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Incest आवारे सांड और चुदक्कड़ घोड़ियां

आवारा

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@baba_ji,kaam nahi karoge to Thullu hi milega haatho main.
In this busy and Economic world,if barter system was available,it would have been updates for other necessities.
Just do proper justice for your Professional And Personal life.
And some for all of us here
Thanks for understanding me 😌 brother
 

Ek number

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अपडेट ११

कुछ देर बाद मैं नहाकर तैयार हो गया, ताईजी अपने कमरे से साड़ी पहन रही थी लेकिन भीमा भईया और शीला भाभी घर में नही थे मैने सोचा पीहू दीदी से पूछता हूं और फिर मैं पीहू दीदी के कमरे में आ गया तो मैंने देखा कि पीहू दीदी फोन पर किसी से बात कर रही थी।

"क्या हुआ यहां किसलिए आया है तू?" पीहू दीदी मुझे देखते ही अपना फोन बंद करके बोली

"क्या बात है पीहू दीदी, किससे बात कर रही थी और मुझे देखते ही फोन क्यों रख दिया"

"मैं किसी से भी बात करूं तुझसे क्या मतलब?" पीहू दीदी गुस्से में बोली

"मैं अभी लड़ने के मूड में नहीं हूं, और आपको मैं बहुत दिन से नोटिस कर रहा हूं मुझे सब पता है।"

मैने तो बस अंधेरे में तीर चलाया था, अब मुझे देखना था कि तीर निशाने पर लगता है या नहीं।

"क्या पता है?" पीहू दीदी हिचकिचाती हुई बोली

"ताईजी को बता दूं कि आप उनके पीठ पीछे क्या कर रही हो"

"क्या कर रही हूं, मैंने कुछ नहीं किया है" पीहू दीदी घबराती हुई बोली

"मुझे सब पता चल गया है"

"क्या पता चल गया है तुझे?"

"अब ताईजी से बात करना, मैं ताईजी को सब कुछ बता दूंगा"

"बलराम प्लीज मां को कुछ मत बताना नहीं तो"

और अंधेरे में चलाया हुआ तीर निशाने पर लग गया,,,,

"नहीं तो क्या, मैं तो सब कुछ बात दूंगा" मैं गरज कर बोला

"प्लीज मेरे प्यारे भाई मां को मेरे और सूरज के बारे में कुछ मत बताना नहीं तो मां मेरी बहुत पिटाई करेगी और मुझे घर से खदेड़कर निकाल देगी।

"तो उसका नाम सूरज है"

"मतलब?"

"अरे मेरी भोली पीहू दीदी मैं मजाक कर रहा था, मुझे तो कुछ पता नहीं था बस थोड़ा बहुत आप पर शक था, अब बताओ ये सूरज कौन है?"

"सांड, तू बहुत बड़ा कमिना है"

"हिहिहिह ठीक है, बताओ कौन है ये सूरज ? नहीं तो अब मैं सच में ताईजी को बता दूंगा"

"सूरज गांव के प्रधान का बेटा है।"

"सूरज के साथ आपका चक्कर कबसे चल रहा है?"

"मेरे प्यारे भाई मैं तुझे सब कुछ बताऊंगी लेकिन तू मुझसे वादा कर कि इस बारे में तू मां को कुछ नहीं कहेगा।"

"हां लेकिन मुझसे कुछ भी छुपाने की कोशिश की तो ताईजी को बता दूंगा कि प्रधान के बेटे के साथ आपका चक्कर चल रहा है"

"ठीक है मैं तुझसे कुछ नहीं छुपाऊंगी लेकिन तू भी मुझसे किया हुआ वादा नहीं तोड़ेगा"

"मेरी प्यारी पीहू दीदी मैं ईमान का पक्का हूं, आप चिंता मत कीजिए, वैसे भईया भाभी घूमने के लिए गए हैं क्या?"

