Office and Stressful life
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Take care of yourself and your family
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Nice update![]()
shandaar update..!!
aakhirkar tayi chud hi gayi balram se..lekin puri chudayi me dono me se koi bhi kuchh nahi bola bas chudayi karte rahe..balram ki pehli chudayi apni tayi ki sath ho hi gayi..ab dekhte hai agle din dono ka kya reaction hoga..kaise dono ek dusre se milte hai aur kyaa baate hoti hai..waise agar tayi ne kuchh natak kiya toh balram kalu aur hariya ka topic chhed sakta hai..ab tayi ka dil jitne ka mouka hai balram ke paas..fir woh sare raaj jan jayega tayi ke..!!
waiting for next update..!!
MAST UPDATE.
Excellent
बहुत ही कामों का अपडेट
आखिर हीरो ने शुरुआत कर दी
Update postedBalram ne ek killa fateh kar liya ab to line lagegi. agli bari Shila ki hogi aisa lagta hai. Rochak aur Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
अपडेट १०
शाम को फोन बजने की वजह से मेरी नींद 6 बजे खुली, मैंने देखा कि फोन में राज के 2 मिस्ड कॉल पड़े हैं तभी मुझे याद आता है कि आज शाम को राज ने मुझे नदी के पुल पर आने के लिए कहा था और कुछ देर बाद मैं साइकिल से नदी के पुल पर पहुंच गया, राज बड़ा गुमसुम सा पुल पर बैठा था और नदी में पत्थर फेंक रहा था।
"कहां रह गया था तू, मैं 5 बजे से यहां तेरा इंतजार कर रहा हूं" राज झल्लाते हुए बोला
"गुस्सा क्यों कर रहा है साले, तुझे तो पता है ना कि आज घर में पूजा थी, मैं थक गया था और अभी सो के उठा हूं"
"कोई बात नहीं भाई, चल अब काम की बात कर लेते हैं"
"हां लेकिन राज एक बार फिर से सोच ले तू, मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा कि तू अपनी ही सगी मां को चोदना चाहता है"
"भाई मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं और तुझे सब कुछ तो बता चुका ही हूं लेकिन मेरी एक मजबूरी भी है"
"कौन–सी मजबूरी?"
"तुझे ये तो पता है कि मेरा बापू कर्जे ने डूबा हुआ है लेकिन तू नहीं जानता कि जिन्होंने बापू को कर्जा दिया है उन लोगों की गंदी नजर अब मेरी मां पर है, अगर बापू का कर्जा चुकाने के लिए मां किसी के बातों में आ गई तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा इसलिए मैं अपनी मां की जिम्मेदारी उठाना चाहता है, भाई, मैं तो बहुत कोशिश कर चुका हूं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि उल्टा मुझे नुकसान ही हुआ है मैं जितना मां के करीब आने की कोशिश करता हूं मां उतना ही मुझसे दूर जाने की कोशिश करती है इसलिए मैं चाहता हूं की अब तू कोशिश कर मेरी मां के करीब आने की और इसके लिए मेरे पास एक प्लान है
"कौन–सा प्लान?"
