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Incest आर्या

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इधर मैं अपने कमरे से निकला और हर रोज की तरह चाँदनी के कमरे की तरफ चल दिया । मैं जब उनके रूम में पहुचा तो देखा कि बिस्तर पर बैठि मेरा इंतजार कर रही है तो मैं बोला
मैं: क्या दीदी मैंने आपसे कितनी बार बोला है कि आप मेरे आने का इंतजार नहीं किया करो बल्कि चलकर नाश्ता कर लिया करो लेकिन आपको मेरी बात समझ में नहीं आती है मुझे यह बात समझ में नहीं आती है कि जिस दिन मैं यहां पर नहीं रहूंगा उस दिन आपका क्या होगा।
चाँदनी : आर्या तूअपने दिमाग में तू हमेशा के लिए नोट कर ले पहली बात कि तू मुझे दीदी मत बोला कर और दूसरी बात तू जहां भी जाएगा मैं तेरे साथ रहूंगी तू मुझे अपने आप से अलग नहीं कर सकता है तू ही क्या कोई मुझे तुझसे अलग नहीं कर सकता ।
मैं : अच्छा ठीक है हम इस बारे में बाद में बात करेंगे अभी हम लोगो को नाश्ता करने के लिए चलना चाहिए नही तो आज पहले ही दिन लेट हो जाएंगे।
चाँदनी : बोल तो तू ऐसे रहा है जैसे कि लग रहा है कि मेरी वजह से ही लेट हुआ है तू जानता है ना जब तक तुम नहीं आता है मैं नहीं जाती हूं तो तू आने में लेट क्यों किया।
मैं उनकी बात सुनकर समझ गया कि उनसे बात करके तो जीता नहीं जा सकता इसलिए मैं भी अपनी हार मान लेता हूं नहीं तो यह तब तक बाहर करती रहेंगी जब तक मैं खुद पर इल्जाम नहीं ले लेता हु इसलिए मैं बोला
मैं : अच्छा ठीक है मान लिया कि मेरी गलती है लेकिन कम से कम अब तो चलिए नाश्ता करने के लिए और आज कॉलेज का पहला दिन है तो वहां पर बचाने की जिम्मेदारी आपकी है।
वही दूसरी तरफ सुवर्चा के रानी परी आयी हुई थी और उससे बाते कर रही थी
रानी परी : पुत्री आज तुम पहली बार उससे मिलोगी और अब जल्द ही वह समय निकट आने वाला है जब उसे कई संकटो का सामना करना है और इसके साथ ही उसे उसकी शक्तियों का अनुभूति भी होने वाली है ऐसे समय मे एक तुम ही हो जो उसे संभाल सकती हो।
सुवर्चा : माँ मैं यह बात तो नहीं जानती हूं कि आर्या के साथ क्या होने वाला है लेकिन इतना तो मैं समझ चुकी हूं कि उसके साथ जो कुछ भी होने वाला है वह बहुत ही बुरा है और उस समय उसकी मानसिक स्थिती क्या होगी यह तो मैं नहीं जानती हूं लेकिन मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी कि मैं उसे संभाल सकूं।
रानी परी : उत्तरी एक बात का ध्यान हमेशा रखना जब तक जरूरी ना हो अब तक अपनी शक्तियों का प्रयोग बिल्कुल भी मत करना क्योंकि जब भी तुम अपनी शक्तियों का प्रयोग करोगी तो तुम उस पापी के नजर में आ जाओगी जो कि तुम्हारे लिये कही से भी ठीक नही होगा।
सुवर्चा : माँ आप चिंता ना करे मैं ऐसा कुछ भी नही करूँगी जो कि असमान्य हो ।
इधर हम लोग जब नाश्ता करने के लिये आये तो पता चला कि फूफा जी चले गए है उन्हें कुछ जरूरी काम था तो मैं भी शांति से बैठकर नाश्ता करने लगे ।हम सभी लोग बिल्कुल शांत थे कोई भी किसी से बात नही कर रहा था लेकिन इस बीच शांति को भंग करती हुई कोमल बुआ बोली
कोमल बुआ : आर्या आज तुम्हारा पहला दिन है कालेज का तो किसी से कोई लफड़ा मत करना समझे ।
मैं : जी बुआ मैं समझ गया हूं ।
इस सबके बीच मधु चाची कुछ कहना तो चाहती थी लकिन कुछ कहने की हिम्मत नही हो रही थी ।मैं यह बात समझ रहा था लेकिन फिर अनजान बनते हुए नाश्ता किया और चाँदनी के साथ कॉलेज के लिये निकल गया। इधर मेरे जाने के बाद कोमल बुआ और चाची आपस में बाते कर रही थी
