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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

rajeev13

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शुभम के पैदा होने के 2 साल बाद ही में ऑपरेशन करा चुकी हूं,,,

काश ये न हुआ होता !
तो कहानी और भी रोमांचक बन सकती थी !

क्या एक अधूरी प्यास भाग 3 की आशा रहेगी रोहन भाई ?
 

rohnny4545

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काश ये न हुआ होता !
तो कहानी और भी रोमांचक बन सकती थी !

क्या एक अधूरी प्यास भाग 3 की आशा रहेगी रोहन भाई ?
Jaroor rajeev bhai
 
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Adhuri Pyas 3 ki asha ke sath itni badhiya kahani dene ke liye dhanyavad.
 
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Yash maurya

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Nirmala ko pregnant krwao bhai kisi bhi trh uski chuchi se doodh nikle
Love your writing skills
 
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rohnny4545

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शिमला में अब सिर्फ एक रात ही रह गई थी जिसमें शुभम को अनमोल से मिलना था,,, अनमोल का खूबसूरत चेहरा और गर्म कोट में ढका हुआ बदन शुभम को भा गया था हालांकि उसे सिर्फ अनमोल का खूबसूरत चेहरा ही नजर आता था लेकिन ओवरकोट के घेराव की वजह से उसके खूबसूरत बदन के ढांचे का अनुमान वह लगा चुका था,,, अनमोल से मिलने के लिए उसके होटल जाना चाहता था उसे ना जाने क्यों मन में उम्मीद हो रही थी कि अनमोल के साथ भी उसकी बात बन जाएगी ,,,, इसलिए दोपहर के समय जिस समय वह शांति से मिलने के लिए घर से निकला था उसी समय घूमने का बहाना करके अनमोल से मिलने के लिए वह घर से निकल गया। लेकिन इस बार वह अपने आप को काफी तैयार करके घर से बाहर निकला था ताकि वह पहली बार में ही एकदम इंप्रेशन जमा सके इसलिए आंखों पर गॉगल्स लगा लिया था । खूबसूरत घटीले बदन का तो वह पहले से ही था,, आंखों पर गूगल चढ़ा लेने की वजह से उसके इंप्रेशन में चार चांद लग जा रहा था,,, आज बर्फ बिल्कुल भी नहीं कर रही थी मौसम साफ था,, मन में गीत गुनगुनाता हुआ वह होटल अनमोल की तरफ आगे बढ़ता चला जा रहा था,,। वह मन में यही सोच रहा था कि अगर वह अनमोल को पा सका तो यहां पर भी आकर वह अपना झंडा गाड़ने में पूरी तरह से सफल हो जाएगा वैसे तो शांति उसके हाथ लगी चुकी थी लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि शांति का लेवल थोड़ा डाउन था भले ही खूबसूरती और गदराए बदन में वह हुस्न की मल्लिका थी,, लेकिन बड़े आराम से वह उसकी बाहों में आ गई थी,,, अगर अनमोल उसकी बाहों में आ सकी तो उसके लिए बहुत ही बड़ा शीमला में आकर अचीवमेंट होगा,,,
वैसे इस बात से शुभम पूरी तरह से अनजान था कि शुभम को देखकर अनमोल भी उसकी तरफ आकर्षित हो गई थी,,ऊसकी ईमानदारी बात करने का ढंग उसका भोला भाला मासूम चेहरा उसका गठीला बदन सब कुछ अनमोल को अच्छा लगा था,,, इसलिए तो वह उसे दोबारा मिलने के लिए अपने होटल अनमोल में बुलाई थी,,,
थोड़ी ही देर में शुभम होटल अनमोल के सामने खड़ा था,,, उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था उसी समझ में नहीं आ रहा था कि उनसे मिलना चाहिए या नहीं मिलना चाहिए लेकिन फिर भी उसने खुद से बुलाई थी तो मिलना भी जरूरी था,,, होटल अनमोल बाहर से बेहद खूबसूरत लग रहा था,, बाहर दो दरबार खड़े हुए थे शुभम दरवाजे के करीब पहुंच गया था और दरबान उसे सलाम करते हुए दरवाजा खोल दिया शुभम भी अपने ओवरकोट में दोनों हाथ डालकर होटल में दाखिल हुआ,, शुभम अपने व्यक्तित्व के हिसाब से बेहद डेसिंग लग रहा था,, जिस पर शायद सबकी नजर पड़ी थी,,,वह मुस्कुराता हुआ इंक्वारी टेबल पर गया,, जहां पर एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बैठी हुई थी,,, जो कि शुभम को देखते ही बोली।

