थोड़ी ही देर बाद वाहनों की आवाजाही उनकी होरन की आवाज सुनकर निर्मला की आंख खुल गई,,,, शिमला की मखमली ठंडी में यह उसकी पहली सुबह थी,,,। आंख खुलते ही उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह शिमला में है,,। वह अंगड़ाई लेते हुए बिस्तर पर से उठी और नीचे पैर लटका कर बिस्तर पर ही बैठी रही,,,। बिस्तर के ठीक सामने खिड़की पर शीशे चढ़े हुए थे जिसमें से हल्की हल्की बर्फ गिरती हुई नजर आ रही थी बहुत ही बेहद खूबसूरत नजारा था निर्मला खिड़की के करीब जाने से पहले एक नजर बिस्तर पर डाली तो देखी की शुभम और शीतल दोनों के शुद्ध होकर सो रहे थे दोनों के बीच अच्छी खासी दूरी बनी हुई थी जिसे देखा कर निर्मला को राहत महसूस हुई वह बिस्तर पर से उठी और सीधे खिड़की के करीब जाकर खड़ी हो गई बाहर हल्की हल्की बर्फ गिर रही थी जिससे पेड़ पर बर्फ की परत जमा हो गई थी अब तक शिमला को उसने फिल्मों में और चित्रकारी के सीनरी में देखते आई थी लेकिन आज पहली बार वहां अपनी आंखों से शिमला को देख रही थी जो कि उसकी सोचने की अपेक्षा और भी ज्यादा खूबसूरत था,,। निर्मला की नजर दूर दूर तक जा रही थी दूसरे बंगलों के गेट धीरे-धीरे खुलना शुरू हो गए थे,,, यहां पर उसे कोई नहीं पहचानता था कोई नहीं जानता था ना तो किसी को उस से मतलब था वह खिड़की पर खड़ी खड़ी है सोचने लगी कि वह यहां क्या करने आई है एक तरह का अपने ही बेटे के साथ हनीमून मनाने आई है जिसकी से भागी उसकी सबसे अच्छी सहेली शीतल थी,,,। वह दोनों मिलकर एक साथ शुभम से चुदवाने के लिए शहर से इतनी दूर शिमला आए थे,,, यहां पर शुभम और निर्मला को कोई नहीं जानता था हो सकता था कि सीतल को यहां के लोग जानते हो क्योंकि वह यहां पहले भी आ चुकी है लेकिन निर्मला के लिए यह अद्भुत अनुभव था अपने आपको वह पूरी तरह से तैयार कर रही थी कि जब वह एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर अपने बेटे के साथ अपनी सबसे अच्छी सहेली की आंखों के सामने खुद के और अपनी सहेली की बुर में अपने ही बेटे के लंड को अंदर बाहर होता हुआ देखेगी,,,। वह मन में यही सोच रही थी कि कितना मजा आएगा जब एक ही बिस्तर पर तीनों संपूर्ण रूप से एकदम नंगे होकर जवानी का मजा लूटेंगे,,,,। निर्मला को अपने बेटे की मर्दानगी पर पूरा विश्वास था वह अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम अकेला उन दोनों का मदन रस निचोड़ कर रख देगा,,,। निर्मला आने वाले पल के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी वह अपने अंदर से शर्मो हया और झिझक को पूरी तरह से निकाल देना चाहती थी,,,, अपने मन में सोचने लगी थी कि अब शर्म करके कोई फायदा नहीं है जब ओखली में सर दे ही दिया है तो मुसल से कूटने का डर कैसा,,, वाले वाले पल का पूरी तरह से मजा लेना चाहती थी वह भी काफी समय बाद एक साथ तीन तीन लोगों के साथ मजा लेना चाहती थी वह अपनी आंखों से देखना चाहती थी कि उसका बेटा शीतल की जवानी को कैसे अपनी मोटे तगड़े लंड से पानी पानी करता है,,,। यह सब सोचकर ही निर्मला की पेंट गीली होने लगी थी उसकी बुर अपने बेटे के लंड को लेने के लिए बिल बिलाने लगी थी,,,,