कोमल बुआ : देखो मधु मैं कुछ बोलूंगा तो नहीं चाहती हूं लेकिन इतना जरूर कहूंगी कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले तुम्हें एक बार उससे बात तो कर ही नहीं चाहिए।
मधु चाची : दीदी यह बात आप भी जानती हो कि उसकी नजर में मेरी कोई अहमियत नहीं रह गई है जो लड़का बिना मुझसे पूछे कोई काम नहीं करता था आज वाह मुझसे बात करना नहीं चाहता ऐसे में अब मेरा यहां पर रहने का कोई मतलब नहीं है एक फर्ज था जो मैंने पूरा कर दिया एक फर्ज और है जो कि मैं आपको सो चुकी हूं उसके भविष्य के लिए जितना मैं कर सकती थी उतना कर चुकी अब उस कर्ज की बारी है जो कभी अधूरा छूट गया था।
कोमल बुआ : उस कमीने ने अकेले तुम्हारे परिवार को खत्म नही किया ।क्या वह लोग मेरा कुछ भी नही लगते थे फिर तुम ऐसा क्यों कर रही हो ।हम सब मिलकर उसे सजा देंगे।
मधु : नहीं दीदी आपके पीछे परिवार है अगर आपको कुछ हो गया तो बहुतों को दुख और तकलीफ होगी।देखा जाए तो अब मेरा इस दुनिया में ही कौन मैं तो वह मनहूस हु जो कि अपने ससुराल में कदम रखते ही पूरे परिवार के विनाश का कारण बनी और जब से यंहा पर आई कोई ना कोई समस्या लगी ही रही इसलिए अब उचित यही होगा कि मैं अपनी काली छाया को लेकर यंहा से चली जाऊ।
अभी इस बात का बुआ कोई जवाब देती उससे पहले ही पीछे से संजय की आवाज आई
संजय : भाभी आपने यह कैसे सोच लिया कि आप क्यों कोई नहीं है क्या हम लोग आपके परिवार नहीं हैं मैं तो आपको अपनी छोटी बहन समझता था आज आपने यह बोलकर मुझे पराया कर दिया ।
उनकी बात सुनकर मधु चाची बोली
मधु : नहीं जीजा जी ऐसी कोई बात नहीं है मेरे कहने का मतलब यह नहीं था मैं तो यह बोलना चाहती थी कि जो कार्य वर्षो पहले अधूरा रह गया था उसे पूरा कर लूं ।
संजय : तो भाभी उसमे हम सब आपके साथ है आप क्यों अकेले उससे मिलने जाना चाहती है और आपने इतना बड़ा फैशला ले लिया और हमे पता तक नही चला । आपने यह नही सोचा कि आपके बिना हम सब कैसे रहेंगे।

मधु : आप लोग तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे कि मैं बहुत दूर जा रही हूं यहां से कुछ घंटे की दूरी पर ही तो रहूंगी जब भी आप का मरने का मन करेगा मैं फोन कर दीजिएगा मैं आ जाऊंगी और रही बात आपकी बिजनेस तो मैं वहां से भी उसको देखती रहूंगी और आपको जिस भी उठाती मदद चाहिए गा मैं उसके लिए हाजिर रहूंगी।
nice one
 

Rishabhsingh

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उनकी बात को सुनकर फूफा बोले
फूफा : बात यह सब नहीं है बात यह है कि अगर वहां पर कुछ भी हुआ तो वहां पर आपकी सहायता के लिए कोई भी नहीं है ऐसे में वहां पर आपको अकेला भेजना मुझे ठीक नहीं लग रहा है कम से कम आप आर्या को तो इस बारे में बता दीजिए।
बुआ : हा मैं भी तो इसे यही समझा रही हु कि यह ठीक नही है । अगर वह नाराज है तो इसका मतलब यह तो नही है कि उसे इस तरह बिना बताये जाया जाए ।
चाची : दीदी आप को लगता है कि उसे बताने या मेरे जाने का कोई फर्क पड़ेगा ।आपने तो देखा है ना कि वह तो अब मुझसे ज्यादा मतलब नही रखता है और आप तो सुबह उसकी बात को खुद सुनी है उसने मेरे उसके रूम में जाने पर वह जगा होने के बाद भी एक बार मेरी तरफ देखा तक नही।
बुआ उसकी बात सुनकर उसकी तरफ आंखे फाडे देखती रही और फिर कुछ देर बाद बोली

बुआ : a तुम्हें इस बारे में कैसे मालूम है कि वह जगा हुआ था तुम तो उस वक्त में से चली गई थी।
