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कहानी आरम्भ करने के लिए धन्यवाद....जंगल मे बने शिव मंदिर में पुजारी पूजा कर रहा था कि अचानक से उसे आभास हुआ कि जैसे कोई मंदिर के बाहर कोई है ।जब वह बाहर जाकर देखा तो पाया कि एक औरत हाथ मे एक बच्चा लिए हुए जख्मी हालत में पड़ी हुई है तो पुजारी जी उस औरत को अंदर ले कर गए मंदिर में बिठाया और बोले
पुजारी : तुम कौन हो पुत्री और इसे घने वन में क्या कर रही हो ।तुम्हारी यह दशा किसने की है ।
औरत : पुजारी जी हम ठाकुर विश्वप्रताप की छोटी बहू मधु ठाकुर है और यह बच्चा मेरी जेठानी का है और हमारी इस हालत के जिम्मेदार और कोई नही बल्कि हमारे चचेरे ससुर है जिन्होंने हमारे पूरे परिवार की हत्या कर दी है ।मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा कर आये है उसके आदमियो से ।
पुजारी : पुत्री तूम भगवान के शरण मे आयी हो अब तुम्हे डरने की कोई जरूरत नही है। तुम अगर चाहो तो यंहा मंदिर के पास रह सकती हो ।प्रभु कृपा से यंहा पर वह सभी वस्तु उपलब्ध है जो कि एक इंसान को जीने के लिए जरूरी है ।
इसके बाद पुजारी उठा और भगवान के चरणों से कुछ फल लाकर उस औरत को दिए और बोले
पुजारी : यह फल खा लो पुत्री तुम्हारी भूख और यह चोट दोनो ही सही हो जाएंगी।
औरत : आपका बहुत बहुत आभार पुजारी जी मैं जिंदा रहू या नही पर हमारे खानदान का आखिरी चिराग है जिसे मैं आपको समर्पित कर रही हु।
पुजारी : पुत्री तुम बिल्कुल निश्चिन्त रहो यंहा तुम्हे कुछ भी नही होगा ।तुम्हारी आयु अभी बहुत लंबी है और इस बालक की भी और अब तुम यंहा पर विश्राम करो तब तक मैं तुम्हारे रहने का इन्तजाम करता हु
यह बोल कर पुजारी जी बाहर मंदिर के पीछे चले जाते है और अपनी आंखें बंद करके कुछ मंत्र पढ़ते है तो सामने एक प्रकाश प्रकट होता है और उसमें से एक महिला निकलती है जिसे पुजारी जी प्रणाम करते है और बोलते है
पुजारी : महारानी जैसा आपने कहा मैंने वैसा कर दिया है । इस जगह पर मंदिर की स्थापना करके इस जगह को पवित्र कर दिया है जिसकी वजह से यंहा पर दुष्ट सक्तिया प्रवेश नही कर पाएंगी और यह स्थान भी बाहरी दुनिया के लिए अदृश्य रहेगी ।इस जगह को केवल यही दोनो देख पाएंगे जब तक यह बालक अठारह वर्ष का नही हो जाता है।
औरत : पुजारी जी आप नही जानते है कि आपने हमारे ऊपर कितना बड़ा एहसान किया है ।अगर यह बालक दुष्ट सक्तियो के हाथ लग जाता तो कितना बड़ा अनर्थ हो जाता इस बात का आप अंदाजा भी नही लगा सकते थे।
इसके बाद उस औरत ने अपने हाथ आगे किये और एक बहुत सुंदर झोपड़ी का निर्माण हो गया।
इसके बाद वह औरत बोली
औरत : पुजारी जी आप उस बालक की माता को यंहा रहने के लिए बोल दीजिये यंहा पर उन्हें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नही होंगी और हां एक बात उसे अवश्य बता दीजियेगा की किसी भी हालत में वह बालक और वह खुद इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जा सके