"भईया भाभी सिनेमा घर गए हैं, उन्होंने कहा था कि लालू के ढाबे पर मिलेंगे।" कहकर पीहू दीदी घर के पिछवाड़े में चली जाती हैं।

फिर मैं आंगन में आकर चारपाई पर बैठ जाता हूं, तभी ताईजी साड़ी पहन कर अपने कमरे से बाहर आती हैं उन्होंने मॉडर्न स्टाइल की हरे रंग की साड़ी और ब्लाउज पहनी हुई थी साड़ी थोड़ी पारदर्शी थी जिसके कारण उनका उभारदार पेट दिखाई पड़ रहा था उफ्फ ताईजी की गहरी नाभी देख के मेरा दिल किया कि अभी चूम लूं ऐसा लग रहा था कि स्वयं कामदेवी की कोई अवतार मेरे आंखों के सामने प्रकट हो गई है।
Nice update
 

A.A.G.

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अपडेट ११

कुछ देर बाद मैं नहाकर तैयार हो गया, ताईजी अपने कमरे से साड़ी पहन रही थी लेकिन भीमा भईया और शीला भाभी घर में नही थे मैने सोचा पीहू दीदी से पूछता हूं और फिर मैं पीहू दीदी के कमरे में आ गया तो मैंने देखा कि पीहू दीदी फोन पर किसी से बात कर रही थी।

"क्या हुआ यहां किसलिए आया है तू?" पीहू दीदी मुझे देखते ही अपना फोन बंद करके बोली

"क्या बात है पीहू दीदी, किससे बात कर रही थी और मुझे देखते ही फोन क्यों रख दिया"

"मैं किसी से भी बात करूं तुझसे क्या मतलब?" पीहू दीदी गुस्से में बोली

"मैं अभी लड़ने के मूड में नहीं हूं, और आपको मैं बहुत दिन से नोटिस कर रहा हूं मुझे सब पता है।"

मैने तो बस अंधेरे में तीर चलाया था, अब मुझे देखना था कि तीर निशाने पर लगता है या नहीं।

"क्या पता है?" पीहू दीदी हिचकिचाती हुई बोली

"ताईजी को बता दूं कि आप उनके पीठ पीछे क्या कर रही हो"

"क्या कर रही हूं, मैंने कुछ नहीं किया है" पीहू दीदी घबराती हुई बोली

"मुझे सब पता चल गया है"

"क्या पता चल गया है तुझे?"

"अब ताईजी से बात करना, मैं ताईजी को सब कुछ बता दूंगा"

"बलराम प्लीज मां को कुछ मत बताना नहीं तो"

और अंधेरे में चलाया हुआ तीर निशाने पर लग गया,,,,

"नहीं तो क्या, मैं तो सब कुछ बात दूंगा" मैं गरज कर बोला

"प्लीज मेरे प्यारे भाई मां को मेरे और सूरज के बारे में कुछ मत बताना नहीं तो मां मेरी बहुत पिटाई करेगी और मुझे घर से खदेड़कर निकाल देगी।

"तो उसका नाम सूरज है"

"मतलब?"

"अरे मेरी भोली पीहू दीदी मैं मजाक कर रहा था, मुझे तो कुछ पता नहीं था बस थोड़ा बहुत आप पर शक था, अब बताओ ये सूरज कौन है?"

"सांड, तू बहुत बड़ा कमिना है"

"हिहिहिह ठीक है, बताओ कौन है ये सूरज ? नहीं तो अब मैं सच में ताईजी को बता दूंगा"

"सूरज गांव के प्रधान का बेटा है।"

"सूरज के साथ आपका चक्कर कबसे चल रहा है?"

"मेरे प्यारे भाई मैं तुझे सब कुछ बताऊंगी लेकिन तू मुझसे वादा कर कि इस बारे में तू मां को कुछ नहीं कहेगा।"

"हां लेकिन मुझसे कुछ भी छुपाने की कोशिश की तो ताईजी को बता दूंगा कि प्रधान के बेटे के साथ आपका चक्कर चल रहा है"

"ठीक है मैं तुझसे कुछ नहीं छुपाऊंगी लेकिन तू भी मुझसे किया हुआ वादा नहीं तोड़ेगा"

"मेरी प्यारी पीहू दीदी मैं ईमान का पक्का हूं, आप चिंता मत कीजिए, वैसे भईया भाभी घूमने के लिए गए हैं क्या?"