मधु : हां दीदी आप बोल तो ठीक रही है कि उस वक्त मैं वंहा से चली गयी थी लेकिन फिर आपसे कुछ काम था तो आपको बुलाने के लिये मैं वंहा वापस आयी तब ही यह सारी बाते सुनी ।इसके बाद ही मैंने यह निर्णय लिया है क्यूंकि अब जब मैं उसे पसंद नही हु और उसको मुझसे बात करने में दिक्कत होती है तो उससे अच्छा तो यही होगा कि मैं यंहा से चली जाऊ क्यूंकि उसने भले ही मुझे कुछ नही माना हो लेकिन मैंने तो उसे अपना बेटा माना है और अपने बेटे की इच्छा को पूरा ना करू यह कैसे संभव है।
अब जब बुआ को यह पता चला कि चाची को मेरे विचार के मालूम हो गया तो वह कुछ नही बोली ।इसके बाद छोटी चाची कुछ समय के बाद सभी लोगो से विदा लेकर उस शहर की तरफ चल दी जंहा पर उनका बचपन बीता था और शादी के कुछ ही दिनों के बाद वंहा से सब कुछ लूटा कर वह वंहा से भागने पर मजबूर हो गयी और जिसके लिए वह सबसे लड़ कर और कई मुश्किलों का सामना करके भी वह हालात से लड़ती रही लेकिन मेरी बेरुखी ने उन्हें इस कदर तोड़ दिया कि वह खुद को संभाल नही पाई और वंहा से एक अनजान राह पर चल दी जंहा पर उनका सामना किस मुशीबतो से होगा यह वह नही जानती थी और वैसे भी अब उनके पास खोने को तो कुछ भी नही था तो उन्हें डर किस बात का ।
इधर मैं घर से निकला और चाँदनी के साथ कालेज के लिए निकल लिया पर पता नही क्यों आज मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था ।ऐसा लग रहा था कि मानो कोई गलती हो रही है मुझसे पर मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि क्या गलती हुई है।
वही परीलोक में राजगुरु रानीपरी और नागराज तीनो ही बैठे हुए बाते कर रहे थे ।सभी लोग चिंतित दिखाई दे रहे थे तभी रानी परी बोली
रानीपरी : गुरुदेव आपने तो कहा था कि मधु का आर्या के जीवन मे गहरा प्रभाब पड़ेगा लेकिन यंहा तो सब कुछ उसके विपरीत ही हो रहा है ।पहले दोनो के बीच दूरियां पैदा हुई और अब तो वह दोनो एक दूसरे से अलग हो गए है और जिस मनोदशा में वह गयी है मुझे नही लगता है कि वह वापस आने वाली है ।
राजगुरु : महारानी यह तो उसी का सुरवात है या यह बोल सकते है कि आर्या ने जो गलतियां की है उसे उसकी सजा मिलने का समय आ गया है और यही आगे जाकर कई बदलाव लाएगा ।।
नागराज : हम कुछ समझे नही गुरदेव आप किस गलतियां की बात कर रहे है ।
राजगुरु : मैं उन्ही गलतियो की बात कर रहा हु जो वह मधु के साथ करता आ रहा है । उसने उसकी भावनाओं को समझे बिना उसके प्रति दुर्भावना बना लिया और उसी दुर्भावना का नतीजा है जो आज यह परिणाम है । एक तरह से वह उसकी सुरक्षा कवच थी जो कि उसे हर खतरे से बचाती आ रही थी लेकिन उसने अपनी गलतियों से उसे खो दिया है और अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन भी जल्द ही आने वाला है जब वह सुनैना के कब्जे में होगा और हम चाह के भी कुछ नहीं कर पाएंगे ।
इधर इन बीते सालों में ठाकुर विजय ने अपने दुष्कर्मो की सजा पाकर दुनिया छोड़ चुका था । आज उसकी सारी प्रोपर्टी पर विनोद और मालती ने बराबर रूप से बांट लिया था । राणा जी का कोई वारिश कानून की नजर में नही था और ना ही उन लोगो ने कोई वशियत बनवाई थी इसलिये उस सब पर विनोद ने अपना कब्जा कर लिया था ।वह सब भी गांव छोड़ कर शहर में बस गए थे ।समय के साथ सुनैना की मदद से वह हर बुरी चीजो का मालिक था जिससे जल्द से जल्द पैसे कमाए जा सकते है ।दुनिया की नजर में वह एक इज्जतदार आदमी था पर माफिया का सरगना भी था ।एक तरह से सुनैना ने उसे बिना मैजिकल पावर के सारे गलत कामों का बादशाह बना दिया था सारे लोग उसे हर काम का रिपोर्ट देते और वह मारिया को देता था । आज के डेट में पैसे और ताकत के मामले में मधु से कई गुना आगे था ।जिसका सारा श्रेय सिर्फ और सिर्फ सुनैना को जाता था । इस बीच विनोद और ऋतु को दो लडकिया ओर एक लड़का हुआ