पुजारी : महारानी आप बिल्कुल भी चिंता ना करें आपने जैसा था वैसा ही होगा मैं इस बात का पूरा ख्याल रखूंगा की वह लोग इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जाए।
इसके बाद वह औरत वंहा से अंतर्ध्यान हो गयी फिर पुजारी उस महिला के पास पहुच गए और बोले
पुजारी : पुत्री मंदिर के पीछे एक छोटा सा विश्राम स्थल है । अबसे वही तुम्हारा निवास स्थान होगा जब तक तुम चाहो।
इतना बोल कर पुजारी ने देखा कि अब भी उस महिला का हालत पहले ही जैसी है तो वह बोले
पुजारी : पुत्री तुमने अभी तक प्रशाद ग्रहण नही किया। तुम इस प्रशाद को ग्रहण करो ताकि तुम ठीक हो सको।
फिर उस महिला ने उस प्रशाद को ग्रहण किया और उस प्रशाद को खाते ही उस महिला के सभी चोट आश्चर्य जनक रूप से ठीक हो गए तो वह बोली
महिला : पुजारी जी आप कोई साधारण महात्मा नही है ।आप तो कोई दिव्य पुरुष है ।
पुजारी : नही पुत्री ऐसी कोई बात नही है ।यह चमत्कार मेरा नही बल्कि उस महाकाल का है जिसकी वजह से यह संसार है और रही बात दिव्य होने की तो यह बालक जो तुम्हारे गोद मे यह दिव्य है इसके उपर महाकाल का आशीर्वाद है ।
वही मधु ठाकुर का चचेरा ससुर ठाकुर विजय प्रताप अपने आदमियों पर गुस्सा कर रहा था
ठाकुर विजय : तुम सब किसी काम के नही हो।तुम सबकी नजरों के सामने से वह एक मामूली सी लड़की उसको ले कर भाग गई और तुम सब कुछ नही कर सके ।
Awesome update..राजगुरु की बात को सुनकर रानीपरी बोली
रानीपरी : ऐसा क्या कर दिया है गुरदेव जो आप इतने चिन्तित दिखाई दे रहे है ।
राजगुरु : उसने उस बालिका को खोज लिया है जिसकी मदद से उस कैद का दरवाजा खोल देगा जिसमे वह खतरनाक दानव को कैद किया गया है और आप यह बात हमेशा से जानती है कि वह हर संभव कोशिश कर चुका है उसे खोलने का लेकिन वह आज तक सफल नही हो सका लेकिन अब लग रहा है कि वह सफल हो जाएगा।
रानी परी : लेकिन कैसे गुरदेव आप ने तो कहा था कि उस दुर्लभ नछत्र में पैदा होने वाली कन्या ही खोल सकती है और आप तो जानते है कि वह कन्या कोई और नही बल्कि हमारी राजकुमारी सुवर्चा ही है जो कि सुरक्षित है उस दुष्ट की नजरों से ।
राजगुरु : मुझे भी यही लगा था पर एक और कन्या है जो इसी नछत्र में जन्म लिया है और वह इस वक्त पृथ्वी पर है और जानती है महारानी वह बालिका कौन है।
महारानी : कौन है गुरदेव वह बालिका
राजगुरु : वह बालिका कोई और नही बल्कि उसी अनुराधा की बेटी है जो कि इस वक्त अंधेरे की प्रमुख नायिका बनी है और आज वह अपनी पुत्री को अपने पास लेकर आ गयी है और एक बात यह भी है कि उसे केवल दो लोग खोल सकते है और वह भी स्त्री सकती के मदद से ओर बन्द भी कर सकते है । उन दोनों कन्याओ का जन्म भी हो चुका है जो कि उस समय भी थी जब उसे बंद किया गया था । एक तो हमारी राजकुमारी सुवर्चा है और दूसरी कन्या मानसी है जो कि वही है जो कि उस वक्त दरवाजा बंद करने में सबसे बड़ी बाधा बन कर खड़ी थी।
