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Adultery एक चौथाई इश्क एक तिहाई बदला

कहानी का पहला भाग खत्म हों गया तो पुराने पाठक अब ये बताइए , कहानी का कौन सा भाग शुरू करूं ?


  • Total voters
    28
  • Poll closed .

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
978
2,390
124
#गतांक से आगे

इधर आशी और अजिंक्य ने अपनी तैयारी की और सुबह सुबह ४ बजे निकल गए कुसुमपुर के लिए । डेढ़ दो घंटे का रास्ता था । आशी अजिंक्य एक गाड़ी में थे जिसे ड्राइवर चला रहा था। और पीछे की सीट पर दोनो बैठे हुए थे । और इनकी गाड़ी के साथ तीन गाडियां और थी । जो आशी के कॉन्टैक्ट से थे उसकी सहायता करने या सीधा कहे तो रक्षा करने के लिए । पूरी तैयारी के साथ थे । अजिंक्य खिड़की से बाहर देख रहा था । उसको कहीं खोए हुए देख आशी बोली

आशी : क्या हुआ कहां खोए हुए हो ।

अजिंक्य : कहीं नहीं बस वापस जाना अजीब लग रहा था । मेरे बदले के चक्कर में पता नही क्या क्या होने वाला है ।

आशी अजिंक्य के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए बोली

आशी : नही बाबू सिर्फ तुम्हारा नही , मेरा भी बदला है । और अब तुम मेरे हो तो तुम्हारा बदला भी मेरा ही है।

अजिंक्य : हम्म्म पर पता नही क्यों अजीब सा महसूस हो रहा है

आशी : ज्यादा न सोचो । रात में ठीक से सोए नही हो । थोड़ी देर सो जाओ ।

ऐसे ही बात करते थोड़ा सोते हुए कुसुमपुर पहुंचने ही वाले थे कि अजिंक्य के कहने पर कुसुमपुर की सीमा से १५ किलोमीटर पहले हाईवे से ४ किलोमीटर अंदर चले गए वहां से जंगल शुरू होता है । जंगल के शुरुआती क्षेत्र में एक चारदीवारी के अंदर बड़ा सा घर था । इसे महल कहना ज्यादा सही होगा । किसी का फॉर्महाउस ही था । गेट पर जाने पर ड्राइवर ने हॉर्न बजाया तो गेट खुला और चारो गाड़ियां अंदर चली गईं।आशी हैरत से देख रही थी , उसने पूछा भी तो अजिंक्य ने इशारे से शांत कर दिया । गाड़ी का गेट खोल कर बाहर आया तो एक ४५ वर्ष ले लपेटे का आदमी ब्लैक कोट सफेद शर्ट और नीले जींस में चश्मा लगाए खड़ा था दोनो हाथ फैला कर । अजिंक्य बाहर निकला और उस आदमी से गले मिल गया

अजिंक्य : विक्रम भाई , कैसे है आप

विक्रम : अजिंक्य मेरा बेटा , कैसा है तू , मै एक दम फर्स्टक्लास

अजिंक्य : बस जैसा देख रहे वैसा ही हू

विक्रम गौर से ऊपर से नीचे अजिंक्य को देखते हुए बोला

विक्रम : यार तू तो एक दम हीरो जैसा हो गया है । अरे और ये कौन है ?

विक्रम अब आशी की तरफ देख कर बोला तो आशी हाथ जोड़ कर नमस्ते की

अजिंक्य : पहचानो आप

विक्रम : ये तुम्हारी वही दोस्त है शायद , जिसके बारे में तुम बताए थे

अजिंक्य : हां भाई जी ये वही है , पर अब ये आपकी बहू है , हमने एक हफ्ते पहले शादी कर ली है।

आशी अब विक्रम के पैर छूने को झुकी तो विक्रम ने सर पर हाथ रख दिया। आशीर्वाद देने के लिए और जेब से जो भी पैसे थे वो और अपने गले की सोने की चैन उतार कर आशी के हाथ में रखने लगा तो आशी ने अजिंक्य की तरफ देखा तो इस विक्रम बोला

विक्रम : उसकी तरफ क्या देख रही हो बहु । अजिंक्य मेरे छोटे भाई जैसा है । बेटा ही है , और तुम बहु । तो कम से कम इतना हक तो है मेरा ।

ये सुन कर आशी ने वो पैसे और चैन ले ली । और वापस से पैर छू लिए । अब विक्रम सबको घर के अंदर ले गया और बाकी सारे लोगो को नौकरी ने उनका कमरा बता दिया था और खुद विक्रम आशी अजिंक्य सोफे पर आ गए चाय पीने । इस पर आशी ने सवाल दाग दिया

आशी : भैया , आप लोग मिले कैसे । क्यू कि मैं तो इनके सारे ही दोस्तो को जानती हू बस आपके बारे में नही पता था ।

