• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance एक अनोखा बंधन (Completed)

STORY CONTINUE KARE

  • Yes

    Votes: 3 100.0%
  • No

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    3

mashish

BHARAT
8,032
25,909
218
2

“क्या मैं किसी तरह देल्ही पहुँच सकती हूँ, मेरी मौसी है वाहा?”

“चिंता मत करो, माहॉल ठीक होते ही सबसे पहला काम यही करूँगा”

ज़रीना अदित्य की ओर देख कर सोचती है, “कभी सोचा भी नही था कि जिस

इंसान से मैं बात भी करना पसंद नही करती, उसके लिए कभी खाना

बनाउन्गि”

आदित्य भी मन में सोचता है, “क्या खेल है किस्मत का? जिस लड़की को देखना

भी पसंद नही करता था, उसके लिए आज कुछ भी करने को तैयार हूँ. शायद

यही इंसानियत है”

धीरे-धीरे वक्त बीत-ता है और दोनो आछे दोस्त बनते जाते हैं. एक दूसरे के प्रति उनके दिल में जो नफ़रत थी वो ना जाने कहा गायब हो जाती है.

वो 24 घंटे घर में रहते हैं. कभी प्यार से बात करते हैं कभी तकरार से. कभी हंसते हैं और कभी रोते हैं. वो दोनो वक्त की कड़वाहट को

भुलाने की पूरी कॉसिश कर रहे हैं.

एक दिन अदित्य ज़रीना से कहता है, “तुम चली जाओगी तो ना जाने कैसे रहूँगा

मैं यहा. तुम्हारे साथ की आदत सी हो गयी है. कौन मेरे लिए

अछा-अछा खाना बनाएगा. समझ नही आता कि मैं तब क्या करूँगा?”

“तुम शादी कर लेना, सब ठीक हो जाएगा”

“और फिर भी तुम्हारी याद आई तो?”

“तो मुझे फोन किया करना”

ज़रीना को भी अदित्य के साथ की आदत हो चुकी है. वो भी वाहा से जाने के

ख्याल से परेशान तो हो जाती है, पर कहती कुछ नही.

आफ्टर वन मंथ: --

“ज़रीना, उठो दिन में भी सोती रहती हो”

“क्या बात है? सोने दो ना”

“करफ्यू खुल गया है. मैं ट्रेन की टिकेट बुक करा कर आता हूँ. तुम किसी

बात की चिंता मत करना, मैं जल्दी ही आ जाउन्गा”

“अपना ख्याल रखना अदित्य”

“ठीक है…सो जाओ तुम कुंभकारण कहीं की…हे..हे..हे….”

“वापिस आओ मैं तुम्हे बताती हूँ” --- ज़रीना अदित्य के उपर तकिया फेंक कर

बोलती है

आदित्य हंसते हुवे वाहा से चला जाता है.

जब वो वापिस आता है तो ज़रीना को किचन में पाता है

“बस 5 दिन और…फिर तुम अपनी मौसी के घर पर होगी”

“5 दिन और का मतलब? ……मुझे क्या यहा कोई तकलीफ़ है?”

“तो रुक जाओ फिर यहीं…अगर कोई तकलीफ़ नही है तो”

ज़रीना अदित्य के चेहरे को बड़े प्यार से देखती है. उसका दिल भावुक हो उठता

है

“क्या तुम चाहते हो कि मैं यहीं रुक जाउ?”

“नही-नही मैं तो मज़ाक कर रहा था बाबा. ऐसा चाहता तो टिकेट क्यों बुक

कराता?” -- ये कह कर अदित्य वाहा से चल देता है. उसे पता भी नही चलता

की उसकी आँखे कब नम हो गयी.

इधर ज़रीना मन ही मन कहती है, “तुम रोक कर तो देखो मैं तुम्हे छ्चोड़ कर कहीं नही जाउन्गि”

वो 5 दिन उन दोनो के बहुत भारी गुज़रते हैं. आदित्य ज़रीना से कुछ कहना चाहता है, पर कुछ कह नही पाता. ज़रीना भी बार-बार अदित्य को कुछ कहने के लिए खुद को तैयार करती है पर अदित्य के सामने आने पर उसके होन्ट सिल जाते हैं.

