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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

Rockstar_Rocky

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तो आखिर याद आ ही गई आपको अपनी बहना की :girlmad: ...............माना कहानी पढ़ने को टाइम नहीं आपके पास.................मगर एक मैसेज करने का भी टाइम नहीं आपके पास :girlmad: ..............इतना ही नहीं की पूछ लो की आपकी बहना कितनी दुखी और परेशान है :verysad:



एक बस आप हो जिसने मुझे याद किया.................थोड़ा देर से ही सही..................बाकी तो किसी ने मेरी अनुपस्थति के बारे में पुछा ही नहीं :verysad:



मीम्स बढ़िया थे.......................लेकिन तुझे वो वाला पार्ट पूरा पढ़ना था .......... :spank: ..................गन्दा बच्चा :girlmad:
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चलो अब कुछ उन लोगों को याद कर लूँ जो की एकदम से गायब हो गए....................... journalist342 ...............क्यों भई.................कहाँ बिजी हो गए.....................मेरे जाते ही तुम भी गायब हो गए :girlmad: ............. लेखक जी ने खुद कहा की अगली अपडेट पढ़ लो.................फिर भी गायब हो........... :girlmad:
Lib am और अमित जी......................इतने दिन मुझे याद तो किया नहीं...................पिछले अपडेट भी नहीं पढ़ा :girlmad:
Jitu09 आप भी कहाँ खो गए :peep:

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Rockstar_Rocky प्रिय लेखक जी....................आपको बहुत बहुत धन्यवाद.......................आपने जो पिछली अपडेट में इंटिमेट सीन को डिटेल में नहीं लिखा उसके लिए............................... 🙏 :adore:



Forum पर आते ही सबकी class लगा दी तुमने! :roflol:
उड़ने दे इन पंछियों को आज़ाद फ़िज़ा में ग़ालिब,
जो तेरे अपने होंगे लौट आयेंगे एक रोज़!

ग़ालिब साहब के इस शेर को पढ़ो और ठंड रखा करो|

बाकी जहाँ तक पिछली update को erotic नहीं बनाने की बात है, तो उसके लिए तुम्हें धन्यवाद कहने की जर्रूरत नहीं|

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Rockstar_Rocky

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Sangeeta Maurya जी और Rockstar_Rocky मानु भैया... सबसे पहले माफी पिछले एक महीने से कोई प्रतिक्रिया नहीं... नवरात्रि के बाद कुछ दिनों के लिए काॅलेज चला गया था तो सारा दिन वहीं निकल जाता था... इसलिए यहाँ आना हुआ ही नहीं और फिर मेरा मोबाइल खराब हो गया तो ठीक कराया... मैंने वो अपडेट पढ़े थे पर दूसरों का फोन कुछ समय के लिए उधार लेकर... और रिव्यू करने के लिए समय नहीं होता था... इसलिए क्षमा करें आप दोनों|
अपडेट हमेशा की तरह प्रेमपूर्ण... स्तुति की किलकारियां और मस्तियों से अपडेट और आनंदमय हो जाता है... अब स्तुति धीरे धीरे बड़ी हो रही है तो अपने बडे़ भाई बहन के साथ मस्तियां कर रही हैं... Sangeeta Maurya... अपनी मम्मी को तंग करती है... और पापा से प्यार... बस ये सब हमेशा ऐसा ही रहे... और Rockstar_Rocky मानु भैया... जो आपने दो घंटे मस्ती की तो थोड़ी सी झलकियाँ हमें दिखानी तो बनती थी ना... आपने तो सारी उम्मीदों पर पानी फिरा दिया... ये सही बात नहीं है... पर अगली बार ऐसा नहीं चलेगा... अगले भाग की प्रतीक्षा में...
और हाँ... Love You All... :love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3:

मानु भैया... जो आपने दो घंटे मस्ती की तो थोड़ी सी झलकियाँ हमें दिखानी तो बनती थी ना... आपने तो सारी उम्मीदों पर पानी फिरा दिया... ये सही बात नहीं है...


आपकी जानकारी के लिए बता दूँ, आगे अब कोई भी erotic scene नहीं है| बस एक अंतिम twist है जो की अगली से अगली update में आएगा|
 

Rockstar_Rocky

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणिय अपडेट है स्तुति की मस्तियां और नेहा की समझदारी बहुत ही अच्छी लगी कैसे नेहा ने कम पैसे खर्च करके अपने दोस्तो को ट्रीट दी नेहा बहुत ही समझदार है स्तुति की मस्तियां बहुत ही आनंददायक है

आपके प्यारभरे प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

स्तुति की मस्तियाँ अभी कमसकम दो update तक जारी रहेंगी| हाँ नेहा और आयुष अब बड़े हो रहे हैं तो उनकी सूझ-बूझ आपको देखने को मिलेगी|
 

Rockstar_Rocky

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Ricky3565

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इक्कीसवाँ अध्याय: कोशिश नई शुरुआत की
भाग -7 (7)




अब तक आपने पढ़ा:


दो दिन बाद मैंने online चेक किया और करुणा का police verification certificate download कर के करुणा को मेल कर दिया ताकि वो उसका print ले कर रख ले| अब बस उसका एक मूल निवास पत्र रह गया था, लेकिन उसका भी हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा क्योंकि 3 दिन बाद करुणा की मम्मा ने वो document courier कर दिया| सारे कागज तैयार थे तथा हम श्री विजयनगर जाने की सोच रहे थे की लाल सिंह जी का फ़ोन आया और उन्होंने सारे documents के बारे में पुछा, करुणा ने उन्हें बताया की सब documents तैयार हैं और हम 1-2 दिन में श्री विजयनगर निकल रहे हैं| लाल सिंह जी ने हमें सबसे पहले जयपुर बुलाया क्योंकि हमें वहाँ से नया joining लेटर लेना था तथा करुणा के सारे documents की एक कॉपी जमा करनी थी|


अब आगे:


करुणा
अपनी दीदी से गुस्सा थी, एक तो उन्होंने करुणा पर गन्दा इल्जाम लगाया था की वो चरित्रहीन है और दूसरा उन्होंने करुणा के documents बनवाने में एक ढेले की मदद नहीं की थी| जब मैंने करुणा से कहा की वो अपनी दीदी को बता दे की सारे documents तैयार हैं और joining के लिए हमें ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए तो करुणा गुस्से से बोली;

करुणा: उनको बोलना कोई जर्रूरत नहीं, हम दोनों अकेले जाते!

करुणा गुस्से में थी इसलिए वो दिमाग से नहीं सोच रही थी, मैंने उसे समझाते हुए कहा;

मैं: Dear दिमाग से सोचो, बिना बताये जाएंगे तो आपकी दीदी और गन्दा सोचेगी, फिर वो ये अपनी गंदगी सब तरफ फैला देगी! उन्हें तो कोई शर्म-हया हैं नहीं, बदनामी आपकी होगी और साथ-साथ आपके मम्मा की भी!

करुणा: उसे कोई फर्क नहीं पड़ते! इतना दिन में उसने मुझसे पुछा तक नहीं की कौन सा documents ready हो रे?! तो मैं उससे क्यों पूछूँ?