"भईया भाभी सिनेमा घर गए हैं, उन्होंने कहा था कि लालू के ढाबे पर मिलेंगे।" कहकर पीहू दीदी घर के पिछवाड़े में चली जाती हैं।

फिर मैं आंगन में आकर चारपाई पर बैठ जाता हूं, तभी ताईजी साड़ी पहन कर अपने कमरे से बाहर आती हैं उन्होंने मॉडर्न स्टाइल की हरे रंग की साड़ी और ब्लाउज पहनी हुई थी साड़ी थोड़ी पारदर्शी थी जिसके कारण उनका उभारदार पेट दिखाई पड़ रहा था उफ्फ ताईजी की गहरी नाभी देख के मेरा दिल किया कि अभी चूम लूं ऐसा लग रहा था कि स्वयं कामदेवी की कोई अवतार मेरे आंखों के सामने प्रकट हो गई है।
nice update..!!
balram ne andhere me tir chalaya aur nishane pe bhi lag gaya..ab dekhte hai pihu kya kya batati hai balram ko..muze toh lagta hai yeh suraj pihu ko fasa raha hai..balram ko apni pihu didi ko bachana chahiye uss harami ladke se..tab pihu apne aap pat jayegi balram ko..!! aur ab tayi pe bhi kaam suru karna hoga balram ko nahi toh yeh randi ki tarah duniya bhar se chudati rahegi..!!
 

nickname123

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अपडेट ११

कुछ देर बाद मैं नहाकर तैयार हो गया, ताईजी अपने कमरे से साड़ी पहन रही थी लेकिन भीमा भईया और शीला भाभी घर में नही थे मैने सोचा पीहू दीदी से पूछता हूं और फिर मैं पीहू दीदी के कमरे में आ गया तो मैंने देखा कि पीहू दीदी फोन पर किसी से बात कर रही थी।

"क्या हुआ यहां किसलिए आया है तू?" पीहू दीदी मुझे देखते ही अपना फोन बंद करके बोली

"क्या बात है पीहू दीदी, किससे बात कर रही थी और मुझे देखते ही फोन क्यों रख दिया"

"मैं किसी से भी बात करूं तुझसे क्या मतलब?" पीहू दीदी गुस्से में बोली

"मैं अभी लड़ने के मूड में नहीं हूं, और आपको मैं बहुत दिन से नोटिस कर रहा हूं मुझे सब पता है।"

मैने तो बस अंधेरे में तीर चलाया था, अब मुझे देखना था कि तीर निशाने पर लगता है या नहीं।

"क्या पता है?" पीहू दीदी हिचकिचाती हुई बोली

"ताईजी को बता दूं कि आप उनके पीठ पीछे क्या कर रही हो"

"क्या कर रही हूं, मैंने कुछ नहीं किया है" पीहू दीदी घबराती हुई बोली

"मुझे सब पता चल गया है"

"क्या पता चल गया है तुझे?"

"अब ताईजी से बात करना, मैं ताईजी को सब कुछ बता दूंगा"

"बलराम प्लीज मां को कुछ मत बताना नहीं तो"

और अंधेरे में चलाया हुआ तीर निशाने पर लग गया,,,,

"नहीं तो क्या, मैं तो सब कुछ बात दूंगा" मैं गरज कर बोला

"प्लीज मेरे प्यारे भाई मां को मेरे और सूरज के बारे में कुछ मत बताना नहीं तो मां मेरी बहुत पिटाई करेगी और मुझे घर से खदेड़कर निकाल देगी।

"तो उसका नाम सूरज है"

"मतलब?"

"अरे मेरी भोली पीहू दीदी मैं मजाक कर रहा था, मुझे तो कुछ पता नहीं था बस थोड़ा बहुत आप पर शक था, अब बताओ ये सूरज कौन है?"

"सांड, तू बहुत बड़ा कमिना है"

"हिहिहिह ठीक है, बताओ कौन है ये सूरज ? नहीं तो अब मैं सच में ताईजी को बता दूंगा"

"सूरज गांव के प्रधान का बेटा है।"

"सूरज के साथ आपका चक्कर कबसे चल रहा है?"

