के इस तरह बोलने से मारिया आगे बढ़ कर कुछ बोलने को होती है लेकिन सुनैना उसे रोक देती है और बोलती है कि
सुनैना : मैं कौन हूं इस बारे में अगर तुम ना ही जानो तो अच्छा रहेगा तुम्हारे लिए और मुझे आने के लिए किसी के परमिशन की जरूरत नही है ।मैं तो यंहा पर अपनी बहन की बेटी को देखने के लिए आई हूं पर यंहा पर तो उस फूल सी बच्ची की क्या हालत बना दी है।
सुनैना कि बात सुनकर वह दोनों भी नही समझ पाती हैंकि उसके कहने का मतलब क्या है तो राधा जी बोलती है कि
राधा : बेटी तुम कौन हो मैंने तुम्हें पहचाना नही और कौन है तुम्हारी बहन ।
सुनैना :आंटी जी मैं अनुराधा बहन हु और पिछले तीन सालों से बाहर थी कल आयी तो मुझे सब कुछ पता चला तो मैं उसकी बेटी से मिलने के लिए आ गयी और यंहा पर यह इस लड़की को मार रही थी तो मुझसे देखा नही गया इसलिए बोल दी ।
उधर बाहर खड़ी गाड़ियों और उसके साथ हथियार बन्द आदमियो को देख कर किसी ने विनोद को खबर कर दी तो वह भी अपने अड्डे से तुरन्त घर की तरफ निकल लिया वहीं सुनैना की बात सुनकर ऋतु फिर से अपना मुंह खोली और बोली
ऋतु : अभी यह कलमुँही कम थी जो एक और आ गयी । आ तू भी मुफ्त की रोटी खा ले ।
उसकी बात सुनकर सुनैना हस्ती हैं और बोलती है कि
सुनैना : तू शायद खुद को बहुत बड़ा तोप समझती है लेकिन तेरी औकात मेरे सामने एक चींटी से ज्यादा नही है इसलिए तू अब अपना मुंह बंद रख और चिंता मत कर आज से मेरी बेटी यंहा पर नही रहेगी बल्कि मेरे साथ जाएगी।
उसकी बात सुनकर जंहा ऋतु खुश हो जाती है वही राधा थोड़ी चिंता में पड़ जाती है। उसे इस तरह चिंता में देख कर सुनैना बोलती है कि
सुनैना : आंटी जी आप बिलकुल भी चिंता ना करे मेरे पास सब कुछ है बस कोई अपना कहने वाला कोई नही है ।अब दीदी की लड़की को अपनी बेटी बना कर पालूंगी और आप जब भी याद करेंगी मैं इसे आपसे मिलने के लिए खुद लेकर आउंगी।
वही जब विनोद घर के बाहर इतनी सारी गाड़िया देखता है और वह भी एक से बढ़कर एक महंगी गाड़िया तो उसके होश ही उड़ जाते है और वह सोचता है कि कौन है जो आया है यही सब कुछ सोचते हुए वह घर मे दाखिल होता है और जैसे ही उसकी नजर मारिया पर पड़ती है उसके होश उड़ जाते है क्यूंकि उसके भी माफिया से है और वह मारिया को कई मीटिंग में देख चुका है और उसके बारे में उसे पता है कि सभी माफिया की बॉस है वह उसे खुद के घर मे पाकर उसके होश ही उड़ जाते है फिर उसकी नजर सुनैना पर पड़ती है तो वह उसे देखते ही रह जाता है ।फिर खुद को संभाल कर वह मारिया के पास जाता है और बोलता है
विनोद : मैम आप मुझ गरीब के घर पर अगर कोई काम था तो मुझे आदेश कर दिया होता यह गुलाम वह काम खुद कर देता आपको यंहा तक आने की कष्ट नही करना पड़ा होता।
वही ऋतु और राधा दोनो यह देखकर चकित रह जाती है कि जो विनोद किसी से सीधे मुह बात नही करता है वह दूसरी वाली लड़की के सामने हाथ जोड़े खड़ा है ।वही विनोद के बोलने से मारिया का ध्यान उसकी तरफ जाता है और वह उसे देख कर ही उसके बारे में सब कुछ जान जाती है तो वह बोलती है
मारिया : नही मिस्टर बिनोद वह मैडम को अपनी बहन की लड़की से मिलने और उसे खुद के साथ ले जाने के लिए आई है ।
