• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,725
37,431
219
एकदम सही.... इस वक्त मानू जी के आंखो पर पट्टी बंधी हुई हे...उन्हे संगीता के अलावा ओर कुछ दिखाई ही नाही दे रहा...

संगीता जी जाणती हे वो चाहे कुछ भी कर ले मानू जी को मनाना आसान काम हे ....उसके लिये उनके पास ३ तिर हे - १. खाना पिना बंद कर देगी २. अपनी तबीयत खराब कर लेगी ३. रोना धोना शुरू...बस इन्मे से कोई भी एक का इस्तेमाल कर अपने गुनाह पर पर्दा दाल लेगि...

इस कहाणी मे दिखाया गया था की मानू जी अगर एक बार नाराज हो गये तो उन्हे मनाना मुश्किल हे....पर वास्तविकता मे देखा जाये तो उन्हे मनाणा बहोत आसान हे.... बस थोडी तबीयत खराब करने की देरी हे.. ओर २-४ आंसु....इतना काफी हे

मे घर से दूर आयएएस कोचिंग अकॅडमी मे रहती हू.... यहा आणे पर मेणें काई तरह के लोग देखे....कुछ ऐसे थे जो खुद गलती करते फिर सॉरी बोल उट पटांग बहाणे दे कर ऐसे हक जटते जेसे उनकी कभी कोई गळती थी ही नहीं....ऐसे लोगो को बस अपने आप से मतलब होता हे बस ओर कुछ नहीं....

संगीता जी का अंबाला मे मानू जी से मिल "जानू", शादी मत करना" ये कहना ऊसी का एक उदाहरण हे.... इस एक लाईन से ही एक तरह की खिज, नाराजगी, घुस्सा संगीता से हो गया हे मुझे....

इस रिश्ते मे मानू जी ने काफी दर्द सहे हे...जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष दर्द, आंसू ओर पिडा मे व्यतीत किये...

पर धोखा / दर्द देणे वाले से ज्यादा गलती धोखा खाने वाले की होती हे.....जब आयुष के वक्त संगीता ने अलग कर दिया था....तो जब वो वापस लोटी तब ही उस दुबारा जीवन मे आणे नाही देना चाहिए था....पर फिर एक मौका दे कर मानू जी ने अपने आप को दर्द पोहोचणे का एक ओर मौका संगीता को दे दिया...

ओर इस अवसर का संगीता जी ने भरपूर फायदा उठाया.... पीचली बार से १० गुणा ज्यादा दर्द भेट मे दिया....एक पिता के लिये इसे बडा दर्द ओर कोई नहीं की वो अपनी ओलाद को अपना न केह सके...उपर से स्तुती का मानू जी को भुल जाना इस दर्द को सिर्फ वही समज सकता हे जो उसे भुगत रहा हे...

अब भी वक्त हे संभल जाईये वरणा आप अपने आप को बहोत दर्द मे दाल लोगे.....आपकी मां का आपके अलावा कोई नहीं हे अब....जो साथ नाही हे...जो साथ नाही रेह सकते...जिन्हे आप सब के सामने अपना नाही केह सकते...उन लोगो के लिये रोने की जगह जो आपके साथ हे उन्हे खुशीया देणे की सोचिये....
आपके अपनाने से कोई अपना नहीं हो जाता....
अपना तो वो है, जो आपको अपनाता है....
 

Arjun2000

Active Member
1,439
3,028
143
एकदम सही.... इस वक्त मानू जी के आंखो पर पट्टी बंधी हुई हे...उन्हे संगीता के अलावा ओर कुछ दिखाई ही नाही दे रहा...

संगीता जी जाणती हे वो चाहे कुछ भी कर ले मानू जी को मनाना आसान काम हे ....उसके लिये उनके पास ३ तिर हे - १. खाना पिना बंद कर देगी २. अपनी तबीयत खराब कर लेगी ३. रोना धोना शुरू...बस इन्मे से कोई भी एक का इस्तेमाल कर अपने गुनाह पर पर्दा दाल लेगि...

इस कहाणी मे दिखाया गया था की मानू जी अगर एक बार नाराज हो गये तो उन्हे मनाना मुश्किल हे....पर वास्तविकता मे देखा जाये तो उन्हे मनाणा बहोत आसान हे.... बस थोडी तबीयत खराब करने की देरी हे.. ओर २-४ आंसु....इतना काफी हे

मे घर से दूर आयएएस कोचिंग अकॅडमी मे रहती हू.... यहा आणे पर मेणें काई तरह के लोग देखे....कुछ ऐसे थे जो खुद गलती करते फिर सॉरी बोल उट पटांग बहाणे दे कर ऐसे हक जटते जेसे उनकी कभी कोई गळती थी ही नहीं....ऐसे लोगो को बस अपने आप से मतलब होता हे बस ओर कुछ नहीं....

संगीता जी का अंबाला मे मानू जी से मिल "जानू", शादी मत करना" ये कहना ऊसी का एक उदाहरण हे.... इस एक लाईन से ही एक तरह की खिज, नाराजगी, घुस्सा संगीता से हो गया हे मुझे....

इस रिश्ते मे मानू जी ने काफी दर्द सहे हे...जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष दर्द, आंसू ओर पिडा मे व्यतीत किये...

पर धोखा / दर्द देणे वाले से ज्यादा गलती धोखा खाने वाले की होती हे.....जब आयुष के वक्त संगीता ने अलग कर दिया था....तो जब वो वापस लोटी तब ही उस दुबारा जीवन मे आणे नाही देना चाहिए था....पर फिर एक मौका दे कर मानू जी ने अपने आप को दर्द पोहोचणे का एक ओर मौका संगीता को दे दिया...

