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Adultery एक चौथाई इश्क एक तिहाई बदला

कहानी का पहला भाग खत्म हों गया तो पुराने पाठक अब ये बताइए , कहानी का कौन सा भाग शुरू करूं ?


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Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
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124
Lagta hai thoda jyada hi serious ho gaye aap aapka Mann nahi tha likhne ka to thoda thoda typing mistake ho gaya jispe aapne edit nahi kiya chaliye ye jane dijiye

Naya character ki entry ye kyu aaye hai kahani me chaliye dekhte hai kese madad karte hai ajinkya ki ye vo nakabposh sanchika hai shehar ab kusumpur bhi pahuchne vala hai jald hi ajinkya aur iss nakabposh ki jhadap dekhne ko milegi

Great bro Achi ja rahi hai kahani keep it up
Job. Ke wajah se dimag kaam nahi kar raha hai do teen dino se . Isliye likhne ka man nahi kiya . Aur kahani ka aage ka plot bhi devlop nahi kar raha .
 

Naik

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#गताँक से आगे

" समझ नही आ रहा कि ये सब कौन करवा रहा है "

ध्यान से उठते हुए अजिंक्य ने आशी को बोला । आशी वहीं पर बिस्तर पर बैठे अपने लैपटॉप में कुछ काम कर रही थी ।

आशी भी कुछ सोचते हुए बोली

" वही तो बात है ,कहीं से भी कुछ समझ नहीं आ रहा । कहीं तुम्हारी वो अंशुल और उसका बाप तो ये सब नहीं करवा रहा "

अजिंक्य अपनी त्योरियां चढ़ाते हुए बोला

" तुम्हारी ? "

आशी शरारत से मुस्कुराते हुए बोली

" हां वही तुम्हारी अंशुल"

"तुम ना दिमाग न खराब किया करो मेरा । "

अजिंक्य आशी के गालों को अपने हाथो मे पकड़ते हुए बोला

" तुम्हारी ही कहूंगी , तुम ही गए थे मुझे छोड़ कर उसके पास "

" अच्छा ये छोड़ो , लेकिन बात तो है ये काम तो वो लोग भी करवा सकते है । पर पता कैसे करें "

दोनो लोग सोच रहे थे कि आशी का मोबाइल बजा , कुछ देर बात करने के बाद फोन काट दियाबाउर अजिंक्य से बोली
" बाबू हमने जो डील किया है ।उसका काम परसो से शुरू होगा । अभी मैनेजर साहब का फोन आ या था । हम अब कुसुमपुर चलना होगा "

" कुसुमपुर"

अजिंक्य उदास होते हुए बोला तो आशी उसके गले में बाहें डालते हुए बोली

" हां कुसुमपुर , अब सारे बदले वही से लिए जाएंगे "

" पर हम रहेंगे कहां "

अजिंक्य कुछ सोचते हुए बोला तो आशी मुस्कुराई

" अरे अभी तुम्हारी जान साथ में है ना तो इतना क्यों सोच रहे हो । " ।।

इतना कह कर आशी ने किसी को फोन मिलाया और सारी तैयारी करने को बोल दी और कुछ असलहा समान भी लोड करवाने को बोल दिया ।

न जाने क्या चल रहा था उसके मन में और क्या करने जा रही थी । पर अब जिंदगी में नया ट्विस्ट आने वाला था ।

उधर कुसुमपुर में

हवेली के कमरे में किसी के चीखने की आवाज आ रही थी , पर जैसे ये तो रोजमर्रा का ही काम हो गया था ,किसी को फर्क नही पड़ता लेकिन आज कुछ ही आवाज गूंज रही थी । सारे नौकर नीचे खड़े हो ऊपर वाले कमरे की ओर देख रहे थे । तभी बाहर से सुरेश बिल्डर आता है ,सभी नौकरों को हाल में खड़ा ऊपर की तरफ देखते हुए गरज कर बोला

" क्या हो रहा है "

तभी उनका सबसे बूढ़ा नौकर बुधिया बोला

" मालिक आज ना जाने क्यों छोटी बेबी के कमरे से बहुत चीखने की आवाज आ रही है , और आज तो ग्यारस भी नही है "

