UPDATE 22
गंगाराम की बर्थडे पर चुदती स्नेहा को उसकी माँ और सहेली सरोज.
गंगाराम अपने सामने बौठे तीन तीन जवान लड़कियों को और एक 40 वर्ष की औरत को देखकर अपने आप मे फूले नहीं समा रहा था। उसके सामने स्नेहा जिसकी उम्र 21 वर्ष है बैठी थी। उसके दायें ओर उसकी बहन पूजा, जिसकी उम्र 18 वर्ष है बैठी थी तो स्नेहा के बायें ओर उसकी सहेली सरोज जिसकी उम्र कोई 22 वर्ष की है और शादी शुदा है बैठी है। आखिर में स्नेहा की माँ गौरी जिसकी उम्र 41 वर्ष बैठी है।
इधर की ओर, गंगाराम कि एक ओर सरोज का पति अशोक बैठा है तो दूसरी ओर स्नेहा का छोटा भाई गोपी जो 15 वर्ष का है बैठा। आखिर में स्नेहा का पिता लिंगम बैठा है। वह सब उस समय एक रिसोर्ट की रेस्टॉरेंट में बैठे है और आर्डर आने का वेट कर रहे है। उस दिन गंगाराम का जन्म दिन था और वह उन सबको आमंत्रित कर रिसोर्ट ले आया।
पहले तो स्नेहा की माँ ने कही थी की स्नेहा अपने पिता को वहां न लेआए, क्यों कि उस पीवट; गंगाराम का मुलाकात का दुरुपयोग न करें। गौरी की अनुमान है कि उसका पति बार बार गंगारम से पैसे ऐंठने न जाये । वैसे हि सरोज भी अपने पति को साथ लेने में कतरा रहि थी कि वह शककी मिजाज का है।
यही बात जब स्नेहा ने गंगाराम से कहि तो वह उसे समझाया की वह सबको संभाल लेगा तो सरोज का पति और स्नेहा के पिता भी उस समय वहां है।
खाना परोसा गया और सब खाने लगे। गंगाराम खाना खा रहा था लेकिन उसके नजरें बार बार उस गधरायी हुई औरत; स्नेहा की माँ की ओर जा रहे थे। 'वाह क्या मस्त फिगर है... साली को देखकर ही लंड तन रही है देखो तो उसके उभरे स्तन को... कितना घाटीली है.. वह इतने आराम से दबने वाली नहीं है। इन चूचियों को तो आटे की तरह गूंदना होगा... कैसी रहेगी वह उसके निचे...' गंगाराम सोच रहा था। वैसे वह स्नेहा कि सहेली सरोज और स्नेहा कि बहन पूजा को भी अपने आगोश में imagine करते उभर रहे अपने मस्ताने को शांत कर रहा था।
कुछ देर बाद वह सब अपने कॉटेज में थे। कॉटेज के कुछ दूरी पर स्विंमिंग पूल थी।
पानी देखते ही स्नेहा का भाई स्विमिंग की इच्छा व्यक्त किया।
"चुप कर गोपी तुझे स्विम्मिंग ही नहीं आती पानीमे क्या उतरेगा..." स्नेहा अपने भाई को डाँटि।
"अरे उसे क्यों डांट रहे हो; बच्चा है स्विमिंग करने दो न उसे..." गंगाराम समझाया।
"लेकिन अंकल उसे तैरना नहीं आता,,,"
कोई बात नहीं.. वहां लाइफ जैकेट रहती है फिर मैं हूँ न.. मैं सिखादूँगा...बोलो और कौन कौन स्विमिंग करना चाहते है...?"
"में भी स्विमिंग करना चाहती हूँ... लेकिन मुझे भी स्विम करना नहीं आता" स्नेहा की बहन पूजा बोली।
"अगर तुम्हे आपत्ति नहीं तो मैं सिखा दूंगा..." गंगाराम पूजा की जवानी को ताड़ता बोला ..."
पूजा अपनी मम्मी की ओर देखि। उसने आंखोंसे इशारा करी जाने के लिए।
"आप स्विम नहीं करेंगी...? गंगाराम स्नेहा की माँ गौरी की ओर देखता पुछा..."
"नहीं..." वैसे उसके मन कर रहा है तैरने के लिए।
"क्यों... आप को तो तैरना अति है ना...?"
"आति है लेकिन..." वह रुक गयी। इतने में सब बच्चे 'चलोना मम्मी..प्लीज' करने लगे। स्नेहा कि सहेली सरोज भी चलोना आंटी कही तो गौरी भी तैयार होगयी। सब खिल खिलाते स्विमिंग पूल की ओर चले।
मर्दों के के लिए कोई प्रॉब्लम नहि था लेकिन औरतों के लिए स्विम सूट जरूरत थी। जो उनमें किसिके पास भी नहीं थी। सब निराश हो गये। स्विमिंग पूल के पास रहने वाल एक बच्चा बोला "साब यहाँ स्विम सूट किराये पे मिलते है..."
