तैयारी हो चुकी थी नए सफर के लिए,,, शुभम काफी उत्साहित था इस नए अनुभव के लिए और निर्मला के दिल की धड़कन सोच कर ही जोरों से धड़क रही थी कि जब एक साथ तीनों मिलेंगे तो क्या होगा,,,, और शीतल तो व्याकुल थी जल्द से जल्द शिमला पहुंचने के लिए वहां की ठंडी वादियों में तीनों की गरम जिस्म एक नया अध्याय लिखेंगे,,, तकरीबन 16 से 18 घंटे का रास्ता तय करना था शिमला पहुंचने के लिए इसलिए तीनों बड़े सवेरे ही घर से निकल गए,,,
निर्मला ने पीली रंग की साड़ी पहनी हुई थी जिसमें उसका गोरा बदन बेहद मनमोहक लग रहा था,,, निर्मला का कसा हुआ गदराया बदन पीली साड़ी में निखर कर सामने आ रहा था,, तैयार होते समय ही सुभम की नजर अपनी मां पर पड़ी थी और उसे देखते ही शुभम काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था अगर थोड़ा और समय मिलता तो शायद शुभम तैयार होते होते ही अपनी मां की चुदाई कर दिया होता,,
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शीतल साड़ी की जगह लाल रंग का सूट पहनी हुई थी,,, जिसमें उसका भरावदार बदन काफी हद तक उसके लाल रंग की कसे हुए सूट में और ज्यादा कस गया था,,, कसी हुई ड्रेस होने के कारण शीतल के नितंबों का उभार कुछ ज्यादा ही बड़ा और गोल गोल तरबूज की तरह लग रहा था जिस पर नजर पड़ते हैं शुभम के लंड ने हल्की सी अंगड़ाई ली थी,,,
स्टेरिंग पर निर्मला बैठी हुई थी गाड़ी उसे ही चलानी थी और पीछे शीतल शुभम को कहां बैठना है,,, इसका फैसला हुआ खुद नहीं ले पा रहा था,,, वह कार के बाहर खड़ा था तो शीतल ही उसे अपने पास बैठने के लिए पीछे बुला ली,,, शीतल कि ईस बात पर निर्मला को थोड़ा गुस्सा जरूर आया था लेकिन ना जाने क्यों अब उसे ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी,,
गाड़ी सड़क पर दौड़ रही थी,,, शिमला में रहने का इंतजाम बहुत ही चौकस था,,, शीतल के बचपन की सहेली का बंगला वहा था जो कि आज कल न्यूयॉर्क में थी और शीतल जब भी मौका मिलता था तो वह शिमला घूमने निकल जाती थी,,, इसलिए वहां पर घूमने का अनुभव वहां के स्थानों का ज्ञान शीतल को अच्छी तरह से था इसलिए किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं थी,,,
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मुख्य सड़क पर निर्मला बड़े आराम से गाड़ी चला रही थी,,, वह बातों का दौर शुरू करते हुए बोली।
मेरा शुरू से ही सपना था शिमला घूमने का,,,
क्या कह रही हो निर्मला,,, क्या सच में तुम अभी तक शिमला नहीं गई हो,,,,?
हां मैं सच कह रही हूं मैं कभी शिमला नहीं कही लेकिन वहां जाने का बहुत मन करता है खास करके जब मेरी शादी हुई थी,,,
मतलब कि हनीमून मनाने के लिए,,,(बीच में तपाक से शुभम बोल पड़ा,, अब ऊसमें जरा भी शर्म बाकी नहीं रह गई थी,और इसमें ऐसा लग रहा था कि निर्मला को भी सुभम की बात सुनकर किसी भी प्रकार की दिक्कत महसूस नहीं हुई,,,,)
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लगता है शुभम तुम्हारी मां बर्फ की पहाड़ियों पर नंगी होकर तुम्हारे पापा से चुदवाना चाहती थी,,,
क्या बकवास कर रही हो सीता थोड़ा तो शर्म करो,,,
निर्मला क्या तुम्हें ऐसा लगता है कि अब हम तीनों को आपस में किसी भी प्रकार की शर्म करनी चाहिए,,, शुभम अब हम दोनों के लिए हमारा प्रेमी हमारा पति सब कुछ है।
(शीतल की बातें निर्मला को अंदर ही अंदर अच्छी भी लग रही थी,, लेकिन एक मां होने के नाते वह जानबूझकर ऊपर से शीतल की इस तरह की बातों से नाराज होने का दिखावा कर रही थी।) और सच कहूं तो निर्मला जो सपना तुमने अपने शादी के बाद जवानी के दिनों में देखी थी उसे पूरा करने का समय अब आ गया है,,,, मैं तुमसे पहले भी कह चुकी हूं कि हम तीनों अब अपनी हनीमून पर ही जा रहे हैं,,,
शीतल तुम्हारी यह सब बातें,,,, अब मैं क्या कहूं तुम सच में एकदम बेशर्म हो गई हो,,,
बेशर्म बनने में जो मजा है मेरी जान वह सीधी-सादी बनकर रहने में बिल्कुल भी नहीं है,,, तुम ही सोचो अगर तुम सीधी-सादी होती तो अब तक अपनी नीरस जिंदगी को घसीट घसीट कर आगे बढ़ा रही होती,,, बेशर्म बनने के बाद ही तुम्हें अपने बेटे का लंड प्राप्त हुआ है,,,,,
