शुभम का समय बड़े अच्छे से कट रहा था,,, शाम ढलते ढलते वह घर पर पहुंच चुका था,,, बस दो रातें और 2 दिन रह गया था उन तीनों के हिस्से में शिमला की खूबसूरत वादियों में गुजारने के लिए,,, अब तीनों नहीं बल्कि निर्मला के मन में शीतल को लेकर किसी भी प्रकार की आशंका नहीं रह गई थी,, निर्मला को तो अब शीतल के साथ अपने बेटे से चुदवाने की जैसी आदत सी पड़ गई थी। कुछ भी हो शुभम के दोनों हाथों में स्वादिष्ट व्यंजन की थाली थी जिसको वह जब चाहे तब खा सकता था,,, शीतल के साथ-साथ निर्मला अपने बेटे की जबरदस्त ताकत की दीवानी हो चुकी थी क्योंकि शिमला में आए 8 दिन हो चुका था और इन दिनों में शुभम ने उन दोनों की एक साथ ना जाने कितनी बार चुदाई की हद है लेकिन एक भी बार ऐसा नहीं लगा था कि शुभम थक गया है हर बार वह दोनों ही थक कर चूर हो जाते थे,,,रात भर की जबरदस्ती चुदाई के बाद भी शुभम का लंड ज्यों का त्यों खड़ा का खड़ा ही रहता था,,,निर्मला एकदम मस्त हो जाती थी जब उसका बेटा शुभम अपने लंड को शीतल की बुर से बाहर खींचकर उसके मदनरस से सना हुआ लंड उसकी बुर में पेलता था,, एक अजीब सा अद्भुत एहसास उसके तन बदन में अंदर तक पसर जाता था,,, शिमला की कातिल ठंडी तीनों के अद्भुत संभोग क्रीडा के आगे घुटने टेक रही थी,,, तीनों को शिमला की ठंडी इतनी अधिक नहीं लग रही थी जितना कि लोग कहते थे,,, इसका कारण सिर्फ शीतल निर्मला थी जिसकी तपती हुई जवानी की भट्टी में शुभम रात दिन अपने हाथ सेंका करता था,,,।
Nirmala apne bete k lund se khelti huyi
नौकरानी शांति के घर से लौटते हुए तकरीबन 6:30 बज चुके थे,,, शुभम डोर बेल बजाया तो थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला शीतल दरवाजे पर थी और शुभम को देख कर मुस्कुरा दी लेकिन अंदर सोफे पर लेटी हुई निर्मला बोली,,,।
बहुत समय लगा दिया तुमने घूमने में,,, यह शहर यह गलियां सब कुछ अनजान है इतनी देर तक घूमना ठीक नहीं है,,,(अपनी मां की बात सुनकर शुभम मुस्कुराता हुआ घर में प्रवेश किया तो शीतल बोल पड़ी,,)
क्या यार तू भी शुभम को अभी तक तू बच्चा समझ रही है,,, अब ये औरतों को चोदकर बच्चा पैदा करने लायक हो गया है,,,(इतना कहते हुए शीतल दरवाजा बंद कर दी,,,शीतल के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर निर्मला शर्म से पानी पानी हो गई और वह शीतल से बोली)
क्या सीतल पागल हो गई है इस तरह की बातें कर रही है,,,तुझे इस तरह की बातें करते हुए शर्म नहीं आ रही है।
तू भी निर्मला एकदम बच्चों जैसी बातें कर रही है,,, अब शुभम से कैसा शर्माना,,, अपने बेटे की आंखें टांगे खोल देने के बाद शर्मो हया का लिबास ओढकर रखना बेवकूफी है,,, तो अपने आपको झूठा दिलासा दे रही है,,,जब एक औरत किसी मर्द के साथ सारी संबंध बनाती है तो उसी समय उसकी सारी मर्यादाएं टूट कर बिखर जाती है उस मर्द के आगे शर्म करना सबसे बड़ी बेवकूफी होती है,,,, और तू भी वही कर रही है तेरी और शुभम के बीच में क्या कुछ नहीं होगा जो एक पति और पत्नी के बीच होता है तो इस बात को स्वीकार करने में हर्ज ही क्या है,,, क्यों शुभम तु क्या कहता हैं,,?