जब विनोद सुनता है कि इसकी भी बोस आयी है साथ में जिसे कुछ गिने चुने लोगो के अलावा और कोई नही देखा है तो वह यह सुनकर बहुत खुश होता है और बोलता है
विनोद : तो क्या बड़ी मैडम भी आई हुई है क्या नाम है उनका है सुनैना जी।
सुनैना उसकी बात सुन लेती है और बोलती है
सुनैना : हा मिस्टर बिनोद मैं भी यही पर हु और इस वक्त मैं तुम्हारी हरकतों की वजह से मेरा दिमाग पहले से ही हिला हुआ है जो गलती तुमने की थी वह तो अभी तक सुधारी नही है और यंहा तुम्हारे घर मे एक मासूम बच्ची पर जुल्म हो रहा है और तुम उसे भी नही रोक रहे हो ।
मारिया :देख तू झूठ बोलने की कोशिश तो बिल्कुल भी मत करना क्यूंकि यह बात तो अच्छी तरह से जानता है कि अगर मैं खुद पर आ गयी तो पत्थर को जुबान खुलवा लेती हूं और तू तो जीता जागता है इसलिए सच बोल
विनोद : मैडम हमे माफ कर दे हमसे गलती हो गयी ।हा मैं मानता हूं कि हमसे गलती हो गयी है हमने जान बूझ कर यह सब कर रहे थे क्यूंकि भैया ने अपनी पूरी सम्पति इसके नाम कर दिए है इसलिए मैं बचपन से ही इसे
दबाव में रख रहा था ।
उसकी बात सुनकर जंहा पर राधा सॉकड रह जाती है वही सुनैना बोलती है
सुनैना : तूने जिस सम्पति के लिए इसके ऊपर जुल्म किया वह मैं तुझे बिख के रूप में दे रही हु और तू यह मत सोचना की मैंने तुझे माफ कर दिया बल्कि तुझे समय दे रही हु की तू अपने बचाव के लिए जो चाहे कर ले क्यूंकि तुझे सजा मैं नही बल्कि यही लड़की देगी जिसके ऊपर तूने जुल्म किया है ।
इतना बोल कर वह राधा जी की तरफ मुडती है और उनसे बोलती है
सुनैना : आंटी जी आप ने मेरी बच्ची के लिये इतना सोची इसके लिए मैं आपकी आभारी हूं ।अगर कभी भी मदद की जरूरत पड़े तो याद कीजियेगा मैं जरूर आउंगी और हा अब आप मानसी के लिये बिल्कुल भी चिंता ना करे।
इसके बाद वह मानसी को लेकर निकल जाती है और उसके जाने के बाद ऋतु विनोद पर भड़कती हुई बोलती है
ऋतु : आप उन दो मामूली लड़कियों के आगे हाथ जोड़ते हुए शर्म नही आई और उसने आपके सामने उसको लेकर चली गयी और आप कुछ भी नही कर सके ।
राधा : हा बेटा कौन थी वह लड़की जो अभी आयी हुई थी और तुम उसके सामने भीगी बिल्ली बन गए थे ।मैंने तो आज तक तुझे किसी से भी डरते हुए नही देखा।
बिनोद : माँ आप जानती नही है कि वह दोनों कौन थी अगर वह चाहे तो पल भर में हमारा पूरा वजूद ही खत्म कर दे और कोई उसका कुछ भी नही बिगाड़ पायेगा । बड़े से बड़े माफिया और अधिकारी उसके सामने घुटनो के बल खड़े रहते है ।कोई भी उनके खिलाफ एक भी शब्द नही बोलता है और वह जो दूसरी लड़की थी जो अनुराधा को अपनी बहन बता रही थी अगर वह सच है तो यकीन मानो हमने बहुत बड़ी मुशीबत मोल ले ली है।।
इधर रानी परी मधु के यंहा से निकलने के बाद सीधे कोमल के घर से कुछ दूर पर प्रकट हुई और फिर उसके घर की तरफ चल दी और गेटमैन से बोली कि
रानी परी : मुझे कोमल से मिलना है उससे बोलो की ...... जगह से उनकी माँ की दोस्त मिलने के लिए आई हुई है ।कूछ बात करनी है।
Bahot shaandaar mazedaar lajawab update dostकोमल अपनी सास की बात को सुनकर उनके गले लग जाती है और रोने लगती है तो मीना बोलती है कि
