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Adultery एक चौथाई इश्क एक तिहाई बदला

कहानी का पहला भाग खत्म हों गया तो पुराने पाठक अब ये बताइए , कहानी का कौन सा भाग शुरू करूं ?


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Naik

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#गताँक से आगे


Shri aur AJ dono kiss kar rahe the wahi khade ho kar

Ajinkya in thongs
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Ashi in micro bikini
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Shri , bharadwaj and ajinkya
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Ajinkya aur shri aapas me kiss kar rahe the bharadwaj bhi pichhe se shri ko kiss karne laga . Shri ne jab ye dekha to usne apna hath pichhe karke bharadwaj ko pakad liya . Aur bharadwaj ne apna hath aage karke ajinkya ka lund pakad liya.

Ajinkya achanak ye mehsoos hua to wo turant pichhe hat gaya . Use bahut ajeeb mehsoos hua tha . Aaj pehli baar kisi mard ne uske lund ko hath lagaya tha . Shri aur bharadwaj ne jab ajinkya ko alag hate hue dekha to shri boli

" Dont worry AJ ,he is bisexual bottom . He wants you to fuck his ass and mine ass pussy too ."

bharadwaj bhi haan me haan milata hua bola

" Yar AJ sex ka agar maza lena hai to khul ke jina seekho . Jab tak tum isme mard. Aurat dhoondoge tab tak tumhe maza nahi aayega . Khud ko khula chhod do , aazad kar do in samaaj ki bediyo se bas beh jaane do is nadi me . Aur chinta mat karo tumhsri gand nahi maarunga mai , bas tum hum dono ko chodna ,jitna chod sako . Lekin khule dil se . Bediyo me bandhe hue man se nahi "

ajinkya ashi ki taraf dekha to ashi usi ki taraf chali aa rahi thi

" Babu tum ab yogi ho , samaj ke bandhano se upar uth chuke ho . Jab tak tum moh maya me pade rahoge tab tak upar nahi uth sakte . To ye laaz sharm mard aurat bhool jao . Bas sambhog ka anand lo . Tum karo ,mai bas dekhungi ."

ab ajinkya bhi normal ho chuka tha wapas se aur shri ko kiss karne laga . Usi me bharadwaj ne bhi shri aur ajinkya ko kiss karna shuru kar diya tha . Ab teeno hi ek hi kiss me sammilit the .
Ab ajinkya khada tha aur dono pati pati uska lund choos rahe the

aj : hmmmmmmm aaaaaaaah aise hi .. bahut maza aa raha hai

shri & bharadwaj : :slurp: :slurp:

Porn-GIF-cc-attentivesuddenrobberfly-poster.jpg
Cheekhe ghoojne ka time shuru ho gaya h dono miya biwi ka dekhte h aage kia halat kerta h Ajinkya
Bahot khoob shaandaar update bhai
 

parkas

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#गताँक से आगे

अजिंक्य : बताओ किसके कहने पर हमारा पीछा कर रहे थे

अजिंक्य दोनो आदमियों से पूछ रहा था लेकिन वो दोनो उसे बस घूर रहे थे मौन रह कर । अजिंक्य उन्हे मार मार कर थक चुका था । वहीं आशी सामने एक पेड़ के छांव के नीचे बैठ बस देख रही थी और चिप्स खा रही थी । अब अजिंक्य भी थक चुका था और पेड़ के नीचे आ कर बैठ गया

आशी : क्या हुआ थक गए ?
अजिंक्य ने उसे देखा और मौन स्वीकृति दे दी । अब आशी उठी और खड़े होते ही उसके चेहरे पर दरिंदगी छा गई । उसके कपड़े बदल गए थे । बाल जहां पहले एक चोटी में गूंथे हुएब्थे अब वो खुल कर लहरा गए थे ।आंखे लाल हो चुकी थी और नाखून अचानक से बड़े और पैने हो गए थे ,। दोनो आदमियों के साथ अजिंक्य भी चौंक उठा था

आशी : बताओगे या मैं तुम्हारा दिल निकाल कर खा लूं

अब पहला आदमी थूक निगल कर बोला

पहला : अगर हमने कुछ बताया तो वो हमारे परिवार को मार डालेगा

आशी : और तुमने कुछ नही बताया तो मैं मार दूंगी

दूसरा : मरना तो हम वैसे भी है ।

इतना कहते हुए दोनो आदमियों ने एक दुसरे के तरफ देखा ,मुस्कुराए और अपने दांतो मे कुछ छुपा कर रखे हुए थे उसको चबा लिया और तुरंत ही उनकी गर्दन एक तरफ को झूल गई ।

ये सब इतनी जल्दी में हुआ की किसी को कु छ समझ नही आया ,अजिंक्य तुरंत दोनो के पास आया और उनकी नब्ज चेक की लेकिन वो दोनो मर चुके थे

अजिंक्य : अब क्या करें ।
।आशी : करना क्या है इन्हे यही छोड़ो और हम वापस चलते है ।

अजिंक्य : लेकिन इन्हे भेजा किसने होगा

आशी : कोई तो है लेकिन बाद में पता चल ही जाएगा

वैसे भी वहां अब रुकने को कुछ था नही तो दोनो वापस अपने घर की ओर चल दिए । दोनो ही अब अपने घर के रूम में बैठे हुए थे ।

आशी : आज मैं भी फार्महाउस चलूंगी
अजिंक्य : क्या करने ? मेरा और उस ठरकी बुड्ढी को चुदाई देखने ?

आशी : और नही तो क्या ? मै भी तो देखूं कि मेरा शिष्य की शिक्षा कहां तक पहुंची है ।

ये कह कर आशी हंस दी और अजिंक्य के सीने से लग गई दोनो ही अब शांत थे और आशी जहां अजिंक्य के सीने से चिपकी हुई थी वहीं अजिंक्य आशी के बाल पर हाथ फेर रहा था ।
"

सुनते हैं के मिल जाती है हर चीज़ दुआ से
इक रोज़ तुम्हें माँग के देखेंगे ख़ुदा से

आशी गुनगुना रही थी और अजिंक्य को ये सुन कर एक अजीब सा सुकून मिलता था लेकिन उसे ये समझ नही आता था कि ये सब तो उसने कभी आशी को बताया नही लेकिन उसे ये सब कैसे पता है । ये उसकी फेवरेट गजलों में से एक है ।

अजिंक्य : तुम्हे ये ग़ज़ल का कैसे पता

आशी : बाबू तुम मेरी जान हो , और मैं अपनी जान की हर एक चीज के बारे में जानती हू

अजिंक्य : अच्छा चलो ये बताओ तुमने उस दिन मेरी ही शायरी बोली थी ,उसके बाद की कौन सी शायरी थी

आशी : हर सूं इश्क करके क्या ही मिलेगा

कुछ अपने पास भी रखो ,तुम्हे अकेले वक्त बहुत गुजारना है

अजिंक्य अब एकदम आश्चर्य से भर उठा था । उसे एकदम याद था कि ये शायरी उसने कभी भी आशी को नही सुनाई

अजिंक्य : ये ये ये तुम्हे कहां से पता चली

आशी अब अजिंक्य से अलग हो कर बैठ गई थी और उसके आंखो में। देख रही थी

आशी : ये शायरी तुमने एक दिन तब बोली थी जब हम तुम उस बरगद के नीचे बैठे थे । और मैं तुम्हे अपना टिफिन खिला कर तुम्हारे लिए चाय लेने गई थी

अजिंक्य : पर तुम तो चाय लेने गई थी ना फिर ?

