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Adultery एक चौथाई इश्क एक तिहाई बदला

कहानी का पहला भाग खत्म हों गया तो पुराने पाठक अब ये बताइए , कहानी का कौन सा भाग शुरू करूं ?


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parkas

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#गतांक से आगे

इधर आशी और अजिंक्य ने अपनी तैयारी की और सुबह सुबह ४ बजे निकल गए कुसुमपुर के लिए । डेढ़ दो घंटे का रास्ता था । आशी अजिंक्य एक गाड़ी में थे जिसे ड्राइवर चला रहा था। और पीछे की सीट पर दोनो बैठे हुए थे । और इनकी गाड़ी के साथ तीन गाडियां और थी । जो आशी के कॉन्टैक्ट से थे उसकी सहायता करने या सीधा कहे तो रक्षा करने के लिए । पूरी तैयारी के साथ थे । अजिंक्य खिड़की से बाहर देख रहा था । उसको कहीं खोए हुए देख आशी बोली

आशी : क्या हुआ कहां खोए हुए हो ।

अजिंक्य : कहीं नहीं बस वापस जाना अजीब लग रहा था । मेरे बदले के चक्कर में पता नही क्या क्या होने वाला है ।

आशी अजिंक्य के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए बोली

आशी : नही बाबू सिर्फ तुम्हारा नही , मेरा भी बदला है । और अब तुम मेरे हो तो तुम्हारा बदला भी मेरा ही है।

अजिंक्य : हम्म्म पर पता नही क्यों अजीब सा महसूस हो रहा है

आशी : ज्यादा न सोचो । रात में ठीक से सोए नही हो । थोड़ी देर सो जाओ ।

ऐसे ही बात करते थोड़ा सोते हुए कुसुमपुर पहुंचने ही वाले थे कि अजिंक्य के कहने पर कुसुमपुर की सीमा से १५ किलोमीटर पहले हाईवे से ४ किलोमीटर अंदर चले गए वहां से जंगल शुरू होता है । जंगल के शुरुआती क्षेत्र में एक चारदीवारी के अंदर बड़ा सा घर था । इसे महल कहना ज्यादा सही होगा । किसी का फॉर्महाउस ही था । गेट पर जाने पर ड्राइवर ने हॉर्न बजाया तो गेट खुला और चारो गाड़ियां अंदर चली गईं।आशी हैरत से देख रही थी , उसने पूछा भी तो अजिंक्य ने इशारे से शांत कर दिया । गाड़ी का गेट खोल कर बाहर आया तो एक ४५ वर्ष ले लपेटे का आदमी ब्लैक कोट सफेद शर्ट और नीले जींस में चश्मा लगाए खड़ा था दोनो हाथ फैला कर । अजिंक्य बाहर निकला और उस आदमी से गले मिल गया

अजिंक्य : विक्रम भाई , कैसे है आप

विक्रम : अजिंक्य मेरा बेटा , कैसा है तू , मै एक दम फर्स्टक्लास

अजिंक्य : बस जैसा देख रहे वैसा ही हू

विक्रम गौर से ऊपर से नीचे अजिंक्य को देखते हुए बोला

विक्रम : यार तू तो एक दम हीरो जैसा हो गया है । अरे और ये कौन है ?

विक्रम अब आशी की तरफ देख कर बोला तो आशी हाथ जोड़ कर नमस्ते की

अजिंक्य : पहचानो आप

विक्रम : ये तुम्हारी वही दोस्त है शायद , जिसके बारे में तुम बताए थे

अजिंक्य : हां भाई जी ये वही है , पर अब ये आपकी बहू है , हमने एक हफ्ते पहले शादी कर ली है।

आशी अब विक्रम के पैर छूने को झुकी तो विक्रम ने सर पर हाथ रख दिया। आशीर्वाद देने के लिए और जेब से जो भी पैसे थे वो और अपने गले की सोने की चैन उतार कर आशी के हाथ में रखने लगा तो आशी ने अजिंक्य की तरफ देखा तो इस विक्रम बोला

विक्रम : उसकी तरफ क्या देख रही हो बहु । अजिंक्य मेरे छोटे भाई जैसा है । बेटा ही है , और तुम बहु । तो कम से कम इतना हक तो है मेरा ।

ये सुन कर आशी ने वो पैसे और चैन ले ली । और वापस से पैर छू लिए । अब विक्रम सबको घर के अंदर ले गया और बाकी सारे लोगो को नौकरी ने उनका कमरा बता दिया था और खुद विक्रम आशी अजिंक्य सोफे पर आ गए चाय पीने । इस पर आशी ने सवाल दाग दिया

आशी : भैया , आप लोग मिले कैसे । क्यू कि मैं तो इनके सारे ही दोस्तो को जानती हू बस आपके बारे में नही पता था ।

उस बात पर अजिंक्य और विक्रम हसने लगे और विक्रम ने बोलना शुरू किया

विक्रम : हमारी दोस्ती को २ साल हो रहे है शायद । इसने मुझे करने से बचाया था अपनी जान की परवाह न करते हुए भी ।

आशी अजिंक्य की तरफ देखने लगी
विक्रम : मै बताता हू । हुआ ऐसा था यही कुसुमपुर के जंगल में मै कुछ ढूंढ़ रहा था , तभी मुझपर किसी ने हमला कर दिया था । जब तक मेरी हिम्मत थी तब तक मैने मुकाबला किया लेकिन इंसान हूं हिम्मत कभी न कभीं ना कभी टूट ही जाती है । लेकिन तभी हीं ये कहीं से आ गया और मुझे बचा ले गया । मुझे दो गोलियां लगी थी । इसने मुझे अपने घर में ले गया , मेरा इलाज करवाया । और अपने पास रखा था । मेरी जान अजिंक्य की कर्जदार है । बस तुम ये समझ लो ।

अजिंक्य : बस आपने इसे कर्ज के कर मुझे छोटा कर दिया न ।

फिर ऐसा ही बातें होती रही थी । आशी अजिंक्य ने अपने अपने बारे में भी बताया , अपने बदले के बारे में होटल के बारे में भी बताया बस नक्शा और चाबी के बारे में नही बताया ।
विक्रम : भाई मेरे साथ अंतिम समय तक हू , जो भी जरूरत हो बताना , असलहा बारूद ,पैसा सब लगा दूंगा मै । बस बदला पूरा होना चाहिए ।

उधर वो नकाब वाला शख्स शहर पहुंच चुका था । अपने कॉन्टैक्ट के जरिए उसे वो दो जंगल में गुंडे मारे थे और एक अजिंक्य की बिल्डिंग में मरा था सबके बारे में खबर निकाल ली थी । उसके आदमी चारों तरफ सिर्फ अजिंक्य को ही ढूंढ रहे थे । आशी के घर से पता चला कि वो लोग कुसुमपुर निकल गए । तो ये शक्श भी कुसुमपुर के लिए रवाना हो गया ।

to be continued ।

B bas do update aur bache hai ye part khatm hone me । Jo kal de dunga । Kahani ka agla hissa agke hafte se shuru hoga । Jisme badla aur khajana dono hi milenge
Nice and lovely update...
 

Sanju@

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INTRODUCTION

Ajinkya : xx saal ka middle class family se belong karta hai . Thoda dabbu nature hai ,gussail hai lekin sab andar hi reh jata hai . Man me bahut se khwab hai jinhe pura karna chahta hai . Kahani ka lagbhag hero/villain .

Suresh ji : ajinkya ke pita ji . 41 warshiy jo chennai ke kisi MNC me manager hai aur wahi rehte hai . Ghar 3-4 mahine me ek baar aate hai 2-3 din ke liye .

Komal ji – 40 warshiy bhare shareer ki mahila . Swabhav se bholi. Aur dabbu nature ki . Apna hero apne hi maa ke upar gaya hai . Inka role bas aate me namak barabar hai .

Ashi : 20 warshiy sexy hot ladki pahad ki waadiyo se utri hui apsara jaisi . Chehra gol matol sa ,32 30 34 vitals wali . Jab hansti hai to apne hero k dil k taar jhanjhanaa jaati hai . Pehla aur aakhiri pyar ajinkya ka aur kahani k mukhya patron me se ek .

Shivkesh baba : aghori baba ,jo apne hero se bas sanyog se takra jaate hai . In dono ki mulakat sanyog hi thi lekin bahut jabardast thi . Apne hero ke guru ,dost yaa use sambhaalne wala keh sakte hai .

Sam aur ajay : 20 warshiy ,jo ki ajinkya ke best friend hai aur har achche bure karm ke sathi . Pure manmouji Hai lekin ek dusre ke liye jaan bhi de sakte hai.

Baaki paatra aate jaye aur unke baare me batata jaunga .