सुरेश को फिर से चीखने की आवाज आई , उसका दिल दहल गया । वो जल्दी जल्दी सीढियां चलने लगा । ऊपर वाले कमरे के दरवाजे के बाहर पहुंच एक बार को ठिठका लेकिन हिम्मत करके दरवाजा खोल ही दिया । कमरे का हाल देख कर उसकी चीखे ही निकल गई .....


to be continued
Bahot behtareen shaandaar update bhai
 

Naik

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#गतांक से आगे


सामने बिस्तर पर एक आदमी बंधा हुआ था , और एक लड़की उसके जांघो पर बैठ कर एक तेज़ नश्तर धीरे धीरे उसके सीने के मांस की एक एक पतली परत काट काट कर खा रही थी । वही वो आदमी सिर्फ चिल्ला रहा था । सुरेश ने ये देखा और उसके रीढ़ की हड्डी तक डर और सिहरन दौड़ गई । फिर भी उसने हिम्मत करके आवाज दी

" अंशुल बेटी अंशुल " ।
एकबार को अंशुल ने नजर घुमा कर अपने बाप को देखा लेकिन फिर वापस ही अपने काम में लग गई और उस आदमी को धीरे धीरे काटने लगी ।
सुरेश बिल्डर मानो खून के आंसू रो रहा था ,बेहद बेबस हो कर उसने विनती की

" अब तो छोड़ दो मेरी बेटी को , अब तो तुम्हारा बदला भी हो गया है । मेरी बच्ची को बक्श दो "

अंशुल बस हंस रही थी , और उस आदमी के सीने से रिश्ते खून को नीचे बैठ कर चाटने लगी।

इधर अजिंक्य ध्यान में बैठा था
पर मानो वो अपने जवाब ढूंढ रहा था वो ध्यान में था या सपने देख रहा था पता नही चल पा रहा था ।

एक घुप्प अंधेरे कमरे में था ,बहुत देर तक वो इधर उधर हाथ पांव मारता रहा । घबराहट सी होने लगी थी। तभी वो देखता है की एक कोने से रोशनी आ रही है हल्की हल्की । उधर ही बढ़ चला था ।उसने देखा एक शख्स रोशनी के सामने कुर्सी में बैठा हुआ था जैसे वो कुछ सोच रहा था। अजिंक्य धीरे धीरे उसी ओर बढ़ चला था । वो उस शख्स के बहुत नजदीक पहुंच गया था ,उसके चेहरे पर एक मास्क सा लगा हुआ था । अजिंक्य हाथ बढ़ाने लगा मास्क की ओर । लेकिन तभी उस शख्स की आंखे खुल जाती है ।

" कौन है ,कौन है उधर "

अजिंक्य ये देख कर पीछे होने लगता है , लेकिन अचानक वो शख्स खुश हो जाता है

" तू जिंदा है ? अजिंक्य तू जिंदा है ।। हा हाहाहाहाहा अजिंक्य जिंदा है तू । "

अचानक अजिंक्य की आंखे खुल जाती है । वो पसीने पसीने हो गया था । उसे समझ नही आ रहा था कि ये क्या था । सच था या ख्वाब था। वो शख्स कौन था और वो इसे पहचानता कैसे था ।

ये सब वो आशी को बताना चाहता था लेकिन आशी बाहर गई हुई थी । अचानक उसे याद आया कि अब उसे कुसुमपुर जाना था उस होटल के काम से । लेकिन उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो कैसे क्या करे । उसके दिमाग में कुछ आया और चल दिया घर से बाहर अपने पुराने फ्लैट की ओर । चाभी वही आशी के अलमारी में मिल ही गई थी । घर से बाहर निकल कर वो ऑटो में बैठा और। ऑटो ड्राइवर को एड्रेस बता दिया । और खुद अपने कानो में हेडफोन लगा कर गाने सुनने लगा