मीना : बेटी मैं जानती हूं जो दुख तुमको इस वक्त हो रहा है उसे सहना तुम्हारे लिए कठिन हो सकता है लेकिन अगर इस वक्त तुम ही कमजोर पड़ गयी तो तुम्हारी भाभी और उस बच्चे को संभालना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाएगा ।
रानी परी भी आगे आकर उसके सर पर अपना हाथ फेरती हुई बोली कि
रानी परी : तुम नही जानती हो बेटी तुमने तो सिर्फ सुनकर इतना दुख हो रहा है सोचो उस लड़की पर क्या बीत रही होगी जिसने अपनी आंखों के सामने अपने प्यार को मरते देख कर उसके गले लग कर रो भी नही सकी और अगर वह आज जिंदा है तो केवल अपने भतीजे के कारण ही है जब मैंने उसे तुम्हारे बारे में बताया तो वह यही बोली कि वह खानदान की आखिरी निशानी को तुम्हे देकर खुद को खत्म कर लेगी इसलिए तुमको मजबूत बनना ही होगा ।
इधर सुरेखा के बोलने से संजय तुरन्त घर पर आता है और उसे सारी बातों का पता चलता है तो वह रानी परी बोलता है कि
संजय : मैं समझ नही पा रहा हु कि मैं आपको किस तरह से धन्यवाद दु क्यूंकि आपकी वजह से आज मैं उस ग्लानि से मुक्त हुआ हूं जिसकी वजह से पिछले कुछ महीनों से मैं रातो को सो नही पा रहा था क्यूंकि मुझे इस बात की जानकारी 6 महीने पहले ही मिल गयी थी और मैंने पूरी कोशिश करने के बाद भी छोटी भाभी के बारे में कुछ भी पता लगाने में सफल नही हो सका और ना ही मुझमे इतनी हिम्मत थी कि मैं इस बुरी खबर को कोमल को बता सकता लेकिन आज आपने मेरी दोनो ही दुविधा को दूर कर दिया ।
कोमल संजय की बात सुनकर उसकी तरफ देखती है और बोलती है कि
कोमल : मतलब कि आप इतने दिनों से यह बात जानते थे इसके बाद भी आपने मुझे बताया तक नही ।मैं यंहा पर उन लोगो को याद करती रही और आपने यह बताना भी जरूरी नही समझा ।
इतना बोल कर कोमल और तेज से रोने लगती है तो संजय आगे बढ़कर उसे गले लगा कर चुप कराते हुए बोला
संजय : मैं इसलिए नही बता रहा था कि छोटी भाभी के बारे में कुछ पता नही चल रहा था और पुलिस को उनके हत्यारो के बारे में कुछ मालूम नही चल रहा था और ना ही वह छोटी भाभी को खोजने में सफल हो पा रहे थे मैंने सोचा था कि जब छोटी भाभी मिल जाती तो तुम्हे सब कुछ बता देता ।
कोमल : तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपको पता नही चलता तो कभी भी मुझे नही बताते।
इस बात पर रानी परी कोमल को समझाते हुए बोली
रानी परी : पुत्री जो भी होता है वह अच्छे के लिए ही होता है ।अभी तक उन हत्यारो का पता नही चला है और अगर वह जान जाते कि मधु बेटी कंहा पर है तो वह फिर से हमला करने की कोशिश करते और हो सकता है इस बार वह नही बच पाती।कम से कम वह जंहा पर भी रही वह सुरक्षित तो रही ।
जब मीना ने देखा कि यह लोग बातो में लगे हुए है तो वह बोली
मीना : बेटा मुझे लगता है कि तुम लोगो को बिना विलम्ब किये तुरन्त उस जगह के लिए निकलना चाहिए जंहा पर मधु बेटी है ।अब वह उस जंगल मे रहे है यह मुझे थोड़ा भी बर्दाश्त नही है।
संजय अपनी माँ की बात सुनकर बोलता है
संजय : आप बिलकुल भी चिंता ना करे ।हम अभी वंहा के लिए निकल रहे है और यह आप क्या बोल रही है आप साथ नही चलोगी क्या ।
