#गतांक से आगे
अलसुबह का वक्त हो रहा था अजिंक्य बाइक चला रहा था आशी उससे चिपक कर पीछे बैठी थी। उसके चूचियां अजिंक्य के पीठ से दबी हुई थी और उसका हाथ आगे अजिंक्य के लंड के ऊपर था और उसे हाथ से दबा रही थी । अजिंक्य कुछ देर तक तो सहता रहा फिर जब न हुआ तो पूछ बैठा
" तुम्हारा जब देखो सेक्स करने का मूड रहता है ना रतिप्रिय "
इस बार वो सीधे रतिप्रिया को संबोधित करके बात कर रहा था ।
" रतिप्रिया नही आशी कहो बाबू । हम अब एक है । और हां मेरा हमेशा मन तुमसे चिपके रहने का करता है । तुम ,तुम्हारा जिस्म ,तुम्हारी जान ,तुम्हारा दिल ,तुम्हारा सब कुछ अब मेरा है और मैं तुम्हारी हू "
इतना कह कर आशी ने अपने हाथो से अजिंक्य की कमर जकड़ ली और अपना सर उसके कंधो पे रख कर आंखे मूंद लीं और गजल गुनगुनाने लगी
" मुझसे मिलने के करता था वो बहाने कितने
अब गुजरेगा मेरे साथ जमाने कितने "
ये ग़ज़ल अजिंक्य की सबसे ज्यादा मनपसंद थी । आशी की आवाज में वही सुन कर बस मुस्कुरा दिया और गाड़ी चलाने में ध्यान लगाने लगा । धीरे धीरे कुसुमपुर नजदीक आने लगा था । अब उसकी सीमा आ गई तो अजिंक्य ने बाइक रोक दी तो पीछे से आशी ने अजिंक्य के कंधे पर हाथ रखा और बोली
"मै साथ हू ना ,घबराओ मत "
अजिंक्य वापस बाइक चलाने लगा । कुसुमपुर की सीमा के अंदर प्रवेश कर गया । धीरे धीरे जंगल के बीच गुजरती तारकोल की सड़क पर दोनो चले जा रहे थे । अचानक से मौसम गहराने लगा था । आसमान में काले बादल उमड़ आए थे । जाने क्या होने वाला था। ,पर इतना तो पता था कि आज कुछ सही नही है वक्त । कुछ देर पक्की सड़क पर चलने के बाद अजिंक्य ने कच्छी पगडंडी पर उतार दी और पगडंडी जा कर जंगल के उस पार खत्म हुई जहां एक नदी बह रही थी और उसके पास ही टूटा सा मंदिर था जिसमे महादेव के रौद्र रूप की मूर्ति थी और कालका माई की मूर्ति थी । और मंदिर के प्रांगण में ही एक बूढ़ा साधु सा दिखने वाला इंसान आंखे बंद किए। ध्यानमंग था । अजिंक्य बाइक रोकी और मंदिर के प्रांगण में जा कर बैठ गया और बोला
" प्रणाम बाबा "
आवाज सुनते ही बूढ़े बाबा ने आंखे खोली , अजिंक्य को देख मुस्कुराए और बोलें
" मैने कहा था तू वापस आएगा , जरूर आएगा । अकेला आया है ? "
" नही बाबा अपनी दोस्त को साथ लाया हूं । "
आशी की तरफ उंगली से इशारे करके बाबा को बताया । बूढ़े बाबा ने आशी की तरफ देखा और उठ कर चल दिए आशी को ध्यान से देखते हुए । आशी के खुले बाल हवा के वजह से उसके चेहरे पर आ रहे थे । बादल काले हो चले थे । मानो अब कभी भी बारिश तूफान के साथ आयेगी । बाबा आशी के नजदीक पहुंच कर आशी के चेहरे को ध्यान से देखने लगे , अचानक से बूढ़े बाबा आशी के पैरो पे गिर कर अपना सर आशी के पंजों पे लगाने लगे
" मां , मां आप आ गई। , जीवन भर आपकी तपस्या की । जीवन भर पूजा । आज जा कर मेरी तपस्या सफल हुई । मां ने मुझे दर्शन दिए । "
आशी ये देख कर सिर्फ मुस्कुरा रहे थे। और अजिंक्य ये देख कर हतप्रभ था । और बाबा के नजदीक पहुंचा और बोला
" बाबा ये क्या कर रहे हो । ये तो आपसे छोटी है आप इसके पैर क्यों छू रहे "
बाबा जल्दी से उठे और मंदिर में रखे कमंडल को ले आए और आशी के पैर पानी से धोते हुए बोले
" चुप भोसड़ी के , ये मेरी मां है , मेरी आराध्या , ये मां रतिप्रिया है । जीवन भर इनकी तपस्या कर रहा था इनके दर्शन के लिए आज जा कर मिली है "
पैर धो कर बाबा ने अपने अंगवस्त्र से आशी के पैर। पोंछे और बोले ।
" आओ मां आओ "
आशी मंदिर के प्रांगण में जा ही रही थी कि एक गाड़ी के रुकने की आवाज आई । उसके तीन लोग उतरे । तीनो के हाथ में तलवार और बंदूक थी
आशी अजिंक्य और बाबा तीनो उन लोगो की तरफ देखने लगे । वो लोग बड़े चले आ रहे थे ।
वो तीनो इनके पास पहुंचते ही उनमें से पहला आदमी अजिंक्य के ऊपर बंदूक तानते हुए बोला
" मादरचोद तू बच कैसे गया ? तुझे तो मार कर फेंक दिया था । "
अजिंक्य आशी को अपने पीछे करते हुए बोला