मैं आई हेल्प यू सर,,,,

जी देखिए मुझे अनमोल जी से मिलना था,,,

क्या,,?
( वह लड़की आश्चर्य से बोली,,, क्योंकि शुभम की उम्र को देखते हुए लड़की इतना तो समझ गई थी कि भला इतने बड़े होटल की मालकिन अनमोल को इससे बच्चे से क्या काम हो सकता है,, वैसे शुभम चेहरे से मासूम लगता था बाकी गठीला बदन तो उसे अपनी उम्र से दो 4 साल ज्यादा ही बयान करती थी,,,)

इसमें चौंकने वाली कौन सी बात है,,,?

लेकिन मैडम किसी से नहीं मिलती।

मुझसे मिलेंगी,, उन्हें फोन लगा कर कहो कि शुभम आया है,,,(इतना कहकर सुभम होटल के चारों तरफ नजर घुमाने लगा,,, होटल का नजारा बेहद खूबसूरत था कोई भी टेबल खाली होने का सभी टेबल बुक नजर आ रहे थे और टेबल की सजावट भी बेहतरीन तरीके से की गई थी,,, होटल की रंगीनियत को देख कर ही पता लग रहा था कि अनमोल काफी पैसे वाली औरत थी,, शुभम के आत्मविश्वास को देखकर वह लड़की हैरान थी ना चाहते हुए भी वह अनमोल को फोन लगा दी,,, और शुभम का नाम सुनते ही अनमोल एकदम खुश होते हुए उसे भेजने के लिए बोली,,,)

क्या हुआ,,,?(शुभम अपने चेहरे पर विजई मुस्कान लाते हुए उस लड़की से बोला)

मैडम ने आपको बुलाया है,,,(वह लड़की फटी आंखों से शुभम की तरफ देखते हुए बोली) वैसे तुम अनमोल मैडम के रिश्तेदार हो क्या,,,?

ऐसा ही समझ लीजिए,,, वैसे जाना कहां,, है,,,?

सीढ़ियों से होते हुए ( सिड़ियों की तरफ इशारा करते हुए) बाई तरफ से सीधे चले जाना है 001 कमरा है।

बहुत-बहुत शुक्रिया,,,(इतना कहते हुए शुभम सिढीयों की तरफ जाने लगा,,, भले ही शुभम आत्मविश्वास से भरा हुआ था लेकिन अनमोल से मिलने की उत्सुकता में उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, थोड़ी ही देर में भाग कमरा नंबर 001 के सामने खड़ा था,,,दरवाजा खोलने से पहले वह अपने आप को पूरी तरह से व्यवस्थित करने लगा था,,, डॉल्फिन बजाकर वह बड़े ही शालीनता के साथ खड़ा हो गया,,,, कुछ ही सेकंड में दरवाजा खुला,, सामने अनमोल का खूबसूरत चेहरा देखकर वह प्रसन्नता से भर गया,,,

आओ शुभम तुम्हारा स्वागत है,,,(इतना कहकर अनमोल उसे कमरे में अंदर आने का ईसारा की,,, शुभम उसके अंदाज से खुश होकर कमरे में दाखिल हो गया और कमरे में दाखिल होते ही अनमोल ने दरवाजा बंद कर दी,,)

मुझे नहीं लगता था कि तुम आओगे,,,

ऐसा कैसे हो सकता है तुम बुलाओ और मैं ना आऊं,,,
(शुभम बड़े हीरोमांटिक अंदाज में बोला और अनमोल उसके रोमांटिक अंदाज से काफी प्रभावित हुई,,)