फिर राज मुझे अपना प्लान सुनाता है।
"लेकिन तुझे यकीन है कि ये प्लान काम करेगा।"
"भाई तुझे थोड़ा बहुत जोखिम तो उठाना पड़ेगा और इसके अलावा और कोई चारा भी तो नहीं है"
"मुझे भी लगता है कि मुझे थोड़ी बहुत कोशिश करके जोखिम उठा लेना चाहिए"
"ठीक है तू कोशिश करके देख ले, अगर तू कामयाब हो गया तो मैं भी इमोशनल ब्लैकमेल करके मां को पटा लूंगा"
फिर ऐसे ही कुछ देर हम इधर उधर की बातें करते हैं और थोड़ी देर के बाद मैं साइकिल से घर पहुंच जाता हूं।
आज हम खाने के लिए बाहर जाने वाले थे पीहू दीदी तैयार हो गई थी और आंगन में घूम घूमकर फोन पर किसी से बातें कर रही थी उन्होंने गुलाबी रंग की सलवार कमीज पहनी हुई थी, आज पहली बार मेरी नजर जैसे पीहू दीदी पर एकटक जम गई थी उनकी कमीज गहरे गले वाली थी जिसमें से उनकी बड़ी बड़ी चूचियों की गहरी दरार बाहर झांक रही थी और उनकी गोरी गोरी पीठ लगभग नंगी ही थी और उनकी सलवार बहुत टाइट थी जिसमें से उनके मोटे मोटे कूल्हे ऐसे मटक रहे थे जैसे किसी गाने की धुन पर थिरक रहे हों। पीहू दीदी फोन पर किसी से बहुत धीरे धीरे बात करते हुए मुस्कुरा रही थी फिर जैसे ही उन्होंने मुझे देखा तो अपने कमरे में चली गई।
Ye Jnab to apna dimag bhi acche se lgane lge pihu se Uski bate ugalva li sarpanch ke launde suraj se set hai ye bhi pihu ke muh se sun liya, vhi dost ke kahne pr uske plan me samil ho uski ma ko ptane ka plan bnaya hai dekhte hai kya hota hai aage superb update bhai sandar jabarjastअपडेट ११
कुछ देर बाद मैं नहाकर तैयार हो गया, ताईजी अपने कमरे से साड़ी पहन रही थी लेकिन भीमा भईया और शीला भाभी घर में नही थे मैने सोचा पीहू दीदी से पूछता हूं और फिर मैं पीहू दीदी के कमरे में आ गया तो मैंने देखा कि पीहू दीदी फोन पर किसी से बात कर रही थी।
"क्या हुआ यहां किसलिए आया है तू?" पीहू दीदी मुझे देखते ही अपना फोन बंद करके बोली
"क्या बात है पीहू दीदी, किससे बात कर रही थी और मुझे देखते ही फोन क्यों रख दिया"
"मैं किसी से भी बात करूं तुझसे क्या मतलब?" पीहू दीदी गुस्से में बोली
"मैं अभी लड़ने के मूड में नहीं हूं, और आपको मैं बहुत दिन से नोटिस कर रहा हूं मुझे सब पता है।"
मैने तो बस अंधेरे में तीर चलाया था, अब मुझे देखना था कि तीर निशाने पर लगता है या नहीं।
"क्या पता है?" पीहू दीदी हिचकिचाती हुई बोली
"ताईजी को बता दूं कि आप उनके पीठ पीछे क्या कर रही हो"
"क्या कर रही हूं, मैंने कुछ नहीं किया है" पीहू दीदी घबराती हुई बोली
"मुझे सब पता चल गया है"
"क्या पता चल गया है तुझे?"
"अब ताईजी से बात करना, मैं ताईजी को सब कुछ बता दूंगा"
"बलराम प्लीज मां को कुछ मत बताना नहीं तो"
और अंधेरे में चलाया हुआ तीर निशाने पर लग गया,,,,
"नहीं तो क्या, मैं तो सब कुछ बात दूंगा" मैं गरज कर बोला
"प्लीज मेरे प्यारे भाई मां को मेरे और सूरज के बारे में कुछ मत बताना नहीं तो मां मेरी बहुत पिटाई करेगी और मुझे घर से खदेड़कर निकाल देगी।
"तो उसका नाम सूरज है"
"मतलब?"
"अरे मेरी भोली पीहू दीदी मैं मजाक कर रहा था, मुझे तो कुछ पता नहीं था बस थोड़ा बहुत आप पर शक था, अब बताओ ये सूरज कौन है?"
"सांड, तू बहुत बड़ा कमिना है"
"हिहिहिह ठीक है, बताओ कौन है ये सूरज ? नहीं तो अब मैं सच में ताईजी को बता दूंगा"
"सूरज गांव के प्रधान का बेटा है।"
"सूरज के साथ आपका चक्कर कबसे चल रहा है?"
"मेरे प्यारे भाई मैं तुझे सब कुछ बताऊंगी लेकिन तू मुझसे वादा कर कि इस बारे में तू मां को कुछ नहीं कहेगा।"
"हां लेकिन मुझसे कुछ भी छुपाने की कोशिश की तो ताईजी को बता दूंगा कि प्रधान के बेटे के साथ आपका चक्कर चल रहा है"
"ठीक है मैं तुझसे कुछ नहीं छुपाऊंगी लेकिन तू भी मुझसे किया हुआ वादा नहीं तोड़ेगा"
"मेरी प्यारी पीहू दीदी मैं ईमान का पक्का हूं, आप चिंता मत कीजिए, वैसे भईया भाभी घूमने के लिए गए हैं क्या?"