उस बात पर अजिंक्य और विक्रम हसने लगे और विक्रम ने बोलना शुरू किया

विक्रम : हमारी दोस्ती को २ साल हो रहे है शायद । इसने मुझे करने से बचाया था अपनी जान की परवाह न करते हुए भी ।

आशी अजिंक्य की तरफ देखने लगी
विक्रम : मै बताता हू । हुआ ऐसा था यही कुसुमपुर के जंगल में मै कुछ ढूंढ़ रहा था , तभी मुझपर किसी ने हमला कर दिया था । जब तक मेरी हिम्मत थी तब तक मैने मुकाबला किया लेकिन इंसान हूं हिम्मत कभी न कभीं ना कभी टूट ही जाती है । लेकिन तभी हीं ये कहीं से आ गया और मुझे बचा ले गया । मुझे दो गोलियां लगी थी । इसने मुझे अपने घर में ले गया , मेरा इलाज करवाया । और अपने पास रखा था । मेरी जान अजिंक्य की कर्जदार है । बस तुम ये समझ लो ।

अजिंक्य : बस आपने इसे कर्ज के कर मुझे छोटा कर दिया न ।

फिर ऐसा ही बातें होती रही थी । आशी अजिंक्य ने अपने अपने बारे में भी बताया , अपने बदले के बारे में होटल के बारे में भी बताया बस नक्शा और चाबी के बारे में नही बताया ।
विक्रम : भाई मेरे साथ अंतिम समय तक हू , जो भी जरूरत हो बताना , असलहा बारूद ,पैसा सब लगा दूंगा मै । बस बदला पूरा होना चाहिए ।

उधर वो नकाब वाला शख्स शहर पहुंच चुका था । अपने कॉन्टैक्ट के जरिए उसे वो दो जंगल में गुंडे मारे थे और एक अजिंक्य की बिल्डिंग में मरा था सबके बारे में खबर निकाल ली थी । उसके आदमी चारों तरफ सिर्फ अजिंक्य को ही ढूंढ रहे थे । आशी के घर से पता चला कि वो लोग कुसुमपुर निकल गए । तो ये शक्श भी कुसुमपुर के लिए रवाना हो गया ।

to be continued ।

B bas do update aur bache hai ye part khatm hone me । Jo kal de dunga । Kahani ka agla hissa agke hafte se shuru hoga । Jisme badla aur khajana dono hi milenge
 

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
978
2,390
124
161
793
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#गतांक से आगे

इधर आशी और अजिंक्य ने अपनी तैयारी की और सुबह सुबह ४ बजे निकल गए कुसुमपुर के लिए । डेढ़ दो घंटे का रास्ता था । आशी अजिंक्य एक गाड़ी में थे जिसे ड्राइवर चला रहा था। और पीछे की सीट पर दोनो बैठे हुए थे । और इनकी गाड़ी के साथ तीन गाडियां और थी । जो आशी के कॉन्टैक्ट से थे उसकी सहायता करने या सीधा कहे तो रक्षा करने के लिए । पूरी तैयारी के साथ थे । अजिंक्य खिड़की से बाहर देख रहा था । उसको कहीं खोए हुए देख आशी बोली

आशी : क्या हुआ कहां खोए हुए हो ।

अजिंक्य : कहीं नहीं बस वापस जाना अजीब लग रहा था । मेरे बदले के चक्कर में पता नही क्या क्या होने वाला है ।

आशी अजिंक्य के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए बोली

आशी : नही बाबू सिर्फ तुम्हारा नही , मेरा भी बदला है । और अब तुम मेरे हो तो तुम्हारा बदला भी मेरा ही है।

अजिंक्य : हम्म्म पर पता नही क्यों अजीब सा महसूस हो रहा है

आशी : ज्यादा न सोचो । रात में ठीक से सोए नही हो । थोड़ी देर सो जाओ ।

ऐसे ही बात करते थोड़ा सोते हुए कुसुमपुर पहुंचने ही वाले थे कि अजिंक्य के कहने पर कुसुमपुर की सीमा से १५ किलोमीटर पहले हाईवे से ४ किलोमीटर अंदर चले गए वहां से जंगल शुरू होता है । जंगल के शुरुआती क्षेत्र में एक चारदीवारी के अंदर बड़ा सा घर था । इसे महल कहना ज्यादा सही होगा । किसी का फॉर्महाउस ही था । गेट पर जाने पर ड्राइवर ने हॉर्न बजाया तो गेट खुला और चारो गाड़ियां अंदर चली गईं।आशी हैरत से देख रही थी , उसने पूछा भी तो अजिंक्य ने इशारे से शांत कर दिया । गाड़ी का गेट खोल कर बाहर आया तो एक ४५ वर्ष ले लपेटे का आदमी ब्लैक कोट सफेद शर्ट और नीले जींस में चश्मा लगाए खड़ा था दोनो हाथ फैला कर । अजिंक्य बाहर निकला और उस आदमी से गले मिल गया

अजिंक्य : विक्रम भाई , कैसे है आप

विक्रम : अजिंक्य मेरा बेटा , कैसा है तू , मै एक दम फर्स्टक्लास

अजिंक्य : बस जैसा देख रहे वैसा ही हू

विक्रम गौर से ऊपर से नीचे अजिंक्य को देखते हुए बोला

विक्रम : यार तू तो एक दम हीरो जैसा हो गया है । अरे और ये कौन है ?

