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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

Arun Rajput

#WorldStandWithFarmers
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super hot update
:wave::wave::wave:
 

Enjoywuth

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Bahut mast update bhai..Ek baat samaj nahi aayi...Yahan bahut stories hai jahan writer update dene se pahale readers kai kai page requests or comment karne main bhar dete hai par yaha update bhi regular hai aur kahani bhi mast hai phir bhi itne kam comment kyun..
 

rohnny4545

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Bahut mast update bhai..Ek baat samaj nahi aayi...Yahan bahut stories hai jahan writer update dene se pahale readers kai kai page requests or comment karne main bhar dete hai par yaha update bhi regular hai aur kahani bhi mast hai phir bhi itne kam comment kyun..
Bhai yahi to samajh nahi aata.. isse jyada maja isliye xossip pe aata tha.. waha comments ki baarish hoti thi.. ek update dene k baad teen teen page to comments se bhare hote the
 

kabir singh

Aye kabira maan jaa
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शुभम जोर-जोर से उसकी गोल गोल गांड को अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए धक्के पर धक्के पेल रहा था,,, रुचि एकदम मस्त हुए जा रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शुभम इस तरह से भी उसे संतुष्ट कर सकता है उसकी गर्म सांसे शुभम के चेहरे पर पड रही थी,,, शुभम अपनी धक्कों की रफ़्तार को बढ़ाता जा रहा था,,, रुचि को महसूस होने लगा कि उसका पानी निकलने वाला है उसकी सांसे गहरी चलने लगी,, रुचि शुभम को कसकर अपनी बाहों में दबोचे हुए थे और शुभम उसकी गांड को जोर से दबाते हुए अपने धक्के लगा रहा,,था,,, Very hot update bhai
 

rajeev13

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Bhai yahi to samajh nahi aata.. isse jyada maja isliye xossip pe aata tha.. waha comments ki baarish hoti thi.. ek update dene k baad teen teen page to comments se bhare hote the
ये मंच नया है, इसे विकसित होने में समय जायेगा।
गॉसिप में मासिक 30-35 मिलियन पेज व्यूज आते थे, इसलिए एक्टिव यूजर्स की संख्या भी अधिक थी।
ये मंच अभी तक 1 मिलियन तक ही पहुंचा है, आशा है की आगे भी ऐसा ही विकास जारी रहेगा तो हम गॉसिप की कमी पूरी कर पाए।
आप जैसे लेखक भी इस मंच पर कम है, ज्यादातर कहानी बीच में छोड़कर चले जाते है।
 

rohnny4545

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Thankss
शुभम जोर-जोर से उसकी गोल गोल गांड को अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए धक्के पर धक्के पेल रहा था,,, रुचि एकदम मस्त हुए जा रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शुभम इस तरह से भी उसे संतुष्ट कर सकता है उसकी गर्म सांसे शुभम के चेहरे पर पड रही थी,,, शुभम अपनी धक्कों की रफ़्तार को बढ़ाता जा रहा था,,, रुचि को महसूस होने लगा कि उसका पानी निकलने वाला है उसकी सांसे गहरी चलने लगी,, रुचि शुभम को कसकर अपनी बाहों में दबोचे हुए थे और शुभम उसकी गांड को जोर से दबाते हुए अपने धक्के लगा रहा,,था,,, Very hot update bhai
Thankssdhanyawad
 

Arun Rajput

#WorldStandWithFarmers
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waiting
 

