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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

rohnny4545

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रोहन भाई, आशा है की हमें जिस तरह हमें " एक अधूरी प्यास.... 2 " मिली, उसी प्रकार " होता है जो वो हो जाने दो.... 2 " भी एक दिन देखने को मिले। :)
हो सकता है
 
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rohnny4545

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शीतल मन ही मन मुस्कुरा रही थी वह बहुत खुश थी क्योंकि आज जो उसे खुशी और तन का सुख मिलने वाला था उसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,, दूसरी तरफ निर्मला पार्टी में थी लेकिन उसका मन वहां पर बिल्कुल भी नहीं लग रहा था वहां पर शहर के माने जाने लोग अपनी अपनी बीवी के साथ पार्टी में शामिल हुए थे लेकिन सभी की नजर घूम फिर कर निर्मला पर ही टिक जाती थी वैसे भी पार्टी में आए सभी लोगों की बीवी से सबसे ज्यादा खूबसूरत निर्मला ही थी और यह बात पार्टी में आई दूसरी औरतों को खटक भी रही थी क्योंकि किसी न किसी बहाने उन लोगों के पति अशोक से जाकर मिल रहे थे और उसकी पत्नी से हाय हेलो कर रहे थे,,,
शीतल किचन से बाहर निकलने से पहले एक बार साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर पर हाथ लगाकर यह देख लेना चाहती थी कि वाकई में उसकी पेंटी गीली हुई है कि नहीं और साड़ी के ऊपर से ही अपनी पेंटी पर हाथ लगाते हैं उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसकी पेंटी बुरी तरह से गीली हो चुकी थी। अपने गीलेपन के एहसास से शीतल मन ही मन प्रसन्न होने लगी,,, और पानी की दोनों बोतल लेकर वह किचन से बाहर आ गई अभी तक शुभम ने खाना शुरू नहीं किया था।

शुभम तुमने तो अभी तक सच में खाना शुरू नहीं किया (दोनों बोतल को डाइनिंग टेबल पर रखते हुए अपनी बड़ी-बड़ी बड़ी गांड को कुर्सी पर रखकर बैठ गई)

तुम्हारी शादी की सालगिरह है भला तुम्हारे पहले खाए बिना मैं कैसे खा सकता हूं,,,

औहह शुभम तुम कितने अच्छे हैं सच में तुम्हारी जिस से भी शादी होगी वह दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की होगी,,

Sheetal

coin flip game
तुम बनना चाहोगी दुनिया की सबसे खूबसूरत और खुशनसीब लड़की,,,,

लड़की,,,,,,, तुम पागल तो नहीं हो गए हो मैं औरत हूं और तुम मुझे लड़की कह रही हो,,

सच कहूं तो तुम मुझे लड़की से कम नहीं लगती है अगर तुम्हारे सामने एक लड़की को खड़ा कर दिया जाए तो वह तुम्हारे सामने पानी भर्ती हुई नजर आएगी,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम पहला निवाला अपने हाथों से शीतल को खिलाते हुए बोला शीतल भी शुभम के द्वारा चलाए गए पहले निवाले को प्रसन्नता के साथ मुंह में भर ली और खाने लगी,,, शुभम की बातें सुनकर उसे बेहद खुशी हो रही थी दुनिया में ऐसी कोई भी औरत नहीं है जो अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर खुश ना हो,,,। वह कुछ बोल नहीं रही थी बस निवाले को अपने दांतो से चबाते हुए मुस्कुरा रही थी,,,

लेकिन शीतल मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है,,,( निवाला अपने मुंह में डालते हुए) कि जिस दिन से मम्मी तुमको और मुझे क्लास रूम में उस स्थिति में देखी थी तब से वह मुझे कभी तुम्हारे पास भी भटकने नहीं देती थी तो आज ऐसा क्या हो गया जो मुझे खुद तुम्हारे घर पर भेज दी और यह जानते हुए कि तुम घर पर अकेली हो और वह भी रात के समय,,,,