करुणा गुस्से से बोली|

मैं: वो बेवकूफ है, आप तो नहीं?! वो नहीं पूछती न सही, आप उसे बता कर अपना फ़र्ज़ पूरा कर दो| अगर आपकी दीदी साथ चलने से मना करती है तो अपनी मम्मी को बता दो की आपकी दीदी मना कर रही है इसलिए आप मेरे साथ जा रहे हो|


जैसे-तैसे करुणा मान गई और उसने अपनी दीदी से बात की पर उसकी दीदी ने जाने से साफ़ मना कर दिया| करुणा ने मुझे मैसेज कर के बताया की उसकी दीदी ने कह दिया है की वो मेरे साथ जाए, मैंने करुणा से अपनी मम्मी और मौसी से ये सब बताने को कहा ताकि कल को कोई करुणा के चरित्र पर ऊँगली न उठा सके|

करुणा ने बात कर के जब मुझे हरी झंडी दी तो मैंने घर में फिर से वही ऑडिट का बहाना मारा परन्तु इस बार 4-5 दिन रूकने का बहाना मारा| इतने दिन रुकने की बात सुनते ही पिताजी बोले की उन्हें गट्टू की शादी के लिए गाँव जाना है! मेरे और पिताजी के एक साथ जाने से माँ घर पर अकेली हो जातीं, इतने सालों में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ की माँ को घर पर अकेला रहना पड़ा हो| मेरा जाना पिताजी के जाने से ज्यादा जर्रूरी था क्योंकि करुणा की मेरे जाने से जिंदगी सँवरनी थी, जबकि गट्टू की शादी पिताजी के न जाने से भी हो ही जाती! मैंने माँ से कहा की वो भी शादी में हो आयें पर माँ का मन शादी में जाने का नहीं था, इसलिए पिताजी ने मुझ पर दबाव डालना शुरू किया की मैं यहीं रुक जाऊँ| अब मुझे कुछ न कुछ जुगाड़ फिट करना था तो मैंने माँ से अकेले में बात की;

मैं: माँ आप यहाँ अकेले कैसे रहोगे? मुझे भी आने में कितने दिन लगें पता नहीं, आप चले जाओ शादी में सम्मिलित होने के बहाने आप भी कुछ घूम फिर लोगे|

मैंने माँ से बात शुरू करते हुए कहा|

माँ: बेटा तू नहीं होगा वहाँ तो मुझे चिंता लगी रहेगी|

माँ ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा|

मैं: माँ हूँगा तो मैं यहाँ भी नहीं! ऑफिस का काम जर्रूरी है वरना मैं जाने से मना कर देता और यहीं आपके पास रहता|

माँ: वहाँ जा कर सब पूछेंगे की लड़का क्यों नहीं आया तो मैं क्या कहूँगी?

माँ ने तर्क करते हुए कहा|

मैं: आप कह देना की मैं ऑफिस के काम से दिल्ली से बाहर गया हूँ|

माँ: नहीं बेटा, मुझसे नहीं कहा जायेगा ये सब!

माँ ने हाथ खड़े करते हुए कहा तो मुझे अब उन्हें प्रलोभन देना पड़ा;

मैं: आप और पिताजी गाँव वो झडझड करती हुई रोडवेज की बस से थोड़े ही जाओगे? आप दोनों तो जाओगे Super Deluxe Volvo से!

ये सुन माँ हैरानी से मुझे देखने लगीं, क्योंकि वो नहीं जानती थीं की Volvo बस कौनसी होती है? मैंने अपना फ़ोन निकाला और उस बस की फोटो माँ को दिखाते हुए कहा;

मैं: ये देखो माँ! मैं जयपुर ऐसी ही बस में गया था, ये बस इतनी आरामदायक होती है की सफर का पता ही नहीं चलता| फिर ये low floor होती है, मतलब इसमें चढ़ने और उतरने के लिए आपको तकलीफ नहीं होती| बस की सीटें बहुत आरामदायक होती हैं और पीछे की ओर मुड़ जातीं हैं जिससे आप सोते-सोते जाओ|

मैंने एक-एक कर माँ को उस बस की सभी खूबियाँ गिनानी शुरू कर दी| माँ ने मेरी सारी बातें बड़े इत्मीनान से सुनी ओर फिर वो सवाल पुछा जो हर माँ अपने बेटे से पूछती है;

माँ: इसकी टिकट तो बहुत महँगी होगी?

माँ का सवाल सुन मैं झट से बोला;

मैं: आपसे तो महँगी नहीं हो सकती न? आजतक पिताजी ने हमें रोडवेज बस में सफर कराया है, अब जब मैं कमाने लगा हूँ तो अब तो मुझे अपनी माता-पिता को आराम से यात्रा कराने दो?!

ये कहते हुए मैंने माँ को दोनों टिकट का printout दिखाया|

मैं: ये देखो आप दोनों की टिकट पहले से बुक कर दी मैंने| अब आप मना करोगे तो एक टिकट बर्बाद जाएगी!


मेरी इस आखरी चाल का माँ के पास कोई तोड़ नहीं था क्योंकि अब अगर वो मना करतीं तो एक तो पैसों का नुक्सान होता और दूसरा पिताजी मुझे बहुत सुनाते| एक माँ अपने बेटे को कैसे सुनने देती इसलिए वो मान गईं पर फिर भी एक आखरी कोशिश करते हुए उन्होंने मुझे emotional blackmail किया;

माँ: ठीक है बेटा, पर अगर तू साथ होता तो कितना अच्छा होता!

मैं करुणा की नौकरी के लिए बाध्य था इसलिए मैंने तपाक से जवाब दिया;

मैं: मैं साथ होता तो बस में आप और मैं साथ बैठते, फिर पिताजी को किसी दूसरे आदमी के साथ सीट पर बैठना पड़ता! बाद में वही गलती निकालते और कहते की मजा नहीं आया!

मेरा बचपना देख माँ हँस पड़ीं और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए चली गईं| 'चलो इसी बहाने माँ को Volvo में सैर कराने की एक ख्वाइश तो पूरी हुई!' मैं मन ही मन बोला|



शाम को जब माँ ने पिताजी को बताया की वो भी साथ जा रहीं हैं तो पिताजी बड़े खुश हुए, फिर मैंने उन्हें volvo की टिकट दी तो वो हैरानी और गुस्से से मुझे देखने लगे| तब माँ ने आगे बढ़ कर मुझे उनके गुस्से से बचाते हुए कहा;

माँ: लड़का कमा रहा है, हमें महँगी बस में यात्रा करा कर अपना फ़र्ज़ पूरा कर रहा है|

माँ की गर्व से कही बात सुन कर पिताजी शांत हो गए और मैं डाँट खाने से बच गया|

माँ और पिताजी की बस कल दोपहर की थी और हम दोनों की (करुणा और मेरी) बस मैंने परसों दोपहर की बुक की थी, उसका कारन ये था की मैं नहीं चाहता था की करुणा की बहन रात में सफर करने पर कोई सवाल उठाये| माँ ने अपना सामान बाँधना शुरू किया और मुझे इतने दिन बाहर रहने पर हमेशा की तरह वही सारी हिदायतें दी| इसी के साथ मुझे उन्हें तीन टाइम फ़ोन कर के अपना हाल-चाल बताने के लिए भी कहा, मैंने उनकी सारी हिदायतें अपने पल्ले बाँध ली| चूँकि माँ-पिताजी को दोपहर में जाना था तो रात का खाना और अगले दिन के दोपहर का खाना माँ ने बना कर तैयार कर दिया|



अगले दिन दोपहर को मैं खुद माँ-पिताजी को ले कर बस स्टैंड पहुँचा और बस में बिठाया| माँ-पिताजी ने जब बस अंदर से देखि तो वो बड़े खुश हुए, बस में AC चालु था और सीटें आराम दायक थीं| मैंने पिताजी को सीट पीछे करने का तरीका बताया जिससे वो आराम से बैठ सकें, फिर माँ की सीट भी मैंने पीछे की ओर मोड़ दी जिससे माँ बड़े आराम से बैठीं| बस चलने को हुई तो पिताजी ने मुझसे पानी की बोतल लाने को कहा, मैं नीचे उतरा ओर पानी की बोतल के बजाए चिप्स और बिस्किट ले आया| पानी की बोतल न लाने पर पिताजी डाँटने वाले हुए थे की मैं बोल पड़ा;

मैं: पानी आपको बस में ही मिलेगा|

ये सुन कर पिताजी बड़े हैरान हुए और माँ के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई|बस चलने वाली थी तो मैंने माँ-पिताजी का आशीर्वाद लिया और उन्हें पहुँचते ही फ़ोन करने को कहा|

मैं घर पहुँचा और अपना समान पैक करने लगा, शाम को माँ का फ़ोन आया और उन्होंने बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी अपनी यात्रा के बारे में बताया| पिताजी भी आज बड़े खुश थे और अपने पैर फैला कर सीट पर बड़े आराम से सो रहे थे| रात में पिताजी ने फ़ोन किया और बस की आरामदायक सीट की तारीफ करने लगे| अगले दिन सुबह समय से माँ-पिताजी लखनऊ उतर गए और वहाँ से झडझड करती हुई दूसरी बस ने उन्हें गाँव उतारा| इधर मैं खाना खा कर घर की सफाई कर के करुणा को लेने उसके घर की ओर चल पड़ा|



करुणा ने मुझे बस स्टैंड से pick करने को कहा था क्योंकि अगर मैं उसके घर जाता तो उसकी बहन बवाल खड़ा कर देती| मैं समय से बस स्टैंड पहुँच गया पर करुणा हरबार की तरह लेट आई| उसे जल्दी बुलाने के लिए मैंने बीकानेर हाउस के लिए ऑटो कर लिया ताकि उस पर जल्दी आने का दबाव बना सकूँ| 10 मिनट तक करुणा का इंतजार करते हुए तो अब ऑटो वाला भी थक गया था और मुझसे शिकायत करने लगा था, मैं उसे बस ये ही कह कर टाल रहा था की लड़की है तैयार होने में समय तो लगेगा ही!

