वाह यहां कहानी की नायिका आपकी चिंता में आधी हुई जा रही है और नवाब साहब की मौज मस्ती ही काम नही हो रही है। ये तो हुआ नही की भौजी के सामने कान पकड़ कर 1000 उठक बैठक करके माफी मांग लो बस अपनी मस्ती काम नही होनी चाहिए। ये भी नही सोचा की बेचारी भौजी का 10 किलो वजन कम हो गया इन 2जेड3 दिन में टेंशन की वजह से।
हमे तो स्तुति मस्त लगती है, खूब मस्ती करो और अपने मंद बुद्धि पापा की गलतियों की माफी दिलवाओ दादी और मम्मी से, उफ्फ ये नन्ही सी जान और इतने बड़े काम, बेचारी स्तुति के नाजुक और छोटे कंधो पर कितनी जिम्मेदारी आ गई है। काश उस दिन भौजी ने दिशू को डंडा दे दिया होता तो लेखक महोदय के अंदर का मिथुन चक्रवर्ती जो की 1 गोली से 10 गुंडों का मार सकता है वो लेखक महोदय के पिछवाड़े से दुम दबा कर बाहर आ जाता।
चलो आगे देखते है की ये मिया तीस मार खान अपने गुस्से में और क्या गुल खिलाने वाले है। दिशु के साथ बिजनेस इस कूढ़ मगज लेखक का एक अच्छा विचार है, देखते है की आगे ये विचार क्या मूर्त रूप लेता है।
हमारी कहानी की नायिका जितनी महान है उनका दिल उससे भी बड़ा है जो इस गलती के पुतले की हर गलती माफ कर देती है अपने प्यार की वजह से। कभी कभी सोचता हूं की ये जो कहावत है कि "इंसान गलतियों का पुतला होता है" ये हमारे लेखक महोदय को देख कर ही बनी है शायद। कुल मिलकर एक ठीक ठाक से लेखक का एक बहुत ही सुंदर लेखन जो शायद इस वजह से हो पाया कि ये अपडेट मुख्यत मेरे दो प्रिय पात्रों पर लिखा गया है। इस इंसान को तो रोज भगवान का धन्यवाद करना चाहिए जिसने उससे इतनी सुशील, समझदार, भावुक, कोमल हृदय और संवेदनशील पत्नी दी है।
भौजी देखो आपकी तारीफों के कितने सारे काल्पनिक पुल बांध दिए है, अब तो खुश हो ना और लेखक महोदय गुस्सा आना स्वाभाविक है मगर कब, कितना और कहां ये आपके कंट्रोल में रहना चाहिए। बेहतरीन अपडेट।
प्रथा को कायम रखते हुए कुछ पंक्तियां, लेखक महोदय ये संसार के बहुत प्राचीन और सिद्ध मंत्रो में से एक है और इसका प्रतिदिन जाप करने से आपका वैवाहिक जीवन सदैव सुखमय रहेगा।
अरे लोग मुझे क्यूँ देते हैं ताना, हाँ मैं हूँ बीवी का दीवाना
अरे तो क्या हुआ, ज़माना तो है नौकर बीवी का
सारे शहर को आँख दिखाए, सबकी उड़ाए खिल्ली
शौहर बाहर शेर बने, पर घर में भीगी बिल्ली
घर-घर का दस्तूर यही है, बम्बई हो या दिल्ली
क्या, ज़माना तो है नौकर बीवी का
जय हो पत्नी रानी, हर पूजा से बढ़ कर देखी मैंने पत्नी पूजा,
प्यार में डूबा बीवी के तो, और नहीं कुछ सूझा,
दुनिया में खुश रहने का, कोई और न रास्ता दूजा
क्यूँ, क्योंकि ज़माना तो है नौकर बीवी का
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