" तुम लोगो को मारने के लिए ही मैं जिंदा बच गया "
" वाह मादरचोद , बातें बड़ी बड़ी करवा लो बस , उस दिन तो बच गया आज नही बचोगे ये लड़की भी बच गई । बड़ी तीखा माल था ,इसकी चूत बड़ी टाइट थी "
अजिंक्य इतना सुनते ही उस आदमी के मुंह पर एक मुक्का मारा तो वो आदमी जमीन पर गिर पड़ा ये देखते हुए दूसरे आदमी ने अजिंक्य पर गोली चला दी लेकिन अजिंक्य बच गया । और ये देखते ही आशी चिल्ला दी ।उसकी आवाज मानो दसों दिशाओं से आ रही थी , बादलों को फाड़ कर आई थी । सभी ने अपने कानो पर हाथ रख लिए और अजिंक्य ने पलट कर आशी को देखा । आशी का चेहरा बदल रहा था । खुले बाल हवा में उड़ रहे थे ,आंखे लाल हो रही थी ,चेहरा सूखता जा रहा था मानो कोई उसका खून चूस रहा हो। और अचानक ही चेहरा बदल गया , पूरा चेहरा मानो किसी प्रेत सा हो गया था । जीभ बाहर लटक रही थी आंखे बाहर की ओर लाल लाल सी निकली हुई थी । एकदम पिशाचिनी सी लग रही थी । एकदम से दौड़ती हुई आई और उस आदमी को हाथ मारा तो वो उड़ कर गिरा मानो उसमे कोई वजन नही है । तीसरा आदमी तो जड़ हो गया था डर के वजह से । आशी उस आदमी के पास पहुंची और पलक झपकते ही उसके गर्दन पर अपना मुंह चिपका दिया और मुंह कोंझतके से दूर किया तो उस आदमी के गर्दन का बहुत सा मांस आशी के मुंह में था । वो आदमी गिर पड़ा था । आशी उसके पेट पर बैठी और अपने लंबे लंबे नाखूनों से उसका सीना फाड़ कर उसका हृदय बाहर निकाल ली । वो आदमी तुरंत ही मर गया । आशी उठी उसके होंठो पे ढेर सा खून लगा हुआ था ,और उसके दाएं हाथ में उस आदमी का हृदय था जिसे वो चाट रही थी और। बाकी बचे दोनो आदमियों की तरफ धीमे धीमे मुस्कुराते हुए बढ़ रही थी । सभी एकदम डरे हुए थे ,अजिंक्य भी आशी के ये रूप को देख कर डर से कांपने लगा था । आशी दूसरे आदमी के पास पहुंची और झटके से उसे गिरा उसका सीना फाड़ कर उसका भी दिल निकाल कर उसके खाने लगी थी । वो पहला आदमी घिसट घिसट कर आशी से दूर जाने की कोशिश करने लगा था । आशी दोनो दिल खा गई थी । उसके मुंह पर खून ही खून लगा था उसके हाथो में और कपड़ो में भी खून लगा था । उस आदमी के नजदीक जाते हुए आशी बोली
" जो भी मेरे प्यार को हाथ लगाएगा मैं उसको ऐसे ही मारूंगी , सीना फाड़ कर उसके रक्त से नहाऊंगी और दिल खा जाऊंगी । हाहाहाहाहा। "
भयानक हंसी थी उसकी । उस आदमी के नजदीक पहुंच कर उसके सर को पकड़ कर एक झटके से उखाड़ लिया । और उसके सीने को अपने नाखूनों से फाड़ने लगी । सीना फाड़ कर उसका दिल निकाल लिया और चाटने लगी ।
बाबा ये सब देख रहे थेब्वो अजिंक्य के पास पहुंच कर उसके कंधे पर रख कर बोले
" डरो मत बेटा , ये तुमसे बहुत प्यार करती है ,जब तुम मुसीबत में होते हो तो इसके ऊपर मां रतिप्रिया हावी हो जाती है । जाओ जा कर उसे दिल से पुकारो ,उसका गुस्सा शांत हो जायेगा "
ये सुन। कर अजिंक्य ने अपना सर हिलाया और पास जा कर आवाज दी धीमे से
" आशी, आशी "
आशी कुछ सुन नही रही थी । बस उस आदमी के सीने से रक्त निकल कर अपने चेहरे और बालों पर रक्त मल रही थी । अजिंक्य ने देखा आशी कुछ नही सुन रही तो चिल्ला कर बोला
" बाबू "
आशी चौंक कर अजिंक्य की ओर देखी , अजिंक्य के आंखो में आंसू और अपने लिए प्यार देखी तो उसका रौद्र रूप शांत हो गया और वापस अपने पुराने सौम्य रूप में लौट आई थी । वो उठी और अजिंक्य के पास पहुंच कर अपने खून सने हाथों से अजिंक्य के चेहरे को पकड़ कर उसके चेहरे पर इधर उधर चूमने लगी और बोल उठी
" जो भी तुम्हे हाथ भी लगाएगा या नुकसान पहुंचाने की कोशिश किया तो तुम्हारी कसम शोना मैं उसे और उसके परिवार को जान से मार दूंगी "
अजिंक्य ये सुन कर आशी को अपने गले से लगा लिया । आशी भी उसके सीने से चिपक कर सुकून से सांस लेने लगी थी । अचानक दोनो पर पानी की बौछार आनी शुरू हो गई । बारिश होने लगी थी तेज मूसलाधार । दोनो ही भीग गए । बाबा के कहने पर दोनो हाथ पकड़ कर मंदिर के अंदर चल दिए ।
to be continued