अब मैं तुम दोनों बड़ों के बीच में क्या कह सकता हूं,,,
अच्छा बच्चे कुछ नहीं कह सकता हम दोनों को एक साथ कर सकता है लेकिन हम दोनों के बीच में कुछ कह नहीं सकता,, अच्छा निर्मला यह बता शुभम तो तेरी बहुत दिनों से ले रहा है ,,, और अपना पानी भी तेरी बुर में छोड़ता है तो क्या तुझे कभी रुका नहीं,,,,( शीतल की बात सुनते ही निर्मला हक्की बक्की रह गई उसके चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी वह कभी शुभम की तरफ तो कभी सीतल की तरफ देख रही थी,,, सीकर की बात सुनते ही उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी,,, क्योंकि भले ही शुभम और उसके बीच सबकुछ हो चुका था लेकिन,, इस तरह की बातें कभी भी नहीं हुई थी इसलिए निर्मला को अपनी बेटे के सामने इस तरह की बातें करने में बेहद शर्म का एहसास हो रहा था। निर्मला को देखकर एक बार फिर से शीतल शुभम की तरफ देखते की बोली।)
तू शुभम के सामने क्यों शर्मा रही है बोलना,,, बोलने में क्या जाता है,,,,।
(सीतल के इस तरह की बातें सुनकर शुभम की भी हालत खराब होने लगी थी वाकई में अब तक शुभम और उसकी मां के बीच सारी हदें पार हो चुकी थी मर्यादाएं बिखर चुकी थी लेकिन बात इधर तक कभी नहीं पहुंची थी,,, शुभम भी अपनी उत्तेजना को दबाते हुए बोला।)
बोलो ना मम्मी शीतल क्या कहना चाह रही हैं,,,।
तू चुप कर तेरे मतलब की बात नहीं है,,,।
(निर्मला की बात सुनकर शीतल जोर जोर से हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)
क्या निर्मला एक टीचर होकर तु बेवकूफी भरी बातें कर रही है,,,,
(शीतल की जीद देखकर निर्मला समझ गई थी कि यह बिना सोने मानने वाली नहीं है इसलिए वह शरमा कर अपनी नजरें नीचे झुका कर धीरे से बोली,)
शुभम के पैदा होने के 2 साल बाद ही में ऑपरेशन करा चुकी हूं,,,
क्या बात कर रही है निर्मला क्या सच में तु इतनी जल्दी ऑपरेशन करा दी थी,,,,।(शीतल हैरान होते हुए बोली शुभम को भी कुछ कुछ समझ में आ रहा था और उसका मन भी उत्तेजना से व्याकुल हुए जा रहा था क्योंकि यह सीधे-सीधे अपनी मां को भी प्रेग्नेंट करने वाली बात थी..)
हां मैं बहुत जल्दी ऑपरेशन करा दी थी जो कि बाद में बहुत पछता भी रही थी,,,।
गलती तो तू ने की थी निर्मला भला इतनी जल्दी कोई ऑपरेशन कर आता है जब तक दो-तीन बच्चे नहीं हो जाते तब तक ऑपरेशन के बारे में सोचना भी ठीक नहीं रहता,,,
मैं क्या करती शीतल शुभम के पैदा होने के बाद से ही अशोक का व्यवहार मेरे प्रति बदलने लगा था। इसलिए गुस्से में आकर मैं भी बिना बताए ऑपरेशन करवा ली,,,
निर्मला तू अगर ऑपरेशन नहीं करवाई होती तो शायद तेरे घर में अभी दो-तीन बच्चे और होते ,,,(शुभम भी यह बात सुनकर एकदम हैरान क्योंकि जिस तरह की दोनों बातें कर रहे थे उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि अगर उसकी मां यह गलती ना की होती तो शायद उसका भाई या बहन जरूर उसके साथ होते.)
भगवान तुझे दे रहे थे और तू खुद ही रास्ता रोक ली और यहां देखें इतने साल से में एक संतान के लिए तरस रही हुं।(शीतल उदास होते हुए बोली।)
चलि ये सब छोड़ तू भी तो शुभम का लंड बिना कंडोम लगवाए अपनी बुर में लेती है और पूरा का पूरा पानी अपनी बुर में ही निकलवा लेती है अगर तुझे कहीं कुछ हो गया तो,,,
हो जाता तो अच्छा ही था,, लेकिन जो इतने सालों में नहीं हुआ अब क्या होने वाला है।
भगवान पर भरोसा रख एक न एक दिन जरूर तेरी सुनी गोद हरी हो जाएगी,,,
( कमरे का माहौल थोड़ी देर के लिए एकदम गमगीन हो गया था उसे ठीक करते हुए शीतल बोली,,)
चल छोड़िए यह सब बात,,, अब हम लोगों के पास केवल दो राते ही हैं,,, पर इसे हम तीनों बड़े अच्छे से बिताएंगे,,,
इसमें कोई शक नहीं है,,,(निर्मला अपने बंधे हुए बालों में से बक्कल को निकालते हुए बोली,,,।)
तो आज हम यह करेंगे कि शुभम कुछ भी नहीं करेगा वह सिर्फ बिस्तर पर पीठ के बल लेटा रहेगा और जो कुछ भी करेंगे हम दोनों ही करेंगे,,,,