10 मिनट बाद जब करुणा आई तो उसके चेहरे पर एक अजब मुस्कान थी, हाथों में एक बैग था जो उसके सामान से फटने तक भरा हुआ था! बैग इतना भरा था की करुणा को उसे उठाने में परेशानी हो रही थी, इसलिए मैंने जा कर उससे वो बैग लिया और ला कर ऑटो में रखा| ऑटो चला तो करुणा मुस्कुराते हुए मुझसे बोली;

करुणा: मिट्टू...आप जानता..मैं क्यों हँस रा ता?

करुणा का सवाल सुन मैंने न में गर्दन हिलाई|

करुणा: मुझे ऐसे feeling आ रे था की आप मेरे को घर से बगहा (भगा) कर ले जा रे!

ये बोलकर करुणा खिलखिलाकर हँसने लगी, वहीं मैं समझ नहीं पाया की ये लड़की सच में पागल तो नहीं जो घर से भगाने की बात इतने धड़ल्ले से कर रही है?! तभी मुझे कुछ साल पहले का मेरा बचपना याद आया; 'कम तो तू भी नहीं था, याद है भौजी को भगाने की बात इतनी आसानी से सोच ली थी तूने?!' दिमाग की ये बात सुनते ही मैं एकदम से खामोश हो गया| मेरी ख़ामोशी देख करुणा को लगा की उसने मुझे दुःख पहुँचाया है, इसलिए उसने मुझसे माफ़ी माँगी|

मैं: Dear आपकी कोई गलती नहीं है, दरअसल कुछ याद आ गया था|

ये कह कर मैंने बात टाल दी और करुणा का मन किसी और बात में लगा दिया| तभी करुणा ने मुझे बताया की उसकी मम्मा को मुझसे बात करनी है, ये सुन कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा और मैं मन ही मन सोचने लगा की भला उन्हीं मुझसे क्या बात करनी होगी?!



खैर हम बीकानेर हाउस पहुँचे और अपनी बस का इंतजार करने लगे, कुछ देर बाद जब बस लगी तो हम दोनों ने अपना सामान रखा और बस में बैठ गए| करुणा ने मुझे याद दिलाया की उसकी मम्मा को मुझसे बात करनी है तो मैंने उसे कॉल मिलाने को कहा| अब दिक्कत ये थी की न तो करुणा की मम्मा को हिंदी या अंग्रेजी आती थी और न मुझे मलयालम! इसका रास्ता करुणा ने निकाला, उसने फ़ोन में लगाए हेडफोन्स और एक हिस्सा मुझे दिया तथा दूसरा हिस्सा उसने अपने कान में डाला| करुणा की मम्मा जो भी मलयालम में बोलतीं, करुणा उसका मेरे लिए हिंदी में अनुवाद करती, फिर मैं जो हिंदी में बोलता वो उसे मलयालम में अपनी मम्मा के लिए मलयालम में अनुवाद करती|

करुणा की माँ: मिट्टू बेटा तुम जो अपने बीजी टाइम से मेरी बेटी के लिए समय निकाल रहे हो, उसका ध्यान रख रहे हो, उसके सारे documents तुमने बनवाये, उस सब के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद|

करुणा की माँ ने जब मिट्टू बेटा कह कर बात शुरू की तो मुझे हँसी आ गई और करुणा मेरी हँसी देख कर सब समझ गई|

मैं: आंटी जी, करुणा मेरी बहुत अच्छी दोस्त है और मैं बस अपनी दोस्ती का फ़र्ज़ निभा रहा हूँ|

करुणा की माँ: बेटा देखो, उसका ध्यान रखना उसकी joining के बाद किसी हॉस्टल में उसके रहने का इंतजाम कर देना|

करुणा की माँ ने चिंता जताते हुए कहा|

मैं: आंटी जी आप चिंता मत कीजिये, मैंने हॉस्टल की एक लिस्ट तैयार कर रखी है| Joining के बाद मैं करुणा के रहने का इंतजाम कर के आपको फ़ोन कर के सब बता दूँगा|

मैंने आंटी जी को आश्वस्त करते हुए कहा|



करुणा अपने साथ में मायोनीज़ से बना मेरा मन पसंद सैंडविच लाइ थी जो हमने दोपहर के खाने में खाया और साथ में ब्लैक कॉफ़ी| मैंने आजतक ब्लैक कॉफ़ी नहीं पी थी तो आज जब पहलीबार ब्लैक कॉफ़ी पी तो वो दूध वाली से ज्यादा अच्छी लगी! हम दिल्ली से बाहर पहुँचे तो करुणा ने ऑटो में मेरी ख़ामोशी का कारन पुछा;

करुणा: मिट्टू मैं आपको कुछ पूछ रे तो आप बताते?

करुणा ने संकुचाते हुए पुछा तो मैंने मुस्कुरा कर हाँ में गर्दन हिलाई|

करुणा: आप ऑटो में चुप क्यों ता?

करुणा ने इतने प्यार से पुछा की मुझसे झूठ नहीं बोला गया और मैंने उस सब बात बताई;

मैं: दरअसल मैंने एक बार किसी से घर से भगाने की बात कही थी|

मेरी बात सुन कर करुणा की जिज्ञासा जाग गई और उसने पुछा;

करुणा: वही लड़की न, जिस से आप प्यार किया ता?

मैंने हाँ में सर हिला कर जवाब दिया| करुणा के मन में मेरे और भौजी के प्यार के बारे में जिज्ञासा देख मैंने उसे भौजी के बीमार होने की कहानी सुनाई जिसे सुन कर करुणा आँखें फाड़े मुझे देखने लगी|

करुणा: मिट्टू... आप तो...gentleman है! अभी पता चला मैं क्यों आपके साथ safe feel करते? आपका मन में मैंने अपने लिए कभी कुछ गलत feel नहीं किया, इसलिए मैं आप पर इतना trust करते!

करुणा ने बड़े गर्व से कहा|



अब चूँकि हमने बस दोपहर में की थी तो हमें जयपुर पहुँचते-पहुँचते रात के 1 बज गए| करुणा को बड़ी जोर से नींद आई थी और वो जानती थी की अभी होटल भी ढूँढना है इसलिए वो थोड़ी चिड़चिड़ी हो गई थी| किस्मत से मैं इसबार अपने साथ उस राधास्वामी होटल का कार्ड ले आया था, मैंने फ़ोन निकाला और उन्हें बताया की मैं बस स्टैंड पर खड़ा हूँ| होटल वाले फ्री pickup और drop देते थे जो मुझे उस दिन पता चला, 5 मिनट में एक टाटा सूमो हमारे सामने खड़ी थी| ड्राइवर ने हमारा सामान रखा और हमें होटल पहुँचाया, receptionist हमें देखते ही पहचान गया और उसने हमें होटल का रजिस्टर दिया ताकि हम दोनों अपनी डिटेल भर दें|

Receptionist: सर एक छोटी सी प्रॉब्लम है, कोई कमरा खाली नहीं है सुबह 6 बजे एक रूम का checkout होना है, तब तक आप दोनों को मैं Honeymoon Suite दे देता हूँ!