खिड़की से बाहर का तरोताजा कर देने वाला नजारा उसके तन बदन में एक नई ऊर्जा का संचार कर रहा था उसकी सोच को बदल रहा था या यूं कह लो कि शिमला में आकर वह अपने आप को पूरी तरह से बदल देना चाहती थी क्योंकि यहां पर किसी के द्वारा देखे जाने का डर उसे बिल्कुल भी नहीं था यह शहर अनजान था यहां के लोग अनजान थे वह खुद इस शहर के लिए अनजान थी ऐसे में अपने अनजाने पंखा वह पूरा फायदा उठाना चाहती थी,,,। दीवार पर टंगी घड़ी में 7:00 का अलार्म बजने लगा उसका बदन थका हुआ था वह नहाना चाहती थी,,,,। लेकिन बाथरूम में जाने से पहले वह शुभम और शीतल को भी उठा देना चाहती थी,,। इसलिए वह आगे बढ़कर शुभम और शीतल दोनों को उठाने लगी और वह दोनों नींद में होने का बहाना करते हुए आलस मरोड़ कर उठ कर बैठ गए,,,।
गुड मॉर्निंग मम्मी,,,
गुड मॉर्निंग निर्मला ,,,(शीतल भी एकदम जैसे नींद में हो इस तरह से बोली,,, जवाब में निर्मला मुस्कुरा दी,,,,)
तुम दोनों बैठे हो मैं नहा कर फ्रेश होने जा रही हूं,,,।( इतना कहकर निर्मला बाथरूम की तरफ जाने को हुई थी तभी शीतल उसे आवाज देकर रोकते हुए बोली,,।)
अरे अरे अकेले,,,,
तो,,,, अकेले ही नहाऊंगी ना,,,,( निर्मला आश्चर्य से बोली,,।)
तुम एकदम पागल हो निर्मला हम यहां क्या करने आए हैं,,,, मस्ती,,,,, वो सब करने जो हम वहां अपने घर पर रहकर नहीं कर सकते,,,
ठीक ठीक बोलो शीतल मैं तुम्हारी बात समझ नहीं पा रही हूं,,,।
पर इसमें समझने का क्या है मैं यह चाहती हूं कि तुम अकेले बाथरूम में नहीं बल्कि हम तीनों बाथरूम में चलकर नहाएंगे एक साथ और वह भी बिना कपड़े एकदम नंगे होकर सोचो कितना मजा आएगा,,,( इतना कहकर शीतल चुप हो गई उसके चेहरे पर उत्सुकता की चमक साफ नजर आ रही थी वह शुभम और निर्मला की तरफ देखने लगी निर्मला सीता की बात सुनकर एकदम से चौक गई लेकिन उसकी यह बात उसे अच्छी लगी थी इसलिए वह जवाब में केवल मुस्कुरा दी,,,, और निर्मला के होंठों पर आई मुस्कुराहट देखकर शीतल खुश होते हुए बोली,,,।)
लेट्स एंजॉय,,,,,
( इतना कहने के साथ वह भी बिस्तर से नीचे उतर गई शीतल का सुझाव सुनकर शुभम काफी उत्साहित और उत्तेजित नजर आ रहा था,,, और देखते ही देखते एक एक करके तीनों बाथरूम में घुस के बाथरूम का दरवाजा बंद करने की कोई आवश्यकता उन्हें जान नहीं पड़ रही थी लेकिन फिर भी निर्मला ने दरवाजा बंद कर दी,,, बड़ा ही बेहतरीन और आलीशान बाथरूम था काफी बड़ा था इसमें व तीनों बड़े आराम से नहाने के लिए आ गए थे,,,, )
मम्मी शिमला में ठंडे पानी से नहाएंगे तो तबीयत नहीं खराब हो जाएगी,,,।
अरे मेरे राजा ठंडे पानी से नहीं नहाना है इस सावर में से गर्म पानी भी आता है,,,,। और वैसे भी हम दोनों की गर्म जवानी तुम्हें ठंडा होने नहीं देगी बल्कि तुम्हें पिघला देगी,,,( इतना कहने के साथ ही शीतल अपनी बड़ी बड़ी छातियों पर से साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी कमर से साड़ी खोलने लगी,,,, शीतल की भारी-भरकम जातियों को देखकर शुभम के मुंह में पानी आने लगा और शीतल को इस तरह से अपने और अपने बेटे की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारते हुए देखकर निर्मला शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी लेकिन उसे अच्छा लग रहा था देखते ही देखते शीतल उन दोनों की आंखों के सामने अपनी साड़ी उतार कर बाथरूम में नीचे फर्श पर फेंक दी और निर्मला को बोली,,,।
