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Incest आर्या

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कोमल जब मधु को लेकर निकल जाती है तो रानी परी भी परीलोक के दो शाक्तिशाली पहरेदारों को बुला कर बोलती है
रानी परी : देखो तुम लोग अदृश्य रूप से उन लोगो के साथ जाकर उन्हें उनके घर तक छोड़ के चले आना लेकिन एक बात का ख्याल रहे उन सब से इतनी दूरी बना कर रखना कि अगर काली सक्तियो को तुम लोगो के वंहा होने की भनक भी लगे तो वो लोग यह नही समझ पाए कि वह बालक कौन है ।वैसे तो इसकी आशंका कम ही है पर कुछ कह नही सकते है। हा तुम लोगो को उनके साथ भेजने का एक मात्र कारण है कि उनके पीछे कुछ गुंडे लगे हुए है ।जो कि उस बालक और उसकी माता को नुकसान पहुचाना चाहते है ।बस तुम लोगो को उनसे रक्षा करनी है ।
दोनो पहरेदार वंहा से मधु और पुजारी जो कि पुजारी के भेष में राजगुरु ही थे ।वह दोनों लोग वंहा से गायब हो गए और उनके गायब होते ही वह मायावी स्थान भी गायब हो गया ।कुछ घण्टो के सफर के बाद यह लोग आधी रात तक घर पहुच गए।जंहा पर सभी लोग आराम से सो रहे थे क्यूंकि किसी को यह उम्मीद नही थी कि वह लोग रात में ही वापस आ जाएंगे । जब उन लोगो ने दरवाजा खुलवाया तो घर में काम करने वाली ने घर को खोला और इन लोगो को देख कर पीछे हो गयी तब कोमल बोली
कोमल : काकी सभी लोग सो गए है क्या चाँदनी कंहा पर सो रही है ।उसने ज्यादा परेशान तो नही किया ना स्कूल से आने के बाद ।
उसकी बात सुनकर संजय बोला
संजय :.यार इतना लंबा सफर करके आयी और आते ही सवाल जवाब सुरु कर दिया अरे यार थोड़ा आराम कर ले फिर शांति से सब कुछ जान लेना और उससे भी पहले भाभी को अंदर तो आने दो क्या सारी रात यही बाहर खड़े रखने का इरादा है क्या ।
संजय की बात सुनकर कोमल उसे आंख दिखती हुई अंदर चली जाती है और यह सब देख कर मधु के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है और फिर वह लोग अंदर आ जाते है और सोफे पर बैठते है तब तक मीणा जी भी शोर सुनकर उठ चुकी थी क्यूंकि अभी वह जल्दी ही सोई थी इसलिए उनकी नीद थोड़ी कच्ची थी जिसकी वजह से वह भी उठ कर बाहर आ गयी तो देखा कि कोमल और संजय मधु को लेकर आ गए है तो वह बोली
मीना : बेटा तुम लोगो को इतनी रात को आने की क्या जरूरत थी ।तुम लोग कल सुबह भी तो आराम से आ सकते थे ।
उनकी बात सुनकर संजय बोला
संजय : माँ हम लोगो का तो यही विचार था कि रात किसी होटल में गुजारने के बाद सुबह आराम से आते लेकिन क्या करे वह जो आंटी जी आयी थी उन्होंने बोला कि हो सकता है कोमल को किसी ने देख लिया हो और अगर बात उन हत्यारो तक पहुच गयी कि कोमल यंहा पर आई है तो उन्हें यह समझते देर नही लगेगी कि वह छोटी भाभी से मिलने के लिए आई है फिर वंहा पर खतरा बढ़ जाता इसलिए हम लोगो को रात में ही निकल जाना चाहिए।
मीना : चलो जो हुआ वह ठीक हुआ है तुम लोग वंहा से सही सलामत आ गए यह कम नही है। रात बहुत हो चुकी है अब तुम लोग भी आराम करो ।हम कल सुबह बात करेंगे। वैसे तुम लोगो ने खाना खाया है या नही ।
कोमल : नही माँ आप चिंता ना करे हम लोगो ने रास्ते में ही खाना खा लिया था वैसे इतना लंबा सफर करके मैं तो थक गई हूं । मैं तो जा रही हु सोने और मधु भाभी आज मेरे साथ सो जाएं कल आपका रूम तैयार कर दूंगी(संजय से ) आप अपने लिए जगह देख ले समझे।
संजय : जो हुक्म आका।
संजय यह बात झुक कर बोला जिसकी वजह से सभी को हसी आ गयी फिर मीना चली गई सोने के लिए और उसके बाद कोमल मधु और आर्या को लेकर अपने रूम में चली गयी और संजय वही सोफे पर सो गया ।
अगली सुबह
