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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

xxxlove

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Ronny Bhai kya erotic update likhte ho ?
Es forum par aapka koi sani nahi hai, jis tarah se aap detail me likhte ho koi aapke aas pass bhi nahi hai.I sallute u bhai.
Jabardast and no words more.....................
:yourock: :yourock:
 

rohnny4545

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बेहतरीन और रसप्रद। गाड़ी अपनी मंजिल के लिए निकल पड़ी है, अब देखना है की निर्मला और शीतल की सड़क पर शुभम की गाड़ी कितनी रफ्तार से और कितनी दूर चलती है। अब तो मुकाबला गाड़ी और डबल लेन सड़क का है। देखते हैं किस्में कितना दम है।।
Waiting for next update
bahot khoob
 
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rohnny4545

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कार के अंदर का माहौल गर्म होने लगा था शुभम अपनी मां की नजरों से बचकर अपनी हथेलियों से शीतल की गोलाकार नितंबों के संपूर्ण भूगोल को अपने हाथों से खंगाल रहा था,, सलवार के कपड़े की पतली परत भर थी जो की नितंबों और हथेलियों के बीच में पर्दे का काम कर रही थी बाकी सब कुछ हथेलियों से टटोलने से ही नितंबों की संपूर्ण गाथा स्पर्श करने मात्र से ही पढ़ी जा रही थी। शुभम पहले से ही शीतल के संपूर्ण नंगे बदन का जायजा अपनी नजरों के साथ-साथ अपने हथेलियों से स्पर्श करके और अपने लंड से उसके बदन की गहराई में उतर कर शीतल के खूबसूरत बदन की स्थिति से वाकिफ हो चुका था।,,


कार अपनी रफ्तार से हाईवे पर भागी चली जा रही थी और शीतल हंस हंस के निर्मला से बातों का दौर जारी रखी थी, निर्मला को रत्ती भर भी एहसास नहीं हो रहा था कि उसकी पीठ पीछे सीट पर उसका बेटा शीतल के भराव दार गोलाकार भारी भरकम गांड से खेल रहा है,,,। शीतल की हालत खराब होने लगी थी उसे अब जाकर एहसास हुआ कि सलवार पहन कर नहीं आना चाहिए था अगर आज वह साड़ी पहनी होती तो शिमला पहुंचने से पहले ही जुगाड़ लगाकर उसकी मां की उपस्थिति में ही किसी भी तरह से साड़ी उठाकर शुभम के लंड को अपनी बुर में ले लेती,,,। उसे अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था।

निर्मला तुम इतने अच्छे से गाड़ी चला लेती हो ये आज मुझे पता चल रहा है,,,।



गाड़ी तो तुम भी चला लेती हो ना शीतल,,,

हां हां चला तो लेती हूं लेकिन इस तरह से हाईवे पर चलाने का मुझे बिल्कुल भी अनुभव नहीं,,, है,,।

इसमें अनुभव की क्या जरूरत है जिस तरह से गाड़ी चलाई जाती है उसी तरह से चलाना होता है बस निगाह अपनी सड़क पर रहनी चाहिए,,,,।

हां सो तो है,,,,।
(शीतल नीर्मला से बातों का दौर जारी रखे हुए थी और उसकी पीठ के पीछे ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल घुमाते हुए उसके ही बेटे से अपने नितंब मर्दन का आनंद ले रही थी,,,शुभम काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसके बदन में शीतल के गर्म जवानी का खून ऊबल रहा था,,,शीतल की बड़ी बड़ी गांड से खेलने से वह इतना ज्यादा कामोतेजना का अनुभव कर रहा था कि उसकी इच्छा तो हो रही थी कि कार के अंदर ही अपनी मां की आंखों के सामने ही शीतल की फूली हुई कचोरी जैसी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर दे।,,,शीतल निर्मला से बातें कर रही थी और शुभम एक हाथ से शीतल की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए अपने बीच वाली उंगली को सलवार के ऊपर से ही उसकी गांड की दरार के बीचों बीच उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा,,, उंगली डालने के प्रयास में शुभम को इतना तो पता चल ही गया कि शीतल की बुर गीली हो चुकी है,,, और क्या एहसास ही शुभम को और ज्यादा उत्तेजित करने लगा। वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर मां की उपस्थिति ना होती तो अब तक वह सीतल को अपने नीचे ले लिया होता,,,, लेकिन मजबूर था वह अपनी मां के सामने शीतल को ज्यादा अहमियत नहीं देना चाहता था,,,


दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों एक दूसरे के अंगों से खेलने के लिए आतुर थे। शुभम तो फिर भी अपनी मां से नजरें बचाकर शीतल की गोल-गोल जवानी से खेल रहा था लेकिन शीतल के मन में आग लगी हुई थी वो जानती थी कि ईस समय सुभम का लंड पुरी औकात में आ चुका होगा,,, इसलिए वह शुभम के लंड को अपनी आंखों से देखने के लिए उसे छूने के लिए उसे अपने हाथों में भरकर हीलाने के लिए आतुर हुए जा रही थी। तकरीबन 1 घंटे तक शीतल उसी तरह से अपनी गांड उठाकर सामने की सीट पर कोहनी टीका कर निर्मला से बातें करती रही और शुभम के द्वारा नितंब मर्दन का आनंद लेती रही,,,,,

सीट पर बैठ जाओ शीतल थक जाओगी कब से इसी तरह से बातें कर रही हो,,,,


क्या करूं निर्मला शिमला पहुंचने की इतनी जल्दी पड़ी है कि मुझसे रहा नहीं जा रहा,, है,,,(शीतल हड़बड़ाते हुए बोली,,,)

इस तरह से गांड उठाकर खड़ी रहोगी तो पहुंच तो नहीं जाएगी ना,,,,,।

तुम समझ नहीं रही हो निर्मला मेरे अंदर शिमला पहुंचने की इतनी जल्दी मची हुई है कि पूछो मत।

तुम्हें शिमला पहुंचने की जल्दी नहीं बल्कि मेरे बेटे के लंड को अपनी बुर मे लेने की जल्दी पड़ी है ,,,,