मीना : नही बेटा मैं यंहा पर अपनी बेटी की आने की स्वागत की तैयारी करूँगी ।तुम लोग जाओ और जल्द से जल्द उसे यंहा पर लेकर आओ।
इस बात पर रानी परी बोली कि
रानी परी : आप तो जानती है कि कोमल का गांव यंहा से पांच घंटे की दूरी पर है और मधु जंहा पर इस वक्त है वंहा पर कोई गाड़ी से नही जा सकता है ।हम लोगों को पैदल ही कुछ दूर तक जाना पड़ेगा इसलिये आज आना तो संभव हो नही पायेगा।
इस पर मीना जी बोली
मीना : मैं सब कुछ जान कर ही बोल रही हु इसलिए आप सब लोग जाए।
पर कोमल कुछ सोच रही थी और उसे इस तरह सोच में देखकर संजय बोला
संजय : क्या बात है कोमल तुम क्या सोच रही हो। तुम अब भी नाराज हो जो उन लोगो को यंहा पर लाने में संकोच कर रही हो ।
कोमल : अरे नही यह आप कैसी बाते कर रहे है ।अब भला उन लोगो से कैसी नाराजगी जो इस दुनिया मे है ही नही । मैं तो यह सोच रही थी कि वंहा पर वह इतने दुखद घटना के होने के बाद क्या माँ जी जो बोल रहीं है स्वागत के लिए यह ठीक होगा ।मेरे हिसाब से यह ठीक नही रहेगा ।
संजय उसकी बात सुनकर सोचता है कि कोमल जो बोल रही है वह ठीक ही तो है फिर इस बात पर सभी तैयार होते है कि अभी ऐसा कुछ नही होगा ।इसके बाद कोमल संजय और रानी परी गाड़ी से उस जंगल की तरफ चल देती है जंहा पर मधु है ।
उधर सुनैना मानसी को लेकर मारिया के साथ सहर लेकर आ जाती है और आज सुनैना के अंदर की माँ जाग चुकी थी जो कि ताकत के घमण्ड में कही दब सी गयी थी ।वह अपनी बेटी की हालत को देख कर खुल कर रोना चाहती थी और उसे बताना चाहती थी कि वह उसकी माँ है पर वह चाह कर भी ऐसा नही कर पा रही थी ।मारिया भी सुनैना की मन कि भावनाओ को समझ चुकी थी पर मानसी के सामने कुछ भी बोलना उसे ठीक नही लगा । जब वह घर पहुचे तो सुनैना ने मारिया से बोला
सुनैना : मारिया मानसी को लेकर जाओ इसकी हालत ठीक करो अब मैं इसे इस हालत में एक मिनट भी नही देख सकती हूं।
इतना बोल कर वह अपने कमरे की तरफ चल देती है । इधर मारिया मानसी को लेकर एक तरफ चल देती है जंहा मानसी उस महल रूपी घर के हर चीज को बड़ी आश्चर्य से देख रही थी फिर मानसी बोली कि
मानसी : आंटी जी अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूं।
मारिया जो कि खुद शैतान की पुजारन थी या यूं कह ले कि वह गुलाम थी वह भी मानसी की कोमल और सहज भावना से पिघल गई और बोली
मारिया : बेटी तुम्हे कुछ भी बोलने के लिए इजाजत लेनी की जरूरत नही है तुम बिना किसी संकोच के बोल सकती हो।
मानसी : आंटी जो आंटी मुझे लेकर आई है वह कौन है ।क्यूंकि मेरी माँ के मरने के बाद तो नाना नानी ने मुझसे मिलने तक नही आते है और ना ही आज तक मेरी कोई खबर ली है ।मैंने इन्हें पहले तो कभी नही देखा और यह मुझे यंहा पर क्यों लेकर आई है।
मारिया : बेटी यह तुम्हारी माँ की दूर की बहन है जो कि तुम्हारे नाना नानी से गुस्सा है और उन्हें जब तुम्हारे बारे में पता चला तो वह तुमको यंहा अपने पास ले कर आ गयी और आज से यही तुम्हारा घर है और तुम उन्हें मासी या माँ कहकर बुला सकती हो ।
