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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

Gokb

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Naya maal mil gaya shuvam ko. Maja agaya padhke
 
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बहुत ही जल्द अपडेट आएगा
 
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बहुत ही बढ़िया जा रहा है शुभम । अब जल्दी ही अनमोल भी शुभम के नीचे आ जाएगी
 
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शुभम पूरी तरह से हैरान था एकदम सुन्न हो गया था,, ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसके कान में मधुर रस घोल दिया हो,,, वह एकटक अनमोल को देखता ही रह गया था अनमोल पूरी तरह से नशे में होने का नाटक कर रही थी,, वह लड़खडाते हुएबाथरूम की तरफ आगे बढ़ रही थी कि तभी जानबूझकर गिर गई और उसे गिरता हुआ देखकर तुरंत शुभम दौड़ कर गया और उसे उठा लिया,,,,।

मैं बोल रहा था संभाल कर लेकिन तुम मानने वाली नहीं हो,,

अरे कैसे मानूंगी मुझे जोरो की पिशाब लगी है नहीं गई तो इधर ही हो जाएगी,,,,(अनमोल नशे में इधर-उधर आंखें घुमाते हुए बोल रही थी शुभम की तो हालत खराब होने लगी क्योंकि वह अनमोल को संभाल कर पीछे से पकड़े हुए था,,, शुभम काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था लेकिन फिर भी वह उसके कमर के निचले हिस्से को अपने आगे वाले भाग से सटने से बचा रहा था,, उसके पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था,, लेकिन अनमोल मौके का फायदा उठाते हुए अपने आप को पूरी तरह से नशे में होने का आभास करा कर वह अपने नितंबों को पीछे की तरफ ले गई और तुरंत ही उसे शुभम के मर्दाना ताकत से भरे हुए अंग के कठोर पन से भरा हुआ तंबू का स्पर्श हुआ,,, और अपने नितंबों पर शुभम के तगड़े पन का एहसास करते ही उसके बदन में सरसराहट दौड़ गई वह पूरी तरह से कांप गई क्योंकि उसे इस बात का अहसास हो गया कि जब उसका स्पर्श इतना तगड़ा है तो पूरी तरह से नंगा होकर जब उसकी बुर में जाएगा तब क्या गुल खिलाएगा,,, अब तो अनमोल पूरी तरह से व्याकुल हो गई शुभम के साथ संभोग रत होने के लिए,,वो बार-बार अपनी गांड को पीछे की तरफ करके शुभम के पेंट में बने तंबू से स्पर्श करा रही थी,,,अनमोल भी पूरी तरह से उत्तेजना से भर गई थी वर्षों के बाद ऊसे इस तरह की उत्तेजना का अनुभव हुआ था,,, नशे में होने का नाटक करते करते हो सच में पूरी तरह से मदहोश होने लगी थी,,, लेकिन यह बात भी नोटिस कर रही थी कि शुभम की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी शायद यह अनुभव शुभम के लिए पहला था कि कोई औरत उसके सामने उसकी बाहों में इस तरह से पूरी तरह से नशे में हूं इसलिए वह अपने आपको बेहद असहज महसूस कर रहा था, हालांकि अनमोल की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से गरमा गया था,,,लेकिन अनमोल के साथ नशे में होने के बावजूद भी उसके बदन से किसी भी प्रकार की छूट लेने के लिए तैयार नहीं था,,और अनमोल अपने नशे में होने का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी। इसलिए वह मदहोसी में लड़खड़ाते स्वर में बोली।

सुभम मुझे बाथरूम तक छोड़ दो,, मुझे जोरो की पेशाब लगी है,,,
(एक बार फिर से अनमोल की यह बात सुनकर शुभम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी इसमें सुभम को किस बात का एतराज हो सकता था,,,)