कुछ ही देर में वो उस बिल्डिंग के बाहर खड़ा था। ,जहां वो एक बदले का अरमान लिए आया था । जहां उसे आशी के मिलने की कोई आशा नहीं थी । बस वो अकेला था और दिल में बदले की आग थी । वो चल दिया ऊपर अपने फ्लैट की ओर । दरवाजा खोल कर अंदर आ गया । वहां वो सीधे अपने बेडरूम में गया और चारो तरफ देखने लगा । और एक तरफ को दीवार को हाथ से छू कर देखने लगा । वो इसे तोड़ना चाहता था ,वो अपने फ्लैट में कुछ ढूंढने लगा । उसे किचन में अदरक कूटने वाला इमाम दस्ता मिला । काफी भारी होता है उसका कूटने वाला । वो उससे दीवार पर मारने लगा । अपने में ही मगन था वो उसे पता ही नही था कि उसे किसी की दो आंखे लगातार घूर रही है । बस वो दीवार तोड़े जा रहा था । अचानक से उसकी आंखो में खुशी आ गई । वो चीज जिसके लिए वो दीवार तोड़ रहा था उसे नजर आ गई थी । उसे वो निकाल लिया था ,एक लाल पोटली में बांध कर छुपाया था ।

पोटली खोली तो उसमे एक colt revolver था ,एक सुनहरी मुठ वाला खंजर था , और चमड़े के छोटे से पत्ते में लिपटी अजीब सी चाभी थी ।

अचानक अजिंक्य को कुछ महसूस हुआ उसने आंखे बंद की। और तेजी से बाहर के गए के पीछे छुपे आदमी के पास पहुंच गया और उसके गले को पकड़ लिया । और बेहद दबे लेकिन खूंखार स्वर में बोला

" कौन है तू , बहुत देर से पीछा कर रहा था मेरा ,बता कौन है तू "

बदले में वो आदमी सिर्फ अविश्वास से अजिंक्य की ओर देख रहा था , कि अभी तो वो अजिंक्य को वहां दीवार। के पास देख रहा था । लेकिन इतनी जल्दी वो यहां कैसे पहुंच गया ।

फिर भी वो थूक निगल कर पूछ ही लिया

" तू अजिंक्य है ना , कुसुमपुर वाला "
अजिंक्य चौंका लेकिन उसने ऊपर से जाहिर न होने दिया । उसे समझ में आ रहा था कि उस दिन वाले दोनो गुंडे भी उसी के साथी थे। तो हो सकता है ये भी कुछ बिना बताए उनके जैसे ही आत्महत्या कर ले । ये सोच कर अजिंक्य इस आदमी के आंखो के नजदीक आया और आंखो में गौर से देखने लगा ।

" मुझे तुम सम्मोहित नही कर पाओगे , या शायद कर भी लोगे मुझे नही पता , लेकिन तुम अजिंक्य ही हों न ? "

" हां मैं अजिंक्य हू , पर तुम बताओ ,मेरा पीछा क्यू कर रहे थे "

अजिंक्य अपना हर एक शब्द चबाते हुए पूछ रहा था
वो आदमी पसीने से तरबतर हो रहा था । शायद वो अपने ऊपर से अपना स्वामित्व खोता जा रहा था ।

" मै तो उस घर की लड़की के पीछे था । पर किस्मत से टकरा गए , बस हमारी मुलाकात इतनी ही थी "

वो इंसान मुस्कुराया और अपने दांत से अपनी जीभ को काटा शायद और तुरंत ही उसके मुंहासे झाग निकला और वो मर गया था ।

अब अजिंक्य के पास फिर से सिर्फ सवाल ही रह गए थे । कौन है ये लोग जिन्हें आशी की तलाश है ।
कोई भी हो ,मै एक एक को खत्म कर दूंगा , किसी को आशी के पास पहुंचने नही दूंगा । पर अब इस लाश का क्या करूं । किसी ने इसे मेरे यहां आते हुए देखा तो नही । अगर नही देखा होगा तो इसे रात में छत पर ले जा कर नीचे धक्का दे दूंगा और चुपके से चला जाऊंगा मैं भी ।

फिर वो भी लाश को छोड़ कर। बेडरूम में जा कर लाल पोटली में मिले चमड़े के पत्ते को खोल कर देखने लगा । वो किसी प्रकार का नक्शा था । ये नक्शा उसके घर से मिला था । उसकी मां ने उसे मरने से पहले दिया था । और वो उस रात अंशुल के घर जाने से पहले sam को दे कर गया था । और जब ठीक हुआ तो sam से लेकर शहर आ गया और अपने फ्लैट की दीवार की मोटाई नाप जोख कर उसे दीवार में ही चुन दिया था ।