ओर इस अवसर का संगीता जी ने भरपूर फायदा उठाया.... पीचली बार से १० गुणा ज्यादा दर्द भेट मे दिया....एक पिता के लिये इसे बडा दर्द ओर कोई नहीं की वो अपनी ओलाद को अपना न केह सके...उपर से स्तुती का मानू जी को भुल जाना इस दर्द को सिर्फ वही समज सकता हे जो उसे भुगत रहा हे...

अब भी वक्त हे संभल जाईये वरणा आप अपने आप को बहोत दर्द मे दाल लोगे.....आपकी मां का आपके अलावा कोई नहीं हे अब....जो साथ नाही हे...जो साथ नाही रेह सकते...जिन्हे आप सब के सामने अपना नाही केह सकते...उन लोगो के लिये रोने की जगह जो आपके साथ हे उन्हे खुशीया देणे की सोचिये....

Sangita ka kuch ye vyktitv ubhr k aya h is kahani h....swarthi, apne ap m rehne wali....khud ki khushiya srwopri, jealousy apni hi betiyo se

Antim adhyay me jis trh maanu uske pero me gir bhikh mang rha tha aur wo dhutkar k chli gyi whi chij drshati h inhe kitna pyar tha maanu se....

Antim adhyay pdh kr jitna maanu k liye bura lga h....usse kai jyada sngita se nfrt ho gyi h....khas kar un 2:5 yr m manu k haal ka soch kr...unki maa ke bare m soch kr....sirf bad duaaye hi nill rhi h usk liye ...

Sngita ke aage to chandar mujhe jyada acha lga...jesa b tha muh pe tha.....kbhi jhutha pyar dikha k jajbato k sath khel kr usne kisi ko chot ni pohochai....jisse nfrt naraj rhi usse wo nfrt ant tk rhi....samne acha bol piche se war nhi Kiya usne....

Bt sngita ji to mahan h....pr hr insan ko itma hmesha yad rkhna chahiye....upr bhagwan h jo sb hisab le rha h...wha pr sngita ji ke 3 tir bhi koi kam ni ane wale
 
Last edited:

Payal22

New Member
48
141
33
Sangita ka kuch ye vyktitv ubhr k aya h is kahani h....swarthi, apne ap m rehne wali....khud ki khushiya srwopri, jealousy apni hi betiyo se

Antim adhyay me jis trh maanu uske pero me gir bhikh mang rha tha aur wo dhutkar k chli gyi whi chij drshati h inhe kitna pyar tha maanu se....

Antim adhyay pdh kr jitna maanu k liye bura lga h....usse kai jyada sngita se nfrt ho gyi h....khas kar un 2:5 yr m manu k haal ka soch kr...unki maa ke bare m soch kr....sirf bad duaaye hi nill rhi h usk liye ...

Sngita ke aage to chandar mujhe jyada acha lga...jesa b tha muh pe tha.....kbhi jhutha pyar dikha k jajbato k sath khel kr usne kisi ko chot ni pohochai....jisse nfrt naraj rhi usse wo nfrt ant tk rhi....samne acha bol piche se war nhi Kiya usne....

Bt sngita ji to mahan h....pr hr insan ko itma hmesha yad rkhna chahiye....upr bhagwan h jo sb hisab le rha h...wha pr sngita ji ke 3 tir bhi koi kam ni ane wale

आपने जो कहा वो काफी हद तक सही हे.... संगीता स्वार्थी तो हे इसामे कोई शक नाही हे....अपने बारें मे सबसे पहले सोचती हे.... ओर जो रास्ता खुद के लिये आसान ओर सही लगता हे उसी को चूनती हे..


रही बात संगीता से नाराजगी, घुस्से की तो वो मुझे भी बहोत हे उनसे...पर उनके लिये कोई बद्दुआ भी नहीं हे....मे कोई नहीं होती किसी को बद्दुआ देणे वाली....

चंदर मुझे बिलकुल भी पसंद नाही....पर अगर बात करे संगीता ओर चंदर के बीच तुलना की तो हान चंदर संगीता से काई १००० गुना अच्छा हे...

बाकी ये तो सच हे की भगवान हे ओर वो अपने तरीके से हीसाब करता ही हे -
पिता ओर बच्चो को दूर रखा हे
पिता का दर्द
नेहा का रोना वो तडप जब वो अपनी दादी के पाव मे गिर के रो रही थी
स्तुती का दर्द
२:५ साल मानू जी की तडप
इन २:५ साल मे मानू जी के मां जो दर्द सहा होगा वो

एक गलत इंसान के एक गळत फेसले ने कितनो को दर्द दिये, रुलाया इसका कुछ तो भगवान सोचेगा ही...

बाकी आगे देखते हे मानू जी अगले अध्याय मे क्या लिखते हे
 

king cobra

Well-Known Member
5,258
9,924
189
छिछोरापन मत दिखाया करो....
तारीफ के बहाने ही किस्सी-विस्सी :shocked:
Are ye to normal hug tha bhai kahe aag laga ho waise thand bahut hai :lotpot:
 

Ritz

Member
182
521
93
The big reveals tarnished the beauty of the story. A romantic story best ever and having a impression of pure love. All are myth..!!! And reality is far away of it. Sorry for that .
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,725
37,431
219

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,725
37,431
219
मानु भाई..... इन्तजार है....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,329
40,059
259
The big reveals tarnished the beauty of the story. A romantic story best ever and having a impression of pure love. All are myth..!!! And reality is far away of it. Sorry for that .
Reality is always stranger than fiction.

Aur ye story fiction samajh ke hi padhiye.

But I agree.

मानू भाई को एक नया थ्रेड बना कर बिग रिवील करना था। इसे पढ़ कर अब पिछले छूटे हुए अपडेट पढ़ने का मन ही नही कर रहा।
 
Last edited:
Top