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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

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Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

LustyArjuna

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Please send 101 and 102
 

rajesh852603

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So sexy description
शाम होते होते सुगना अस्पताल से बाहर आ गई। बच्चा जनने के बाद वह घर तक पैदल जा पाने की स्थिति में नहीं थी। सरयू सिंह सुगना का पूरा ख्याल रखते थे उन्होंने चार कहार बुला लिए थे। सुगना चारपाई पर लेट गई और कहार उसे लेकर घर की तरफ चल पड़े।

सरयू सिंह की भौजी कजरी बच्चे को गोद में ली हुई थी. कजरी 42 वर्ष की भरे पूरे शरीर वाली औरत थी। सरयू सिंह और कजरी ने अपनी जवानी में खूब मजे लूटे थे। सुगना के आने के बाद सरयू सिंह का ध्यान कजरी से थोड़ा हट गया था। पर बीच-बीच में वह अपनी कजरी भौजी की बुर चोद कर कजरी के पुराने एहसान चुका देते और अपना आकस्मिक कोटा बनाए रखते। जब सुगना रजस्वला होती कजरी अपनी बुर को धो पोछ कर तैयार रखती।

कजरी अपनी गोद में अपने नाती को लिए हुए आगे आगे चल रही थी उसके गोल गोल कूल्हे हिल रहे थे सरयू सिंह कजरी के पीछे पीछे चल रहे थे। उनकी निगाहें कूल्हों को चीरती हुई कजरी की बूर को खोज रही थीं। मन ही मन वह कजरी को चोदने की तैयारी करने लगे।

"भैया, तनी तेज चला कहार आगे निकल गइले"

हरिया की आवाज सुनकर सरयू सिंह का ध्यान कजरी के कूल्हों पर से हटा। ध्यान से देखा तो सुगना को लेकर वो काफी दूर निकल गये थे। जाने इन कहारों के पैरों में इतनी ताकत कहां से आती थी। देखने में तो वह पतले दुबले लगते पर चाल जैसे हिरण की। एक पल के लिए सरयू सिंह को लगा जैसे उनकी सुगना उनकी नजरों से दूर जा रही है। सरयू सिंह ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और तेजी से सुगना के पास पहुंचने की कोशिश करने लगे।

थोड़ी ही देर की मेहनत के बाद सरयू सिंह सुगना के पास पहुंच गए और कहारों के साथ चलते चलते घर आ गये। सुगना चारपाई से उतर कर खड़ी हो चुकी थी सरयू सिंह सुगना को लेकर घर के अंदर आ गए।

सरयू सिंह और सुगना अकेले थे कजरी को आने में वक्त था। सुगना सरयू सिंह के सीने से सटती चली गई। सरयू सिंह ने उसके कोमल होठों को चूसना शुरू कर दिया। सुगना की चुचियों में दूध भर रहा था। जब उन्होंने सुगना की चुचियों को मीसना चाहा सुगना कराह उठी

"बाबू जी.. तनी धीरे से….. दुखाता"

सुगना की यह मासूम कराह सरयू सिंह के लंड में जबरदस्त ताकत भर देती थी सुगना इस बात को जानती थी। सुगना की निगाहें सरयू सिंह की धोती पर पड़ी सरयू सिंह का खड़ा लंड अपना आकार दिखा रहा था। सुगना ने सरयू सिंह का लंगोट खिसका कर लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी कोमल हथेलियों से उसे सहलाने लगी सरयू सिंह आनंद में डूबने लगे।

सुगना ने सरयू सिंह के लंड को एक चपत लगाई और मीठी आवाज में बोली

"इहे हमार पेट फुलेईले रहे"

"एतना सुंदर लइका भी तो देले बा"

सुगना खुश हो गई सच उस लंड ने सुगना का जीवन खुशियों से भर दिया था। सुगना ने पास बड़ी चौकी पर बैठते हुए झुक कर उस लंड को चूम लिया और अपने होठों के बीच लेकर चूसने लगी। उसके होठों पर वीर्य का स्वाद महसूस होने लग। सुगना तेजी से अपने हाथ भी चलाने लगी …

"सुगना मेरी बिटिया….. मेरी रानी…. हां ऐसे ही और जोर से …...आह…..उँ….."

सरयू सिंह भी अपना पानी निकालना चाहते थे पर यह संभव नहीं था कजरी और गांव के कई लोग दरवाजे पर आ चुके थे। खटपट सुनकर सरयू सिंह ने अपना लंड लंगोट में लपेट लिया और मन मसोसकर कर बाहर की तरफ जाने लगे। सुगना ने जाते समय कहा "बाबूजी बाकी रात में…." सरयू सिंह ने सुगना के गाल पर चिकोटि काटी और बाहर आ गए सुगना की बात सुनकर वह खुश हो गए थे।

सरयू सिंह दो भाई थे बड़ा भाई मानसिक रूप से थोड़ा विक्षिप्त था। वह सनकी प्रवृत्ति का था। कजरी लखनपुर गांव की रहने वाली थी सरयू सिंह और कजरी ने कई बार अपनी किशोरावस्था में एक दूसरे को देखा था गांव में ज्यादा प्यार व्यार का चक्कर नहीं था पर शारीरिक आकर्षण जरूर था।

