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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

rohnny4545

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शीतल की हालत पल-पल खराब होते जा रही थी उसके तन बदन में कामोत्तेजना कि चिंगारियां रह रह कर अपना शोला भड़का रही थी वह पागलों की तरह कसमसा रही थी उसकी सांसो की गति बहुत ही तेज होती जा रही थी वह यह देखने के लिए कि अब शुभम क्या करता है वह अपने दोनों हाथों की कोहनी का ठेका लेकर अपनी गर्दन को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाकर शुभम की तरफ देख रही थी जो कि उसकी टांगों के बीच अपने लिए जगह बना रहा था बेहद काम उत्तेजना से भरपूर नजारा था शीतल बिस्तर पर लेटी हुई थी उसकी दोनों टांगे बिस्तर के नीचे झूल रही थी और शुभम ठीक उसकी दोनों टांगों के बीच में घुटनों के बल नीचे जमीन पर बैठा हुआ था और उसके होंठ शीतल की कमर के नीचे के गुलाबी होठों से काफी नजदीक थे,,,,, शुभम के होंठ प्यासे थे और शीतल की टांगों के बीच नमकीन पानी का वह कुआं था जिससे अपने तन की प्यास बुझाई जा सकते थी,,, शुभम अपने दोनों हाथों से शीतल की मोटी मोटी केले के तने के समान चिकनी जांघों को पकड़कर हल्के से एक दूसरे से दूर किए हुआ था जिससे शीतल की गुलाबी बुर फुले हुए कचोरी की तरह शुभम की आंखों के सामने अपना जलवा बिखेर रही थी,,,,, शुभम को अब कुछ भी नजर नहीं आ रहा था सिवाए शीतल की रसीली बुर के,,,, जैसे-जैसे शुभम के होंठ शीतल की बुर से नजदीक आता जा रहा था वैसे वैसे शीतल का पूरा बदन कसमसा रहा था वह अच्छी तरह से जानती थी कि अब शुभम क्या करने वाला है जिसके लिए आज तक वो तरस रही थी ,, वह पल आ चुका था,,,,




शुभम की आंखों के सामने शीतल की मोटी मोटी कचोरी जैसी फूली हुई बोर अपना जलवा बिखेर रही थी शुभम के लिए लक्ष्य था जिसे उसे भेदना था,,, इस पर अपना विजय पताका लहराना था शुभम के लिए लक्ष्य कोई बहुत बड़ा लक्ष्य नहीं था लेकिन फिर भी इसे बहुत ही अच्छे तरीके से हासिल करना था ताकि इस लक्ष्य को हासिल करते ही सामने वाला पूरी तरह से घुटने देखते और हमेशा के लिए उसका गुलाम बन जाए,,, शुभम से रहा नहीं जा रहा था वह नीचे जमीन पर घुटनों के बल बैठा हुआ बिस्तर के किनारे तक वह शीतल की बड़ी बड़ी गांड को लाकर बिस्तर के किनारे पर ही स्थिर कर दिया था जो कि बेहद मनमोहक और सुहावनी लग रही थी शुभम से रहा नहीं जा रहा था उसका लंड बगावत के मूड में था वह इतना अत्यधिक कठोर हो गया था कि ऐसा लग रहा था कि जैसे वह हाड मांस का नहीं पत्थर का बना हो,,,, शीतल की मोटी मोटी बुर में से रिस रहे नमकीन रस को देखकर शुभम के मुंह में पानी आ रहा था अब उसे से अत्यधिक बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए वह अपने होठों को तुरंत शीतल की तपती हुई भट्टी के समान तप रही बुर पर रख दिया,, और जैसे ही शुभम ने अपने प्यासे होठों को शीतल की बुर की गुलाबी पत्तियों से हटाया एक अद्भुत एहसास कामोत्तेजना से भरपूर पल मैं पूरी तरह से अपने आप को मदहोश होता हुआ पाकर शीतल के मुंह से सिसकारी की आवाज निकल गई,,,