उसकी मां ने कहा था कि उसके आगे के सफर में ये चीजें काम आएंगी । अपनी जान से ज्यादा संभाल कर रखना



to be continued
Bahot khoob shaandaar update bhai
 

Naik

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#गताँक से आगे

" हहहहहहहा हाहाहाहाहा "
भयानक अट्टहास कर रहा था वो शख्स । अंधेरे में अकेले घूमते हुए।खुद से ही बातें कर रहा था

" जिंदा है वो ,वो लड़का जिंदा है । अब मुझे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती वो ताकत पाने से "

अपने आप में ही खुश हो रहा था वो । उसके नुमाइंदे सिर्फ उसको आंखे फाड़ कर देख ही रहे थे ।

" लड़की को छोड़ो अजिंक्य को ढूंढो । आकाश पाताल एक कर दो ,मुझे लड़का जिंदा सही सलामत चाहिए "

इधर ..... शहर में अजिंक्य ने आखिरकार अंधेरा होने पर किसी तरफ घसीट कर उस लाश को छत तक ले गया और वहां उसके चेहरे और कपड़े में अपने फ्लैट में रखी हुई पुरानी शराब की बॉटल में से शराब उड़ेल दी और बिल्डिंग के पीछे एक मैदान था जहां बड़े बड़े पत्थर पड़े हुए थे । वहां उसे फेंक दिया नीचे । और खुद भी अपने फ्लैट को ताला मार कर चुपके से अपनी बिल्डिंग से बाहर आ कर मैन रोड से ऑटो पकड़ लिया । ऑटो में से ही उसने किसी को फोन मिलाया

" हेलो अजिंक्य बोल रहा हू

"............."

" मैं ठीक हू , कुसुमपुर आ रहा हू , तैयारी करो "

".................."

" ठीक है सुबह अपडेट करता हू "

इतना कह सुन कर फोन काट दिया। ,थोड़ी देर में वो आशी के घर पहुंच गया जहां पर उसने देखा आशी घर के पोर्च में घूमते हुए अजिंक्य का इंतजार कर रही थी । जैसे उसने देखा के अजिंक्य गेट खोल कर अंदर आ रहा है तो वो दौड़ कर गई और उसके सीने से चिपक गई

" कहां चले गए थे तुम , और तुम्हारा फोन क्यू नही मिल रहा था , अभी थोड़ी देर पहले कनेक्ट भी हुआ था तो तुम किसी से बात कर रहे थे और मेरा कॉल कट कर दिया "

अजिंक्य ने आशी के बालों पे हाथ फेरते हुए उसके सर पे किस किया और बोला

" अरे मेरी जान ,मुझे सांस तो लेने दो , मै बस फ्लैट तक गया था । अच्छा अब मुझे घर के अंदर तो ले चलो ,सब बताता हू "

अजिंक्य घर के अंदर आया , कपड़े उतार कर नहाया और खाना खा कर बाहर बालकनी में सिगरेट पीते हुए। आशी को सब कुछ बता दिया। । अब आशी कुछ सोचने वाली मुद्रा में आ गई थी ।

" आखिर कौन है ये लोग जो मेरे पीछे ,खासकर तुम्हारे पीछे पड़े है , और वो शख्स कौन है जिसे तुम्हारे सूक्ष्म शरीर ने देखा और सबसे बड़ी बात वो कोई आम इंसान नही होगा , क्यू कि उसने तुम्हारे सूक्ष्म शरीर का आभास हो गया था । कुछ तो बात है उसमे "

अजिंक्य भी आसमान की तरफ आधे चांद कोंडेखते हुए बोला

" हां यार कुछ तो बात है और लफड़ा भी है ,जिसमे हम फंसने जा रहे है । एक तो वो मादरचोद बिल्डर अभी तक जिंदा है और ये एक नई मुसीबत आ गई "

" यार कुछ भी हो , अब से तुम मेरे साथ ही रहोगे , मेरे बिना कहीं नहीं जाओगे बस कहे देती हू । "

आशी गुस्से से बोली तो अजिंक्य मुस्कुरा कर उसे अपने सीने से चिपकते हुए बोला


" अरे तुम तो मेरी जान हो , सांस हो ,तुम मेरी सरकार हो , तुम्हारे बिना कहां ही जाऊंगा मैं "