सुबह जब संजय की आंख खुली तो उसने देखा कि उसके ऊपर चादर पढ़ी हुई है ।इसके बाद वह फ्रेश होने के लिए चला गया ।इधर रूम में आर्या और मधु आराम से सो रहे थे ।कोमल भी उन्हें जगाना ठीक नही समझी और फ्रेश होने के लिए चली गयी । फ्रेश होने के बाद वह नाश्ता तैयार करने लगी ।
इधर दूसरी तरफ जब रानी परी और राजगुरु जब परीलोक चले गए ।परी लोक पहुचने के बाद रानी परी गुरदेव से बोली
रानीपरी : गुरदेव आपने कहा था कि आप मधु को कुछ सक्तिया प्रदान कर रहे है जिसकी वजह से आर्या को उसके मकसद में कामयाबी मिलेगी पर मुझे तो उसके अंदर कोई सक्तिया दिखाई ही नही दी।
राजगुरू : महारानी हमने उन्हें कोई चमत्कारी सक्तिया प्रदान नही की है बस उसकी मस्तिष्क को एक आम इंसान से दस गुना तेज कर दिया जिसकी वजह से कोई भी कठिन परिस्थिति हो तो वह उसका सामना धैर्य पूर्वक कर सके ।आप तो जानती है आगे चलकर जो कुछ भी वह सामान्य नही होगा तो उसके लिए तैयारी तो करनी ही पड़ेगी ना।
रानी परी : गुरदेव आप ने जो किया होगा वह उचित ही होगा पर हमें लगता है उसे कुछ सक्तिया प्रदान कर ही देनी चाहिए जिसकी वजह से कोई दुष्ट सकती उन्हें हानि नही पहुचा सके। अभी तक तो भगवान महाकाल के शरण मे थी तो वह दोनों सुरक्षित थे किंतु अब वह उस दुष्ट के अधीन संसार मे रहेगी जंहा पर उसकी काली सक्तियो का बोल बाला है ।ऐसे में वंहा पर खतरा ज्यादा होगा।
राजगुरू : ऐसा नही होगा क्यूंकि मैंने उन दोनों के ऊपर महाकाल की सुरक्षा कवच डाल रखा है और आर्या की सक्तिया और ज्ञान सभी कुछ बंधी हुई है जो कि उसके अठारह वर्ष तक होने के बाद ही जागृत होंगी ।
रानी परी : वह सब तो ठीक है गुरदेव परन्तु उसकी युद्धकला की शिक्षा कैसे दी जाएगी ।
राजगुरु : महारानी आप भूल रही है कि वह अपने आप मे सम्पूर्ण है उसे किसी भी तरह की शिक्षा की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी उसको उन सब का ज्ञान अपनी दो बीवियों से प्राप्त होगा जो कि दो लोको की राजकुमारी है और आप जानती है वह दोनों कौन है ।अब समय आ गया है जब उन दोनो को पृथ्वीलोक में जन्म लेना ही होगा।
रानी परी : गुरदेव आप जानते है कि महाराज के म्रत्यु के पश्चात हमे संतान की प्रप्ति नही हो सकी और परीलोक के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बंधी होने के कारण मैंने आज तक इस बारे में कोई विचार नही किया ।मेरी सारी आशा महाराज की दूसरी पत्नी नागकन्या ललिता की पुत्री सुवर्चा से थी जो अब वह भी धूमिल होती जा रही है क्यूंकि उसकी साधना दिन प्रति दिन कठोर होता जा रहा है और अब तो यह भी डर है कि कही उसे कुछ हानि ना हो जाये
राजगुरु : महारानी यह बात सत्य है कि महाराज के मृत्यु के बाद आप ने पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य का पालन किया है और इसके लिये आपने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है लेकिन उस महाकाल के आशीर्वाद से अब सबकुछ ठीक होने वाला है क्यूंकि राजकुमारी सुवर्चा अब अपनी साधना पूर्ण करने के बाद वापस आ चुकी है नागलोक में जिन्हें लेकर नागलोक के महाराज यहाँ पर आ रहे है और आप जानती है उनके रगो में महाराज का खून है क्यूंकि वह उनकी दूसरी पत्नी नागकन्या ललिता की बेटी है इसलिए वह नागलोक के साथ साथ परीलोक की सक्तियो की धारक है जो उनसे विवाह करेगा वह दोनों लोको का राजा हो जाएगा।
रानीपरी : वह सब तो ठीक है गुरदेव पर आप जानते है कि उन्हें आर्या के साथ सम्बन्ध जोड़ने के लिए पृथ्वीलोक पर जन्म लेना होगा क्या नागराज इसकी इजाजत देंगे।
राजगुरू : अगर पृथ्वी लोक और बाकी के ब्रह्मांड की रक्षा करनी है तो यह करना ही होगा वरना आप तो जानती है कि उस दुरात्मा ने अपनी कुटिल नीति का प्रयोग करते हुए एक मानब को ही पूरे ब्रह्मण्ड की काली सक्तियो का मालकिन बना दिया है और वह भी आर्या के ही परिबार से और अब उसने एक और चाल चली है जो कि बहुत ही खतरनाक साबित होगी