लड़की परी
कनिका
लड़का हितेश
परी और कनिका दोनो ही जुड़वा ही थी और हितेश सबसे छोटा था लेकिन था वह सबसे बड़ा कमीना ।अपने बाप के पैसे के बल पर वह गलत राह पर चल पड़ा था
 

Ajay

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इधर मैं अपने कमरे से निकला और हर रोज की तरह चाँदनी के कमरे की तरफ चल दिया । मैं जब उनके रूम में पहुचा तो देखा कि बिस्तर पर बैठि मेरा इंतजार कर रही है तो मैं बोला
मैं: क्या दीदी मैंने आपसे कितनी बार बोला है कि आप मेरे आने का इंतजार नहीं किया करो बल्कि चलकर नाश्ता कर लिया करो लेकिन आपको मेरी बात समझ में नहीं आती है मुझे यह बात समझ में नहीं आती है कि जिस दिन मैं यहां पर नहीं रहूंगा उस दिन आपका क्या होगा।
चाँदनी : आर्या तूअपने दिमाग में तू हमेशा के लिए नोट कर ले पहली बात कि तू मुझे दीदी मत बोला कर और दूसरी बात तू जहां भी जाएगा मैं तेरे साथ रहूंगी तू मुझे अपने आप से अलग नहीं कर सकता है तू ही क्या कोई मुझे तुझसे अलग नहीं कर सकता ।
मैं : अच्छा ठीक है हम इस बारे में बाद में बात करेंगे अभी हम लोगो को नाश्ता करने के लिए चलना चाहिए नही तो आज पहले ही दिन लेट हो जाएंगे।
चाँदनी : बोल तो तू ऐसे रहा है जैसे कि लग रहा है कि मेरी वजह से ही लेट हुआ है तू जानता है ना जब तक तुम नहीं आता है मैं नहीं जाती हूं तो तू आने में लेट क्यों किया।
मैं उनकी बात सुनकर समझ गया कि उनसे बात करके तो जीता नहीं जा सकता इसलिए मैं भी अपनी हार मान लेता हूं नहीं तो यह तब तक बाहर करती रहेंगी जब तक मैं खुद पर इल्जाम नहीं ले लेता हु इसलिए मैं बोला
मैं : अच्छा ठीक है मान लिया कि मेरी गलती है लेकिन कम से कम अब तो चलिए नाश्ता करने के लिए और आज कॉलेज का पहला दिन है तो वहां पर बचाने की जिम्मेदारी आपकी है।
वही दूसरी तरफ सुवर्चा के रानी परी आयी हुई थी और उससे बाते कर रही थी
रानी परी : पुत्री आज तुम पहली बार उससे मिलोगी और अब जल्द ही वह समय निकट आने वाला है जब उसे कई संकटो का सामना करना है और इसके साथ ही उसे उसकी शक्तियों का अनुभूति भी होने वाली है ऐसे समय मे एक तुम ही हो जो उसे संभाल सकती हो।
सुवर्चा : माँ मैं यह बात तो नहीं जानती हूं कि आर्या के साथ क्या होने वाला है लेकिन इतना तो मैं समझ चुकी हूं कि उसके साथ जो कुछ भी होने वाला है वह बहुत ही बुरा है और उस समय उसकी मानसिक स्थिती क्या होगी यह तो मैं नहीं जानती हूं लेकिन मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी कि मैं उसे संभाल सकूं।
रानी परी : उत्तरी एक बात का ध्यान हमेशा रखना जब तक जरूरी ना हो अब तक अपनी शक्तियों का प्रयोग बिल्कुल भी मत करना क्योंकि जब भी तुम अपनी शक्तियों का प्रयोग करोगी तो तुम उस पापी के नजर में आ जाओगी जो कि तुम्हारे लिये कही से भी ठीक नही होगा।
सुवर्चा : माँ आप चिंता ना करे मैं ऐसा कुछ भी नही करूँगी जो कि असमान्य हो ।
इधर हम लोग जब नाश्ता करने के लिये आये तो पता चला कि फूफा जी चले गए है उन्हें कुछ जरूरी काम था तो मैं भी शांति से बैठकर नाश्ता करने लगे ।हम सभी लोग बिल्कुल शांत थे कोई भी किसी से बात नही कर रहा था लेकिन इस बीच शांति को भंग करती हुई कोमल बुआ बोली