ठीक है चलो मैं चलता हूं,,,
(और शुभम उसे सहारा देते हुए पीछे से उसकी दोनों बाहो को थामकर उसे आगे की तरफ ले जा रहा था,,, लेकिन अनमोल पूरी तरह से फायदा उठाते हुए अपने नितंबों को बार-बार पीछे की तरफ कर दे रही थी अनमोल की यह हरकत शुभम को बेहद मदहोशी से भर दे रही थी,,अनमोल की खुद की हालत खराब थी वह चाह रही थी कि उसकी हरकत की वजह से शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए और जो औरत के साथ एक मर्द को करना चाहिए वही उसके साथ करें,,, लेकिन शायद नशे में होने की वजह से वह औरत के नशे का फायदा उठाना नहीं चाहता था इसलिए वह अपने तरफ से अपने आप पर पूरी तरह से काबू किए हुए था,,, लेकिन अनमोल के बदन से उठती हुई माता खुश तो उसके तन बदन में नशा ही नशा फैला रहा था,, चार पांच कदम की दूरी पर ही बाथरूम था लेकिन अनमोल के इस तरह से लड़खडाने की वजह से बहुत धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था,,, एक हाथ से अनमोल को संभाले हुए वह दूसरे हाथ से बाथरूम का दरवाजा खोल दिया जो की अंदर की तरफ खुलता था दरवाजा खुलते ही सुभम बोला,,,)


जाईए दरवाजा खोल दिया हूं लेकिन संभाल कर,,,,
(बाथरूम का दरवाजा खोलते हैं अनमोल के तन बदन में आग लगी उसकी जा रहा था कि शुभम को बाथरूम के अंदर की तरफ खींच कर मनमानी कर ले,,, लेकिन ना जाने क्यों ऊसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,, लेकिन बाथरूम में कुछ नहीं से पहले वह अपना ओवरकोट उतारने लगीतो सुबह में उसकी मदद करते हुए दोनों हाथों से उसका ओवरकोट पकड़ कर उसकी दोनों बाहों में से बाहर निकाल दिया,,, और अपने कंधे पर टांग दिया,, ओवरकोट के निकलते ही शुभम को इस बात का आभास हुआ कि उसकी टीशर्ट स्लीवलेस थी जिसमें से उसकी गोरी गोरी बाहें चमक रही थी उसकी दोनों गोलाइयों के बीच वाली लकीर एकदम साफ नजर आ रही थी,,दोनों चूचियों के बीच की गहराई को देखकर शुभम को उसमें डूब जाने की इच्छा हो रही थी,,,
शुभम खाली अपना मन मसोसकर रह जा रहा था,उसके मन में तो बहुत कुछ और रहा था लेकिन उसे कर गुजरने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,, तभी अनमोल बाथरूम के अंदर प्रवेश की शुभम को लगा कि वह दरवाजा बंद कर लेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ दरवाजा अंदर की तरफ खुलता था इसलिए खुले में दरवाजे से अंदर की तरफ जाकर वह ठीक शुभम की आंखों के सामने ही आंखों को नशे में बंद करके अपनी जींस का बटन खोलने का नाटक करने लगी,,,, शुभम चोर नजरों से अनमोल की तरफ देख रहा था,, अनमोल को जींस की बटन खोलता हुआ देखकर उसके तन बदन में आग लग रही थी,,, उत्तेजना के मारे गला सूख रहा था और अनमोल नशे में होने का ढोंग करते हुए सिर्फ अपने जींस की बटन खोलने का नाटक भर कर रही थी उसे खोल नहीं रही थी क्योंकि उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, तभी वह शुभम की तरफ देखे बिना ही हिलते हुए बोली,,,

शुभम मुझसे मेरे जिंस की बटन नहीं खुल रही है और मुझे जोरो की पेशाब लगी है,,। तुम खोल दो ना प्लीज,,,,

इतना सुनते ही शुभम के तन बदन में अरमानों के तार झनझनाने लगे,,, ऐसा नहीं था कि पहली बार वह किसी औरत के कपड़े उतारने जा रहा था बल्कि जिंदगी में पहली बार इतनी हाई क्लास लेडी के कपड़े उतारने का उसे आमंत्रण खुद सामने से निमंत्रण मिल रहा था वैसे तो उसने अपनी जिंदगी में ना जाने कितनी औरतों के कपड़े अपने हाथों से उतार चुका था,,, पर जितने के भी उतारे थे उन सब की साड़ी और पेटीकोट ही उतारा था ज्यादा से ज्यादा सलवार लेकिन आज जिंदगी में पहली बार उसे किसी आई क्लास निधि के जींस की बटन खोलने का मौका मिल रहा था यह सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना का तूफान उठने लगा,,,अनमोल की तरफ से मिले इस निमंत्रण से वह पूरी तरह से गनगना गया था,,, पहले तो वह जानबूझकर नानू कुर करते हुए बोला,,,।