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Mickay-M

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रानी परी : देखो तुम लोग अदृश्य रूप से उन लोगो के साथ जाकर उन्हें उनके घर तक छोड़ के चले आना लेकिन एक बात का ख्याल रहे उन सब से इतनी दूरी बना कर रखना कि अगर काली सक्तियो को तुम लोगो के वंहा होने की भनक भी लगे तो वो लोग यह नही समझ पाए कि वह बालक कौन है ।वैसे तो इसकी आशंका कम ही है पर कुछ कह नही सकते है। हा तुम लोगो को उनके साथ भेजने का एक मात्र कारण है कि उनके पीछे कुछ गुंडे लगे हुए है ।जो कि उस बालक और उसकी माता को नुकसान पहुचाना चाहते है ।बस तुम लोगो को उनसे रक्षा करनी है ।
दोनो पहरेदार वंहा से मधु और पुजारी जो कि पुजारी के भेष में राजगुरु ही थे ।वह दोनों लोग वंहा से गायब हो गए और उनके गायब होते ही वह मायावी स्थान भी गायब हो गया ।कुछ घण्टो के सफर के बाद यह लोग आधी रात तक घर पहुच गए।जंहा पर सभी लोग आराम से सो रहे थे क्यूंकि किसी को यह उम्मीद नही थी कि वह लोग रात में ही वापस आ जाएंगे । जब उन लोगो ने दरवाजा खुलवाया तो घर में काम करने वाली ने घर को खोला और इन लोगो को देख कर पीछे हो गयी तब कोमल बोली
कोमल : काकी सभी लोग सो गए है क्या चाँदनी कंहा पर सो रही है ।उसने ज्यादा परेशान तो नही किया ना स्कूल से आने के बाद ।
उसकी बात सुनकर संजय बोला
संजय :.यार इतना लंबा सफर करके आयी और आते ही सवाल जवाब सुरु कर दिया अरे यार थोड़ा आराम कर ले फिर शांति से सब कुछ जान लेना और उससे भी पहले भाभी को अंदर तो आने दो क्या सारी रात यही बाहर खड़े रखने का इरादा है क्या ।
संजय की बात सुनकर कोमल उसे आंख दिखती हुई अंदर चली जाती है और यह सब देख कर मधु के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है और फिर वह लोग अंदर आ जाते है और सोफे पर बैठते है तब तक मीणा जी भी शोर सुनकर उठ चुकी थी क्यूंकि अभी वह जल्दी ही सोई थी इसलिए उनकी नीद थोड़ी कच्ची थी जिसकी वजह से वह भी उठ कर बाहर आ गयी तो देखा कि कोमल और संजय मधु को लेकर आ गए है तो वह बोली
मीना : बेटा तुम लोगो को इतनी रात को आने की क्या जरूरत थी ।तुम लोग कल सुबह भी तो आराम से आ सकते थे ।
उनकी बात सुनकर संजय बोला
संजय : माँ हम लोगो का तो यही विचार था कि रात किसी होटल में गुजारने के बाद सुबह आराम से आते लेकिन क्या करे वह जो आंटी जी आयी थी उन्होंने बोला कि हो सकता है कोमल को किसी ने देख लिया हो और अगर बात उन हत्यारो तक पहुच गयी कि कोमल यंहा पर आई है तो उन्हें यह समझते देर नही लगेगी कि वह छोटी भाभी से मिलने के लिए आई है फिर वंहा पर खतरा बढ़ जाता इसलिए हम लोगो को रात में ही निकल जाना चाहिए।
मीना : चलो जो हुआ वह ठीक हुआ है तुम लोग वंहा से सही सलामत आ गए यह कम नही है। रात बहुत हो चुकी है अब तुम लोग भी आराम करो ।हम कल सुबह बात करेंगे। वैसे तुम लोगो ने खाना खाया है या नही ।
कोमल : नही माँ आप चिंता ना करे हम लोगो ने रास्ते में ही खाना खा लिया था वैसे इतना लंबा सफर करके मैं तो थक गई हूं । मैं तो जा रही हु सोने और मधु भाभी आज मेरे साथ सो जाएं कल आपका रूम तैयार कर दूंगी(संजय से ) आप अपने लिए जगह देख ले समझे।
संजय : जो हुक्म आका।
संजय यह बात झुक कर बोला जिसकी वजह से सभी को हसी आ गयी फिर मीना चली गई सोने के लिए और उसके बाद कोमल मधु और आर्या को लेकर अपने रूम में चली गयी और संजय वही सोफे पर सो गया ।
अगली सुबह
सुबह जब संजय की आंख खुली तो उसने देखा कि उसके ऊपर चादर पढ़ी हुई है ।इसके बाद वह फ्रेश होने के लिए चला गया ।इधर रूम में आर्या और मधु आराम से सो रहे थे ।कोमल भी उन्हें जगाना ठीक नही समझी और फ्रेश होने के लिए चली गयी । फ्रेश होने के बाद वह नाश्ता तैयार करने लगी ।