जिस दिन ज़रीना को जाना होता है, उस से पिछली रात दोनो रात भर बाते

करते रहते हैं. कभी कॉलेज के दिनो की, कभी मूवीस की और कभी क्रिकेट

की. किसी ना किसी बात के बहाने वो एक दूसरे के साथ बैठे रहते हैं. मन ही मन दोनो चाहते हैं कि काश किसी तरह बात प्यार की हो तो अछा हो. पर बिल्ली के गले में घंटी बाँधे कौन ? दोनो प्यार को दिल में दबाए, दुनिया भर की बाते करते रहते हैं.

सुबह 6 बजे की ट्रेन थी. वो दोनो 4 बजे तक बाते करते रहे. बाते करते-करते उनकी आँख लग गयी और दोनो बैठे-बैठे सोफे पर ही सो गये.

कोई 5 बजे आदित्य की आँख खुलती है. उसे अपने पाँव पर कुछ महसूस होता है

वो आँख खोल कर देखता है कि ज़रीना ने उसके पैरो पर माथा टिका रखा है

“अरे!!!!!! ये क्या कर रही हो?”

“अपने खुदा की इबादत कर रही हूँ, तुम ना होते तो मैं आज हरगिज़ जींदा ना होती”

“मैं कौन होता हूँ ज़रीना, सब उस भगवान की कृपा है, चलो जल्दी तैयार हो जाओ, 5 बज गये हैं, हम कहीं लेट ना हो जायें”

ज़रीना वाहा से उठ कर चल देती है और मन ही मन कहती है, “मुझे रोक लो

अदित्य”

“क्या तुम रुक नही सकती ज़रीना...बहुत अछा होता जो हम हमेशा इस घर में एक साथ रहते.” अदित्य भी मन में कहता है.

एक अनोखा बंधन दोनो के बीच जुड़ चुका है.

----------------------

5:30 बजे अदित्य, ज़रीना को अपनी बाइक पर रेलवे स्टेशन ले आता है.

ज़रीना को रेल में बैठा कर अदित्य कहता है, “एक सर्प्राइज़ दूं”

“क्या? ”

“मैं भी तुम्हारे साथ आ रहा हूँ”

“सच!!!!”

“और नही तो क्या… मैं क्या ऐसे माहॉल में तुम्हे अकेले देल्ही भेजूँगा”

“तुम इंसान हो कि खुदा…कुछ समझ नही आता”

“एक मामूली सा इंसान हूँ जो तुम्हे…………”

“तुम्हे… क्या?” ज़रीना ने प्यार से पूछा

“कुछ नही”

आदित्या मन में कहता है, “……….जो तुम्हे बहुत प्यार करता है”

जो बात ज़रीना सुन-ना चाहती है, वो बात आदित्या मान में सोच रहा है, ऐसा अजीब प्यार है उष्का.

ट्रेन चलती है. आदित्य और ज़रीना खूब बाते करते हैं….बातो-बातो में कब वो देल्ही पहुँच जाते हैं….उन्हे पता ही नही चलता

ट्रेन से उतरते वक्त ज़रीना का दिल भारी हो उठता है. वो सोचती है कि पता

नही अब वो अदित्य से कभी मिल भी पाएगी या नही.

“अरे सोच क्या रही हो…उतरो जल्दी” अदित्य ने कहा.

ज़रीना को होश आता है और वो भारी कदमो से ट्रेन से उतारती है.

“चलो अब सिलमपुर के लिए ऑटो करते हैं” आदित्या ने एक ऑटो वाले को इशारा किया.

“क्या तुम मुझे मौसी के घर तक छोड़ कर आओगे?”

“और नही तो क्या… इसी बहाने तुम्हारा साथ थोड़ा और मिल जाएगा”

ज़रीना ये सुन कर मुस्कुरा देती है.


आदित्य के इशारे से एक ऑटो वाला रुक जाता है और दोनो उसमे बैठ कर सिलमपुर की तरफ चल पड़ते हैं.
good update
 
  • Like
Reactions: DAIVIK-RAJ

mashish

BHARAT
8,032
25,909
218
3

ज़रीना रास्ते भर किन्ही गहरे ख़यालो में खोई रहती है. अदित्य भी चुप रहता है.

एक घंटे बाद ऑटो वाला सिलमपुर की मार्केट में ऑटो रोक कर पूछता है, “कहा जाना है… कोई पता-अड्रेस है क्या?”