दोनो ही सोने चले गए थे ।

वहीं दूसरी तरफ कुसुमपुर में

" मै तुम्हारे हाथ जोड़ता हू मेरी बेटी को छोड़ दे । चाहे तो मैं तेरे लिए कोई दूसरा शरीर का इंतजाम करवा देता हू "

सुरेश बिल्डर हाथ जोड़े खड़ा था और सामने ही अंशुल उस इंसान के शरीर का आखिरी हिस्सा हाथ में लिए बैठी थी । इंसानी दिल था उसके हाथ में जिसे वो चाट रही थी ।

" हहहहहहह मै नही जाऊंगी इसे छोड़ कर । तुझे पहले ही समझाया था लेकिन तूने अपने बदले की आग और लालच में अंधा हो गया था , तूने ही मुझे सिद्ध किया था , तूने ही अपनी बेटी का शरीर सौंपा था। , तूने ही मुझे वो अदभुत रक्त चखाया था । मै कही नही जाने वाली हाहहहहह "

अंशुल हंसते हुए बोल रही थी कि अचानक उसके शरीर को झटका लगा जिससे वो बिस्तर से नीचे गिर गई

" पापा। ,पापा ,पापा , मै कहां हू पापा , ये मुझे क्या हो रहा है "

अचानक ही अंशुल की सामान्य आवाज आई तो सुरेश भागता हुआ अंशुल के पास पहुंचा

" मेरी बेटी वापस आ गई। ,चलो जल्दी से "

हाथ पकड़ कर उठाने लगा तो अंशुल ने उसकी कलाई झटक दी

" कहां ले जा रहा है मुझे , परे हट । "

इतना कह कर अंशुल ने अपनी कलाई छुड़वा ली और और खड़े हो कर अपने कमरे की खिड़की के पास चली गई और आधे चांद को देखने लगी। और बोली

" वो अदभुत रक्त वाला आ रहा है । वो कुसुमपुर आ रहा है। , मेरी प्यास बूझेगी अब "

ये सुनते ही सुरेश बिल्डर की आंखे चौड़ी हो गई अविश्वास से । उसे विश्वास नही हो रहा था जो अभी सुना उसने । पर उसे विश्वास करना था । सो वो नीचे चला गया और अपने नुमाइंदों को आवाज देने लगा



to be continued
Sabko adhbhoot wala rakt hi chahiye ab dekhte kiski qismat m likha h adhbhoot rakt
Badhiya shaandaar update bhai
 

Naik

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#गताँक से आगे



१ दिन बाद ग्यारस है । किसी शक्ति को प्राप्त करने हेतु अनुष्ठान करने के लिए सबसे उपयुक्त दिवस होता है ।

अजिंक्य ने आशी को वो चमड़े का पत्र और अजीब सी दिखने वाली चाभी दिखाई थी । दोनो ही अपने अपने लेवल पर पता कर रहे थे कि ये क्या है ।

आशी : यार बाबू समझ नही आ रहा कि ये नक्शा और चाबी कहां की है । तुम्हे मम्मी जी ने कुछ बताया था क्या ?

अजिंक्य : नही यार ,बस ये बोली थी कि आगे आने वाले वक्त में ये सब मुझे काम आएगा ।

आशी : पर ये नक्शा किस चीज का है ,कैसे पता चलेगा

अजिंक्य : हम्म्म। किसी को तो ढूंढना पड़ेगा ।

आशी : बाबू एक आइडिया दिमाग में आ रहा है

अजिंक्य : क्या बताओ

आशी : बाबू the red rooms

अजिंक्य : ये क्या है

आशी : C.S तुमने लिया था न

अजिंक्य : और यार पहेलियां न बुझाओ

आशी : और भोंदू राम deep web में ही red rooms होते है ना । वहां कुछ पता चल जायेगा

अजिंक्य एकदम उछलते हुए ,खुश हो कर आशी को पकड़ कर किस कर लेता हैं

अजिंक्य : मेरे पहचान में ऐसा बंदा है । उससे मैं फेसबुक में मिला था । मेरे पास उसका नंबर है , उससे बात करता हू ।

फिर अजिंक्य उस बन्दे से बात करने लगा और बात करने के बाद आशी को बोला

एअजिंक्य : थोड़ी देर में चल रहे है मिलने । वो मार्केट में मिलेगा हमे । I hope कुछ पता चल जायेगा ।