आशी : तुम्हारा ध्यान नहीं था बाबू मैं वही खड़ी थी ।

यकीन मानो मेरा अक्स तुम में घुल चुका है । मेरे लिए तुम सांसों से बढ़ कर हो । और आज से नही तब से जब से तुम्हे पहली बार मिली थीं।

अजिंक्य बस आशी को एकटक देखे जा रहा था लेकिन कह कुछ नही पा रहा था । उसे आगे बढ़ कर आशी को गले लगा लेता है और लेट जाता है बिस्तर पर ।

दोनो शाम को फॉर्महाउस पर गए थे । वहां कोई नही था । बड़े फार्म में चारो तरफ बड़ी बड़ी दीवार थी । और उन दीवारों के बीच ढेर सारे पेड़ और पेड़ो के बीच एक दो मंजिल का मकान । मकान ऐसा था कि उसमे जरूर और विलासिता की हर एक चीज थी। और मकान के सामने ही एक बड़ा स्विमिंग पूल था । अजिंक्य और आशी दोनो ही फार्म हाउस के अंदर गए । वहां उनका स्वागत श्री और भारद्वाज ने किया ।

श्री : आओ आओ आशी और AJ

श्री के साथ उसका पति भी था । और आज श्री अजिंक्य को Aj पुकार रही थी।

दोनो के हाथ में व्हिस्की के ग्लास दे दिए गए । आशी और aj सामने ही सोफे पर बैठे थे ।


श्री : आशी तुम्हे आने की क्या जरूरत थी । सुबह aj खुद ही आ जाता ।

आशी : मेरा भी आज मन किया कि लाइव सेक्स देखू इसलिए आ गई

भारद्वाज : ओहो तो आज मतलब foursome होगा

भारद्वाज खुश हो कर बोल रहा था वही श्री की आंखे अजिंक्य और आशी पर टिकी हुई n थी

आशी : नही अंकल मेरा बदन सिर्फ अजिंक्य के लिए है ।मै इसे किसी और के साथ नही बाटना चाहती । मैं तो बस आप लोगो का सेक्स देखूंगी और मन हुआ तो अजिंक्य के साथ करूंगी । सिर्फ अजिंक्य के साथ

आशी ने अपनी बात मुस्कुराते हुए स्पष्ट रूप से कह दी थी । तीनो ही उसके चेहरे को खुले मुंह से देख रहे थे ।

( अब से मैं सेक्स सीन्स रोमन फोंट्स में ही लिखूंगा )


श्री : अच्छा छोड़ो ये सब बातें । चलो पूल पर चलते है । थोड़ा बदन को ठंडा करते है । तुम दोनो ऊपर के रूम में जाओ । वहा स्विमिंग ड्रेस रखी है वो पहन लो ।

ajinkya aur ashi dono upar aa jate hai . Wahan dekha to bed par ek male thong aur ek micro bikini rakhi hui thi .

Dono hi pehan kar bahar aaye . Ajinkya ka to bas lund hi us thong me dhanka hua tha lekin wo transparent tha . Aur ashi ko pehli baar ajinkya aise kapdo me dekh raha tha . Jaane kitni hi baar use bina kapdo ke nanga dekha tha lekin bikini me pehli baar dekh raha tha to uska lund khada ho gaya tha . Ashi ye dekha to uske paas muskuraate hue aayi . Aur hontho pe apna honth rakh kar kiss karne lagi aur ek hath se uska lund masalne lagi . Thodi der tak dono kiss karte rahe phir kiss tod ashi ne kaha

ashi : apni saanso ko control karo babu . Tumhe haarna nahi hai balki haraana hai saamne wale ko tabhi wo humare gulaan ban kar humari baat manenge ye yaad rakhna .

.ajinkya : hmmm theek hai
Aur dono hi bahar aa gaye . Dono ne dekha to bharadwaj aur shri dono pool me nange ho kar ek dusre ko kiss kar rahe the . Jab shri aur bharadwaj ka dhyan in dono par gaya to dono alag ho gaye . Ashi wahi jaa kar alag ho kar ek pool chair par baith gayi apna whiskey ka glass le kar . Aur shri pool se nikal nangi hi ajinkya ke paas chali gayi . Pehle to kuch pal ajinkya ke gol ghoom kar dekhti rahi. Phir najdiik aa kar sidhe hi ajinkya ka lund hath me le liya aur ajinkya k hontho par kiss karne lagi . Aur wahi bharadwaj pool se bahar nikal ashi kepaas wali chair par baith gaya aur whiskey ke 3 peg banaane laga .

ashi : uncle jao aap bhi join karo

bharadwaj jaise apne soch se bahar aaya aur ashi ko aankho me dekhne laga .

ashi muskurate hue boli

ashi : mujhe pata hai aap bisexual ho . Aur dont worry ajinkya will tear your ass and her pussy too .

bhradwaj : tumhe bahut vishwas hai ?

ashi : khud se jyada

bharadwaj : agar aisa hua to yaad rakhna hotel wala contract tum logo ka aurtum dono ko politics me bhi introduce karwaung lekin ajinkya aisa nahi kar paya to tum dono humare gulam rahoge aur mai tumse sex karunga

ashi muskuraate hue apna angutha utha kar bolti hai

AShi : deal done .jaiye ab aap bhi . Mai yahan baith kar aaj live bisexual porn movie dekhungi



**** To be continued ****
Nice and beautiful update....
 

parkas

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#गताँक से आगे


Shri aur AJ dono kiss kar rahe the wahi khade ho kar

Ajinkya in thongs
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Ashi in micro bikini
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Shri , bharadwaj and ajinkya
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Ajinkya aur shri aapas me kiss kar rahe the bharadwaj bhi pichhe se shri ko kiss karne laga . Shri ne jab ye dekha to usne apna hath pichhe karke bharadwaj ko pakad liya . Aur bharadwaj ne apna hath aage karke ajinkya ka lund pakad liya.

Ajinkya achanak ye mehsoos hua to wo turant pichhe hat gaya . Use bahut ajeeb mehsoos hua tha . Aaj pehli baar kisi mard ne uske lund ko hath lagaya tha . Shri aur bharadwaj ne jab ajinkya ko alag hate hue dekha to shri boli

" Dont worry AJ ,he is bisexual bottom . He wants you to fuck his ass and mine ass pussy too ."

bharadwaj bhi haan me haan milata hua bola

" Yar AJ sex ka agar maza lena hai to khul ke jina seekho . Jab tak tum isme mard. Aurat dhoondoge tab tak tumhe maza nahi aayega . Khud ko khula chhod do , aazad kar do in samaaj ki bediyo se bas beh jaane do is nadi me . Aur chinta mat karo tumhsri gand nahi maarunga mai , bas tum hum dono ko chodna ,jitna chod sako . Lekin khule dil se . Bediyo me bandhe hue man se nahi "

ajinkya ashi ki taraf dekha to ashi usi ki taraf chali aa rahi thi

" Babu tum ab yogi ho , samaj ke bandhano se upar uth chuke ho . Jab tak tum moh maya me pade rahoge tab tak upar nahi uth sakte . To ye laaz sharm mard aurat bhool jao . Bas sambhog ka anand lo . Tum karo ,mai bas dekhungi ."

ab ajinkya bhi normal ho chuka tha wapas se aur shri ko kiss karne laga . Usi me bharadwaj ne bhi shri aur ajinkya ko kiss karna shuru kar diya tha . Ab teeno hi ek hi kiss me sammilit the .
Ab ajinkya khada tha aur dono pati pati uska lund choos rahe the

aj : hmmmmmmm aaaaaaaah aise hi .. bahut maza aa raha hai

shri & bharadwaj : :slurp: :slurp:

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Nice and awesome update....
 