“ह्म्म…..भैया यही उतार दो. आदित्य, मौसी का घर सामने वाली गली में है” ज़रीना ने कहा.

"शूकर है तुम कुछ तो बोली." अदित्य ने कहा.

"तुम भी तो चुप बैठे थे मोनी बाबा बन कर...क्या तुम कुछ नही बोल सकते थे."

"अछा-अछा अब उतरो भी...ऑटो वाला सुन रहा है." दोनो के बीच तकरार शुरू हो जाती है.

ज़रीना ऑटो से उतरती है. "अदित्य आइ आम सॉरी पर तुम कुछ बोल ही नही रहे थे."

"ठीक है कोई बात नही. शांति से अपने घर जाओ...मुझे भूल मत जानता."

"तुम्हे भूलना भी चाहूं तो भी भुला नही पाउन्गि"

"देखा हो गयी ना अपनी बाते शुरू." अदित्य ने मुस्कुराते हुवे कहा.

ज़रीना ने उस गली की और देखा जिसमे उसकी मौसी का घर था और गहरी साँस ली. "चलु मैं फिर"

थोड़ी देर दोनो में खामोसी बनी रहती है. आदित्य ज़रीना को देखता रहता है. "जाते जाते कुछ कहोगी नही" अदित्य ने कहा.

“आदित्य अब क्या कहूँ…तुम्हारा सुक्रिया करूँ भी तो कैसे, समझ नही आता”

“सुक्रिया उस खुदा का करो जिसने हमे इंसान बनाया है…. मेरा सुक्रिया क्यों करोगी?”

“कभी खाना बुरा बना हो तो माफ़ करना, और जल्दी शादी कर लेना, तुम अकेले नही रह पाओगे”

“ठीक है..ठीक है….अब रुलाओगि क्या.. चलो जाओ अपनी मौसी के घर”

“ठीक है अदित्य अपना ख्याल रखना और हां मैने जो उस दिन तुम्हारे सर पर फ्लवर पोट मारा था उसके लिए मुझे माफ़ कर देना”

“और उस हॉकी का क्या?”

ज़रीना शर्मा कर मुस्कुरा पड़ती है और कहती है, “हां उसके लिए भी”

“ठीक है बाबा जाओ अब…. लोग हमें घूर रहे हैं”

ज़रीना भारी कदमो से मूड कर चल पड़ती है और अदित्य उसे जाते हुवे देखता रहता है.

वो उसे पीछे से आवाज़ देने की कोशिस करता है पर उसके मूह से कुछ भी नही निकल पाता.

ज़रीना गली में घुस कर पीछे मूड कर अदित्य की तरफ देखती है. दोनो एक दूसरे को एक दर्द भरी मुस्कान के साथ बाइ करते हैं. उनकी दर्द भारी मुस्कान में उनका अनौखा प्यार उभर आता है. पर दोनो अभी भी इस बात से अंजान हैं कि वो ना चाहते हुवे भी एक अनोखे बंधन में बँध चुके हैं. प्यार के बंधन में.

जब ज़रीना गली में ओझल हो जाती है तो अदित्य मूड कर भारी मन से चल

पड़ता है.

“पता नही कैसे जी पाउन्गा ज़रीना के बिना मैं? काश! एक बार उसे अपना दिल चीर कर दीखा पाता…क्या वो भी मुझे प्यार करती है? लगता तो है. पर कुछ कह नही सकते”अदित्य चलते-चलते सोच रहा है.

अचानक उसे पीछे से आवाज़ आती है

“आदित्य!!! रूको….”

आदित्य मूड कर देखता है.

उसके पीछे ज़रीना खड़ी थी. उसकी आँखो से आँसू बह रहे थे.

“अरे तुम रो रही हो… तुम्हे तो अपने, अपनो के पास जाते वक्त खुस होना

चाहिए”

“तुम से ज़्यादा मेरा अपना कौन हो सकता है अदित्य… मुझे खुद से दूर मत करो”

आदित्य की भी आँखे छलक उठती हैं और वो दौड़ कर ज़रीना को गले लगा कर

कहता है, “क्यों जा रही थी फिर तुम मुझे छ्चोड़ कर?”

“तुम मुझे रोक नही सकते थे?” ज़रीना ने गुस्से में पूछा.