मैं अच्छी तरह से जानती थी कि यह सवाल तुम्हारे मन में जरूर उठ रहा होगा,,,,( शीतल मुस्कुराते हुए बोली)




मैं कुछ समझा नहीं,,,

यह समझ लो कि एक न एक दिन सब का दिन आता है और आज मेरा दिन है,,,,( इतना कहते हुए वह दूसरा निवाला लेकर खाना शुरु कर दी,,, शुभम को अभी भी कुछ भी समझ में नहीं आया था उसके लिए बहुत बड़ा प्रश्न था कि उसकी मां ने आखिर अकेले ही शीतल के घर पर क्यों उसे भेज दी,,, यह बात उसके लिए राज था,,, लेकिन वह कुछ बोला नहीं बस खाने का लुफ्त उठाने लगा। शीतल के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी आज उसे अपने मन की सारी मुराद को पूरी करना था,,, हर नीवाले के साथ उसे ऐसा एहसास हो रहा था कि वह शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपने गले के नीचे गटक रही है,,, पेंटी का चिपचिपा पन ऊसे बराबर महसूस हो रहा था,, पर वह अपने वजूद को अपनी पेंटी में पिघलता हुआ महसूस कर रही थी,,, कामुक और प्यासी औरतों का वजूद उनकी पैंटी तक ही सीमित रहता है जिस तरह से शीतल का था,,, शुभम जो कि उसके बेटे के ही उम्र का था अपनी कामुकता की वजह से उसे शुभम पर पूरी तरह से आकर्षण हो गया था और वह अपने बेटे की उम्र के लड़के की वजह से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गई थी और वह अपनी पेंटी को भी दो होती हुई महसूस कर रही थी,,, शीतल पूरी तरह से चुदवाती हो गई थी और वह चलते-चलते शुभम को लेकर अपने कमरे में घुस जाना चाहती थी इसलिए वह जल्दी से खाने का कार्यक्रम से मिलाकर कुर्सी पर से खड़ी हुई,,, और शिवम को वहीं रुकने के लिए बोलकर बाथरूम की तरफ जाने लगी उसे बहुत जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह शुभम के लंड को अपनी बुर में लेने से पहले पूरी तरह से नमकीन पानी निकाल देना जाती थी इसलिए वह जल्दी से बाथरूम में घुस गई,,, शुभम उसे जाता हुआ देख रहा था और जब उसे इस बात का अहसास हुआ कि शीतल बाथरूम में गई है तो वह भी उसके पीछे पीछे चल दिया बाथरूम के दरवाजे के करीब पहुंचते ही उसे बहुत जोरों की सीटी की आवाज सुनाई दी और उस सिटी की आवाज सेवा अच्छी तरह से वाकिफ था क्योंकि इस तरह की सीटी की आवाज वह महीनों से सुनता आ रहा था उसे समझते देर नहीं लगी कि शीतल मुत रही है,,, यह ख्याल और एहसास उसके मन में आते वह पूरी तरह उत्तेजना से भर गया। शीतल को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि शुभम बाथरूम तक उसके पीछे-पीछे आ जाएगा इसलिए वह बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ रखी थी,,, लेकिन दरवाजा खुला पाकर शुभम का मन मचलने लगा उसने अब तक ना जाने कितनी औरतों को पेशाब करते हुए देखा था आज उसके मन में शीतल को पेशाब करते हुए देखने की लालच पनपने लगी और वह अपनी इस लालच को रोक नहीं पाया और सीधा बाथरूम के दरवाजे खड़े हो गया जहां से सीधा उसकी नजर शीतल पर पड़ी जो दरवाजे के ठीक सामने बैठकर पेशाब कर रही थी।,,,, शुभम के तो होश उड़ गए एक साथ चार बोतलों का नशा उसकी आंखों में उतर आया वो कभी सोचा नहीं था कि एक औरत पेशाब करते हुए इतनी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लगती होगी ऐसा लग रहा था कि आसमान से कोई अप्सरा नीचे जमीन पर उतर कर आई है सिर्फ और सिर्फ पेशाब करने के लिए,,,