बैठो,,, मैं तुम्हारे लिए कुछ आर्डर कर देती हूं,,,,,
(इतना कहकर अनमोल सोफे पर बैठ कर फोन से नाश्ते का आर्डर कर दी,,, मरुन रंग की ओवरकोट में अनमोल का खूबसूरत बदन काफी खूबसूरत लग रहा था,, उसने नेवी ब्लू रंग की जींस और वाइट कलर की टी-शर्ट पहनी हुई थी जो कि उसके गोरे बदन पर बेहद खिल रही थी,,, शुभम के लिए पहला मौका था जब वह किसी हाई क्लास लेडी से मिल रहा था जो जींस और टी-शर्ट पहनती थी वरना अब तक भले ही भाई क्लास औरत से मिल चुका था लेकिन साड़ी पहनने वाली ही औरतों से मिला था इस तरह की मॉडर्न टाइप औरत से वह पहली बार मिल रहा था,,, इसलिए सुभम के बदन में कुछ ज्यादा ही आग लगी हुई थी,,,। सुभम बार-बार चोर नजरों से अनमोल की तरफ देख ले रहा था,, ऑर्डर देकर फोन रखने के बाद वह शुभम से मुखातिब होते हुए बोली,,,)

और बताओ सुभम कैसा चल रहा है सब,,,

सब ठीक ही है,,, आज आखिरी रात है शिमला में,,

मतलब कि कल चले जाओगे,,,

हां,,,

चलो अच्छा हुआ कि जाने से पहले एक बार मुलाकात हो गई,,,

मेरा भी सौभाग्य है कि आज यहां बैठकर तुमसे बातें करने का मौका मिल रहा है,,,


मैं कोई सेलिब्रिटी तो हूं नहीं कि तुम्हें मुझ से बातें करना अपना सौभाग्य लग रहा है,,,।

तुम्हारे लिए यह औपचारिक ही होगा लेकिन मेरे लिए यह सचमुच सौभाग्य की बात है,,,
(शुभम की यह बातें सुनकर अनमोल मुस्कुराने लगी लेकिन अनुमान को क्या पता था कि यह शुभम की चिकनी चुपड़ी बातें एकदम फ्लर्ट है,,, शुभम का यह सबसे बड़ा हथियार था किसी भी औरतों को फसाने के लिए क्योंकि यह बात अच्छी तरह से जानता था कि दुनिया की कोई भी औरत उसकी तारीफ कर देने से एकदम से पिघल जाती है ।और धीरे-धीरे उसकी यह ट्रिक काम कर रही थी अनमोल को शुभम की इस तरह की बातें बेहद फिल्मी टाइप के लग रही थी ना जाने क्यों उसे शुभम के अंदर फिल्मों का शाहरुख खान नजर आ रहा था जो अपनी इसी तरह की बातें से हीरोइन के दिल पर एकदम से अपनी छाप छोड़ देता था,,)

वैसे तुम्हारी तरह की बातें मुझे बहुत अच्छी लगी,,,

और मुझे तुम,,,, मेरा मतलब है कि तुम्हारा एटीट्यूड तुम्हारा ढंग और सबसे बड़ी बात तुम्हारी खूबसूरती,,,
( इतना सुनते ही अनमोल जोर जोर से हंसने लगी इतना की उसकी हंसी नहीं रुक रही थी,,,)

मेरी बात सुनकर तुम हंस क्यों रही हो सीरियसली तुम बहुत खूबसूरत हो,,,(अनमोल बिना रुके हंसे जा रही थी,, और यही हंसने का फायदा उठाते हुए शुभम अपने दिल की बात बोल गया,,) और सच कहूं तो यहां आने का मेरा मकसद यही था कि एक बार जाने से पहले तुम्हारे खूबसूरत चेहरे का दीदार कर सकूं,,,
(यह बात सुनते ही अनमोल अपने हंसी पर एकदम से काबु कर ली,,, शुभम के बात से एकदम अंदर तक झकझोर कर रख दी,,, तुरंत ही अनमोल के चेहरे का भाव एकदम से बदल गया,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे कुछ याद आ गया हो,,, फिर एकदम सेवा अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

