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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

Desi Man

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बहुत गरम अपडेट हैं दोस्त
 

Neha tyagi

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निर्मला के मुंह से अपनी मदमस्त बर्बादी की मगर बेहद रंगीन कहानी सुनकर शीतल पूरी तरह से उत्तेजना से भर गई थी,,, जिस तरह से निर्मला ने खुद अपनी आपबीती अपने मुंह से सुनी थी उसे सुनकर शीतल को ऐसा लग रहा था कि जैसे वो कोई मूवी देख रही हो,,, और बार-बार उस मूवी में गरमा-गरम दृश्य आ रहे हो,,, शीतल इस कदर उत्तेजना से भर गई थी कि उसका बच्चन का तो इसी समय निर्मला की आंखों के सामने ही उसके बेटे से उसे अपना मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में डालने को बोलती और उससे चुदाई का भरपूर आनंद लूटती,,,
निर्मला अपनी आपबीती शीतल को सुनाकर नजरें झुकाए कुर्सी पर बैठी हुई थी ,,, शीतल उसके ठीक सामने कुर्सी पर बैठी हुई निर्मला के चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी,,, शीतल बेहद उत्सुक कि अपने मन की बात निर्मला को बताने के लिए वह क्या चाहती है वह सब कुछ निर्मला से कह देना चाहती थी अब तो उसके पास मौका भी था लेकिन ना जाने क्यों उसके मन में झीझक हो रही थी कि वह कैसे उससे यह कह दे कि वह उसके बेटे के साथ में वही करना चाह रही है जैसा कि वह खुद अपने बेटे के साथ करती आ रही है,,,। अपने मन की बात शीतल से कहने के लिए वह उतावली थी,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि आज की घटना के बाद से उसे लगने लगा था कि उसकी मंशा बहुत ही जल्द पूरी होने वाली है,, ,,, पूरे कमरे में खामोशी छाई हुई थी दीवार में टंगी घड़ी में 7:00 बजने का अलार्म बजने लगा था,,,। शुभम के वापस आने का समय हो गया था वह नहीं चाहती थी कि शीतल की मौजूदगी में शुभम घर पर आएं इसलिए वह कुर्सी पर से ऊठते हुए बोली,,

शीतल शुभम के आने का समय हो गया है अब मुझे खाना बनाना होगा लेकिन मैं तुम से गुजारिश करती हूं एक बार फिर से हाथ जोड़कर कि आज की बात तुम कभी भी किसी को नहीं कहोगी,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो आज जो कुछ भी मै अपनी आंखों से देखी हूं वह मेरे सीने में एक राज की तरह दफन रहेगा,,( इतना कहते हुए वह भी कुर्सी से उठ खड़ी हुई शीतल की बात सुनकर निर्मला के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई,, उसे विश्वास हो गया कि शीतल यह बात किसी से नहीं कहेगी। वह किचन की तरफ जाने ही वाली थी कि उसे रोकते हुए शीतल बोली,,।)

रुको तो सही निर्मला मेरी पूरी बात तो सुनो,,,( शीतल की बात सुनते हीनिर्मला के पेड़ वही चमके और वह उसी जगह से घूम कर शीतल की तरफ देखते हुए बोली,,,,)

क्या हुआ,,,?


निर्मला मैं तुम्हारा इतना बड़ा राज जानती हूं जो कि अगर यह राज इस घर की चारदीवारी से बाहर निकल गया तो तुम अच्छी तरह से जानती हो कि क्या होगा,,,,, सब कुछ बर्बाद हो जाएगा लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहती,,, (शीतल अपनी बड़ी बड़ी आंखों को गोल गोल नचाते हुए बोली,,,)

मुझे तुमसे यही उम्मीद थी शीतल,,,, एक पक्की सहेली होने के नाते मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम मेरी बर्बादी कभी नहीं होने दोगी,,,(निर्मला मुस्कुराते हुए शीतल से बोली)