शुभम की तो आंखें फटी की फटी रह गई उसकी पलक झपकना भूल गई वो पागलों की तरह शीतल को मूतते हुए देख रहा था,,, कदमों की आवाज की आहट सुनकर शीतल को एहसास हो गया कि शुभम भी उसके पीछे-पीछे बाथरूम में आ गया है,,, लेकिन शीतल के लिए यह पल ऐसा था कि शुभम पर सब कुछ अपना तन मन सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार हो चुकी शीतल शुभम की इस हरकत से पूरी तरह से शर्मसार होने लगी क्योंकि आज तक उसने किसी मर्द के सामने पैसा आप नहीं की थी और ना ही किसी मर्द ने उसे पेशाब करते हुए देखा था,,,।
शीतल शर्मा से गाड़ी जा रही थी कि उसे मालूम था कि इस समय शुभम ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसकी बड़ी-बड़ी गांव को देख रहा होगा और उसके रसूलपुर से भूत आते समय निकल रही सीटी की आवाज जरूरत के कानों तक जा रही होगी इस आभासी से वह पूरी तरह से शर्म से घड़ी जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस पल का सामना कैसे करें जबकि वह शुभम से चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी और एक जब औरत एक मर्द से संपूर्ण रूप से चुदवाने के लिए तैयार हो जाती है तो उसके लिए शर्म कोई मायने नहीं रखती लेकिन यहां पर शीतल के लिए यह पल बेहद शर्मनाक था लेकिन फिर भी शर्मसार होने के बावजूद भी उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूट रही थी उसे उत्तेजना का भी एहसास हो रहा था कि वह आज एक गैर मर्द के सामने गैर मर्द क्या अपने ही बेटे के उम्र के लड़के के सामने वह अपनी गांड खोल कर मुत रही थी,,,, शीतल को इतनी जोरों से पेशाब लगी हुई थी कि वह अभी तक अपनी बुर में से पेशाब की धार मार रही थी जो कि सामने की दीवार की चिकनी टाइल्स पर पडते ही मोतियों के दाने की तरह फैल जा रही थी,,,,, यह पल शुभम के लिए और खास करके शीतल के लिए बेहद अद्भुत उन्माद से भरा हुआ था। इस तरह का नजारा मर्द अपनी जिंदगी में बहुत ही कम ही बार देख पाता है खास करके दूसरी औरतों को इस अवस्था में देख पाना तो शायद ही किसी मर्द के लिए नसीब हो,,, लेकिन शुभम इन सब में अपवाद था वह कई बार औरतों को इस तरह से पेशाब करते हुए देख चुका था एक तरह से पेशाब करते हुए औरतों को देखना शुभम के लिए बेहद उत्तेजना वाला पल साबित होता था और इसी के लिए वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और दरवाजे पर खड़े-खड़े ही अपने पेंट की चैन खोलकर अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे हिलाना शुरू कर दिया था जो कि अभी तक शर्म के मारे शीतल अपनी नजर घुमाकर पीछे खड़े शुभम को देखी नहीं थी वह बस शर्म का एहसास लिए पेशाब किए जा रही थी,,,,,,, तभी वह शुभम की बात सुनकर और ज्यादा शर्मसार होने लगी।