विक्रम अब आशी की तरफ देख कर बोला तो आशी हाथ जोड़ कर नमस्ते की

अजिंक्य : पहचानो आप

विक्रम : ये तुम्हारी वही दोस्त है शायद , जिसके बारे में तुम बताए थे

अजिंक्य : हां भाई जी ये वही है , पर अब ये आपकी बहू है , हमने एक हफ्ते पहले शादी कर ली है।

आशी अब विक्रम के पैर छूने को झुकी तो विक्रम ने सर पर हाथ रख दिया। आशीर्वाद देने के लिए और जेब से जो भी पैसे थे वो और अपने गले की सोने की चैन उतार कर आशी के हाथ में रखने लगा तो आशी ने अजिंक्य की तरफ देखा तो इस विक्रम बोला

विक्रम : उसकी तरफ क्या देख रही हो बहु । अजिंक्य मेरे छोटे भाई जैसा है । बेटा ही है , और तुम बहु । तो कम से कम इतना हक तो है मेरा ।

ये सुन कर आशी ने वो पैसे और चैन ले ली । और वापस से पैर छू लिए । अब विक्रम सबको घर के अंदर ले गया और बाकी सारे लोगो को नौकरी ने उनका कमरा बता दिया था और खुद विक्रम आशी अजिंक्य सोफे पर आ गए चाय पीने । इस पर आशी ने सवाल दाग दिया

आशी : भैया , आप लोग मिले कैसे । क्यू कि मैं तो इनके सारे ही दोस्तो को जानती हू बस आपके बारे में नही पता था ।

उस बात पर अजिंक्य और विक्रम हसने लगे और विक्रम ने बोलना शुरू किया

विक्रम : हमारी दोस्ती को २ साल हो रहे है शायद । इसने मुझे करने से बचाया था अपनी जान की परवाह न करते हुए भी ।

आशी अजिंक्य की तरफ देखने लगी
विक्रम : मै बताता हू । हुआ ऐसा था यही कुसुमपुर के जंगल में मै कुछ ढूंढ़ रहा था , तभी मुझपर किसी ने हमला कर दिया था । जब तक मेरी हिम्मत थी तब तक मैने मुकाबला किया लेकिन इंसान हूं हिम्मत कभी न कभीं ना कभी टूट ही जाती है । लेकिन तभी हीं ये कहीं से आ गया और मुझे बचा ले गया । मुझे दो गोलियां लगी थी । इसने मुझे अपने घर में ले गया , मेरा इलाज करवाया । और अपने पास रखा था । मेरी जान अजिंक्य की कर्जदार है । बस तुम ये समझ लो ।

अजिंक्य : बस आपने इसे कर्ज के कर मुझे छोटा कर दिया न ।

फिर ऐसा ही बातें होती रही थी । आशी अजिंक्य ने अपने अपने बारे में भी बताया , अपने बदले के बारे में होटल के बारे में भी बताया बस नक्शा और चाबी के बारे में नही बताया ।
विक्रम : भाई मेरे साथ अंतिम समय तक हू , जो भी जरूरत हो बताना , असलहा बारूद ,पैसा सब लगा दूंगा मै । बस बदला पूरा होना चाहिए ।

उधर वो नकाब वाला शख्स शहर पहुंच चुका था । अपने कॉन्टैक्ट के जरिए उसे वो दो जंगल में गुंडे मारे थे और एक अजिंक्य की बिल्डिंग में मरा था सबके बारे में खबर निकाल ली थी । उसके आदमी चारों तरफ सिर्फ अजिंक्य को ही ढूंढ रहे थे । आशी के घर से पता चला कि वो लोग कुसुमपुर निकल गए । तो ये शक्श भी कुसुमपुर के लिए रवाना हो गया ।

to be continued ।

B bas do update aur bache hai ye part khatm hone me । Jo kal de dunga । Kahani ka agla hissa agke hafte se shuru hoga । Jisme badla aur khajana dono hi milenge
Lagta hai thoda jyada hi serious ho gaye aap aapka Mann nahi tha likhne ka to thoda thoda typing mistake ho gaya jispe aapne edit nahi kiya chaliye ye jane dijiye

Naya character ki entry ye kyu aaye hai kahani me chaliye dekhte hai kese madad karte hai ajinkya ki ye vo nakabposh sanchika hai shehar ab kusumpur bhi pahuchne vala hai jald hi ajinkya aur iss nakabposh ki jhadap dekhne ko milegi

Great bro Achi ja rahi hai kahani keep it up
 
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