रानी परी : तो अब हम क्या कर सकते है गुरदेव आप तो जानते है कि हम चाह कर भी उनका कुछ नही बिगाड़ सकते है क्यूंकि उनके ताकत के आगे हम कमजोर है।
राजगुरु : अभी हम कुछ नही कर सकते है ।अब जो भी करना है वह आर्या और सुवर्चा ही कर सकते है ।
रानीपरी : लेकिन गुरदेव उसमे तो अभी काफी समय है। आर्या तो अभी छोटा है ।
राजगुरु : अब हम लोगो के पास इन्तजार करने के अलावा और कोई चारा नही है क्यूंकि हम इतने समर्थ नही है कि सुनैना के जाल से उस बच्ची को बचा सके हम तो केवल प्राथना ही कर सकते है और कुछ नही।
इधर अगली सुबह जब चाँदनी सो कर उठती है तो वह अपनी माँ के पास जाकर उससे कल बिना बताए चले जाने पर शिकायत करती है तो इस बात पर कोमल बोलती है
कोमल : बेबी मैं तुम्हारे लिए एक गुड्डा लेने के लिए गयी हुई थी इसलिए मैंने तुम्हें नही बताया।
गुड्डा का नाम सुनते ही चाँदनी के चहरे पर चमक आ जाती है और बोलती है
चाँदनी : कंहा है माँ मेरा गुड्डा आप लेकर भी आ गयी और मुझे बताया तक नही जाइये मैं आपसे बात नही करूँगी।
उसकी बात सुनकर कोमल बोलती है
कोमल : ठीक है जब तुम्हे बात ही नही करनी है तो वह गुड्डा मैं वापस कर देती हूं।
इतना बोल कर कोमल अपने काम मे लग जाती है लेकिन चाँदनी को जब बर्दाश्त नही होता है तो वह रोने लगती है इस पर उसकी दादी मीना बोलती है
मीना : क्यों परेशान कर रही है मेरी बेटी को चल बेटी मैं तुझे तेरा गुड्डा देती हूं।
इतना बोलकर उसे लेकर वह आर्या जंहा पर सोया हुआ था वंहा लेकर चली गयी और आर्या को दिखाती हुई बोली
मीना : यह है तुम्हारा गुड्डा पर ध्यान से खेलना कही चोट ना लग जाए ।बहुत नाजुक है यह।
इतना बोल कर चाँदनी की तरफ देखती है लेकिन वह वंहा पर होती ही नही है क्यूंकि उसे देख कर चाँदनी तुरन्त ही आर्या के पास पहुच जाती है और उसे अपने गोद मे उठाने की कोशिश करती है तो इस पर मीना बोलती है
मीना : ध्यान से बेटी अगर गुड्डा गिर गया तो चोट लग जायेगी ।
चाँदनी : दादी आप चिंता मत करो मैं इसे अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर रखूंगी।
इसके बाद वह फिर उससे खेलने में मग्न हो जाती है ।ऐसे ही दिन महीने और साल बीतने लगे । सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा था। वंहा सुनैना और मारिया मानसी को धीरे धीरे अंधेरे की सक्तिया प्रदान करने लगी और उसके गुलाम दिन प्रति दिन संसार मे बुराई का साम्राज्य फैलाना प्रारंभ कर दिया था ।पूरे संसार मे लोभ वासना आदि बुराई चरम पर पहुच चुकी थी । वही दूसरी तरफ़ राजकुमारी सुवर्चा नागराज के साथ परीलोक आती है संसार मे फैल रही बुराई की वजह से उन्होंने वंहा जन्म लेने का फैशला त्यागना पड़ा क्यूंकि इससे अंधेरे को उनके बारे में पता चल जाता तो वह अपनी उसी रूप में इंसानी दुनिया मे आकर रहने का फैशला किया। इधर चाँदनी का मोह आर्या के प्रति दिन प्रति दिन बढ़ता ही चला जा रहा था ।