andyking302

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गतांक से आगे


उधर आशी किचन की स्लैब पर हाथ रख कर खड़ी थी और अपनी उखड़ी सांसे दुरुस्त कर रही थी । और अजिंक्य अपने बेडरूम के बेड पर यूं ही नंगा बैठा हुआ था और स्तिथियां समझ रहा था । कुछ देर बाद वो उठा और चल दिया किचन की तरफ जहां आशी खड़ी थी पीठ करके । जा कर आशी की पीठ से चिपक कर खड़ा हो गया और थोड़ा झुक कर उसके गर्दन पर अपने होंठ लगा दिया । होंठ का स्पर्श होते ही आशी के बदन में झुरझरी सी दौड़ गई और जो धड़कन धीरे धीरे सामान्य होने लगी थी वो वापस से मानो विस्फोट की ओर तेजी से दौड़ने लगी थी । अजिंक्य लगातार उसकी गर्दन पर चूम रहा था और काट रहा था उसके दोनो हाथ आशी के उरोजो को मसल रहे थे और अजिंक्य का लिंग आशी के कूल्हों के बीच में चुभ कर उसकी योनि में रस की मात्रा बढ़ा रहे थे । आशी के हाथ अजिंक्य के बाल सहला रहे थे । अजिंक्य ने अचानक से आशी को अपनिंतरफ घुमाया और उसे गोद में उठा कर बेडरूम में लाया और बेड पर लिटा दिया । आशी के ऊपर लेट कर उसके पैरो के बीच आया और आशी की आंखो में देखा मानो उससे इजाजत मांग रहा हो । आशी ने भी अपनी पलके झपका कर उसे इजाजत दे दी आगे बढ़ने की । कोई फोरप्ले की जरूरत ही नही थी इन्हें आज । अजिंक्य ने अपने लिंग को आशी की योनि के मुहाने पर लगाया और एक धक्का मारा । आशी की चीख निकल गई । ये आशी का पहली बार था और अजिंक्य का लिंग भी मोटा था । आशी की आंखो के कोरो से आंसू बह निकले । अजिंक्य ने फिर एक धक्का मारा और अपना पूरा लिंग आशी की योनि में बच्चे दानी तक डाल दिया । आशी दर्द के मारे चिल्ला दी और अजिंक्य के पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिए । अब अजिंक्य आशी के होंठो पर किस करना शुरू किया और शर्ट के ऊपर से उसके चूंचियों को मसलने लगा । जब दर्द थोड़ा हल्का हो गया तो अजिंक्य ने धक्के मारने शुरू किए और आशी ने अपनी दोनो टांगो को हवा में उठा कर उन्हे पकड़ लिया ताकि अजिंक्य अच्छे से धक्के मार सके । इधर अजिंक्य ने आशी की शर्ट पूरी खोलदी और उसके चुचियों के निप्पल को चुटकी में पकड़ जोर जोर से धक्के मारने लगा । थोड़ी ही देर में आशी का पानी निकल गया और उसके साथ साथ अजिंक्य का भी । दोनो एक दूसरे के बगल में लेट कर हांफने लगे । आशी करवट ले कर अजिंक्य के सीने के ऊपर अपना सर रख कर लेटी हुई थी । दोनो बहुत से समय तक लेटे रहे। और मोबाइल में बजते गाने सुन रहे थे

* वो भी शाम भी अजीब थी
ये शाम भी कुछ अजीब है "

अचानक आशी ने थोड़ा ऊपर उठते हुए अजिंक्य की आंखो मे देख कर पूछ लिया " सुनो ना , अगर मैं तुमसे कुछ मांगू तो तुम दे सकते हो ? "

अजिंक्य ने आशी की आंखो में देख कर जवाब दिया " अगर हैसियत में हुआ तो जरूर दूंगा "

आशी बोली " हैसियत में ही हैं ,बस तुम देने का वादा करो "
अजिंक्य मुस्कुराते हुए बोल दिया " ठीक है दूंगा !! "

आशी वापस उसकी आंखो मे देखते हुए बोल पड़ी " बस मुझसे हर एक बात सच सच बता दो , तुम कहा थे ३ साल , वो ३० जून को तुम बोल कर गए थे कि तुम्हारा इंतजार करु तुम वापस आओगे , पर आए नही । और अब आए हो तो अपने जिस्म में इतने घावों के निशान और आंखो मे मुर्दे की ठंडक ले कर आए हो । तुम्हे हुआ क्या है ,वहां क्या हुआ जो तुम ऐसे हो गए । इतने घाव कैसे लगे , वो अंशुल का क्या हुआ जिसकी वजह से तुम मुझे मेरे प्यार को कभी अपना नही पाए । प्लीज तुम्हारे हाथ जोड़ रही हूं मुझे सब कुछ सच बताओ "

इतना कहते हुए उसके आंखो में आंसू हो गए जो लुढ़क कर अजिंक्य के गालों पर टपक गए । अजिंक्य उठा , आशी के पहले माथे पर किस किया फिर उसके होंठो पर किस किया। उसके बाद उसके एक निप्पल को मुंह में ले कर चूसने लगा और दूसरे चूंची को अपने हाथ से मसलने लगा। आशी की वापस से मादक चीत्कार निकलने लगी थी और बोल रही थी " और जोर से अजिंक्य और जोर से । हम्मम खा जाओ इन्हें " इस तरह से आशी के दोनो निप्पल चूस कर उठ खड़ा हुआ और खूंटे पे टांगे हुए अपने जींस से सिगरेट का पैकेट निकाल कर सिगरेट सुलगा लिया । इधर आशी गुस्से से अजिंक्य को गुस्से से देख रही थी k wo अचानक ऐसे क्यू उठ गया । एक बार आशी की तरफ देखने के बाद अजिंक्य बोल पड़ा " अब वक्त आ गया है आशी , कि तुम्हे अपना सच बता दू ,अपने। ऊपर बीते बीते एक हर दर्द की कहानी बताऊंगा । "

इतना कह कर वो सिगरेट सुलगा कर नंगा ही बालकनी के तरफ जा कर दरवाजे से टिक कर खड़ा हो गया



To be continued
Nice जबरदस्त भाई
 

andyking302

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गतांक से आगे

अजिंक्य को शून्य में ताकते हुए सिगरेट पीते देख आशी बिस्तर से उठी ।उठते ही उसके बदन से चिपकी चादर जमीन पर गिर पड़ी जिससे उसका नंगा जिस्म रोशनी में आते ही चमक उठा । वो अजिंक्य को पीछे से पकड़ कर उसके बदन से चिपक गई और पीठ पर किस करते हुए बोली " तुम अपना सच बताओ ,मै अपना सच बताऊंगी ।"

इतना सुनते ही अजिंक्य पीछे पलटा और आशी के आंखो में आंखे डाल गौर से देख कर बोला " कौन सा सच "

" यही कि मैंने तुम्हारे जाने के २ साल तक क्या किया , और मेरे साथ क्या क्या हुआ "

आशी अपनी निगाहे फेर कर अजिंक्य के बैठे लंड को हाथ में पकड़ कर उसे आगे पीछे करते हुए बोली

अजिंक्य चिहुंक पड़ा आशी की ये हरकत से , वही पड़ी हुई कुर्सी अपने पास खींच लिया ,कुर्सी पर बैठ कर आशी को अपने गोद में खींच लिया ।आशी अजिंक्य के गोद में बैठते ही अपने दोनो पैर अजिंक्य के पैरो के दोनों तरफ कर लिए और उसका खड़ा लंड अपनी चूत में डालने लगी धीरे धीरे । अजिंक्य आशी की कमर को पकड़ कर नीचे की ओर दबाता रहा और अपने होंठो से आशी के एक निप्पल को चूसता रहा। आशी अब पूरी तरह से अजिंक्य के लंड को अपने चूत की गहराइयों में ले चुकी थी और धीरे धीरे हिलने लगी ।
" चलो अब बताओ " आंखे बंद करके हल्के से अजिंक्य के कान में आशी बोली

