अपने भाई के मोटे तगड़े के दर्शन करने से पहले उसने अब तक किसी दिन मर्द के जवान लंड को नहीं देखी थी इसलिए उसके मन की धारणा मर्दों के लंड को लेकर कुछ और ही थी,,, वह कल्पना में भी नहीं सोची थी कि मर्दों के लंड का वास्तविक आकार उसके भाई रघु के लंड की तरह होता है,,,, शालू के कोमल मन पर उसके भाई के मोटे तगड़े लंड की अमिट छाप बन चुकी थी,,,,, जो कि उसके लिए मिटा पाना असंभव साबित होता जा रहा था,,,, अपने भाई के लंड के बारे में सोच कर अभी भी उसकी सांसे तेज चल रही थी,,,,।
रघु खाना लेकर खेतों पर जा चुका था,, चारों तरफ हरे हरे खेत लहरा रहे थे,, बाकी के मुकाबले कजरी के पास कुछ खेत ज्यादा ही थे जिसमें वह सब्जियां भी ऊगा लेती थी जिससे उसका जीवन निर्वाह अच्छे से हो रहा था,,,
रास्ते में गीत गुनगुनाता हुआ रघु चला जा रहा था,,, थोड़ी ही देर में वहां कच्चे रास्ते से नीचे उतर कर अपने खेतों में घुस गया जहां पर चारों तरफ धान लहरा रहे थे,,, रघु से भी अधिक ऊंचाई मैदान पूरे खेतों में दूर-दूर तक छाया हुआ था एक तरह से उन धानों के बीच में रघु खो सा गया था,, ।
रघु धीरे-धीरे खेतों के बीच में चला जा रहा था,,, देखते ही देखते रघु खेत के एकदम बीचो-बीच बने अपने झोपड़ी में पहुंच गया,,, यह झोपड़ी यहां पर खेतों में काम करते-करते थक जाने पर आराम करने के लिए ही बनाई गई थी,,, खेतों के बीच में यह बनी झोपड़ी बेहद खूबसूरत लगती थी झोपड़ी के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ थे जिसकी वजह से उसकी छाया झोपड़ी पर बराबर पडती थी,, और उसकी वजह से ठंडक भी रहती थी पास में ही हैंडपंप भी था।
रघु झोपड़ी पर पहुंचकर इधर-उधर अपनी मां को ढूंढने लगा,,, लेकिन उसकी मां उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी,,, उसे लगा शायद उसकी मां झोपड़ी के अंदर आराम कर रही होगी और वह अंदर झांक कर देखा तो झोपड़ी में भी उसकी मां नहीं थी,,, रघु झोपड़ी के अंदर ही खाट पर खाना रखकर अपनी मां को ढूंढने लगा,,, तभी उसे याद आया कि उसकी मां खेतों में सब्जियों में पानी देने के लिए ही आई थी इसलिए सोचा कि उसकी मां जहां सब्जी लगाई गई है वही होगी इसलिए झोपड़ी के पीछे जाने लगा जहां पर दोनों तरफ धानों के बीच में से पतली सी पगडंडी बनी हुई थी उस पर जाने लगा,,, कुछ ही देर में जहां सब्जियां लगाई गई थी वहां पर रघु पहुंच गया,,,, बहुत परेशान हो गया कि आखिर उसकी मां गई कहां,,,, तभी उसे पास में घनी झाड़ियों के पास पत्तों के चरमराने की आवाज सुनाई दी,,,,, और उस दिशा में देखने लगा उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था तो वह थोड़ा सा अपना कदम आगे बढ़ाकर और नजदीक से देखने की कोशिश करने लगा,,,, उसे अब तक ऐसा ही लग रहा था कि कोई जानवर कंदमूल खाने के लिए आया होगा इसलिए वह उसे भगाना चाहता था,,,,,, पर जैसे ही वह घनी झाड़ियों को अपने दोनों हाथों से अलग करते हुए अंदर की तरफ नजर दौर आया तो वह अंदर का नजारा देखकर दंग रह गया,,,, बड़ी मुश्किल से वह