"मेरे प्यारे भाई मैं तुझे सब कुछ बताऊंगी लेकिन तू मुझसे वादा कर कि इस बारे में तू मां को कुछ नहीं कहेगा।"

"हां लेकिन मुझसे कुछ भी छुपाने की कोशिश की तो ताईजी को बता दूंगा कि प्रधान के बेटे के साथ आपका चक्कर चल रहा है"

"ठीक है मैं तुझसे कुछ नहीं छुपाऊंगी लेकिन तू भी मुझसे किया हुआ वादा नहीं तोड़ेगा"

"मेरी प्यारी पीहू दीदी मैं ईमान का पक्का हूं, आप चिंता मत कीजिए, वैसे भईया भाभी घूमने के लिए गए हैं क्या?"

"भईया भाभी सिनेमा घर गए हैं, उन्होंने कहा था कि लालू के ढाबे पर मिलेंगे।" कहकर पीहू दीदी घर के पिछवाड़े में चली जाती हैं।

फिर मैं आंगन में आकर चारपाई पर बैठ जाता हूं, तभी ताईजी साड़ी पहन कर अपने कमरे से बाहर आती हैं उन्होंने मॉडर्न स्टाइल की हरे रंग की साड़ी और ब्लाउज पहनी हुई थी साड़ी थोड़ी पारदर्शी थी जिसके कारण उनका उभारदार पेट दिखाई पड़ रहा था उफ्फ ताईजी की गहरी नाभी देख के मेरा दिल किया कि अभी चूम लूं ऐसा लग रहा था कि स्वयं कामदेवी की कोई अवतार मेरे आंखों के सामने प्रकट हो गई है।
mast update. keep up the good work
 

आवारा

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अपडेट १२

"ऐसे क्या देख रहा है लल्ला?" ताईजी मुझे घूरते हुए देख कर बोली

मैं ताईजी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए "ताईजी आज कहर ढहाने का इरादा है क्या?"

"चल झूठे, इस बूढ़ी घोड़ी में क्या रखा है तुझे तो जवान और मस्तानी घोड़ियां पसंद होंगी" ताईजी ने मुझे ताना सा मारा और घर के बाहर चली गई

थोड़ी देर बाद पीहू दीदी भी घर के पिछवाड़े से निकलकर बाहर आ गई और फिर ताईजी ने घर के फाटक पर ताला मारा और चाबी के झल्ले को कमर में ठूंस लिया। पीहू दीदी थोड़ा आगे चली गई थी और मैं ताईजी के साथ पीछे पीछे चल रहा था, सड़क पर बहुत कीचड़ हो रहा था शायद किसी के खेत का पानी सड़क पर आ गया था।

"ताईजी सड़क पर बहुत कीचड़ है आप मेरा हाथ पकड़ कर चलिए" कहकर मैंने तपाक से ताइजी का हाथ पकड़ लिया

"लल्ला कोई देखेगा तो क्या कहेगा रे" ताईजी झल्लाती हुई बोली

"जो कहेगा सो कहे मगर आप कीचड़ में फिसल कर गिर गई तो कोई न कोई हंसेगा जरूर"

"हां लल्ला और फिर साड़ी भी तो गंदी हो जाएगी" कहकर ताईजी ने मेरे हाथ को अपने हाथ में जकड़ कर पकड़ लिया।

ताइजी की नरम और गुदाज चूचियां मेरे बाजुओं से रगड़ रहे थे मुझे बहुत मजा आने लगा था इसलिए मैं जानबूझकर अपने बाजुओं को ताईजी की चूचियों पर गड़ा रहा था, फिर ऐसे ही थोड़ी देर बाद हम लालू के ढाबे पर पहुंच गए।

लालू का ढाबा बाजार से थोड़ा पास पड़ता था और गांव के लोग यहां खाने पीने के लिए आते थे, कोई बहुत शानदार ढाबा तो नहीं था लेकिन गांव के लोगों के लिए यह ढाबा किसी ५ स्टार होटल के कम भी नहीं था, मैं पीहू दीदी और ताईजी जगह देखकर कुर्सियों पर बैठ गए और भीमा भईया और शीला भाभी का इंतजार करने लगे।

"खाना क्या ऑर्डर करना है ताईजी"

"लल्ला मेरे लिए पुलाव और कढ़ी पकौड़े ऑर्डर कर देना।"

"और मेरे लिए चाउमीन और मंचूरियन" पीहू दीदी बोली

"मैं तो रूमाली रोटी के साथ पनीर खाऊंगा"

"क्या ऑर्डर किया जा रहा है देवर जी" शीला भाभी पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखते हुई बोली