rohnny4545

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रुचि एक दम मस्त हो चुकी थी,,, वह सूखे हुए कपड़े को व्यवस्थित करके उसे अलमारी में रख रही थी,, उसकी सांसों की गति अभी भी तेज चल रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह अकेले ही कुछ मिनट पहले ही अपने बदन की प्यास बुझा कर आई है,, अभी तक उसकी बुर की गहराई में शुभम के मोटे लंड का एहसास बना हुआ था,,, उसे पहली बार महसूस हुआ था कि एक मर्द के लंड से निकली हुई पानी की पिचकारी औरत को कितना सुख और संतुष्टि प्रदान करती है वरना तो उसके पति के लंड से कब पानी निकल जाता था उसे पता तक नहीं चलता था,, शुभम के लंड से निकली हुई तेज धार वाली पिचकारी उसे अपने बच्चेदानी पर साफ महसूस हुई थी और उसकी पिचकारी की धार को अपनी बच्चेदानी पर महसूस करते ही रुचि एकदम मस्त हो गई थी उसका पूरा बदन एक अजीब से सुख की अनुभूति में नहाने लगा था इसीलिए तो वह शुभम को और कस के अपनी बाहों में जकड़ ली थी ताकि उसके लंड से आखिरी बूंद तक उसकी बुर की गहराई में उतर,,जाए,,, उसे पूरा यकीन था कि शुभम से चुदवा कर वह जरूर मां बन जाएगी,,, पर इस बात की भी खुशी उसे थी कि उसका बच्चा भी शुभम की तरह खूबसूरत गठीले बदन वाला अच्छे नैन -नक्श वाला होगा,,, यही सब सोचते हुए वह एक-एक करके सारे कपड़ों की अलमारी में रख रही थी,, वह मन में यह बात भी सोच रही थी कि वह दो बार शुभम से जबरदस्त चुदाई का मज़ा ले चुकी थी,,लेकिन एकदम इत्मीनान से अभी तक शुभम से चुदाई नहीं करवा पाई थी जिसका उसे रंज था और वह अपनी इस कमी को पूरा करना चाहती थी,,,,,
शुभम अपनी मां के द्वारा ऊठाई गई हद की दीवार को लांघ कर एक बार और रुचि के साथ संभोग सुख भोग चुका,, था,,, और उसमें उसे अद्भुत आनंद की अनुभूति हुई थी,,, आखिर उसे मजा क्यों नहीं आता एक खूबसूरत नव जवान औरत जो उसे चोदने को मिल रही थी,,



निर्मला रसोई घर में खाना बना रही थी और ना जाने क्यों शुभम को औरत की जरूरत ज्यादा पड़ रही थी,, और वह भी तब जब परीक्षा सर पर आन पड़ी थी,,, और उसकी मां ने उसे सख्त हिदायत दी थी कि जब तक परीक्षा खत्म नहीं हो जाती तब तक बिल्कुल भी चुदाई नहीं होगी,,, लेकिन शुभम से रहा नहीं जा रहा था बार-बार उसका लंड खड़ा हो जा रहा था और वह भी तब जब वह किचन में पानी पीने या किसी काम से चला जाता तब तक उसकी मां की रसोई बनाते समय हिलती हुई गांड देख कर बार-बार उसका लंड खड़ा होने लगा था जिससे उसे परेशानी महसूस हो रही थी,,
जबकि वह अपनी मां के खूबसूरत बदन के हर एक अंग से खेल चुका था,, लेकिन आदमी का मन कभी भी देख सकता है कभी भी उसी चीज को पाने की इच्छा बार-बार होने लगती है जिस चीज पर उसका पूरा अधिकार होता है और वह जब चाहे उस चीज से अपने मन को तसल्ली दे सकता है और वही शुभम के साथ भी हो रहा था,, रातो दीन वो जिस औरत के खूबसूरत बदन के साथ जब चाहे तब खेलता था ,, और परीक्षा के दौरान उसी खूबसूरत बदन को स्पर्श तक ना कर सकने की सख्त हिदायत के कारण शुभम का मन बार-बार उसी की तरफ लालायित हुआ जा रहा था और यही कारण था कि वह किचन में फ्रिज के पास खड़ा होकर पानी की बोतल से पानी पीते हुए अपनी मां की हिलती हुई गांड को देखकर उत्तेजना से भरता चला जा रहा था,,,,, निर्मला यह सब से अनजान रोटी को सेंड करने में लगी हुई थी उसे यह कहा पता था कि उसकी पीठ पीछे उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी हिलती हुई गांड को देखकर अपनी आंख सेंक रहा था,,,। इसमें शुभम की नजरों का दोष बिल्कुल भी नहीं था नजारा ही कुछ बेहद उन्माद से भरा हो तो इंसान आखिर क्या करें,, निर्मला को ईस अवस्था में वास्तव में देख पाना भी मर्दों के लिए किस्मत की बात होती है क्योंकि जिस तरह से वह रोटी को बेलते हुए उसे तवे पर रखकर सेंक रही थी उस वजह से उसके बदन में हल्की सी ऊन्मादक थीरकन होती थी और यह सब थीरकन ज्यादातर उसकी कमर के नीचे वाले घेराव पर अधिक होती,
और उसकी वजह से कसी हुई साड़ि में उसकी बड़ी बड़ी गांड पानी भरे गुब्बारे की तरह लहर मारती थी,,, जिसे देखकर अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए,, इसलिए तो किचन में खड़े होकर वह अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को हीलता हुआ देखकर अपनी आंख सेंकता हुआ वासना के समुंदर में डूबता चला जा रहा था,,,,
Nirmala agar apne saare kapde utaarkar nangi ho jaye to bilkul aisi lage