अपनी मां की मादकता भरी छलकती जवानी के दर्शन करके ऊस नजारे को भुला पाया था कि,, इस समय जिस नजारे से उसकी आंखें चार हुई थी उसे देखते ही उसके पजामे में उसका सोया हुआ लंड़ गदर मचाने लगा,,,,,,, बस तीन चार कदम की ही दूरी पर कजरी अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर बैठकर मुत रही थी,,, और उसकी बुर में से आ रही मादकता भरी सिटी की मधुर ध्वनि साफ-साफ रघु के कानों में पड रही थी,,,,
बड़ी मुश्किल से वह अपनी मां की छलकती हुई जवानी के मंदिर दृश्य को अपने दिमाग से निकाला था लेकिन एक बार फिर से अपनी मां की नंगी गांड को देखकर उसके तन बदन में आग लग गई,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, पहली बार वह अपनी मां की मदमस्त गोलाकार गांड के भरपूर घेराव को देख रहा था,,, उसे जो कि नहीं नहीं हो रहा था कि यह गांड उसकी मां की,,, क्योंकि रघु ने अभी तक अपनी मां की जोशीले बदन को वस्त्र के ऊपर से ही देखा था वह तो उस दिन गलती से अपनी मां के नंगे बदन का दीदार हो गया लेकिन फिर भी उस दिन वह अपनी मां की गांड और उसकी बुर के दर्शन नहीं कर पाया था लेकिन आज इस तरह से खेतों में झाड़ियों के बीच उसे बैठकर पेशाब करता हुआ देखकर उसके तमन्नाओं की लड़ी बरसना शुरू हो गई थी,,, रघु प्यासी आंखों से अपनी मां की नंगी खूबसूरत माता-पिता से भरपूर गांड को देख रहा था,,,
यह कामुक नजारा देखने के बाद रखो को एहसास हो रहा है कि औरतों के पास अपना हर एक अंग अंग दिखाने के लिए होता है और औरतों के हर एक अंग को देखने के लिए दुनिया का हर मर्द आतुर रहता है जैसा कि इस समय वह खुद अपनी मां के नंगे बदन को देख कर व्याकुल और उत्तेजित हो रहा था,,,,।
अभी भी उसके कानों में अपनी मां की बुर से निकल रही सिटी की मधुर आवाज गूंज रही थी,,, ओरिया मधुर आवाज केवल उसके कानों तक नहीं बल्कि सुनसान खेतों के हर एक कोने में पहुंच रही थी लेकिन उसे सुनने वाला उस समय केवल उसका बेटा रघु ही था जोकि दुनिया से बेखबर औरत के नंगे बदन के आकर्षण में वह यह भी भूल गया कि जिसे वो प्यासी नजरों से देख रहा है वह उसकी खुद की मां है,,, जो कि यह एकदम गलत बात थी लेकिन जवानी से भरपूर मर्द यह सब कहां देखते हैं उसे तो बस अपनी आंख सेंकने का बहाना चाहिए,,, अगर दिमाग ऐसा करने से रोकता भी है तो उसे मादकता भरे दृश्य को देखकर तन बदन में जो हलचल होती है वह हलचल उस मर्द को उस मादकता भरे एहसास में मैं पूरी तरह से बांध लेता है और उससे आजाद होने की इजाजत नहीं देता,,,
रघु के साथ भी यही हो रहा था वह लाख कसमें खाकर अपनी मां को गंदी नजरों से ना देखने का अपने आप से ही वादा कर चुका था लेकिन उसकी आंखों के सामने बेहद कामोत्तेजना से भरपूर द्श्य नजर आते ही सारे कसमे वादे हवा में फुर्र हो गए,,, वह सब कुछ भूल कर अपनी मां की बड़ी-बड़ी नंगी गोलाकार गांड को देख रहा था उसे साफ नजर आ रहा था,,, कि उसकी मां झाड़ियों के बीच बैठकर मुतने का आनंद ले रही है,,, कजरी की बड़ी बड़ी गांड के बीच की दरार रघु को साफ नजर आ रही थी,,, रघु इस समय अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देख कर उसकी गहरी पतली लकीर के अंदर अपने आप को पूरी तरह से डूबा देना चाहता था,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था।