ईससससस,,,,,,हहहहहहह,,,,,,, सुभम,,,,,( इससे ज्यादा शीतल के पास बोलने लायक शब्द नहीं थे क्योंकि दुनिया के सबसे बेहद खूबसूरत अद्भुत और उन्माद भरे आनंददायक पल में वह पूरी तरह से खोने लगी थी शीतल को यह पल कैसा लग रहा है था यह बताने के लिए उसके पास शब्द ही नहीं थे और वाकई में इस अद्भुत सुख को प्राप्त करके जो एहसास पूरे तन बदन में होता है उसे बयां करने के लिए दुनिया की डिक्शनरी में कोई भी शब्द बना नहीं है,,,, बस अलौकिक सुख जोकि शायद इसी सुख को पाने के लिए मर्द और औरत का जन्म होता है उसी सुख के एहसास में शीतल पूरी तरह से डूबने लगी थी,,,,, शीतल अपने दोनों हाथों की कोहनी बिस्तर पर टिकाए अपनी गर्दन उठाकर शुभम को ही देख रही थी,,,, जो कि उसकी टांगों के बीच में पूरी तरह से छाया हुआ था,,,
शुभम पागलों की तरह अपनी जीभ को शीतल की बुर की पतली दरार में डालकर उसमें से मदन रस को जीभ से निकाल निकाल कर गले के नीचे गटकने लगा,,, शुभम की हरकत से वह पूरी तरह से जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी शुभम पागलों की तरह शीतल की बुर को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया था,,, शुभम शीतल की बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच में तो अपनी जीभ डालकर चाट ही रहा था साथ ही बुर की पतली दरार के इर्द-गिर्द ऊपसे हुए भाग को भी अपनी जीभ से पूरी तरह से चाट चाट कर गीला कर दिया था शीतल तो एकदम पागल हुए जा रही थी इस तरह से उसकी बुर आज तक किसी ने भी नहीं चाटा था,,,




शीतल मस्ती के सागर में हिलोरे मार रही थी उसकी बड़ी बड़ी गांड पूरे बिस्तर पर इधर-उधर हो रही थी,,, जो कि सुबह मैंने अपने दोनों हाथ को नीचे ले जाकर उसके गोल को नितंबों को अपनी हथेली से पकड़ रखा था लेकिन फिर भी वह शुभम की पुर चटाई से इतनी पागल हुए जा रही थी कि वह छटपटा रही थी,,,,
ओहहहह ,,, शुभम मेरे राजा मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तू इस तरह से बुर चाटता है,, ऊफफफ,,,,,, मेरी तो हालत खराब हो रही है,,,,,
( शीतल की इस तरह की बातें सुनकर शुभम और ज्यादा जोश में आ गया था वह पागलों की तरह जितना हो सकता था उतना चीज को उसकी बुर में डालकर उसे चाट रहा था वह पागलों की तरह इतना जोर जोर से जीभ के साथ-साथ अपने होठों को उसकी बुर पर रगड़ रहा था कि उसकी सांस अटक जा रही थी वह रह रह कर अपनी पूरी कमर को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी उससे इस तरह की उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी बार बार उसकी बुर से नमकीन पानी का सैलाब फूट पड़ रहा था,,, जिसमें शुभम का पूरा मुंह गीला हो रहा था बुर से मादक खुशबू उठ रही थी जिससे शुभम का पूरा अस्तित्व मदहोश होता चला जा रहा था,,, शीतल की बुर चाटने में शुभम कोई भी इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि वह बता नहीं सकता वह पागलों की तरह कभी खड़ा हो जाता तो कभी बैठ जाता किस तरह से वह पूरी तरह से शीतल की बुर चाटने का आनंद उठा रहा था,,,,
शीतल कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी बार-बार वह अपनी दोनों टांगे को जितना हो सकता था उतना ज्यादा फैलाकर अपनी दूर की दरार को और ज्यादा खोल दे रही थी शुभम के लिए शुभम मस्ती मैं पूरा खोता चला जा रहा था बार-बार उसकी मोटी मोटी जांघों को अपनी हथेली में लेकर उसे दबाने का भी सुख भोग रहा था,,, शीतल की मोटी मोटी जांघे इतनी ज्यादा चिकनी थी कि शुभम का मन कर रहा था कि उस पर अपने लंड कए सुपाड़े को जी भर के रगड़े,,,,,