अनमोल जी में कैसे,,, मतलब,,,,(अनमोल के सामने वह झिझक के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,)

मैं कैसे मतलब,,, अपने हाथ से यार तुम भी यहां हालत खराब हो रही है और तुम संस्कार पेल रहे हो,,, जल्दी आओ मेरे जिंस की बटन खोलो,,,
(हाई क्लास लेडी के मुंह से इस तरह की देसी भाषा सुनकर वह पूरी तरह से चौक गया था हालांकि इस तरह की बातें हुआ काफी औरतों के मुंह से सुन भी चुका था जिनमें उसकी मां भी शामिल थी,,, लेकिन अनमोल की बात कुछ और थी इसलिए तो अनमोल के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सुभम के ऊतेजना का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया था,,, सुभम अब पीछे हटने के बारे में सोच भी नहीं रहा था ऐसे भी ऊसके पास समय कम था शाम होने वाली थी और वह जल्द से जल्द जो कुछ भी होने वाला था उसे खत्म करके घर जाना चाहता था क्योंकि वक्त से पहले पहुंचना जरूरी था उस दिन शांति के घर पर उसे काफी समय हो गया था,,,इसलिए वो बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहता था और अनमोल जैसी खूबसूरत हो रहा था इस तरह का आमंत्रण स्वीकार करके वह बाथरूम में अपने कदम रख दिया,,, शुभम जेसे ही बाथरूम के अंदर आया वैसे ही अनमोल के तन बदन में उत्तेजना का अद्भुत संचार होने लगा उसका बदन कसमसाने लगा क्योंकि उसे पता था कि कुछ ही सेकंड में शुभम की उंगलियां उसके जींस की बटन पर होंगी जो की हरकत करते हुए उसे अपने हाथों से खोलेंगी,, यह एहसास ही अनमोल की बुर गीली करने के लिए काफी थी,,।
और अगले ही पल शुभम की उंगलियां अनमोल के जींस के बटन पर थी जिसे खोलते हुए शुभम की उंगलियां कांप रही थी,,, अनमोल नशे में होने का ढोंग कर रही थी लेकिन वह पूरी तरह से होश में थी,,इसलिए तो शुभम के द्वारा चींस की बटन खोले जाने पर वह पूरी तरह से कसमसा रही थी। देखते ही देखते सुबह में उसके जींस के बटन खोल दिया अब अनमोल को आगे क्या करना है यह बोलने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी उसके जींस के बटन खोल कर शुभम अपने दोनों हाथों से उसकी जींस के छोर को पकड़ कर पेंटिं सहित नीचे की तरफ सरका ने लगा,,,अनमोल के नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा था जिसकी वजह से उसकी जींस पूरी तरह से कसी हुई थी और शुभम जिस तरह से उसे नीचे खींच कर ला रहा था मुमकिन नहीं था कि एकदम सपाट तरीके से उसकी जींस नीचे खिसक आती,,और यह बात अनमोल भी अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह खुद ही अपने नितंबों को दाएं बाएं करके हिलाते हुए शुभम को इसकी जिंस नीचे सरकाने मे मदद कर रही थी,,,और शुभम अनमोल के ठीक सामने घुटने मोड़कर बैठा हुआ था चाहता तो वह खड़े होकर भी उसकी जींस उतारने में मदद कर सकता था लेकिन वह अनमोल की बुर को एकदम करीब से देखना चाहता था,,, क्योंकि अनमोल की बुर देखने की इच्छा उसके अंदर कुछ ज्यादा ही