आशी : हां आज ये सब करते है , कल कुसुमपुर भी जाना है । पैकिंग करनी है ।

दोनो मार्केट जाते है जहां वो बंदा मिलता है । अपना नाम उसने waterfox बताया था । अजिंक्य ने वो चमड़े का पत्र दिखाया पहले तो अलट पलट के देखता रहा फिर बोला

वाटरफॉक्स : यार AJ मै डीप वेब में ढूंढ तो लूंगा पर अगर ये चीज सच में कुछ अनोखी निकली तो याद रखना। तुम लोग फोकट में अपने और भी दुश्मन बना लोगे ।

अजिंक्य : यार मैंने तो ये सोचा ही नहीं। , सुना तुमने ?

आशी : हा सुन ली । पर अब करें क्या ,ये भी बताओ ।

वाटरफोक्स : एक रास्ता है

अजिंक्य : बताओ

waterfox : कुसुमपुर का नाम सुना होगा तुमने ?

आशी और अजिंक्य दोनो चौंक जाते है पर। सामान्य रहने का नाटक करके बोलते है
अजिंक्य : हां सुना है आगे बोलो

waterfox : उससे आगे एक गांव पड़ता है साहनपुर

अजिंक्य : हां लगभग सवा सौ किलोमीटर होगा

waterfox : वहां डॉक्टर Chutiyadr आए हुए है । बहुत पहुंचे हुए फिलासफर है

आशी मुस्कुराते हुए

" ये कैसा नाम है , dr chutiya

waterfox : अरे नाम पर मत जाओ , तुम उनके पास जाओ , और मै उनके mail कर दूंगा । तुम्हारा काम शतप्रतिशत होगा

अजिंक्य : अच्छा साहनपुर का एड्रेस दो

दोनो लोग एड्रेस ले कर वापस आ जाते है ।और कुसुमपुर जाने की लिए पैकिंग करने लगते है । क्यू के सुबह सुबह ही निकलना था । पूरी टीम सुबह 4 बजे आ जायेगी ।

वही दूसरी तरफ , कुसुमपुर में

एक आदमी शराब पी कर गांव के रास्ते में चला जा रहा था डगमगाते हुए । चारो तरफ स्ट्रीट लाइट की रोशनी थी ही और अभी तो सिर्फ रात के साढ़े आठ ही बजे थे । अचानक उसे लगा के उसे किसी ने आवाज दी
" कन्हैया लाल "

वो रुक कर पलट कर देखा तो कोई नही था , वो फिर आगे चल दिया । कुछ देर बार फिर उसे किसी ने आवाज दी। " कन्हैया लाल रुको न "
इस बार फिर पलट कर उसने देखा तो उसे कोई न दिखा पर उसकी हवा जरूर टाइट हो गई थी । आगे तेज तेज चलने लगा। लेकिन उसने ध्यान दिया के उसके पास उसकी परछाई नही है । उसने रुक कर देखा तो रोशनी तो है आसपास पर उसकी परछाई किधर गई । थोड़ी आगे चला तो उसने देखा उसकी परछाई अब आ गई है पर उसकी परछाइनुस्के दो कदम आगे चल रही है । अब उसकी हालत खराब हो गई । कैसे भी करके वो भागने लगा लेकिन कुछ दूर भागने के बाद वो गिर पड़ा और बेहोश हो गया ।

रात १२ के बाद का वक्त है सुरेश बिल्डर के घर से फिर से चीखने की आवाज आ रही थी। , और साथ में किसी के हसने की भी । ये चीखना और हंसना बरसो से होता आ रहा है इसलिए सुरेश बिल्डर के घर के नौकर अपने कान में रुई डाल कर सोते है । जब सुरेश ने इसे बेनाम सिद्धि को सिद्ध किया था तब उससे बचने के लिए। खुद को और घर के सारे नौकरों को जीवन के लिए वादा लिया था की जब तक वो नही कहेगा तब तक किसी को तकलीफ नही होनी चाहिए ।

सुरेश वापस पहुंचा अंशुल के रूम में । वो कमरे के। बीच में एक हवनकुंड है , अंशुल पूरी तरह से मग्न है और वो धीरे धीरे उस आदमी के शरीर से एक एक पार्ट मांस उतार कर हवन कुंड में डाल रही है कोई मंत्र पढ़ते हुआ । कुछ देर तक मांस अर्पण करती रही । फिर उस आदमी का दिल निकाल कर सीधे हवन कुंड में डाल दिया और उसका लिंग काट खुद खाने लगी । सुरेश बिल्डर ये देख कर भय और आश्चर्य से भर गया । अंशुल ने सुरेश बिल्डर को देखा तो अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा

" ले खाएगा ?