ससहहह आहहहह,,,ऊफफ,,,,,,ऊमममममम,,,,,,आहहहहहहह,,ओहहहह ,,, सुभम,,,,,,आहहहहहहह,,,,,

शीतल के मुंह से इस तरह की मदहोश भरी सिसकारी की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, लेकिन उस मत बहोत भरी सिसकारी की आवाज सुनने वाला केवल शुभम ही था जो कि शीतल के मुंह से इस तरह की गरम आवाजों को सुनकर और ज्यादा जोस से भर जा रहा था,,,, तकरीबन 20 मिनट तक वह शीतल की बुर को चाट चाट कर एकदम लाल कर दिया था,,, और इस दौरान शीतल दो बार अपना पानी निकाल चुकी थी चुदाई से पहले ही उसे दो बार चरम सुख का अहसास हो चुका था,,, इसी से शीतल शुभम की मर्दाना ताकत से पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी कि जो इंसान बिना चुदाई कीए औरत को दो बार झाड़ सकता है तो सोचो जब उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में जाएगा तो पूरी तरह से तहलका मचा देगा,,,, यही सोचकर शीतल का तन बदन पूरी तरह से मचल जा रहा था,,,, वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी के अपने हाथों से ब्लाउज के ऊपर से ही अपने दोनों चुचियों को जोर जोर से दबा रही थी,,,, खिड़की से आ रही है शीतल ठंडी हवा के बावजूद भी दोनों के बदन पसीने से तरबतर हो चुके थे जिसका कारण था दोनों की गर्म जवानी जोकि ना तो पंखे की हवा से और ना ही खिड़की से आ रही शीतल हवा से ठंडी होने वाली थी,,,
दोनों की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी जी भर कर शुभम ने शीतल की बुर चटाई का आनंद ले लिया था और दो बार उसे झाड़ भी दिया था क्योंकि इस समय कचोरी जैसी फुली हुई शीतल की बुर लाल टमाटर की तरह एकदम लाल हो चुकी थी जिसे देखने पर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने उस पर दो चार तमाचा जड़ कर उसकी बुर के गईल को लाल कर दिया हो,,, शुभम अभी भी घुटनों के बल बैठा हुआ शीतल की लाल बुर को ही देख रहा था जो कि बड़ी ही मनमोहक लग रही थी,,, और वह उसे देख कर ऐसे खुश हो रहा था मानो जैसे क्रिकेट के मैदान पर कप्तान गिली पिच को देखकर खुश होता है,,,। एक अनुभवी खिलाड़ी होने के नाते शुभम को इतना तो पता ही था कि गीली पिच पर बैटिंग करने में कुछ ज्यादा ही मजा आता है भले ही थोड़ी सी दिक्कत हो लेकिन एक बार जम जाने के बाद तब तक पारी खत्म नहीं होती जब तक की पूरी तरह से लक्ष्य को हासिल ना कर लिया जाए।