1598453866-picsay
वह जब इत्मीनान से पानी पीते हुए अपने पेजामे में खड़े लंड को बार-बार अपने हाथों से दबाने की कोशिश कर रहा था तभी निर्मला की नजर पीछे गई और शुभम को अपने पीछे खड़े होकर पानी पीता देखकर वह वापस रोटी बनाते हुए बोली

तू अभी तक यही खड़ा है गया क्यो नहीं,,,,

कैसे जाऊं जब आंखों के सामने इतनी खूबसूरत औरत खड़ी हो तो बाहर कहां मन लगता है,,
( अपने बेटे की बातें सुनकर वह शुभम की तरफ देखे बिना ही मंद मंद मुस्कुरा रही थी और कुछ देर बाद पीछे घूम कर अपने बेटे की तरफ आंख तर्राते हुए बोली)
पता है ना तुझे मैंने तुझे क्या बोली हुं,, जब तक परीक्षा खत्म ना हो जाए तब तक यह सब बिल्कुल बंद,,(इतना कहकर वह वापस रोटी तवे पर पकाने लगी,, लेकिन वह तवे पर रोटी नहीं बल्कि शुभम के अरमानों को पका रही थी निर्मला की बड़ी-बड़ी मटकती गांड देखकर शुभम के मन में किस तरह की हलचल हो रही थी वह शायद निर्मला को मालूम नहीं था,, और वह उसका अंदाजा भी नहीं लगा पा रही थी इसीलिए तो वह बेफिक्र होकर उसी तरह से रसोई बनाने में मशगूल हो गई,,, और शुभम का दिल कर रहा था कि वह पीछे से जाकर अपनी मां की साड़ी उठाकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपना मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर के अंदर डाल दे,,, लेकिन परीक्षा तक यह मुमकिन नहीं था फिर भी शुभम सोचा की कोशिश करने में क्या जाता है वैसे भी उसकी मां प्यासी औरत है हो सकता है उसका मन बदल जाए,,,,
इसलिए वह अपना लंड पजामे के ऊपर से मसलते हुए अपनी मां की तरह आगे बढ़ने लगा जो कि इस समय भी अपनी मस्ती में रोटी पकाने में लगी हुई थी,, वैसे भी शुभम ने अपनी मां के साथ अपने घर के अंदर हर जगह पर उस की चुदाई करके उस वातावरण का मजा ले चुका था और सबसे ज्यादा मजा उसे किचन के अंदर ही आता था जब मैं खाना बना रही होती है,, किचन के अंदर वह कुछ ज्यादा ही उत्तेजना महसूस करता था ऐसा उसके साथ हमेशा से होता रहा है जब वह अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाता था फिर भी वह जब कभी भी रसोई घर में आता था और अपनी मां को खाना बनाते देखता था तो ना जाने क्यों उसके मन में उसे चोदने की भावना होने लगती थी लेकिन वह कभी अपने मन में भी इस तरह के ख्याल नहीं आने देता था,, यह सब कुछ समय का केवल आकर्षण भर था लेकिन अब तो वह सारी हदों को पार करके अपनी मां के साथ ना जाने कितनी बार शारीरिक सुख का मजा ले चुका है,,