हां यह तो है निर्मला,,,(अपनी दोनों हथेलियों को आपस मेरा रगडते हुए शीतल आगे बढ़ने लगी और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) मैं कभी नहीं चाहूंगी कि तुम बदनाम हो तुम्हारी बर्बादी हो या तुम्हारे संस्कारों पर तुम्हारी चरित्र पर किसी भी प्रकार की उंगली उठे जिससे तुम्हें तुम्हारे परिवार को पूरे समाज में बदनामी का दाग लेकर जीना पड़े,,, लेकिन निर्मला,,,(इतना कहते हुए शीतल अपनी दोनों हथेली को वापस में रखते हुए निर्मला के चक्कर काटने लगी उसे ऊपर से नीचे तक देखी जा रही थी और निर्मला समझ नहीं पा रही थी कि आखिरकार शीतल कहना क्या चाहती है उसका इरादा क्या है वह आश्चर्य में थी क्योंकि जिस तरह से वह चहलकदमी कर रही थी,, वह बड़ा ही अजीब था,,,, निर्मला को शीतल की मुस्कुराहट के पीछे कुछ गलत करने की आशंका नजर आ रही थी निर्मला का मन अंदर से कह रहा था कि शीतल जरूर कुछ गड़बड़ करेगी इसलिए वह फिर से अंदर ही अंदर घबराने लगी,,, और शीतल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
तुम्हारा इतना बड़ा राज मेरे सीने में दफन रहेगा लेकिन उसके बदले में तुम्हें कुछ कीमत चुकानी पड़ेगी,,,
( शीतल के मुंह से यह बात सुनकर निर्मला आश्चर्य से शीतल की तरफ देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि शीतल क्या कह रही है,,,)

कीमत कैसी कीमत शीतल तुम्हारे मन में लालच आ गया है तुम राज को राज रखने के लिए मुझसे पैसे मांग रही हो,,,


नहीं नहीं निर्मला तुम बहुत भोली हो पैसा लेकर मैं क्या करूंगी मैं तो कुछ और ही चाह रही हूं,,,(इस बार शीतल अपनी मादकता भरा रूप दिखाते हुए अपनी जीभ को अपने लाल-लाल होठों पर फिराते हुए बोली,,)

पैसा नहीं चाहती हो तो क्या चाहती हो,,,,(निर्मला आश्चर्य से बोली)

देखो निर्मला एक औरत होने के नाते मैं तुमसे यह बात कह रही हूं,,,जिस तरह से तुम अपने पति से संतुष्ट नहीं हो उसी तरह से मैं भी अपने पति से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं या यूं कह लो कि तुम्हारे ही शब्दों में मेरा पति मुझे शारीरिक सुख नहीं दे पाता,,, (शीतल की यह बात सुनते ही निर्मला को उसकी बात सुनकर झटका तो लगा लेकिन वह मन में सोचने लगी कि उसकी भी हालत ठीक उसी की तरह ही है,,, वह भी ऊसी कश्ती मैं सहार थी जिसमें वह पहले से ही मुसाफिर बन कर बैठी हुई थी,,,)

तुम्हारी हालत भी बिल्कुल मेरी तरह ही है तुम्हें भी हंसता खिलखिलाता ,,,,मजाक करता हुआ देखकर कोई यह नहीं कह पाएगा कि तुम अपने पति से संतुष्ट नहीं हो या शारीरिक सुख से अभी तक वंचित हो,,,, मुझे तुम्हारी यह बात सुनकर बहुत दुख हो रहा है शीतल,,

लेकिन तुम मेरे दुख को दुर भी कर सकती हो निर्मला,,,,

मैं कुछ समझी नहीं तुम क्या कहना चाह रही हो।

बहुत ही आसान है निर्मला जिस तरह से तुमने अपना दुख दूर की हो उसी तरह से तुम चाहो तो मेरा भी दुख दूर कर सकती हो,,,,
( शीतल की बात सुनते ही निर्मला को इस बात का एहसास होने लगा कि वह क्या कहना चाह रही है पल भर में उसके चेहरे पर गुस्से के भाव पैदा होने लगे लेकिन शीतल बिल्कुल शांत थी वह मुस्कुराते हुए निर्मला को देखे जा रही थी,,।)

मैं,,,,, मैं तुम्हारा दुख कैसे दूर कर सकती हूं,,?