आहहहहह,,,,, मेरी जिंदगी का सबसे हसीन नजारा मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं मैं कभी सोचा नहीं था कि एक औरत पेशाब करते हुए इतनी खूबसूरत लगती है मैंने तो अभी तक किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा हूं लेकिन तुमको देख कर मुझे यह एहसास हो रहा है कि यह पल मेरी जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल है।,,,
( शुभम किस तरह की बातें सुनकर शीतल को उत्तेजना का एहसास तो हो ही रहा था साथ ही उसे शर्मिंदगी का भी एहसास हो रहा था उसके चेहरे का रंग लाल सुर्ख हो गया था वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर्ती चली जा रही थी शुभम की यह बात सुनकर वह शुभम की तरफ देखे बिना ही बोली।)

क्या कर रहे हो शुभम मुझे क्यों इस तरह से शर्मिंदा कर रहे हो,,,,,

इसमें शर्मिंदा करने वाली कौन सी बात है मेरा नसीब अच्छा था कि मैं तुम्हारे पीछे पीछे ईधर आ गया वरना इस तरह का खूबसूरत नजारा मैं अपनी आंखों से कभी नहीं देख पाता (शुभम अपने खड़े लंड को हाथ से हिलाते हुए बोला जो कि शीतल को इस बात का अहसास तक नहीं था कि शुभम ठीक उसके पीछे दरवाजे पर खड़ा होकर अपना लंड हिला रहा है।)

चले जाओ सुभम मुझे शर्म आ रही है मुझे इस तरह से मेरे पति ने भी कभी नहीं देखा है,,,,

इसका मतलब मैं दुनिया का पहला इंसान हूं जो तुम्हें इस तरह से पेशाब करते हुए देख रहा हूं,,,,,

अच्छा शीतल क्या सभी औरतें इतनी ज्यादा सेक्सी और खूबसूरत लगती है पेशाब करते हुए या सिर्फ तुम्ही लग रही हो,,,,

मुझे क्या मालूम मैं क्या सब को देखने जाती हूं क्या,,,,

देखने तो नहीं जाती लेकिन फिर भी जिस तरह से हम लड़के एक साथ पेशाब करते हैं और एक दूसरे का लंड कैसा है इस बारे में जान लेते है उसी तरह से तुम औरतें लोग भी तो एक साथ कहीं पेशाब करती होगी तो एक दूसरे का तो देख ही लेती होगी कि किसकी गांड कैसी है किसकी बुर कैसी है,,,,


धत्,,,,, तो बहुत शरारती लड़का है मुझे आज पता चल रहा है,,,। मैं कभी सोची नहीं थी कि तुम इस तरह की गंदी बातें भी करता होगा,,

हम लड़के लोग तो ऐसे ही होते हैं लेकिन तुम औरतें कैसी होती हो यह तो तुम्ही बता सकती हो,,,( शुभम का लंड अपनी औकात में आ चुका था वह धीरे-धीरे अपने लंड को आगे पीछे करते हुए हिला रहा था जिस पर अभी तक शीतल की नजर नहीं पड़ी थी,,, अब उसकी बुर से सीटी की आवाज आना बंद हो गई थी इसका मतलब साफ था कि वह पेशाब कर चुकी थी अब किसी भी वक्त वह खड़ी हो सकती थी इसलिए सुभम एक पल की भी देरी किए बिना धीरे-धीरे उसकी तरफ आगे बढ़ने लगा,,,, वह खड़ी होती है इससे पहले ही वह ठीक उसके बगल में जाकर खड़ा हो गया उसी समय शीतल खड़ी हो रही थी और अपनी साड़ी को नीचे गिराते हुए सही कर पाती इससे पहले ही उसकी नजर शुभम के खड़े लंड पर पड़ गई और वह उसी तरह से जड़वंत तक खड़ी की खड़ी रह गई,,,, शीतल के होश उड़ गए जैसा पहले देखी थी उससे भी कई ज्यादा ताकतवर उसे आज शुभम का लंड लग रहा था उसकी मोटाई देखकर एक पल के लिए तो शीतल घबरा गई कि इतनी मोटे लंड को अपनी बुर की छोटे से छेद में ले पाएगी कि नहीं,,,, पेशाब करते हुए शुभम के द्वारा देख लिए जाने पर अभी तक शीतल के चेहरे पर शर्म का एहसास साफ झलक रहा था और इस तरह से शुभम का लंड देख लेने पर उसकी हालत खराब होने लगी। शीतल पूरी तरह से असमंजस में थी और शुभम उसकी असमंजस ता दूर करते हुए बोला,,,