बस कुछ दिनों की ही बात थी परीक्षा खत्म होने के बाद उसकी मां उसे उसे चोदने के लिए कभी भी इनकार नहीं करती,, लेकिन फिर भी निर्मला की खूबसूरती और उसका आकर्षण ईतना अत्यधिक था कि कितनी बार भी उसे चोदो मन नहीं भरता, एक तरह से कह सकते हैं कि निर्मला हाड मास की बनी हुई वह बोरी थी जिसके अंदर जवानी ठुंस ठुंस के भरी हुई थी,,, ना तो जवानी खत्म हो रही थी और ना ही उससे मिलने वाला मजा,, शुभम अपनी मां की मदमस्त जवानी का पूरी तरह से गुलाम बन चुका था, और दुनिया का कोई भी मर्द गुलाम बनना क्यों नहीं चाहेगा जब उसे गुलामी के एवज में इतनी मदमस्त औरत और उसकी जवानी दोनों भागने को मिल रही हो तो कोई भी इंसान ऐसी औरतों का गुलाम बनना पसंद करेगा,,,, क्योंकि दुनिया में धन सुख से तनसुख जरा भी कम नहीं है,,, दोनों के ही समय-समय पर जरूरत होती रहती है,,, और इस समय शुभम के लिए तन का सुख बेहद जरूरी था उसके बदन में मीठा मीठा दर्द हो रहा था और यह दर्द तब तक होता रहता जब तक कि वह निर्मला की खूबसूरत बदन को अपनी बाहों में भरकर अपने कठोर अंग को उसके नाजुक अंग में उतार नहीं देता,,

अपनी मां के सामने शुभम अब किसी भी प्रकार का परदा करना जरूरी नहीं समझता था इसलिए एक झटके में ही वो अपने पजामे को उतारकर कमर के नीचे एकदम नंगा हो गया,, हवा में उसका लंड ऊपर नीचे होकर लहरा रहा था,, देखते ही देखते पीछे से जाकर वह अपनी मां को बाहों में भर लिया और अपने खड़े लंड को उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी बड़ी बड़ी गांड की दरार के बीचो-बीच धंसाना शुरू कर दिया,,

आहहहहह,,, क्या कर रहा है रे ,,,,(जैसे ही शुभम का खड़ा लंड निर्मला को अपनी मां की गांड के बीचो बीच दरार के अंदर महसूस हुआ वह चौक उठी,,,)