तुम दूर कर सकती हो निर्मला,,, क्योंकि तुम्हारे पास शुभम है और मैं यही चाहती हूं कि जिस तरह से तुम अपने बेटे का उपयोग करके अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरी करती आ रही हो ठीक उसी तरह से तुम्हें राज को राज रखने के एवज में अपने बेटे को मेरे पास भेजना होगा,,,

(शीतल की यह बात सुनते ही निर्मला गुस्से से तिलमिला उठी और जोर से चिल्लाते हुए बोली,,)


शीतल,,, तुम्हें यह कहते हुए शर्म भी नहीं आ रही है,,, तुम सोच भी कैसे सकती हो कि जो तुम कह रही हो मैं वह करूंगी,,,,

तुम वही करोगी जो मैं कहूंगी यह मुझे पूरा विश्वास है,,,

तुम भूल कर रही हो शीतल ऐसा कुछ भी नहीं करूंगी क्योंकि तुम्हारी नियत गंदी है तुम्हारे मन में लालच आ गया है और लालच भी ऐसा जो कि एक औरत को शर्म आनी चाहिए,,,,

(निर्मला की यह बात सुनते ही सीतल जोर-जोर से हंसने लगी ठहाके लगा लगा कर हंसने लगी,,, और हंसते हुए बोली।)

अरे वाह सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली यह कहावत तुमने सच कर दी हो निर्मला,,,,, मुझसे शर्म और लिहाज की बात कर रही हो और तुम क्या की हो बहुत जल्दी भूल गई,, अपने ही बेटे से चुदवाती आ रही हो,, तुम करो तो मान मर्यादा वाली बात और हम करें तो बेशर्मी,,,
(शीतल की यह बात सुनकर निर्मला एकदम खामोश हो गई ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने उसे आईना दिखा दिया हो,,)

लेकिन शीतल जो कुछ भी तुम कह रही हो मैं कभी होने नहीं दुंगी,,,

तो मैं यह राज इस चारदीवारी के बाहर तक ले जाऊंगी,,,

नहीं नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकती शीतल,,,

मैं कर सकती हूं,,, और शुभम के साथ वह सब करूंगी जो तुम उसके साथ करती आ रही हो,,,

लेकिन तुम जो कह रही हो क्या दुनिया वाले तुम्हारी बात पर विश्वास कर पाएंगे,,,,नहीं करेंगे वह तुम्हें ही झूठा साबित कर देंगे तुम बदनाम हो जाओगी,,

उसकी चिंता तुम बिल्कुल मत करो निर्मल मेरे पास तुम मां बेटे दोनों की संभोग लीला की पूरी वीडियो है और वीडियो पर तो सब लोग विश्वास करेंगे ही,,,
(शीतल की यह बात सुनकर निर्मला को ऐसा लगने लगा कि जैसे उसके सर पर पूरा आसमान गिर गया हो और पूरी तरह से सदमे में आ गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें फिर भी अपना बचाव करते हुए वह बोली।)

नहीं शीतल तुम ऐसा बिल्कुल भी नहीं करोगी तुम्हें याद है मैं क्लास में तुम्हें अपने बेटे के साथ गंदी अवस्था में पकड़ ली थी फिर भी मैं यह बात किसी को नहीं बताई,,,


तुम बता सकती थी तुम्हारे पास मौका था ,,,

नहीं मैं ऐसा नहीं करना चाहती थी क्योंकि मुझे भी तुम्हारी इज्जत प्यारी थी मैं नहीं चाहती थी कि तुम बदनाम हो जाओ,,,

मैं भी तो यही चाहती हूं निर्मला कि तुम बदनाम ना हो इसलिए जो कहते हु वही करो,,,
(शीतल की बात सुनकर निर्मला का दिमाग काम नहीं कर रहा था उसकी इज्जत शीतल के हाथों में थी,,, अगर उसके पास वीडियो ना होता तो निर्मला इस मुसीबत से निकल सकती थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका इज्जत और रुतबा समाज में बहुत था वह किसी भी तरह से शीतल की बात को झुठला सकती थी,,, वह उसी तरह से खड़ी रही,,,
अब उसके पास कहने के लिए कुछ भी नहीं था वह उसी तरह से खामोश खड़ी थी शीतल को अब एहसास होने लगा कि उसका काम बन गया है अब समय भी हो रहा था उसका बेटा शुभम किसी भी वक्त घर पर आ सकता था इसलिए वह निर्मला से जाते-जाते बोली।

देखो निर्मला मैं तो बिल्कुल भी नहीं चाहती कि तुम्हारी किसी भी प्रकार से बदनामी हो अगर तुम चाहती हो कि तुम्हारी बदनामी हो तो जैसा मैं कह रही हूं वैसा मत करो लेकिन अगर अपनी इज्जत बचाना चाहती हो तो जैसा मैं कह रही हूं ठीक वैसा ही करो,, कल रात 9:00 बजे तुम अपने बेटे को मेरे घर भेज देना कोई भी बहाना करके कैसे भेजना है यह तुम अच्छी तरह से जानती हो मैं इंतजार करूंगी और अगर कल 9:00 बजे तुम अपने बेटे को मेरे घर नहीं भेजी तो इसकी जिम्मेदार तुम खुद होगी,,,
(इतना कहकर शीतल निर्मला के घर से बाहर चली गई और निर्मला उसे घर से बाहर जाते हुए देखती रही.)