इधर दूसरी तरफ जब रानी परी और राजगुरु जब परीलोक चले गए ।परी लोक पहुचने के बाद रानी परी गुरदेव से बोली
रानीपरी : गुरदेव आपने कहा था कि आप मधु को कुछ सक्तिया प्रदान कर रहे है जिसकी वजह से आर्या को उसके मकसद में कामयाबी मिलेगी पर मुझे तो उसके अंदर कोई सक्तिया दिखाई ही नही दी।
राजगुरू : महारानी हमने उन्हें कोई चमत्कारी सक्तिया प्रदान नही की है बस उसकी मस्तिष्क को एक आम इंसान से दस गुना तेज कर दिया जिसकी वजह से कोई भी कठिन परिस्थिति हो तो वह उसका सामना धैर्य पूर्वक कर सके ।आप तो जानती है आगे चलकर जो कुछ भी वह सामान्य नही होगा तो उसके लिए तैयारी तो करनी ही पड़ेगी ना।
रानी परी : गुरदेव आप ने जो किया होगा वह उचित ही होगा पर हमें लगता है उसे कुछ सक्तिया प्रदान कर ही देनी चाहिए जिसकी वजह से कोई दुष्ट सकती उन्हें हानि नही पहुचा सके। अभी तक तो भगवान महाकाल के शरण मे थी तो वह दोनों सुरक्षित थे किंतु अब वह उस दुष्ट के अधीन संसार मे रहेगी जंहा पर उसकी काली सक्तियो का बोल बाला है ।ऐसे में वंहा पर खतरा ज्यादा होगा।
राजगुरू : ऐसा नही होगा क्यूंकि मैंने उन दोनों के ऊपर महाकाल की सुरक्षा कवच डाल रखा है और आर्या की सक्तिया और ज्ञान सभी कुछ बंधी हुई है जो कि उसके अठारह वर्ष तक होने के बाद ही जागृत होंगी ।
रानी परी : वह सब तो ठीक है गुरदेव परन्तु उसकी युद्धकला की शिक्षा कैसे दी जाएगी ।
राजगुरु : महारानी आप भूल रही है कि वह अपने आप मे सम्पूर्ण है उसे किसी भी तरह की शिक्षा की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी उसको उन सब का ज्ञान अपनी दो बीवियों से प्राप्त होगा जो कि दो लोको की राजकुमारी है और आप जानती है वह दोनों कौन है ।अब समय आ गया है जब उन दोनो को पृथ्वीलोक में जन्म लेना ही होगा।
रानी परी : गुरदेव आप जानते है कि महाराज के म्रत्यु के पश्चात हमे संतान की प्रप्ति नही हो सकी और परीलोक के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बंधी होने के कारण मैंने आज तक इस बारे में कोई विचार नही किया ।मेरी सारी आशा महाराज की दूसरी पत्नी नागकन्या ललिता की पुत्री सुवर्चा से थी जो अब वह भी धूमिल होती जा रही है क्यूंकि उसकी साधना दिन प्रति दिन कठोर होता जा रहा है और अब तो यह भी डर है कि कही उसे कुछ हानि ना हो जाये
राजगुरु : महारानी यह बात सत्य है कि महाराज के मृत्यु के बाद आप ने पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य का पालन किया है और इसके लिये आपने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है लेकिन उस महाकाल के आशीर्वाद से अब सबकुछ ठीक होने वाला है क्यूंकि राजकुमारी सुवर्चा अब अपनी साधना पूर्ण करने के बाद वापस आ चुकी है नागलोक में जिन्हें लेकर नागलोक के महाराज यहाँ पर आ रहे है और आप जानती है उनके रगो में महाराज का खून है क्यूंकि वह उनकी दूसरी पत्नी नागकन्या ललिता की बेटी है इसलिए वह नागलोक के साथ साथ परीलोक की सक्तियो की धारक है जो उनसे विवाह करेगा वह दोनों लोको का राजा हो जाएगा।
रानीपरी : वह सब तो ठीक है गुरदेव पर आप जानते है कि उन्हें आर्या के साथ सम्बन्ध जोड़ने के लिए पृथ्वीलोक पर जन्म लेना होगा क्या नागराज इसकी इजाजत देंगे।
राजगुरू : अगर पृथ्वी लोक और बाकी के ब्रह्मांड की रक्षा करनी है तो यह करना ही होगा वरना आप तो जानती है कि उस दुरात्मा ने अपनी कुटिल नीति का प्रयोग करते हुए एक मानब को ही पूरे ब्रह्मण्ड की काली सक्तियो का मालकिन बना दिया है और वह भी आर्या के ही परिबार से और अब उसने एक और चाल चली है जो कि बहुत ही खतरनाक साबित होगी
Very Beautiful story
Please continue it.............