PART 1

घनघोर बारिश हो रही थी एकदम काले काले बादल घुमड़ आए थे ,मानो आज ये भी किसी की याद में रो रहे हो ।हवा सांय सांय चल रही थी और बारिश की बूंदे मुंह पर थपेड़ों के जैसे पड़ रही थी । रात के २ बजे का वक्त था । एक लड़का बारिश में भीगते हुए झील के किनारे घाट पर पानी में पैर लटकाए बैठा हुआ था।और जाने क्या क्या बड़बड़ाए जा रहा था।ध्यान से सुनने पर बस एक ही बात समझ आ रही थी जैसे वो बोल रहा था “I am fine I will be back “

कुछ देर ऐसे ही बैठा रहा फिर उठा और सीढ़ियों से नीचे चल दिया पानी में ।पानी में आगे जाता जा रहा था और तब तक आगे बढ़ता गया जब तक पानी उसके सीने तक न आ गया ।कुछ देर वो ऐसे ही खड़ा रहा और अचानक ही खुद को डुबो दिया था ।कुछ देर तक हलचल नहीं हुई और खुद को तब तक डुबो कर रखा जब तक सीना भर न आया और फेफड़े सांस के लिए चीत्कार न करने लगे ।कुछ सेकंड्स में ही वो बाहर निकला हांफता हुआ और जा कर वापस सीढ़ियों पर बैठ कर अपनी सांसे दुरुस्त करने लगा। और उसका ये ही क्रम ३ -४ बार चला । मानो वो खुद को खत्म करना चाहता है पर हिम्मत नही हो रही । थक हार कर उठा और एक पेड़ के नीचे बैठ गया और जब से पन्नी में पैक की हुई सिगरेट का पैकेट निकाल उसमे से सिगरेट और लाइटर निकाला और सिगरेट सुलगा कर आंखे बंद कर सिगरेट के धुएं को खुद में ही घुलने देने लगा ।
जाने क्या मन में चल रहा था की एक तरफ खुद को खत्म करने में आमादा था और दूजी तरफ धुएं में खोते हुए गुनगुना रहा था । थोड़ी देर बाद उठा और खड़ा हो कर एक बार झील की तरफ देखा ,मुस्कुराया और चल दिया अपनी बाइक की ओर ।

कुछ महीनो पहले ही आया था बड़े शहर में पढ़ने अपने कस्बे से ।और यहां आते ही समझ में आ गया था की यहां भोलेपन से काम नहीं चलेगा ,दुनिया हरामी है ,इसके लिए हरामी ही बनना पड़ेगा। यहां आते ही एक हॉस्टल में दाखिला करवा लिया रहने के लिए । सुनीता बाई के हॉस्टल के नाम से प्रसिद्ध था वो । सुनीता उस समय २८ वर्ष की दुबली पतली महिला था बिना चूंचे और बिना गांड के । मेरा मतलब चूंचे बिलकुल चीकू के आकार के थे और गांड में मांस नहीं था । मुझे तो ताज्जुब ये होता था इसका पति जब इसको चोदता होगा तो वो पकड़ता क्या होगा । जरूर दोनो लोगो की हड्डियां ठकरा कर बर्तन जैसी आवाज निकालते होंगे ।
सुबह नाश्ते में एक पराठा और चाय ,दोपहर में ४ रोटी सब्जी दाल चावल और ऐसा ही कुछ रात में ।रात में १० के बाद एंट्री नहीं ।
खैर हॉस्टल में रूम ले लिया था । एक १०X१२ का रूम था जिसमे दो बेड पड़े थे और साथ में एक रूममेट था ।अर्चित १९ साल का गोरा सा चिकना सा लड़का ।लेकिन दर हरामी । रात में बिना मुट्ठ मारे नींद नही आती । और हिलाता भी था तो सुनीता को चोदने के बारे में सोच कर । पता नही उस हड्डी की दुकान में इसे क्या पसंद था । वक्त के साथ पता चला की लड़का हरामी होने के साथ साथ जिगरवाला भी है ।
हॉस्टल के रूम में आते ही पहले ही दिन अर्चित से दोस्ती हो गई । और रात में हॉस्टल की छत में दारू पी कर दोस्ती को मजबूत बनाया । जब शराब का सुरूर चढ़ गया तो अर्चित पूछा

अर्चित : यार अजिंक्य भाई , ये तेरा नाम कुछ ज्यादा लंबा नहीं होगा तेरी हाइट के जैसे । कुछ छोटा नाम नही है क्या
मै : (हंसते हुए) अबे कुछ भी पुकार ले ,नाम से लौड़ा कुछ फर्क नही पड़ता ।बस दिल मिलने चाहिए ।

अर्चित : हां भाई सच बोली ये बात । अच्छा भाई अब हम दोस्त बन ही गए है तो एक बात पहले ही क्लियर कर दूं ,मै सोने से पहले मुट्ठ मारता हूं रूम में ही । वो नही छोड़ने वाला । और दूसरी बात अगर कभी सुनीता बाई को चोदने का मौका मिला तो पहले मैं चोदूंगा फिर तुम

मै : हाहाहाहाहा अबे लोडू बाकी सब ठीक है लेकिन तुझे इस सींकड़ी में क्या अच्छा दिखा के इसे चोदना चाहता है बे

अर्चित : और भाई तू बात मत कर उसकी यार । एक बार अपने रूम में कपड़े बदल रही थी। और मैं अचानक ही इसके रूम का दरवाजा खोल दिया कुछ बात करने को। तो दरवाजा खुल गया और ये अंदर नंगी खड़ी थी । एक पल में मैने इसके छोटे छोटे सांवले चूचे देख लिए और इसकी बिना बालों वाली चूत भी । तब से इसे चोदना चाहता हू । बस एक बार मिल जाए ।

मै : हाहाहाहाहा वाह भोसड़ी के वाह । बस यही बचा रह गया है जिंदगी में ।

खैर रात में दो बजे के आसपास छत से नीचे उतर कर आए और बिस्तर पर लेट गया । और उधर अर्चित बेड पे आते ही शराब के नशे मे जाने क्या क्या बड़बड़ाए हुए सो गया ।

To be continued in next part ....
:congrats:नई कहानी शुरु करने के लिए
 

Sanju@

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नोट : कहानी अभी अजिंक्य के वर्तमान और अतीत दोनो के हिस्सो पर चलेगी

अब गातांक से आगे

Part II
वर्तमान

अजिंक्य आज फिर से १२ बजते ही झील किनारे पहुंच गया अपने साथ सिगरेट और और आज एक डायरी लाया था । भूरे चमड़े के जिल्द वाली जिसे वो अपने शर्ट के अंदर अपने सीने से लगा कर रखा था । धीरे धीरे घाट की सीढयां उतर कर झील के पानी के पास आ कर बैठ गया ।झील लगभग १०किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई थी ।घाट के इस किनारे एक मंदिर था महादेव का और उसी से लगा हुआ एक बहुत बड़ा श्मशान था । वहां अक्सर ही अघोरी या कुछ तांत्रिक से लोग बने रहते थे अपनी साधना के लिए । खैर अजिंक्य सीढ़ियों पर बैठ कर पहले सिगरेट सुलगाई और लंबा कश खींच कर धुएं को अपने अंदर जज्ब कर बाकी का धुआं आसमान में उगल दिया । और आसमान की तरफ एकटक देखते हुए अपनी उंगलियों मानो किसी की तस्वीर बनाई और अगले ही पल उसे धुएं में ही उड़ा दी । अपनी डायरी खोली और पहला पन्ना देखा ,लिखा हुआ था वहा
" खुद के किरदार को मुफलिसी कीमत पर भी खरीदने से इंकार कर दूं ,जो बिकू कभी बाजारों में "

आगे पन्ना पलटा तो उसपर लिखा था " मुलाकात " ,कुछ देर यूं ही उस पन्ने को देखता रहा ,फिर मुस्कुराया और डायरी से पन्ना फाड़ कर उसके टुकड़े कर के पानी में फेंक दिया ।कुछ देर यूं ही न जाने क्या पानी में देखता ही रहा फिर अचानक उठा और पानी में कूद गया । हालांकि अजिंक्य को तैरना नहीं आता था लेकिन फिर भी वो पानी में कूद गया ।कुछ देर तक तो सांस बंद करके डूबता उतरता रहा । पर उसके फेफड़ो की भी एक सीमा थी संभालने की ।एक समय ऐसा आया जब वो हाथ पैर मारने लगा बचने हेतु । लग रहा था आज इहलीला समाप्त ही होने वाली है । उस एक पल में आंखे बंद होते होते पूरी बिताई जिंदगी नजर आने लगी । मां बाप ,भाई बहन और वो एक शख्स जिसने वादा लिया था अजिंक्य से जिंदा रहने का ,खुश रहने का ।बस अब लगा की जिंदगी की डोर टूटने ही वाली है कि अचानक किसी ने अजिंक्य के बाल पकड़े और घाट के तरफ खींचने लगा । और बाहर ला कर पटक दिया सीढ़ियों पर । कुछ देर यूं ही अजिंक्य खांसता रहा और अपनी सांसे संभालने की कोशिश करता रहा । सांस संभलने को हुई थी कि एक करारा थप्पड़ आ कर उसके गाल पे पड़ा और अजिंक्य को तारे दिखा दिया । और उसके शरीर में दर्द की तेज लहर दौड़ गई । आंखे खोल कर देखा तो एक बूढ़ा दिखा । लंबे बाल , जटाएं ,हल्की लंबी दाढ़ी ,लाल लंगोट ।

बूढ़ा : मादरचोद जब मरना नहीं था तो कूद क्यू गया ।इससे अच्छा तो किसी ट्रेन के नीचे आ जाता । भेंचोद सारे भड़वे यही आ जाते है अपनी मां चुदाने । अबे भोसड़ी के कुछ बोलेगा या नही ?