अजिंक्य आशी के निप्पल से मुंह हटा कर अपने दोनो हाथो को आशी की कूल्हों पर रख उन्हें दबाता है और बोलना शुरू करता है

" कहानी काफी बड़ी है ,शॉर्ट में समझाने की कोशिश करूंगा "

" हम्म आआआआह ठीक है " आशी हल्के से कराहती हुई बोली

अजिंक्य ने बोलना शुरू किया

" तुम्हे तो मैने बताया था न कि मुझे कुसुमपुर में एक लड़की से बेहद प्यार करता था "

"हम्मम। " आशी अजिंक्य के निप्पलों से खेलते हुए बोली

" मुझे जब मां ने पापा को तबियत खराब होने के वजह से जल्दबाजी में गांव बुलाया था तो मुझे लगा था एक आध हफ्ते में वापस आ जाऊंगा ।इसलिए तुम्हे बताया नही था ।वहा गया तो पापा को हॉस्पिटल में एडमिट करवाया । वहां वो लड़की , उस लड़की का नाम अंशुल ठाकुर था । गांव के सबसे रसूखदार की लड़की थी वो । लेकिन जाने कैसे उसे मुझसे प्यार हो गया था । हम दोनो ही एकदूसरे से शादी करना चाहते थे पर उसके बाप पर पैसे का भूत और अहंकार चढ़ा हुआ था । वो रोज पापा को हॉस्पिटल में देखने आती थी । और एक दो दिन तो मेरे साथ मेरे घर पर भी रुकी थी , जहां हमने सेक्स भी किया । पापा मम्मी दोनो को वो बहुत पसंद थी । चाहते थे अंशुल घर की बहु बने । पापा मम्मी उसके घर भी गए थे उसके बाप से बात करने पर उसके बाप ने मम्मी पापा को बेइज्जत करके भेजा । और मेरे बारे में जाने क्या क्या बोला और खुदकुशी करने की धमकी दे कर मुझसे शादी न करने के लिए मना लिया । जब मुझे पता चला तो मैं उसके घर गया , मुझे वहा अंशुल मिली तो मैं उसे ले जाने लगा , लेकिन अंशुल ने ये कह कर मना कर दिया कि मेरी औकात ही क्या है , मेरे पास दौलत ही नही है जिससे वो खुश रहे ।


मुझे बहुत दुख हुआ और गुस्सा आया मैं उसको ले जाने को कोशिश में उसका हाथ पकड़ा और ले जाने लगा। ,तो उसने मुझे थप्पड़ मार दिया । उसके बाप के लोगो ने मुझे बहुत मारा और बाहर रास्ते में फेंक दिया । मै कुछ दिनों में ठीक हुआ तो मम्मी पापा ने बोला कि वो जा कर अंशुल को और अंशुल के बाप को समझाएंगे । और वो निकल गए । शाम को पता चला जब कोई आ कर मुझे बताया कि मेरे मां बाप को लाश चौराहे के बरगद के पेड़ के चबूतरे पर पड़ी हुई है । मै भागा , वहा जा कर देखा तो मेरे मां बाप मरे पड़े थे । उसके शरीर में चोटों के निशान थे । क्या करता मै , टूट चुका था मैं ,नफरत हो चुकी थी कि मैंने किस्से प्यार किया था । उनकी लाशों का क्रियाकर्म किया और उनके चिता की आग पर सौगंध ली थी कि अंशुल और उसके पूरे खानदान को मार दूंगा । मै गया भी था मारने। ,पर मैं अकेला और वहां उसके पास पूरी फौज थी । मुझे तीन गोली मारी गई थी ,और मुझे नहर में फेंक दिया गया था । पर तुम्हे वो मेरे दोस्त पता है ना दोनो लफंदर । उन्होंने मुझे बचाया । और छुपा कर रखा था दूसरे शहर में । मुझे पूरे तरह से ठीक होने में १० महीने लगे । और अब तुम्हारे सामने हू , मै अपनी इस हालत और अपने मां बाप के कत्ल का बदला लेने के लिए वापस आया हूं । यहां से मेरा बदला शुरू होगा । पर कहां से क्या शुरू करु ये समझ नही आ रहा ।

बस ये है मेरा सच , अब तुम बताओ "


इतना कह कर अजिंक्य ने आशी के दोनो निप्पल को अपनी चुटकी में ले कर मसल दिया । आशी अभी भी अजिंक्य के लंड को अपनी चूत में ले कर हिल रही थी । इतना सब सुन कर आशी ने रोते हुए अजिंक्य के होंठो को अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगी । पहले ऊपर के होंठो को चूसा फिर नीचे के होंठ को चूसने काटने लगी । और अब जोर से अपने कूल्हों को उठा कर अजिंक्य के लंड पर कूदने लगी । अजिंक्य ने आशी के कोल्ड दबोच रखे थे । अपने दाएं हाथ की बीच वाली उंगली आशी में मुंह में डाल दी जिसे आशी अच्छे से चूसने लगी जब वो थूक से सराबोर हो गई तो अजिंक्य वो उंगली आशी के मुंह से निकाल कर नीचे ले कर जा कर आशी के गांड के छेद में डालने लगा । जिससे आशी पहले तो चिहुंक गई और जोर जोर से अजिंक्य के होंठो को चूसने काटने लगी । अब अजिंक्य वो उंगली अंदर बाहर करने लगा। और इस दोहरे हमले से आशी दोहरी हालत में हो गई और जल्दी ही अपनी पानी छोड़ दी और इसके पीछे पीछे अजिंक्य ने भी अपना सफेद पानी आशी की चूत में उड़ेल दिया और दोनो एक दूसरे के सीने से लग कर हांफने लगे ।

अब आशी आंख खोल कर अजिंक्य को देखी और उसके लंड और गोद से उठ खड़ी हुई । जिसे चूत से लंड बाहर निकला तो आशी को हल्का दर्द हुआ जिससे वो कराह उठी । और खड़े होते ही आशी के चूत से अजिंक्य और आशी के पानी बाहर निकलने लगा । वो खड़ी हुई और बिस्तर पर जा कर लेट गई और अजिंक्य उठ खड़ा हुआ सिगरेट सुलगा कर आशी के चेहरे पर टिका दिया ।

" हम्म्म मेरा सच ... सुन पाओगे तुम ?? "



to be continued
जबरदस्त भाई
 

andyking302

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गतांक से आगे


" सुनने और समझने दोनो की कोशिश करूंगा " कह कर अजिंक्य ने सिगरेट लंबा कश खींचा जिससे उसे खांसी आ गई । ये देख कर आशी जल्दी से उठी अजिंक्य के हाथोंसे सिगरेट छीन कर फेंक दी और उसकी पीठ थपथपाने लगी । (ये वाला सीन मेरे साथ हुआ इसलिए लिख दिया) रसोई से पानी ला कर दिया और गुस्से से बोली " कितने बार बोल चुकी हू ये सिगरेट छोड़ने के लिए पर तुम बात क्यू नही सुनते मेरी "
अजिंक्य अब तक खुद को संभाल चुका था बिस्तर पर बैठते हुए बोला " जल्दी ही छोड़ दूंगा , अच्छा ये सब छोड़ो तुम अपना सच बताने वाली थी "

ये सुनते ही आशी को ध्यान आया तो वो कुर्सी पर बैठ गई और अजिंक्य को ध्यान से देखने लगी और पूछी " क्या तुम वो सच को सुन कर भी मुझे अपना पाओगे पहले ये बताओ "

अजिंक्य अब झुंझला गया था अपने शब्दो पर जोर देते हुए बोला " यार ये क्या बात हुई । अब दुनिया में मेरे पास तुम्हारे अलावा और है ही कोई अपना कहने वाला । तुम बस वो सच सुनाओ "