Honeymoon Suite का नाम सुन कर मेरी जान हलक में आ गई, वहीं करुणा को ये सब समान्य लग रहा था| मैंने किसी तरह अपने जज्बात छुपाये और सामान्य दिखने का दिखावा करने लगा| होटल के एक लड़के ने हमारा सामान उस 'Honeymoon Suite' में रखा और उसके बाद हम दोनों कमरे में दाखिल हुए| उस कमरे को देखते ही हम दोनों के माथे पर पसीना आ गया! कमरे के बीचों बीच एक Igloo था और उस Igloo के अंदर दिल की shape का पलंग था! बेड पर लाल रंग की मुलायम चादर बिछी हुई थी, उस Igloo के अंदर लाल रंग की लाइट जल रही थी, अगल-बगल दो छोटी-छोटी खिड़कियाँ थीं और कमरे में जबरदस्त ठंडा AC चल रहा था! कुल मिला कर कहें तो कमरे का माहौल पूरी तरह से रोमांटिक था, पर इस कमरे में मौजूद दोनों इंसान दोस्ती के रिश्ते से बँधे थे जो अपने पाक रिश्ते को गन्दा नहीं करना चाहते थे!



करुणा मुझसे नजरें चुराते हुए बाथरूम में घुस गई और इधर मैं पास ही पड़े सोफे पर बैठ गया| जैसे ही मैं सोफे पर बैठा तो पता चला की वो बेंत का बना हुआ था और बस दिखावे का ही सोफे था| उसपर पड़ा cushion मेरे कुल्हें में चुभ रहा था, लेकिन मैंने सोच लिया की चाहे जो हो मैं इसी सोफे पर सोऊँगा, फिर चाहे पीठ ही क्यों न अकड़ जाए!

करुणा को बाथरूम में गए हुए 10 मिनट हो चुके थे इसलिए मैंने मौके का फायदा उठा कर अपनी जीन्स उतार के पजामा पहन लिया, फिर मैंने हमारा समान एक तरफ कर सोफे पर सोने लायक जगह बना ली| तभी मन में ललक जगी की एक बार honeymoon वाले पलंग पर लेट कर तो देखूँ की कैसा लगता है? अपनी यही लालसा पूरी करने के लिए मैं उस Igloo में घुसा और पलंग पर पसर कर लेट गया, लेटने के बाद पता चला की ये गद्दा तो उस बेंत के सोफे के मुक़ाबले बहुत मुलायम था! आखिर बेमन से मैं फटाफट पलंग से उठा क्योंकि करुणा अब किसी भी वक़्त बाहर आ सकती थी, वो मुझे ऐसे लेटे हुए देखती तो पता नहीं क्या सोचती?! मैं वापस आ कर उस बेंत वाले सोफे पर लेट गया| जैसे ही उस पर लेटा तो पीठ को ऐसा लगा मानो मैं किसी खुरदरी जमीन पर लेट गया हूँ! इस वक़्त मेरा मन सोने का था इसलिए मैंने सोफे पर करवटें बदलनी शुरू कर दी ताकि किसी करवट तो चैन मिले और मैं सो सकूँ| तभी करुणा बाथरूम से बाहर निकली और मुझे यूँ सोफे पर करवटें बदलते देख उसे हैरानी हुई|

करुणा: मिट्टू...उदर क्यों सो रे?

करुणा की आवाज सुन मैंने उसकी ओर करवट ले कर देखा और बोला;

मैं: तो कहाँ सोऊँ?

मैंने हैरान होते हुए पुछा|

करुणा: पागल वो सोफे comfortable नहीं होगा, इदर आ कर सो जाओ!

करुणा हक़ जताते हुए बोली| उसकी बात सही थी इसलिए मैं उठा और igloo में घुसा, मैंने दाईं तरफ के पलंग का किनारा पकड़ लिया| मेरे घुसने के बाद करुणा igloo में घुसी और पलंग के बाईं तरफ लेट गई|



दोनों के दिलों में एक अजीब से बेचैनी थी, ये पलंग, कमरे का माहौल हम दोनों को awkward महसूस करवा रहा था, इसीलिए दोनों खामोश थे| कमरे में फ़ैली इस awkward भरी ख़ामोशी को तोड़ने के लिए करुणा ने टीवी चालु किया और गाने लगा दिए| अब मुझे आ रही थी नींद और टीवी की आवाज में मैं सो नहीं सकता था;

मैं: Dear सो जाओ, सुबह होने वाली है|

करुणा ने ये टीवी मुझसे बात शुरू करने के लिए किया था, जब मैंने उसे सोने को कहा तो करुणा को बात करने का मौका मिल गया|

करुणा: आप उस सोफे पे सो रा ता तो आपको पता मेरे को कितना awkward feel हुआ!

करुणा शिकायत करते हुए बोली|

मैं: अगर आप मुझे इस igloo में सोते हुए देखते तो awkward नहीं लगता? आपको awkward feel न हो इसलिए तो मैं उस लकड़ी के सोफे पर लेटा था|

मैंने अपनी सफाई देते हुए कहा, जिसे सुन कर करुणा के चेहरे पर मुस्कान आ गई|

करुणा: एक बात सच बताना मिट्टू, आपको कुछ feel नहीं हो रे?

करुणा ने अपने चेहरे पर एक नटखट मुस्कान लिए हुए पुछा|

मैं: बहुत अजीब महसूस हो रहा है!

ये सुन कर करुणा हँस पड़ी और बोली;

करुणा: और कुछ feel नहीं हो रे?

मैं उसका मतलब समझ गया और नटखट अंदाज में जवाब दिया;

मैं: I’m in complete control!

ये सुन कर करुणा जोर से हँस पड़ी और हँसते हुए पेट के बल मेरी ओर मुँह कर के लेट गई|

मैं: अब सो जाओ!

मैंने दूसरी ओर करवट ले ली और सिकुड़ कर सोने लगा|

सुबह ठीक 6 बजे होटल का एक स्टाफ हमें उठाने आया और उसने दरवाजा खटखटाया, मैं उस वक़्त गहरी नींद में था इसलिए मुझे उठने में समय लगा| बेचारा वो आदमी 2-3 मिनट तक दरवाजा भड़भड़ाता रहा तब जा कर मैं आँखें मलता हुआ उठा| उसने मुझे इशारे से बताया की सामने का कमरा खाली हो गया है और हम उसमें अपना समान शिफ्ट कर सकते हैं| मैंने आ कर करुणा को उठाया जो अभी तक घोड़े बेच कर सो रही थी| हमने अपना समान उठाया और दूसरे कमरे में आ कर फिर सो गए, सुबह ठीक 8 बजे मैं उठ बैठा और फटाफट तैयार हुआ| मैंने करुणा के कान के पास ताली बजा कर उठाया, वो उठी और मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगी|

मैं: जल्दी से तैयार हो जाओ लेट हो रहा है|

मेरी बात सुन कर भी करुणा पर कोई फर्क ही नहीं पड़ा और वो उसी तरह मुस्कुराते हुए मुझे देखती रही|

मैं: Dear क्यों हँस रहे हो?

मेरी बात सुन कर करुणा मुस्कुराते हुए बोली;

करुणा: कोई believe करते की हम दोनों honeymoon suite में ता और फिर भी हम अच्छा से दोस्त की तरह रहा, एक सेकंड के लिए भी हमारा मन में कुछ गलत नहीं आया!

करुणा की बात सच थी क्योंकि आजकल की दुनिया में कौन मान सकता था की एक लड़का और लड़की, honeymoon suite में एक रात बिताएँ, लेकिन फिर भी दोनों के जिस्म में एक पल को भी सेक्स की चिंगारी न भड़की हो?!

मैं: Dear अगर मैंने कभी कहानी लिखी तो ये बात उसमें जर्रूर लिखूँगा!

मैंने मुस्कुराते हुए कहा| वहीं करुणा मेरी बात सुन कर हँस पड़ी और बोली;

करुणा: उसमें ये मत लिखना की हम कुछ नहीं किया, उसमें लिखना की हम बहुत कुछ किया वरना कोई believe नहीं करते!


किस ने सोचा था की मैं सच में उस दिन का जिक्र अपनी कहानी में करूँगा?!