अजिंक्य सिर्फ उस बूढ़े को बोलते सुन देख रहा था । फिर वो सीढ़ियों पे अपने सिगरेट के पैकेट को ढूंढ कर उसमे से सिगरेट निकाली और सुलगा ली और बाबा की ओर बढ़ा कर पूछ लिया

अजिंक्य : बाबा गुस्सा छोड़ो ,सिगरेट पियो ।

अजिंक्य के इस व्यवहार से बूढ़ा हतप्रभ था । वो भी वही सीढ़ियों पर बैठ गया कुछ देर , सिगरेट पिया और वहा से उठ कर चल दिया वापस श्मशान की ओर । और इधर अजिंक्य भी सिगरेट पी कर बची हुई सिगरेट पानी में फेंक दी और चल पड़ा शमशान की ओर ।
इधर उधर देखा तो दूर दूर तक कुछ नहीं था बस कुछ दूरी पे एक चीता से धुआं सा उठ रहा था । शायद शाम को ही किसी की अंतेष्ठि हुई होगी । डरते डरते नंगे पैर ही अजिंक्य उस बाबा के पीछे पीछे चल दिया ।बूढ़े ने एक बार पलट कर देखा और चिल्लाया " भाग मादरचोद ,पीछे मत आ "
पर शायद अजिंक्य पर कोई फर्क नहीं पड़ा ,बस मुस्कुराते हुए वो भी बाबा के पीछे पीछे उस चिता तक आ गया और बूढ़े बाबा के संग वही बैठ गया ।

बूढ़ा : क्यू आया है यहां

अजिंक्य : ठंड लग रही है तो आग सेंकने आया हूं और आपको सिगरेट पिलाने ।

इतना कह कर अजिंक्य मुस्कुरा दिया ।बूढ़ा ध्यान से अजिंक्य के चेहरे की ओर एक पल को देखता रहा फिर आंखे बंद कुछ देर और जाने क्या सोच कर मुस्कुरा दिया । आंखे खोल कर अजिंक्य को देख कर बोला
" चला जा भोसड़ी के । अभी तेरा वक्त नही आया है न मरने का और न इधर आने का । "

अजिंक्य : हां तो इधर नही आ सकता अभी लेकिन आपसे तो मिल ही सकता हू ना ।
बूढ़ा उठा और वहां से एक लकड़ी उठाई और हवा में लहरा कर बोला अजिंक्य से " भाग मादरचोद ,एक बार में सुनाई नही दिया "
अजिंक्य को लगा के कही ये बूढ़ा मार न दे तो वो उठ कर चल दिया । बाहर सीढ़ियों पर आया अपनी डायरी उठाई और चल दिया बाइक से अपने रूम पर । रूम पर आया तो देखा घड़ी ३ बजा रही थी । कपड़े बदल कर बाहर बालकनी में बैठ गया कुर्सी पर । सिगरेट सुलगाई ,मोबाइल में पुराने हिंदी गाने बजाए और आंखे बंद करके बैठ गया । कुछ ही देर में वापस अपने अतीत में भवर में फंस गया ।

अतीत

दूसरे दिन सुबह पहले अजिंक्य उठा । और आसपास देखा तो अर्चित नंगा ही सो रहा है और उसका लन्ड खड़ा हो कर छत की ओर सलामी दे रहा है । अजिंक्य ने उसे ध्यान से देखा और मुस्कुरा कर मन में सोचा " अच्छा हुआ लोड़े का लंड इतना सा है वरना मेरी तो झांट फायर हो जाती जलन से "
फिर वो उठा और जा कर अर्चित के लात मारी और बोला " उठ बे भोसड़ी के देख ८ बज गए , कॉलेज नही जाना क्या , अबे उठ न "

अर्चित : अबे सोने दे ना हरामी
अजिंक्य : उठ रहा है या रूम का दरवाजा खोल कर बाकियों को भी तेरी हालत दिखाऊं

इतना सुनना था कि अर्चित हड़बड़ा कर उठा और अपनी निक्कर ढूंढने लगा । बिस्तर के नीचे से निक्कर निकाला और पहन लिया और बोला
अर्चित : यार कितना अच्छा सपना था ,मै सुनीता बाई की चूत चाट रहा था समोसे की मीठी वाली चटनी लगा कर और तू उसके चूंचे दबा रहा था

अजिंक्य : हाहाहाहाहा भोसड़ी के उसके चूंचे नही है
अर्चित: अबे तू भावनाओ को समझ न यार । मै बस उसकी चूत में लंड पेलने ही वाला था कि तूने उठा दिया ।

इतना कहते हुए अर्चित अपना लंड दबाने लगा निकर के ऊपर से ही । अजिंक्य हंसा और बोला

" चल बे ठरकी बस कर ,अब कॉलेज चलना है , जा कर जल्दी से नहा ,फिर मुझे भी नहाना है "

अर्चित हंसते हुए : चल भाई साथ में नहाते है हाहहह

अजिंक्य : ठीक है पर मैं तेरी गांड मारूंगा ,मंजूर हो तो बोल

अर्चित : भाग लोड़े ,तुझे मैं गांडू लगता हूं क्या । अबे गांडू से याद आया तुझे पता है वो अपने मैथ्स वाला hod hai na wo गांडू है ।

अजिंक्य : अबे सच बता । तुझे कैसे पता चला बे ।

अर्चित : और वो सिविल वाला अमित है न । वो बता रहा था की उसने hod की गांड मारी है अपने रूम में ।

अजिंक्य : देख ले तू भी अपना जुगाड़ फिट कर लें शायद इस बार मैथ्स में बैक नही लगेगा ।

अर्चित : हां यार बात तो सही कही तूने । अच्छा चल कॉलेज भी जाना है । वरना ये गांडू अपनी गांड मार लेगा ।

इतना कह कर दोनो कॉलेज के लिए तैयार होने चले जाते है ।



To be continued in next part
बहुत ही सुन्दर लाजवाब और रमणीय अपडेट है
 

Sanju@

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गातांक से आगे

PART 3

वर्तमान


अचानक उंगलियों पर तपिश महसूस हुई जैसे कोई आग से जला रहा है तो हड़बड़ा कर अजिंक्य अपनी तंद्रा से उठा । देखा तो सिगरेट पूरी जल कर राख हो चुकी है और अंगार अपने अंतिम सिरे पर देहक रहा है जिसकी तपिश उंगलियों पर महसूस हुई थी । गाने अभी तक बज रहे थे मोबाइल पर । मोबाइल उठा कर टाइम तो हैरान रह गया ।सुबह के ६ बज रहे थे । शायद उसका अतीत अब उसके ख्वाबों में आ कर उसे डराने लगा है । आसमान में हल्के बादलों के साथ हल्की रोशनी उजागर हो रही थी। वो उठा और ब्रश करके चूल्हे पर चाय बनने को रख दिया । इतने में अजिंक्य का फोन बजा। वो फोन चेक किया तो एक मैसेज आया था
" तुम वापस शहर में आ गए और मुझे बताया तक नही "

मैसेज पढ़ा और मुस्कुरा कर जवाब टाइप करने लगा

" आना तो नही चाहिए था पर इस शहर ने जख्म बहुत दिए है ,बदला देने तो आना ही था न "

इतना टाइप करके उसने जवाब भेज दिया और जा कर चाय एक प्याले में छान कर साथ में सिगरेट सुलगा कर फिर से कुर्सी पर बैठ गया चाय पीते हुए शून्य में कुछ ढूंढने की कोशिश करने लगा । इतने में उसका फोन फिर बजा लिखा था
" ठीक है मैं आ रही हू ,खाना तो खाए नही होगे ,सिर्फ दारू और सिगरेट में ही लगे होगे "

पढ़ा और मुस्कुरा दिया ये सोच कर कि इतने साल हो गए है ये मुझे कितना ज्यादा जानती है । कुछ सोचा और जवाब टाइप करने लगा
" ठीक है , पता तो जानती ही होगी "
" हां जानती हू "

इतनी बात हो कर उसने बातचीत बंद करके मोबाइल में fm रेडियो चालू कर दिया । रेडियो चालू होते ही गाने की एक लाइन सुनाई पड़ गई

" हर पल मुझको तड़पाता है ,मुझे सारी रात जगाता है
इस बात की तुमको खबर नहीं ,ये सिर्फ तुम्ही पर मरता है "

आंखे बंद करके कुर्सी पे पुष्ट टिका कर बैठ गया और अतीत के भंवर में खोने लगा ।

अतीत

"अबे मुट्ठल जल्दी कर बे देर हो रही है "

अजिंक्य अपने गले में टाई बांधते हुए चिल्ला रहा था क्यू के बहुत देर से अर्चित बाथरूम में था ,न जाने क्या कर रहा था। कुछ देर में अर्चित अपनी छोटी सी मेल थॉन्ग अंडरवियर में बाहर आया । और ट्राउजर पहनते हुए बोला
" यार सपने में सुनीता बाई की तूने लेने नही दी थी ना तो वही सोचते सोचते हुए बाथरूम में लंड खड़ा हो गया तो उसी को सुलाने में देर हो गई "