"भईया भाभी सिनेमा घर गए हैं, उन्होंने कहा था कि लालू के ढाबे पर मिलेंगे।" कहकर पीहू दीदी घर के पिछवाड़े में चली जाती हैं।
फिर मैं आंगन में आकर चारपाई पर बैठ जाता हूं, तभी ताईजी साड़ी पहन कर अपने कमरे से बाहर आती हैं उन्होंने मॉडर्न स्टाइल की हरे रंग की साड़ी और ब्लाउज पहनी हुई थी साड़ी थोड़ी पारदर्शी थी जिसके कारण उनका उभारदार पेट दिखाई पड़ रहा था उफ्फ ताईजी की गहरी नाभी देख के मेरा दिल किया कि अभी चूम लूं ऐसा लग रहा था कि स्वयं कामदेवी की कोई अवतार मेरे आंखों के सामने प्रकट हो गई है।
Ye pradhan ki Bivi ko bhi pta kr chodega Tai ka lalla sala tharki budha majboori ka fayda utha rha tha... Sandar update bhai jabarjastअपडेट १२
"ऐसे क्या देख रहा है लल्ला?" ताईजी मुझे घूरते हुए देख कर बोली
मैं ताईजी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए "ताईजी आज कहर ढहाने का इरादा है क्या?"
"चल झूठे, इस बूढ़ी घोड़ी में क्या रखा है तुझे तो जवान और मस्तानी घोड़ियां पसंद होंगी" ताईजी ने मुझे ताना सा मारा और घर के बाहर चली गई
थोड़ी देर बाद पीहू दीदी भी घर के पिछवाड़े से निकलकर बाहर आ गई और फिर ताईजी ने घर के फाटक पर ताला मारा और चाबी के झल्ले को कमर में ठूंस लिया। पीहू दीदी थोड़ा आगे चली गई थी और मैं ताईजी के साथ पीछे पीछे चल रहा था, सड़क पर बहुत कीचड़ हो रहा था शायद किसी के खेत का पानी सड़क पर आ गया था।
"ताईजी सड़क पर बहुत कीचड़ है आप मेरा हाथ पकड़ कर चलिए" कहकर मैंने तपाक से ताइजी का हाथ पकड़ लिया
"लल्ला कोई देखेगा तो क्या कहेगा रे" ताईजी झल्लाती हुई बोली
"जो कहेगा सो कहे मगर आप कीचड़ में फिसल कर गिर गई तो कोई न कोई हंसेगा जरूर"
"हां लल्ला और फिर साड़ी भी तो गंदी हो जाएगी" कहकर ताईजी ने मेरे हाथ को अपने हाथ में जकड़ कर पकड़ लिया।
ताइजी की नरम और गुदाज चूचियां मेरे बाजुओं से रगड़ रहे थे मुझे बहुत मजा आने लगा था इसलिए मैं जानबूझकर अपने बाजुओं को ताईजी की चूचियों पर गड़ा रहा था, फिर ऐसे ही थोड़ी देर बाद हम लालू के ढाबे पर पहुंच गए।
लालू का ढाबा बाजार से थोड़ा पास पड़ता था और गांव के लोग यहां खाने पीने के लिए आते थे, कोई बहुत शानदार ढाबा तो नहीं था लेकिन गांव के लोगों के लिए यह ढाबा किसी ५ स्टार होटल के कम भी नहीं था, मैं पीहू दीदी और ताईजी जगह देखकर कुर्सियों पर बैठ गए और भीमा भईया और शीला भाभी का इंतजार करने लगे।
"खाना क्या ऑर्डर करना है ताईजी"
"लल्ला मेरे लिए पुलाव और कढ़ी पकौड़े ऑर्डर कर देना।"
"और मेरे लिए चाउमीन और मंचूरियन" पीहू दीदी बोली
"मैं तो रूमाली रोटी के साथ पनीर खाऊंगा"
"क्या ऑर्डर किया जा रहा है देवर जी" शीला भाभी पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखते हुई बोली
"अरे आप दोनों भी आ गए" मैं पलटकर भईया और भाभी को देखते हुए बोला
फिर भीमा भईया और भाभी अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठ गए।
"आपको क्या खाना है जो आप खाओगे मैं भी वही खाऊंगी" शीला भाभी भीमा भईया से बोली
"शीला मुझे तो आज बटर चिकन खाना है" भीमा भईया ताईजी की तरफ देखते हुए थोड़ा हिचकिचाते हुए बोले
ताईजी कुछ बोली नहीं पर उनकी खामोशी ने भीमा भईया को मंजूरी दे दी थी।
"आओ देवर जी खाना ऑर्डर करने चलते हैं।"
मैं उठकर शीला भाभी के साथ चल दिया, उन्होंने आज लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और श्रृंगार भी किया हुआ था आंखों में काजल, माथे पर बिंदी, होंठों पर लिपस्टिक और कलाइयों में चूड़ियां देखने में संस्कारी ग्रहणी लग रही थी। ताईजी की तुलना में शीला भाभी का जिस्म ढका हुआ था लेकिन फिर भी किसी भी मर्द को आकर्षित करने के लिए काफी था और मैंने नोटिस किया कि आस पास के लोग भाभी को हवस की नजर से घूर रहे थे।
"देवर जी कहां खोए हो क्या सोच रहे हो?"