जारी रहेगा भाग 7(8) में...
Nice story bro ek swaal tha aapse bhauji se dubara or apne bete se pehli baar ka milan konse page pe hai please btado
 

Sangeeta Maurya

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Bhagwan jaldi se apki mataji aur apki saas ko theek kar denge . Waise mai to chahta hu ki yeh khani kabhi end na ho aur apke aur apke pariwar ki aur bachho ki shaitaniya padhne ko mile...🙂🙂🙂🙂
ये कहानी खत्म होगी तभी तो मेरी कहानी शुरू होगी....................मेरे बारे में अभी बहुत कुछ है जो आप सभी नहीं जानते.....................लेकिन वो सब मैं इस कहानी के खत्म होने पर ही बताउंगी.....................लेखक जी कहानी को जिस छोर पर खत्म करेंगे.................वहीँ से मेरी कहानी शुरू होगी
Sangeeta Maurya जी और Rockstar_Rocky मानु भैया... सबसे पहले माफी पिछले एक महीने से कोई प्रतिक्रिया नहीं... नवरात्रि के बाद कुछ दिनों के लिए काॅलेज चला गया था तो सारा दिन वहीं निकल जाता था... इसलिए यहाँ आना हुआ ही नहीं और फिर मेरा मोबाइल खराब हो गया तो ठीक कराया... मैंने वो अपडेट पढ़े थे पर दूसरों का फोन कुछ समय के लिए उधार लेकर... और रिव्यू करने के लिए समय नहीं होता था... इसलिए क्षमा करें आप दोनों|
अपडेट हमेशा की तरह प्रेमपूर्ण... स्तुति की किलकारियां और मस्तियों से अपडेट और आनंदमय हो जाता है... अब स्तुति धीरे धीरे बड़ी हो रही है तो अपने बडे़ भाई बहन के साथ मस्तियां कर रही हैं... Sangeeta Maurya... अपनी मम्मी को तंग करती है... और पापा से प्यार... बस ये सब हमेशा ऐसा ही रहे... और Rockstar_Rocky मानु भैया... जो आपने दो घंटे मस्ती की तो थोड़ी सी झलकियाँ हमें दिखानी तो बनती थी ना... आपने तो सारी उम्मीदों पर पानी फिरा दिया... ये सही बात नहीं है... पर अगली बार ऐसा नहीं चलेगा... अगले भाग की प्रतीक्षा में...
और हाँ... Love You All... :love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3:
झलकियां देखनी है तुझे.......................
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............ :girlslap: ....................और ये बता की इतनेदिन गायब रहने का बहाना तो दे दिया................अगर मैं इतने दिन बिना बोले गायब होती तो मुझे तो तू इमोशनल बलैकमेल कर के जान खा जाता था.................अब मैं न खाऊन तेरी जान :girlmad:


Forum पर आते ही सबकी class लगा दी तुमने! :roflol:
उड़ने दे इन पंछियों को आज़ाद फ़िज़ा में ग़ालिब,
जो तेरे अपने होंगे लौट आयेंगे एक रोज़!

ग़ालिब साहब के इस शेर को पढ़ो और ठंड रखा करो|

बाकी जहाँ तक पिछली update को erotic नहीं बनाने की बात है, तो उसके लिए तुम्हें धन्यवाद कहने की जर्रूरत नहीं|

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लेखक जी........................आप अच्छे हो इसलिए कुछ नहीं कहते......................जब मैं कहानी लिखूंगी तब देखना.........................किसी ने रिव्यु देने में देरी की तो लिखना ही बंद कर दूंगी...................फिर तड़पते रहना सब :girlmad:
 

Sangeeta Maurya

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Nice story bro ek swaal tha aapse bhauji se dubara or apne bete se pehli baar ka milan konse page pe hai please btado
बाईसवाँ अध्याय: अनपेक्षित आगमन .................... https://xforum.live/threads/एक-अनोखा-बंधन-पुन-प्रारंभ.9494/page-422#post-1996515
 

Ricky3565

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इक्कीसवाँ अध्याय: कोशिश नई शुरुआत की
भाग -7 (7)




अब तक आपने पढ़ा:


दो दिन बाद मैंने online चेक किया और करुणा का police verification certificate download कर के करुणा को मेल कर दिया ताकि वो उसका print ले कर रख ले| अब बस उसका एक मूल निवास पत्र रह गया था, लेकिन उसका भी हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा क्योंकि 3 दिन बाद करुणा की मम्मा ने वो document courier कर दिया| सारे कागज तैयार थे तथा हम श्री विजयनगर जाने की सोच रहे थे की लाल सिंह जी का फ़ोन आया और उन्होंने सारे documents के बारे में पुछा, करुणा ने उन्हें बताया की सब documents तैयार हैं और हम 1-2 दिन में श्री विजयनगर निकल रहे हैं| लाल सिंह जी ने हमें सबसे पहले जयपुर बुलाया क्योंकि हमें वहाँ से नया joining लेटर लेना था तथा करुणा के सारे documents की एक कॉपी जमा करनी थी|


अब आगे:


करुणा
अपनी दीदी से गुस्सा थी, एक तो उन्होंने करुणा पर गन्दा इल्जाम लगाया था की वो चरित्रहीन है और दूसरा उन्होंने करुणा के documents बनवाने में एक ढेले की मदद नहीं की थी| जब मैंने करुणा से कहा की वो अपनी दीदी को बता दे की सारे documents तैयार हैं और joining के लिए हमें ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए तो करुणा गुस्से से बोली;

करुणा: उनको बोलना कोई जर्रूरत नहीं, हम दोनों अकेले जाते!

करुणा गुस्से में थी इसलिए वो दिमाग से नहीं सोच रही थी, मैंने उसे समझाते हुए कहा;

मैं: Dear दिमाग से सोचो, बिना बताये जाएंगे तो आपकी दीदी और गन्दा सोचेगी, फिर वो ये अपनी गंदगी सब तरफ फैला देगी! उन्हें तो कोई शर्म-हया हैं नहीं, बदनामी आपकी होगी और साथ-साथ आपके मम्मा की भी!

करुणा: उसे कोई फर्क नहीं पड़ते! इतना दिन में उसने मुझसे पुछा तक नहीं की कौन सा documents ready हो रे?! तो मैं उससे क्यों पूछूँ?

करुणा गुस्से से बोली|

मैं: वो बेवकूफ है, आप तो नहीं?! वो नहीं पूछती न सही, आप उसे बता कर अपना फ़र्ज़ पूरा कर दो| अगर आपकी दीदी साथ चलने से मना करती है तो अपनी मम्मी को बता दो की आपकी दीदी मना कर रही है इसलिए आप मेरे साथ जा रहे हो|


जैसे-तैसे करुणा मान गई और उसने अपनी दीदी से बात की पर उसकी दीदी ने जाने से साफ़ मना कर दिया| करुणा ने मुझे मैसेज कर के बताया की उसकी दीदी ने कह दिया है की वो मेरे साथ जाए, मैंने करुणा से अपनी मम्मी और मौसी से ये सब बताने को कहा ताकि कल को कोई करुणा के चरित्र पर ऊँगली न उठा सके|

करुणा ने बात कर के जब मुझे हरी झंडी दी तो मैंने घर में फिर से वही ऑडिट का बहाना मारा परन्तु इस बार 4-5 दिन रूकने का बहाना मारा| इतने दिन रुकने की बात सुनते ही पिताजी बोले की उन्हें गट्टू की शादी के लिए गाँव जाना है! मेरे और पिताजी के एक साथ जाने से माँ घर पर अकेली हो जातीं, इतने सालों में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ की माँ को घर पर अकेला रहना पड़ा हो| मेरा जाना पिताजी के जाने से ज्यादा जर्रूरी था क्योंकि करुणा की मेरे जाने से जिंदगी सँवरनी थी, जबकि गट्टू की शादी पिताजी के न जाने से भी हो ही जाती! मैंने माँ से कहा की वो भी शादी में हो आयें पर माँ का मन शादी में जाने का नहीं था, इसलिए पिताजी ने मुझ पर दबाव डालना शुरू किया की मैं यहीं रुक जाऊँ| अब मुझे कुछ न कुछ जुगाड़ फिट करना था तो मैंने माँ से अकेले में बात की;

मैं: माँ आप यहाँ अकेले कैसे रहोगे? मुझे भी आने में कितने दिन लगें पता नहीं, आप चले जाओ शादी में सम्मिलित होने के बहाने आप भी कुछ घूम फिर लोगे|

मैंने माँ से बात शुरू करते हुए कहा|

माँ: बेटा तू नहीं होगा वहाँ तो मुझे चिंता लगी रहेगी|

माँ ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा|

मैं: माँ हूँगा तो मैं यहाँ भी नहीं! ऑफिस का काम जर्रूरी है वरना मैं जाने से मना कर देता और यहीं आपके पास रहता|

माँ: वहाँ जा कर सब पूछेंगे की लड़का क्यों नहीं आया तो मैं क्या कहूँगी?