अजिंक्य : भोसड़ी के तेरे इस लंड के चक्कर में रोज कॉलेज में देर हो रही है , वो मीठा hod आज अपनी गांड मार लेगा ,याद रखियो

अर्चित : तो भाई दिलवा दे ना सुनीता बाई की चूत ,फिर कभी देर नही होगा

अजिंक्य : अबे मुझे दल्ला समझ रखा है क्या , जल्दी तैयार हो

आपस में नोक झोंक करते हुए दोनो तैयार हो कर रूम से निकले ही थे कि सुनीता बाई सामने आ गई
" भैया कल संडे है तो खाना सिर्फ सुबह मिलेगा ,शाम को मैं उनके साथ घूमने जाऊंगी तो शाम की छुट्टी "

सुनीता बाई ये बॉम्ब हम पर फोड़ रही थी और अर्चित उसके बिना पल्लू के ब्लाउज के अंदर झांक कर उसके बूब्स देखने की कोशिश कर रहा था और एक हाथ से अपना लंड मसल रहा था । तभी सुनीता बाई ने अर्चित की ओर देखा और उसकी नजरों का पीछा किया तो पता चला अर्चित तो उसके चूंचियां घूर रहा है , सुनीता कड़क हो कर अर्चित को आवाज दी

" O अर्चित भैया ,अगर इन्हें देख लिया हो तो मेरी बात भी सुन लो , कल शाम को खाना नही मिलेगा "

अर्चित मुस्कुराते हुए : ठीक है ना सुनीता ,कोई बात नही ,हम बाहर खा लेंगे

मै अर्चित को देखा और फिर सुनीता को देखा , फिर चिल्ला कर बोला " जल्दी चल यार "
हॉस्टल से बाहर निकल हम बस स्टॉप की ओर बढ़ चले । कुछ देर के इंतजार के बाद ही एक बस आ गई ,uspe चढ़े हम इधर उधर सीट के लिए देखा तो एक सीट सबसे पीछे खाली थी जहां खिड़की के पास एक औरत बैठी हुई थी गदरायी हुई ,सांवली रंगत , हल्की लाल लिपस्टिक ,एक छोटी ,और बूब्स भरे और बड़े ,तो अर्चित भाग कर उधर बैठ गया और दूसरी सीट खाली थी बस के बीच में जहां एक हल्के गेहूए रंगत वाली लड़की बालों को हाफ टाई की हुई थी ,होंठ थोड़े मोंटे पर रसदार , और हल्का पीला रंग का सूट पहने हुए थे । वही जा कर उसके बगल में बैठ गया । बस में भीड़ बढ़ती जा रही थी बस में धक्के भी लग रहे थे तो बार बार अजिंक्य का कंधा उस लड़की के कंधे से छू रहे थे । एक बार तो लड़की थोड़ा किनारे सरक गई और अजिंक्य ने खुद को भी थोड़ा इधर किया ताकि वापस ये गलती न हो ।कुछ ही देर में बस में अचानक ब्रेक लगा तो एक महिला अजिंक्य के ऊपर टकराई जिसके वजह से अजिंक्य उस लड़की से टकरा गया । दोनो ने खुद को संभाला और लड़की बोली

" ये क्या बदतमीजी है ,ठीक से नही बैठ सकते क्या "

अजिंक्य : मैडम मुझे कोई शौक नहीं ये सब करने का ,लेकिन वो आंटी मुझ पर गिरी तो मैं आप कर गिरा

लड़की : हां हां ठीक है ।

अजिंक्य ने ध्यान से देखा तो लड़की हाथ में कुछ फाइल फोल्डर्स और एक डायरी पकड़ कर बैठी है । कुछ ही देर में बस स्टॉप आया तो वो लड़की उतर गई । लेकिन अजिंक्य को ध्यान नही था ,इतने में अर्चित चिल्लाया " अबे अजिंक्य उतरना है बे "
अजिंक्य अपनी सीट से उठने लगा तो देखा एक कागज़ गिरा पड़ा है , शायद उस लड़की का था । कागज़ उठाया और बस से नीचे उतर गया और चलते हुए ध्यान से पढ़ने लगा । नाम था आशी ,उम्र 20 थर्ड ईयर।

" अरे थर्ड ईयर ! मतलब लड़की सीनियर है मेरी "
ये सोचते हुए कॉलेज के अंदर घुस कर उस लड़की को ढूंढने लगा कागज़ लौटाने के लिए

इधर वो लड़की अपने डिपार्टमेंट में थी सारे डॉक्यूमेंट्स जमा करवाने के लिए । सारे ही डॉक्यूमेंट्स जमा कर दिया था बस एक एनरोलमेंट वाला कागज़ नही मिल रहा था । बहुत ढूंढा पर नही मिला तो रुआंसी हो कर बाहर गार्डन में बैठ गई अकेले । इधर अजिंक्य पूरे कॉलेज में ढूंढ रहा था और ढूंढने के बाद गार्डन तरफ बढ़ चला तभी देखा कि वो पीले सूट वाली तो यही बैठी है । अजिंक्य लड़की के सामने पहुंच कर उसे आवाज दिया

" O हेलो मैडम "

इतना सुन कर वो लड़की अपना चेहरा उठाई और अजिंक्य को देखी और गुस्से में आ गई

" तुम पीछा करते करते कॉलेज तक आ गए "

अजिंक्य : कोई पीछा नहीं किया ,मै यही पढ़ता हूं

लड़की : किस ईयर में

अजिंक्य : सेकंड ईयर में

लड़की : मै तुम्हारी सीनियर हूं ,और तुम मुझे छेड़ने यहां तक पहुंच गए । वाह

अजिंक्य : o हूर परी की चोदी । मै तुझे कोई छेड़ने नही आया हूं । ये कागज़ गिर गया था तेरा बस में । इसलिए खुद की क्लास छोड़ कर तुझे ढूंढने आया ताकि तुझे दे सकू

और इतना कह कर वो कागज़ लड़की के हाथ में थमा कर चल दिया और लड़की उसे जाते हुए देखती रह गई ।
खैर लड़की अपने कॉलेज का काम खत्म करके कॉलेज से बाहर निकली कॉलेज के बाहर बने टपरे की ओर मुड़ चली

ये जो टपरा होता है वो हर कॉलेज के बाहर मिलेगा जहां पर चाय ,भजिए ,पकौड़ी ,चाय ,और सिगरेट मिलती है । और इसी के साथ वहा ज्ञान मिलता है जिंदगी जीने का । कॉलेज के स्टूडेंट्स को किताबी ज्ञान तो कॉलेज से मिल जाता है लेकिन व्यवहारिक और दुनिया जहां का ज्ञान इन्ही तपरो से मिलता है ।

वहां टपरे पे पहुंची तो देखा ये सेकंड ईयर वाला लड़का तो बाहर बैठा है । खैर वो दो चाय का बोली और अजिंक्य के पास पहुंच गई और उसके सामने खड़े हो कर पूछी " तुम्हारे लेक्चर चल रहे है ना ,तो तुम यहां क्या कर रहे हो "

अजिंक्य एक बार को नजर उठाता है और ध्यान से देख कर वापस सर झुका लेता है और तुनक कर बोलता है
" आपसे मतलब "

लड़की अजिंक्य से थोड़ी दूरी पे बैठ जाती है और बोलती है मुस्कुरा कर " लगता है फर्स्ट ईयर में रैगिंग हुई नही थी इसलिए सीनियर से बात करने की तमीज नही "

इस बात पर अजिंक्य एक बार को नजर उठा कर घूरता है लड़की को। और फिर दूसरी तरफ देखते हुए अपनी सिगरेट सुलगा लेता है । इतने में चाय आ जाती है तो लड़की चाय का एक ग्लास ले कर अजिंक्य की ओर बढ़ा कर बोलती है " और गुस्सा ना हो , लो चाय पियो "

पर अजिंक्य चाय नही लेता है इसपर लड़की मुस्कुरा कर बोलती है " अच्छा यार सॉरी ,वो मै बहुत परेशान थी उस पेपर के वजह से इसलिए ऐसा बोल गई । सॉरी न "

ये सुन कर अजिंक्य लड़की के तरफ देखता है और चाय ले लेता है ।
चाय दे कर लड़की दूसरा हाथ बढ़ा कर बोलती है

" मेरा नाम आशी है "
अजिंक्य उससे हाथ मिला कर बोलता है
" मै अजिंक्य "



To be continued in next part
बहुत ही बेहतरीन अपडेट है कहानी प्रेजेंट और पास्ट में चल रही है प्रेजेंट में कोई लड़की अजिंक्य से मिलने आती हैं वही पास्ट में आशी नामकी लड़की से थोड़ी तू तू मैं मैं के साथ मुलाकात होती है देखते हैं ये मुलाकाते कहा तक जाती हैं
 

