parkas
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Nice and lovely start of the story....अध्याय 01 धोखा
अरब सागर मुंबई से 300 नॉटिकल मिल दूर समुंद्र में
“आरुष….. अब तुम हमसे बच कर कहा जाओगे……” एक लड़की की एक ठंडी आवाज जब ship के किनारे खड़ा गंभीर रूप से घायल आरुष के कानो में पड़ी तो मानो जैसे उसकी दुनिया ही उजड़ गई हो। वह एकटक उस लड़की को देखता ही रह गया।
आज वह अपनी मंगेतर आयुषी खुराना और अपनी सौतेले भाई रजत भाटिया के साथ एक मिशन से लौट रहा था। यह उसकी शादी से पहले की आखिरी मिशन था। उसके पिता महेंद्र भाटिया ने वादा किया था की अगर वह इस मिशन को पूरा कर देता है तो उसकी शादी आयुषी से हो जायेगी। वह बहुत ही खुश और नर्वश था। इसी खुशी में वह आज जब अपनी मंगेतर के रूम में गया तो उसे आयुषी ने पहले तो खूब सारा wine पीला दिया जब आरुष पूरे नशे में था तब रजत कमरे में आया। उसने नशे में धुत आरुष पर हमला कर दिया।
आरुष अपने परिवार के लिए वह बिजनेस में होने वाले सारे काले कारनामों को किया करता था। उसे जन्म से ही एक मोहरा बनाकर पाला गया था। उसको बचपन से ही भाटिया खानदान द्वारा अच्छी मार्शल आर्ट ट्रेनिंग मिली थी। वह भाटिया परिवार केलिए एक प्रोफेशनल किलर से कम नहीं था।
लेकिन भाटिया परिवार को एक बात पता नही थी की आरुष एक काबिल डॉक्टर भी था। वह एक सर्जन के साथ साथ उसने आयुर्वैदिक चिकित्सा पढ़ती पर भी अपनी गहरी धाक जमा रखी थी। यह बात उसने अपनी मंगेतर को भी नही बताई जिसे वह अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था।
"आयुषी…… यह तुम कैसे कर सकती हो।" आरुष को अपनी कानो पर यकीन नही हो रहा था की उसको जान से भी ज्यादा प्यार करने वाली यह लड़की अभी अभी क्या बकवास किए जा रही है। यह बात उसने अपनी कमजोर आवाज में आयुषी से पूछा।
"तुमने जो सुना वह सच सुना मेरे प्यारे मंगेतर…" इतना कहकर आयुषी रजत की तरफ मुड़ी। "बेबी इसे जल्दी से खत्म करो ना… हमारा रोमांस का समय बर्बाद हो रहा है।" इतना कहकर वह रजत को किस करने लगी। वही पास खड़ा आरुष सबकुछ समझने की कोशिश कर रहा था।
आरुष आयुषी से पांच साल पहले अपने परिवार के फंक्शन पर मिला था। तब उसे आयुषी से प्यार हो गया था। उसके एक बार इजहार से ही आयुषी मान गई थी। लेकिन आज उसे पता चला की सब एक गहरी साजिश थी।
"जानते हो मेरे प्यारे भाई…. मेंने आयुषी से पार्टी में शर्त लगाई थी की अगर वह तुम्हे अपने प्यार में पूरी तरह पागल कर दे तो मैं उससे शादी करने केलिए राजी हो जाऊंगा।" रजत जब कुछ देर बाद जब आयुषी से अलग हुआ तो आरुष की ओर देखते हुए बोला। और उसने पूरी सच्चाई भी बताई। और आखिर में कहा "यह तुम्हारी जिंदगी की आखिरी मिशन है भाई अब आप जाकर आराम करो।"
इतना सुनते ही आरुष अंदर तक टूट गया। मतलब सब कोई उससे इतना नफरत करता था। आजतक अपने परिवार से प्यार पाने केलिए उसने न जाने कितने गलत काम किए थे लेकिन आज उसे पता चला की सब एक फरेब था। वह अब जीना नही चाहता था।
"अगर मैं किसी भी तरह जिंदा बच गया तो उसी दिन से ही तुम्हारी उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी।" इतना कहते ही वह जहाज से समुंद्र में छलांग लगा दिया। जैसे जैसे वह समुंद्र की गहराइयों में जाता गया वह बेहोश होने लगा। और उसकी सोचने समझने की शक्ति खत्म होने लगी। उसके चारो ओर अंधकार फैलने लगा।
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