ऐसा लगता था जैसे की कजरी को बहुत देर से और बहुत जोरों की पेशाब लगी हुई थी क्योंकि अभी तक उसकी बुर में से मधुर सिटी की ध्वनि सुनाई दे रही थी।,,, रघु को चुदाई का अनुभव बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी इस तरह का कामुकता भरा दृश्य देखकर उसका मन हो रहा था कि पीछे जाकर अपनी मां की बुर में पूरा लंड डालकर चुदाई कर दे,,, रघु के पजामे में काफी हलचल मची हुई थी।।। लंड बार-बार अपना मुंह उठाकर पर जाने से बाहर आने की कोशिश कर रहा था और रघु बार-बार उसकी इस कोशिश को नाकाम करते हुए उसे पजामे के ऊपर से पकड़कर नीचे की तरफ दबा दे रहा था,,,,
इस तरह से पेशाब करके कजरी को बेहद राहत का अनुभव रहा था क्योंकि सब्जियों में पानी देते देते कब उसकी बुर में नमकीन पानी का जमाव हो गया उसे पता ही नहीं चला,,, अधिकतर चोर देने पर उसे एहसास हुआ कि उसे पेशाब लगी है और खेतों में उसके सिवा दूसरा कोई भी ना होने से वह बड़े आराम से झाड़ियों के बीच बैठकर पेशाब कर रही थी,,,, लेकिन अब उसकी टंकी पूरी तरह से खाली हो चुकी थी वह उठने ही वाली थी कि तभी उसे अपने पीछे हलचल सी महसूस हुई और वह पलट कर पीछे देखी तो अपने बेटे पर नजर पड़ते ही वह एकदम सकपका गई,,, अपनी बेटी को ठीक अपने पीछे खड़ा हुआ देखकर और वह भी इस तरह से आंखें फाड़े अपनी तरफ ही देखता हुआ पाकर वह एकदम सन्न रह गई,,,, और झट से खड़ी होकर अपनी साड़ी को तुरंत कमर से नीचे छोड़ दी और किसी रंगमंच के पर्दे की तरह उसकी साड़ी बेहतरीन दृश्य को छुपाते हुए सीधे उसके पैरों तक पहुंच गई,,,
रघु भी एकदम से घबरा गया,,, वह सोच रहा था कि अपनी मां को पेशाब करने से पहले ही वह इस बेहतरीन दृश्य को नजर भर के देख लेने के बाद वह वहां से दबे पांव चला जाएगा,,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था। कजरी के इस तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाकर मुतने में जो आकर्षण था उसमें उसका बेटा पूरी तरह से बंध चुका था,,, और वहां से अपनी नजरें हटा नहीं पा रहा था और ना तो अपने कदम ही पीछे ले पा रहा था लेकिन एकाएक अपनी मां को इस तरह से पीछे मुड़कर देखने की वजह से उसकी चोरी पकड़ी गई थी।
कजरी अपनी साड़ी को दुरुस्त करके अपनी जगह पर खड़ी हो चुकी थी,,, अपने बेटे की ईस हरकत पर वह काफी क्रोधित नजर आ रही थी,,, पर वह गुस्से में बोली।
यह क्या हो रहा था रघु,,,? तुम्हें शर्म नहीं आती चोरी छुपे इस तरह से मुझ को पेशाब करते हुए देख रहे हो,,,
नहीं नहीं मैं ऐसी कोई बात नहीं मैं तो बस तुम्हें ढूंढते हुए यहां पहुंच गया था और,,
और,,,,, और क्या मुझे इस तरह से पेशाब करता हुआ देखकर तु चोरी छुपे मुझे देखने लगा,,,, यही ना,,,
नहीं नहीं यह गलत है,,,, ये सब अनजाने में हुआ,,,,