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गातांक से आगे

PART 3

वर्तमान


अचानक उंगलियों पर तपिश महसूस हुई जैसे कोई आग से जला रहा है तो हड़बड़ा कर अजिंक्य अपनी तंद्रा से उठा । देखा तो सिगरेट पूरी जल कर राख हो चुकी है और अंगार अपने अंतिम सिरे पर देहक रहा है जिसकी तपिश उंगलियों पर महसूस हुई थी । गाने अभी तक बज रहे थे मोबाइल पर । मोबाइल उठा कर टाइम तो हैरान रह गया ।सुबह के ६ बज रहे थे । शायद उसका अतीत अब उसके ख्वाबों में आ कर उसे डराने लगा है । आसमान में हल्के बादलों के साथ हल्की रोशनी उजागर हो रही थी। वो उठा और ब्रश करके चूल्हे पर चाय बनने को रख दिया । इतने में अजिंक्य का फोन बजा। वो फोन चेक किया तो एक मैसेज आया था
" तुम वापस शहर में आ गए और मुझे बताया तक नही "

मैसेज पढ़ा और मुस्कुरा कर जवाब टाइप करने लगा

" आना तो नही चाहिए था पर इस शहर ने जख्म बहुत दिए है ,बदला देने तो आना ही था न "

इतना टाइप करके उसने जवाब भेज दिया और जा कर चाय एक प्याले में छान कर साथ में सिगरेट सुलगा कर फिर से कुर्सी पर बैठ गया चाय पीते हुए शून्य में कुछ ढूंढने की कोशिश करने लगा । इतने में उसका फोन फिर बजा लिखा था
" ठीक है मैं आ रही हू ,खाना तो खाए नही होगे ,सिर्फ दारू और सिगरेट में ही लगे होगे "

पढ़ा और मुस्कुरा दिया ये सोच कर कि इतने साल हो गए है ये मुझे कितना ज्यादा जानती है । कुछ सोचा और जवाब टाइप करने लगा
" ठीक है , पता तो जानती ही होगी "
" हां जानती हू "

इतनी बात हो कर उसने बातचीत बंद करके मोबाइल में fm रेडियो चालू कर दिया । रेडियो चालू होते ही गाने की एक लाइन सुनाई पड़ गई

" हर पल मुझको तड़पाता है ,मुझे सारी रात जगाता है
इस बात की तुमको खबर नहीं ,ये सिर्फ तुम्ही पर मरता है "

आंखे बंद करके कुर्सी पे पुष्ट टिका कर बैठ गया और अतीत के भंवर में खोने लगा ।

अतीत

"अबे मुट्ठल जल्दी कर बे देर हो रही है "

अजिंक्य अपने गले में टाई बांधते हुए चिल्ला रहा था क्यू के बहुत देर से अर्चित बाथरूम में था ,न जाने क्या कर रहा था। कुछ देर में अर्चित अपनी छोटी सी मेल थॉन्ग अंडरवियर में बाहर आया । और ट्राउजर पहनते हुए बोला
" यार सपने में सुनीता बाई की तूने लेने नही दी थी ना तो वही सोचते सोचते हुए बाथरूम में लंड खड़ा हो गया तो उसी को सुलाने में देर हो गई "

अजिंक्य : भोसड़ी के तेरे इस लंड के चक्कर में रोज कॉलेज में देर हो रही है , वो मीठा hod आज अपनी गांड मार लेगा ,याद रखियो

अर्चित : तो भाई दिलवा दे ना सुनीता बाई की चूत ,फिर कभी देर नही होगा

अजिंक्य : अबे मुझे दल्ला समझ रखा है क्या , जल्दी तैयार हो

आपस में नोक झोंक करते हुए दोनो तैयार हो कर रूम से निकले ही थे कि सुनीता बाई सामने आ गई
" भैया कल संडे है तो खाना सिर्फ सुबह मिलेगा ,शाम को मैं उनके साथ घूमने जाऊंगी तो शाम की छुट्टी "

सुनीता बाई ये बॉम्ब हम पर फोड़ रही थी और अर्चित उसके बिना पल्लू के ब्लाउज के अंदर झांक कर उसके बूब्स देखने की कोशिश कर रहा था और एक हाथ से अपना लंड मसल रहा था । तभी सुनीता बाई ने अर्चित की ओर देखा और उसकी नजरों का पीछा किया तो पता चला अर्चित तो उसके चूंचियां घूर रहा है , सुनीता कड़क हो कर अर्चित को आवाज दी

" O अर्चित भैया ,अगर इन्हें देख लिया हो तो मेरी बात भी सुन लो , कल शाम को खाना नही मिलेगा "

अर्चित मुस्कुराते हुए : ठीक है ना सुनीता ,कोई बात नही ,हम बाहर खा लेंगे

मै अर्चित को देखा और फिर सुनीता को देखा , फिर चिल्ला कर बोला " जल्दी चल यार "
हॉस्टल से बाहर निकल हम बस स्टॉप की ओर बढ़ चले । कुछ देर के इंतजार के बाद ही एक बस आ गई ,uspe चढ़े हम इधर उधर सीट के लिए देखा तो एक सीट सबसे पीछे खाली थी जहां खिड़की के पास एक औरत बैठी हुई थी गदरायी हुई ,सांवली रंगत , हल्की लाल लिपस्टिक ,एक छोटी ,और बूब्स भरे और बड़े ,तो अर्चित भाग कर उधर बैठ गया और दूसरी सीट खाली थी बस के बीच में जहां एक हल्के गेहूए रंगत वाली लड़की बालों को हाफ टाई की हुई थी ,होंठ थोड़े मोंटे पर रसदार , और हल्का पीला रंग का सूट पहने हुए थे । वही जा कर उसके बगल में बैठ गया । बस में भीड़ बढ़ती जा रही थी बस में धक्के भी लग रहे थे तो बार बार अजिंक्य का कंधा उस लड़की के कंधे से छू रहे थे । एक बार तो लड़की थोड़ा किनारे सरक गई और अजिंक्य ने खुद को भी थोड़ा इधर किया ताकि वापस ये गलती न हो ।कुछ ही देर में बस में अचानक ब्रेक लगा तो एक महिला अजिंक्य के ऊपर टकराई जिसके वजह से अजिंक्य उस लड़की से टकरा गया । दोनो ने खुद को संभाला और लड़की बोली

" ये क्या बदतमीजी है ,ठीक से नही बैठ सकते क्या "

अजिंक्य : मैडम मुझे कोई शौक नहीं ये सब करने का ,लेकिन वो आंटी मुझ पर गिरी तो मैं आप कर गिरा

लड़की : हां हां ठीक है ।

अजिंक्य ने ध्यान से देखा तो लड़की हाथ में कुछ फाइल फोल्डर्स और एक डायरी पकड़ कर बैठी है । कुछ ही देर में बस स्टॉप आया तो वो लड़की उतर गई । लेकिन अजिंक्य को ध्यान नही था ,इतने में अर्चित चिल्लाया " अबे अजिंक्य उतरना है बे "
अजिंक्य अपनी सीट से उठने लगा तो देखा एक कागज़ गिरा पड़ा है , शायद उस लड़की का था । कागज़ उठाया और बस से नीचे उतर गया और चलते हुए ध्यान से पढ़ने लगा । नाम था आशी ,उम्र 20 थर्ड ईयर।

" अरे थर्ड ईयर ! मतलब लड़की सीनियर है मेरी "
ये सोचते हुए कॉलेज के अंदर घुस कर उस लड़की को ढूंढने लगा कागज़ लौटाने के लिए

इधर वो लड़की अपने डिपार्टमेंट में थी सारे डॉक्यूमेंट्स जमा करवाने के लिए । सारे ही डॉक्यूमेंट्स जमा कर दिया था बस एक एनरोलमेंट वाला कागज़ नही मिल रहा था । बहुत ढूंढा पर नही मिला तो रुआंसी हो कर बाहर गार्डन में बैठ गई अकेले । इधर अजिंक्य पूरे कॉलेज में ढूंढ रहा था और ढूंढने के बाद गार्डन तरफ बढ़ चला तभी देखा कि वो पीले सूट वाली तो यही बैठी है । अजिंक्य लड़की के सामने पहुंच कर उसे आवाज दिया

" O हेलो मैडम "

इतना सुन कर वो लड़की अपना चेहरा उठाई और अजिंक्य को देखी और गुस्से में आ गई

" तुम पीछा करते करते कॉलेज तक आ गए "

अजिंक्य : कोई पीछा नहीं किया ,मै यही पढ़ता हूं

लड़की : किस ईयर में

अजिंक्य : सेकंड ईयर में

लड़की : मै तुम्हारी सीनियर हूं ,और तुम मुझे छेड़ने यहां तक पहुंच गए । वाह

अजिंक्य : o हूर परी की चोदी । मै तुझे कोई छेड़ने नही आया हूं । ये कागज़ गिर गया था तेरा बस में । इसलिए खुद की क्लास छोड़ कर तुझे ढूंढने आया ताकि तुझे दे सकू

और इतना कह कर वो कागज़ लड़की के हाथ में थमा कर चल दिया और लड़की उसे जाते हुए देखती रह गई ।
खैर लड़की अपने कॉलेज का काम खत्म करके कॉलेज से बाहर निकली कॉलेज के बाहर बने टपरे की ओर मुड़ चली

ये जो टपरा होता है वो हर कॉलेज के बाहर मिलेगा जहां पर चाय ,भजिए ,पकौड़ी ,चाय ,और सिगरेट मिलती है । और इसी के साथ वहा ज्ञान मिलता है जिंदगी जीने का । कॉलेज के स्टूडेंट्स को किताबी ज्ञान तो कॉलेज से मिल जाता है लेकिन व्यवहारिक और दुनिया जहां का ज्ञान इन्ही तपरो से मिलता है ।