“रोक तो लेता पर यकीन नही था कि तुम रुक जाओगी”

“तुम कह कर तो देखते” ज़रीना सुबक्ते हुवे बोली.

“ओह्ह…ज़रीना आइ लव यू…”

“पता नही क्यों.... बट आइ लव यू टू अदित्य” ज़रीना ने कहा.

“मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि वापिस कैसे जाउन्गा”

“और मैं सोच रही थी कि तुम्हारे बिना कैसे जी पाउन्गि”

“अछा हुवा तुम वापिस आ गयी वरना देल्ही से मेरी लाश ही जाती”

“ऐसा मत कहो… मैं वापिस क्यों नही आती. अम्मी,अब्बा और फ़ातिमा को तो खो चुकी हूँ, तुम्हे नही खो सकती अदित्य”

उन्हे उस पल किसी बात का होश नही रहता. प्यार और होश शायद मुस्किल से साथ चलते हैं.

“पता है…मैं तुम्हे बिल्कुल लाइक नही करता था”

“मैं भी तुमसे बहुत नफ़रत करती थी”

“ऐसा कैसे हो गया? ये सब सपना सा लगता है” अदित्य ने कहा

“ये तो पता नही…पर मुझे हमेशा अपने पास रखना अदित्य, तुम्हारे बिना मैं नही जी सकती”“तुम मेरी जींदगी हो ज़रीना, मेरे पास नही तो और कहा रहोगी”

“पर अब हम जाएँगे कहा…. मुझे नही लगता कि हम दोनो उस नफ़रत के माहॉल में रह पाएँगे?”

“चिंता मत करो, प्यार हुवा है तो इस प्यार के लिए कोई ना कोई सुकून भरा

आसियाना भी ज़रूर मिल जाएगा”

दोनो हाथो में हाथ ले कर चल पड़ते हैं किसी अंजानी राह पर जिसकी

मंज़िल का भी उन्हे नही पता. प्यार की राह पर मंज़िल की वैसे परवाह भी कौन करता है.

जिस तरह नदी पहाड़ को चीर कर अपना रास्ता बना लेती है. उसी तरह प्यार

भी इस कठोर दुनिया में अपने लिए रास्ते निकाल ही लेता है. तभी शायद

इतनी नफ़रत के बावजूद भी दुनिया में प्यार… आज भी ज़ींदा है
beautiful update
 
  • Like
Reactions: DAIVIK-RAJ

mashish

BHARAT
8,032
25,909
218
5

“मिस्टर अदित्य पांडे एक बात बताओ. क्या आनाज़ में जान नही होती. क्या पॅडी ज़ींदा नही होती. जिस पेड़ से फ्रूट तोड़े जाते हैं क्या वो जींदा नही हैं. मार्स पर घास का एक तिनका भी नही उगता. एक घास का तिनका भी उतना ही जींदा है जितना की चिकन. अब बताओ क्या कुछ ग़लत कहा मैने.”

“मुझे नही पता लेकिन मुझे ये सब बर्दास्त नही है.”

“ये तुम्हारी प्राब्लम है मेरी नही.” ज़रीना ने कहा.

प्यार बड़ी जल्दी अपना हक़ जताने लगता है. यही बात अक्सर टकराव का कारण बन जाती है. आदित्य ज़रीना पर हक़ तो जता रहा था पर उसने ग़लत वक्त चुन लिया था. ज़रीना के लिए अपने भोजन को डिफेंड करना स्वाभाविक था. ये बात अदित्य की समझ में नही आ रही थी.

ज़रीना की भी ग़लती थी. वो ये नही समझ पा रही थी कि अदित्य का रिक्षन नॅचुरल है. उसे बहस में पड़ने की बजाए थोड़ा शांति से काम लेना चाहिए था. लेकिन ये बाते कहनी आसान हैं और करनी मुश्किल.

आदित्य फ़ौरन उठ कर बाहर आ गया. आदित्य को सामने ही हनुमान जी का मंदिर दीखाई दिया और वो मंदिर में घुस्स गया.ज़रीना को इतना बुरा लगा कि वो भी बिना खाना खाए बिल पे करके बाहर आ गयी. बाहर आकर अदित्य को ना पाकर उसकी आँखो में खून उतर आया.

“बस इतना ही प्यार था इसे मुझसे. चला गया छोड़ के मुझे. मैं ऐसे इंसान के साथ जींदगी नही बीता सकती.”