ऊमममम,,, बातों के जादूगर हो,,,

जादूगर नहीं,,, सच बोलता हूं,,,
( अनमोल कुछ कह पाती इससे पहले ही डोर बेल बज उठी,, और अनमोल सोफे से उठ कर दरवाजा खोलने के लिए गई,,, दरवाजा खुलते ही बेटा ऑर्डर का सारा सामान ट्रे में रखकर ले आया जिसे वह खाली टेबल पर रख कर औपचारिकता निभा कर चला गया शुभम इस दौरान होटल के कमरे के चारों तरफ देखकर उसका मुआयना न कर रहा था जो कि काफी खूबसूरती से सजाया हुआ था,,, एक तरह से अनमोल ने इस कमरे को ऑफिस बना कर रखी थी,,,)

आओ शुभम कुछ खा लो वैसे भी बरसों बाद किसी को मेहमान नवाजी के लिए मैं निमंत्रण दी हुं,,( इतना कहते हुए सबसे पहले अनमोल बीयर की बोतल का ढक्कन खोल कर पूरी बीयर की बोतल शुभम की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,) उम्मीद है कि इसे तो तुम लेते ही होंगे,,,

नेता को नहीं हूं लेकिन यहां आकर इसकी आदत सी पड़ गई है,,(शुभम हाथ बढ़ाकर अनमोल के यहां से बीयर की बोतल ले लिया,,)वैसे सच कहूं तो तुम्हारे हाथों से जहर पीना भी मंजूर है,,


यार तुम डायलॉग बहुत मारते हो,,(इतना कहकर अनमोल हंसने लगी,,, और उसकी खूबसूरत हंसी देखकर शुभम भी प्रसन्न हो गया और बीयर की बोतल को मुंह से लगा लिया और धीरे-धीरे पीना शुरु कर दिया,,, अनमोल दारू की बोतल का ढक्कन खोल कर कांच के गिलास में उसे उड़ेल रही थी,,,

तुम बियर नहीं पीती,,,

मैं वोडका पीती हूं,,,,(इतना कहते हुए आधे से ज्यादा ग्लास वोडका से भरली और शराब की बोतल पर ढक्कन लगा दी और धीरे-धीरे पीना शुरू कर दी,,, शुभम बियर का मजा लेते हुए अनमोल को ही देखे जा रहा था,,, इतनी बड़ी होटल की मालकिन और उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचकर अनमोल शुभम के इस नजरिए को अच्छी तरह से पहचान रही थी,,, शिवम का इस तरह से उसे घूरना उसे अच्छा अभी तक रहा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी एक तो शुभम और उसके बीच उम्र की दूरी और इस उम्र के दौरान शुभम जैसा नौजवान लड़का उसकी तरफ आकर्षित था यह सोचकर ही अनमोल मदहोश हुए जा रही थी,,,)

वैसे तुम्हारी फैमिली में कौन-कौन है,,,

बस में ही मैं हूं,,,(लंबी सांस लेते हुए बोली)

मैं कुछ समझा नहीं मेरा मतलब है कि पति बच्चे मां बाप,,,


कोई नहीं बस एक बहन है जो कनाडा में पढ़ रही है,,,

शादी नहीं की तुमने,,,

की थी,,, लेकिन धोखा खा गई,,,

धोखा,,,, मैं कुछ समझा नहीं ,,,(शुभम आश्चर्य जताते हुए बोला)


बहुत लंबी कहानी है इतना बताने का समय नहीं है बस इतना समझ लो कि,,, सही मौके पर मेरी आंख खुल गई वरना मैं कहीं की नहीं रह जाती,,, उसे मेरी दौलत से प्यार था मुझसे नहीं मुझसे शादी करके वह सब कुछ अपने नाम पर कराना चाहता था वह तो मेरी किस्मत बड़ी तेज निकली कि एक एक्सीडेंट में वह मारा गया,,,।

ओहहह,, एम सॉरी मुझे मालूम नहीं था,,,


अफसोस जताने की जरूरत नहीं है शुभम मैं तो खुश हूं कि वह मर गया वरना शायद मैं मर गई होती,,,( एक लंबी सीप भरते हुए वह बोली,,)

तब से तुम अकेली हो,,,

बिल्कुल अकेली,,,


दोबारा शादी क्यों नहीं की,,,?