जैसा तुम समझो नर्मदा,,, और तुम जैसा कह रही हो वैसा ही है,,एक बार तुम्हारे बेटे का लंड को अपनी बुर में लेने के बाद मेरी बुर में इस तरह की खुजली मची हुई है कि जब तक तुम्हारे बेटे का लंड मेरी बुर में दुबारा नहीं जाएगा तब तक यह खुजली मिटने वाली नहीं है,,,,,(शीतल एकदम से गर्म आह भरते हुए बोली,,, दोनों की बातें सुनकर शुभम का बुरा हाल था वह लगातार शीतल की गांड से खेल रहा था और जिस तरह से उसकी मां ने एकदम रंडियों की तरह शीतल को उसका लंड अपनी बुर में लेने के लिए बोली यह बात उसके कानों में पड़ते ही वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा उससे रहा नहीं गया और वह आपने पेंट की चैन को अपनी मां की नजर बचाकर खोलकर अपने मोटे तगड़े लंड को बाहर निकाल कर हीलाना शुरू कर दिया,,, शुभम थोड़ा सा अपनी सीट से आगे की तरफ सरक कर आ गया था ताकि उसकी मां को मिरर मैं उसकी परछाईं ना दिखाई दे,,,,शीतल की नजर जैसे ही शुभम के मोटे तगड़े लंड पर पड़ी उसकी बुर ऊतेजना के मारे कुल बुलाने लगी,,,, उससे रहा नहीं गया और वह अपनी सीट पर बैठ गई,,,, गाड़ी अपनी रफ्तार से हाईवे पर आगे बढ़ती चली जा रही थी हाईवे पर वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही थी हाईवे के किनारे छोटे-छोटे बाजार नजर आ रहे थे और उन में लोगों की भीड़ उमड़ रही थी यह सब को लगातार पीछे छोड़ते हुए निर्मला की कार आगे बढ़ती चली जा रही थी,,।
चिकन बड़े आराम से अपनी कार को चला रही थी अबे पर आती जाती गाड़ियों की आवाज और होर्न शोर-शराबे से पूरा माहौल गूंज रहा था,,, और ऐसे में शुभम और शीतल किसी और ही दुनिया में मस्त थे,,, सीतल अपनी सीट पर बैठी हुई थी,, निर्मला अपनी पीठ के पीछे सीट पर क्या हो रहा है इस बात से अनजान गाड़ी चलाने में मस्त थी सीकर के करीब बैठा सुभम अपने पेंट की चैन खोलकर अपने टनटनाते हुए लंड को बाहर निकालकर उसे एक हाथ से मुठिया रहा था,,,पर यह देखकर शीतल के तन बदन में जो आग लग रही थी उस को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह निर्मला से नजरें बचाकर धीरे-धीरे अपने हाथ को सीटसे रगडते हुए शुभम की टांगों के बीच बढ़ रही थी जैसे-जैसे उसका हाथ आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शीतल की आंखों में सुभम के लंड को देखकर मदहोशी छाई हुई थी,,, माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था,,, शुभम अच्छी तरह से जानता हूं आगे पर वाहनों की कतार लगी हुई थी जिस रफ्तार से गाड़ियां आ जा रही थी उसे देखते हुए उसकी मां का ध्यान पीछे जाने वाला नहीं है,,, लेकिन फिर भी वह पूरी तरह से एहतियात बरत रहा था वह कभी अपनी मां को तो कभी अपने लंड को और कभी शीतल की तरफ देख ले रहा था,,, उत्तेजना के मारे शीतल का गला सूख रहा था,,,, और अगले ही पल सीकर अपनी हथेली में शुभम के मोटे तगड़े लंड को भर ही ली,,,जैसे ही शीतल के हाथ में शुभम का मोटा तगड़ा लंड आया वैसे ही मानो सीतल की सांसे अटक गई,,, वह एकदम सनन रह गई,,,शीतल की हालत खराब हुए जा रही थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि सुभम के लंड में एक अद्भुत एहसास और आकर्षण बसा हुआ है जब भी वह शुभम के लंड को अपने हाथ में लेती है तो एक अलग ही एहसास होता है निरंतर उसके आकार में बढ़ोतरी का एहसास होने लगता है जो कि इस समय शीतल को सुभम के लंड का आकार और मोटाई कुछ ज्यादा ही लग रही थी,,,। वह जोर-जोर से शुभम के लंड को हिलाना शुरू कर दी,,,,
आहहहहह,,, बहुत ही धीमी स्वर में शुभम कि सीसकारी की आवाज निकल गई,,,
कार की पिछली सीट पर मदहोशी का आलम अपनी चरम सीमा पर था,,, किसी दूसरे से यह नजारा देखे जा पाना असंभव था क्योंकि निर्मला के कार का शीशा ब्लैक था जिसमें से अंदर से तो बाहर का सब कुछ देखा जा सकता था लेकिन बाहर से अंदर का कुछ भी नहीं देखा जा सकता था,, इसलिए शीतल और शुभम को सिर्फ निर्मला की तरफ से चिंता थी बाकी बेफिक्र थे दोनों,,,।

शीतल की नरम नरम कलाई में शुभम कै लंड की गर्माहट सीतल के पूरे वजूद को पिघला रही थी,,, शीतल का मन ललच रहा था शुभम के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने के लिए। सीतल के मुंह में पानी आ रहा था साथ ही उसकी बुर में भी पानी का सैलाब उठ रहा था। शीतल के नरम नरम हथेलियोंयों का स्पर्श पाकर शुभम कै लंड में और ज्यादा जोश आ गया था,,।