गुस्से में अक्सर हम सही फ़ैसला नही कर पाते और अपनी सोचने समझने की ताक़त खो बैठते हैं. ज़रीना इतने गुस्से में थी कि उसने तुरंत मौसी के घर जाने का फ़ैसला कर लिया. उसने ऑटो पकड़ा और सिलमपुर की तरफ चल पड़ी. हालाँकि ये बात और थी कि रास्ते भर उसकी आँखे टपकती रही.

आदित्य सोच रहा था कि ज़रीना अंदर चैन से बैठ कर खाना खा रही होगी. इश्लीए वो मंदिर से आराम से निकला. उसने रेस्टोरेंट के बाहर से ही झाँक कर देखा. ज़रीना वाहा होती तो दीखती. उसने अंदर आ कर पता किया. उसे बताया गया कि वो तो खाना खा कर चली गयी. अब वेटर बहुत बिज़ी रहते हैं. उन्हे क्या मतलब किसी ने खाना खाया या नही. उसके मूह से निकल गया कि वो खाना खा कर चली गयी. आदित्य के शीने पर तो जैसे साँप लेट गया.

उसने बाहर आ कर देखा लेकिन ज़रीना कही दीखाई नही दी. “ये प्यार इतनी जल्दी भिखर जाएगा मैने सोचा नही था.”

आदित्य ऑटो लेकर होटेल की तरफ चल दिया. उसे उम्मीद थी कि ज़रीना उसे होटेल में ही मिलेगी. लेकिन होटेल पहुँच कर वो दंग रह गया. ज़रीना वाहा होती तो मिलती. वो तो अपनी मौसी के घर पहुँच भी गयी थी और वाहा उसका बड़े जोरो का स्वागत भी हो रहा था.

आदित्य बेचारा अकेला बिस्तर पर लेट गया. “शायद वो चली गयी अपनी मौसी के यहा. अगर यही सब करना था तो कल मेरे साथ आई ही क्यों थी. कल ही चली जाती. चलो अछा ही हुवा. उसके साथ निभाना वैसे भी मुश्किल था.” ये बाते अदित्य सोच तो रहा था लेकिन सोचते सोचते उसकी अंजाने में ही आँखे भर आई थी.

“ज़रीना क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा. तुम तो ऐसी नही थी. मुझे छोड़ कर चली गयी. क्या यही प्यार था तुम्हारा. मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगा.”

ज़रीना और आदित्या दोनो को ही प्यार ने बड़ी गहरी चोट दी थी. इधर अदित्य रो रहा था उधर ज़रीना की भी हालत खराब थी. उसे लोगो ने घेर रखा था. उस से पूछा जा रहा था कि वो दंगो से कैसे बची. ज़रीना ऐसी हालत में नही थी कि कुछ भी कहे. उसका तो दिल बहुत भारी हो रहा था. वो कयि बार वॉश रूम में आकर चुपचाप सूबक सूबक कर रोई.

इस तरह प्यार के इंतेहाँ में अदित्य और ज़रीना का प्यार फैल हो गया था. और इस फेल्यूर के बाद दोनो का ही बहुत बुरा हाल था. दोनो के दिलो में एक दूसरे के लिए नफ़रत उभरने लगी थी लेकिन आँखे थी कि प्यार में आँसू बहा रही थी. प्यार भी अजीब खेल खेलता है.

प्यार को समझना बहुत मुश्किल काम है. ये बात वही समझ सकते हैं जो कभी प्यार के पचदे में पड़े हों. ज़रीना चली तो आई थी गुस्से में अपनी मौसी के घर लेकिन उसके दिल पर अदित्य से दूर हो कर जो बीत रही थी उसे सिर्फ़ वो ही जानती थी. ऐसा नही था कि नाराज़गी दूर हो गयी थी उसकी. वो तो ज्यों की त्यों बरकरार थी. लेकिन फिर भी रह-रह कर वो अदित्य की यादों में खो जाती थी.

मौसी के यहा ज़रीना को गुम्सुम देख कर सभी परेशान थे. उन्हे लग रहा था कि ज़रीना ज़रूर कुछ छुपा रही है. लोग अंदाज़ा लगा रहे थे कि शायद दंगो के दौरान कुछ अनहोनी हो गयी होगी उसके साथ, जिसे वो छुपा रही है. इश्लीए लोगो ने उस से सवाल पूछने बंद कर दिए. उन्हे क्या पता था की ज़रीना की छुपी का कारण अदित्य है.