"अरे आप दोनों भी आ गए" मैं पलटकर भईया और भाभी को देखते हुए बोला

फिर भीमा भईया और भाभी अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठ गए।

"आपको क्या खाना है जो आप खाओगे मैं भी वही खाऊंगी" शीला भाभी भीमा भईया से बोली

"शीला मुझे तो आज बटर चिकन खाना है" भीमा भईया ताईजी की तरफ देखते हुए थोड़ा हिचकिचाते हुए बोले

ताईजी कुछ बोली नहीं पर उनकी खामोशी ने भीमा भईया को मंजूरी दे दी थी।

"आओ देवर जी खाना ऑर्डर करने चलते हैं।"

मैं उठकर शीला भाभी के साथ चल दिया, उन्होंने आज लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और श्रृंगार भी किया हुआ था आंखों में काजल, माथे पर बिंदी, होंठों पर लिपस्टिक और कलाइयों में चूड़ियां देखने में संस्कारी ग्रहणी लग रही थी। ताईजी की तुलना में शीला भाभी का जिस्म ढका हुआ था लेकिन फिर भी किसी भी मर्द को आकर्षित करने के लिए काफी था और मैंने नोटिस किया कि आस पास के लोग भाभी को हवस की नजर से घूर रहे थे।

"देवर जी कहां खोए हो क्या सोच रहे हो?"

"कुछ नहीं"

"देवर जी मैं तो आपको बड़ा भोला समझती थी मुझे पता नहीं था कि आप इतने शैतान हो"

"मैंने क्या किया भाभी?"

"ये पूछो क्या नहीं किया, ऐसी फिल्म की टिकट कौन खरीदता है फिल्म का नाम क्या था "पेटीकोट में धमाका" हिहिहिही"

"अरे भाभी गांव के सिनेमा घर में ऐसी ही फिल्म लगती है, आपको फिल्म पसंद नही आई तो अगली बार से आपके लिए ऐसी किसी भी फिल्म की टिकट नहीं लूंगा"

"मैंने ऐसा तो नहीं कहा कि फिल्म अच्छी नहीं थी"

"मतलब फिल्म आपको पसंद आई और भीमा भईया को?

"तुम्हारे भईया का तो मूड बन गया था देवर जी हिहिहिही" कहकर शीला भाभी बटर चिकन का ऑर्डर देने चली गई और मैं शाकाहारी भोजन का ऑर्डर देकर पीहू दीदी के लिए चाइनीज खाना ऑर्डर कर आया।

कुछ देर बाद खाना आ गया और फिर सभी ने जमकर खाना पेला और उसके बाद एक एक ग्लास ठंडी लस्सी का लुफ्त उठाया, मैंने और ताईजी ने तो एक एक ग्लास लस्सी और पिया, फिर भीमा भईया पैसे पे करके आ गए, अब चूंकि ताईजी और मैंने बहुत ज्यादा खाना ठूंस लिया था तो ताईजी ने कहा कि हम टेम्पो से आएंगे और घर की चाबी का झल्ला शीला भाभी को थमा दिया, फिर भीमा भईया, शीला भाभी और पीहू दीदी घर के लिए निकल गए और हम लालू के ढाबे के बाहर टेम्पो का इंतजार करने लगे।

रात के १० बज रहे थे मुझे तो नही लग रहा था कि इस वक्त टेम्पो मिलेगा लेकिन काफी देर के बाद एक जीप रुकती है मैंने देखा कि ड्राइविंग सीट पर हरिया बैठा था और पीछे कोई गट्टा आदमी एक लंबी चौड़ी औरत के साथ बैठा था जो सोने की ज्वैलरी से लदी हुई थी

"नमस्ते कजरी बहन, आओ तुम्हे और इस बच्चे को तुम्हारे घर छोड़ देता हूं"

"नहीं प्रधान जी आप क्यों कष्ट कर रहे हैं हम चले जाएंगे"

तो ये मादरचोद साला बाऊना यहां का प्रधान है

"अरे कजरी बहन कहां देर रात को इस बच्चे के साथ अकेली जाओगी, वैसे भी गांव में चोर डकैत घूम रहे हैं तुम्हारे साथ कुछ ऊंच नीच हो गई तो"