हां यह ठीक है बहुत मजा आएगा जब हम दोनों बारी-बारी से शुभम की लैंड पर बैठकर अपनी गुलाबी बुर के अंदर उसके मोटे लंड को लें(निर्मला एकदम मस्ती के साथ गर्म आहें भरते हुए बोली,,, शुभम भी मस्त होने लगा वैसे भी उन दोनों की बातें सुनकर उसका लंड एकदम टाइट हो चुका था,,,, दिन भर घर की नौकरानी की चुदाई करने के बाद भी इन दोनों की मस्ती भरी बातें नहीं उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ा दिया था,,, उसका चोदने का मूड बन चुका था,,, लेकिन किसको अब यह उसके सामने सवाल था उसकी मां तभी सोफे पर से खड़ी हुई और अपनी बड़ी बड़ी गांड से अपने बेटे के सामने करके नीचे झुक कर अपने सैंडल की पट्टी को बांधने लगी,,, उसे नहीं मालूम था कि उसका बेटा पूरी तरह से चुदवासा हो गया है,,,, शुभम की किस्मत उस समय बहुत जोरों पर थी क्योंकि उसकी मां यहां मॉल से खरीदा हुआ छोटा कपड़ा पहनी हुई थी और ऊपर से ऊपर कोट चढ़ाई हुई थी जिसमें से उसकी मोटी मोटी जांगे दिख रही थी और अपनी मां की तूतिया जांघों को देखकर शुभम की आंखें चमक उठी अब उससे रहा नहीं जा रहा था वैसे भी शर्म मर्यादा अब उन तीनों के बीच किसी भी प्रकार से मायने नहीं रखती थी,,, शीतल भी कुछ काम करने की तैयारी कर रही थी नौकरानी के आने का समय हो गया था लेकिन अभी कम से कम 20 मिनट का समय बाकी था उसके आने में शुभम को यही समय एकदम ठीक लग रहा था उसकी मां की भी छुट्टी हुई थी उसकी भारी-भरकम गोलाकार गांड को देखकर शुभम के तन बदन में आग लग गई और वह पीछे से जाकर अपनी मां को दबोच लिया और सीधा उसकी कमर को पकड़ कर अपने पेंट की बटन खोलने लगा,,,
अरे यार यह क्या कर रहा है शुभम मुझे छोड़ तो,,,
(यह सुनकर शीतल भी उसकी तरफ देखने लगी तो वह हैरान हो गई निर्मला की बात सुनकर सीतल भी बोली,,)
अरे तू तो बहुत उतावला हो गया रात का इंतजार तो कर लिया होता,,,
रात का इंतजार करके भी कोई फायदा नहीं है क्योंकि आज तो मैं कुछ कर नहीं पाऊंगा जो कुछ भी करना है तुम दोनों को ही करना है इसलिए सोचता हूं अभी कुछ कर लुंं(शुभम अपनी पेंट खोलकर घुटनों तक नीचे खींचता हुआ बोला...)
शीतल तुम्हारा बेटा बहुत चालाक है।
अरे चालाक तो है लेकिन मुझे छोड़ तो बाद में कर लेना,,, मुझे उठने तो दे। (निर्मला उठने की कोशिश करते हुए बोली लेकिन शुभम अपनी मां को इस तरह से अपने दोनों हाथों से दबोचा हुआ था जैसे एक कुत्ता कुतिया को चोदते समय अपने पैरों से उसे दबा कर रखता है ठीक वही हाल निर्मला का था सुभम ऊसे उठने नहीं दे रहा था,,,)
बस थोड़ी देर ऐसे ही रहो मम्मी,,,(इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी मां की गुलाबी रंग की पैंटी को खींचकर घुटनों तक कर दिया,,, अब उसकी मां भी कमर से पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,शीतल की आंखों से साफ नजर आ रहा था कि शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा था,,, शुभम की उत्तेजना को देखकर वह भी हैरान थी,,, और देखते ही देखते शुभम अपना पूरा लंड अपनी मां की बुर में पेल किया उसे चोदना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में दोनों मस्ती में आ गए कुछ देर पहले जो निर्मला उसे रुकने के लिए बोल रही थी अब वह गरम सिसकारी के साथ शुभम के हर धक्के को जेल रही थी,,, और देखते ही देखते तकरीबन 10 मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ गए,,,।
रात पूरी तरह से जवान हो गई थी शुभम पेट के बल दम नंगा बिस्तर पर लेटा हुआ था और शीतल और निर्मला दोनों अपने अपने तरीके से शुभम के अंगों से खेल रहे थे,,, निर्मला अपनी बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी तो सीतल अपनी बड़ी बड़ी गांड शुभम के मुंह पर रखकर उसे अपनी बुर चटा रही थी,,, थोड़ी थोड़ी देर में शीतल निर्मला अपनी अपनी पोजीशन बदल दे रही थी दोनों को काफी ऊतेजना और आनंद दोनों प्राप्त हो रहा था,,,देखते ही देखते शीतल और निर्मला बारी-बारी से शुभम के लंड पर चढ़ाई कर दीए,,, लेकिन शुभम को भला इसमें क्या दिक्कत हो सकती थी उसे तो मजा ही आ रहा था वह कभी बड़ी बड़ी गांड पर जोर जोर से अपना हाथ मारने लगता तो कभी उन दोनों के खरबूजे को पकड़कर जोर जोर से दबाने लगता था और मौका देखकर नीचे से धक्के भी लगा दे रहा था,,,।
तकरीबन रात के 3:00 बजे तक तीनों का यह अद्भुत खेल चलता रहा इसके बाद तीनों एक-दूसरे की बांहों में नींद की आगोश में चले गए,