ज़रीना कोशिस तो खूब कर रही थी हँसने की मुश्कूराने की लेकिन बार बार उसका दिल भारी हो उठता था.

“बेटा तू कुछ बोल क्यों नही रही है. जब से आई है गुमशुम सी है. हमें बता तो सही की क्या बात है.” ज़रीना की मौसी ने पूछा.

“मौसी कुछ नही बस वैसे ही परेशान हूँ.” ज़रीना ने कहा.

“अम्मी और अब्बा की याद आ रही होगी है ना. फ़ातिमा का सुन कर बहुत दुख हुवा मुझे. अल्ला उन्हे माफ़ नही करेंगे जिन्होने फ़ातिमा के साथ ये सब किया.”

“मुझे वो सब याद ना दिलाओ मौसी. बड़ी मुश्किल से भूली हूँ मैं वो सब.” बोलते-बोलते ज़रीना की आँखो में आँसू उतर आए.

मौसी ने ज़रीना को गले से लगा लिया और बोली, “मेरी प्यारी बच्ची…चल छोड़ ये उदासी कुछ खा पी ले.”

“मुझे भूक नही है मौसी अभी.” ज़रीना ने कहा.

“चल ठीक है. जब तेरी इच्छा हो तब खा लेना….ठीक है. थोड़ा आराम कर ले, बहुत थक गयी होगी. तेरे लिए वही कमरा तैयार करवा दिया है जहा तू हर बार आ कर रहती है…ठीक है.”

“शुक्रिया मौसी” ज़रीना मुश्कुरा दी.

ज़रीना कमरे में आ कर बिस्तर पर गिर गयी और फिर आँसुओ का वो तूफान उठा की थामे नही थमा. “क्यों किया अदित्य तुमने ऐसा मेरे साथ. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हे में…फिर आख़िर क्यों”

अब ज़रीना के पास अदित्य तो था नही जो कोई जवाब देता. प्यार के गम में डूबी हुई ज़रीना रोते हुवे सवाल पे सवाल किए जा रही थी जिनका उसे कोई जवाब नही मिल रहा था. बहुत रुला रहा था प्यार बेचारी को.

आदित्य की भी हालत कम नाज़ुक नही थी. पेट में चूहे कूद रहे थे लेकिन मज़ाल है कि मूह पे खाने का नाम आए. प्यार भूक प्यास सब भुला देता है. वो भूके पेट होटेल के बिस्तर पर पड़ा हुवा करवट बदल रहा था. पता नही उसे ऐसा क्यों लग रहा था कि अभी दरवाजा खुलेगा और ज़रीना अंदर आएगी. जब भी उसे अपने कमरे के बाहर आहट सुनाई देती तो वो फ़ौरन उठ कर देखता.वो दाए-बाए हर तरफ बड़े गौर से देखता. अब ज़रीना वाहा होती तो दीखती. हर बार निराश और हताश हो कर अदित्य वापिस अपने बिस्तर पर गिर जाता. हालत तो अदित्य की भी बिल्कुल ज़रीना जैसी ही थी बस फ़र्क इतना था कि उसकी आँखे इतनी नही बरस रही थी जीतनी की ज़रीना की. हां ये बात ज़रूर थी कि उसकी आँखो में हर वक्त नमी बनी हुई थी. आँसू भी टपकते थे रह-रह कर जब दिल बहुत भावुक हो उठता था.

“ज़रीना तुम्हे मुझे यू छोड़ कर नही जाना चाहिए था. मेरे बारे में तुमने एक बार भी नही सोचा. कितना प्यार करता हूँ तुम्हे और फिर भी तुमने ऐसा किया. तुम्हे माफ़ नही कर पाउन्गा मैं.” आदित्या ने अपनी आँखो के नीचे से आँसुओ की बूँदो को पोंछते हुवे कहा.

धीरे धीरे कब रात घिर आई पता ही नही चला. पूरी रात ज़रीना को नींद नही आई. आदित्य भी सो नही पाया. हां ऐसा होता है. प्यार कभी-कभी नींद भी छीन लेता है. ऐसी नाज़ुक हालत में सोना वैसे भी नामुमकिन था.