माँ ने तर्क करते हुए कहा|

मैं: आप कह देना की मैं ऑफिस के काम से दिल्ली से बाहर गया हूँ|

माँ: नहीं बेटा, मुझसे नहीं कहा जायेगा ये सब!

माँ ने हाथ खड़े करते हुए कहा तो मुझे अब उन्हें प्रलोभन देना पड़ा;

मैं: आप और पिताजी गाँव वो झडझड करती हुई रोडवेज की बस से थोड़े ही जाओगे? आप दोनों तो जाओगे Super Deluxe Volvo से!

ये सुन माँ हैरानी से मुझे देखने लगीं, क्योंकि वो नहीं जानती थीं की Volvo बस कौनसी होती है? मैंने अपना फ़ोन निकाला और उस बस की फोटो माँ को दिखाते हुए कहा;

मैं: ये देखो माँ! मैं जयपुर ऐसी ही बस में गया था, ये बस इतनी आरामदायक होती है की सफर का पता ही नहीं चलता| फिर ये low floor होती है, मतलब इसमें चढ़ने और उतरने के लिए आपको तकलीफ नहीं होती| बस की सीटें बहुत आरामदायक होती हैं और पीछे की ओर मुड़ जातीं हैं जिससे आप सोते-सोते जाओ|

मैंने एक-एक कर माँ को उस बस की सभी खूबियाँ गिनानी शुरू कर दी| माँ ने मेरी सारी बातें बड़े इत्मीनान से सुनी ओर फिर वो सवाल पुछा जो हर माँ अपने बेटे से पूछती है;

माँ: इसकी टिकट तो बहुत महँगी होगी?

माँ का सवाल सुन मैं झट से बोला;

मैं: आपसे तो महँगी नहीं हो सकती न? आजतक पिताजी ने हमें रोडवेज बस में सफर कराया है, अब जब मैं कमाने लगा हूँ तो अब तो मुझे अपनी माता-पिता को आराम से यात्रा कराने दो?!

ये कहते हुए मैंने माँ को दोनों टिकट का printout दिखाया|

मैं: ये देखो आप दोनों की टिकट पहले से बुक कर दी मैंने| अब आप मना करोगे तो एक टिकट बर्बाद जाएगी!


मेरी इस आखरी चाल का माँ के पास कोई तोड़ नहीं था क्योंकि अब अगर वो मना करतीं तो एक तो पैसों का नुक्सान होता और दूसरा पिताजी मुझे बहुत सुनाते| एक माँ अपने बेटे को कैसे सुनने देती इसलिए वो मान गईं पर फिर भी एक आखरी कोशिश करते हुए उन्होंने मुझे emotional blackmail किया;

माँ: ठीक है बेटा, पर अगर तू साथ होता तो कितना अच्छा होता!

मैं करुणा की नौकरी के लिए बाध्य था इसलिए मैंने तपाक से जवाब दिया;

मैं: मैं साथ होता तो बस में आप और मैं साथ बैठते, फिर पिताजी को किसी दूसरे आदमी के साथ सीट पर बैठना पड़ता! बाद में वही गलती निकालते और कहते की मजा नहीं आया!

मेरा बचपना देख माँ हँस पड़ीं और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए चली गईं| 'चलो इसी बहाने माँ को Volvo में सैर कराने की एक ख्वाइश तो पूरी हुई!' मैं मन ही मन बोला|



शाम को जब माँ ने पिताजी को बताया की वो भी साथ जा रहीं हैं तो पिताजी बड़े खुश हुए, फिर मैंने उन्हें volvo की टिकट दी तो वो हैरानी और गुस्से से मुझे देखने लगे| तब माँ ने आगे बढ़ कर मुझे उनके गुस्से से बचाते हुए कहा;

माँ: लड़का कमा रहा है, हमें महँगी बस में यात्रा करा कर अपना फ़र्ज़ पूरा कर रहा है|

माँ की गर्व से कही बात सुन कर पिताजी शांत हो गए और मैं डाँट खाने से बच गया|

माँ और पिताजी की बस कल दोपहर की थी और हम दोनों की (करुणा और मेरी) बस मैंने परसों दोपहर की बुक की थी, उसका कारन ये था की मैं नहीं चाहता था की करुणा की बहन रात में सफर करने पर कोई सवाल उठाये| माँ ने अपना सामान बाँधना शुरू किया और मुझे इतने दिन बाहर रहने पर हमेशा की तरह वही सारी हिदायतें दी| इसी के साथ मुझे उन्हें तीन टाइम फ़ोन कर के अपना हाल-चाल बताने के लिए भी कहा, मैंने उनकी सारी हिदायतें अपने पल्ले बाँध ली| चूँकि माँ-पिताजी को दोपहर में जाना था तो रात का खाना और अगले दिन के दोपहर का खाना माँ ने बना कर तैयार कर दिया|



अगले दिन दोपहर को मैं खुद माँ-पिताजी को ले कर बस स्टैंड पहुँचा और बस में बिठाया| माँ-पिताजी ने जब बस अंदर से देखि तो वो बड़े खुश हुए, बस में AC चालु था और सीटें आराम दायक थीं| मैंने पिताजी को सीट पीछे करने का तरीका बताया जिससे वो आराम से बैठ सकें, फिर माँ की सीट भी मैंने पीछे की ओर मोड़ दी जिससे माँ बड़े आराम से बैठीं| बस चलने को हुई तो पिताजी ने मुझसे पानी की बोतल लाने को कहा, मैं नीचे उतरा ओर पानी की बोतल के बजाए चिप्स और बिस्किट ले आया| पानी की बोतल न लाने पर पिताजी डाँटने वाले हुए थे की मैं बोल पड़ा;

मैं: पानी आपको बस में ही मिलेगा|

ये सुन कर पिताजी बड़े हैरान हुए और माँ के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई|बस चलने वाली थी तो मैंने माँ-पिताजी का आशीर्वाद लिया और उन्हें पहुँचते ही फ़ोन करने को कहा|

मैं घर पहुँचा और अपना समान पैक करने लगा, शाम को माँ का फ़ोन आया और उन्होंने बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी अपनी यात्रा के बारे में बताया| पिताजी भी आज बड़े खुश थे और अपने पैर फैला कर सीट पर बड़े आराम से सो रहे थे| रात में पिताजी ने फ़ोन किया और बस की आरामदायक सीट की तारीफ करने लगे| अगले दिन सुबह समय से माँ-पिताजी लखनऊ उतर गए और वहाँ से झडझड करती हुई दूसरी बस ने उन्हें गाँव उतारा| इधर मैं खाना खा कर घर की सफाई कर के करुणा को लेने उसके घर की ओर चल पड़ा|



करुणा ने मुझे बस स्टैंड से pick करने को कहा था क्योंकि अगर मैं उसके घर जाता तो उसकी बहन बवाल खड़ा कर देती| मैं समय से बस स्टैंड पहुँच गया पर करुणा हरबार की तरह लेट आई| उसे जल्दी बुलाने के लिए मैंने बीकानेर हाउस के लिए ऑटो कर लिया ताकि उस पर जल्दी आने का दबाव बना सकूँ| 10 मिनट तक करुणा का इंतजार करते हुए तो अब ऑटो वाला भी थक गया था और मुझसे शिकायत करने लगा था, मैं उसे बस ये ही कह कर टाल रहा था की लड़की है तैयार होने में समय तो लगेगा ही!