कोमल बुआ : आर्या आज तुम्हारा पहला दिन है कालेज का तो किसी से कोई लफड़ा मत करना समझे ।
मैं : जी बुआ मैं समझ गया हूं ।
इस सबके बीच मधु चाची कुछ कहना तो चाहती थी लकिन कुछ कहने की हिम्मत नही हो रही थी ।मैं यह बात समझ रहा था लेकिन फिर अनजान बनते हुए नाश्ता किया और चाँदनी के साथ कॉलेज के लिये निकल गया। इधर मेरे जाने के बाद कोमल बुआ और चाची आपस में बाते कर रही थी
कोमल बुआ : देखो मधु मैं कुछ बोलूंगा तो नहीं चाहती हूं लेकिन इतना जरूर कहूंगी कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले तुम्हें एक बार उससे बात तो कर ही नहीं चाहिए।
मधु चाची : दीदी यह बात आप भी जानती हो कि उसकी नजर में मेरी कोई अहमियत नहीं रह गई है जो लड़का बिना मुझसे पूछे कोई काम नहीं करता था आज वाह मुझसे बात करना नहीं चाहता ऐसे में अब मेरा यहां पर रहने का कोई मतलब नहीं है एक फर्ज था जो मैंने पूरा कर दिया एक फर्ज और है जो कि मैं आपको सो चुकी हूं उसके भविष्य के लिए जितना मैं कर सकती थी उतना कर चुकी अब उस कर्ज की बारी है जो कभी अधूरा छूट गया था।
कोमल बुआ : उस कमीने ने अकेले तुम्हारे परिवार को खत्म नही किया ।क्या वह लोग मेरा कुछ भी नही लगते थे फिर तुम ऐसा क्यों कर रही हो ।हम सब मिलकर उसे सजा देंगे।
मधु : नहीं दीदी आपके पीछे परिवार है अगर आपको कुछ हो गया तो बहुतों को दुख और तकलीफ होगी।देखा जाए तो अब मेरा इस दुनिया में ही कौन मैं तो वह मनहूस हु जो कि अपने ससुराल में कदम रखते ही पूरे परिवार के विनाश का कारण बनी और जब से यंहा पर आई कोई ना कोई समस्या लगी ही रही इसलिए अब उचित यही होगा कि मैं अपनी काली छाया को लेकर यंहा से चली जाऊ।
अभी इस बात का बुआ कोई जवाब देती उससे पहले ही पीछे से संजय की आवाज आई
संजय : भाभी आपने यह कैसे सोच लिया कि आप क्यों कोई नहीं है क्या हम लोग आपके परिवार नहीं हैं मैं तो आपको अपनी छोटी बहन समझता था आज आपने यह बोलकर मुझे पराया कर दिया ।
उनकी बात सुनकर मधु चाची बोली
मधु : नहीं जीजा जी ऐसी कोई बात नहीं है मेरे कहने का मतलब यह नहीं था मैं तो यह बोलना चाहती थी कि जो कार्य वर्षो पहले अधूरा रह गया था उसे पूरा कर लूं ।
संजय : तो भाभी उसमे हम सब आपके साथ है आप क्यों अकेले उससे मिलने जाना चाहती है और आपने इतना बड़ा फैशला ले लिया और हमे पता तक नही चला । आपने यह नही सोचा कि आपके बिना हम सब कैसे रहेंगे।

मधु : आप लोग तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे कि मैं बहुत दूर जा रही हूं यहां से कुछ घंटे की दूरी पर ही तो रहूंगी जब भी आप का मरने का मन करेगा मैं फोन कर दीजिएगा मैं आ जाऊंगी और रही बात आपकी बिजनेस तो मैं वहां से भी उसको देखती रहूंगी और आपको जिस भी उठाती मदद चाहिए गा मैं उसके लिए हाजिर रहूंगी।
Nice update bhai
 

Ajay

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उनकी बात को सुनकर फूफा बोले
फूफा : बात यह सब नहीं है बात यह है कि अगर वहां पर कुछ भी हुआ तो वहां पर आपकी सहायता के लिए कोई भी नहीं है ऐसे में वहां पर आपको अकेला भेजना मुझे ठीक नहीं लग रहा है कम से कम आप आर्या को तो इस बारे में बता दीजिए।
बुआ : हा मैं भी तो इसे यही समझा रही हु कि यह ठीक नही है । अगर वह नाराज है तो इसका मतलब यह तो नही है कि उसे इस तरह बिना बताये जाया जाए ।