Lagta han ki ab sheetal ka kam ban jayega
 
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rohnny4545

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तीनों निपट कर बाथरुम से बाहर आकर जैसे ही तैयार हो गए वैसे ही डोर बेल बजने लगी थी। शीतल समझ गई कि नौकरानी आई है इसलिए वह खुद दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ी,,, दरवाजा खोलो तो सामने नौकरानी खड़ी थी जो कि शीतल को पहचानती थी और शीतल को देखते ही उसे नमस्ते की,,, जवाब में शीतल भी मुस्कुराते हुए उसे नमस्ते की यह शीतल की सादगी थी,,,। नौकरानी घर में आ गई और सामने नजर पड़ते ही निर्मला और शुभम दोनों को नमस्ते की जवाब में वह लोग भी मुस्कुराते हुए नमस्ते कर दिए,,,। नौकरानी मन ही मन बहुत खुश हुई क्योंकि जिस तरह से शीतल निर्मला और शुभम ने उसका अभिवादन किए थे उस तरह से कोई भी नौकरानी को इतनी इज्जत नहीं बख्शता था,,।

मेम साहब आप लोगों से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई क्योंकि आप लोग बेहद पढ़े लिखे और संस्कारी मालूम पड़ते हैं तभी तो मुझे सी नौकरानी को मुस्कुराते हुए नमस्कार किया वरना हम लोगों को तो कोन मुंह लगाता है,,।

अरे ऐसी कोई बात नहीं है आखिरकार तुम भी तो एक औरत हो और एक औरत की इज्जत करना तो हम सब का फर्ज है क्योंकि मैं भी एक औरत हूं अगर मैं किसी की इज्जत नहीं करूंगी तो भला मेरी इज्जत कौन करेगा,,,।

( निर्मला की बात सुनते ही नौकरानी बहुत खुश हुई,,,।)

वैसे तुम्हारा नाम क्या है,,,।( निर्मला नौकरानी से बोली।)

शांति मेरा नाम शांति है,,,।

दिखने में तो तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,


लेकिन पढ़ी-लिखी नहीं हूं ना मेम साहब इसके लिए यह सब काम करना पड़ता है,,,।


सही है अगर पढ़े लिख ली होती तो जिंदगी में तुम्हें बहुत काम आता,,,।


मां बाप की हैसियत नहीं थी पढ़ाने की दो वक्त का खाना खिला देते थे वही बहुत था,,,,,।

चलो कोई बात नहीं जिंदगी में यह सब तो होता ही रहता है,,,। लेकिन तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,।
( निर्मला के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर वह बहुत खुश हूई,, और वह खुश होते हुए बोली,,।)

अच्छा मैम सब खाना में बोलिए क्या बनाना है,,,?


तुम सिर्फ गरमा गरम कॉफी बना दो खाना हम बाहर खा लेंगे,,,,( शीतल कुर्सी पर बैठते हुए बोली।)


ठीक है मैम साहब में कॉफी बना देती हू और घर की सफाई कर देती हूं,,,,।
( इतना कहकर वह किचन में चली गई,,। और निर्मला शीतल के साथ-साथ शुभम भी उसे किचन में जाते हुए देखता रह गया,,, क्योंकि उस नौकरानी को देखकर शुभम भी हैरान रह गया था क्योंकि वह बहुत खूबसूरत है बस थोड़ा सा रंग दबा हुआ था बाकी बदन का हर एक अंग जवानी से भरा हुआ उबाल मार रहा था,,, तकरीबन 30 32 साल की होगी और भरा हुआ बदन गदराया जिस्म अपनी अलग कहानी कह रहा था जब से मैं पुरानी घर में दाखिल हुई थी तब से शुभम की नजर उसके ऊपर ही थी,,, अनुभवी आंखों से शुभम शांति की खूबसूरत बदन के हर एक हिस्से का नाप ले चुका था,,,। अच्छी तरह से समझ रहा था कि शांति के बदन का हर एक अंग किस तरह का दिखता होगा वह मन में कल्पना करके शांति के वस्त्रों के अंदर तक अपनी कल्पना ओ की नजर दौड़ा चुका था,,,, उसकी चुचियों से लेकर उसके चिकने पेट के बीचो बीच की गहरी नाभि के साथ-साथ वह केले के सामान चिकने जांघों के बीच स्थित उसकी बुर की पतली दरार के बारे में पूरी तरह से अवलोकन कर चुका था,,,,। मर्दों की फितरत क्या होती है इस समय शुभम के मन में जो कुछ भी चल रहा है उसी से पता चल जाता है कि दोनों खूबसूरत औरत पास में होने के बावजूद भी वह नौकरानी को भोगने की इच्छा मन में पाल रहा था,,,।