प्यार की एक इंट्रेस्टिंग बात ये भी होती है की सब नाराज़गी और नफ़रत सिर्फ़ उपर का दिखावा होती है. दिल की गहराई में कुछ ऐसी तड़प होती है एक दूसरे के लिए की उसे शब्दो में नही कहा जा सकता. ये बात कोई प्यार करने वाला ही समझ सकता है.

सुबह होते होते अदित्य और ज़रीना दोनो का ही गुस्सा ठंडा पड़ने लगा था. ज़रीना ने फ़ैसला किया कि वो दिन निकलते ही होटेल जाएगी और अदित्य के गले लग जाएगी और उस से खूब लड़ाई करेगी. बस दिक्कत की बात सिर्फ़ ये थी कि वो घर से निकले कैसे. कोई उसे अकेले कही जाने नही देगा और किसी को साथ लेकर वो अदित्य के पास जा नही सकती थी. इश्लीए जैसे ही दिन निकला वो चुपचाप घर से निकल पड़ी. देल्ही में ऑटो तो सारी रात चलते हैं. सुबह सुबह ऑटो मिलने में कोई दिक्कत नही हुई.

पर दिक्कत ये आन पड़ी कि ऑटो वाला ज़रीना को लक्ष्मीनगर की बजाए कही और ही ले आया. दरअसल ऑटो वाला नया था. उसे लक्ष्मीनगर की लोकेशन ठीक से पता नही थी बस यू ही अपने पैसे बनाने के चक्कर में चल पड़ा था अंदाज़े से.

“भैया ये कहा ले आए तुम मुझे ये लक्ष्मीनगर तो नही लग रहा.”

“ओह…ये लक्ष्मीनगर नही है क्या. ग़लती हो गयी मेडम”

ऑटो वाले ने दूसरे ऑटो वाले से लक्ष्मी नगर का रास्ता पूछा और फिर ऑटो को लेकर चल पड़ा.

होटेल पहुँचते पहुँचते सुबह के 9 बज गये. ज़रीना ने तुरंत ऑटो वाले को पैसे पकड़ाए और होटेल में घुस्स कर सीधा अपने उस रूम की तरफ चल पड़ी जिसमे अदित्य और वो एक साथ रुके थे. लेकिन पीछे से रिसेप्षन पर खड़ी एक युवती ने उसे टोक दिया.

“एक्सक्यूस मी मेडम, आप कहा जा रही हैं.”

ज़रीना मूडी और बोली, “रूम नो 114 में ठहरी हूँ मैं.”

“ओह हां मैं भूल गयी सॉरी. पर आपके साथ जो थे वो जा चुके हैं रूम छोड़ कर.”

“क्या?” ज़रीना के तो पैरो के नीचे से जैसे ज़मीन ही निकल गयी.

“कब गये वो?”

“बस अभी अभी निकले हैं”

“कहा गये वो?” ज़रीना का तो दिमाग़ ही घूम गया था.

“मेडम शायद आपने ठीक से सुना नही. वो चेक-आउट करके जा चुके हैं. अब कहा गये हैं हमें नही पता.”

ज़रीना चेहरा लटकाए हुवे होटेल से बाहर आ गयी.

“मेरा ज़रा सा भी वेट नही किया तुमने अदित्य. क्यों प्यार किया मैने तुमसे.” ज़रीना की आँखे फिर से भर आई.

बड़ा ही अजीब सा कुछ हो रहा था अदित्य और ज़रीना के साथ. ज़रीना होटेल पहुँच गयी थी और अदित्य सिलमपुर. बात सिर्फ़ इतनी थी कि दोनो ग़लत समय पर सही जगह पर थे.

आदित्य को ज़रीना की मौसी का घर तो पता था नही. हां बस गली का पता था. अदित्य पीठ पर बेग टांगे गली में चक्कर लगा रहा था. उसने किसी से ज़रीना की मौसी के घर के बारे में पूछने की जहमत नही उठाई. वो बस बार बार गली के चक्कर लगा रहा था.

“क्या वो मुझे भूल गयी इतनी जल्दी. बाहर आकर तो देखना चाहिए उसे मैं कब से घूम रहा हूँ यहा.”
amazing update
 
  • Like
Reactions: DAIVIK-RAJ

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Moderator
33,475
150,169
304
Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Moderator
33,475
150,169
304
Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
Top