 

Ajay

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कोमल अपने पति संजय और रानी परी के साथ वंहा पहुच जाती है जंहा पर मधु और आर्या दोनो ही रहते थे ।वंहा पहुचने में इन लोगो को शाम हो चुकी थी । इस वक्त आर्या अपनी माँ मधु के साथ अपने कुटिया से बाहर ही खेल रहा था । जब वो लोग वंहा पर पहचे तो पुजारी जी बोले
पुजारी : बहना ले आयी कोमल बिटिया को यह तुमने बहुत अच्छा किया ।
रानी परी : हा भैया मैंने अपना वादा पूरा किया ।
इधर कोमल सिर्फ और सिर्फ आर्या को देखे जा रही थी जो कि बिना किसी चिंता और दुख के मधु के साथ खेल रहा था और मधु भी आने वालों से अनजान आर्या के साथ बच्ची बनी हुई थी और यही तो एक सहारा था जिसके कारण मधु इतने दुखो को सहती हुई आज भी जी रही थी ।वह आर्या एक मुस्कान के आगे अपनी सारी दुखो को भूल जाती थी ।पुजारी जी ने जब देखा कि मधु आर्या के साथ लगी हुई है और उसे किसी का भी ध्यान नही है तो वह आगे बढ़ कर बोले
पुजारी : पुत्री देखो तो कौन आया है तुमसे मिलने के लिए ।
मधु की नजर जैसे ही इन सभी लोगो पर पड़ी वह आगे बढ़कर आर्या को अपने गोद मे ले ली मानो कोई उससे छीन ना ले ।उसके साथ इतना सब कुछ हो चुका था कि वह सहज रूप से जल्दी किसी पर विश्वाश नही कर पाती थी ।उसे हमेशा यही डर लगा रहता कि कही कोई दुश्मन ना आ जाये और आर्या को नुकसान ना पहुचा दे । पुजारी जी उसकी मनोस्थिति भली भांति जानते थे इसलिए वह बोले
पुजारी : डरो नही पुत्री यह लोग तुमको कोई हानि नही पहुचायेगे । यह कोई और नही बल्कि तुम्हारे अपने है जो तुम्हे लेने के लिए आये हुए है।
उनकी बात सुनकर मधु बोली
मधु : बाबा सायद आप भूल रहे है जिनकी वजह से हमारी आज यह स्थिति है वह भी पराये नही बल्कि अपने ही थे इसलिए अब किसी पर भरोशा नही होता है बाबा ।
रानी परी उसकी बात सुनकर आगे आती है और उसको समझाते हुए बोलती है कि
रानी परी : पुत्री तुम्हे इनसे डरने की कोई जरूरत नही है ।यह तुम्हारे पति की बहन है कोमल और यह उनके पति है जो कि तुम्हे लेने के लिए आये हुए है ।
कोमल जो अभी तक आर्या के मोह पास में पड़ी हुई थी वह संजय के बुलाने पर बाहर आई
संजय : कोमल यह तुम मूर्ति की तरह खड़ी हो कर क्या देख रही हो ।आगे बढ़कर अपनी भाभी से मिलो ।
कोमल का इतना सुनना था कि उसे सब कुछ याद आ गया कि वह यंहा पर क्यों आयी है और उसके परिवार के साथ क्या हुआ है तो वह आगे बढ़कर मधु को गले से लगा ली और रोने लगी ।मधु भी जो कि इतने समय से अपनी अंशुओ को रोक कर रखी हुई थी वह भी बाहर निकल पड़े और वह भी उनके गले लग कर रोने लगी ।वही मधु को रोता देख कर आर्या को जिसने पुजारी जी ने अपने गोद मे ले रखा था वह नीचे उतर आया और मधु को चुप कराते हुए बोला
आर्या : माँ आप चुप हो जाओ क्यों रो रही है नही तो मैं भी रो दूंगा ।
मधु आर्या की बात सुनकर कोमल को छोड़कर नीचे बैठ जाती है और आर्या के आंखों में जो उसे रोता देख कर आँशु आ गए थे उसे साफ करती हुई बोली
मधु : नही बेटा अच्छे बच्चे नही रोते है ।वह तुम्हारी बुआ से मिली ना तो आंसू आ गए
आर्या ना समझ पाने के कारण और आज पहली बार किसी को देख रहा था इसलिये डर कर मधु के गले लग गया और बोला
आर्या : मा यह लोग कौन है
आर्या की बात सुनकर कोमल भी नीचे बैठती हुई बोली
कोमल :बेटा मैं तुम्हारी बुआ हु क्या मेरे गले नही लगेगा आ जा मेरे लाल।
कोमल की बात सुनकर आर्या मधु की तरफ देखा तो वह हा में गर्दन हिला दी तो आर्या जाकर कोमल के गले लग गया तो कोमल भी उसे गले लगा के रोने लगी और उसके पूरे चेहरे को चूमने लगी वही संजय आगे बढ़कर मधु से मिला और बोला
संजय : भाभी आप नही जानती आपको सुरक्षित देख कर मुझे कितनी खुसी हो रही है ।मै पिछले 6 महीनों से आपको ढूढ़ रहा हु लेकिन आप मिली नही ।