सब ख़ुशी ख़ुशी वहां जाते हैऔर अपने साइज के स्विंम सूट लेलेते हैं।
स्नेहा, पूजा, और सरोज के लिए उनके साइज के स्विम सूट मिलगये लेकिन गौरी के लिए नहीं मिलि तो वह एक नंबर चोटि साइज की लेली। सब अपने अपने स्विम सूट पहने सबका ठीक था लेकिन गौरी का ही कुछ तंग होगया। जिस के कारण उसका भरा हुआ शरीर का हर अंग, हर कटाव दिख रहे थे। सब खिल खिलाते पानी में खुद पड़े। स्नेहा का भाई गोपी, उसके बहन पूजा ही बाहर रह गए।
"गोपी, तुम इधर मेरे पास आवो" गंगाराम बुलाया।
गोपी आते ही उसे पानी में उतारा और अपनी हथेलियों पर औंधा सुलाकर हाथ पैर चलाने को बोला। गोपी वैसे ही करने लग और अगले पंद्रह मिनिटों मे वह स्वयं ही हाथ पैर चलाने लगा। उसकी शरीर पर लाइफ जैकेट भी थी तो उसे कोई प्रॉब्लम नहीं हुआ। बाकी के दूसरे लोग भी खिल खिलाते, हँसते, एक दूसरे के ऊपर पानी छिड़कते मस्ति से तैरने लगे। गौरी पहले कुछ मिनिट तो पानी से बाहर निकलने को जिझकने लगी, लेकिन जल्दी ही उस माहौल में घुल मिल गयी। जब भी वह पानी से अती थि तो अपने जांघों के बीच अपना हथेली रख लेती थी। लेकिन जल्द ही वह ऐसा करना बंद करदी।
उसके स्विम सूट तंग होने का कारण उसकी जांघों के बीच उभार और दो उभरी फांके स्विम सूट के ऊपर से भी साफ दिखने लगे। उन फांकों को और गौरी की मटकते मोटी गांड को देख गंगाराम को अपने आप को संभलना मुश्किल हो रहा है, उसके बॉक्सर के अंदर उसका मर्दानगी फूल चुकी और उसक उभार दिखने लगा। गंगाराम के साथ ही सरोज का पति अशोक भी गौरी को भूखी नाजरों से देख कर अपने लंड को तन्नाए रखा। गौरी, बच्चो की तरह हँसते बच्चो के साथ खेल रही थी।
पूजा जो बहार ही थी उसे गंगाराम ने बुलाया। वह पानी में उतरने के लिए भी ढर रही थी।
"ढ़रो नहीं, इधर आओ, लाइफ जैकेट पहनो कह गंगाराम ने उसे लाइफ जैकेट पहनाया... पहनाते समय उसने पूजा के बदन को छूकर आनंद उठा रहा था। पूजा को पानी में उतारकर उसे भी अपने हथेलियों पर सुलाकर उसे तैरना सीखा रहा था। कुछ देर उसे दोनों हाथों पर औंधा लिटाकर सिखाने के बाद वह एक हाथ निकाल दिया और उस हाथ को पूजा को सँभालने के बहाने उसके नितम्बों को सहलाने लगा।
अपने नितम्बों पर अंकल के हाथ के टच से पूजा को कुछ गुद गुदी सा हुआ। यह पहली बार है कि किसी और का हाथ उसके नितंबों पर। एक हि बिस्तर पर सोने के बाद भी; आज तक उसकी बहन के हाथ भी उसके पुट्ठों पर नहीं पड़े। अब तो सीधा एक मर्द ही उसे टच कर रहा है... तो उसे गुद गुदी होना स्वभाविक ही था। पूजा को कुछ अनोखा आनंद भी आ अहा है। इतने में गंगाराम ने अपना हाथ पर पूजा को संभालते; दूसरे हाथ से उसके पीठ पर चला रहा था। पूजाके नाजुक बदन की स्पर्श से गंगाराम का लावड़ा अपने पूरे ताव में आगया।
लाइफ जैकेट पहने पूजा को अपने भाई के साथ प्रैक्टिस करने को कहकर वह स्नेहा के पास पहुंचा, जिधर, सरोज, स्नेहा, गौरी और सरोज पति एक दूसरे को पकड़ने का खेल खेकराहे है। गंगाराम भी उन लोगों में शामिल होगया। खेल खेलमें गंगाराम ने स्नेहा को अपना तन्नाया औजार पकड़ा दिया। स्नेहा भी मस्ती में थी तो उसने झट उस चढ़ को पकड कर सहलाने लगी। यह सब पानीके अंदर हो रहा था। किसी को अनुमान नहीं था। दुसरी ओर अशोक भी अपने पत्नी के पास पहंचा और गौरी से बात करते हुए सरोज को इधर उधर टच काने लगा। ऐसे ही मस्ती करते वह लोग शाम चार बजे तक पूलमे रहे। पूजा और गोपी कुछ हद तक तैरना सीख भी लिए। शाम साडे चार बजे सब रिसोर्ट से निकले और गंगाराम के घर पहुंचे। जब तक वह सब गंगाराम के घर पहुंचे साढ़े पांच बज गए।
और जन्म दिन के पार्टी के तैयारियां शुरू हुए।