निर्मला और शीतल दोनों आपस में बातें करने लगे और शुभम का मन रसोई घर में कॉफी बना रही शांति के ऊपर फिसलने लगा था इसलिए वह पानी पीने का बहाना करके रसोई घर में चला गया,,,। जहां पर शांति अपने गर्म कपड़े को निकाल कर उसे टेबल पर रख कर अपनी साड़ी को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा कर अपनी कमर में खोंसे हुए थी,,, जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल चिकनी पिंडलिया साफ नजर आ रही थी,,,,। शुभम को किचन में आता हुआ देखकर शांति बोली,,।


क्या चाहिए छोटे बाबू,,।


छोटे बाबू नहीं शुभम नाम है मेरा,,,,


लेकिन छोटे बाबू जी आप बड़े लोग हैं आपका नाम नहीं ले सकती,,,,,।

लेकिन तुम मुझे छोटे बाबू कहकर बुलाओगी तो मैं बुरा मान जाऊंगा,,,,

और मैं तुम्हें नाम से बुलाऊंगी तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा,,,


इसका मतलब साफ है कि तुम मुझे छोटे बाबू कहकर ही बुलाओगी,,,,।

जी हां,,,,( इतना कहकर वो हंसने लगी,,,, और साथ में शुभम भी हंसने लगा,,,।,,, और हंसते हुए ठीक उसके पीछे से गुजरते वह वह तिरछी नजरों से नौकरानी के संपूर्ण बदन पर अपनी प्यासी नजरों की छाप छोड़ते हुए गया,,,, फ्रिज खोल कर पानी की बोतल निकाला और गटागट पीना शुरू कर दिया लेकिन इस दौरान भी वह अपनी नजरों से नौकरानी के बदन को निहारता रहा,,, जो कि नौकरानी कॉफी बनाने में व्यस्त थी लेकिन एक अनजान लड़के के सामने अपने आप को असहज महसूस कर रही थी इसलिए पीछे नजर घुमाकर शुभम की तरफ देख ले रहे थे और शुभम भी उसी को देख रहा था इसलिए दोनों की नजरें आपस में टकरा जा रही थी और नौकरानी एकदम से शर्मिंदा होकर शर्म के मारे अपनी नजरों को फेर ले रही थी उसके लिए यह समय बेहद असहज और अजीब सा था जिसका वह सामना करने में असमर्थ महसूस कर रही थी क्योंकि पहली बार इस तरह से कोई अनजान लड़का उसको घूर रहा था,,,। शुभम की नजर बार-बार नौकरानी के भारी भरकम पिछवाड़े पर चली जा रही थी जो कि हमेशा से शुभम की सबसे बड़ी कमजोरी रही है,,,। और अपनी उम्र के 30 32 साल गुजार चुकी नौकरानी की आंखें अनुभवी थी वह इतना तो समझ ही जा रही थी कि शुभम उसके बदन के कौन से हिस्से को घूर कर देख रहा है यह अहसास होते ही की वह अनजान लड़का उसकी भारी-भरकम गांड को देख रहा है तो यह एहसास उसको अंदर तक उत्तेजित कर जा रहा था,,,। अनजान जवान नजरों को अपने कपड़ों के अंदर तक धंसता हुआ महसूस कर के वह पूरी तरह से उत्तेजना के मारे गनगना जा रही थी,,, शुभम जानबूझकर पानी का बोतल मुंह में लगाए उसी तरह से खड़े होकर नौकरानी के बदन के संपूर्ण भूगोल को अपनी नजरों से निहार रहा था,,,,। काफी देर से किचन के अंदर खामोशी छाई हुई थी और असहज होते हुए नौकरानी ही इस खामोशी को तोड़ते हुए बोली,,,।