10 मिनट बाद जब करुणा आई तो उसके चेहरे पर एक अजब मुस्कान थी, हाथों में एक बैग था जो उसके सामान से फटने तक भरा हुआ था! बैग इतना भरा था की करुणा को उसे उठाने में परेशानी हो रही थी, इसलिए मैंने जा कर उससे वो बैग लिया और ला कर ऑटो में रखा| ऑटो चला तो करुणा मुस्कुराते हुए मुझसे बोली;

करुणा: मिट्टू...आप जानता..मैं क्यों हँस रा ता?

करुणा का सवाल सुन मैंने न में गर्दन हिलाई|

करुणा: मुझे ऐसे feeling आ रे था की आप मेरे को घर से बगहा (भगा) कर ले जा रे!

ये बोलकर करुणा खिलखिलाकर हँसने लगी, वहीं मैं समझ नहीं पाया की ये लड़की सच में पागल तो नहीं जो घर से भगाने की बात इतने धड़ल्ले से कर रही है?! तभी मुझे कुछ साल पहले का मेरा बचपना याद आया; 'कम तो तू भी नहीं था, याद है भौजी को भगाने की बात इतनी आसानी से सोच ली थी तूने?!' दिमाग की ये बात सुनते ही मैं एकदम से खामोश हो गया| मेरी ख़ामोशी देख करुणा को लगा की उसने मुझे दुःख पहुँचाया है, इसलिए उसने मुझसे माफ़ी माँगी|

मैं: Dear आपकी कोई गलती नहीं है, दरअसल कुछ याद आ गया था|

ये कह कर मैंने बात टाल दी और करुणा का मन किसी और बात में लगा दिया| तभी करुणा ने मुझे बताया की उसकी मम्मा को मुझसे बात करनी है, ये सुन कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा और मैं मन ही मन सोचने लगा की भला उन्हीं मुझसे क्या बात करनी होगी?!



खैर हम बीकानेर हाउस पहुँचे और अपनी बस का इंतजार करने लगे, कुछ देर बाद जब बस लगी तो हम दोनों ने अपना सामान रखा और बस में बैठ गए| करुणा ने मुझे याद दिलाया की उसकी मम्मा को मुझसे बात करनी है तो मैंने उसे कॉल मिलाने को कहा| अब दिक्कत ये थी की न तो करुणा की मम्मा को हिंदी या अंग्रेजी आती थी और न मुझे मलयालम! इसका रास्ता करुणा ने निकाला, उसने फ़ोन में लगाए हेडफोन्स और एक हिस्सा मुझे दिया तथा दूसरा हिस्सा उसने अपने कान में डाला| करुणा की मम्मा जो भी मलयालम में बोलतीं, करुणा उसका मेरे लिए हिंदी में अनुवाद करती, फिर मैं जो हिंदी में बोलता वो उसे मलयालम में अपनी मम्मा के लिए मलयालम में अनुवाद करती|

करुणा की माँ: मिट्टू बेटा तुम जो अपने बीजी टाइम से मेरी बेटी के लिए समय निकाल रहे हो, उसका ध्यान रख रहे हो, उसके सारे documents तुमने बनवाये, उस सब के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद|

करुणा की माँ ने जब मिट्टू बेटा कह कर बात शुरू की तो मुझे हँसी आ गई और करुणा मेरी हँसी देख कर सब समझ गई|

मैं: आंटी जी, करुणा मेरी बहुत अच्छी दोस्त है और मैं बस अपनी दोस्ती का फ़र्ज़ निभा रहा हूँ|

करुणा की माँ: बेटा देखो, उसका ध्यान रखना उसकी joining के बाद किसी हॉस्टल में उसके रहने का इंतजाम कर देना|

करुणा की माँ ने चिंता जताते हुए कहा|

मैं: आंटी जी आप चिंता मत कीजिये, मैंने हॉस्टल की एक लिस्ट तैयार कर रखी है| Joining के बाद मैं करुणा के रहने का इंतजाम कर के आपको फ़ोन कर के सब बता दूँगा|

मैंने आंटी जी को आश्वस्त करते हुए कहा|



करुणा अपने साथ में मायोनीज़ से बना मेरा मन पसंद सैंडविच लाइ थी जो हमने दोपहर के खाने में खाया और साथ में ब्लैक कॉफ़ी| मैंने आजतक ब्लैक कॉफ़ी नहीं पी थी तो आज जब पहलीबार ब्लैक कॉफ़ी पी तो वो दूध वाली से ज्यादा अच्छी लगी! हम दिल्ली से बाहर पहुँचे तो करुणा ने ऑटो में मेरी ख़ामोशी का कारन पुछा;

करुणा: मिट्टू मैं आपको कुछ पूछ रे तो आप बताते?

करुणा ने संकुचाते हुए पुछा तो मैंने मुस्कुरा कर हाँ में गर्दन हिलाई|

करुणा: आप ऑटो में चुप क्यों ता?

करुणा ने इतने प्यार से पुछा की मुझसे झूठ नहीं बोला गया और मैंने उस सब बात बताई;

मैं: दरअसल मैंने एक बार किसी से घर से भगाने की बात कही थी|

मेरी बात सुन कर करुणा की जिज्ञासा जाग गई और उसने पुछा;

करुणा: वही लड़की न, जिस से आप प्यार किया ता?

मैंने हाँ में सर हिला कर जवाब दिया| करुणा के मन में मेरे और भौजी के प्यार के बारे में जिज्ञासा देख मैंने उसे भौजी के बीमार होने की कहानी सुनाई जिसे सुन कर करुणा आँखें फाड़े मुझे देखने लगी|

करुणा: मिट्टू... आप तो...gentleman है! अभी पता चला मैं क्यों आपके साथ safe feel करते? आपका मन में मैंने अपने लिए कभी कुछ गलत feel नहीं किया, इसलिए मैं आप पर इतना trust करते!

करुणा ने बड़े गर्व से कहा|



अब चूँकि हमने बस दोपहर में की थी तो हमें जयपुर पहुँचते-पहुँचते रात के 1 बज गए| करुणा को बड़ी जोर से नींद आई थी और वो जानती थी की अभी होटल भी ढूँढना है इसलिए वो थोड़ी चिड़चिड़ी हो गई थी| किस्मत से मैं इसबार अपने साथ उस राधास्वामी होटल का कार्ड ले आया था, मैंने फ़ोन निकाला और उन्हें बताया की मैं बस स्टैंड पर खड़ा हूँ| होटल वाले फ्री pickup और drop देते थे जो मुझे उस दिन पता चला, 5 मिनट में एक टाटा सूमो हमारे सामने खड़ी थी| ड्राइवर ने हमारा सामान रखा और हमें होटल पहुँचाया, receptionist हमें देखते ही पहचान गया और उसने हमें होटल का रजिस्टर दिया ताकि हम दोनों अपनी डिटेल भर दें|

Receptionist: सर एक छोटी सी प्रॉब्लम है, कोई कमरा खाली नहीं है सुबह 6 बजे एक रूम का checkout होना है, तब तक आप दोनों को मैं Honeymoon Suite दे देता हूँ!

Honeymoon Suite का नाम सुन कर मेरी जान हलक में आ गई, वहीं करुणा को ये सब समान्य लग रहा था| मैंने किसी तरह अपने जज्बात छुपाये और सामान्य दिखने का दिखावा करने लगा| होटल के एक लड़के ने हमारा सामान उस 'Honeymoon Suite' में रखा और उसके बाद हम दोनों कमरे में दाखिल हुए| उस कमरे को देखते ही हम दोनों के माथे पर पसीना आ गया! कमरे के बीचों बीच एक Igloo था और उस Igloo के अंदर दिल की shape का पलंग था! बेड पर लाल रंग की मुलायम चादर बिछी हुई थी, उस Igloo के अंदर लाल रंग की लाइट जल रही थी, अगल-बगल दो छोटी-छोटी खिड़कियाँ थीं और कमरे में जबरदस्त ठंडा AC चल रहा था! कुल मिला कर कहें तो कमरे का माहौल पूरी तरह से रोमांटिक था, पर इस कमरे में मौजूद दोनों इंसान दोस्ती के रिश्ते से बँधे थे जो अपने पाक रिश्ते को गन्दा नहीं करना चाहते थे!



