• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest आर्या

odin chacha

Banned
1,415
3,452
143
Very interesting update 👌👌👌👌👌
 

Raj

Well-Known Member
4,444
15,226
158
BAHUT HI SHAANDAAR AWESOME FANTASTIC AND INTERESTING UPDATES BHAI
 

Raj

Well-Known Member
4,444
15,226
158
Waiting for next update
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,165
8,429
159
Bahut hee badhiya chal rahi hai kahaani .... 👏👏👏
Agle update ke intezaar me hai mitr
 

Rishabhsingh

New Member
26
309
48
कोमल जब मधु को लेकर निकल जाती है तो रानी परी भी परीलोक के दो शाक्तिशाली पहरेदारों को बुला कर बोलती है
रानी परी : देखो तुम लोग अदृश्य रूप से उन लोगो के साथ जाकर उन्हें उनके घर तक छोड़ के चले आना लेकिन एक बात का ख्याल रहे उन सब से इतनी दूरी बना कर रखना कि अगर काली सक्तियो को तुम लोगो के वंहा होने की भनक भी लगे तो वो लोग यह नही समझ पाए कि वह बालक कौन है ।वैसे तो इसकी आशंका कम ही है पर कुछ कह नही सकते है। हा तुम लोगो को उनके साथ भेजने का एक मात्र कारण है कि उनके पीछे कुछ गुंडे लगे हुए है ।जो कि उस बालक और उसकी माता को नुकसान पहुचाना चाहते है ।बस तुम लोगो को उनसे रक्षा करनी है ।
दोनो पहरेदार वंहा से मधु और पुजारी जो कि पुजारी के भेष में राजगुरु ही थे ।वह दोनों लोग वंहा से गायब हो गए और उनके गायब होते ही वह मायावी स्थान भी गायब हो गया ।कुछ घण्टो के सफर के बाद यह लोग आधी रात तक घर पहुच गए।जंहा पर सभी लोग आराम से सो रहे थे क्यूंकि किसी को यह उम्मीद नही थी कि वह लोग रात में ही वापस आ जाएंगे । जब उन लोगो ने दरवाजा खुलवाया तो घर में काम करने वाली ने घर को खोला और इन लोगो को देख कर पीछे हो गयी तब कोमल बोली
कोमल : काकी सभी लोग सो गए है क्या चाँदनी कंहा पर सो रही है ।उसने ज्यादा परेशान तो नही किया ना स्कूल से आने के बाद ।
उसकी बात सुनकर संजय बोला
संजय :.यार इतना लंबा सफर करके आयी और आते ही सवाल जवाब सुरु कर दिया अरे यार थोड़ा आराम कर ले फिर शांति से सब कुछ जान लेना और उससे भी पहले भाभी को अंदर तो आने दो क्या सारी रात यही बाहर खड़े रखने का इरादा है क्या ।
संजय की बात सुनकर कोमल उसे आंख दिखती हुई अंदर चली जाती है और यह सब देख कर मधु के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है और फिर वह लोग अंदर आ जाते है और सोफे पर बैठते है तब तक मीणा जी भी शोर सुनकर उठ चुकी थी क्यूंकि अभी वह जल्दी ही सोई थी इसलिए उनकी नीद थोड़ी कच्ची थी जिसकी वजह से वह भी उठ कर बाहर आ गयी तो देखा कि कोमल और संजय मधु को लेकर आ गए है तो वह बोली
मीना : बेटा तुम लोगो को इतनी रात को आने की क्या जरूरत थी ।तुम लोग कल सुबह भी तो आराम से आ सकते थे ।
उनकी बात सुनकर संजय बोला
संजय : माँ हम लोगो का तो यही विचार था कि रात किसी होटल में गुजारने के बाद सुबह आराम से आते लेकिन क्या करे वह जो आंटी जी आयी थी उन्होंने बोला कि हो सकता है कोमल को किसी ने देख लिया हो और अगर बात उन हत्यारो तक पहुच गयी कि कोमल यंहा पर आई है तो उन्हें यह समझते देर नही लगेगी कि वह छोटी भाभी से मिलने के लिए आई है फिर वंहा पर खतरा बढ़ जाता इसलिए हम लोगो को रात में ही निकल जाना चाहिए।
मीना : चलो जो हुआ वह ठीक हुआ है तुम लोग वंहा से सही सलामत आ गए यह कम नही है। रात बहुत हो चुकी है अब तुम लोग भी आराम करो ।हम कल सुबह बात करेंगे। वैसे तुम लोगो ने खाना खाया है या नही ।
कोमल : नही माँ आप चिंता ना करे हम लोगो ने रास्ते में ही खाना खा लिया था वैसे इतना लंबा सफर करके मैं तो थक गई हूं । मैं तो जा रही हु सोने और मधु भाभी आज मेरे साथ सो जाएं कल आपका रूम तैयार कर दूंगी(संजय से ) आप अपने लिए जगह देख ले समझे।
संजय : जो हुक्म आका।
संजय यह बात झुक कर बोला जिसकी वजह से सभी को हसी आ गयी फिर मीना चली गई सोने के लिए और उसके बाद कोमल मधु और आर्या को लेकर अपने रूम में चली गयी और संजय वही सोफे पर सो गया ।