चाची : दीदी आप को लगता है कि उसे बताने या मेरे जाने का कोई फर्क पड़ेगा ।आपने तो देखा है ना कि वह तो अब मुझसे ज्यादा मतलब नही रखता है और आप तो सुबह उसकी बात को खुद सुनी है उसने मेरे उसके रूम में जाने पर वह जगा होने के बाद भी एक बार मेरी तरफ देखा तक नही।
बुआ उसकी बात सुनकर उसकी तरफ आंखे फाडे देखती रही और फिर कुछ देर बाद बोली

बुआ : a तुम्हें इस बारे में कैसे मालूम है कि वह जगा हुआ था तुम तो उस वक्त में से चली गई थी।
मधु : हां दीदी आप बोल तो ठीक रही है कि उस वक्त मैं वंहा से चली गयी थी लेकिन फिर आपसे कुछ काम था तो आपको बुलाने के लिये मैं वंहा वापस आयी तब ही यह सारी बाते सुनी ।इसके बाद ही मैंने यह निर्णय लिया है क्यूंकि अब जब मैं उसे पसंद नही हु और उसको मुझसे बात करने में दिक्कत होती है तो उससे अच्छा तो यही होगा कि मैं यंहा से चली जाऊ क्यूंकि उसने भले ही मुझे कुछ नही माना हो लेकिन मैंने तो उसे अपना बेटा माना है और अपने बेटे की इच्छा को पूरा ना करू यह कैसे संभव है।
अब जब बुआ को यह पता चला कि चाची को मेरे विचार के मालूम हो गया तो वह कुछ नही बोली ।इसके बाद छोटी चाची कुछ समय के बाद सभी लोगो से विदा लेकर उस शहर की तरफ चल दी जंहा पर उनका बचपन बीता था और शादी के कुछ ही दिनों के बाद वंहा से सब कुछ लूटा कर वह वंहा से भागने पर मजबूर हो गयी और जिसके लिए वह सबसे लड़ कर और कई मुश्किलों का सामना करके भी वह हालात से लड़ती रही लेकिन मेरी बेरुखी ने उन्हें इस कदर तोड़ दिया कि वह खुद को संभाल नही पाई और वंहा से एक अनजान राह पर चल दी जंहा पर उनका सामना किस मुशीबतो से होगा यह वह नही जानती थी और वैसे भी अब उनके पास खोने को तो कुछ भी नही था तो उन्हें डर किस बात का ।
इधर मैं घर से निकला और चाँदनी के साथ कालेज के लिए निकल लिया पर पता नही क्यों आज मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था ।ऐसा लग रहा था कि मानो कोई गलती हो रही है मुझसे पर मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि क्या गलती हुई है।
वही परीलोक में राजगुरु रानीपरी और नागराज तीनो ही बैठे हुए बाते कर रहे थे ।सभी लोग चिंतित दिखाई दे रहे थे तभी रानी परी बोली
रानीपरी : गुरुदेव आपने तो कहा था कि मधु का आर्या के जीवन मे गहरा प्रभाब पड़ेगा लेकिन यंहा तो सब कुछ उसके विपरीत ही हो रहा है ।पहले दोनो के बीच दूरियां पैदा हुई और अब तो वह दोनो एक दूसरे से अलग हो गए है और जिस मनोदशा में वह गयी है मुझे नही लगता है कि वह वापस आने वाली है ।
राजगुरु : महारानी यह तो उसी का सुरवात है या यह बोल सकते है कि आर्या ने जो गलतियां की है उसे उसकी सजा मिलने का समय आ गया है और यही आगे जाकर कई बदलाव लाएगा ।।
नागराज : हम कुछ समझे नही गुरदेव आप किस गलतियां की बात कर रहे है ।
राजगुरु : मैं उन्ही गलतियो की बात कर रहा हु जो वह मधु के साथ करता आ रहा है । उसने उसकी भावनाओं को समझे बिना उसके प्रति दुर्भावना बना लिया और उसी दुर्भावना का नतीजा है जो आज यह परिणाम है । एक तरह से वह उसकी सुरक्षा कवच थी जो कि उसे हर खतरे से बचाती आ रही थी लेकिन उसने अपनी गलतियों से उसे खो दिया है और अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन भी जल्द ही आने वाला है जब वह सुनैना के कब्जे में होगा और हम चाह के भी कुछ नहीं कर पाएंगे ।