धीरे-धीरे शुभम शीतल को पूरी तरह से अपनी आगोश में लेकर चला जा रहा था शीतल पर मदहोशी ही का नशा छाया हुआ था बुर चुदाई का संपूर्ण रूप से मजा लेकर शुभम खड़ा हुआ तो उसके होठों पर उसके गाल पर उसकी नाक पर शीतल की बुर से निकला हुआ मदन रस लगा हुआ था,,, एक तरह से वहां शीतल के मदन रस में नहाया हुआ था,,,, शुभम लंबी लंबी सांसे लेता हुआ शीतल को देख रहा था और मुस्कुरा रहा था शुभम को इस तरह से अपनी तरफ देखकर मुस्कुराता हुआ पाकर शीतल एक बार फिर से शर्म से लाल लाल हो गई वह शर्म के मारे अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली तभी शुभम नीचे झुका और फर्श पर फेंकी हुई शीतल की लाल रंग की चड्डी को उठा लिया और उस चड्डी से अपने चेहरे पर लगे हुए उसके मदन रस को साफ करने लगा,,, शीतल तिरछी नजरों से शुभम को चोरी-छिपे देख रही थी और शुभम की इस हरकत पर वहां एक बार फिर से शर्मिंदा हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बार-बार शुभम की इस तरह की हरकत शीतल को पूरी तरह से उसका दीवाना तो बना ही रही थी लेकिन उसे शर्मसार भी कर दे रही थी,,,,, शीतल को इस तरह से चोरी छुपे अपनी तरफ देखता हुआ पाकर शुभम मुस्कुराता हुआ बोला,,,

ऐसे छुप-छुप चुप के क्या देख रही हो मेरी रानी अब शर्माने की कोई जरूरत नहीं है,,,, आज की रात तुम्हें जन्नत का मज़ा दूंगा,,,,( इतना कहते हुए शुभम शीतल की लाल रंग की चड्डी को वापस नीचे जमीन पर फेंक दिया और दूसरे हाथ से अपने लंड को हिलाते हुए शीतल को उंगली से इशारा करके अपनी तरफ बुलाने लगा,,, शीतल एकदम मंत्रमुग्ध थी शुभम के आकर्षण में पूरी तरह से बंधी हुई थी वह अपने मन से कोई भी कार्य नहीं कर रही थी जो कुछ भी शुभम कह रहा था वैसा ही वह कर रही थी ऐसा लग रहा था जैसे शुभम ने उसे जादू से मोह लिया हो उसके दिमाग पर पूरी तरह से काबू पा लिया हो,,, शुभम के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर शीतल अपने आपे में बिल्कुल नहीं थी वह घुटनों के बल चलती हुई बिस्तर पर ही एकदम किनारे पहुंच गई जहां पर शुभम खड़ा था शीतल ललचाई आंखों से शुभम के लंड को देख रही थी,,,, शुभम अच्छी तरह से जानता था कि शीतल को अब क्या चाहिए इसलिए अपना एक कदम आगे बढ़ा कर वह अपने लंड को हिलाते हुए अपने लंड को शीतल के चेहरे के बिल्कुल करीब ले गया शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपने चेहरे के इतने करीब पाकर उसकी गर्मी को शीतल अपनी गोरे गोरे गाल पर महसूस करने लगी,,, वह पागल हुए जा रही थी उसके मुंह में पानी आ रहा था साथ में उसकी बुर भी पूरी तरह से गीली होकर चिपचिपा रही थी,,, शुभम अपने लैंड को हाथ से पकड़ कर उसे शीतल के गोरे गोरे गाल पर रगड़ना शुरु कर दिया लंड के मोटे सुपाड़े की गर्माहट शीतल अपने गोरे गाल पर महसूस करके मदहोश हुए जा रही थी,,, सुभम अपने लंड को जोर-जोर से उसके चेहरे पर पटक रहा था,,, शुभम के मोटे तगड़े लंड की चोट उसे अपने चेहरे पर लग रही थी लेकिन मोटे लंड की यह चोट दर्द कम मजा ज्यादा दे रहा था शुभम पागलों की तरह अपने लडके सुपाड़ा को शीतल के पूरे चेहरे पर रगड़ रहा था शीतल बार-बार अपने होठों को खोल कर उसे अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन शुभम उसको तड़पाते हुए बार-बार अपने लंड को उसके होठों से लगाकर दूर कर दे रहा था,,,। अपने मुंह में लंड लेने की शीतल की यह तड़प देखकर सुभम मन ही मन बहुत खुश हो रहा था,,,,, शुभम शीतल को और ज्यादा ना तड़पाते हुए अपने लंड को उसके लाल-लाल होठों पर रगडते हुए बोला,,,,,