ये सुन कर आशी के होंठो पर मुस्कुराहट तैर गई और बोलना शुरू की " तुम बिना बताए चले गए थे तो कुछ दिन तो सब सही रहा ,फिर कुछ दिनों बाद तुम्हारे न रहने से मैं उदास होती चली गई , ना तुम्हारा फोन लगता , ना तुम्हारा गांव ही पता था मुझे और तुम्हारे बारे में किसी को पता भी नही था ,मै बहुत जगह तुम्हारे बारे में पूछताछ की लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा था । फिर एक रात तुम्हारे नंबर से मुझे एक एसएमएस मिला जिसमे लिखा कि तुम्हे भूल जाऊं और तुम वापस कभी नही आओगे । मैने इस मैसेज का जवाब भी भेजा ,तुम्हे कॉल भी किए पर तुम्हारा नंबर बंद था । मै पागलों की तरह तूम्हे चाहने लगी थी ,जहां अक्सर हम चाय पीने जाते थे वही मेरी दिन से दोपहर और दोपहर से रात होती थी । मेरी हालत बदतर होती जा रही थी तुम्हारी याद में "

इतना कह कर आशी उठी और अजिंक्य के सीने को धक्का मार कर उसे बेड पर सुला दिया और उसके जांघो पर बैठ कर उसके लंड से खेलने लगी ।

" हम्म्म आगे " कांपती आवाज़ में अजिंक्य ने बोला

" फिर एक दिन तुम्हारे नंबर से मुझे एक मैसेज मिला जिसमे लिखा था नहर के पास वाले खाली मैदान में शाम को आ जाओ तुम अंतिम बार मुझसे वहीं मिलोगे , और मैं पागलों जैसे खुशी खुशी वहां चली गई बिना आगे कुछ सोचे " इतना कहते कहते आशी ने अजिंक्य के लंड की चमड़ी पीछे खींच कर एक बार में भी जड़ तक लंड मुंह में लिया ,और मुंह के अंदर ही जीभ से लंड के आसपास घुमाने लगी और कुछ देर रुक कर पूरा लंड बाहर निकाल फिर से उसको आगे पीछे हिलाने लगी ।

" पर मेरे पास तो मेरा फोन था ही नही , जब अंशुल के घर में उसके गुंडों ने मुझे पहली बार पीटा था तभी मेरा फोन कहीं गिर गया था और न पहले वाला मैसेज और न दूसरा वाला मैसेज मैने किया था "। अपनी आंखे मजे से बंद करके के लंड चुसाई का मजा लेते हुए कापती हुई आवाज में अजिंक्य ने जवाब दिया था ।

" हां तो मुझे क्या पता था ये सब , अच्छा तुम आगे सुनो ना यार । वहां नहर के पास मैं अंधेरा होने पर गई , वहां तुम्हे ढूंढी पर तुम मिले नही । मै परेशान हो कर। रोने लगी तभी वो बरगद का पेड़ जहां तुमने और मैने एक कपड़ा बंधा था कभी । वहां से ३ लोग निकले । उन्हें देख कर मैं डर गई थी । भागने की कोशिश की पर उन्होंने पकड़ लिया । मै बहुत रोई ,चीखी चिल्लाई ,गिड़गिड़ाई ,भीख मांगी कि मुझे छोड़ दो , पर उन्होंने मुझ पर रहम न किया , तीनों ने मेरा बलात्कार किया , और ये भी कहां कि तेरे यार को तो मार कर फेंक दिया है। ,अब तेरी बारी है । उन तीनो ने मेरे साथ बार बार बलात्कार किया " ये कह कर आशी उठी और बिस्तर के नीचे से पानी की बॉटल निकाल पानी पीने लगी और इतना सुनते ही अजिंक्य की बंद आंखे खुली और उनमें आंसू आ गए आशी को गले लगाते हुए बोला " बाबू तुमने मेरे वजह से कितना कुछ सहा है । मुझे माफ कर दो प्लीज । मुझे माफ कर दो । मै तुम्हारा गुनहगार हू । पर तुमसे वादा करता हू उसके खानदान और उससे जुड़े हुए लोगो के खानदान के एक एक शक्स को मार डालूंगा मैं " ये कह कर उसने आशी को गले लगा लिया।

" ओहो पूरा तो सुनो ना वरना मैं नही बताने वाली " आशी रूठने का अभिनय करते हुए बोली।

अजिंक्य बोल उठा " अच्छा सॉरी , तुम बोलो। तुम बोलो "

आशी ने वापस अजिंक्य को धक्का दे कर सुला दियाबौर उसके लंड को फिर से हिलाने और चूसने लगी

" हां तो मैं कहां थी , जा बलात्कार पे । उन लोगो ने जाने कितने बार उस बरगद के पेड़ के नीचे मेरा बलात्कार किया फिर उसके बाद मेरे दुपट्टे से मेरा गला घोंट दिया । कुछ देर बाद मुझे होश आया तो मैं उठी और वहां से जाने लगी पर मैं आगे बढ़ ही नही पा रही थी । मैने देखा मेरा पैर किसी चमकीली रस्सी से बंधा हुआ है । और जब मैने उस रस्सी का छोर ढूंढा तो मैं बहुत डर गई। ,क्यू कि वो रस्सी किसी के शरीर से बंधी हुई थी । मै डरते डरते उस शरीर के पास गई और देखा तो बहुत ज्यादा डर गई क्यू कि वो शरीर मेरा ही था । पर ये कैसे मुमकिन था ,मै तो यहां खड़ी हूं तो ये जमीन पर किसका शरीर है । मै उस शरीर को छूने की कोशिश की तो मैं उसे छू नही पा रही थी। मेरा हाथ आरपार हो रहा था । ये क्या मायाजाल था । लेकिन फिर मुझे समझ में आ गया था कि मैं मर चुकी हू और ये मेरी आत्मा है जो मेरे ही शरीर से बाहर बैठ कर रो रही है । जाने कब तक मैं वहां बैठी रही । फिर वहां एक बहुत खूबसूरत औरत आई । और मेरे शरीर को खींच कर ले जाने लगी । मै गुस्से में उठी और उसका हाथ पकड़ ली । पर ये क्या मैं उस हाथ को छू कैसे पा रही थी । मै आश्चर्यचकित थी । वो औरत मुझे देख कर रुक गई और पूछी , तू अभी तक अपने शरीर के पास कैसे है । तुझे कोई ले जाने वाला नही आया क्या । मैने उसे अपने साथ घटित सब बताया । उसने मुझे बताया कि मरते समय तेरी कोई इच्छा बहुत बलवती थी इसलिए तेरी आत्मा इस शरीर को छोड़ नही पा रही है । और तेरे साथ बहुत गलत हुआ है । मै चाहूं तो तुझे वापस इस शरीर में डाल सकती हूं । पर बदले में मुझे क्या मिलेगा । मेरे पास देने को था ही क्या । क्या दे सकती थी । मैने बोला कि मां मेरे पास तो देने के लिए अब खुद का जीवन भी नही है , वरना वही आपको अर्पण कर देती । पर आप ये तो बताओ आप हो कौन । वो औरत इस बात पर हंसी और। बोली , मै इसी बरगद पर रहने वाली यक्षिणी हूं । मेरा नाम रतिप्रिया है । जब तुम और वो लड़का यहां एक कपड़ा बांधने आए थे तब से मैं तुम्हारी ही राह ताक रही थी । मैंतुझे वापस जीवित कर सकती हूं ,शक्तियां भी दूंगी ,रूप सौंदर्य सब दूंगी पर बदले में मुझे तेरे पति या प्रेमी के साथ काम सुख चाहिए । मै तेरे ही शरीर में तेरी आत्मा के संग बंध कर निवास करूंगी । बोल मंजूर हो तो क्रिया शुरू करु । मै क्या करती , मुझे तुमसे मिलना था , इन सब से बदला लेना था तो मैंने हां कर दिया " और ये कहते कहते आशी अजिंक्य के लंड को तब तक हिलाती रही जब तक उसका काम रस न निकल गया । कामरस के निकलते ही आशी ने लंड पे मुंह लगाया और पूरा चाट गई । अजिंक्य वापस होश में आते हुए गौर से आशी के चेहरे को देखते हुए पूछा