इधर इन बीते सालों में ठाकुर विजय ने अपने दुष्कर्मो की सजा पाकर दुनिया छोड़ चुका था । आज उसकी सारी प्रोपर्टी पर विनोद और मालती ने बराबर रूप से बांट लिया था । राणा जी का कोई वारिश कानून की नजर में नही था और ना ही उन लोगो ने कोई वशियत बनवाई थी इसलिये उस सब पर विनोद ने अपना कब्जा कर लिया था ।वह सब भी गांव छोड़ कर शहर में बस गए थे ।समय के साथ सुनैना की मदद से वह हर बुरी चीजो का मालिक था जिससे जल्द से जल्द पैसे कमाए जा सकते है ।दुनिया की नजर में वह एक इज्जतदार आदमी था पर माफिया का सरगना भी था ।एक तरह से सुनैना ने उसे बिना मैजिकल पावर के सारे गलत कामों का बादशाह बना दिया था सारे लोग उसे हर काम का रिपोर्ट देते और वह मारिया को देता था । आज के डेट में पैसे और ताकत के मामले में मधु से कई गुना आगे था ।जिसका सारा श्रेय सिर्फ और सिर्फ सुनैना को जाता था । इस बीच विनोद और ऋतु को दो लडकिया ओर एक लड़का हुआ
लड़की परी
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लड़का हितेश
परी और कनिका दोनो ही जुड़वा ही थी और हितेश सबसे छोटा था लेकिन था वह सबसे बड़ा कमीना ।अपने बाप के पैसे के बल पर वह गलत राह पर चल पड़ा था
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Killerpanditji(pandit)

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इधर मैं अपने कमरे से निकला और हर रोज की तरह चाँदनी के कमरे की तरफ चल दिया । मैं जब उनके रूम में पहुचा तो देखा कि बिस्तर पर बैठि मेरा इंतजार कर रही है तो मैं बोला
मैं: क्या दीदी मैंने आपसे कितनी बार बोला है कि आप मेरे आने का इंतजार नहीं किया करो बल्कि चलकर नाश्ता कर लिया करो लेकिन आपको मेरी बात समझ में नहीं आती है मुझे यह बात समझ में नहीं आती है कि जिस दिन मैं यहां पर नहीं रहूंगा उस दिन आपका क्या होगा।
चाँदनी : आर्या तूअपने दिमाग में तू हमेशा के लिए नोट कर ले पहली बात कि तू मुझे दीदी मत बोला कर और दूसरी बात तू जहां भी जाएगा मैं तेरे साथ रहूंगी तू मुझे अपने आप से अलग नहीं कर सकता है तू ही क्या कोई मुझे तुझसे अलग नहीं कर सकता ।
मैं : अच्छा ठीक है हम इस बारे में बाद में बात करेंगे अभी हम लोगो को नाश्ता करने के लिए चलना चाहिए नही तो आज पहले ही दिन लेट हो जाएंगे।
चाँदनी : बोल तो तू ऐसे रहा है जैसे कि लग रहा है कि मेरी वजह से ही लेट हुआ है तू जानता है ना जब तक तुम नहीं आता है मैं नहीं जाती हूं तो तू आने में लेट क्यों किया।
मैं उनकी बात सुनकर समझ गया कि उनसे बात करके तो जीता नहीं जा सकता इसलिए मैं भी अपनी हार मान लेता हूं नहीं तो यह तब तक बाहर करती रहेंगी जब तक मैं खुद पर इल्जाम नहीं ले लेता हु इसलिए मैं बोला
मैं : अच्छा ठीक है मान लिया कि मेरी गलती है लेकिन कम से कम अब तो चलिए नाश्ता करने के लिए और आज कॉलेज का पहला दिन है तो वहां पर बचाने की जिम्मेदारी आपकी है।
वही दूसरी तरफ सुवर्चा के रानी परी आयी हुई थी और उससे बाते कर रही थी
रानी परी : पुत्री आज तुम पहली बार उससे मिलोगी और अब जल्द ही वह समय निकट आने वाला है जब उसे कई संकटो का सामना करना है और इसके साथ ही उसे उसकी शक्तियों का अनुभूति भी होने वाली है ऐसे समय मे एक तुम ही हो जो उसे संभाल सकती हो।
सुवर्चा : माँ मैं यह बात तो नहीं जानती हूं कि आर्या के साथ क्या होने वाला है लेकिन इतना तो मैं समझ चुकी हूं कि उसके साथ जो कुछ भी होने वाला है वह बहुत ही बुरा है और उस समय उसकी मानसिक स्थिती क्या होगी यह तो मैं नहीं जानती हूं लेकिन मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी कि मैं उसे संभाल सकूं।