मुंह तो खोलो मेरी जान जरा लॉलीपॉप चूसने का मजा तो ले लो,,,,,,
( शुभम ने जैसे ही यह बात अपने मुंह से कहा वैसे ही तुरंत आज्ञा का पालन करते हुए शीतल अपने लाल लाल होठों को खोलकर शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेने का प्रयास करते हुए एक तरह से उसका स्वागत करने लगी शीतल के दोनों होठ खुले हुए नजर आते ही शुभम अपने मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े को उसके होठों के बीच में फसा दिया,,,, बाकी का काम शीतल अपने आप कर गई वह धीरे-धीरे करके शुभम के मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,, शीतल की मनोकामना एक बार फिर पूरी होती नजर आ रही थी क्लास में रिशेष के समय सबसे नजरें बचाकर चोरी-छिपे शुभम के लंड का स्वाद वह एक दो बार ले चुकी थी लेकिन आज इत्मीनान से शुभम के लंड को अपने मुंह में लेकर जो मजा उसे मिल रहा था उसे वह बयां नहीं कर सकती थी,,,
देखते ही देखते शीतल धीरे-धीरे करके शुभम के लंबे लंड को अपने गले तक उतारकर उसे चूसने लगी शीतल को लंड चूसने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,, शुभम भी मदहोश होता हुआ अपनी कमर को आगे पीछे कर के धक्के लगाना शुरू कर दिया शुभम को बड़ा मजा आ रहा था क्योंकि शीतल बहुत ही मजे हुए खिलाड़ी की तरह शुभम के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी शुभम का लंड इतना मोटा था कि उससे बराबर अपना मुंह भी खोला नहीं जा रहा था,,,,,
पूरे कमरे का वातावरण पूरी तरह से गर्म हो चुका था ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में शीतल का गोरा बदन बेहद उत्तेजक लग रहा था शुभम पागलों की तरह अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए शीतल के मुंह को चोदना शुरू कर दिया था उसकी आंखों के सामने शीतल का ब्लाउज नजर आ रहा था जिसका एक बटन खुला हुआ था और उसके बीच से नजर आ रही थी उसकी दोनों को गोलाइयां,,, शीतल की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूची को देखकर शुभम के मुंह में पानी आ गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही उसके बड़े बड़े दूध को मसल ना शुरू कर दीया शुभम इतनी जोर से ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियों को दबा रहा था कि शीतल को दर्द होने लगा था लेकिन लंड चूसने के आनंद से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी कि वह कुछ बोल नहीं रही थी,,,, बस उनके द्वारा दिए जाने वाले आनंद का लुफ्त उठा रही थी,,,।
धीरे-धीरे करके शुभम शीतल के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया और ब्लाउज के खुलते ही उसकी लाल रंग की ब्रा नजर आने लगी जिसमें उसके बड़े बड़े दूध ठीक तरह से समा भी नहीं पा रहे थे,,, शीतल के खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी चूची यों के लिए चिकन की लाल रंग की ब्रा बहुत ही छोटी थी जिसमें उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां संभाल नहीं पा रही थी और आधे से ज्यादा चूचियां तो उसके ब्रा से बाहर झांक रहे थे अगर वह जोर से सांस ले ले तो ऐसा लग रहा था कि ब्रा का हुक पीछे से खुल जाए,,,, शुभम बिना ब्रा का हुक खोलें अपने दोनों हाथों से सीकर की बड़ी बड़ी चूची को पकड़कर ऊपर की तरफ खींच लिया जिससे उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूची फुटबॉल कितना बाहर आकर उछलने लगी और वह जोर-जोर से उन्हें दबाना शुरू कर दिया शीतल को दर्द हो रहा था लेकिन मुंह में लंड होने की वजह से वह खाली हूं हू कर रही थी,,, और बड़ी-बड़ी आंख निकालकर शुभम को देख रही थी शुभम उसके चेहरे के हाव-भाव को देखकर समझ गया था कि चूची दबाने से उसे दर्द हो रहा है लेकिन यह भी वह अच्छी तरह से जानता था कि दर्द में ही मजा है इसलिए वह चूची दबाना जारी रखा,,,, दोनों पागल हो रहे थे शुभम पागलों की तरह शीतल की चूचियों को दबाता हुआ अपनी कमर को आगे पीछे करके हिला रहा था कभी-कभी तो वह अपने लंड को पूरा शीतल के गले तक डालकर वैसे ही रुका रह जा रहा था जिससे शीतल को सांस लेने में तकलीफ हो जा रही थी और वह जोर से शुभम को धक्का दे देती थी और वापस फिर से उसे मुंह में लेकर चूसने लगती थी,,,,