शर्मा क्यों रही हो मेरी छम्मक छल्लो मजा करने आई हो मजा करो और जल्दी से अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो जाओ,,,,( यह कहते हुए शीतल अपनी ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,, बाथरूम के अंदर का नजारा देखकर शुभम के तन बदन में आग लग रही थी और यही हाल निर्मला का भी हो रहा था शीतल की बेशर्मी को देखकर वह भी बेशर्म करना चाहती थी इसलिए वह ब्लाउज के बटन खोल पाती इससे पहले वह भी अपनी साड़ी का पल्लू अपनी मदमस्त चूचियों पर से हटा कर उसे अपनी कमर से खोलना शुरू कर दी,,,, शुभम की आंखों के सामने दो-दो गदराई जवानी अपने-अपने वस्त्र उतारकर नंगी होने जा रही थी। एक जवान लड़के को और क्या चाहिए था,,,, उसकी तो दसों उंगलियां घी में थी,,, किस्मत से उसे उम्मीद से दुगना मिल रहा था,,, शुभम के तन बदन में जवानी की लहर हो रही थी बाथरूम के अंदर एक साथ दो दो औरतें अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी निर्मला अपनी साड़ी उतार कर फर्श पर फेंक चुकी थी और शीतल अपनी ब्लाउज के बटन खोल कर अपने ब्लाउज को अपनी गोरी चिकनी बाहों में से निकालकर उन्हें ब्लाउज की कैद से आजाद कर चुकी थी,,,। लेकिन अभी भी शीतल के गोरे बदन पर उसकी चुचियों के के संपूर्ण वजूद को उसके काले रंग की ब्रा में समेटे हुए थे उसी से शीतल अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ ले जाकर उन चूचियों के आजाद नामा पर अपनी स्वीकृति का मोहर लगा रही थी देखते ही देखते अपनी नाजुक होली हो का सहारा देकर वह अपनी ब्रा की हुक को भी खोल दी और जैसे ही उसकी ब्रा का हुक खुला,,, वैसे ही तुरंत उसके शौख चंचल लिए हुए चूचियां चहकते हुए पानी भरे गुब्बारों की तरह लहराने लगी,,,। और उन्हें लहराते हुए चूचियों को देखकर शुभम के मुंह में पानी के साथ-साथ उसके मजबूत लंड ने अपना सर उठाकर उसकी जवानी को सलामी भर दिया,,, शायद यह शीतल के लिए पहला वक्त था जब वह एक औरत और उसके बेटे की आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी,,,, लेकिन निर्मला के लिए यह दूसरी बार वह पहली बार भी इसी तरह से अपने भाई की ही जवान लड़की की आंखों के सामने अपने बेटे की मौजूदगी में अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर अपने बेटे से चुदाई का आनंद ली थी,,, और अपनी आंखों से अपने बेटे के द्वारा अपने भाई की बेटी को चुदते हुए देखी थी,,,,।
बाथरूम में तीनों बेहद उत्सुकता से भरे हुए थे उत्तेजना पल पल उन तीनों के बदन में अपना असर भर रही थी,,। शिमला की गुलाबी ठंडी बाथरूम में निर्मला और शीतल की गर्म जवानी के आगे पिघलना शुरू कर दी थी,,,।
निर्मला भी शीतल की गोल गोल सूचियों को देखकर एकदम गरम हो गई वह नहीं चाहती थी कि उसकी मद मस्त जवानी शीतल की जवानी के आगे फीकी पड़ जाए,,, इसलिए वह भी धीरे-धीरे अपने ब्लाउज के बटन खोल कर शीतल की आंखों के सामने अपने ब्लाउज को उतार फेंकी,,। शुभम यह बात अच्छी तरह से जानता था कि शीतल की गोल-गोल सुंदर चुचियों की अपेक्षा उसकी मां की चूचियां बेहद खूबसूरत और गोलाई लिए हुए हैं,,, कुछ नहीं धड़कते दिल से अपनी मां की चूचियों को वस्त्र विहीन होता हुआ देख रहा था,,, शीतल के भी हाथ पेटिकोट की डोरी को खोलते खोलते वही थम गए थे वह भी निर्मला की चूचियों को देखना चाहती थी,,,। और निर्मला भी अपनी कामुक अदा के साथ अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी ब्रा के हुक को खोल दी,,,, शुभम अपनी आंखों से देख रहा था कि उसकी मां की ब्रा में लबालब उसकी दोनों जवानी भरी हुई थी और ब्रा के हुक के खुलते ही दोनों जवानी छलक कर बाहर आ गई,,,,।