इसके बाद मारिया दो तीन लड़कियों को बुलाती है और फिर उन्हें सबकुछ समझा कर मानसी के साथ भेज देती है फिर खुद मारिया सुनैना के कमरे की तरफ चल देती है और जब कमरे में पहुचती है तो देखती है कि सुनैना काफी व्यथित है और सोच में इधर उधर घूम रही है तो मारिया बोलती है
मारिया : क्या बात है आज आप बहुत दुखी दिखाई दे रही है ।
सुनैना उसकी बात सुनकर एक बार उसे घूर कर देखती है और फिर बोलती है
सुनैना : क्या तुम सच मे नही जानती हो कि मेरे दुख का कारण क्या है।
मारिया : जानती हूं बस आपके मुख से मैं सुनना चाहती हु।
सुनैना : मैं इसलिए दुखी हूं आज तक मैं अपनी ही बेटी के दुखों को नही समझ सकी कि मेरे बाद उस मासूम के साथ क्या कर रहे होंगे वह सब मैं उन सब की जिंदगी नरक बना दूंगी ।
मारिया : चाहती तो मैं भी यही हु पर मैं ऐसा ना करूँगी और ना ही आपको करने का सलाह दूंगी।
सुनैना : तुम क्या चाहती हो कि मैं उन्हें उनकी गलतियों के लिए माफ कर दु पर तुम जानती हो कि मैं ऐसा कभी नही करूँगी क्योंकि मैं कोई भगवान की पुजारन नही बल्कि खुद वो बला हु जिससे आज पुरी इंसानियत कांपती है और तुम मुझे ऐसा करने से रोकोगी।।
मारिया तुरन्त घुटनो के बल बैठ जाती है क्यूंकि इस वक्त सुनैना अपने शैतानी रूप में परिवर्तित होने लगी थी और मारिया जानती थी कि सुनैना को रोक पाना किसी के लिए भी सम्भव नही है सिवाय महामहिम के इसलिए वह घुटनो के बल होकर बोलती है
मारिया : मेरी गलतियों को माफ करे मालकिन मैं आपकी अवहेलना नही करना चाहती थी मैं तो बस इतना चाहती हु कि उन लोगो ने जिसके साथ वह गलतिय किये है ।उनको सजा भी वही दे और यह सब तो आपने ही कहा है ना वंहा पर ।
अभी वह कुछ और बोलती इसके पहले ही महामहिम की आवाज वंहा पर गूँजती है
महामहिम : सुनैना वह तुम्हारी गुलाम है इसलिए तुमको उसके साथ क्या करना है इसके बारे में मैं कुछ नही बोलूंगा मैं बस इतना ही कहूंगा कि वह जो कह रही है बिल्कुल ठीक बोल रही है।
सुनैना : महामहिम अगर आप यही चाहते है तो ऐसा ही होगा परन्तु वह तो एक मासूम सी बच्ची है वह कैसे बदला ले सकेगी।
महामहिम : उसके अंदर तुम्हारा अंश है इसलिए उसे कमजोर समझने की भूल मत करना और तुम उसे इस काबिल बनाओ कि वह अंधेरे की सेवा कर सके और अगर वह तुम्हारा साथ देती है तो समझ लो कि तुमको रोकना किसी के लिए भी संभव नही होगा।
Awesome update..कोमल अपने पति संजय और रानी परी के साथ वंहा पहुच जाती है जंहा पर मधु और आर्या दोनो ही रहते थे ।वंहा पहुचने में इन लोगो को शाम हो चुकी थी । इस वक्त आर्या अपनी माँ मधु के साथ अपने कुटिया से बाहर ही खेल रहा था । जब वो लोग वंहा पर पहचे तो पुजारी जी बोले
पुजारी : बहना ले आयी कोमल बिटिया को यह तुमने बहुत अच्छा किया ।
रानी परी : हा भैया मैंने अपना वादा पूरा किया ।
इधर कोमल सिर्फ और सिर्फ आर्या को देखे जा रही थी जो कि बिना किसी चिंता और दुख के मधु के साथ खेल रहा था और मधु भी आने वालों से अनजान आर्या के साथ बच्ची बनी हुई थी और यही तो एक सहारा था जिसके कारण मधु इतने दुखो को सहती हुई आज भी जी रही थी ।वह आर्या एक मुस्कान के आगे अपनी सारी दुखो को भूल जाती थी ।पुजारी जी ने जब देखा कि मधु आर्या के साथ लगी हुई है और उसे किसी का भी ध्यान नही है तो वह आगे बढ़ कर बोले