सुरेश ने कुछ नही कहा बस अपनी जलती हुई आंखो से देखने लगा

अंशुल लिंग को खा ने के बाद वही पास पड़े हथौड़े से us laash ka कपाल फोड़ दिया । और जो खून बाहर बह रहा था उसे अपनी हथेलियों में भर कर पीने लगी ।

" बस कुछ दिनों की बात है , मै फिर से वो अदभुत रक्त चखूंगी । , सुरेश तेरा लालच और बदला वापस आ रहा है । लेकिन इस बार तेरी पराजय पक्की है । जा बच सके तो बच जा ।। हाहहहहहाह "

सुरेश बिल्डर ने कुछ जवाब नही दिया बस जा कर अपने रूम में लेट गया और आगे की प्लानिंग करने लगा


to be continued
Badhiya shaandaar update bhai
 

Naik

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#गतांक से आगे

इधर आशी और अजिंक्य ने अपनी तैयारी की और सुबह सुबह ४ बजे निकल गए कुसुमपुर के लिए । डेढ़ दो घंटे का रास्ता था । आशी अजिंक्य एक गाड़ी में थे जिसे ड्राइवर चला रहा था। और पीछे की सीट पर दोनो बैठे हुए थे । और इनकी गाड़ी के साथ तीन गाडियां और थी । जो आशी के कॉन्टैक्ट से थे उसकी सहायता करने या सीधा कहे तो रक्षा करने के लिए । पूरी तैयारी के साथ थे । अजिंक्य खिड़की से बाहर देख रहा था । उसको कहीं खोए हुए देख आशी बोली

आशी : क्या हुआ कहां खोए हुए हो ।

अजिंक्य : कहीं नहीं बस वापस जाना अजीब लग रहा था । मेरे बदले के चक्कर में पता नही क्या क्या होने वाला है ।

आशी अजिंक्य के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए बोली

आशी : नही बाबू सिर्फ तुम्हारा नही , मेरा भी बदला है । और अब तुम मेरे हो तो तुम्हारा बदला भी मेरा ही है।

अजिंक्य : हम्म्म पर पता नही क्यों अजीब सा महसूस हो रहा है

आशी : ज्यादा न सोचो । रात में ठीक से सोए नही हो । थोड़ी देर सो जाओ ।

ऐसे ही बात करते थोड़ा सोते हुए कुसुमपुर पहुंचने ही वाले थे कि अजिंक्य के कहने पर कुसुमपुर की सीमा से १५ किलोमीटर पहले हाईवे से ४ किलोमीटर अंदर चले गए वहां से जंगल शुरू होता है । जंगल के शुरुआती क्षेत्र में एक चारदीवारी के अंदर बड़ा सा घर था । इसे महल कहना ज्यादा सही होगा । किसी का फॉर्महाउस ही था । गेट पर जाने पर ड्राइवर ने हॉर्न बजाया तो गेट खुला और चारो गाड़ियां अंदर चली गईं।आशी हैरत से देख रही थी , उसने पूछा भी तो अजिंक्य ने इशारे से शांत कर दिया । गाड़ी का गेट खोल कर बाहर आया तो एक ४५ वर्ष ले लपेटे का आदमी ब्लैक कोट सफेद शर्ट और नीले जींस में चश्मा लगाए खड़ा था दोनो हाथ फैला कर । अजिंक्य बाहर निकला और उस आदमी से गले मिल गया

अजिंक्य : विक्रम भाई , कैसे है आप

विक्रम : अजिंक्य मेरा बेटा , कैसा है तू , मै एक दम फर्स्टक्लास

अजिंक्य : बस जैसा देख रहे वैसा ही हू

विक्रम गौर से ऊपर से नीचे अजिंक्य को देखते हुए बोला

विक्रम : यार तू तो एक दम हीरो जैसा हो गया है । अरे और ये कौन है ?