(अपनी मां और शीतल कि इस तरह की गंदी बातें सुनकर शुभम के तन बदन में आग लग रही थी एक तो कार के अंदर दुनिया की सबसे खूबसूरत दोनों औरतें उनका मादक बदन और ऊपर से उन दोनों के बदन में से आ रही लेडीज परफ्यूम की मादक खुशबू यह सब मिलाकर शुभम की हालत खराब किए हुए थे,,, जींस में शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था,,, जिसे वह बार-बार अपने हाथ से बैठाने की नाकाम कोशिश कर रहा था।)
देखो शीतल,, जब इंसान का पेट नहीं भरता तो ही वह बाहर पेट भरने के लिए निकलता है,,, साला मेरा पति अगर लायक होता तो मुझे इस तरह के दिन देखने ही नहीं पड़ते,,,।
मेरी भी तो यही तकलीफ है निर्मला,,, तुम्हारा तो चलो फिर भी घर में जुगाड़ हो गया मेरा क्या मेरे पति का तो खड़ा भी नहीं होता तुम तो शादी के कुछ साल तक अपने पति से चुदाई का मजा भी लेकर गईं लेकिन मेरे नसीब में तो यह भी नहीं था,,
(अपन दोनों औरतों की बातें सुन रहा था और मस्त हुआ जा रहा था उसे सब समझ में आ रहा था कि यह दोनों औरतें वास्तव में बहुत ही प्यासी है जिसमें से वह एक की तो प्यास बुझाता आ रहा था,,, अब दूसरे की भी प्यास बुझाने की जिम्मेदारी उसी पर थी,,, बार-बार सीकर निर्मला से बातें करते हुए अपनी गांड उठाकर सीट पर से खड़ी होकर अगली सीट पर अपने दोनों हाथ की कोहनी देखकर निर्मला से बात करने लगती थी जिससे शुभम को शीतल की भारी-भरकम गांड एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,, सीतल ने सलवार इतनी टाइट पहन रखी थी कि उसकी मद मस्त गोल-गोल गांड का पूरा भूगोल कपड़े पहने होने के बावजूद भी नजर आ रहा था,,, तुम दोनों की गरम बातें और उसमें शीतल का भरे हुए जिस्म की भड़कती हुई जवानी उसे बेचैन कर रही थी,,, वह अगली सीट पर टेका लेकर अपनी गांड को गोल-गोल इधर-उधर हिला रही थी,,, जो कि वह जानबूझकर शुभम को अपनी गांड का जलवा दिखा कर बेचैन कर रही थी,,, और शुभम से भी रहा नहीं जा रहा था वह आगे के मिरर कांच मैं पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद अपना हाथ उठाकर सीधे सीतल की गांड पर रख दिया,,,,,
शीतल की बड़ी बड़ी गांड पर अपनी हथेली रखते ही शुभम के तन बदन में एक अद्भुत एहसास डोल गया,,, शुभम को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह ढेर सारी नरम नरम रुई पर अपना हाथ रख दिया हो,,, ना चाहते हुए भी सीकर की मदमस्त नितंबों पर हाथ रखते हैं आश्चर्यजनक अद्भुत अहसास से भर जाने की वजह से शुभम का मुंह खुला का खुला रह गया,, उसकी मां की उपस्थिति में वह गरम सिसकारी भी नहीं ले सका,, बड़ी मुश्किल से वह अपनी सिसकारी को अपने अंदर ही दबाए हुए था,,, यही हाल शीतल का भी था बार-बार इस तरह से अपनी सीट पर से गांड उठाकर उठ जाना,,, और अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में लहराते हुए शुभम की आंखों के सामने हीलाना,,, यह सब वह सुभम को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए ही कर रही थी,,,, और शुभम की तरफ आकर्षित हो भी चुका था आखिरकार औरतों की बड़ी बड़ी गांड ही तो उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी।
मुख्य हाईवे पर कार अपनी गति में भागती चली जा रही थी जैसे-जैसे दिन बीतता जा रहा था वैसे वैसे हाईवे पर वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही थी,,, शुभम अपनी मां से नजरें बचाकर जोर-जोर से जितना हो सकता था इतना शीतल की गांड का हिस्सा अपनी हथेली में भर-भर कर जोर जोर से दबाने का आनंद लूट रहा था,,, शीतल को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह जानबूझकर निर्मला को अपनी बातों में उलझाए हुए थी,,, और अपनी गांड उठाकर अगली सीट पर टेका देकर खडी थी,,, सुभम की हरकत की वजह से शीतल की पेंटी गीली होने लगी, थी,,,,,,, उत्तेजना के मारे शीतल के गाल लाल हो चुके थे,,।