पुजारी : पुत्री देखो तो कौन आया है तुमसे मिलने के लिए ।
मधु की नजर जैसे ही इन सभी लोगो पर पड़ी वह आगे बढ़कर आर्या को अपने गोद मे ले ली मानो कोई उससे छीन ना ले ।उसके साथ इतना सब कुछ हो चुका था कि वह सहज रूप से जल्दी किसी पर विश्वाश नही कर पाती थी ।उसे हमेशा यही डर लगा रहता कि कही कोई दुश्मन ना आ जाये और आर्या को नुकसान ना पहुचा दे । पुजारी जी उसकी मनोस्थिति भली भांति जानते थे इसलिए वह बोले
पुजारी : डरो नही पुत्री यह लोग तुमको कोई हानि नही पहुचायेगे । यह कोई और नही बल्कि तुम्हारे अपने है जो तुम्हे लेने के लिए आये हुए है।
उनकी बात सुनकर मधु बोली
मधु : बाबा सायद आप भूल रहे है जिनकी वजह से हमारी आज यह स्थिति है वह भी पराये नही बल्कि अपने ही थे इसलिए अब किसी पर भरोशा नही होता है बाबा ।
रानी परी उसकी बात सुनकर आगे आती है और उसको समझाते हुए बोलती है कि
रानी परी : पुत्री तुम्हे इनसे डरने की कोई जरूरत नही है ।यह तुम्हारे पति की बहन है कोमल और यह उनके पति है जो कि तुम्हे लेने के लिए आये हुए है ।
कोमल जो अभी तक आर्या के मोह पास में पड़ी हुई थी वह संजय के बुलाने पर बाहर आई
संजय : कोमल यह तुम मूर्ति की तरह खड़ी हो कर क्या देख रही हो ।आगे बढ़कर अपनी भाभी से मिलो ।
कोमल का इतना सुनना था कि उसे सब कुछ याद आ गया कि वह यंहा पर क्यों आयी है और उसके परिवार के साथ क्या हुआ है तो वह आगे बढ़कर मधु को गले से लगा ली और रोने लगी ।मधु भी जो कि इतने समय से अपनी अंशुओ को रोक कर रखी हुई थी वह भी बाहर निकल पड़े और वह भी उनके गले लग कर रोने लगी ।वही मधु को रोता देख कर आर्या को जिसने पुजारी जी ने अपने गोद मे ले रखा था वह नीचे उतर आया और मधु को चुप कराते हुए बोला
आर्या : माँ आप चुप हो जाओ क्यों रो रही है नही तो मैं भी रो दूंगा ।
मधु आर्या की बात सुनकर कोमल को छोड़कर नीचे बैठ जाती है और आर्या के आंखों में जो उसे रोता देख कर आँशु आ गए थे उसे साफ करती हुई बोली
मधु : नही बेटा अच्छे बच्चे नही रोते है ।वह तुम्हारी बुआ से मिली ना तो आंसू आ गए
आर्या ना समझ पाने के कारण और आज पहली बार किसी को देख रहा था इसलिये डर कर मधु के गले लग गया और बोला
आर्या : मा यह लोग कौन है
आर्या की बात सुनकर कोमल भी नीचे बैठती हुई बोली
कोमल :बेटा मैं तुम्हारी बुआ हु क्या मेरे गले नही लगेगा आ जा मेरे लाल।
कोमल की बात सुनकर आर्या मधु की तरफ देखा तो वह हा में गर्दन हिला दी तो आर्या जाकर कोमल के गले लग गया तो कोमल भी उसे गले लगा के रोने लगी और उसके पूरे चेहरे को चूमने लगी वही संजय आगे बढ़कर मधु से मिला और बोला
संजय : भाभी आप नही जानती आपको सुरक्षित देख कर मुझे कितनी खुसी हो रही है ।मै पिछले 6 महीनों से आपको ढूढ़ रहा हु लेकिन आप मिली नही ।
मधु संजय की बात सुनकर चकित हो कर उसे देखी फिर बोली
मधु : आप हम लोगो के साथ हुए हादसे के बारे जानते थे और खोज भी रहे थे।
कोमल जो कि आर्या को गोद मे लेकर इन लोगो के पास आ गई थी वह बोली