कजरी के पिता जब रिश्ता लेकर सरयू सिंह के पिता के पास आए तो उन्होंने कजरी का विवाह बड़े बेटे से करा दिया। कजरी जब मतदान के योग्य हुई वह सरयू सिंह के घर आ गई। कजरी की चूत का पहला भोग सरयू सिंह के भाई ने ही लगाया पर ज्यादा दिनों तक वह कजरी की मदमस्त जवानी का आनंद नहीं ले पाया । गांव में साधुओं का एक झुंड आया हुआ था। वह उनके साथ गायब हो गया। सभी लोगों का यही मानना था कि वह साधुओं से प्रभावित होकर उनके साथ साथ चला गया। लाख प्रयास करने के बावजूद उसे ढूंढा न जा सका पर जाते-जाते उसने कजरी को गर्भवती कर दिया था।

कजरी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम रतन रखा गया कालांतर में रतन का विवाह सुगना से संपन्न हुआ था।

बाहर दालान में गहमागहमी थी आज खुशी का दिन था मिठाइयां बांट रही थी किसी ने पूछा रतन को सूचना भेज दी गई है

हरिया ने लपक कर कहा "अरे उ कल सवेरे आ जइहें गाड़ी ध लेले बाड़े उनकर चिट्ठी आईल रहे।

रात में खाना खाने के पश्चात कजरी और सुगना अपनी अपनी चारपाई पर लेटे हुए बातें कर रहे थे। सुगना दूध पिला रही थी तभी सरयू सिंह कमरे के अंदर आ गए। सुगना ने तुरंत घुंघट ले लिया पर उसकी गोरी चूचियां वैसे ही रहीं। सरयू सिंह की निगाह उन चूचियों पर थी।

सुगना की चुचियों का आकार अचानक ही बढ़ गया था सरयू सिंह मन ही मन खुश हो रहे थे सुगना की सूचियों को बड़ा करने में उन्होंने पिछले दो-तीन सालों में खूब मेहनत की थी पर आज उस मासूम के आगमन ने उनकी मेहनत को और उभार दिया था।

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कजरी ने चादर ठीक की और सरयू सिंह को बैठने के लिए कहा और स्वयं सरयू सिंह के लिए दूध गर्म करने चली गई।

कजरी के जाते ही सुगना ने घूंघट हटा लिया सरयू सिंह उसके गालों को चूमने लगे और उसे प्यार करने लगे। उनके साथ सुगना की पीठ पर से होते हुए नितंबो तक जा पहुंचे वह उसकी जांघों और पैरों को दबा रहे थे। वह यह बात भली-भांति जानते थे की सुगना की चूत अभी छूने योग्य नहीं है।

अचानक उन्होंने सुगना की दूसरी चूची को भी बाहर निकाल लिया उसके निप्पओं को होठों के बीच लेने पर दूध की एक घर उनके जीभ पर पड़ी उसका स्वाद अजीब था पर था तो वह उनकी जान सुगना का। उन्होंने उसे पी लिया जब उन्होंने निप्पल पर होठों का दबाव दोबारा बढ़ाया तो सुगना ने मुस्कुराते हुए कहा...

"बाबूजी, सासूजी दूध लेवे गईल बाड़ी तनि इंतजार कर लीं"

सरयू सिंह शर्मा गए पर वह उत्तेजना के अधीन थे उन्होंने सुगना की पूरी चूची को मुंह में भरने की कोशिश की। सुगना ने उनके सर के बाल पकड़ लिए पर यह फैसला न कर पाई कि वह उन्हें अपनी चूची चूसने दे या सर को धक्का देकर बाहर हटा दें। वह उनके बाल सहलाने लगी वह खुद भी आनंद लेने लगी।


अचानक बेटा रोने लगा सरयू सिंह ने तुरंत ही सुगना की चूची छोड़ दी उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे वह उस दूध का हक मार रहे हों। सुगना हँसने लगी।

सुगना ने बेटे की पीठ थपथपा कर एक बार फिर उसे सुला दिया।

सरयू सिंह अपने कमरे में चले गए। कजरी दूध लेकर उनके कमरे में आ गए कमरे का छोटा दिया जल रहा था। जब तक सरयू सिंह दूध पीते कजरी ने उनके मुसल जैसे लंड को बाहर निकाल लिया। सुगना को सहलाने से वह पहले ही तन कर खड़ा हो गया था। जब तक सरयू सिंह गर्म दूध को पीते रहे तब तक कजरी उनके लंड को चूस कर अपनी बुर के लिए तैयार करती रही।


शेष अगले भाग में...
 

mut be helthy

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Lovly bhai ji.... Kahani kb shuru hogi.
 

LustyArjuna

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बहुत ही उत्तेजक भाग था यह।

यहां से अब लग रहा है कि सुगना, पद्मा ओर सरयू सिंह कि बेटी हैं।
 

LustyArjuna

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Kya Gajab twist dala h bhai..... superb writing, mind-blowing 👏👏
 

LustyArjuna

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मनोरमा और सरयू सिंह का मिलन बहुत अच्छे ढंग से शब्दों में पिरोया है।
 

LustyArjuna

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गजब चुदाई हुई मेडल की।

और धमा चौकड़ी बाकी है।
 
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