मजा आ रहा है ना मेरी जान,,,( शुभम दोनों हाथों से शीतल की नंगी चूचियों को दबाता हुआ बोला,,, और शीतल सिर्फ हां में सिर हिला कर उसका जवाब देने लगी,,,)

आज देखना मेरी रानी तेरी बुर का कैसे भोसड़ा बनाता हूं अपने लंड से,,,,( शुभम के इस बात से शीतल बोली कुछ नहीं बस शुभम को देखती रही शुभम उसके चेहरे के हाव-भाव को पढता हुआ समझ गया कि वह भी उतावली है उसके मोटे लंड को अपनी बुर मे लेने के लिए,,, शुभम जोर-जोर से अपनी कमर हिलाने लगा,,,, शीतल भी बराबर का साथ देते हुए जबरदस्त तरीके से शुभम के लंड पर अपनी जीभ फेरने रही थी,,,, शुभम को डर था कि कहीं उसके मुंह में ही उसका पानी ना निकल जाए इसलिए वह तुरंत अपने लंड को उसके मुंह में से वापस खींच लिया,,,, शीतल के मुंह में से पक्क की आवाज के साथ शुभम का मोटा तगड़ा लंड बाहर आ गया,,,, शीतल पागलों की तरह शुभम के लंड को देखने लगी जो कि उसके थूक और लार से पूरी तरह से गिला होकर ऊपर नीचे हो रहा था,,,, शीतल गहरी गहरी सांसे लेते हुए ललचाए आंखों से अभी भी शुभम के लंड को देख रही थी उसका चेहरा पूरी तरह से सुर्ख लाल हो गया था,,,, शुभम जानता था कि शीतल अभी अपने मुंह से उसके लंड को निकलने देना नहीं चाहती थी इसलिए शुभम अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,,।