वहां टपरे पे पहुंची तो देखा ये सेकंड ईयर वाला लड़का तो बाहर बैठा है । खैर वो दो चाय का बोली और अजिंक्य के पास पहुंच गई और उसके सामने खड़े हो कर पूछी " तुम्हारे लेक्चर चल रहे है ना ,तो तुम यहां क्या कर रहे हो "

अजिंक्य एक बार को नजर उठाता है और ध्यान से देख कर वापस सर झुका लेता है और तुनक कर बोलता है
" आपसे मतलब "

लड़की अजिंक्य से थोड़ी दूरी पे बैठ जाती है और बोलती है मुस्कुरा कर " लगता है फर्स्ट ईयर में रैगिंग हुई नही थी इसलिए सीनियर से बात करने की तमीज नही "

इस बात पर अजिंक्य एक बार को नजर उठा कर घूरता है लड़की को। और फिर दूसरी तरफ देखते हुए अपनी सिगरेट सुलगा लेता है । इतने में चाय आ जाती है तो लड़की चाय का एक ग्लास ले कर अजिंक्य की ओर बढ़ा कर बोलती है " और गुस्सा ना हो , लो चाय पियो "

पर अजिंक्य चाय नही लेता है इसपर लड़की मुस्कुरा कर बोलती है " अच्छा यार सॉरी ,वो मै बहुत परेशान थी उस पेपर के वजह से इसलिए ऐसा बोल गई । सॉरी न "

ये सुन कर अजिंक्य लड़की के तरफ देखता है और चाय ले लेता है ।
चाय दे कर लड़की दूसरा हाथ बढ़ा कर बोलती है

" मेरा नाम आशी है "
अजिंक्य उससे हाथ मिला कर बोलता है
" मै अजिंक्य "



To be continued in next part
बहुत ही बेहतरीन अपडेट है कहानी प्रेजेंट और पास्ट में चल रही है प्रेजेंट में कोई लड़की अजिंक्य से मिलने आती हैं वही पास्ट में आशी नामकी लड़की से थोड़ी तू तू मैं मैं के साथ मुलाकात होती है देखते हैं ये मुलाकाते कहा तक जा
गातांक से आगे

part 4


अतीत


इधर अर्चित आज कॉलेज से जल्दी आ गया था । हॉस्टल पूरा खाली था शायद सारे लड़के कॉलेज में थे । और अभी तो सिर्फ १ ही बजे थे । अपने रूम के तरफ बढ़ ही रहा था कि किचन से कुछ आवाज़ आई तो अर्चित वही रुक गया । ( ये हॉस्टल एक बिल्डिंग का ऊपर का फ्लोर में बना हुआ था जिसमे ८ रूम थे और रसोई । रसोई में ही सुनीता बाई और उसका पति सोता था )आवाज से लग रहा था कि रसोई में कुछ कांड चल रहा था तो अर्चित को उत्सुकता हुई ।इधर उधर छेद तलाशने लगा तो पाया दरवाजे के नीचे के पल्ले में एक छेद हो रखा है । अर्चित वहीं राहदरी में लेट गया और साइड हो कर छेद में आंख टिका दिया ।छेद से अंदर देखते ही अर्चित की सांस अटक गई ,धड़कने बढ़ गई और पैंट के अंदर लंड टाइट होने लगा । अंदर सुनीता बाई लेटी हुई थी ,उसका ब्लाउज खुला हुआ था और सारी पेटीकोट कमर तक थी और दोनो पतली टांगो के बीच उसका पति का सर था । लग रहा था उसका पति चूत चाट रहा है । ये देखते ही अर्चित का लंड फुल टाइट हो गया ।लेकिन छेद से आंखे टिका कर ही रखा था ।

सुनीता बाई बहुत ही धीरे धीरे बोल रही थी पर सुनने में आ रहा था
" उम्मम्म हम्म्म अजी अच्छे से बुर चाटो ना "
ऐसा कहते हुए अपने पति का सर अपनी चूत पे दबा रही थी
कुछ देर तक उसका पति चूत चाटता रहा फिर वो उठ गया । उसके ऐसे उठने से सुनीता खीझ कर रह गई लेकिन कुछ कही नही ।उसका पति अपना लंड सीधे सुनीता के चूत के मुहाने पे टिकाया और डाल दिया ,पर सुनीता के मुंह से बस हल्की सी आवाज निकली । इधर उसका पति चूत में लंड डाल कर धक्के लगाने लगा लेकिन सुनीता के हाव भाव से लग रहा था जैसे उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा ।उसका पति बस १०–१५ सेकंड धक्के लगाया और अपना पानी चूत में गिरा कर सुनीता के ऊपर लेट कर हांफने लगा ।सुनीता बुरा सा मुंह बना कर अपने ऊपर से पति को झटके से धक्का दे कर हटाती है और खड़ी हो जाती है और गेट खोलने बढ़ जाती है ऐसा लग रहा था जैसे वो इस चुदाई से संतुष्ट नहीं थी । अर्चित भी सुनीता बाई को गेट के तरफ आते देख जल्दी से खड़ा होता है और अपने रूम की ओर चल देता है । सुनीता बाई गेट खोल कर बाहर निकली तो देखा अर्चित के रूम का गेट खुला है ।वो रूम के अंदर गई तो अर्चित को बैठा देख पूछती है

" कब आए अर्चित भैया "
अर्चित : बस २० मिनट हुए

सुनीता को लगा अर्चित ने कुछ सुना या देखा तो नही तो एक बार को पूछ लिया

" अरे मुझे पता नहीं चला कि आप आ गए ।

अर्चित कमीनेपन से मुस्कुराते हुए बोला
" कैसे पता चलेगा इतने मजे की आवाज जो आ रही थी आह उह की तो मेरे आने की आवाज नहीं सुनाई दी होगी "

सुनीता बुरा सा मुंह बनाते हुए बोली

" अरे काहे का मजा हुंह "

अर्चित मुस्कुराते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से एडजस्ट करते हुए बोला " मेरे साथ आइए मजे ही मजे मिलेंगे "

सुनीता हंसते हुए जाते हुए बोली " कही ऐसा ना हो जाए अर्चित भैया "नाम बड़ा दर्शन छोटे "

और वो चली गई और अर्चित गेट लगा कर अपनी पेंट को उतार कर अपने लंड को हिलाते हुए आंखे बंद करके सुनीता के बारे में सोचने लगा। इधर अजिंक्य कॉलेज के बाहर टपरे पर आशी के साथ बैठा हुआ था चाय पीते हुए

आशी : तुम्हे पहले कभी नही देखा मैने कॉलेज में , आज पहली बार देख रही हूं

अजिंक्य : नही मै पिछले ६ दिनों से कॉलेज आ रहा हूं । पर दरअसल मैंने यहां ट्रांसफर लिया है । मै कुसुमनगर कॉलेज से ट्रांसफर लिया है ।

आशी हैरान होते हुए : क्यों । ट्रांसफर क्यू लिया । वहां क्या हो गया था ।

अजिंक्य मुस्कुराते हुए : वहां मेरा झगड़ा हो गया था सीनियर से इसलिए

आशी हंसते हुए : तो मार पड़ने के डर से भाग आए । वाह साहब

अजिंक्य : नही मार पड़ने के डर से नही

आशी : तो किस डर से छोड़ आए वहां से

अजिंक्य नजर झुका कर : वो दरअसल मैंने गुस्से में सीनियर्स पे गोली चला दी थी और एक hod को थप्पड़ मार दिया था । लेकिन मेरे दादाजी वहां रसूख वाले हैंतो मुझे सिर्फ ट्रांसफर किया गया ।

आशी हंसते हुए : यार तुम तो गुंडे बदमाश निकले । शकल से घोंचू दिखते हो ।

ऐसा कह कर दोनो हंसने लगे । टपरे वाले को चाय के पैसे दे कर दोनो पैदल पैदल बस स्टॉप तक आए और विदा ले कर अपने अपने गंतव्य के लिए चल पड़े ।



वर्तमान

इधर दरवाजे पे लगातार घंटी बज रही थी जिससे अजिंक्य की तंद्रा टूटी तो पता चला बाहर गेट की डोरबेल बज रही है । वो उठा और दरवाजा खोला तो वही मैसेज करने वाली लड़की खड़ी थी । वो देखता ही रहा ,आज भी वही मासूमियत , आंखो में मोटा काजल , हॉफ टाई बाल ,और आंखो में गुस्सा ।गेट से अंदर घुसते हुए अजिंक्य के गाल पे थप्पड़ पड़ा ।लड़की को हतप्रभ देखता ही रह गया और बस मुंह से निकला

" अबे आशी ये क्या "


To be continued
बहुत ही सुन्दर लाजवाब और रमणीय अपडेट है
Msg और कॉलेज वाली लड़की एक ही है और वो है आशी अजिंक्य ने तो कांड कर दिया लगता है ये गुंडा टाइप का लड़का है देखते हैं आगे क्या और कांड करेगा
 

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PART 5

वर्तमान


" ये थप्पड़ क्यू मारा तुमने "
अजिंक्य लगभग गुस्से से खीझते हुए अपने गाल को सहलाते हुए बोला