शुभम तुझे ना बोली हु ना कि जब तक परीक्षा खत्म नहीं हो जाता है ऐसा कुछ भी नहीं होगा,,( ऐसा कहते हुए वह शुभम को हटाने की कोशिश करने लगी ,,,लेकिन शुभम उसे कस के अपनी बाहों में दबोचे हुए उसकी गोरी गोरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया,, शुभम यह बात अच्छी तरह से जानता था कि औरतों को उसके गर्दन और कान के नीचे वाले भाग पर चुंबन बहुत ही जल्दी उन्हें कामभावना से भर देता है,,, और वह बहुत ही जल्दी चुदवाती होकर जुड़वाने के लिए तैयार हो जाती है इसलिए सुबह भी अपनी मां को छुड़वाने के लिए तैयार करने के लिए उसकी गर्दन के साथ-साथ उसके कान के नीचे वाले भाग पर चुंबनों की बौछार करने लगा था और साथ ही अपने खड़े लंड को साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की गांड की दरार पर रगड़ रहा था और उसे धंसा रहा था, शुभम की यह हरकत पलभर में ही निर्मला के इरादे को बदल कर रख दी,,, अपनी गर्दन और कान के नीचे के नाजुक अंग पर शुभम के जबरदस्त चुंबनों की बौछार को महसूस करके निर्मला भी एकदम से चुदवासी हो गई,, उसके मुंह से सब दिन ही नहीं कर रहे थे वह उसी तरह से खड़ी रह गई तवे पर रोटी जलने लगी थी लेकिन इस बात की फिक्र उसे बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि जिस तरह की हरकत शुभम ने उसके साथ किया था उस से वह एक दम मस्त हो चुकी थी,, अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध होता ना देखकर शुभम अपने दोनों हाथ को धीरे से उसकी कसी हुई ब्लाउज पर रखकर उसे हल्के हल्के से दबाने लगा ऐसा लग रहा था कि मानो वह ब्लाउज में कैद दोनों कबूतरों को दाना खिला कर उन्हें बहलाने की कोशिश कर रहा,,हो,,
धीरे-धीरे हाथों की हरकत और शुभम के लंड की बगावत को वह अपने बदन पर महसूस करके वह शुभम के रंग में रंगने लगी,,, निर्मला के लिए यह परीक्षा की घड़ी थी,, अपने बेटे की कामुक हरकतों की वजह से वह अपने आप को कमजोर होता महसूस कर रही थी,, और दूसरी तरफ शुभम जोकि अपनी मां को एकदम शांत देखकर उसे लगने लगा कि उसकी मां से इंकार नहीं करेगी और वह अपनी हरकतों को जारी रखते हुए धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,, क्योंकि वह यह बात अच्छी तरह से जानता था एक बार साड़ी कमर तक उठ जाने के बाद अगर वह अपना लंड उसकी मां की बुर में डाल दिया तो उसकी मां उसे कभी मना नहीं कर पाएगी क्योंकि जिस तरह से सुकून की कमजोरी उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड थी उसी तरह से निर्मला की भी कमजोरी उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड था,,
शुभम के सांसो की गति तेज होने लगी शुभम को यकीन नहीं हो रहा था कितनी जल्दी उसकी मां कमजोर पड़ जाएगी,, शुभम की उत्सुकता और खुशी बढ़ती जा रही थी उसे लगने लगा कि अब उसका लंड उसकी मां की बुर के अंदर समझ लो घुसा,ही घुसा,,, वह लगातार अपनी मां के ब्लाउज में कैद दोनों कबूतरों से खेल रहा था,, खेल क्या रहा था उनसे गुटूर गू कर रहा,, था,,, निर्मला को इस बात का एहसास था कि उसका बेटा धीरे-धीरे करके उसकी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा देगा,,, वह उसे रोकना चाहती थी लेकिन रोक नहीं पा रही थी,, शुभम की हरकतों की वजह से कमजोर पड़ती चली जा रही थी उत्तेजना के मारे उसके दोनों पैर थरथरा रहे थे,, सुभम के साथ जब भी वह शारीरिक संसर्ग बनाती तब तब उसे नया एहसास होता था,,, आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि निर्मला को अपने बेटे के साथ संबंध बनाने में कोई परेशानी या दिक्कत आई हो या उसे ऊस संबंध से बोरिंग महसूस हुआ हो,,
शुभम के साथ उसे हमेशा से संबंध बनाने में ताजगी और आनंददायक ही महसूस होता था,,, इसीलिए तो ना चाहते हुए भी किचन में शुभम की हरकतों की वजह से वह पूरी तरह से गरमाने लगी,, सुभम अपनी हरकतों को जारी रखे हुआ था,, उत्तेजना के मारे शुभम का गला सूख रहा था क्यों किया वह इस समय धीरे-धीरे अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दिया था,,,, साड़ी के ऊपर नहीं उठा पाया क्योंकि उसे ना जाने क्यों अपनी मां की चुचियों से खेलने का ज्यादा इच्छा हो रहा था इसलिए वह साड़ी को छोड़कर अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलकर अगले ही पल अपने मां के दोनों फड़ फडाते हुए कबूतर को ब्लाउज की कैद से आजाद कर दिया और उन्हें अपनी हथेली में लेकर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया सुबह का समय था इसलिए निर्मला भी आज ब्रा नहीं पहनी थी,, अपनी मां की नंगी चूचियों को अपनी हथेली में पाकर शुभम इतना उत्साहित हो रहा था कि मानव जैसे उसे दुनिया का सबसे बेहतरीन फल मिल गया हो,, और वैसे भी औरत की चूची दुनिया में किसी भी स्वादिष्ट फल से कहीं ज्यादा कीमती और अनमोल होती है,,,