अगली सुबह
सुबह जब संजय की आंख खुली तो उसने देखा कि उसके ऊपर चादर पढ़ी हुई है ।इसके बाद वह फ्रेश होने के लिए चला गया ।इधर रूम में आर्या और मधु आराम से सो रहे थे ।कोमल भी उन्हें जगाना ठीक नही समझी और फ्रेश होने के लिए चली गयी । फ्रेश होने के बाद वह नाश्ता तैयार करने लगी ।
इधर दूसरी तरफ जब रानी परी और राजगुरु जब परीलोक चले गए ।परी लोक पहुचने के बाद रानी परी गुरदेव से बोली
रानीपरी : गुरदेव आपने कहा था कि आप मधु को कुछ सक्तिया प्रदान कर रहे है जिसकी वजह से आर्या को उसके मकसद में कामयाबी मिलेगी पर मुझे तो उसके अंदर कोई सक्तिया दिखाई ही नही दी।
राजगुरू : महारानी हमने उन्हें कोई चमत्कारी सक्तिया प्रदान नही की है बस उसकी मस्तिष्क को एक आम इंसान से दस गुना तेज कर दिया जिसकी वजह से कोई भी कठिन परिस्थिति हो तो वह उसका सामना धैर्य पूर्वक कर सके ।आप तो जानती है आगे चलकर जो कुछ भी वह सामान्य नही होगा तो उसके लिए तैयारी तो करनी ही पड़ेगी ना।
रानी परी : गुरदेव आप ने जो किया होगा वह उचित ही होगा पर हमें लगता है उसे कुछ सक्तिया प्रदान कर ही देनी चाहिए जिसकी वजह से कोई दुष्ट सकती उन्हें हानि नही पहुचा सके। अभी तक तो भगवान महाकाल के शरण मे थी तो वह दोनों सुरक्षित थे किंतु अब वह उस दुष्ट के अधीन संसार मे रहेगी जंहा पर उसकी काली सक्तियो का बोल बाला है ।ऐसे में वंहा पर खतरा ज्यादा होगा।
राजगुरू : ऐसा नही होगा क्यूंकि मैंने उन दोनों के ऊपर महाकाल की सुरक्षा कवच डाल रखा है और आर्या की सक्तिया और ज्ञान सभी कुछ बंधी हुई है जो कि उसके अठारह वर्ष तक होने के बाद ही जागृत होंगी ।
रानी परी : वह सब तो ठीक है गुरदेव परन्तु उसकी युद्धकला की शिक्षा कैसे दी जाएगी ।
राजगुरु : महारानी आप भूल रही है कि वह अपने आप मे सम्पूर्ण है उसे किसी भी तरह की शिक्षा की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी उसको उन सब का ज्ञान अपनी दो बीवियों से प्राप्त होगा जो कि दो लोको की राजकुमारी है और आप जानती है वह दोनों कौन है ।अब समय आ गया है जब उन दोनो को पृथ्वीलोक में जन्म लेना ही होगा।
रानी परी : गुरदेव आप जानते है कि महाराज के म्रत्यु के पश्चात हमे संतान की प्रप्ति नही हो सकी और परीलोक के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बंधी होने के कारण मैंने आज तक इस बारे में कोई विचार नही किया ।मेरी सारी आशा महाराज की दूसरी पत्नी नागकन्या ललिता की पुत्री सुवर्चा से थी जो अब वह भी धूमिल होती जा रही है क्यूंकि उसकी साधना दिन प्रति दिन कठोर होता जा रहा है और अब तो यह भी डर है कि कही उसे कुछ हानि ना हो जाये
राजगुरु : महारानी यह बात सत्य है कि महाराज के मृत्यु के बाद आप ने पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य का पालन किया है और इसके लिये आपने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है लेकिन उस महाकाल के आशीर्वाद से अब सबकुछ ठीक होने वाला है क्यूंकि राजकुमारी सुवर्चा अब अपनी साधना पूर्ण करने के बाद वापस आ चुकी है नागलोक में जिन्हें लेकर नागलोक के महाराज यहाँ पर आ रहे है और आप जानती है उनके रगो में महाराज का खून है क्यूंकि वह उनकी दूसरी पत्नी नागकन्या ललिता की बेटी है इसलिए वह नागलोक के साथ साथ परीलोक की सक्तियो की धारक है जो उनसे विवाह करेगा वह दोनों लोको का राजा हो जाएगा।
रानीपरी : वह सब तो ठीक है गुरदेव पर आप जानते है कि उन्हें आर्या के साथ सम्बन्ध जोड़ने के लिए पृथ्वीलोक पर जन्म लेना होगा क्या नागराज इसकी इजाजत देंगे।
राजगुरू : अगर पृथ्वी लोक और बाकी के ब्रह्मांड की रक्षा करनी है तो यह करना ही होगा वरना आप तो जानती है कि उस दुरात्मा ने अपनी कुटिल नीति का प्रयोग करते हुए एक मानब को ही पूरे ब्रह्मण्ड की काली सक्तियो का मालकिन बना दिया है और वह भी आर्या के ही परिबार से और अब उसने एक और चाल चली है जो कि बहुत ही खतरनाक साबित होगी
 
Top