"कुछ नहीं"
"देवर जी मैं तो आपको बड़ा भोला समझती थी मुझे पता नहीं था कि आप इतने शैतान हो"
"मैंने क्या किया भाभी?"
"ये पूछो क्या नहीं किया, ऐसी फिल्म की टिकट कौन खरीदता है फिल्म का नाम क्या था "पेटीकोट में धमाका" हिहिहिही"
"अरे भाभी गांव के सिनेमा घर में ऐसी ही फिल्म लगती है, आपको फिल्म पसंद नही आई तो अगली बार से आपके लिए ऐसी किसी भी फिल्म की टिकट नहीं लूंगा"
"मैंने ऐसा तो नहीं कहा कि फिल्म अच्छी नहीं थी"
"मतलब फिल्म आपको पसंद आई और भीमा भईया को?
"तुम्हारे भईया का तो मूड बन गया था देवर जी हिहिहिही" कहकर शीला भाभी बटर चिकन का ऑर्डर देने चली गई और मैं शाकाहारी भोजन का ऑर्डर देकर पीहू दीदी के लिए चाइनीज खाना ऑर्डर कर आया।
कुछ देर बाद खाना आ गया और फिर सभी ने जमकर खाना पेला और उसके बाद एक एक ग्लास ठंडी लस्सी का लुफ्त उठाया, मैंने और ताईजी ने तो एक एक ग्लास लस्सी और पिया, फिर भीमा भईया पैसे पे करके आ गए, अब चूंकि ताईजी और मैंने बहुत ज्यादा खाना ठूंस लिया था तो ताईजी ने कहा कि हम टेम्पो से आएंगे और घर की चाबी का झल्ला शीला भाभी को थमा दिया, फिर भीमा भईया, शीला भाभी और पीहू दीदी घर के लिए निकल गए और हम लालू के ढाबे के बाहर टेम्पो का इंतजार करने लगे।
रात के १० बज रहे थे मुझे तो नही लग रहा था कि इस वक्त टेम्पो मिलेगा लेकिन काफी देर के बाद एक जीप रुकती है मैंने देखा कि ड्राइविंग सीट पर हरिया बैठा था और पीछे कोई गट्टा आदमी एक लंबी चौड़ी औरत के साथ बैठा था जो सोने की ज्वैलरी से लदी हुई थी
"नमस्ते कजरी बहन, आओ तुम्हे और इस बच्चे को तुम्हारे घर छोड़ देता हूं"
"नहीं प्रधान जी आप क्यों कष्ट कर रहे हैं हम चले जाएंगे"
तो ये मादरचोद साला बाऊना यहां का प्रधान है
"अरे कजरी बहन कहां देर रात को इस बच्चे के साथ अकेली जाओगी, वैसे भी गांव में चोर डकैत घूम रहे हैं तुम्हारे साथ कुछ ऊंच नीच हो गई तो"
साला मुश्किल से चार फुट का होगा और मुझे बच्चा बोल रहा था।
"लल्ला आगे बैठ जाओ मैं पीछे बैठ जाती हूं" कहकर ताईजी पीछे बैठ गई और मैं आगे बैठ गया।