वह तो उसके लिए बिना सोचे समझे किसी के लिए भी लड़ जाती थी ।इस समय सब कुछ सामान्य चल रहा था सिवाय 2 चीजो के पहली आर्या की शारीरिक विकास जो कि आम लड़को के अपेछा बहुत आगे थी ।उसकी मानशिक सक्तिया भी बहुत तेज थी किसी भी चीज को दुबारा पढ़ने की जरूरत नही पढ़ती थी। इधर मधु का दिमाग भी राजगुरु के द्वारा किये गए विकास की वजह से आम लोगो से 10 गुना तेज था जिसकी वजह से संजय के कहने पर वह उसके बिजनेस को जॉइन कर लिया और संजय ने उसे कम्पनी का MD बना दिया और खुद दुसरो बिजनेस पर ध्यान देना सुरु कर दिया पर वह बिना मधु के सलाह के कुछ भी नही करता था । ऐसे ही दिन बीतने लगे और देखते ही देखते आज आर्या को कोमल के घर आये हुए 15 साल बीत गए थे । आज जंहा आर्या इण्टर पास करके कॉलेज में पहले दिन जाने वाला था जिसे लेकर वह बहुत खुश था क्यूंकि आज वह अपनी चाँदनी दीदी के साथ कॉलेज जाने वाला है उसे लेकर वह खुश था वही उसी बात को लेकर चाँदनी काफी दुखी थी । उसको चिंता में उसकी सहेली मंजू बोलती है
मंजू : आज तू इतना उदास क्यों लग रही है क्या बात है चांद ।
चाँदनी : यार मैं आर्या को लेकर काफी परेशान हु आज से वह कालेज जाना वाला है हमारे साथ ।
मंजू : यह तो खुशी की बात है ना कि वह आज से कालेज जाना वाला है क्यों तू खुश नही है।
चाँदनी : सच कहूं तो आज मैं अपने उसके लिए बहुत खुश हूं पर उसके साथ ही साथ दुखी क्यूंकि तू जानती है कि मैं उससे कितना प्यार करती हूं और उसके बिना जीने की तो कल्पना भी नही कर सकती हूं।।
मंजू : तू सच मे उसके प्यार में पागल हो गयी है ।अरे वह तुझसे दूर नही बल्कि तेरे पास आ रहा है अब तू हर वक्त उसके साथ रह सकती है ।
चाँदनी : सच मे तुझे ऐसा लगता है पर जाने क्यों मुझे आज बहुत घबराहट हो रही है ऐसा लग रहा है कि अगर आर्या वंहा पर गया तो मेरे से दूर हो जाएगा।
मंजू : यह सब तेरा भरम है और कुछ नही तू चिंता मत कर ऐसा कुछ नही होगा जितना प्यार तू उसे करती है उतना ही वह तुझसे भी करता है
Bahut hi sundar updateराजगुरु की बात को सुनकर रानीपरी बोली
रानीपरी : ऐसा क्या कर दिया है गुरदेव जो आप इतने चिन्तित दिखाई दे रहे है ।
राजगुरु : उसने उस बालिका को खोज लिया है जिसकी मदद से उस कैद का दरवाजा खोल देगा जिसमे वह खतरनाक दानव को कैद किया गया है और आप यह बात हमेशा से जानती है कि वह हर संभव कोशिश कर चुका है उसे खोलने का लेकिन वह आज तक सफल नही हो सका लेकिन अब लग रहा है कि वह सफल हो जाएगा।
रानी परी : लेकिन कैसे गुरदेव आप ने तो कहा था कि उस दुर्लभ नछत्र में पैदा होने वाली कन्या ही खोल सकती है और आप तो जानते है कि वह कन्या कोई और नही बल्कि हमारी राजकुमारी सुवर्चा ही है जो कि सुरक्षित है उस दुष्ट की नजरों से ।