शुभम का मोटा तगड़ा लंड निर्मला की साड़ी के ऊपर से ही उसकी मद मस्त गांड पर रगड़ खाते-खाते इतना ज्यादा कड़क हो गया था कि मानो ऐसा लग रहा था कि लंड ना होकर एक लोहे की छड़ हो,,
निर्मला भी अपनी नरम नरम गांड पर अपने बेटे के कड़क लंड का स्पर्श पाकर एकदम मस्त होने लगी थी ना चाहते हुए भी उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फुटने लगी थी,,, शुभम पागलों की तरह अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियों को अपनी हथेली में भर-भर कर उसे दबा रहा था और हल्के हल्के अपनी कमर को गोल-गोल घुमाते हुए अपनी मां की मदमस्त गांड पर अपने लंड को रगड़ रहा था,,, अब सुभम के बर्दाश्त के बाहर था क्योंकि उत्तेजना के मारे निर्मला भी अपनी बड़ी बड़ी गांड को पीछे की तरफ ठेलते हुए गोल गोल अपने बेटे के लंड पर घुमा रही थी,,,,।
निर्मला की हरकत शुभम के लिए अपनी मां की तरफ से हरी झंडी का इशारा था,,, शुभम अपनी मां की चूचियों पर से अपना हाथ हटाकर धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को ऊपर उठाना शुरू कर दिया और देखते-देखते अपनी मां की साड़ी को कमर तक ऊपर उठा दिया,, उसका आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उसने यह देखा कि उसकी मां ने पेंटी पहनी नहीं थी उसे लगने लगा कि शायद उसकी मां नखरा कर रही थी उसे भी चुदवाने की आग लगी हुई थी,,, इसलिए वह आव देखा ना ताव अपने लंड को उसकी गांड की दरार के बीचो-बीच रख करें बिना देखे ही निर्मला की बुर के गुलाबी छेद में डालने की कोशिश करने लगा,, दूसरी तरफ निर्मला की हालत खराब होती जा रही थी,, वह भी अपने बेटे से चुदवाने के लिए अपने बदन की जरूरत के आगे घुटने टेक दी थी,, वह भी जल्द से जल्द अपने बेटे को अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में ले लेना चाहती थी लेकिन तभी उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह जो कर रही है वो गलत कर रही हैंं,,, क्योंकि उसके बेटे की परीक्षा शुरू होने वाली है अगर वह आज उसे चोदने देगी उसके बदन की गर्मी के आगे घुटने टेक देगी तब वह भी परीक्षा के दौरान भी उससे चुदाई का मजा तो लूट लेगी,,, लेकिन परीक्षा के दरमियान उसके बेटे का मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगेगा और ऐसे में अगर वह फेल हो गया तो एक टीचर का लड़का होने के नाते कितनी बदनामी होगी,, और ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी,,, वह सब सोच ही रही थी कि तभी शुभम के लंड का मोटा सुपाड़ा गुलाबी बुर के गुलाबी छेद को ढूंढता हुआ धीरे धीरे अंदर की तरफ सरकना शुरू ही किया था कि तभी निर्मला अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपनी बेटे के लंड को कस के पकड़ लिया और उसकी आंखों में देखते हुए उसे बाहर की तरफ करके अपनी साड़ी को नीचे गिरा दी,, शुभम को समझ में नहीं आया कि उसकी मां ये क्या कर रही है जबकि वह भी पूरी तरह से तैयार हो गई थी चुदवाने के लिए,, इसलिए वह आश्चर्य से अपनी मां से बोला ,,

यह क्या कर रही हो मम्मी पूरा डालने तो दो,,

पूरा क्या तुझे में 1 इंच भी डालने नहीं दूंगी,,,( इतना कहकर वह शुभम के लंड को अपने हाथ से छोड़ दी,, लंड को छोड़ते हैं निर्मला की नजर उस पर पड़ी तो ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बुरी तरह से हांफ रहा हो ऐसा जान पड रहा था कि जैसे किसी के चेहरे पर से ऑक्सीजन का मास्क हटा दो तो कैसे उसकी सांस फूलने लगती है उसी तरह से शुभम के लंड का भी यही हाल था एक पल के लिए तो उसका मन हुआ कि एक बार अपने हाथ से ही पकड़ कर उसे अपनी बुर का रास्ता दिखाते हुए उसे एक बार फिर से अपनी बुर के अंदर ले ले लेकिन फिर अपना मन कठोर कर के वह बोली,)