हरिया ने गाड़ी चालू किया, तभी मुझे पीछे से हल्की हल्की आवाज आना शुरू हुई, लेकिन मैने बिलकुल भी रिएक्ट नहीं किया और तभी मैंने चुपके से जीप में टंगी मिरर में देखा तो दंग रह गया, साला प्रधान मेरी ताईजी के गुदाज पेट पर अपने हाथ फेर रहा था, ताईजी बीच में बैठी हुई थी और प्रधान की पत्नी कमला खिड़की से बाहर देख रही थी जैसे उसे कोई होश ही नहीं था या फिर जान कर अंजान बनने का नाटक कर रही थी, ताईजी के उभारदार पेट पर हाथ फेरते फेरते प्रधान तुरंत साड़ी का पल्लू सरका देता है और ताईजी की मोटी मोटी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगता है, ताईजी विरोध तक नहीं कर रही थी इससे ज्यादा हैरानी मुझे इस बात की थी कि प्रधान की पत्नी कमला को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। रात के अंधेरे में मुझे कुछ साफ नजर तो नही आ रहा था लेकिन चांद की रोशनी हल्की हल्की जीप के अंदर आ रही थी जिससे मुझे धुंधला धुंधला दिखाई पड़ रहा था कि पीछे क्या खेल चालू है और फिर कुछ देर बाद घर आ जाता है और मैं गाड़ी से उतर जाता हूं।
"धन्यवाद प्रधान जी" कहकर ताईजी अपनी साड़ी ठीक करते हुए गाड़ी से उतर गई
प्रधान अपने चेहरे पर बेहद घिनौनी मुस्कुराहट के साथ "कजरी बहन हवेली पर भी आती जाती रहना"
"जी प्रधान जी"
फिर प्रधान की जीप चली जाती है, मुझे अब ऐसे दर्शाना था जैसे मैंने जीप में कुछ देखा ही नहीं था।
"प्रधान जी तो बहुत अच्छे हैं ताईजी, उन्होंने हमें घर तक छोड़ दिया" मैं किसी नादान बच्चे की तरह बोला
"लल्ला, प्रधान और उसकी हवेली से दूर ही रहना, कभी–कभी जो जैसा दिखता है वैसा होता नही है।" कहकर ताईजी घर में चली गई और फिर मैं भी अपने कमरे में आ गया।
मुझे आज थोड़ा आगे बढ़ना था इसलिए मैंने सोचा कि आज रात ताईजी के साथ सोने का प्लान बनाता हूं और फिर मुझे एक आइडिया आया तो मैं धोती और बनियान पहनकर ताईजी के कमरे में पहुंच गया, ताईजी साड़ी में अपने बिस्तर पर बैठी हुई किसी सोच ने डूबी हुई थी।
"क्या हुआ लल्ला कुछ चाहिए क्या?"
"नहीं ताईजी कुछ चाहिए तो नहीं था"
"तो फिर किसलिए आए हो लल्ला?"
"ताईजी कल रात मुझे बहुत डरावना सपना आया था और फिर सारी रात मुझे ठीक से नींद भी नहीं आई इसलिए क्या मैं कुछ दिन के लिए आप के साथ सो सकता हूं"
"हां क्यों नही लल्ला लेकिन ऐसे डरेगा तो कैसे काम चलेगा"
फिर मै ताईजी के बिस्तर पर लेट गया और ताईजी भी साड़ी पहने लेट गई।
"ताईजी इतनी गर्मी में साड़ी पहन कर कैसे सो रही हो?"