राजगुरु : मुझे भी यही लगा था पर एक और कन्या है जो इसी नछत्र में जन्म लिया है और वह इस वक्त पृथ्वी पर है और जानती है महारानी वह बालिका कौन है।
महारानी : कौन है गुरदेव वह बालिका
राजगुरु : वह बालिका कोई और नही बल्कि उसी अनुराधा की बेटी है जो कि इस वक्त अंधेरे की प्रमुख नायिका बनी है और आज वह अपनी पुत्री को अपने पास लेकर आ गयी है और एक बात यह भी है कि उसे केवल दो लोग खोल सकते है और वह भी स्त्री सकती के मदद से ओर बन्द भी कर सकते है । उन दोनों कन्याओ का जन्म भी हो चुका है जो कि उस समय भी थी जब उसे बंद किया गया था । एक तो हमारी राजकुमारी सुवर्चा है और दूसरी कन्या मानसी है जो कि वही है जो कि उस वक्त दरवाजा बंद करने में सबसे बड़ी बाधा बन कर खड़ी थी।
रानी परी : तो अब हम क्या कर सकते है गुरदेव आप तो जानते है कि हम चाह कर भी उनका कुछ नही बिगाड़ सकते है क्यूंकि उनके ताकत के आगे हम कमजोर है।
राजगुरु : अभी हम कुछ नही कर सकते है ।अब जो भी करना है वह आर्या और सुवर्चा ही कर सकते है ।
रानीपरी : लेकिन गुरदेव उसमे तो अभी काफी समय है। आर्या तो अभी छोटा है ।
राजगुरु : अब हम लोगो के पास इन्तजार करने के अलावा और कोई चारा नही है क्यूंकि हम इतने समर्थ नही है कि सुनैना के जाल से उस बच्ची को बचा सके हम तो केवल प्राथना ही कर सकते है और कुछ नही।
इधर अगली सुबह जब चाँदनी सो कर उठती है तो वह अपनी माँ के पास जाकर उससे कल बिना बताए चले जाने पर शिकायत करती है तो इस बात पर कोमल बोलती है
कोमल : बेबी मैं तुम्हारे लिए एक गुड्डा लेने के लिए गयी हुई थी इसलिए मैंने तुम्हें नही बताया।
गुड्डा का नाम सुनते ही चाँदनी के चहरे पर चमक आ जाती है और बोलती है
चाँदनी : कंहा है माँ मेरा गुड्डा आप लेकर भी आ गयी और मुझे बताया तक नही जाइये मैं आपसे बात नही करूँगी।
उसकी बात सुनकर कोमल बोलती है
कोमल : ठीक है जब तुम्हे बात ही नही करनी है तो वह गुड्डा मैं वापस कर देती हूं।
इतना बोल कर कोमल अपने काम मे लग जाती है लेकिन चाँदनी को जब बर्दाश्त नही होता है तो वह रोने लगती है इस पर उसकी दादी मीना बोलती है
मीना : क्यों परेशान कर रही है मेरी बेटी को चल बेटी मैं तुझे तेरा गुड्डा देती हूं।
इतना बोलकर उसे लेकर वह आर्या जंहा पर सोया हुआ था वंहा लेकर चली गयी और आर्या को दिखाती हुई बोली
मीना : यह है तुम्हारा गुड्डा पर ध्यान से खेलना कही चोट ना लग जाए ।बहुत नाजुक है यह।
इतना बोल कर चाँदनी की तरफ देखती है लेकिन वह वंहा पर होती ही नही है क्यूंकि उसे देख कर चाँदनी तुरन्त ही आर्या के पास पहुच जाती है और उसे अपने गोद मे उठाने की कोशिश करती है तो इस पर मीना बोलती है
मीना : ध्यान से बेटी अगर गुड्डा गिर गया तो चोट लग जायेगी ।
चाँदनी : दादी आप चिंता मत करो मैं इसे अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर रखूंगी।