"ये थप्पड़ तो उसी समय मारना था जब तुम मुझे छोड़ गए थे " इतना कह कर लगभग अजिंक्य को धक्का दे कर अंदर करके आशी कमरे के दरवाजे को बंद की और अपने साथ लाई झोले को किचन की स्लैब पर रख दी । और सर घुमा कर पूछी

" चाय पियोगे ? "

अजिंक्य अपने जबड़े को हाथ से उधर उधर करते हुए बोला
" पीना तो है पर दूध नही है "
" मैने सिर्फ पूछा है चाय पियोगे या नही , ये नही पूछा के दूध है या नही "

" जी समझ गया मालकिन " कह कर अजिंक्य गया अंदर कमरे में और अपना फोन ले कर उसमे fm शुरू कर दिया ।

" हम तुम कितने पास हैं
कितने दूर हैं चाँद सितारे

सच पूछो तो मन को झूठे
लगते हैं ये सारे "

गाने की यही पंक्ति सबसे पहले सुनाई दी । और इधर आशी किचन में काम करते हुए ये गाने की लाइन सुनी और सर घुमा कर अजिंक्य की तरफ घूर कर देखी और वापस अपने काम पर लग गई । चाय बनाने में लगी हुई थी वो और इधर अजिंक्य का लंड तन रहा था आशी की गोल मटोल गांड देख कर । अजिंक्य ने गौर किया कि आशी का शरीर इन २ ३ सालों में और भर गया है और वो और सेक्सी हो गई है ।
अचानक ही आशी की आवाज ने अजिंक्य को उसकी सोचो से बाहर खींच लाई
" ज्यादा घूरो मत वरना मुंह तोड़ दूंगी "
ये सुन कर अजिंक्य फिर सोचने लग गया कि भेमचोद इस लड़की हर बार बिना देखे कैसे पता लग जाता है कि मैं इसे घूर रहा हूं ।

इतने में आशी चाय ले आती है और एक प्याला इसको थमा कर दूसरा प्याला ले कर बालकनी में खड़ी हो जाती है । हल्के बादल वाला आसमान था ।लग रहा था आज फिर बारिश होगी ।रात होते होते बारिश शुरू हो जाएगी । इतने में अजिंक्य भी उसके बगल में आ खड़ा हुआ । अपना प्याला बालकनी के दीवार पर रखा और सिगरेट सुलगाने लगा ये देख कर आशी सिगरेट अजिंक्य के मुंह से छिनती है और फेंक देती है बालकनी से नीचे । अजिंक्य कुछ न कह कर एक दूसरी सिगरेट जलाता है और आशी फिर उसे फेंक देती है । अजिंक्य फिर से एक सिगरेट सुलगाने की कोशिश करता है आशी चीख पड़ती है

" मना किया था सिगरेट मत पियो , तुम मानते क्यू नही आखिर "

" आखिर क्यों मानू तुम्हारी बात " अजिंक्य चीखते हुए गुस्से में कहा

आंखो में आंसू लिए आशी कही " क्यू कि मुझे तुम्हारी फिक्र है , क्यू कि मैं तुमसे प्या.... " आगे का वाक्य अधूरा छोड़ आशी अपना प्याला लिए अंदर चली गई किचन में और स्लैब में टिक कर रोने लगी ।
कुछ देर बाहर खड़ा रहा अजिंक्य और फिर अंदर गया और अपने हथेलियों में आशी का चेहरा ले कर बोलता है " सॉरी न , अब से गलती नही होगी "
" किस किस बात के लिए माफी मांगेंगे तुम अजिंक्य ,किस किस बात के लिए आखिर । पता है मैने तुम्हारा कितना इंतजार किया , हर रात मेरी तुम्हारे इंतजार में कटी है । हर रात मैं रोई। ,सिर्फ तुम्हारे लिए । और तुम पता नही कहां थे "
अजिंक्य आशी को अपने सीने से लगाते हुए उसके सर पे चूमते हुए बोला " बस ये समझो धोखा खाने और जिंदगी से लड़ने गया था । अब आ गया हूं , कही नही जाऊंगा "

आशी अजिंक्य की आंखो में देखते हुए बोली " तुम सच बोल रहे हो ना , वादा करो ,खाओ कसम मेरे मरे मुंह की "

" हां बाबा ,कसम खाता हूं अब कही नही जाऊंगा "

" अच्छा चलो अब मुझे देर हो गई है । अंधेरा हो रहा है , मुझे घर जाना है , तुम्हारे लिए खाना लाई थी , खा लेना , मै सुबह जल्दी आ जाऊंगी । "

इतना कह कर आशी निकल गई और पीछे छोड़ गई अजिंक्य के लिए ढेर सारी अतीत की यादें ।

बिस्तर पर लेटा हुआ था कुछ सोचते हुए । बाहर घनघोर बारिश हो रही थी । अजिंक्य बिस्तर से उठा ,अपना सिगरेट का पैकेट उठाया और चल दिया फिर से घाट पर । घाट पर पहुंच कर कुछ देर तो बारिश में बैठा भीगता रहा फिर पानी में उतर में तब तक खुद को डुबोए रखा जब उसकी सांसों ने टूटने का जोखिम न ले लिया । पानी से सर बाहर निकाल कर अजिंक्य बढ़ चला मंदिर की सीढ़ियों पर । वहा जा कर देखा तो वही बाबा बैठा हुआ था और अजिंक्य को ही घूर रहा था । बाबा को देख अजिंक्य ने मुस्कुरा दिया और अपने जेब से पन्नी में रखे पैकेट को निकाल उसमे से सिगरेट सुलगा लिया और एक सिगरेट बाबा को दी

" लो बाबा सिगरेट पियो "
बाबा को सिगरेट और लाइटर कर वही खुद सीढ़ियों पे बैठ कश खींचने लगा

" तुझे मना किया था न यहां मत आया कर , तेरा वक्त नही आया अभी "

बूढ़ा बड़ा आसमान की ओर एकटक देखता हु अजिंक्य को बोला

" बाबा ये जिंदगी भी किसी काम की है भला ,जिसमे घुट घुट कर जीना पड़ रहा है । बस अब तो सोच लिया है या तो मैं jiyunga बदला लेने के लिए या मर ही जाऊंगा। अगर न ले पाया था "
अजिंक्य सिगरेट के धुएं को आसमान में उड़ात हुआ बोला

एक बार फिर बूढ़ा अजिंक्य को देख कर मुस्कुराया और बोला
" बदला लेने से किसका भला हो पाया है "

" मुझे भला नही करना बस सुकून चाहिए । और सकूं तभी मिलेगा जब बदला लूंगा " इतना कह कर अजिंक्य खड़ा हो कर जाने लगा

इतने में बूढ़ा बाबा ने आवाज दे कर कहा

" मुझे कुसुमपुर ले चलेगा ? "
कुसुमपुर नाम सुनते ही अजिंक्य के पैर जहां थे वहीं रुक गए । एक जमाना हुआ इस जगह का नाम सुने हुए । पलट कर सिर्फ इतना ही बोल पाया " कुसुमपुर ? "

" हां कुसुमपुर तेरा तो रिश्ता है ना वहां से । वही जाना है वही मेरी साधना पूरी होगी । और मैं चाहता हूं तुम मुझे अपनी गाड़ी पर बैठ कर छोड़ दे "

इतना कह कर बाबा मुस्कुरा कर उठ खड़े हुए अपना झोला टांगने लगे

" चलो छोड़ देता हूं " अजिंक्य कुछ न कहते हुए बस अपनी बाइक की ओर चल दिया ।

कुसुमपुर एक ६ किलोमीटर की जद में फैला कस्बा । जहां अजिंक्य का बचपन गुजरा और कॉलेज के बीच ३ साल का वक्त गुजरा अपमान ,जिल्लत ,और मौत से सामना करने में । वही कुसुमपुर जहां अजिंक्य ने अपना सब कुछ खो दिया और अब इस अरमान में जिंदा है की बदला ले सके ।

To be continued in next part
Fantastic update hai
ये अघोरी बाबा अजिंक्य को हर बार मिल जाता है और वह उसे कुसुमपुर छोड़ने की बोलता है मतलब बाबा अजिंक्य के बारे में जानता है देखते है बाबा क्या करता है देखते ऐशा क्या हुआ इन 3 सालो में
 

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
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#गताँक से आगे

आज ना जाने क्यों अजिंक्य के दिल में कुछ अजीब ही महसूस हो रहा था । एक घबराहट सी थी , मानो वो सब कुछ खोने वाला है । कुछ देर तक तो वो उस हवेली के छत पर टहलता रहा। ,लेकिन उसे चैन नहीं आया तो गाड़ी ले कर अकेले ही कुसुमपुर चला गया । वहां वो सीधे अपने घर पर गया था । वहां दरवाजे पर ताला लटक रहा था । अंतिम बार जब घर से निकला था तो ताला लगा कर आया था और चाभी न जाने कहां खो गई थी । रात में ताला तोड़ेगा तो कहीं चोर न समझ ले ।इसलिए बस नम आंखों से घर को देखा और वापस चल दिया हवेली की तरफ ।