"अरे नही लल्ला मैं तो पेटीकोट और ब्लाउज में ही सोती हूं लेकिन अभी तू है इसलिए" कहकर ताईजी चुप हो गई
"ताईजी मैं कोई पराया थोड़ी न हूं, पेटीकोट और ब्लाउज में ही सोइए नही तो नींद नहीं आएगी"
"तू तो मेरा लल्ला है मेरे जिगर का टुकड़ा है रे, चल मैं अभी आती हूं" कहकर ताईजी बिस्तर से उठकर घर के पिछवाड़े में चली गई
nice update..!!अपडेट १४
सुबह मेरी आंख खुली तो ९ बज चुके थे, मेरा लन्ड अभी तक धोती के बाहर था मैं बहुत डर गया था और शर्मिंदा महसूस कर रहा था, फिर मैं घर के पिछवाड़े में चला गया मूतकर थोड़ा बहुत कसरत किया उसके बाद नहाने चल गया, गुसलखाने से बाहर निकला तो ताईजी रसोईघर में थी, मैं भी रसोई में जाने लगा पर मेरी हिम्मत नही हुई फिर भी मुझे प्यास लगी थी इसलिए मैं रसोई में चला गया और फ्रिज खोलकर पानी पीने लगा जैसे ही मैंने फ्रिज खोला तो ताईजी ने पीछे मुड़कर मेरी तरफ घूरकर देखा और वापस से काम में लग गई, मैं गटागट पानी पिया और बाहर चला गया, मैं आंगन में चारपाई पर बैठ गया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की अब क्या कर सकता हूं मैं तो ताईजी को प्लान करके चोदना चाहता था लेकिन रात को सब कुछ अचानक हो गया। तभी मुझे रसोईघर में बर्तन गिरने की आवाज आई जो ताईजी ने रसोई में जमीन पर रखा था उन्होंने इतनी तेज आवाज से बर्तन इसलिए रखा था ताकि मुझे पता चल जाए कि खाना लग गया है मैं चुपचाप रसोई से थाली उठा लिया और चटाई पर बैठकर खाने लगा, ताईजी रसोई में ही बैठकर चुपचाप भोजन कर रही थी और बहुत गुस्से में थी मुझसे नजर तक नहीं मिला रही थी।
कुछ देर बाद मैं कोचिंग जाने के लिए तैयार हो गया और तुरंत साइकिल से कोचिंग के लिए निकल गया, चौराहे पर मुझे राज अपनी साइकिल पर इंतजार कर रहा था।
"और भाई आने में बड़ी देर लगा दिया, मैंने अपना काम कर दिया है अब तुझे आगे का काम संभालना है।"
"साले तू तो बड़ा तेज है अब आगे क्या करना है मुझे तो बड़ा डर लग रहा है"
"जो कुछ करना है तुझे करना है बस जैसे मैंने कहा था वैसा करना, जा मां घर पर बहुत परेशान है"
"ठीक है मैं अपनी तरफ से कोशिश करूंगा"
" चल मैं कोचिंग जाता हूं ऑल द बेस्ट"
फिर मैं राज के घर चला गया और घर के अंदर घुस गया, मुझे पता था कि रागिनी काकी तबेले में होंगी इसलिए फिर घर के पिछवाड़े में आ गया जहां छोटा सा तबेला बना था वहां रागिनी काकी गाय को पानी से नहला रही थी उन्होंने बैंगनी रंग की पुरानी साड़ी और ढीला सा ब्लाउज पहना था मेरा दिल किया कि रागिनी काकी को पीछे से दबोच कर चूम लूं लेकिन इस बार मुझे प्लान के अनुसार चलना था नही तो राज के द्वारा बिछाया हुआ जाल बर्बाद हो सकता था।
"अरे बलराम तू ? राज घर पर नही है कोचिंग गया है तू नही गया?" रागिनी काकी पलट कर मुझे देखते हुए बोली
"काकी मैं कोचिंग जा ही रहा था लेकिन मुझे रास्ते में राज मिल गया उसने कहा कि गाय की तबियत ठीक नहीं है और मां बहुत परेशान हो रही है, मुझे जानवरों के बारे में जानकारी थी तो सोचा पहले आपकी मदद कर देता हूं फिर बाद में कोचिंग चला जाऊंगा"
"बेटा अच्छा हुआ तू आ गया , देख ना मेरी गाय बहुत परेशान कर रही है और सुबह से चारा भी नहीं खा रही, देख के बता इसे क्या हुआ है?"
जब से मैं इस गांव में आया था तब से मेरा चैन चुराने वाली और कोई नहीं बल्कि रागिनी काकी ही थी उसका कसा हुआ गठीला बदन पांव के ताल पर थिरकते हुए मोटे मोटे भरे हुए चूतड़ और हिलती हुई बडी बडी चूचियां देख देख कर मैं रागिनी काकी का दीवाना हो गया था कितनी बार मैने चाहा की बस एक बार रागिनी काकी मुझसे ठुकवा ले मगर थोड़ी बहुत नटखट बातों के अलावा कभी बात आगे ही नहीं बढ़ पाई। रागिनी काकी को कस के चोदने की इच्छा तो मुझे बहुत पहले से थी मगर मैं रागिनी काकी के मामले में जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था क्यूंकि आखिर वह मेरे दोस्त राज की माँ जो थी, लेकिन अब राज भी मेरा साथ दे रहा था मैं जानता था आज नहीं तो कल रागिनी मुझे देगी ज़रूर मगर ये वक्त काटना मेरे लिए ज़हर पीने जैसा था।
"देख ना क्या सोच रहा है?"