मधु संजय की बात सुनकर चकित हो कर उसे देखी फिर बोली
मधु : आप हम लोगो के साथ हुए हादसे के बारे जानते थे और खोज भी रहे थे।
कोमल जो कि आर्या को गोद मे लेकर इन लोगो के पास आ गई थी वह बोली
कोमल : हा भाभी यह जानते भी थे पर इन्होंने मुझे इस बारे में बताया तक नही वह तो आज आंटी जी (रानी परी की तरफ इशारा करती हुई) ने आकर उस दुखद घटना और आप दोनों के बारे में बताया । मैं इन लोगो का कैसे सुक्रिया करू यह तो समझ नही पा रही । देखो ना भाभी मैं भी कितनी अभागन हु यंहा मेरे परिबार के साथ इतना कुछ हो गया और मैं जान भी नही पाई ।उन लोगो से नाराज हो कर वंहा बैठी हुई थी।
कोमल की बात सुनकर मधु उसके पास जाती है और बोलती है

मधु : दीदी जो कुछ होना था वह तो हो चुका अब उसके लिए अपने आपको दोष देने में कोई भलाई नहीं है आप वहां पर रह कर क्या कर सकती थी। आप दूर थी इस वजह से बच गयी । मुझे ही देखिए मैं तो साथ मे होकर भी उन लोगो को अंतिम बार देख भी नही सकी ।
कोमल अपने आँशु को पोछते हुई बोली
कोमल : भाभी आप जानती है यह नीच हरकत किसने की है ।आप सिर्फ नाम बताओ मैं उन सबको छोडूंगी नही।
इस पर मधु पुजारी जी की तरफ देखती है तो पाती है कि वह इशारे से मना कर रहे है बताने को। तो वह बोलती है
मधु : नही दीदी मैं घर पर नही थी बाहर गयी हुई थी और जब हवेली को लौट रही थी हवेली में काम करने वाली एक औरत ने मुझे इस सब घटनाओ के बारे में बताया और उस वक्त आर्या मेरे पास था जिसे वह लोग मारने के लिए ढूढ रहे थे तो इसकी जान बचाने के लिये मैं वंहा से भागने पर मजबूर हो गयी।
इस बात पर संजय बोला
संजय : कोमल तुम चिंता मत करो आज तक में सब कुछ शांति से कर रहा था उनकी भाभी के बारे में मुझे पता नहीं था कि वह सही सलामत है या नहीं अब जब वह सही सलामत हमको मिल चुकी है तो मैं अपनी पूरी ताकत लगा दूंगा उन कमीनों को खोजने के लिए वह सब चाहे जहां पर भी हो उनको सजा दिलवाकर रहूंगा मैं।
इधर सुनैना और मारिया महामहिम से बात करने के बाद जंहा पर मानसी को लेकर वह लडकिया गयी हुई थी वंहा पर चली गयी तो जाकर देखा तो मानसी बहुत ही प्यारी लग रही थी तो सुनैना उसके पास जाती है और बोलती है कि
सुनैना : बेटू आपको कोई तकलीफ तो नही हुई ना । आप ठीक तो है ना
मानसी उसकी बात सुनकर बोली
मानसी : आंटी जी मैं तो ठीक हु लेकिन मैं कब घर जाउंगी ।अगर नही गयी तो चाची मुझे डाटेंगी।
सुनैना उसकी बात सुनकर सोच में पड़ जाती है कि उसकी बेटी कितनी डरी हुई है तो वह बोलती है कि
सुनैना : बेटू तुम मुझे आंटी नही बल्कि मासी या माँ कह कर बुलाओ और रही बात तुम्हारे घर जाने की तो समझ लो आज से यही तुम्हारा घर है और अब तुम यही पर रहोगी।

उसकी बात सुनकर मानसी बोलती है कि
मानसी : ठीक है मैं आज से आपको मासी बुलाऊंगी और आप सच कह रही है मैं यंहा पर रहूँगी ।
उसकी बात सुनकर मारिया बोलती है
मारिया : हॉ बेबी तुम्हारी मासी सच कह रही है। अब तुम यही पर रहोगी ।
इसके बाद वह लोग उसे उसके कमरे में ले जाती है जिसे देख कर वह बहुत खुश होती है।
वही दूसरी तरफ मधु और आर्या को लेकर पुजारी जी से परमिशन लेकर वह लोग उसी रात में घर पर चल देते है ।वह इसलिए क्यूंकि कोमल को इस शहर में आते हुए ठाकुर विजय का आदमी देख लिया था और इस बात की खबर पाते हुए वह अपने आदमियो को उनकव पीछे लगा देता है लेकिन कुछ ही देर में वह लोग उन सबकी नजर से गायब हो गए क्यूंकि रानी परी की मालूम हो गया था कि वह लोग पीछे पड़े हुए इसलिये सामने होकर भी यह लोग उन सबके लिये गायब थे
Nice update bhai
 

Ajay

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कोमल जब मधु को लेकर निकल जाती है तो रानी परी भी परीलोक के दो शाक्तिशाली पहरेदारों को बुला कर बोलती है