उस गाड़ी जंगल वाले रास्ते से निकल रही थी धीमे धीमे , कि उसको एक चीख सुनाई दी ,जिसकी वजहब्से उसने गाड़ी रोक दी । और फिर से वहीं आवाज ध्यान से सुनने की कोशिश करने लगा । जब ५ १० मिनट गुजर गए और आवाज नही आई तो अजिंक्य ने गाड़ी चालू की और जाने ही वाला था कि एक चीख फिर आई । अजिंक्य गाड़ी से उतरा और जंगल के अंदर चलता गया । जंगल के अंदर जाने से किसी के कराहने और रोने की आवाज साफ साफ सुनाई देने लगी । अजिंक्य अब आवाज की दिशा में ही चल रहा था . कुछ दूर पहुंचने पर सामने का दृश्य देख कर वो ठिठक कर रह गया । सामने एक लड़की जैसी दिखने वाली ,एक इंसान के ऊपर झुकी हुई थी और उसके सीने को फाड़ कर खून चाट रही थी और उसका खून अपने बालों पर लगा रही थी । कुछ देर तक तो अजिंक्य उसको ऐसे ही देखता रहा । फिर हिम्मत से काम ले कर उस लड़की को बोलता है

" ए कौन हो तुम , "

वो लड़की अपने सर उठाए एक बार को पल भर के लिए अपना सर उठाया और मुस्कुराते हुए वापस सर नीचे करके उस लाश के सीने के अंदर हाथ डाल कर अंजुली में खून भर के पी लिया और खड़े होते हुए एक अंगड़ाई ली और जोर से हंसते हुए अजिंक्य के पास आने लगी
अजिंक्य का दिल एक बार को हड़बड़ाया पर वो वही खड़ा रहा , अभी तक वो उस लड़की को पहचानने की कोशिश कर रहा था । लड़की पास आई और जैसे अजिंक्य ने उसका चेहरा चांदनी रोशनी में ठीक से देखा तो ।

अजिंक्य : अंशुल तुम ??

अपने खून से सने हुए हाथो को अजिंक्य के गाल पे रखते हुए

अंशुल : कहा था तुमने कि इश्क मत कर बर्बाद हो जाओगे
देख आज मुझे और हालातो को

अजिंक्य के आंखो में एक पल को अंशुल को देखते हुए आंसू आए थे , उस पल में वो उसके साथ बिताए हर एक वो मुलाकाते ,बातें हंसना रोना सब याद आ गया था , वो शादी के वादे भी याद आ गए थे जो उसलन्हों कॉल पर किए थे और याद आ गया कि कैसे उसने और उसके बाप ने अजिंक्य और उसके मां बाप को मरवाया था ।
ये सब याद आते ही उसने नफरत से अंशुल का हाथ झटक दिया ।

एक पल को अंशुल मुस्कुराती रही और अचानक ही उसकी आंखो में अजीब सी चमक आने लगी और वो अजिंक्य को धक्का दे कर गिरा दिया ।

अजिंक्य गिरते ही संभला और उठ कर खड़ा हो गया , और जैसे ही अंशुल उसके ऊपर झपट्टा मारी तो उसने खींच कर एक थप्पड़ अंशुल के मारा जो उसके गाल और कनपटी पर पड़ा। अंशुल गिरी और लगातार अजिंक्य को देखने लगी ,एक पल को उसके आंखो मे आंसू तैर रहे थे कि दूसरे ही पल उसके आंखो में दरिंदगी आ गई । वो झपटी अजिंक्य के ऊपर पूरे गुस्से से और अजिंक्य उसका धक्का लगते ही गिर पड़ा और अंशुल उसके सीने पर सवार हो कर अपने नाखून उसके सीने पर मार दिए । जिससे अजिंक्य दर्द से चीख पड़ा । और धीरे धीरे अंशुल अजिंक्य के गले पर झुक कर उसके गर्दन से खून पीने लगी और चांद की ओर देख कर जोर से चिल्लाई

" आह शक्ति , दे मुझे शक्ति "

अजिंक्य की आंखे बंद होने लगी थी उसको बंद होती आंखो से दिखा कि कोई अंशुल को जलती हुई मशाल से मार रहा है । फिर उसकी आंखे बंद हो गई ये सोचते हुए कि ये उसका हमदर्द कौन है .... ?



to be continued
 

parkas

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#गताँक से आगे

आज ना जाने क्यों अजिंक्य के दिल में कुछ अजीब ही महसूस हो रहा था । एक घबराहट सी थी , मानो वो सब कुछ खोने वाला है । कुछ देर तक तो वो उस हवेली के छत पर टहलता रहा। ,लेकिन उसे चैन नहीं आया तो गाड़ी ले कर अकेले ही कुसुमपुर चला गया । वहां वो सीधे अपने घर पर गया था । वहां दरवाजे पर ताला लटक रहा था । अंतिम बार जब घर से निकला था तो ताला लगा कर आया था और चाभी न जाने कहां खो गई थी । रात में ताला तोड़ेगा तो कहीं चोर न समझ ले ।इसलिए बस नम आंखों से घर को देखा और वापस चल दिया हवेली की तरफ ।

उस गाड़ी जंगल वाले रास्ते से निकल रही थी धीमे धीमे , कि उसको एक चीख सुनाई दी ,जिसकी वजहब्से उसने गाड़ी रोक दी । और फिर से वहीं आवाज ध्यान से सुनने की कोशिश करने लगा । जब ५ १० मिनट गुजर गए और आवाज नही आई तो अजिंक्य ने गाड़ी चालू की और जाने ही वाला था कि एक चीख फिर आई । अजिंक्य गाड़ी से उतरा और जंगल के अंदर चलता गया । जंगल के अंदर जाने से किसी के कराहने और रोने की आवाज साफ साफ सुनाई देने लगी । अजिंक्य अब आवाज की दिशा में ही चल रहा था . कुछ दूर पहुंचने पर सामने का दृश्य देख कर वो ठिठक कर रह गया । सामने एक लड़की जैसी दिखने वाली ,एक इंसान के ऊपर झुकी हुई थी और उसके सीने को फाड़ कर खून चाट रही थी और उसका खून अपने बालों पर लगा रही थी । कुछ देर तक तो अजिंक्य उसको ऐसे ही देखता रहा । फिर हिम्मत से काम ले कर उस लड़की को बोलता है

" ए कौन हो तुम , "

वो लड़की अपने सर उठाए एक बार को पल भर के लिए अपना सर उठाया और मुस्कुराते हुए वापस सर नीचे करके उस लाश के सीने के अंदर हाथ डाल कर अंजुली में खून भर के पी लिया और खड़े होते हुए एक अंगड़ाई ली और जोर से हंसते हुए अजिंक्य के पास आने लगी
अजिंक्य का दिल एक बार को हड़बड़ाया पर वो वही खड़ा रहा , अभी तक वो उस लड़की को पहचानने की कोशिश कर रहा था । लड़की पास आई और जैसे अजिंक्य ने उसका चेहरा चांदनी रोशनी में ठीक से देखा तो ।

अजिंक्य : अंशुल तुम ??

अपने खून से सने हुए हाथो को अजिंक्य के गाल पे रखते हुए

अंशुल : कहा था तुमने कि इश्क मत कर बर्बाद हो जाओगे
देख आज मुझे और हालातो को

अजिंक्य के आंखो में एक पल को अंशुल को देखते हुए आंसू आए थे , उस पल में वो उसके साथ बिताए हर एक वो मुलाकाते ,बातें हंसना रोना सब याद आ गया था , वो शादी के वादे भी याद आ गए थे जो उसलन्हों कॉल पर किए थे और याद आ गया कि कैसे उसने और उसके बाप ने अजिंक्य और उसके मां बाप को मरवाया था ।
ये सब याद आते ही उसने नफरत से अंशुल का हाथ झटक दिया ।

एक पल को अंशुल मुस्कुराती रही और अचानक ही उसकी आंखो में अजीब सी चमक आने लगी और वो अजिंक्य को धक्का दे कर गिरा दिया ।

अजिंक्य गिरते ही संभला और उठ कर खड़ा हो गया , और जैसे ही अंशुल उसके ऊपर झपट्टा मारी तो उसने खींच कर एक थप्पड़ अंशुल के मारा जो उसके गाल और कनपटी पर पड़ा। अंशुल गिरी और लगातार अजिंक्य को देखने लगी ,एक पल को उसके आंखो मे आंसू तैर रहे थे कि दूसरे ही पल उसके आंखो में दरिंदगी आ गई । वो झपटी अजिंक्य के ऊपर पूरे गुस्से से और अजिंक्य उसका धक्का लगते ही गिर पड़ा और अंशुल उसके सीने पर सवार हो कर अपने नाखून उसके सीने पर मार दिए । जिससे अजिंक्य दर्द से चीख पड़ा । और धीरे धीरे अंशुल अजिंक्य के गले पर झुक कर उसके गर्दन से खून पीने लगी और चांद की ओर देख कर जोर से चिल्लाई

" आह शक्ति , दे मुझे शक्ति "

अजिंक्य की आंखे बंद होने लगी थी उसको बंद होती आंखो से दिखा कि कोई अंशुल को जलती हुई मशाल से मार रहा है । फिर उसकी आंखे बंद हो गई ये सोचते हुए कि ये उसका हमदर्द कौन है .... ?



to be continued
Nic and lovely update....
 
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