थी,,, वैसे तो वह भी अच्छी तरह से जानता था कि औरतों के पास जो बुर होती है सबकी एक जैसी ही होती है,, लेकिन फिर भी मर्दों की सबसे बढी चाहत औरतों को नंगी और उनकी रसीली बुर के दर्शन करना ही होती है,,, अपनी इस उम्र के दौरान ही शुभम ने ना जाने कितनी बुर के दर्शन कर चुके थेलेकिन जितना उत्साह उसे अनमोल की बुर देखने की थी शायद इतना उत्साह उसकी मां के बाद किसी की बुर देखने की नहीं हुई थी,,। देखते ही देखते अपने प्रयास से और अनमोल के सहकार से जींस के साथ-साथ उसकी गुलाबी रंग की पेंटी भी धीरे-धीरे करके उसके रेशमी मक्खन जैसी चिकनी जांघों से होती हुई घुटनों तक आ गई,,
शुभम की नजर जैसे ही अनमोल की बुर पर पड़ी वह तो उसे देखता ही रह गया, अद्भुत अनमोल नाम की तरह ही एकदम अतुल्य जो कि किसी से तुलना करने जैसी नहीं थी सबसे खूबसूरत नशीली और रसीली,,, शुभम को यकीन नहीं हो रहा था कि अनमोल इतनी खूबसूरत बुर में से पेशाब करती होगी,,,क्योंकि अनमोल की खूबसूरत रसीली बुर को देख कर उसे ऐसे लग रहा था कि अनमोल इसमें से पेशाब नहीं बल्कि अमृत की धार मारती होगी,, सुभम पागलों की तरह मदहोशी में अनमोल की रसीली व कसी हुई बुर को देखे जा रहा था, कसी इसलिए कि अनमोल की बुर मात्र पतली लकीर की तरह ही नजर आ रही थी बाकी लकीर के इर्द-गिर्द वाला हिस्सा हल्का फुला हुआ था और लकीर के बीचो-बीच से गुलाब की पत्ती नुमा उसकी खूबसूरती बाहर को झांक रही थी,,शुभम के मुंह में पानी आ रहा था सुभम अपने होठों को उसकी बुर से लगाकर उसके रस को पीना चाहता था,,, अनमोल नशे का ढोंग करते हुए चोर नजरों से शुभम की तरफ देख ले रही थी और यह देखकर काफी खुश और उत्साहित थी की शुभम उसकी बुर को पागलों की तरह देख रहा था उसकी आंखों में बुर देखकर उस की चमक साफ नजर आ रही थी,,, शुभम का गला उत्तेजना के मारे सुखता चला जा रहा था,,। सुभम का वहां से हटने का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था,,, और पेशाब का बहाना करते करते उसे सच में जोरों की पेशाब लग चुकी थी,,, अनमोल भी खुद बेहद उत्तेजना से भरी हुई थी बरसों के बाद उसके सामने इस तरह का नजारा जो देखने को मिल रहा था और बरसों के बाद ही वह किसी गैर इंसान के सामने अपने कपड़े उतारी थी,,और दूसरी मुलाकात में ही उसने अपने खूबसूरत बदन का वह खूबसूरत और कीमती खजाना दिखा दी थी जिसे देखने के लिए न जाने कितने लोग तड़प रहे थे,,,
शुभम का दिल अनमोल के खूबसूरत खजाने को अपने हाथों में लेकर लूटने का मन कर रहा था,, और शायद अनमोल भी यही चाहती थी इसलिए बार-बार अपनी कमर को आगे की तरफ करके उसकी आंखों के सामने अपनी बुर को परोस रही थी लेकिन शायद नशे में होने का ढोंग कर रहे होने के नाते शुभम उसके ईसारे को समझ नहीं पा रहा था,,, अनमोल को वास्तव में पेशाब का प्रेशर बहुत तेज आ रहा था और वह अपने आप को रोक नहीं पा रही थी वह बैठने ही वाली थी कि उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों के ऊपरी छेद से पेशाब की धार फूट पड़ी और वह सीधे जाकर शुभम के चेहरे पर गिरी शुभम एकदम हक्का-बक्का रह गया,,, और यह देखकर अनमोल भी एकदम शर्म के मारे पानी पानी हो गई वह शुभम को भले ही उत्तेजित करना चाहती थी लेकिन अपने आप को इस तरह से निर्लज्ज साबित नहीं करना चाहती थी,,, शुभम थोड़ा सा पीछे हो गया लेकिन बोला कुछ नहीं,,, अनमोल मन में सोच रही थी कि अच्छा ही हुआ कि वह नशे में होने का ढोंग कर रही थी वरना शुभम उसके बारे में क्या सोचता,,, अपने पेशाब की तेज धार पर काबू कर के वह तुरंत नीचे बैठ गई और मुतना शुरू कर दी,,,अनमोल के लिए जिंदगी में यह पहला वाक्या था जब वह गैर मर्द के सामने इस तरह से बेशर्म बन कर पेशाब कर रही थी,,, लेकिन अपनी इस बेशर्मी में उसे काफी उत्तेजना का एहसास हो रहा था,,, उसकी गुलाबी बुर में से पेशाब की धार बड़ी तेजी से निकल रही थी,,, और उसमें से सीटी की आवाज किसी बांसुरी की मधुर आवाज की तरह लग रही थी,,,शुभम अनमोल के खूबसूरत खजाने और उसकी मद मस्त जवानी को देखकर इतना मदहोश हो गया था कि मंत्रमुग्ध वहीं खड़ा रहा और उसे पेशाब करता हुआ देखता रह गया लेकिन बाथरूम के बाहर नहीं गया,,,,, अनमोल इतना तो समझ गई थी कि शुभम उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित हो चुका है तभी तो उसके पेंट के आगे वाले भाग में पूरी तरह से तंबू बन चुका था और यह अनमोल की नजरों से बचा नहीं था उसके पेंट में बने तंबू को देख कर अनमोल की गुलाबी बुर फुदकने लगी थी,,,।
वह शर्म के मारे शुभम की तरफ देख नहीं रही थी लेकिन चोर नजरों से उसकी पेंट का तंबू जरूर देख ले रही थी और उसके तंबू को देखकर उसे समझते देर नहीं लगी थी कि तंबू के अंदर का बंबू काफी दमदार है,, और इसीलिए अनमोल काफी व्याकुल हो गई थी संभोग रत होने के लिए,,,
थोड़ी ही देर में अनमोल की गुलाबी बुर में से आ रही सीटी की आवाज कमजोर पड़ने लगी, शुभम समझ गया कि अनमोल पेसाब कर चुकी है,,,,लेकिन वह उठ नहीं रही थी वह शर्म के मारे नहीं उठ रही थी और सुभम समझ रहा था कि शायद वह पूरी तरह से नशे में है इसलिए उठ नहीं पा रही थी,,, इसलिए शुभम आगे बढ़ा और उसकी बांहें पकड़कर उठाने लगा एक पल के लिए उसे लगा कि शायद नशे में होने के नाते उसके साथ मनमानी करने में ही भलाई है लेकिन फिर उसकी इंसानियत उसे यह गवारा नहीं समझ रही थी क्योंकि आज तक उसने जिसके साथ भी संभोग किया है पूरे होशो हवास में और औरत के रजामंदी के साथ मही किया था,,क्योंकि यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि रजामंदी के साथ किया गया संभोग तृप्ति के एहसास से भर देता है,।
इसलिए शुभम अनमोल जैसी खूबसूरत औरत के नसीब में होने का फायदा ना उठा ते हुए वह ऊसको सहारा देकर खड़ी करने लगा,,,,शुभम के व्यवहार को देखकर अनमोल को लगने लगा था कि वह उसके साथ मनमानी नहीं करेगा इसलिए उसे ही कुछ करना होगा,,,,