विक्रम अब आशी की तरफ देख कर बोला तो आशी हाथ जोड़ कर नमस्ते की

अजिंक्य : पहचानो आप

विक्रम : ये तुम्हारी वही दोस्त है शायद , जिसके बारे में तुम बताए थे

अजिंक्य : हां भाई जी ये वही है , पर अब ये आपकी बहू है , हमने एक हफ्ते पहले शादी कर ली है।

आशी अब विक्रम के पैर छूने को झुकी तो विक्रम ने सर पर हाथ रख दिया। आशीर्वाद देने के लिए और जेब से जो भी पैसे थे वो और अपने गले की सोने की चैन उतार कर आशी के हाथ में रखने लगा तो आशी ने अजिंक्य की तरफ देखा तो इस विक्रम बोला

विक्रम : उसकी तरफ क्या देख रही हो बहु । अजिंक्य मेरे छोटे भाई जैसा है । बेटा ही है , और तुम बहु । तो कम से कम इतना हक तो है मेरा ।

ये सुन कर आशी ने वो पैसे और चैन ले ली । और वापस से पैर छू लिए । अब विक्रम सबको घर के अंदर ले गया और बाकी सारे लोगो को नौकरी ने उनका कमरा बता दिया था और खुद विक्रम आशी अजिंक्य सोफे पर आ गए चाय पीने । इस पर आशी ने सवाल दाग दिया

आशी : भैया , आप लोग मिले कैसे । क्यू कि मैं तो इनके सारे ही दोस्तो को जानती हू बस आपके बारे में नही पता था ।

उस बात पर अजिंक्य और विक्रम हसने लगे और विक्रम ने बोलना शुरू किया

विक्रम : हमारी दोस्ती को २ साल हो रहे है शायद । इसने मुझे करने से बचाया था अपनी जान की परवाह न करते हुए भी ।

आशी अजिंक्य की तरफ देखने लगी
विक्रम : मै बताता हू । हुआ ऐसा था यही कुसुमपुर के जंगल में मै कुछ ढूंढ़ रहा था , तभी मुझपर किसी ने हमला कर दिया था । जब तक मेरी हिम्मत थी तब तक मैने मुकाबला किया लेकिन इंसान हूं हिम्मत कभी न कभीं ना कभी टूट ही जाती है । लेकिन तभी हीं ये कहीं से आ गया और मुझे बचा ले गया । मुझे दो गोलियां लगी थी । इसने मुझे अपने घर में ले गया , मेरा इलाज करवाया । और अपने पास रखा था । मेरी जान अजिंक्य की कर्जदार है । बस तुम ये समझ लो ।

अजिंक्य : बस आपने इसे कर्ज के कर मुझे छोटा कर दिया न ।

फिर ऐसा ही बातें होती रही थी । आशी अजिंक्य ने अपने अपने बारे में भी बताया , अपने बदले के बारे में होटल के बारे में भी बताया बस नक्शा और चाबी के बारे में नही बताया ।
विक्रम : भाई मेरे साथ अंतिम समय तक हू , जो भी जरूरत हो बताना , असलहा बारूद ,पैसा सब लगा दूंगा मै । बस बदला पूरा होना चाहिए ।

उधर वो नकाब वाला शख्स शहर पहुंच चुका था । अपने कॉन्टैक्ट के जरिए उसे वो दो जंगल में गुंडे मारे थे और एक अजिंक्य की बिल्डिंग में मरा था सबके बारे में खबर निकाल ली थी । उसके आदमी चारों तरफ सिर्फ अजिंक्य को ही ढूंढ रहे थे । आशी के घर से पता चला कि वो लोग कुसुमपुर निकल गए । तो ये शक्श भी कुसुमपुर के लिए रवाना हो गया ।

to be continued ।

B bas do update aur bache hai ye part khatm hone me । Jo kal de dunga । Kahani ka agla hissa agke hafte se shuru hoga । Jisme badla aur khajana dono hi milenge
Tow Ajinkya wapas kusumpur pahoch gaya ek naye bande ki entry huwi h Vikram dekhte inka kitna or kia rol hota h
Nakab posh bhi Ajinkya ko dhonte huwe or shaher tak pahoch gaye h dekhte h kab inki or Ajinkya ki bidhant hoti h
Behtareen shaandaar update bhai
 
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