सुबह में क्या कर रहा है तू,, तेरी परीक्षा शुरू होने वाली और तेरा ध्यान इन सब पर है अरे हमेशा से चुदाई करता आ रहा है कुछ दिन पढ़ाई कर ले मैं नहीं चाहती कि टीचर का लड़का होने के बावजूद तू फेल हो,,( शुभम के मोटे तगड़े हिलते हुए लंड से अपनी नजर हटाते हुए बोली क्योंकि वह जानती थी कि अगर वह उसके लंड को निहारती रही तो उसका मन फिर से उसे अपनी बुर के अंदर लेने को करने लगेगा,,)

लेकिन मम्मी,,,,( सुभम ईससे ज्यादा कुछ बोलता उससे पहले ही निर्मला उसे चुप कराते हुए बोली,,)

मैं कुछ नहीं सुनना चाहती जब तक परीक्षा खत्म नहीं हो जाती तब तक यह सब बिल्कुल बंद,,,( इतना कहकर वह रसोई घर से बाहर निकल गई,, और शुभम अपनी मां को अपनी गांड मटका कर जाते हुए देखता रह गया, वह कभी अपने खाली लगने की तरह तो कभी अपनी मां की गांड की तरफ देख रहा था उसके सपनों पर पानी फिर गया था ऐसा लग रहा था कि जैसे नींद से उठाने के लिए उसके ऊपर कोई एक बाल्टी ठंडा पानी डाल दिया हो,, जब उसका मन थोड़ा शांत हुआ तो उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसकी मां जो कह रही थी सच कह रही थी अगर वास्तव में है फेल हो गया तो बड़ी बदनामी होगी इसलिए अभी अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगा दिया और कुछ दिन बाद उसकी परीक्षा भी शुरू हो,, गई,, शुभम की परीक्षा अच्छी जाने लगी उसके पेपर बहुत अच्छे जा रहे थे वह अच्छी तरह से पेपर लिख कर घर आ रहा था,,, दूसरी तरफ रुचि की हालत खराब होती जा रहीं थी उसे अब सुबह शाम शुभम के लंड की लत लग गई थी,,, क्योंकि शुभम जानता था कि उसके पास इतना समय बिल्कुल भी नहीं था कि वह रुचि के पीछे 3,,,,4 घंटे बिता कर उसकी इत्मीनान से और जमकर चुदाई कर सके,,, लेकिन संध्या के समय छत पर चोरी चोरी रुचि की चुदाई जारी थी शुभम एक भी दिन खाली नहीं जाने दे रहा था वह रोज रुची की छत पर चुदाई करता था क्योंकि वह जानता था कि परीक्षा के दौरान एक यही सही जगह थी जहां पर वह अपने तन की प्यास बुझा सकता था,, रुचि को अब ईसमें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं थी क्योंकि सुभम ने उसे सब कुछ बता दिया था,, रुचि भी नहीं चाहती थी कि शुभम किसी भी परीक्षा में फेल हो वह उसे उत्तीर्ण होता देखना चाहती थी भले ही वह पढ़ाई के मामले में हो या चुदाई के,,
धीरे-धीरे शुभम की परीक्षा खत्म हो गई लेकिन अभी तक सरला घर वापस नहीं आई थी क्योंकि रुची ने उसे फोन करके सब कुछ बता दी थी इसलिए दस 15 दिन और रुकना चाहती थी ताकि रुचि शुभम सिंह चुदाई करवा कर अपने पांव भारी करवा ले और इसी में रुचि दिन-रात लगी हुई थी,,
 
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jonny khan

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पूरा क्या तुझे में 1 इंच भी डालने नहीं दूंगी,,,( इतना कहकर वह शुभम के लंड को अपने हाथ से छोड़ दी,, लंड को छोड़ते हैं निर्मला की नजर उस पर पड़ी तो ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बुरी तरह से हांफ रहा हो ऐसा जान पड रहा था कि जैसे किसी के चेहरे पर से ऑक्सीजन का मास्क हटा दो तो कैसे उसकी सांस फूलने लगती है उसी तरह से शुभम के लंड का भी यही हाल था
Hotttt one dear ..!!!!!
 
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