भरोसा उठ गया मर्द जात पर से,,,,

तुम अच्छा नहीं कर रही हो एक ने धोखा दिया और सारे मर्दों पर उंगली उठा दी,,,


आज के बाद तुम सच कह रहे हो लेकिन क्या करूं दूध का जला इंसान छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है और इसी में उसकी भलाई भी है,,,


सच कहूं अनमोल,,, मैं अगर उम्र में दो 4 साल और बड़ा होता तो सच में मैं तुमसे शादी कर लेता,,,,

( सुभम की बात सुनकर एक बार फिर से अनमोल जोर जोर से हंसने लगी,,,।)

ऐसे ही हंसती रहा करो हंसती हुई तुम और भी ज्यादा खूबसूरत लगती हो।

तुम्हारी यह सब बातें मुझे पागल कर देगी,,,( अनमोल हंसते हुए बोली)

और मुझे तुम,,,,

( शुभम की आवाज सुनकर अनमोल एकदम से खामोश है उसे एकटक देखती रह गई ना जाने क्यों की आंखों में ऊसे प्यार नजर आ रहा था,,, बरसों बाद अनमोल ने भी किसी से अपने दिल की सारी बातें कह दी थी,,, वो खुद हैरान थी कि एक किसान को अपने दिल की हकीकत क्यों बयां कर रही है,,, अपने आप को संभालते हुए अनमोल बोली,,)

अाओ कुछ खा लो,,, नॉनवेज तो खाते हो ना,,,

जी हां बिल्कुल,,(इतना कहते हुए बहुत अनमोल के ठीक सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया और अनमोल प्लेट के ऊपर से ढक्कन हटाने लगी,, प्लेट में चिकन लेग पीस रखा हुआ था,, उसे देखते ही सुभम के मुंह में पानी आ गया,,,)

मुझे उम्मीद है कि तुम्हें यह पसंद आएगा,,,

तुम्हारे हाथों से तो मुझे कुछ भी पसंद आएगा,,


यार कभी नॉर्मल ही रहते हो कि इस तरह से डायलोग बाजी करते रहते हो,,,

अच्छा एक बात बताओ अनमोल जी,,, डायलॉगबाजी किस के सामने किया जाता है,,,
(शुभम की यह बात सुनकर अनमोल कुछ देर सोचने के बाद बोली,)

मैं नहीं जानती,,,(इतना कहते हुए वह एक प्लेट को शुभम की तरफ आगे बढ़ा दी और अपनी प्लेट में से लैग पीस निकालकर दांतों से काटने लगी,,,)