पानी भरे गुब्बारों की तरह जैसे ही छलक कर निर्मला की चूचियां बाहर को आई शुभम से रहा नहीं गया और वह आगे बढ़कर अपनी मां की मदमस्त जवानी को इज्जत बख्श ते हुए उसके दोनों गुब्बारों को अपने हाथों में थाम लिया और उन्हें दबाना शुरू कर दिया,,,,।
आहहहहहहह,,,, शुभम धीरे से,,,,,( उत्तेजना में आकर शुभम ने इतनी जोर से अपनी मां की चुचियों को दबाया था कि उसके मुंह से कराहने की आवाज फूट पड़ी थी,,,, लेकिन शीतल की उपस्थिति में उसे अपने बेटे के द्वारा इस तरह से चूची दबाना बेहद आनंद मय लग रहा था,,, शुभम एकदम मदहोश हो गया था वह दोनों हाथों से अपनी मां की चूची को दबा रहा था,,,। यह देखकर शीतल के तन बदन में आग लगने लगी और वह तुरंत अपनी पेटीकोट की डोरी को खोल कर आगे बढ़ गई और पीछे से शुभम को अपनी बाहों में कस ली हालांकि अभी भी वह पूरी तरह से निर्वस्त्र नहीं हुई थी उसके तन बदन पर अभी भी काले रंग की चड्डी थी।
ओहहहहहह,,,,,, शुभम मेरे राजा,,,( शीतल पागलों की तरह शुभम के गर्दन को चूमते हुए गरम सिसकारी ले रही थी और शुभम अपनी मां की दोनों चुचियों में व्यस्त था निर्मला मदहोशी के आलम में खोती चली जा रही थी,,,। शुभम उसकी चुचियों को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया था और निर्मला उत्तेजित होते हुए अपने दोनों हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने पेटीकोट की डोरी को खोल रही थी और शीतल उसके गर्दन को चूमते हुए नीचे से उसकी टीशर्ट को पकड़ कर ऊपर उठाकर उसके टी-शर्ट को निकाल रही थी,,,। देखते ही देखते व शुभम के बदन पर से उसकी टीशर्ट निकाल कर नीचे फर्श पर फेंक दी,,, और अगले ही पल वाला शुभम की चिकनी पीठ पर अपने लाल-लाल होठों को ऊपर से नीचे तक घिसने लगी,,, सीतल के तन बदन में आग लगी हुई थी,,, वह अपनी उन्मादकता शुभम की नंगी चिकनी पीठ पर उतार रही थी,,, और शुभम अपनी मां की मदमस्त पानी भरे गुब्बारों जैसे चूचियों को दबा दबा कर उन्हें मुंह में लेकर उन्हें चूस चूस कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,, लगातार निर्मला के मुख से सिसकारी की आवाज पूरे बाथरूम में गुंज रही थी,,, देखते ही देखते पेटिकोट की डोरी खुलते ही निर्मला की पेटी कोट सरररर से उसके पैरों में गिर गई,,,, बाथरूम में तीनों इस समय अर्धनग्न अवस्था में थे शीतल निर्मला की तो मत मस्त चूचियां अपनी चमक से पूरे बाथरूम को चमका रही थी लेकिन अभी भी तीनों के बदन पर उनके वस्त्र उनके नंगे पन को ढके हुए थे जिसकी शुरुआत शीतल अपने हाथों से अपनी काली रंग की पैंटी को उतार कर नंगी होने का सबूत पेश करने लगी देखते ही देखते शीतल अपने हाथों से अपनी काली रंग की पैंटी उतार कर एकदम नंगी हो गई,,,, लेकिन अपनी मां की लाल रंग की पेंटिं को उतारकर यह सौभाग्य शुभम खुद प्राप्त करना चाहता था इसलिए वह खुद अपने हाथों से अपनी मां की लाल रंग की चड्डी को उतारकर उसे नंगी कर दिया,,,।,,,,
अब शीतल निर्मला दोनों संपूर्ण रूप से एकदम नंगी हो गई थी लेकिन अभी भी शुभम के बदन पर वस्त्र था,,, शीतल और निर्मला दोनों की मदमस्त जवानी छलक रही थी,,,। तीनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी लेकिन तीनों आंखों के इशारों से ही काम चला रहे थे,,। लेकिन तभी वार्तालाप की शुरुआत करते हुए शीतल बोली,,।