हाय मेरी रानी शीतल मेरी जान अब समय आ गया है इस लंड को पूरा का पूरा तुम्हारी बुर में डालने का मैं जानता हूं तुम्हारी बुर एकदम तड़प रही है मेरे लंड को अपने अंदर लेने के लिए,,,( शुभम हल्के से छुपकर अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर बेशर्म की तरह शीतल की भूल पर अपनी हथेली रखकर उसे रगड़ते हुए बोला,,, शुभम के ऊन्मादक हरकत की वजह से शीतल पूरी तरह से सिहर उठी एक बार फिर से वह शुभम की हरकत से शर्मिंदा हो गई यह बात उसे कुछ अजीब लग रही थी कि उसके बेटे की उम्र का लड़का उसके साथ इस तरह की हरकत कर रहा है जबकि वह अपने घर पर बुलाई ही थी इसी तरह की हरकत करने के लिए लेकिन सितम को इस बात का एहसास हो रहा था कि दोनों के बीच की उम्र की दूरी काफी गहरी थी जिससे शुभम के द्वारा इस तरह की हरकत की अपेक्षा वह बिल्कुल भी नहीं की थी,,,, शुभम अभी भी पागलों की तरह अपनी हथेली से शीतल की गुलाबी बुर को मसल रहा था जिससे शीतल के बदन में उन्माद चढ रहा था,,, उत्तेजना के असर में वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी। शुभम की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से चुद वासी हो गई थी उसके लव कुछ बोलने के लिए खुल नहीं पा रहे थे,,, वह कुछ बोलने के लिए अपने होंठ खोली ही थी कि सुभम ऊसके लाल-लाल होठों को देखकर अपने आप को रोक नहीं पाया और उसकी बुर को अपनी हथेली से रगड़ता हुआ अपने होंठ को उसके होंठ पर रखकर उसके होठों का रसपान करने लगा,,,, एक बार फिर से शीतल के बदन में खुमारी छाने लगी उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फुटने लगी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है वह खुद शुभम के लंड से कहना चाहती थी एक तरह से वह शुभम को अपने घर बुलाकर उसे खिलौना बना कर उसके साथ खेलना चाहती थी लेकिन उसके सोचने के मुताबिक कुछ भी नहीं हो रहा था बल्कि सब कुछ उल्टा होता चला जा रहा था शुभम ही उसके बदन से खेल रहा था अपनी मनमानी कर रहा था जैसा वह कह रहा था वैसा उसको करना पड़ रहा था,,,, शीतल शुभम को नादान समझ रही थी लेकिन वह यह नहीं समझ पाएगी शुभम कोई सीधा-साधा लड़का नहीं है जो उसके हाथों की कठपुतली बनकर जैसा वह कहे वैसा ही वह करें,, उसे तो शुभम के बारे में कभी समझ लेना चाहिए था जब वह पलंग पर अपनी मां को चोदते हुए पूरी पलंग हिला रहा था उसे समझ जाना चाहिए था कि शुभम सीधा साधा लड़का बिल्कुल भी नहीं है वह घाट घाट का पानी पिया हुआ लड़का है जिसके साथ वह मनमानी नहीं कर सकती बल्कि वह ही उसके मन में आए वैसे उसके साथ खेल सकता है और वैसा हो भी रहा था,,, शुभम अपने मन से शीतल के बदन से अपने तरीके से खेल रहा था और तभी तो वह इस समय उसके होठों को चूसता हुआ उसकी बुर को जोर-जोर से रगड़ रहा था जो कि यह वह उन्माद की स्थिति में कर रहा था लेकिन इसके पीछे भी एक राज था वह इस तरह से शीतल को पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था ताकि जैसे ही उसका लंड उसकी बुर में जाए वह पागलों की तरह अपनी गांड उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी बुर में लेने की भरपूर प्रयास करते हुए एक दम मस्त हो जाए तभी जबरदस्त तरीके से उसे चोदने में शुभम को आनंद ही आनंद प्राप्त होगा,,,
और वैसा हो गया था शुभम पागलों की तरह उसके होंठों को चूस रहा था वह जोर-जोर से अपनी हथेली से उसकी बुर को रगड़ रहा था जिससे थोड़ी ही देर में शीतल एकदम गरम हो गई पूरी तरह से मस्त हो गई उसकी आंखों में नशा छाने लगा मदहोशी छाने लगी उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि अब वह अपनी बुर में उसके मोटे लंड को लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है,,,,, और शुभम अपने होठों को उसके होठों से अलग करता हुआ सीधा खड़ा हुआ और बोला,,,