शीतल अपने आप को रोक नहीं पाई और पहले जानबूझकर अपना रुमाल सीट के नीचे गिरा दी और उसे ढूंढने की वजह बना कर तुरंत शुभम की टांगों के बीच झुकी और उसकी मोटे तगड़े लंड को एक झटके में अपने पूरे मुंह में लेकर उसे चूसने लगी।,,,,,ससससहहहहह,,, अद्भुत अहसास से दोनों एकदम से भर गए। शुभम अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाया और उत्तेजना के मारे अपनी कमर को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दिया,,,तकरीबन 5 या 7 सेकंड है शीतल शुभम के लंड को अपने मुंह में ले सकती और वापस से निकाल कर अपनी सीट पर बैठ गई,,, शुभम को शीतल से इस तरह की उम्मीद और हरकत की अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था इसलिए शीतल की इस हरकत पर वह पूरी तरह से मदहोश हो गया रक्त का प्रवाह उसके लंड की नसों में तीव्र गति से होने लगा,, एक तो शीतल की यह गर्मजोशी और मदहोशी से भरी हुईयह कामुक हरकत और ऊपर से उसका जोर जोर से लंड को हिलाना शुभम से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,। निर्मला को इस बात का अहसास तक नहीं था कि पिछली सीट पर दोनों मिलकर इस तरह की हरकत कर रहे होंगे और इसी का फायदा उठाते हुए शीतल एक बार और नीचे झुकी और शुभम के लंड को मुंह में लेकर पूरा गले तक उतार कर सात आठ सेकंड तक फिर से चूसने लगी,,,,, शुभम शीतल के जीभ की गर्माहट को सह नहीं पाया और जैसे ही सीतल शुभम के लंड को मुंह में से बाहर निकालि वैसे ही तुरंत शुभम कै लंड से गर्म लावा बाहर निकलने लगा,, जिसे शीतल ने अपनी रुमाल से ढक कर उसके लंड से निकला हर एक बूंद को रुमाल में ले ली,, और शुभम कैलेंडर को अच्छी तरह से रुमाल से साफ करके धीरे से कार का कांच नीचे करके उसे बाहर हाईवे पर फेंक दे,,,
शुभम काफी खुश था इस सफर का पहला चरण ऐसा लग रहा था मानो उन दोनों ने पार कर लिया था। दोनों के चेहरे पर संतुष्टि भरा एहसास साफ झलक रहा था।
 
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amita

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कार के अंदर का माहौल गर्म होने लगा था शुभम अपनी मां की नजरों से बचकर अपनी हथेलियों से शीतल की गोलाकार नितंबों के संपूर्ण भूगोल को अपने हाथों से खंगाल रहा था,, सलवार के कपड़े की पतली परत भर थी जो की नितंबों और हथेलियों के बीच में पर्दे का काम कर रही थी बाकी सब कुछ हथेलियों से टटोलने से ही नितंबों की संपूर्ण गाथा स्पर्श करने मात्र से ही पढ़ी जा रही थी। शुभम पहले से ही शीतल के संपूर्ण नंगे बदन का जायजा अपनी नजरों के साथ-साथ अपने हथेलियों से स्पर्श करके और अपने लंड से उसके बदन की गहराई में उतर कर शीतल के खूबसूरत बदन की स्थिति से वाकिफ हो चुका था।,,
कार अपनी रफ्तार से हाईवे पर भागी चली जा रही थी और शीतल हंस हंस के निर्मला से बातों का दौर जारी रखी थी, निर्मला को रत्ती भर भी एहसास नहीं हो रहा था कि उसकी पीठ पीछे सीट पर उसका बेटा शीतल के भराव दार गोलाकार भारी भरकम गांड से खेल रहा है,,,। शीतल की हालत खराब होने लगी थी उसे अब जाकर एहसास हुआ कि सलवार पहन कर नहीं आना चाहिए था अगर आज वह साड़ी पहनी होती तो शिमला पहुंचने से पहले ही जुगाड़ लगाकर उसकी मां की उपस्थिति में ही किसी भी तरह से साड़ी उठाकर शुभम के लंड को अपनी बुर में ले लेती,,,। उसे अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था।