इसके बाद वह फिर उससे खेलने में मग्न हो जाती है ।ऐसे ही दिन महीने और साल बीतने लगे । सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा था। वंहा सुनैना और मारिया मानसी को धीरे धीरे अंधेरे की सक्तिया प्रदान करने लगी और उसके गुलाम दिन प्रति दिन संसार मे बुराई का साम्राज्य फैलाना प्रारंभ कर दिया था ।पूरे संसार मे लोभ वासना आदि बुराई चरम पर पहुच चुकी थी । वही दूसरी तरफ़ राजकुमारी सुवर्चा नागराज के साथ परीलोक आती है संसार मे फैल रही बुराई की वजह से उन्होंने वंहा जन्म लेने का फैशला त्यागना पड़ा क्यूंकि इससे अंधेरे को उनके बारे में पता चल जाता तो वह अपनी उसी रूप में इंसानी दुनिया मे आकर रहने का फैशला किया। इधर चाँदनी का मोह आर्या के प्रति दिन प्रति दिन बढ़ता ही चला जा रहा था ।वह तो उसके लिए बिना सोचे समझे किसी के लिए भी लड़ जाती थी ।इस समय सब कुछ सामान्य चल रहा था सिवाय 2 चीजो के पहली आर्या की शारीरिक विकास जो कि आम लड़को के अपेछा बहुत आगे थी ।उसकी मानशिक सक्तिया भी बहुत तेज थी किसी भी चीज को दुबारा पढ़ने की जरूरत नही पढ़ती थी। इधर मधु का दिमाग भी राजगुरु के द्वारा किये गए विकास की वजह से आम लोगो से 10 गुना तेज था जिसकी वजह से संजय के कहने पर वह उसके बिजनेस को जॉइन कर लिया और संजय ने उसे कम्पनी का MD बना दिया और खुद दुसरो बिजनेस पर ध्यान देना सुरु कर दिया पर वह बिना मधु के सलाह के कुछ भी नही करता था । ऐसे ही दिन बीतने लगे और देखते ही देखते आज आर्या को कोमल के घर आये हुए 15 साल बीत गए थे । आज जंहा आर्या इण्टर पास करके कॉलेज में पहले दिन जाने वाला था जिसे लेकर वह बहुत खुश था क्यूंकि आज वह अपनी चाँदनी दीदी के साथ कॉलेज जाने वाला है उसे लेकर वह खुश था वही उसी बात को लेकर चाँदनी काफी दुखी थी । उसको चिंता में उसकी सहेली मंजू बोलती है
मंजू : आज तू इतना उदास क्यों लग रही है क्या बात है चांद ।
चाँदनी : यार मैं आर्या को लेकर काफी परेशान हु आज से वह कालेज जाना वाला है हमारे साथ ।
मंजू : यह तो खुशी की बात है ना कि वह आज से कालेज जाना वाला है क्यों तू खुश नही है।
चाँदनी : सच कहूं तो आज मैं अपने उसके लिए बहुत खुश हूं पर उसके साथ ही साथ दुखी क्यूंकि तू जानती है कि मैं उससे कितना प्यार करती हूं और उसके बिना जीने की तो कल्पना भी नही कर सकती हूं।।
मंजू : तू सच मे उसके प्यार में पागल हो गयी है ।अरे वह तुझसे दूर नही बल्कि तेरे पास आ रहा है अब तू हर वक्त उसके साथ रह सकती है ।
चाँदनी : सच मे तुझे ऐसा लगता है पर जाने क्यों मुझे आज बहुत घबराहट हो रही है ऐसा लग रहा है कि अगर आर्या वंहा पर गया तो मेरे से दूर हो जाएगा।
मंजू : यह सब तेरा भरम है और कुछ नही तू चिंता मत कर ऐसा कुछ नही होगा जितना प्यार तू उसे करती है उतना ही वह तुझसे भी करता है