करुणा मुझसे नजरें चुराते हुए बाथरूम में घुस गई और इधर मैं पास ही पड़े सोफे पर बैठ गया| जैसे ही मैं सोफे पर बैठा तो पता चला की वो बेंत का बना हुआ था और बस दिखावे का ही सोफे था| उसपर पड़ा cushion मेरे कुल्हें में चुभ रहा था, लेकिन मैंने सोच लिया की चाहे जो हो मैं इसी सोफे पर सोऊँगा, फिर चाहे पीठ ही क्यों न अकड़ जाए!

करुणा को बाथरूम में गए हुए 10 मिनट हो चुके थे इसलिए मैंने मौके का फायदा उठा कर अपनी जीन्स उतार के पजामा पहन लिया, फिर मैंने हमारा समान एक तरफ कर सोफे पर सोने लायक जगह बना ली| तभी मन में ललक जगी की एक बार honeymoon वाले पलंग पर लेट कर तो देखूँ की कैसा लगता है? अपनी यही लालसा पूरी करने के लिए मैं उस Igloo में घुसा और पलंग पर पसर कर लेट गया, लेटने के बाद पता चला की ये गद्दा तो उस बेंत के सोफे के मुक़ाबले बहुत मुलायम था! आखिर बेमन से मैं फटाफट पलंग से उठा क्योंकि करुणा अब किसी भी वक़्त बाहर आ सकती थी, वो मुझे ऐसे लेटे हुए देखती तो पता नहीं क्या सोचती?! मैं वापस आ कर उस बेंत वाले सोफे पर लेट गया| जैसे ही उस पर लेटा तो पीठ को ऐसा लगा मानो मैं किसी खुरदरी जमीन पर लेट गया हूँ! इस वक़्त मेरा मन सोने का था इसलिए मैंने सोफे पर करवटें बदलनी शुरू कर दी ताकि किसी करवट तो चैन मिले और मैं सो सकूँ| तभी करुणा बाथरूम से बाहर निकली और मुझे यूँ सोफे पर करवटें बदलते देख उसे हैरानी हुई|

करुणा: मिट्टू...उदर क्यों सो रे?

करुणा की आवाज सुन मैंने उसकी ओर करवट ले कर देखा और बोला;

मैं: तो कहाँ सोऊँ?

मैंने हैरान होते हुए पुछा|

करुणा: पागल वो सोफे comfortable नहीं होगा, इदर आ कर सो जाओ!

करुणा हक़ जताते हुए बोली| उसकी बात सही थी इसलिए मैं उठा और igloo में घुसा, मैंने दाईं तरफ के पलंग का किनारा पकड़ लिया| मेरे घुसने के बाद करुणा igloo में घुसी और पलंग के बाईं तरफ लेट गई|



दोनों के दिलों में एक अजीब से बेचैनी थी, ये पलंग, कमरे का माहौल हम दोनों को awkward महसूस करवा रहा था, इसीलिए दोनों खामोश थे| कमरे में फ़ैली इस awkward भरी ख़ामोशी को तोड़ने के लिए करुणा ने टीवी चालु किया और गाने लगा दिए| अब मुझे आ रही थी नींद और टीवी की आवाज में मैं सो नहीं सकता था;

मैं: Dear सो जाओ, सुबह होने वाली है|

करुणा ने ये टीवी मुझसे बात शुरू करने के लिए किया था, जब मैंने उसे सोने को कहा तो करुणा को बात करने का मौका मिल गया|

करुणा: आप उस सोफे पे सो रा ता तो आपको पता मेरे को कितना awkward feel हुआ!

करुणा शिकायत करते हुए बोली|

मैं: अगर आप मुझे इस igloo में सोते हुए देखते तो awkward नहीं लगता? आपको awkward feel न हो इसलिए तो मैं उस लकड़ी के सोफे पर लेटा था|

मैंने अपनी सफाई देते हुए कहा, जिसे सुन कर करुणा के चेहरे पर मुस्कान आ गई|

करुणा: एक बात सच बताना मिट्टू, आपको कुछ feel नहीं हो रे?

करुणा ने अपने चेहरे पर एक नटखट मुस्कान लिए हुए पुछा|

मैं: बहुत अजीब महसूस हो रहा है!

ये सुन कर करुणा हँस पड़ी और बोली;

करुणा: और कुछ feel नहीं हो रे?

मैं उसका मतलब समझ गया और नटखट अंदाज में जवाब दिया;

मैं: I’m in complete control!

ये सुन कर करुणा जोर से हँस पड़ी और हँसते हुए पेट के बल मेरी ओर मुँह कर के लेट गई|

मैं: अब सो जाओ!

मैंने दूसरी ओर करवट ले ली और सिकुड़ कर सोने लगा|

सुबह ठीक 6 बजे होटल का एक स्टाफ हमें उठाने आया और उसने दरवाजा खटखटाया, मैं उस वक़्त गहरी नींद में था इसलिए मुझे उठने में समय लगा| बेचारा वो आदमी 2-3 मिनट तक दरवाजा भड़भड़ाता रहा तब जा कर मैं आँखें मलता हुआ उठा| उसने मुझे इशारे से बताया की सामने का कमरा खाली हो गया है और हम उसमें अपना समान शिफ्ट कर सकते हैं| मैंने आ कर करुणा को उठाया जो अभी तक घोड़े बेच कर सो रही थी| हमने अपना समान उठाया और दूसरे कमरे में आ कर फिर सो गए, सुबह ठीक 8 बजे मैं उठ बैठा और फटाफट तैयार हुआ| मैंने करुणा के कान के पास ताली बजा कर उठाया, वो उठी और मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगी|

मैं: जल्दी से तैयार हो जाओ लेट हो रहा है|

मेरी बात सुन कर भी करुणा पर कोई फर्क ही नहीं पड़ा और वो उसी तरह मुस्कुराते हुए मुझे देखती रही|

मैं: Dear क्यों हँस रहे हो?

मेरी बात सुन कर करुणा मुस्कुराते हुए बोली;

करुणा: कोई believe करते की हम दोनों honeymoon suite में ता और फिर भी हम अच्छा से दोस्त की तरह रहा, एक सेकंड के लिए भी हमारा मन में कुछ गलत नहीं आया!

करुणा की बात सच थी क्योंकि आजकल की दुनिया में कौन मान सकता था की एक लड़का और लड़की, honeymoon suite में एक रात बिताएँ, लेकिन फिर भी दोनों के जिस्म में एक पल को भी सेक्स की चिंगारी न भड़की हो?!

मैं: Dear अगर मैंने कभी कहानी लिखी तो ये बात उसमें जर्रूर लिखूँगा!

मैंने मुस्कुराते हुए कहा| वहीं करुणा मेरी बात सुन कर हँस पड़ी और बोली;

करुणा: उसमें ये मत लिखना की हम कुछ नहीं किया, उसमें लिखना की हम बहुत कुछ किया वरना कोई believe नहीं करते!


किस ने सोचा था की मैं सच में उस दिन का जिक्र अपनी कहानी में करूँगा?!



जारी रहेगा भाग 7(8) में...
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thank you
 

Abhi32

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ये कहानी खत्म होगी तभी तो मेरी कहानी शुरू होगी....................मेरे बारे में अभी बहुत कुछ है जो आप सभी नहीं जानते.....................लेकिन वो सब मैं इस कहानी के खत्म होने पर ही बताउंगी.....................लेखक जी कहानी को जिस छोर पर खत्म करेंगे.................वहीँ से मेरी कहानी शुरू होगी

झलकियां देखनी है तुझे.......................
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लेखक जी........................आप अच्छे हो इसलिए कुछ नहीं कहते......................जब मैं कहानी लिखूंगी तब देखना.........................किसी ने रिव्यु देने में देरी की तो लिखना ही बंद कर दूंगी...................फिर तड़पते रहना सब :girlmad:
Intezar rahega lekhika ap rahengi
 
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