तुम्हें मुतता हुआ देखकर मुझे भी पेशाब लग गई,,,,
( शुभम की यह बातें सुनकर एक बार फिर से शीतल के चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी क्योंकि इस तरह से तो आज तक उसके पति ने भी उसे से यह बात नहीं कही थी और शुभम उसके बेटे की उम्र का होने के बावजूद भी इतनी खुले शब्दों में उससे बात कर रहा था यह एहसास ही उसे एक दम शर्मिंदगी के साथ-साथ उत्तेजना से भर दे रहा था,,। शीतल से कुछ बोला नहीं जा रहा था वह बस एक एक शुभम के मोटे तगड़े लंड को देखे जा रही थी मानो उसने अपनी आंखों से कोई अद्भुत चीज देख ली हो,,, शुभम भी पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था क्योंकि अभी तक शीतल अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए खड़ी थी अभी तक अपनी साड़ी को नीचे गिरा ही नहीं थी जिससे उसकी लाल रंग की पैंटी अभी भी उसकी घुटनों के ऊपर उसकी मांसल जांघों में फंसी हुई नजर आ रही थी और साथ ही उसकी चिकनी रसीली बुर एकदम मदहोश किए जा रही थी,,, बुर की पतली दरार देखकर शुभम के खुद होश उड़ने लगे,,,, क्योंकि शीतल की उम्र देखकर कोई भी नहीं कह सकता था कि शीतल की बुर इस तरह से दिखती होगी जैसे किसी जवान लड़की की दिखती है,,, शीतल अभी भी शुभम के लंड को देखे जा रही थी वह पूरी तरह से अपने होशो हवास खो बैठी थी,,, शुभम को भी अब जोरों की पेशाब लग चुकी थी उसे कंट्रोल नहीं हो रहा था इसलिए वह शीतल से बोला,,,,

शीतल अपनी नरम नरम हाथों में अगर मेरा लंड पकड़ कर थाम लो तो मैं अच्छे से पेशाब कर लूंगा,,,,
( शीतल तो यही चाहती थी जो उसके मन में था वह बात शुभम अपने मुंह से बोल दिया था वह कब बेकरार थी शुभम के लंड को अपने हाथों से पकड़ने के लिए लेकिन पेशाब करते हुए जिस तरह की शर्मिंदगी का अहसास उसे हो रहा था उस एहसास तले वह दबे जा रही थी और बोल कुछ नहीं पा रही थी इसलिए शुभम की यह बात सुनते ही वह तुरंत एक हाथ आगे बढ़ाकर शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में ले ली,,,, जैसे ही शीतल ने अपने हाथ में शुभम के मोटे तगड़े लंड को पकड़ी वैसे ही लंड की गर्माहट से उसका पूरा वजूद पिघलने लगा उसकी बुर से उसका नमकीन रस अमृत की बूंद बन कर नीचे टपक गया,,,, पूर्वा उत्तेजना के मारे कसके अपनी मुट्ठी में शुभम के लंड को दबोच ली,,,

ससससहहहह,,,, सुभम,,,,( उसके मुंह से इस तरह की कर्म सिसकारी फूट पड़ी और वह इससे आगे कुछ बोल नहीं पाए शुभम तुरंत अपने होंठ को उसके होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया और साथ ही मुतना भी शुरू कर दिया,,,, एक अद्भुत बेहद काम उत्तेजना से भरा हुआ नजारा बाथरूम में दर्शाया जा रहा था शीतल पूरी तरह से कामविभोर होकर शुभम के लंड को अपने हाथ में लेकर उसे मुतने में सहायता कर रही थी और शुभम अपनी उत्तेजना में पागल होकर शीतल के लाल लाल होठों को चूसता हुआ इस पल का पूरी तरह से आनंद ले रहा था,,, अभी भी है एक हाथ से शीतल अपनी साड़ी को उठाए हुए थे शुभम से रहा नहीं जा रहा था और वह वह अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी गरम-गरम हथेली को शीतल की तपती हुई बुर पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया,,,
ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,उउउउममममममम,,,