चलो संभाल कर तुम्हें कमरे तक पहुंचा दु तुम काफी नशे में हो,,,(इतना कहकर शुभम अनमोल को खड़ी करने लगा अनमोल खड़ी होते हुए लड़खड़ा ने का नाटक करते हुए बोली,,)

कौन नशे में है मैं बिल्कुल नशे में नहीं हूं मुझे पूरा होश है,,,

हां मैं जानता हूं तुम होश में हो लेकिन बाहर चलो,,, पेशाब कर चुकी हो रुको मुझे तुम्हारी जींस ऊपर चढ़ाने दो,,,
(इतना सुनते ही अनमोल समझ गई कि अगर जिंस एक बार फिर से ऊपर आ गई तो शुभम उसकी दोनों टांगों के बीच नहीं आ पाएगा,,, इसलिए शुभम नीचे की तरफ झुक कर उसकी जींस ऊपर करता है इससे पहले ही,,, वाह शुभम के चेहरे को पकड़कर नशे की हालत में बोली जबकि वह नशे में बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

तुम बहुत अच्छे हो सुभम तुम बहुत अच्छे हो,,,आई लव यू,,, सुभम,,,(शुभम को तो समझ रहा था कि यह अनमोल क्या कह रही है,, लेकिन कुछ समझ पाता इससे पहले ही अनमोल सुभम के होठों पर अपने लाल लाल होठ रख कीस करने लगी,,,,अनमोल यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम को सिर्फ रास्ता दिखाने की जरूरत है मंजिल तक वह खुद पहुंच जाएगा,,, सुबह को इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि अनमोल इस तरह की हरकत करेगी,,,, और अनमोल का सोचना बिल्कुल सही निकला कब तक शुभम अपने आप को संभाल कर रखता वैसे भी वह यही तो करने आया था जब सामने से ही औरत खुद मजा लेना चाहती हो तो भला शुभम कैसे पीछे हट सकता था,,, सुभम भी उसके लाल-लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते अनमोल एकदम मदहोश होने लगी बरसों के बाद कोई मर्द उसके होंठों को चूस रहा था,,,शुभम पागल में जा रहा था हवा इस मौके का पूरी तरह से भरपूर फायदा उठाने के मूड में था इसलिए उसके लाल-लाल होठों का रस पीते हुए वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर उसकी मदमस्त चूचियों को टी शर्ट के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया,,,, थोड़ी ही देर में बाथरूम के अंदर से अनमोल की गर्म सिसकारियां आने लगी,,,,शुभम पागलों की तरह उसकी चूचियों को टी शर्ट के ऊपर से ही दबाया जा रहा था और साथ ही उसके लाल होठों से उसके मदन रस का स्वाद लिया जा रहा था,,,
अनमोल के तन बदन में आग लग चुकी थी जिसे शुभम ही बुझा सकता था,,शुभम उत्तेजना के मारे बड़े जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबा रहा था जिससे अनमोल को दर्द का एहसास तो हो ही रहा था लेकिन आनंद की पराकाष्ठा को भी हो अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी।पल भर में ही शुभम उसके साथ क्या कर ले या खुद शुभम को भी नहीं समझ में आ रहा था इसलिए वह तुरंत अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर के एकदम चिकनी मदमस्त गुलाबी बुर को अपनी हथेली से मसल ना शुरू कर दिया,,,,

आहहहह ,,,सुभम ,,,ओहहहहहह,,,,,
(शुभम की इस हरकत की वजह से अनमोल के मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,शुभम अच्छी तरह से समझ गया था कि यह गर्म सिसकारी उसकी कौन सी हरकत की वजह से निकली है,,, इसलिए शुभम बिल्कुल भी देर किए बिना ही तुरंत नीचे कुछ मुझे बल बैठ गया और उसकी रसीली बुर पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया,,,शायद शुभम बाथरूम से बाहर जाने का रिस्क नहीं उठा सकता था कि कब जाने ईसका मूड बदल जाए,,, क्योंकि शुभम यही समझ रहा था कि अभी वह नशे में है नशा कब ऊतर जाए इसका एहसास उसे बिल्कुल भी नहीं था,,, इसलिए वह जी जान लगाकर बुर पर टूट पड़ा था,,,शुभम की हरकत की वजह से उसे दोनों टांगों के बीच कंपन महसूस हो रही थी वह काफी उत्तेजित हो गई थी शुभम की हरकत की वजह से वह डगमगा गई थी और सीधे जाकर दीवाल से एकदम सट गई थी,,,