निर्मला तुम इतने अच्छे से गाड़ी चला लेती हो ये आज मुझे पता चल रहा है,,,।

गाड़ी तो तुम भी चला लेती हो ना शीतल,,,

हां हां चला तो लेती हूं लेकिन इस तरह से हाईवे पर चलाने का मुझे बिल्कुल भी अनुभव नहीं,,, है,,।

इसमें अनुभव की क्या जरूरत है जिस तरह से गाड़ी चलाई जाती है उसी तरह से चलाना होता है बस निगाह अपनी सड़क पर रहनी चाहिए,,,,।

हां सो तो है,,,,।
(शीतल नीर्मला से बातों का दौर जारी रखे हुए थी और उसकी पीठ के पीछे ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल घुमाते हुए उसके ही बेटे से अपने नितंब मर्दन का आनंद ले रही थी,,,शुभम काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसके बदन में शीतल के गर्म जवानी का खून ऊबल रहा था,,,शीतल की बड़ी बड़ी गांड से खेलने से वह इतना ज्यादा कामोतेजना का अनुभव कर रहा था कि उसकी इच्छा तो हो रही थी कि कार के अंदर ही अपनी मां की आंखों के सामने ही शीतल की फूली हुई कचोरी जैसी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर दे।,,,शीतल निर्मला से बातें कर रही थी और शुभम एक हाथ से शीतल की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए अपने बीच वाली उंगली को सलवार के ऊपर से ही उसकी गांड की दरार के बीचों बीच उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा,,, उंगली डालने के प्रयास में शुभम को इतना तो पता चल ही गया कि शीतल की बुर गीली हो चुकी है,,, और क्या एहसास ही शुभम को और ज्यादा उत्तेजित करने लगा। वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर मां की उपस्थिति ना होती तो अब तक वह सीतल को अपने नीचे ले लिया होता,,,, लेकिन मजबूर था वह अपनी मां के सामने शीतल को ज्यादा अहमियत नहीं देना चाहता था,,,

दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों एक दूसरे के अंगों से खेलने के लिए आतुर थे। शुभम तो फिर भी अपनी मां से नजरें बचाकर शीतल की गोल-गोल जवानी से खेल रहा था लेकिन शीतल के मन में आग लगी हुई थी वो जानती थी कि ईस समय सुभम का लंड पुरी औकात में आ चुका होगा,,, इसलिए वह शुभम के लंड को अपनी आंखों से देखने के लिए उसे छूने के लिए उसे अपने हाथों में भरकर हीलाने के लिए आतुर हुए जा रही थी। तकरीबन 1 घंटे तक शीतल उसी तरह से अपनी गांड उठाकर सामने की सीट पर कोहनी टीका कर निर्मला से बातें करती रही और शुभम के द्वारा नितंब मर्दन का आनंद लेती रही,,,,,

सीट पर बैठ जाओ शीतल थक जाओगी कब से इसी तरह से बातें कर रही हो,,,,


क्या करूं निर्मला शिमला पहुंचने की इतनी जल्दी पड़ी है कि मुझसे रहा नहीं जा रहा,, है,,,(शीतल हड़बड़ाते हुए बोली,,,)

इस तरह से गांड उठाकर खड़ी रहोगी तो पहुंच तो नहीं जाएगी ना,,,,,।

तुम समझ नहीं रही हो निर्मला मेरे अंदर शिमला पहुंचने की इतनी जल्दी मची हुई है कि पूछो मत।

तुम्हें शिमला पहुंचने की जल्दी नहीं बल्कि मेरे बेटे के लंड को अपनी बुर मे लेने की जल्दी पड़ी है ,,,,