रानी परी : देखो तुम लोग अदृश्य रूप से उन लोगो के साथ जाकर उन्हें उनके घर तक छोड़ के चले आना लेकिन एक बात का ख्याल रहे उन सब से इतनी दूरी बना कर रखना कि अगर काली सक्तियो को तुम लोगो के वंहा होने की भनक भी लगे तो वो लोग यह नही समझ पाए कि वह बालक कौन है ।वैसे तो इसकी आशंका कम ही है पर कुछ कह नही सकते है। हा तुम लोगो को उनके साथ भेजने का एक मात्र कारण है कि उनके पीछे कुछ गुंडे लगे हुए है ।जो कि उस बालक और उसकी माता को नुकसान पहुचाना चाहते है ।बस तुम लोगो को उनसे रक्षा करनी है ।
दोनो पहरेदार वंहा से मधु और पुजारी जो कि पुजारी के भेष में राजगुरु ही थे ।वह दोनों लोग वंहा से गायब हो गए और उनके गायब होते ही वह मायावी स्थान भी गायब हो गया ।कुछ घण्टो के सफर के बाद यह लोग आधी रात तक घर पहुच गए।जंहा पर सभी लोग आराम से सो रहे थे क्यूंकि किसी को यह उम्मीद नही थी कि वह लोग रात में ही वापस आ जाएंगे । जब उन लोगो ने दरवाजा खुलवाया तो घर में काम करने वाली ने घर को खोला और इन लोगो को देख कर पीछे हो गयी तब कोमल बोली
कोमल : काकी सभी लोग सो गए है क्या चाँदनी कंहा पर सो रही है ।उसने ज्यादा परेशान तो नही किया ना स्कूल से आने के बाद ।
उसकी बात सुनकर संजय बोला
संजय :.यार इतना लंबा सफर करके आयी और आते ही सवाल जवाब सुरु कर दिया अरे यार थोड़ा आराम कर ले फिर शांति से सब कुछ जान लेना और उससे भी पहले भाभी को अंदर तो आने दो क्या सारी रात यही बाहर खड़े रखने का इरादा है क्या ।
संजय की बात सुनकर कोमल उसे आंख दिखती हुई अंदर चली जाती है और यह सब देख कर मधु के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है और फिर वह लोग अंदर आ जाते है और सोफे पर बैठते है तब तक मीणा जी भी शोर सुनकर उठ चुकी थी क्यूंकि अभी वह जल्दी ही सोई थी इसलिए उनकी नीद थोड़ी कच्ची थी जिसकी वजह से वह भी उठ कर बाहर आ गयी तो देखा कि कोमल और संजय मधु को लेकर आ गए है तो वह बोली
मीना : बेटा तुम लोगो को इतनी रात को आने की क्या जरूरत थी ।तुम लोग कल सुबह भी तो आराम से आ सकते थे ।
उनकी बात सुनकर संजय बोला
संजय : माँ हम लोगो का तो यही विचार था कि रात किसी होटल में गुजारने के बाद सुबह आराम से आते लेकिन क्या करे वह जो आंटी जी आयी थी उन्होंने बोला कि हो सकता है कोमल को किसी ने देख लिया हो और अगर बात उन हत्यारो तक पहुच गयी कि कोमल यंहा पर आई है तो उन्हें यह समझते देर नही लगेगी कि वह छोटी भाभी से मिलने के लिए आई है फिर वंहा पर खतरा बढ़ जाता इसलिए हम लोगो को रात में ही निकल जाना चाहिए।
मीना : चलो जो हुआ वह ठीक हुआ है तुम लोग वंहा से सही सलामत आ गए यह कम नही है। रात बहुत हो चुकी है अब तुम लोग भी आराम करो ।हम कल सुबह बात करेंगे। वैसे तुम लोगो ने खाना खाया है या नही ।
कोमल : नही माँ आप चिंता ना करे हम लोगो ने रास्ते में ही खाना खा लिया था वैसे इतना लंबा सफर करके मैं तो थक गई हूं । मैं तो जा रही हु सोने और मधु भाभी आज मेरे साथ सो जाएं कल आपका रूम तैयार कर दूंगी(संजय से ) आप अपने लिए जगह देख ले समझे।
संजय : जो हुक्म आका।
संजय यह बात झुक कर बोला जिसकी वजह से सभी को हसी आ गयी फिर मीना चली गई सोने के लिए और उसके बाद कोमल मधु और आर्या को लेकर अपने रूम में चली गयी और संजय वही सोफे पर सो गया ।
अगली सुबह
सुबह जब संजय की आंख खुली तो उसने देखा कि उसके ऊपर चादर पढ़ी हुई है ।इसके बाद वह फ्रेश होने के लिए चला गया ।इधर रूम में आर्या और मधु आराम से सो रहे थे ।कोमल भी उन्हें जगाना ठीक नही समझी और फ्रेश होने के लिए चली गयी । फ्रेश होने के बाद वह नाश्ता तैयार करने लगी ।