आहहह शुभम बहुत मजा आ रहा है मुझको,, आई लव यू शुभम,,,,आहहहहहह,,,(अनमोल लगातार शुभम के बालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे जोर जोर से अपनी बुर पर रगड़ रही थी और साथ ही अपने नितंबों को गोल-गोल घुमा भी रही थी,,अनमोल जैसी हाई क्लास औरत के साथ इस तरह की हरकत करके शुभम की उत्तेजना और खुशी दोनों का ठिकाना बिल्कुल भी नहीं था।
शुभम कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी मोड़ आएगा कि जब एक खूबसूरत चौहान और काफी अमीर औरत होटल की मालकिन उसके साथ संभोग करने के लिए व्याकुल हो जाएगी,,,शुभम पूरी मस्ती के साथ इस पल का आनंद उठाते हुए जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को अनमोल की बुर के अंदर डाल कर उसके मदन रस को अपने गले में गटक ने की कोशिश कर रहा था,, और शुभम की यह हरकत से वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच जा रही थी उसे बार-बार ऐसा लग रहा था कि उसका पानी निकल जाएगा लेकिन संभल जाती थी,,,, अभी भी वह पूरी तरह से अर्धनग्न अवस्था में थी,, कमर के नीचे से एकदम नंगी घुटनों तक जींस गिरी हुई थी,,, जिंसको ऊपर चढ़ा कर बटन लगाना शायद अब दोनों के बस में नहीं था,, शुभम अपने लंड के लिए रास्ता बनानेके लिए अपनी दो उंगली उसकी बुर में डालकर अंदर बाहर करते हुए उसकी बुर चाटने का आनंद लूट रहा था,,, शायद यह अनमोल के लिए संभोग से कम नहीं थाक्योंकि बरसों बीत गए थे वह अपनी बुर के अंदर अपनी एक उंगली भी नहीं डाली थी और यहां तो शुभम अपनी दो उंगली डालकर उसे मस्त कर रहा था,,
अनमोल एकदम पागल हुए जा रही थी मदहोश हुए जा रही थी इससे पहले तो वह नशे में होने का ढोंग कर रही थी लेकिन अब ऐसा लग रहा था कि जवानी का नशा उस पर पूरी तरह से हावी हो चुका था,,, उसके बदन में कसमसाहट हो रही थी,। उसे शुभम की दो उंगली से लंड से कम मजा नहीं मिल रहा था वह मम्मी यही सोच रही थी कि जब दो उंगली से इतना मजा आ रहा है जब शुभम अपना मोटा लंड उसकी बुर में डालेगा तब क्या होगा,,,, और सुभम शायद उसे चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था,,, वह बाथरूम के अंदर उसकी चुदाई करना चाहता था इसलिए अपनी चीज की बटन खोल कर वह अपनी जिंस को भी घुटनों तक कर लिया और अपने मोटे तगड़े लंड को हिला कर अनमोल को घुमा कर दीवार से सटा दिया और उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपनी तरफ खींच लिया,,, अनमोल को समझते देर नहीं लगेगी वह उसके पीछे से चुदाई करने वाला है और इस पोजीशन में उसे भी काफी आनंद आता था अब देखना यह है कि शुभम उसे कितना तृप्त कर पाता है,,,अनमोल कुछ भी नहीं बोल रही थी बस आंखों को बंद करके इस एहसास में पूरी तरह से डूब रही थी थोड़ी ही देर में शुभम अपने लिए जगह बना कर,, उसकी बड़ी बड़ी गांड के दोनों फांकों को फैला कर ऊसकी गुलाबी बुर के अंदर अपना लंड डालना शुरू कर दिया,, थोड़ा सा लंड घुसते ही अनमोल को उसके मोटे पन का एहसास हो गया उसकी सांस अटक नहीं लगी शुभम लेकिन पीछे हटने वाला तुमको देखते देखते हो अपना आधा लंड ऊसकी बुर के अंदर डाल दिया,,,आहहहह आहहहहहह की आवाज लगातार आ रही थी अनमोल को समझते देर नहीं लगी कि शुभम कर लंड कुछ ज्यादा ही मौटा है,, लेकिन अनमोल काफी मजबूर औरत थी पक्के निर्धार वाली वह भी अपने मन में ठानी थी कि सुगम के पूरे लंड को अपनी बुर के अंदर लेगी,,,और जब तक शुभम का लंड पूरी तरह से उसकी गहराई में पहुंच नहीं गया तब तक वह अपनी सास को रोके रह गई,,,