कोमल : हा भाभी यह जानते भी थे पर इन्होंने मुझे इस बारे में बताया तक नही वह तो आज आंटी जी (रानी परी की तरफ इशारा करती हुई) ने आकर उस दुखद घटना और आप दोनों के बारे में बताया । मैं इन लोगो का कैसे सुक्रिया करू यह तो समझ नही पा रही । देखो ना भाभी मैं भी कितनी अभागन हु यंहा मेरे परिबार के साथ इतना कुछ हो गया और मैं जान भी नही पाई ।उन लोगो से नाराज हो कर वंहा बैठी हुई थी।
कोमल की बात सुनकर मधु उसके पास जाती है और बोलती है
मधु : दीदी जो कुछ होना था वह तो हो चुका अब उसके लिए अपने आपको दोष देने में कोई भलाई नहीं है आप वहां पर रह कर क्या कर सकती थी। आप दूर थी इस वजह से बच गयी । मुझे ही देखिए मैं तो साथ मे होकर भी उन लोगो को अंतिम बार देख भी नही सकी ।
कोमल अपने आँशु को पोछते हुई बोली
कोमल : भाभी आप जानती है यह नीच हरकत किसने की है ।आप सिर्फ नाम बताओ मैं उन सबको छोडूंगी नही।
इस पर मधु पुजारी जी की तरफ देखती है तो पाती है कि वह इशारे से मना कर रहे है बताने को। तो वह बोलती है
मधु : नही दीदी मैं घर पर नही थी बाहर गयी हुई थी और जब हवेली को लौट रही थी हवेली में काम करने वाली एक औरत ने मुझे इस सब घटनाओ के बारे में बताया और उस वक्त आर्या मेरे पास था जिसे वह लोग मारने के लिए ढूढ रहे थे तो इसकी जान बचाने के लिये मैं वंहा से भागने पर मजबूर हो गयी।
इस बात पर संजय बोला
संजय : कोमल तुम चिंता मत करो आज तक में सब कुछ शांति से कर रहा था उनकी भाभी के बारे में मुझे पता नहीं था कि वह सही सलामत है या नहीं अब जब वह सही सलामत हमको मिल चुकी है तो मैं अपनी पूरी ताकत लगा दूंगा उन कमीनों को खोजने के लिए वह सब चाहे जहां पर भी हो उनको सजा दिलवाकर रहूंगा मैं।
इधर सुनैना और मारिया महामहिम से बात करने के बाद जंहा पर मानसी को लेकर वह लडकिया गयी हुई थी वंहा पर चली गयी तो जाकर देखा तो मानसी बहुत ही प्यारी लग रही थी तो सुनैना उसके पास जाती है और बोलती है कि
सुनैना : बेटू आपको कोई तकलीफ तो नही हुई ना । आप ठीक तो है ना
मानसी उसकी बात सुनकर बोली
मानसी : आंटी जी मैं तो ठीक हु लेकिन मैं कब घर जाउंगी ।अगर नही गयी तो चाची मुझे डाटेंगी।
सुनैना उसकी बात सुनकर सोच में पड़ जाती है कि उसकी बेटी कितनी डरी हुई है तो वह बोलती है कि
सुनैना : बेटू तुम मुझे आंटी नही बल्कि मासी या माँ कह कर बुलाओ और रही बात तुम्हारे घर जाने की तो समझ लो आज से यही तुम्हारा घर है और अब तुम यही पर रहोगी।
उसकी बात सुनकर मानसी बोलती है कि
मानसी : ठीक है मैं आज से आपको मासी बुलाऊंगी और आप सच कह रही है मैं यंहा पर रहूँगी ।
उसकी बात सुनकर मारिया बोलती है
मारिया : हॉ बेबी तुम्हारी मासी सच कह रही है। अब तुम यही पर रहोगी ।
इसके बाद वह लोग उसे उसके कमरे में ले जाती है जिसे देख कर वह बहुत खुश होती है।
वही दूसरी तरफ मधु और आर्या को लेकर पुजारी जी से परमिशन लेकर वह लोग उसी रात में घर पर चल देते है ।वह इसलिए क्यूंकि कोमल को इस शहर में आते हुए ठाकुर विजय का आदमी देख लिया था और इस बात की खबर पाते हुए वह अपने आदमियो को उनकव पीछे लगा देता है लेकिन कुछ ही देर में वह लोग उन सबकी नजर से गायब हो गए क्यूंकि रानी परी की मालूम हो गया था कि वह लोग पीछे पड़े हुए इसलिये सामने होकर भी यह लोग उन सबके लिये गायब थे