" तो वो यक्षिणि कहां गई "

इतना सुनते ही आशी खड़ी होती है , अचानक उसके शरीर पर स्वर्ण आभा युक्त वस्त्र आ जाते है , उसके खुले कमर से भी नीचे लंबे बालों की चोटी अपने बन जाती है । चेहरे पर चमक ,आंखो मे , काजल आ जाता है और मुस्कुराते हुए कहती है

" मै ही हूं यक्षिणि । यक्षीणी रतिप्रियां "




Bhai ye kya tha एकदम se itbna bada zataka diya yar

But update लाजवाब tha
 

andyking302

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गतांक से आगे


इतना सुनना था कि अजिंक्य डर के वजह से बिस्तर से नीचे गिर गया और एकतरफ सरक कर कोने में बैठ गया । ये देख आशी को हंसी आ गई । वो मुस्कुराते हुए अजिंक्य के पास आई और अपने घुटने के बाल बैठ कर अजिंक्य के चेहरे को अपने दोनो हथेलियों से प्यार से पकड़ कर बोली

" अरे मेरी जान तुम्हारे ही प्यार के चक्कर में तो मैं मर भी नही पाई । तुमसे दूर नही जा पाई । बस ये समझ मेरे बाबू कि तुम्हारी और मेरी जान एक दूसरे से बंध गई है । और जब तक तुम्हे जिंदा हो ,मै जिंदा हू और अब मेरे रहते तुम्हे कोई उंगली भी लगा दे तो उसे फाड़ कर उसके सीने से रक्त पी जाऊं "

अजिंक्य उसकी आंखो में बसे प्यार को समझ कर सहम कर बोला " पर तुम तो यक्षिणी हो ना भूत हो "

ये सुन कर आशी हंसती हुई एकतरफ को चलती गई और उसके जिस्म से वो स्वर्ण आभूषण और वस्त्र गायब होते गए और वो वापस नग्न अवस्था में आ गई । बिस्तर पर बैठते हुए बोली

" समझ लो बाबू , ये ही मेरा अब जीवन है । तुम्हे प्यार सिर्फ मै करूंगी लेकिन तुमसे संभोग हम दोनो करेंगे । और तुमसे शादी भी हम दोनो करेंगे "

अजिंक्य अब तक सामान्य हो चुका था और वापस से आशी के मांगने चूंचे और चूत देख कर दिल बहकने लगा था । वापस बिस्तर पर एक तरफ बैठते हुए दृण्हता से बोला


" जब तक मैं उन सभी लोगो से बदला न ले लूं तब तक मैं शादी नही करूंगा "

आशी वापस से अजिंक्य के पास आ गई थी और उसके चिपक कर उसके लंड से खेलने लगी और बोली
" मेरे भोले बालम ,बिना पैसे के उन अमीरों से कैसे लड़ोगे ? बिना पैसे के तुम्हारा कोई साथ न देगा । और पैसा तभी दे पाऊंगी जब तुम हमसे विवाह करोगे । तभी उन पैसों पे और मेरी शक्ति पे हक पा पाओगे "

" हम्मम " कुछ सोचते हुए अजिंक्य बोला

" तो अजिंक्य बाबू जल्दी से जल्दी हमसे विवाह करो । और एक काम करना होगा तुम्हे "

" कौन सा काम " अजिंक्य चौंकते हुए पूछा

" तुम्हे बदला लेने के लिए कुछ शक्तियों की भी जरूरत पड़ेगी । जाओ जा कर उस तांत्रिक से मिलो। "

आशी अजिंक्य के लंड के ऊपर अपनी चूत रगड़ते हुए बोली

अब अजिंक्य के बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई थी , एक तो उसके लंड पे चूत घिसने से और दूसरा तांत्रिक के बारे में सुन कर

" तुम्हे कैसे पता वो बूढ़े बाबा के बारे में "

" जानेमन तुम फिर भूल गए , मै एक यक्षणी हू , मै सब देख सकती हूं ।"

खुद पे गर्व करते हुए आशी बोली ।

" तुम्हे उस तांत्रिक से मिलने जाना होगा । साथ में मै भी चलूंगी हर जगह । जहां जहां तुम जाओगे वहां वहां मैं जाऊंगी। "

" हां कल ही चलते है सुबह कुसुमपुर , लेकिन तुम अपने मम्मी पापा से क्या बोलोगी "

अजिंक्य अब आशी को अपने नीचे ले लिया था और उसकी दोनो टांगे अपने कंधे पे ले कर अपना लुंड उसकी चूत पर रखा और घिसने लगा

" हम्मम आह बाबू एक बार डाल दो जोर लगा कर "
आशी अपने पैरो के घुटनो को अपने सीने से लगा कर दोनो तलवों को अपने हाथो से पकड़ कर बोली ।
इतना सुनना था कि अजिंक्य ने अपना पूरा दम लगाया और एक ही बार में उसका लंड आशी में चूत में जा कर उसके बच्चेदानी से टकराई । और इसी के साथ आशी का एक हाथ अजिंक्य के माथे पे आया । अजिंक्य को एक झटका लगा और उसे लगने लगा के उसके शरीर में कुछ हुआ है । पर क्या हुआ है वो समझ नही पा रहा था ।वो लगातार धक्के मारने लगा और आशी यूं ही उसके नीचे लेट कर अपने चूत में लंड लेती रही ,जाने कब तक । न अजिंक्य का पानी निकल रहा था और न आशी का । अब अजिंक्य ने अपनी पोज बदला । और आशी को अपने घुटने और हाथो पर करके कुटिया सा बना दिया और उसके पीछे आ कर पहले तो झुक कर आशी के गांड के छेद से ले कर चूत तक चाट लिया । फिर दोनो हाथो से आशी के दोनो चूतड़ों को फैला कर उसके हल्के गुलाबी से छेद को अपनी जीभ की नोक से कुरेदने लगा । इधर आशी की हालत खराब हो रही थी । वो पीछे मुड़ पर बोली

" बाबू ये भी तुम्हारी ही अमानत है लेकिन आज सिर्फ आगे मेहनत करो । फिर बाद में इस दरवाजे पर भी मेहनत करना "

इतना सुनना था कि अजिंक्य ने अपना लुंड आशी की चूत से सटाया और एक बार में ही बच्चेदानिंतक डाल दिया । और जोर जोर से धक्के मारने लगा । पूरा लंड सुपाड़े तक निकालता और जड़ तक वापस डाल देता। कुछ ही देर में अजिंक्य ने कहा

" आशु मैं आ रहा हू "
" मै भी आ रही हू ,जोर जोर से चोदो मुझे "। ये कह कर आशी भी अपनी गांड आगे पीछे करने लगी और दोनो के जांघो के टकराने से आवाज उत्पन हो रही है ।कुछ ही मिनटों में दोनो अपना अपना पानी निकाल कर एक दूसरे से चिपक कर सो गए ।




to be continued
Nice
 

andyking302

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#गतांक से आगे

सुबह अजिंक्य की नींद किसी के गाने से खुली । ये वही आवाज थी जिसका दीवाना वो एक लंबे वक्त से था। हालांकि वो आज भी अपने इश्क का इकरार इस आवाज की मल्लिका से कर नही पाया था पर इश्क जरूर था । कैसा इश्क था ये । जिससे असल में प्यार था उसने उसके मां बाप और खुद अजिंक्य को भी मार ही दिया था । और जो इसके हमकदम थी उसे दोस्त बना रखा था , अजिंक्य के प्यार में खुद तक को कुर्बान कर दिया था और यहां तक कि अब उसकी हर एक मुसीबत अपने सर अब लेने को तैयार बैठी थी ।