हम दोनों तो नंगी हो गई लेकिन तुम अभी भी कपड़े पहने हो,,,( इतना कहने के साथ ही शीतल शुभम की तरफ आगे बढ़ी है और उसके होठों पर अपने लाल लाल होठ रखकर उसके फोटो को चूसना शुरु कर दी,,, यह देखकर निर्मला भी अपने बेटे के पीछे आ गई और अपने नंगे बदन को उसके बदन से सटाकर उसके गर्दन को चूमना शुरु कर दी दो-दो नंगी औरतों के बीच अपने आपको पाकर शुभम इस समय दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान बना हुआ था,,,
शुभम का मोटा तगड़ा लंड तंबू की शक्ल में आकर इस समय शीतल की टांगों के बीच उसकी बोर्ड पर ठोकर मार रहा था,,, और उसके तंबू के ठोकर को अपनी बुर के मुख्य द्वार पर महसूस करके शीतल पानी पानी हुए जा रही थी,,।
जल्द से जल्द शीतल अपनी आंखों से शुभम के खड़े लंड को देखना चाहती थी उसके दीदार करना चाहती थी इसलिए वह तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गई,, अभी भी निर्मला शुभम को अपनी बाहों में लेकर उसके गर्दन को चूम रही थी,, और अपनी बड़ी परी चूचियों को उसकी नंगी पीठ पर रगड़ रही थी जिससे शुभम को बहुत मजा आ रहा था,,, घुटनों के बल बैठी सीतल बड़े गौर से शुभम के पेंट में बने तंबू को देख रही थी,,,,, और शुभम भी उत्सुकता भरी निगाहों से शीतल की तरफ देख रहा था,,, शीतल से रहा नहीं गया और वह अपनी प्यासी नजरों से पेंट में बने तंबू को देखते हुए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर पेंट की बटन को खोलना शुरू कर दी,,,, निर्मला भी अपने बेटे के बदन से खेलते हुए शीतल की हरकत को मादकता भरी निगाहों से देख रही थी अब उसे बिल्कुल भी झिझक नहीं हो रही थी और ना ही किसी भी तरह का शीतल से इतराज हो रहा था वह भी हर पल का मजा लेना चाहती थी,,
देखते ही देखते अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा देकर शीतल शुभम के पेंट की बटन को खोल दी और उसकी चेन की जीप को खोलते हुए तुरंत उसके पेंट को नीचे घुटनों तक खींच दी,,,। लेकिन अभी भी निर्मला के साथ-साथ शीतल की उत्सुकता बनी हुई थी क्योंकि अभी भी शुभम का मोटा तगड़ा लंड अंडरवियर के अंदर अपने वजूद को छिपाए हुए था,,, जिसे इस बार निर्मला पीछे से अपने दोनों हाथों से उसके अंदर बीयर पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,,
आहहहहह,,,,, अपनी मां की इस हरकत की वजह से उन्मादकता मैं शुभम के मुंह से आह निकल गई,,,, और देखते ही देखते पीछे से उसकी मां उसके अंडर वियर को नीचे घुटनों तक ला दी,,,, अंडरवियर के कैद से आजाद होते ही शुभम का मोटा तगड़ा लंड हवा में लहराने लगा शीतल फटी आंखों से शुभम के मोटे तगड़े लंड का दीदार कर रही थी,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता चला जा रहा था निर्मला को इस बात का अहसास अच्छी तरह से था कि उसके बेटे के मोटे तगड़े लंड को देखकर शीतल के मन में क्या चल रहा है,,,, निर्मला पूरी तरह से खुल चुकी थी शिमला में आकर व एक-एक पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी इसलिए अपने एक हाथ से अपने बेटे के लंड को पकड़ कर शीतल के मुख के बेहद करीब उसे ऊपर नीचे करके लहराते हुए शीतल से बोली,,,।
क्यों शीतल रानी मेरे बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसोगी नहीं,,,,
( अपनी मां की बात सुनकर शुभम के साथ-साथ शीतल भी पूरी तरह से चौक गई क्योंकि उन दोनों को उम्मीद नहीं थी कि निर्मला खुद अपने मुंह से अपने बेटे के लंड को उसे मुंह में लेकर चूसने के लिए कहेगी,,।)