"क्या काकी?"
"अरे मेरी गाय को देखेगा या नहीं"
"हां देखता हूं" कहकर मैंने गाय के पेट पर हाथ रखा और नौटंकी करते हुए गाय के शरीर पर इधर उधर हाथ फेरने लगा।
"पता नही सुबह से अजीब–अजीब आवाजें कर रही है न कुछ खाती है और न पीती है"
ये राज ने ही किया था क्योंकि गाय के गर्भवती होने का वक्त हो चला था और उसकी वासना जगाने के लिए राज ने कुछ गोलियां खिला दी थीं।
तभी मैं रागिनी काकी को देखकर हंसने लगा।
"क्या बात है मुझे भी बताएगा, मुस्कुराए जा रहा है" रागिनी काकी मुझे घूरती हुई बोली
"काकी इसका समय आ गया है, गांव में कोई सांड है क्या?"
रागिनी काकी मेरी बात सुनकर बुरी तरह शर्मा गई, गांव में बस एक सांड था जो हरिया ने पाल रखा था हरिया का सांड एक काम बड़े ज़ोरदार तरीके से करता था और वो था गांव के गायों को गर्भवती करना, जब भी कोई गाय गरम हो जाती थी तो हरिया का सांड ही उसको अपने नीचे ले के शांत करता था, हरिया को सांड पालने का शौक इसलिए था क्योंकि जब भी गांव की कोई औरत अपनी गाय लेकर आती थी हरिया के सांड से गर्भवती करवाने के लिए तो हरिया को छेड़ने और मस्ती करने का मौका मिल जाता था, ऐसा मुझे राज ने बताया था।
"बताओ काकी गांव में कोई सांड है? नही तो आपकी गाय की तबियत और बिगड़ जाएगी"
रागिनी काकी अब समझ गई थी कि उनकी गाय को क्या हुआ है।
"एक सांड है हरिया का"
"काकी तो चलिए ना नहीं तो आपकी गाय पागल हो जाएगी" मैं अपनी हंसी दबाते हुए बोला
रागिनी काकी अपनी गाय को लेकर मेरे साथ हरिया के घर चल पड़ती हैं।
तभी रेखा मौसी मुझे रास्ते में मिल जाती हैं।
"अरे रेखा मौसी कहां भागे जा रही हो हम तुम्हारे पास ही आ रहे थे"
"बबुआ मैं तो हवेली जा रही थी तू बता क्या काम आ गया"
मैं गाय की तरफ इशारा करते हुए और रेखा मौसी समझ जाती हैं कि क्या बात है।
"जा पीछे तबेले में बंधा है मेरा सांड जा ठुकवा ले इसको"
रागिनी काकी मुंह बंद करके हंसी रोकने की कोशिश करती हैं।
"और ये ले घर की चाभी, कोई चीज की जरूरत पड़े तो निःसंकोच ले लेना।"
"चाभी किसलिए मौसी घर पर कोई नहीं है क्या?" मुस्कुराते हुए
"मेरा मर्द तो हवेली को चौकीदारी कर रहा है, कम्मो तेरे भईया की दुकान पर गई है और मालती सुबह से हवेली में काम कर रही है, मैं भी हवेली जा रही हूं किसी महत्वपूर्ण काम से मालकिन ने आने के लिए कहा है।"
रेखा मौसी की बात सुनकर मैं खुश हो गया।
"चलो काकी ठुकवा लो अपनी गाय को" मुस्कुराते हुए
रागिनी काकी शर्मा जाता है और कुछ देर बाद हम रेखा मौसी के घर पहुंच जाते हैं, हरिया का सांड घर के पिछवाड़े में खूंटे से बंधा हुआ था।
"काकी इस सांड का नाम क्या है?"
"भूरा"
"और आपकी गाय का नाम?"
"दुधिया"
दुधिया को देखते ही भूरा ने अपना बड़ा सा लाल लाल लन्ड बाहर निकाल देता है और दुधिया को सूंघने लगता है।