शुभम फतेह पा चुका था,,, धीरे धीरे वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,, अनमोल को काफी मजा आ रहा है जैसे-जैसे उसका लंड अंदर बाहर हो रहा है अनमोल सातवें आसमान में उड़ने लगी थी,, गर्म सिसकारियां से पूरा बाथरूम गूंज रहा था,, शुभम काफी उत्साहित था उसने आज बेहद खूबसूरत और हाई लेवल की औरत को चोद रहा था अनमोल के चेहरे का हाव भाव पल-पल बदलता जा रहा था एक पल के लिए तो उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे शुभम ने उसकी बुर के अंदर लोहे का रोड डाल दिया हो क्योंकि अनमोल समझ गई थी कि उसका लैंड असामान्य है,,,, बिना पूरे कपड़े उतारे वह अनमोल की होटल में और उसके ही कमरे में चुदाई कर रहा था,,, बरसों बाद चुदाई का असली सुख अनमोल भोग रही थी वह काफी खुश थी काफी उत्साहित और काफी उत्तेजित उसकी सांसो की गति तेज होती जा रही थी वो झड़ने वाली थी लेकिन शुभम पर करा था वह बार-बार अपनी बड़ी बड़ी गांड को पीछे की तरफ ठेल दे रही थी और शिवम का भी उसकी पतली कमर तो कभी बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर चोदते रहता था,,, और देखते ही देखते तेज चीख के साथ अनमोल झड़ गई लेकिन फिर भी शुभम उसकी बुर में अपना लंड पेलता रहा,,, शुभम अभी झड़ा नहीं था अच्छी तरह से जानता था कि अभी वह कितनी देर तक टिक सकता है,,, शुभम का मन अब ऊसे बिस्तर पर ले जाकर जमकर चोदने का था,,, इसलिए वह उसकी पूरी से अपना नंबर बाहर निकाल कर उसे गोद में उठा लिया अनमोल तो उसकी ताकत को देखकर हक्की बक्की रह गई वह कुछ बोल नहीं पा रही थी बस उस एहसास में अपने आप को जिए जा रही थी देखते ही देखते शुभम बाथरूम से बाहर आकर उसे नरम नरम गद्दे पर पटक दिया और थोड़ी ही देर में से बटन से सारे वस्त्र उतार कर पूरी नंगी कर दिया।अनमोल पूरी तरह से जोश से भरी हुई थी इसलिए शिमला की कड़कड़ाती ठंड में उसे ठंड का बिल्कुल भी एहसास नहीं हो रहा था,, पूरी नंगी होने के बाद उसकी चकाचौंध जवानी देख कर शुभम की आंखें फटी की फटी रह गई और वह बिस्तर पर जाकर अपने लिए जगह बनाया और एक बार फिर से उसकी दोनों चूचियों को थामकर उसे चोदना शुरू कर दिया,,,थोड़ी ही देर में अनमोल फिर से तैयार हो गई और उसकी गरम सिसकारी पूरे कमरे में गुंजने लगी,, जिंदगी में पहली बार से चुदाई का असली सुख प्राप्त हो रहा था और वह भी एक लड़के से वह काफी खुश थी,, और वह शुभम का बराबर साथ दे रही थी,,, शुभम इतनी जबरदस्तऔर पूरी ताकत लगाकर धक्के लगा रहा था कि उसकी ताकत को देखकर अनमोल हैरान रह गई थी,,और वह इतनी देर तक टिका था इस बात से भी वह काफी रोमांचित हो गई थी। उसके हर धक्के के साथ में पीछे की तरफ चली जा रही थी और पूरी पलंग चर मरा रही थी,,तकरीबन 15 मिनट की जबरदस्त घमासान चुदाई के बाद दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी दोनों का पानी निकलने वाला था और शुभम अपना दोनों हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसे कसके अपनी बाहों में भर लिया और जोर जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए ,,, यह अद्भुत अहसास तृप्ति से भरा हुआ सुखद संभोग अनमोल की जिंदगी में पहली बार का था शुभम कुछ देर तक उसके ऊपर ही लेटा रहा,,, अनमोल तृप्ति के एहसास के साथ अपनी आंखों को बंद करके एक दम मस्त हो गई थी,, थोड़ी देर बाद से कम उसके ऊपर से उठा तो अनमोल की तरफ देखा तो अभी भी उसकी आंखें बंद थी उसे गर्म रजाई उसके ऊपर डाल कर उसके माथे पर चुंबन करके अपने कपड़े पहना और कमरे से बाहर निकल गया,,,।
 

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