वैसे छोटे बाबू यहां पर घूमने के लिए आए हो या कुछ काम है,,,।

घूमने के लिए ही आए हैं सुना है कि शिमला धरती का स्वर्ग है इसलिए यहां घूमने का मन बहुत कर रहा था,,,।


तुमने ठीक ही सुना है छोटे बाबू शिमला सबसे खूबसूरत शहर है,,,।


तुम तो यही की रहने वाली हो तो तुम्हें अच्छी तरह से मालूम होगा कि कौन सी जगह घूमने लायक है,,,।


वैसे तो छोटे बाबू इस मौसम में यहां पर सब जगह घूमने लायक है क्योंकि अभी बर्फ बारी जोरों की नहीं है इसलिए इस मौसम में पूरा शिमला बहुत खूबसूरत लगता है,,,।



( शुभम को नौकरानी का संपूर्ण वजूद बेहद आकर्षक लग रहा था वह अपने आप को उसके करीब जाने से रोक नहीं पाया और कदम बढ़ाता हुआ पानी पीते हुए उसके बेहद करीब पहुंच गया ठीक उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया,,,। और धीरे से बोला,,,।)

तुम साथ चलोगी हम लोगों को शिमला घुमाने,,,

( एक अनजान लड़के को अपने बेहद करीब पाकर वो एकदम से घबरा गई और उसके हाथ से चम्मच छूट कर नीचे गिर गई जिसे वह हड़बड़ाहट में उठाने के लिए नीचे झुक गई,,,, और जैसे ही नीचे वह झुकी ठीक उसके पीछे शुभम खड़ा था जो कि नौकरानी के भारी-भरकम पिछवाड़े को देखकर काफी उत्तेजित हो गया था और उसके पेंट में उत्तेजना के कारण तंबू सा बन गया था,,, चम्मच उठाने के लिए नौकरानी के झुकते ही उसके नितंबों का संपूर्ण घेराव सीधे जाकर शुभम के पेंट के अग्रभाग से स्पर्श हो गया,,,, नौकरानी से यह अनजाने में ही हुआ था उसकी बड़ी-बड़ी गांड ठीक चिकन के पेंट में बने तंबू से टकरा गई और यह मौका शुभम अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए जैसे ही उसके झुकने के कारण उसका भारी-भरकम गांड उसके लंड से टकराया उसके दोनों हाथ खुद-ब-खुद नौकरानी कि मानसर चिकनी कमर पर आ गए और शुभम इस अफरातफरी में इस मौके का लाभ उठाते हुए उसकी कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और जानबूझकर अपने पेंट में बने तंबू को आगे की तरफ खेलते हुए उसके नितंबों से एकदम से सटा दिया ऐसा करने से शुभम के पेंट में बने तंबू सीधे-सीधे नौकरानी की गांड के बीचो बीच उसकी मखमली बुर के द्वार पर टकरा गया,,,,, और चम्मच उठाते हुए नौकरानी को जैसे ही ले एहसास हुआ कि उसकी गांड के बीचो बीच कोई नुकीली सी चीज टकराई है वह एकदम से सकते में आ गई,,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि वह नुकीली चीज क्या है क्योंकि जिस तरह से शुभम ने उसकी दोनों हाथों से कमर को थाम रखा था वह समझ गई कि उसकी गांड के बीचो-बीच टकराने वाली चीज कुछ और नहीं बल्कि उसका लंड है उसका पूरा वजूद गनगना गया,,,, उसका दिल धक से कर गया,,,, क्योंकि शुभम के लंड की ठोकर उसे अपनी बुर के मुख्य द्वार पर बेहद अच्छे से महसूस हुई थी,,,, ना जाने किस एहसास से नौकरानी भर चुकी थी कि दो 4 सेकंड तक वह चम्मच को नीचे जमीन पर ही पकड़ी रह गई,,,, और जब उसे शर्मिंदगी का अहसास हुआ तब तक देर हो चुकी थी वह चम्मच को उठाकर खड़ी होने लगी और शुभम भी तब तक अपना काम कर चुका था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि औरतों की कमजोरी क्या होती है और उसने उस नोकरानी की भी कमजोरी को पलभर में ही भाप लिया था,,,। शुभम को इतना एहसास तो हो गया था कि उसके लंड की ठोकर नौकरानी के कौन से अंग पर बराबर जाकर बैठा है,,,,। इसलिए वह भी नौकरानी को उठने में मदद करता हुआ बोला,,,।