अफ कोर्स विलन या हीरोइन के सामने,,, और विलेन तो तुम हो नहीं,,, और हीरोइन माशा अल्लाह सब कुछ दिया है भगवान ने तुमको,,,
(सुभम की बात सुनते ही एक बार फिर से अनमोल हंसने लगी,, खाने का दौर शुरू हो गया था शुभम वैसे नॉनवेज ज्यादा नहीं खाता था लेकिन अनमोल की बात को इंकार नहीं कर सका और नॉनवेज का मजा ले रहा था,, शुभम की बियर खत्म हो चुकी थी लेकिन अनमोल बीच-बीच में वोडका की बोतल में से बोडका का सोमरस अपनी कांच की गिलास में उड़ेल ले रही थी,,, धीरे-धीरे अनमोल को नशा सा छाने लगा था,,, शुभम अपनी तेज पैनी नजरों से अनमोल के वाइट कलर के टीशर्ट में से झांक रहे दोनों को गोलाइए को घूर रहा था,,,, अकेलेपन का एहसास कहो या शराब का नशा अनमोल को उसका इस तरह से घूरना बेहद ऊन्मादक लग रहा था,,,, उसे सुरूर सा चढ रहा था,,, अनमोल की खूबसूरत खीलती हुई जवानी की मादक खुशबू शुभम को बेचैन कर रही थी उसके पैंट के अंदर हलचल मचा हुआ था,,,
देखते ही देखते दोनों ने खाना खत्म कर लिया था,,, अनमोल का दिमाग बड़ी जोरों से घूम रहा था,,, बरसों के बाद किसी का व्यक्तित्व अनमोल को भाया था वरना वह किसी मर्द को इस तरह से अपनी मेहमान नवाजी का मौका नहीं देती थी,,, ना जाने क्यों अनमोल का मन फिसल रहा था,, वह मर्दों से दूर रहना चाहती थी लेकिन आज ना जाने क्यों शुभम की तरफ पूरी तरह से आकर्षित होती जा रही थी,,, दूसरी तरफ सुभम भी परेशान था,,, आया किसी और मकसद से था लेकिन उसे अपना मकसद कामयाब होता नजर नहीं आ रहा था क्योंकि अब तक अनमोल की तरफ से उसे किसी भी तरह का इशारा नहीं मिला था जिससे वह अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ सके वरना अब तक कोई भी औरत उसके झांसे में आ जाती थी। शुभम को इधर आओ तकरीबन डेढ़ घंटा से ज्यादा गुजर गया था,, समय धीरे-धीरे बीतता जा रहा था,,, ना तो शुभम को ही कुछ समझ में आ रहा था कि क्या करना है नाही अनमोल को,,, लेकिन अनमोल इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी,,, बरसों बीत गए थे संभोग सुख का आनंद लिए,, लेकिन आज वर्षों की तपस्या भंग होती नजर आ रही थी इसका कारण यह भी था कि सुभम ईस शहर का नहीं था वो दूसरे शहर से सिर्फ घूमने के लिए इधर आया था,,,, उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने मैं उसे कोई दिक्कत नहीं थी,,, इसलिए कोई रास्ता नजर ना आता देखकर अनमोल उसे वापस आने की कोशिश करने लगी,,, और अपने मन में आए युक्ति के तहत,,, वहां सुभम के सामने पूरी तरह से नशा में होने का नाटक करने लगी,,,और कुर्सी पर से उठते ही लड़खड़ा ने का नाटक करते हुए गिरने वाली थी कि शुभम फुर्ती से अपनी जगह से खड़ा हुआ और उसकी बांहे पकड़कर उसे संभाल लिया,,,

संभाल कर अनमोल जी अभी तो आप गीरी होती,,,


मैं नहीं गीरूंगी तुम हो ना,,,,(यह शब्द अनमोल इस तरह से बोली जैसे कि पूरी तरह से नशे में धुत हो,,, वह बाथरूम की तरफ जाने लगी तो शुभम उसे रोकते हुए बोला,,,)

कहां जा रही हो गिर जाओगी ईधर बैठ जाओ,,,
( सुभम की यह बात सुनते ही,,, एकदम से पलटकर शुभम की तरफ देखिए और नशे में होने का ढोंग करते हुए एकदम मादक स्वर में बोली,,)

मैं नहीं रुक सकती बहुत जोरों की पेशाब आई है,,,

(अनमोल के मुंह से इतना सुनते ही शुभम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी मदहोशी पूरे बदन को अपनी गिरफ्त में ले ली,,, वह आंखें फाड़े अनमोल को देखता ही रह गया उसे उम्मीद नहीं थी कि इस तरह की हाई क्लास औरत उससे एकदम देसी भाषा में पेशाब करने के लिए बोलेगी,,)
 

urc4me

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Rasprad kahani ka ek Romanchak update. Waiting for next update
 
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