" जाइए आप कहा तक जायेंगे
लौट कर फिर यहीं आयेंगे "

देखा तो आशी काले सूट में थी खुले लंबे बाल ,गुलाबी होंठ और उसपर लगी लाल लिपस्टिक और दीवार पर टांगे गए छोटे से शीशे में देख कर आंखो में काजल लगा रही थी । पूरी कामदेवी नजर आ रही थी आज । अजिंक्य बिस्तर पर उठ बैठा ,बिस्तर पर कई जगह बीती दिन रात की निशानियां थी , एक जगह खून के धब्बे थे और कई जगह अजिंक्य और आशी के प्रेम रस के धब्बे थे जो अब सूख चुके थे और रूम के वातावरण में बहुत ही अच्छी सुगंध थी जो आशी के डिओ की था जो माहौल को और भी रोमांटिक बना रहे थे । आशी पीछे मुड़ कर देखा तो अजिंक्य को बिस्तर से पैर लटकाए बैठे देखा तो उसके तरफ बढ़ चली और उसके झांघो पर आ कर बैठ गई और उसके बालो को सहला कर बोली

" खुद के किरदार को मुफलिसी कीमत पर भी खरीदने से इंकार कर दूं गर जो बिकू मै बाजारों में "

अजिंक्य आशी के आंखो में ही देखता रहा कुछ पलों तक फिर जाने क्या हुआ आशी के हल्के गुलाबी होंठो पर चूम लिया और बोला

" अब तुम्हे खुद से जुदा नहीं करूंगा मैं "

" तुम कर भी नही सकते बाबू । मै सिर्फ तुम्हारे लिए बनी हू , और जिंदा भी तुम्हारे ही साथ रहूंगी और मौत के बाद भी हम साथ रहेंगे "

कहने के साथ आशी उठी और अजिंक्य का हाथ पकड़ कर उसे बाथरूम में ले गई और अंदर धक्का दे दिया

" जल्दी नहाओ , हम कुसुमपुर जाना है "

अजिंक्य जल्दी से नहाया और बाहर आ कर कपड़े पहनने लगा । इधर आशी किचन में अजिंक्य के लिए चाय बना रही थी । आशी को चाय पसंद नही थी पर अजिंक्य को बहुत पसंद था चाय पीना । और सिर्फ अजिंक्य के वजह से आशी चाय पीने लगी थी । प्रेम में पागलपन यही तो होता है कि किसी के प्रेम में खुद के वजूद को घोल देना ।

आशी अंदर बेडरूम में चाय के प्याले ले कर आई तो देखा। अजिंक्य काली प्लेन चाइनीज कॉलर शर्ट और प्लेन डेनिम जींस में था । बाल गीले होने के वजह से उसके हल्के लहरिया बाल माथे में आ रहे थे ,हल्की दाढ़ी और आंखे वही हमेशा के जैसे हल्की नशीली थी । आशी ढिठक कर खड़ी हो गई और देखने लगी , अजिंक्य आशी को एक तरफ खड़े देखा तो अपने शर्ट की बांह मोड़ते हुए पूछा

" क्या हुआ ऐसे क्या देख रही हो "

आशी कुछ नही बोली बस चाय को एक तरफ रख कर अजिंक्य के पास आई । अपने दोनो हाथो से उसके चेहरे को पकड़ उसे झुकाया ,उसके माथे पर बोसा di , फिर अपने आंख से काजल निकाल कर उसके कान के पीछे लगा दिया और मुस्कुराते हुए बोली

" बस इसी वजह से तो मैं शांति से मर भी नही पाई थी "

ये कह कर वो मुड़ी और चाय का प्याला उठा कर अजिंक्य को दे दी । दोनो ने चाय खत्म की और दोनो चल दिए अजिंक्य को बाइक पर कुसुमपुर । अभी सूर्योदय नही हुआ था बस आसमान में एकतरफ हल्की लाली थी ।



to be continued
शानदार जबरदस्त
 

andyking302

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#गतांक से आगे

अलसुबह का वक्त हो रहा था अजिंक्य बाइक चला रहा था आशी उससे चिपक कर पीछे बैठी थी। उसके चूचियां अजिंक्य के पीठ से दबी हुई थी और उसका हाथ आगे अजिंक्य के लंड के ऊपर था और उसे हाथ से दबा रही थी । अजिंक्य कुछ देर तक तो सहता रहा फिर जब न हुआ तो पूछ बैठा

" तुम्हारा जब देखो सेक्स करने का मूड रहता है ना रतिप्रिय "
इस बार वो सीधे रतिप्रिया को संबोधित करके बात कर रहा था ।

" रतिप्रिया नही आशी कहो बाबू । हम अब एक है । और हां मेरा हमेशा मन तुमसे चिपके रहने का करता है । तुम ,तुम्हारा जिस्म ,तुम्हारी जान ,तुम्हारा दिल ,तुम्हारा सब कुछ अब मेरा है और मैं तुम्हारी हू "

इतना कह कर आशी ने अपने हाथो से अजिंक्य की कमर जकड़ ली और अपना सर उसके कंधो पे रख कर आंखे मूंद लीं और गजल गुनगुनाने लगी

" मुझसे मिलने के करता था वो बहाने कितने
अब गुजरेगा मेरे साथ जमाने कितने "

ये ग़ज़ल अजिंक्य की सबसे ज्यादा मनपसंद थी । आशी की आवाज में वही सुन कर बस मुस्कुरा दिया और गाड़ी चलाने में ध्यान लगाने लगा । धीरे धीरे कुसुमपुर नजदीक आने लगा था । अब उसकी सीमा आ गई तो अजिंक्य ने बाइक रोक दी तो पीछे से आशी ने अजिंक्य के कंधे पर हाथ रखा और बोली

"मै साथ हू ना ,घबराओ मत "

अजिंक्य वापस बाइक चलाने लगा । कुसुमपुर की सीमा के अंदर प्रवेश कर गया । धीरे धीरे जंगल के बीच गुजरती तारकोल की सड़क पर दोनो चले जा रहे थे । अचानक से मौसम गहराने लगा था । आसमान में काले बादल उमड़ आए थे । जाने क्या होने वाला था। ,पर इतना तो पता था कि आज कुछ सही नही है वक्त । कुछ देर पक्की सड़क पर चलने के बाद अजिंक्य ने कच्छी पगडंडी पर उतार दी और पगडंडी जा कर जंगल के उस पार खत्म हुई जहां एक नदी बह रही थी और उसके पास ही टूटा सा मंदिर था जिसमे महादेव के रौद्र रूप की मूर्ति थी और कालका माई की मूर्ति थी । और मंदिर के प्रांगण में ही एक बूढ़ा साधु सा दिखने वाला इंसान आंखे बंद किए। ध्यानमंग था । अजिंक्य बाइक रोकी और मंदिर के प्रांगण में जा कर बैठ गया और बोला

" प्रणाम बाबा "

आवाज सुनते ही बूढ़े बाबा ने आंखे खोली , अजिंक्य को देख मुस्कुराए और बोलें

" मैने कहा था तू वापस आएगा , जरूर आएगा । अकेला आया है ? "