सॉरी मैं माफी चाहता हूं अनजाने में ही हो गया,,,,( नौकरानी कुछ और बोल पाती इससे पहले ही शुभम एकदम से बात बदलते हुए बोला,,,।) तो क्या सोची हो तुमने चलोगी हम लोगों को शिमला घुमाने,,,,,


नहीं नहीं छोटे बाबू मैं नहीं जा पाऊंगी मुझे दिन भर बहुत काम रहता है और वैसे भी शीतल मैडम है वह अच्छी तरह से शिमला घूमी हुई है वह घुमा देंगी,,,,।
( नौकरानी शर्म के मारे शुभम से नज़रें नहीं मिला पा रही थी क्योंकि जो कुछ भी हुआ था वह बेहद शर्मनाक था लेकिन नौकरानी के संपूर्ण वजूद को हिला गया था,,, क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जब पेंट में होने के बावजूद भी शुभम का लंड उसकी बुर के बीचो-बीच ठोकर मार रहा था तो अगर वह पेंट के बाहर आ जाएगा तो एकदम से गदर मचा देगा और इस अहसास से वह पूरी तरह से भर चुकी थी,,,,। शर्मसार भी में जा रही थी और काफी अपने अंदर उत्तेजना का संचार भी होता हुआ महसूस कर रही थी पलभर में ही उसे अपनी पेंटी गीली होती हुई महसूस होने लगी थी,,,, किचन में आए शुभम को काफी देर हो चुकी थी इसलिए वह ज्यादा देर तक खड़ा रहना मुनासिब नहीं समझा इसलिए पानी की बोतल को वापस फ्रीज में रखता हुआ बोला,,,।

वैसे कुछ भी हो तुम बहुत अच्छी हो,,,,, और बेहद खूबसूरत भी ,,,,,(इतना कहने के साथ अभी वह किचन से बाहर निकल गया नौकरानी शुभम को जाते हुए देखती रह गई क्योंकि किसे अच्छा नहीं लगता है 1 जवान लड़के के मुंह से इस उम्र के दौर पर अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना,,, नौकरानी बेहद प्रसन्न होते हुए तीन कप में कॉफ़ी उड़ेलने लगी,,,, और कॉफी को ट्रेन में लेकर किचन से बाहर आ गए जहां पर तीनों अपनी-अपनी जगह पर बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे,,,, शुभम उस नौकरानी को बड़े गौर से देख रहा था,,,। नौकरानी सितारों निर्मला दोनों को कॉफी थमा कर कॉफी का ट्रे लेकर शुभम की तरफ बढ़ी,,,, वह मुस्कुराते हुए शुभम को कॉफी का कब पकड़ा नहीं लगे तो शुभम हाथ आगे बढ़ाकर कॉफी के कप को अपने हाथों में थाम लिया लेकिन जानबूझकर अपनी उंगलियों का स्पर्श उसकी नाजुक नाजुक उंगली ऊपर कराने लगा,, एक बार फिर से नौकरानी के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,, लेकिन तभी कॉफी पकड़ा ते हुए शर्म के मारे जब उसकी नजर से उनके चेहरे पर पड़ी तो उसकी नजरों के सिधान को देखकर वह पूरी तरह से छह गई और अपनी नजर नीची करके जब अपनी चूचियों की तरफ देखी तो ब्लाउज का एक बटन खुला हुआ था जिसकी वजह से और झुकने की वजह से,,, उसकी आधी से ज्यादा चूचियां ब्लाउज में से नजर आ रही थी यह पल उस नौकरानी के लिए बेहद शर्मनाक था लेकिन शुभम के लिए तो यही एक मौका था वह नजर भर कर नौकरानी की गोरी गोरी बड़ी बड़ी चूचियों को घूर रहा था,,, और शुभम की प्यासी नजरों का सामना करते हुए मैं पुरानी पूरी तरह से अपने तन बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और वह जल्दी से इस नजारे पर पर्दा डालते हुए खड़ी हो गई,,,। और जल्दी से शर्मा कर वापस किचन में चली गई,,, और शुभम गरमा गरम कॉफी की चुस्की लेते हुए अपनी मां और शीतल की बातों को सुनने लगा,,,, शीतल घूमने जाने का प्लान बना रही थी और बाहर ही खाना खाने का प्लान भी बन चुका था,,,,।