साला मुश्किल से चार फुट का होगा और मुझे बच्चा बोल रहा था।

"लल्ला आगे बैठ जाओ मैं पीछे बैठ जाती हूं" कहकर ताईजी पीछे बैठ गई और मैं आगे बैठ गया।

हरिया ने गाड़ी चालू किया, तभी मुझे पीछे से हल्की हल्की आवाज आना शुरू हुई, लेकिन मैने थोड़ा सा भी हरकत नहीं किया और फिर तभी मैंने चुपके से नजरें घुमाकर पीछे देखा तो दंग रह गया, साला प्रधान मेरी ताईजी के गुदाज पेट पर अपने हाथ फेर रहा था, प्रधान की पत्नी कमला खिड़की से बाहर देख रही थी जैसे उसे कोई होश ही नहीं था या जान कर अंजान बनने का नाटक कर रही थी, ताईजी के उभारदार पेट पर हाथ फेरते हुए प्रधान ने ताईजी के साड़ी का पल्लू सरका दिया और ताईजी की मोटी मोटी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा, ताईजी विरोध तक नहीं कर रही थी इससे ज्यादा हैरानी मुझे इस बात की थी कि प्रधान की पत्नी कमला को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। रात के अंधेरे में मुझे कुछ नजर तो नही आ रहा था लेकिन चांद की रोशनी हल्की हल्की जीप के अंदर आ रही थी जिससे मुझे धुंधला सा दिखाई पड़ रहा था कि पीछे क्या खेल चालू है और फिर कुछ देर बाद घर आ जाता है और मैं गाड़ी से उतर जाता हूं।

"धन्यवाद प्रधान जी" कहकर ताईजी अपनी साड़ी ठीक करते हुए गाड़ी से उतर गई

प्रधान अपने चेहरे पर बेहद घिनौनी मुस्कुराहट के साथ "कजरी बहन हवेली पर भी आती जाती रहना"

"जी प्रधान जी"

फिर प्रधान की जीप चली जाती है, मुझे अब ऐसे दर्शाना था जैसे मैंने जीप में कुछ देखा ही नहीं था।

"प्रधान जी तो बहुत अच्छे हैं ताईजी, उन्होंने हमें घर तक छोड़ दिया" मैं किसी नादान बच्चे की तरह बोला

"लल्ला, प्रधान और उसकी हवेली से दूर ही रहना, कभी–कभी जो जैसा दिखता है वैसा होता नही है।" कहकर ताईजी घर में चली गई और फिर मैं भी अपने कमरे में आ गया।

मुझे आज थोड़ा आगे बढ़ना था इसलिए मैंने सोचा कि आज रात ताईजी के साथ सोने का प्लान बनाता हूं और फिर मुझे एक आइडिया आया तो मैं धोती और बनियान पहनकर ताईजी के कमरे में पहुंच गया, ताईजी साड़ी में अपने बिस्तर पर बैठी हुई किसी सोच ने डूबी हुई थी।

"क्या हुआ लल्ला कुछ चाहिए क्या?"

"नहीं ताईजी कुछ चाहिए तो नहीं था"

"तो फिर किसलिए आए हो लल्ला?"

"ताईजी कल रात मुझे बहुत डरावना सपना आया था और फिर सारी रात मुझे ठीक से नींद भी नहीं आई इसलिए क्या मैं कुछ दिन के लिए आप के साथ सो सकता हूं"

"हां क्यों नही लल्ला लेकिन ऐसे डरेगा तो कैसे काम चलेगा"

फिर मै ताईजी के बिस्तर पर लेट गया और ताईजी भी साड़ी पहने लेट गई।

"ताईजी इतनी गर्मी में साड़ी पहन कर कैसे सो रही हो?"

"अरे नही लल्ला मैं तो पेटीकोट और ब्लाउज में ही सोती हूं लेकिन अभी तू है इसलिए" कहकर ताईजी चुप हो गई

"ताईजी मैं कोई पराया थोड़ी न हूं, पेटीकोट और ब्लाउज में ही सोइए नही तो नींद नहीं आएगी"

"तू तो मेरा लल्ला है मेरे जिगर का टुकड़ा है रे, चल मैं अभी आती हूं" कहकर ताईजी बिस्तर से उठकर घर के पिछवाड़े में चली गई
 
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