जैसा तुम समझो नर्मदा,,, और तुम जैसा कह रही हो वैसा ही है,,एक बार तुम्हारे बेटे का लंड को अपनी बुर में लेने के बाद मेरी बुर में इस तरह की खुजली मची हुई है कि जब तक तुम्हारे बेटे का लंड मेरी बुर में दुबारा नहीं जाएगा तब तक यह खुजली मिटने वाली नहीं है,,,,,(शीतल एकदम से गर्म आह भरते हुए बोली,,, दोनों की बातें सुनकर शुभम का बुरा हाल था वह लगातार शीतल की गांड से खेल रहा था और जिस तरह से उसकी मां ने एकदम रंडियों की तरह शीतल को उसका लंड अपनी बुर में लेने के लिए बोली यह बात उसके कानों में पड़ते ही वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा उससे रहा नहीं गया और वह आपने पेंट की चैन को अपनी मां की नजर बचाकर खोलकर अपने मोटे तगड़े लंड को बाहर निकाल कर हीलाना शुरू कर दिया,,, शुभम थोड़ा सा अपनी सीट से आगे की तरफ सरक कर आ गया था ताकि उसकी मां को मिरर मैं उसकी परछाईं ना दिखाई दे,,,,शीतल की नजर जैसे ही शुभम के मोटे तगड़े लंड पर पड़ी उसकी बुर ऊतेजना के मारे कुल बुलाने लगी,,,, उससे रहा नहीं गया और वह अपनी सीट पर बैठ गई,,,, गाड़ी अपनी रफ्तार से हाईवे पर आगे बढ़ती चली जा रही थी हाईवे पर वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही थी हाईवे के किनारे छोटे-छोटे बाजार नजर आ रहे थे और उन में लोगों की भीड़ उमड़ रही थी यह सब को लगातार पीछे छोड़ते हुए निर्मला की कार आगे बढ़ती चली जा रही थी,,।
चिकन बड़े आराम से अपनी कार को चला रही थी अबे पर आती जाती गाड़ियों की आवाज और होर्न शोर-शराबे से पूरा माहौल गूंज रहा था,,, और ऐसे में शुभम और शीतल किसी और ही दुनिया में मस्त थे,,, सीतल अपनी सीट पर बैठी हुई थी,, निर्मला अपनी पीठ के पीछे सीट पर क्या हो रहा है इस बात से अनजान गाड़ी चलाने में मस्त थी सीकर के करीब बैठा सुभम अपने पेंट की चैन खोलकर अपने टनटनाते हुए लंड को बाहर निकालकर उसे एक हाथ से मुठिया रहा था,,,पर यह देखकर शीतल के तन बदन में जो आग लग रही थी उस को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह निर्मला से नजरें बचाकर धीरे-धीरे अपने हाथ को सीटसे रगडते हुए शुभम की टांगों के बीच बढ़ रही थी जैसे-जैसे उसका हाथ आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शीतल की आंखों में सुभम के लंड को देखकर मदहोशी छाई हुई थी,,, माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था,,, शुभम अच्छी तरह से जानता हूं आगे पर वाहनों की कतार लगी हुई थी जिस रफ्तार से गाड़ियां आ जा रही थी उसे देखते हुए उसकी मां का ध्यान पीछे जाने वाला नहीं है,,, लेकिन फिर भी वह पूरी तरह से एहतियात बरत रहा था वह कभी अपनी मां को तो कभी अपने लंड को और कभी शीतल की तरफ देख ले रहा था,,, उत्तेजना के मारे शीतल का गला सूख रहा था,,,, और अगले ही पल सीकर अपनी हथेली में शुभम के मोटे तगड़े लंड को भर ही ली,,,जैसे ही शीतल के हाथ में शुभम का मोटा तगड़ा लंड आया वैसे ही मानो सीतल की सांसे अटक गई,,, वह एकदम सनन रह गई,,,शीतल की हालत खराब हुए जा रही थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि सुभम के लंड में एक अद्भुत एहसास और आकर्षण बसा हुआ है जब भी वह शुभम के लंड को अपने हाथ में लेती है तो एक अलग ही एहसास होता है निरंतर उसके आकार में बढ़ोतरी का एहसास होने लगता है जो कि इस समय शीतल को सुभम के लंड का आकार और मोटाई कुछ ज्यादा ही लग रही थी,,,। वह जोर-जोर से शुभम के लंड को हिलाना शुरू कर दी,,,,
आहहहहह,,, बहुत ही धीमी स्वर में शुभम कि सीसकारी की आवाज निकल गई,,,
कार की पिछली सीट पर मदहोशी का आलम अपनी चरम सीमा पर था,,, किसी दूसरे से यह नजारा देखे जा पाना असंभव था क्योंकि निर्मला के कार का शीशा ब्लैक था जिसमें से अंदर से तो बाहर का सब कुछ देखा जा सकता था लेकिन बाहर से अंदर का कुछ भी नहीं देखा जा सकता था,, इसलिए शीतल और शुभम को सिर्फ निर्मला की तरफ से चिंता थी बाकी बेफिक्र थे दोनों,,,।