( शीतल की बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसलिए शुभम उसके अंदर अपनी बीच वाली उंगली को डालने की लालच को रोक नहीं पाया और जैसे ही अपने बीच वाली उंगली को शीतल की बुर में प्रवेश कराया वैसे ही कामोत्तेजना से पागल होकर शीतल के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,,, शीतल पर चारों तरफ से शुभम हमला कर रहा था शीतल पूरी तरह से ध्वस्त हुए जा रही थी,,, शीतल का बदन उसके कामों में बिल्कुल भी नहीं था उसका एक हाथ शुभम के लंड पर था और शुभम के साथ किए जा रहा था साथ ही वहां अपना एक हाथ शीतल की बुर पर रखकर उसने उंगली पर रहा था जिसकी वजह से शीतल कसमस आते हुए अपनी गांड को शुभम की उंगली पर गोल गोल नचा रही थी,,, शीतल ने अपनी जिंदगी में इस तरह की उत्तेजना का कभी भी एहसास नहीं की थी जिस तरह का एहसास हुआ अपने बाथरूम में शुभम के साथ कर रही थी,,, वह पूरी तरह से मदमस्त हुए जा रही थी वह बिल्कुल भी अपने होशो हवास में नहीं थी वह पूरी तरह से शुभम के आकर्षण में अपने वजूद को निकलता हुआ महसूस कर रही थी शुभम उसके साथ मनमानी कर रहा था जो कि यही शीतल भी चाहती थी देखते ही देखते शुभम भी पेशाब कर लिया लेकिन अभी भी शीतल उसके लंड को जोर से अपनी मुट्ठी में कस के ऊपर नीचे करके हिला रही थी। शीतल का मंदिर कुल भी नहीं हो रहा था शुभम के लंड को अपने हाथ से जुदा करने के लिए शुभम अभी भी अपनी उंगली को उसकी बुर में पेले जा रहा था और शीतल भी अपनी गांड को गोल-गोल उसकी उंगली पर नचा रही थी,,,, शीतल के सब्र का बांध टूटता हुआ नजर आ रहा था वह अपने आप पर काबू कर पाने में बिल्कुल भी असमर्थ साबित हो रही थी अपने मुंह से तो कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन इशारों ही इशारों में शुभम से बहुत कुछ बोल दे रही थी अब उसकी बुर में उंगली नहीं बल्कि उसका नंबर चाहिए था जो कि वह अपना यह सारा दर्शाते हुए शुभम के लंड को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थी जो कि शुभम भी उसके सारे को समझ रहा था लेकिन वह इतनी जल्दी उसकी बुर में लंड पेलना नहीं चाहता था इसलिए वह तुरंत अपनी मर्दाना ताकत दिखाते हुए शीतल को उसी स्थिति में अपनी गोद में उठा लिया शीतल को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि शुभम इस तरह से उसे अपनी गोद में उठा लेगा और उसे विश्वास भी नहीं हो रहा था क्योंकि शुभम के मुकाबले शीतल का वजन बहुत ज्यादा था


लेकिन शुभम गठीला बदन का मर्दाना ताकत से भरपूर नव जवान लड़का था और वह अपनी ताकत दिखाते हुए शीतल को इस समय अपनी गोद में उठा लिया और उसे जरा भी दिक्कत नहीं हो रही थी उसे गोद में उठाने में,,,,
लेकिन शुभम की इस हरकत पर शीतल एक बार फिर से शर्मसार होने लगी,,, शर्म के मारे उसके गाल एक बार फिर से टमाटर की तरह लाल हो गए,,,,

क्रमशः
 
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kabir singh

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लेकिन यहां पर शीतल के लिए यह पल बेहद शर्मनाक था लेकिन फिर भी शर्मसार होने के बावजूद भी उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूट रही थी उसे उत्तेजना का भी एहसास हो रहा था कि वह आज एक गैर मर्द के सामने गैर मर्द क्या अपने ही बेटे के उम्र के लड़के के सामने वह अपनी गांड खोल कर मुत रही थी,,,, शीतल को इतनी जोरों से पेशाब लगी हुई थी कि वह अभी तक अपनी बुर में से पेशाब की धार मार रही थी जो कि सामने की दीवार की चिकनी टाइल्स पर पडते ही मोतियों के दाने की तरह फैल जा रही थी Nice update bhai
 
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Desi Man

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अति कामुक अपडेट है दोस्त
 
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