" नही बाबा अपनी दोस्त को साथ लाया हूं । "
आशी की तरफ उंगली से इशारे करके बाबा को बताया । बूढ़े बाबा ने आशी की तरफ देखा और उठ कर चल दिए आशी को ध्यान से देखते हुए । आशी के खुले बाल हवा के वजह से उसके चेहरे पर आ रहे थे । बादल काले हो चले थे । मानो अब कभी भी बारिश तूफान के साथ आयेगी । बाबा आशी के नजदीक पहुंच कर आशी के चेहरे को ध्यान से देखने लगे , अचानक से बूढ़े बाबा आशी के पैरो पे गिर कर अपना सर आशी के पंजों पे लगाने लगे

" मां , मां आप आ गई। , जीवन भर आपकी तपस्या की । जीवन भर पूजा । आज जा कर मेरी तपस्या सफल हुई । मां ने मुझे दर्शन दिए । "

आशी ये देख कर सिर्फ मुस्कुरा रहे थे। और अजिंक्य ये देख कर हतप्रभ था । और बाबा के नजदीक पहुंचा और बोला

" बाबा ये क्या कर रहे हो । ये तो आपसे छोटी है आप इसके पैर क्यों छू रहे "

बाबा जल्दी से उठे और मंदिर में रखे कमंडल को ले आए और आशी के पैर पानी से धोते हुए बोले

" चुप भोसड़ी के , ये मेरी मां है , मेरी आराध्या , ये मां रतिप्रिया है । जीवन भर इनकी तपस्या कर रहा था इनके दर्शन के लिए आज जा कर मिली है "

पैर धो कर बाबा ने अपने अंगवस्त्र से आशी के पैर। पोंछे और बोले ।

" आओ मां आओ "

आशी मंदिर के प्रांगण में जा ही रही थी कि एक गाड़ी के रुकने की आवाज आई । उसके तीन लोग उतरे । तीनो के हाथ में तलवार और बंदूक थी


आशी अजिंक्य और बाबा तीनो उन लोगो की तरफ देखने लगे । वो लोग बड़े चले आ रहे थे ।

वो तीनो इनके पास पहुंचते ही उनमें से पहला आदमी अजिंक्य के ऊपर बंदूक तानते हुए बोला

" मादरचोद तू बच कैसे गया ? तुझे तो मार कर फेंक दिया था । "

अजिंक्य आशी को अपने पीछे करते हुए बोला

" तुम लोगो को मारने के लिए ही मैं जिंदा बच गया "

" वाह मादरचोद , बातें बड़ी बड़ी करवा लो बस , उस दिन तो बच गया आज नही बचोगे ये लड़की भी बच गई । बड़ी तीखा माल था ,इसकी चूत बड़ी टाइट थी "

अजिंक्य इतना सुनते ही उस आदमी के मुंह पर एक मुक्का मारा तो वो आदमी जमीन पर गिर पड़ा ये देखते हुए दूसरे आदमी ने अजिंक्य पर गोली चला दी लेकिन अजिंक्य बच गया । और ये देखते ही आशी चिल्ला दी ।उसकी आवाज मानो दसों दिशाओं से आ रही थी , बादलों को फाड़ कर आई थी । सभी ने अपने कानो पर हाथ रख लिए और अजिंक्य ने पलट कर आशी को देखा । आशी का चेहरा बदल रहा था । खुले बाल हवा में उड़ रहे थे ,आंखे लाल हो रही थी ,चेहरा सूखता जा रहा था मानो कोई उसका खून चूस रहा हो। और अचानक ही चेहरा बदल गया , पूरा चेहरा मानो किसी प्रेत सा हो गया था । जीभ बाहर लटक रही थी आंखे बाहर की ओर लाल लाल सी निकली हुई थी । एकदम पिशाचिनी सी लग रही थी । एकदम से दौड़ती हुई आई और उस आदमी को हाथ मारा तो वो उड़ कर गिरा मानो उसमे कोई वजन नही है । तीसरा आदमी तो जड़ हो गया था डर के वजह से । आशी उस आदमी के पास पहुंची और पलक झपकते ही उसके गर्दन पर अपना मुंह चिपका दिया और मुंह कोंझतके से दूर किया तो उस आदमी के गर्दन का बहुत सा मांस आशी के मुंह में था । वो आदमी गिर पड़ा था । आशी उसके पेट पर बैठी और अपने लंबे लंबे नाखूनों से उसका सीना फाड़ कर उसका हृदय बाहर निकाल ली । वो आदमी तुरंत ही मर गया । आशी उठी उसके होंठो पे ढेर सा खून लगा हुआ था ,और उसके दाएं हाथ में उस आदमी का हृदय था जिसे वो चाट रही थी और। बाकी बचे दोनो आदमियों की तरफ धीमे धीमे मुस्कुराते हुए बढ़ रही थी । सभी एकदम डरे हुए थे ,अजिंक्य भी आशी के ये रूप को देख कर डर से कांपने लगा था । आशी दूसरे आदमी के पास पहुंची और झटके से उसे गिरा उसका सीना फाड़ कर उसका भी दिल निकाल कर उसके खाने लगी थी । वो पहला आदमी घिसट घिसट कर आशी से दूर जाने की कोशिश करने लगा था । आशी दोनो दिल खा गई थी । उसके मुंह पर खून ही खून लगा था उसके हाथो में और कपड़ो में भी खून लगा था । उस आदमी के नजदीक जाते हुए आशी बोली
" जो भी मेरे प्यार को हाथ लगाएगा मैं उसको ऐसे ही मारूंगी , सीना फाड़ कर उसके रक्त से नहाऊंगी और दिल खा जाऊंगी । हाहाहाहाहा। "

भयानक हंसी थी उसकी । उस आदमी के नजदीक पहुंच कर उसके सर को पकड़ कर एक झटके से उखाड़ लिया । और उसके सीने को अपने नाखूनों से फाड़ने लगी । सीना फाड़ कर उसका दिल निकाल लिया और चाटने लगी ।

बाबा ये सब देख रहे थेब्वो अजिंक्य के पास पहुंच कर उसके कंधे पर रख कर बोले
" डरो मत बेटा , ये तुमसे बहुत प्यार करती है ,जब तुम मुसीबत में होते हो तो इसके ऊपर मां रतिप्रिया हावी हो जाती है । जाओ जा कर उसे दिल से पुकारो ,उसका गुस्सा शांत हो जायेगा "

ये सुन। कर अजिंक्य ने अपना सर हिलाया और पास जा कर आवाज दी धीमे से

" आशी, आशी "

आशी कुछ सुन नही रही थी । बस उस आदमी के सीने से रक्त निकल कर अपने चेहरे और बालों पर रक्त मल रही थी । अजिंक्य ने देखा आशी कुछ नही सुन रही तो चिल्ला कर बोला

" बाबू "

आशी चौंक कर अजिंक्य की ओर देखी , अजिंक्य के आंखो में आंसू और अपने लिए प्यार देखी तो उसका रौद्र रूप शांत हो गया और वापस अपने पुराने सौम्य रूप में लौट आई थी । वो उठी और अजिंक्य के पास पहुंच कर अपने खून सने हाथों से अजिंक्य के चेहरे को पकड़ कर उसके चेहरे पर इधर उधर चूमने लगी और बोल उठी

" जो भी तुम्हे हाथ भी लगाएगा या नुकसान पहुंचाने की कोशिश किया तो तुम्हारी कसम शोना मैं उसे और उसके परिवार को जान से मार दूंगी "

अजिंक्य ये सुन कर आशी को अपने गले से लगा लिया । आशी भी उसके सीने से चिपक कर सुकून से सांस लेने लगी थी । अचानक दोनो पर पानी की बौछार आनी शुरू हो गई । बारिश होने लगी थी तेज मूसलाधार । दोनो ही भीग गए । बाबा के कहने पर दोनो हाथ पकड़ कर मंदिर के अंदर चल दिए ।



to be continued
जबरदस्त update
 
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