शीतल की नरम नरम कलाई में शुभम कै लंड की गर्माहट सीतल के पूरे वजूद को पिघला रही थी,,, शीतल का मन ललच रहा था शुभम के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने के लिए। सीतल के मुंह में पानी आ रहा था साथ ही उसकी बुर में भी पानी का सैलाब उठ रहा था। शीतल के नरम नरम हथेलियोंयों का स्पर्श पाकर शुभम कै लंड में और ज्यादा जोश आ गया था,,।

शीतल अपने आप को रोक नहीं पाई और पहले जानबूझकर अपना रुमाल सीट के नीचे गिरा दी और उसे ढूंढने की वजह बना कर तुरंत शुभम की टांगों के बीच झुकी और उसकी मोटे तगड़े लंड को एक झटके में अपने पूरे मुंह में लेकर उसे चूसने लगी।,,,,,ससससहहहहह,,, अद्भुत अहसास से दोनों एकदम से भर गए। शुभम अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाया और उत्तेजना के मारे अपनी कमर को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दिया,,,तकरीबन 5 या 7 सेकंड है शीतल शुभम के लंड को अपने मुंह में ले सकती और वापस से निकाल कर अपनी सीट पर बैठ गई,,, शुभम को शीतल से इस तरह की उम्मीद और हरकत की अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था इसलिए शीतल की इस हरकत पर वह पूरी तरह से मदहोश हो गया रक्त का प्रवाह उसके लंड की नसों में तीव्र गति से होने लगा,, एक तो शीतल की यह गर्मजोशी और मदहोशी से भरी हुईयह कामुक हरकत और ऊपर से उसका जोर जोर से लंड को हिलाना शुभम से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,। निर्मला को इस बात का अहसास तक नहीं था कि पिछली सीट पर दोनों मिलकर इस तरह की हरकत कर रहे होंगे और इसी का फायदा उठाते हुए शीतल एक बार और नीचे झुकी और शुभम के लंड को मुंह में लेकर पूरा गले तक उतार कर सात आठ सेकंड तक फिर से चूसने लगी,,,,, शुभम शीतल के जीभ की गर्माहट को सह नहीं पाया और जैसे ही सीतल शुभम के लंड को मुंह में से बाहर निकालि वैसे ही तुरंत शुभम कै लंड से गर्म लावा बाहर निकलने लगा,, जिसे शीतल ने अपनी रुमाल से ढक कर उसके लंड से निकला हर एक बूंद को रुमाल में ले ली,, और शुभम कैलेंडर को अच्छी तरह से रुमाल से साफ करके धीरे से कार का कांच नीचे करके उसे बाहर हाईवे पर फेंक दे,,,
शुभम काफी खुश था इस सफर का पहला चरण ऐसा लग रहा था मानो उन दोनों ने पार कर लिया था। दोनों के चेहरे पर संतुष्टि भरा एहसास साफ झलक रहा था।
Bahut hi sundar update
 
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