रानी परी : उत्तरी एक बात का ध्यान हमेशा रखना जब तक जरूरी ना हो अब तक अपनी शक्तियों का प्रयोग बिल्कुल भी मत करना क्योंकि जब भी तुम अपनी शक्तियों का प्रयोग करोगी तो तुम उस पापी के नजर में आ जाओगी जो कि तुम्हारे लिये कही से भी ठीक नही होगा।
सुवर्चा : माँ आप चिंता ना करे मैं ऐसा कुछ भी नही करूँगी जो कि असमान्य हो ।
इधर हम लोग जब नाश्ता करने के लिये आये तो पता चला कि फूफा जी चले गए है उन्हें कुछ जरूरी काम था तो मैं भी शांति से बैठकर नाश्ता करने लगे ।हम सभी लोग बिल्कुल शांत थे कोई भी किसी से बात नही कर रहा था लेकिन इस बीच शांति को भंग करती हुई कोमल बुआ बोली
कोमल बुआ : आर्या आज तुम्हारा पहला दिन है कालेज का तो किसी से कोई लफड़ा मत करना समझे ।
मैं : जी बुआ मैं समझ गया हूं ।
इस सबके बीच मधु चाची कुछ कहना तो चाहती थी लकिन कुछ कहने की हिम्मत नही हो रही थी ।मैं यह बात समझ रहा था लेकिन फिर अनजान बनते हुए नाश्ता किया और चाँदनी के साथ कॉलेज के लिये निकल गया। इधर मेरे जाने के बाद कोमल बुआ और चाची आपस में बाते कर रही थी
कोमल बुआ : देखो मधु मैं कुछ बोलूंगा तो नहीं चाहती हूं लेकिन इतना जरूर कहूंगी कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले तुम्हें एक बार उससे बात तो कर ही नहीं चाहिए।
मधु चाची : दीदी यह बात आप भी जानती हो कि उसकी नजर में मेरी कोई अहमियत नहीं रह गई है जो लड़का बिना मुझसे पूछे कोई काम नहीं करता था आज वाह मुझसे बात करना नहीं चाहता ऐसे में अब मेरा यहां पर रहने का कोई मतलब नहीं है एक फर्ज था जो मैंने पूरा कर दिया एक फर्ज और है जो कि मैं आपको सो चुकी हूं उसके भविष्य के लिए जितना मैं कर सकती थी उतना कर चुकी अब उस कर्ज की बारी है जो कभी अधूरा छूट गया था।
कोमल बुआ : उस कमीने ने अकेले तुम्हारे परिवार को खत्म नही किया ।क्या वह लोग मेरा कुछ भी नही लगते थे फिर तुम ऐसा क्यों कर रही हो ।हम सब मिलकर उसे सजा देंगे।
मधु : नहीं दीदी आपके पीछे परिवार है अगर आपको कुछ हो गया तो बहुतों को दुख और तकलीफ होगी।देखा जाए तो अब मेरा इस दुनिया में ही कौन मैं तो वह मनहूस हु जो कि अपने ससुराल में कदम रखते ही पूरे परिवार के विनाश का कारण बनी और जब से यंहा पर आई कोई ना कोई समस्या लगी ही रही इसलिए अब उचित यही होगा कि मैं अपनी काली छाया को लेकर यंहा से चली जाऊ।
अभी इस बात का बुआ कोई जवाब देती उससे पहले ही पीछे से संजय की आवाज आई
संजय : भाभी आपने यह कैसे सोच लिया कि आप क्यों कोई नहीं है क्या हम लोग आपके परिवार नहीं हैं मैं तो आपको अपनी छोटी बहन समझता था आज आपने यह बोलकर मुझे पराया कर दिया ।
उनकी बात सुनकर मधु चाची बोली
मधु : नहीं जीजा जी ऐसी कोई बात नहीं है मेरे कहने का मतलब यह नहीं था मैं तो यह बोलना चाहती थी कि जो कार्य वर्षो पहले अधूरा रह गया था उसे पूरा कर लूं ।
संजय : तो भाभी उसमे हम सब आपके साथ है आप क्यों अकेले उससे मिलने जाना चाहती है और आपने इतना बड़ा फैशला ले लिया और हमे पता तक नही चला । आपने यह नही सोचा कि आपके बिना हम सब कैसे रहेंगे।

मधु : आप लोग तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे कि मैं बहुत दूर जा रही हूं यहां से कुछ घंटे की दूरी पर ही तो रहूंगी जब भी आप का मरने का मन करेगा मैं फोन कर दीजिएगा मैं आ जाऊंगी और रही बात आपकी बिजनेस तो मैं वहां से भी उसको देखती रहूंगी और आपको जिस भी उठाती मदद चाहिए गा मैं उसके लिए हाजिर रहूंगी।
Mast update bro
 
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