मैं सब अच्छी तरह से समझती हूं अगर अनजाने में होता तो तू यहां से चला जाता युं आंखें फाड़े,,, मेरी,,,,(कचरे के मुंह से गांड शब्द निकल नहीं पाया,,) देता नहीं,,,,
नहीं नहीं ऐसा क्यों कह रही हो मां,,,,
मुझे तेरी कोई सफाई नहीं सुनना,,,,, तू चला जा यहां से,,, मुझे यकीन नहीं होता कि तु इस तरह की हरकत करेगा,,
लेकिन मां मेरी एक बार,,,,,बा,,,,,,(अपने बेटे की बात सुने बिना ही पर उसकी बात को बीच में ही काटते हुए गुस्से में बोली)
मुझे कुछ नहीं सुनना है बस तू यहां से चला जा,,,,
(रघु समझ गया कि उसकी मां ज्यादा गुस्से में है आखिरकार उसने गलती भी तो इतनी बड़ी की थी... वह मुंह लटका कर उदास होकर वहां से चला गया,,, कजरीअभी भी पूरी तरह से गुस्से में थी,,, वह शायद अपने बेटे रघु के द्वारा दी गई सफाई पर विश्वास भी कर लेती अगर उसकी नजर उसके पजामी में बने तंबू पर ना गई होती तो,,, अपने बेटे के पजामे में बने तंबू को देखकर वह समझ गई कि वह काफी देर से उसे पेशाब करता हुआ देख रहा था,, और उसे देखकर काफी उत्तेजित भी हो चुका था,,,,इस बारे में सोच कर कजरी को काफी शर्म महसूस हो रही थी,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इस तरह की हरकत कर सकता है,,,
वह खाना भी नहीं खाई,,, और वही बैठी रह गई,,, जब शाम ढलने लगी तो वह खेतों से बाहर निकल कर अपने घर कि तरफ जाने लगी,,, अभी भी वह अपने बेटे की शर्मनाक हरकत के बारे में सोचकर एकदम शर्मिंदा हुए जा रही थी,,, वह बार-बार अपने बेटे की तुलना लाला से करने लगी थी क्योंकि अपने बेटे की हरकत और लाना की हरकत में कोई ज्यादा फर्क नहीं था दोनों की आंखों में कामवासना साफ नजर आ रही थी,, दोनों औरतों के अंगों को देख कर मदहोश हो रहे थे,,,,कजरी है बात सोच कर और भी ज्यादा परेशान और शर्मिंदगी महसूस कर रही थी कि लाला तो चलो पराया गैर आदमी था उसकी इस तरह की हरकत को वह अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन उसका बेटा रघु तो अपना था अपना ही बेटा था,,, उसे तो समझना चाहिए और देख भी किसी रहा था अपनी ही मां को और वह भी पेशाब करते हुए,,,,छी,,,,,, ।
कजरी को अपने बेटे की हरकत बेहद शर्मनाक लग रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने वही तेरे से नजर आ रहा था जब वह पलट कर पीछे देखने लगी थी और उसे अपने पीछे रघु खड़ा नजर आया था जोकि पूरी तरह से आंख फाड़े उसे ही देख रहा था,,, और तो और उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसका लंड भी खडा हो गया था,, जो कि यह बात कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब खड़ा होता है,,, इसलिए तो यह सोच सोच कर हैरान थी कि क्या उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख कर उसे चोदने की इच्छा रखता,, था,,, क्या सच में रघु चोदना चाहता है,,,,अगर ऐसा नहीं होता तो उसका लंड खड़ा क्यों होता ,,,,,
यही सब सोचकर कजरी एकदम हैरान थी और काफी परेशान भी नजर आ रही थी धीरे-धीरे वह अपने घर पर पहुंच गई,,,।