थोड़ी ही देर में नौकरानी ने झूठे कब को ले जा कर के उसे अच्छे से साफ करके और किचन के साथ-साथ पूरे घर में झाड़ू मारकर जाने के लिए तैयार हो गई,,,,।


शाम को आना है मैम साहब,,,,।


हां शांति शाम को थोड़ा जल्दी आ जाना और हम लोगों के लिए खाना भी बना देना हम लोग बाहर से कब लौटेंगे यह कोई तय नहीं है,,,।


ठीक है मैम साहब मैं आ जाऊंगी अब मैं जाती हूं,,,। ( इतना क्या करवा शुभम की तरफ देखने लगी जो कि खिड़की के करीब खड़ा होकर बाहर का नजारा देख रहा था और नौकरानी घर से बाहर चली गई लेकिन गेट तक पहुंचते-पहुंचते हुआ है दो-तीन बार पीछे मुड़कर शुभम की तरफ देख ले रही थी और शुभम भी जवाब मैं उसे देख कर मुस्कुरा रहा था,,,, अभी तक नौकरानी बस उसे देख रही थी लेकिन गेट के बाहर निकल कर वहां एक बार फिर से शुभम की तरफ देखी और मुस्कुरा दी,,, और वह वहां से चली गई उसकी मुस्कुराहट का मतलब शुभम अच्छी तरह से समझ गया था उसके लिए उसकी मुस्कुराहट ग्रीन सिगनल थी उसकी तरफ आगे बढ़ने के लिए,,,,। जिंदगी में पहली बार शुभम का झुकाव किसी नौकरानी की तरफ हुआ था इतनी उच्च स्तर की जबरदस्त बदन की मालकिन निर्मला और शीतल की खूबसूरती मैं पूरी तरह से अपने आप को लुभाने के बाद वह शिमला में आकर नौकरानी के गरमा गरम पिछवाड़े का दीवाना हो गया था,,,, शिमला के ठंडे मौसम में वह नौकरानी का दूध पीकर गर्म होना चाहता था,,,। जो कि अब ऐसा लग रहा था कि उसके लिए असंभव नहीं था इन सबसे बेखबर निर्मला और शीतल अपने ही मस्ती में बातों में लगे हुए थे उन्हें तो इस बात का आभास तक नहीं था कि किचन के अंदर नौकरानी और उसके बेटे के बीच क्या गुल खिल चुका था,,,,

लेकिन शुभम तो भंवरा था जिनका काम ही है खूबसूरत फूलों पर बैठकर उनका रस निचोड़ना,,,, इसलिए तो नौकरानी हुई तो क्या हुआ उसके पास भी वही सब अंग है जो कि निर्मला और शीतल के पास है नौकरानी की टांगों के बीच में भी उसे उतनी ही गर्मी महसूस होगी जितना कि शुभम को अपनी मां की टांगों के बीच महसूस होती है नौकरानी की चूचियां भी उसे उतना ही लाजवाब और उच्च स्तर का आनंद देंगे जितना के शीतल की बड़ी-बड़ी चूचियां और निर्मला के दशहरी आम देते हैं,,,, मौका आने पर नौकरानी भी अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी कसी हुई रसीली बुर को शुभम के सामने परोस दे कि जैसा कि निर्मला और शीतल दोनों अपनी टांगे खोल कर उसे अपने अंदर समा जाने के लिए आमंत्रित करते हैं,,,,। हर धक्के के साथ नौकरानी के मुंह से भी गरम सिसकारी की आवाज फुट पड़ेगी जैसा कि उसकी मां के मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकल जाती है,,,, आखिरकार नौकरानी भी तो एक औरत ही थी,,,। शुभम को उसके साथ मजे करने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नजर नहीं आ रही थी और मौका मिलने पर वह उसके साथ जरूर संभोग रत हो जाएगा ऐसा हुआ मन में ठान लिया था,,,,।

तीनों तैयार हो चुके थे एक नए सफर के लिए शिमला की ठंडी सड़कों पर घूमने के लिए शीतल अच्छी तरह से शिमला की सड़कों से वाकिफ थे इसलिए पूरा कमान शीतल को ही सौंप दिया गया था शीतल भी स्टेरिंग संभालते हुए निर्मला और शुभम दोनों का कार के अंदर स्वागत की और दोनों निकल पड़े शिमला की सड़कों पर घूमने के लिए,,,।
 
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karan77

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kuch naya aaya. congratulations
 
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