इधर दूसरी तरफ जब रानी परी और राजगुरु जब परीलोक चले गए ।परी लोक पहुचने के बाद रानी परी गुरदेव से बोली
रानीपरी : गुरदेव आपने कहा था कि आप मधु को कुछ सक्तिया प्रदान कर रहे है जिसकी वजह से आर्या को उसके मकसद में कामयाबी मिलेगी पर मुझे तो उसके अंदर कोई सक्तिया दिखाई ही नही दी।
राजगुरू : महारानी हमने उन्हें कोई चमत्कारी सक्तिया प्रदान नही की है बस उसकी मस्तिष्क को एक आम इंसान से दस गुना तेज कर दिया जिसकी वजह से कोई भी कठिन परिस्थिति हो तो वह उसका सामना धैर्य पूर्वक कर सके ।आप तो जानती है आगे चलकर जो कुछ भी वह सामान्य नही होगा तो उसके लिए तैयारी तो करनी ही पड़ेगी ना।
रानी परी : गुरदेव आप ने जो किया होगा वह उचित ही होगा पर हमें लगता है उसे कुछ सक्तिया प्रदान कर ही देनी चाहिए जिसकी वजह से कोई दुष्ट सकती उन्हें हानि नही पहुचा सके। अभी तक तो भगवान महाकाल के शरण मे थी तो वह दोनों सुरक्षित थे किंतु अब वह उस दुष्ट के अधीन संसार मे रहेगी जंहा पर उसकी काली सक्तियो का बोल बाला है ।ऐसे में वंहा पर खतरा ज्यादा होगा।
राजगुरू : ऐसा नही होगा क्यूंकि मैंने उन दोनों के ऊपर महाकाल की सुरक्षा कवच डाल रखा है और आर्या की सक्तिया और ज्ञान सभी कुछ बंधी हुई है जो कि उसके अठारह वर्ष तक होने के बाद ही जागृत होंगी ।
रानी परी : वह सब तो ठीक है गुरदेव परन्तु उसकी युद्धकला की शिक्षा कैसे दी जाएगी ।
राजगुरु : महारानी आप भूल रही है कि वह अपने आप मे सम्पूर्ण है उसे किसी भी तरह की शिक्षा की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी उसको उन सब का ज्ञान अपनी दो बीवियों से प्राप्त होगा जो कि दो लोको की राजकुमारी है और आप जानती है वह दोनों कौन है ।अब समय आ गया है जब उन दोनो को पृथ्वीलोक में जन्म लेना ही होगा।
रानी परी : गुरदेव आप जानते है कि महाराज के म्रत्यु के पश्चात हमे संतान की प्रप्ति नही हो सकी और परीलोक के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बंधी होने के कारण मैंने आज तक इस बारे में कोई विचार नही किया ।मेरी सारी आशा महाराज की दूसरी पत्नी नागकन्या ललिता की पुत्री सुवर्चा से थी जो अब वह भी धूमिल होती जा रही है क्यूंकि उसकी साधना दिन प्रति दिन कठोर होता जा रहा है और अब तो यह भी डर है कि कही उसे कुछ हानि ना हो जाये
राजगुरु : महारानी यह बात सत्य है कि महाराज के मृत्यु के बाद आप ने पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य का पालन किया है और इसके लिये आपने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है लेकिन उस महाकाल के आशीर्वाद से अब सबकुछ ठीक होने वाला है क्यूंकि राजकुमारी सुवर्चा अब अपनी साधना पूर्ण करने के बाद वापस आ चुकी है नागलोक में जिन्हें लेकर नागलोक के महाराज यहाँ पर आ रहे है और आप जानती है उनके रगो में महाराज का खून है क्यूंकि वह उनकी दूसरी पत्नी नागकन्या ललिता की बेटी है इसलिए वह नागलोक के साथ साथ परीलोक की सक्तियो की धारक है जो उनसे विवाह करेगा वह दोनों लोको का राजा हो जाएगा।
रानीपरी : वह सब तो ठीक है गुरदेव पर आप जानते है कि उन्हें आर्या के साथ सम्बन्ध जोड़ने के लिए पृथ्वीलोक पर जन्म लेना होगा क्या नागराज इसकी इजाजत देंगे।
राजगुरू : अगर पृथ्वी लोक और बाकी के ब्रह्मांड की रक्षा करनी है तो यह करना ही होगा वरना आप तो जानती है कि उस दुरात्मा ने अपनी कुटिल नीति का प्रयोग करते हुए एक मानब को ही पूरे ब्रह्मण्ड की काली सक्तियो का मालकिन बना दिया है और वह भी आर्या के ही परिबार से और अब उसने एक और चाल चली है जो कि बहुत ही खतरनाक साबित होगी
Nice update bhai
 
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