अब आएगा तुम्हें चोदने का असली मजा। ( ऐसा कहते हुए शुभम शीतल के बदन पर से बाकी के कपड़े भी उतारना शुरू कर दिया देखते ही देखते सुगंध शीतल के बदन पर से उसके ब्लाउज को उतार कर फेंक दिया साथ ही उसकी ब्रा की पट्टी को खोल कर उसे एक झटके से उसके बदन से अलग कर दिया,,, ऊपर और नीचे से शीतल पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी बस बीच में उसकी साड़ी और पेटीकोट बची हुई थी जिसे शुभम धीरे से खुलता हुआ धीरे-धीरे उसकी साड़ी को भी उसके बदन से अलग कर दिया और देखते ही देखते पेटिकोट की दूरी को खोल कर पेटीकोट को उसकी टांगों से नहीं बल्कि पेटीकोट पकड़कर उसे ऊपर की तरफ से उसके हाथों से होते हुए उसके सर से बाहर निकाल कर फेंक दिया अब इस समय शीतल उसकी आंखों के सामने पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में शीतल का गोरा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था पूरे कमरे में शीतल के हुस्न की चमक फैली हुई थी शुभम भी पूरी तरह से मंगा खड़ा था उसका लंड पूरी औकात में था लेकिन शीतल शर्मा रही थी अपने आप में सिमटती चली जा रही थी,,, जिस पल के लिए वह महीने से इंतजार कर रही थी वह पल उसके हाथों में था जिसके अंदर वह पूरी तरह से खो जाना चाहती थी अपने आपको निहाल कर लेना चाहती थी पागलों की तरह इस पल का मजा लेना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों इस समय वह शुभम से शर्मा रही थी शायद उसे इस बात का एहसास हो गया था कि शुभम और उसके बीच जो उम्र की दूरी है वह काफी गहरी है वह उसके बेटे के जैसा है जिसके सामने वह पूरी तरह से नंगी बैठी हुई है और वह खुद एकदम नंगा होकर अपना लंड उसके सामने हिला रहा है उसके लिए यह पल ना जाने क्यों शर्मसार लगने लगा जबकि यह नजारा उसके लिए बेहद उत्तेजक और आनंद से भरा हुआ था,,,,
शुभम सेवा अपनी नजरें चुरा रही थी जो कि शुभम एकदम बेशर्म की तरह अपने लंड को हिलाते हुए बार-बार शीतल के नंगे बदन को स्पर्श करके आनंद ले रहा था,,,, शीतल शुभम से नजरे बचाते हुए इधर उधर देख रही थी और शुभम पागलों की तरह शीतल की दोनों बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों को देख रहा था जिसे देखकर उसके होठों पर प्यास तैरने लगी,,,,, शुभम आगे बढ़ा और दोनों हाथों को एक बार फिर से शीतल की दोनों चुचियों पर रखकर उसे दबाने लगा,,,,

आहहहहहहह,,, शीतल मेरी जान मेरी रानी मेरी छम्मक छल्लो,,,,,( शुभम की यह सारी बातें खास करके छम्मक छल्लो वाले शब्द को अपने कानों से सुन कर शीतल शुभम के सामने शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही धीरे-धीरे करके शुभम उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर उसे हल्के हल्के दबाव देते हुए बिस्तर पर लेट आने लगा और देखते ही देखते वह पीठ के बल पूरी तरह से बिस्तर पर लेट गई और उसके ऊपर शुभम पूरी तरह से छा गया उसकी कमर के इर्द-गिर्द अपनी पैर के घुटने रखकर वह दोनों हाथों से शीतल की चूचियों को दबाता हुआ उसके निप्पल को मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया,,,, जैसे ही वह शीतल की कड़क निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू किया वैसे ही शीतल के बदन में आग लग गई वह पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगी और उसके मुंह से हल्की सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,

ससहहहह,,,आहहररहह सुभम,,,,
 
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Sandy66

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अब आएगा तुम्हें चोदने का असली मजा। ( ऐसा कहते हुए शुभम शीतल के बदन पर से बाकी के कपड़े भी उतारना शुरू कर दिया देखते ही देखते सुगंध शीतल के बदन पर से उसके ब्लाउज को उतार कर फेंक दिया साथ ही उसकी ब्रा की पट्टी को खोल कर उसे एक झटके से उसके बदन से अलग कर दिया,,, ऊपर और नीचे से शीतल पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी

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Desi Man

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बहुत उत्तेजक अपडेट हैं दोस्त
 
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