अध्याय 02 : पुनर्जन्म
मनाली लाइफ केयर हॉस्पिटल
"मैं तुम्हे नहीं छोडूंगा रजत भाटिया। हर एक से गिन गिन कर बदला लूंगा।" आरुष को जैसे ही होश आता है वह अपने मन में सोचने लगता है….
"Huh मैं कैसे सोच सकता हू मै तो समुंद्र में कूद गया था न यानी की मै जिंदा हूं। हा हा हा…." आरुष मन ही मन सोचता है उसने अपनी आंखे खोलने की कोशिश की लेकिन उसे बहुत ही तेज सिर दर्द होने लगा। उसके दिमाग में एक लड़के की पूरी जिंदगी चलने लगी थी। करीब एक घंटे बाद उसका दर्द कुछ कम हुआ। उसने अपनी आंखे खोलकर देखा तो उसके बगल में एक लड़की उसका हाथ पकड़े सोई हुई थी। उसके सामने एक बड़ी सी TV पर एक ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी।
एंकर जोर जोर से बोल रहा था "मुंबई की जाने माने बिजनेसमैन महेंद्र भाटिया के बेटे आरुष भाटिया की समुंद्र में मौत हो गई। उनकी हत्या उनके ही भरोसेमंद साथी रानी मल्होत्रा ने की है। पोस्टमार्टम में पता चला है की उनपर रानी ने अपनी बंदूक से पांच गोलियां चलाई थी। उसके बाद उन्होंने खुद ही अपनी बंदूक से अपनी हत्या कर ली। और दोनो समुंद्र में कूद गए।"
यह सुनते ही आरुष की आंखे नम हो गई। रानी उसकी बहन की तरह थी। उसकी भी हत्या सबने मिलकर कर दी। उसने बगल से TV की रिमोट उठाई और टीवी को बंद कर दिया।
आरुष अपने आप को शांत करता है। फिर वह वर्तमान के बारे में सोचने लगता हैं। वह अभी जिस लड़के के शरीर में था उसका नाम शौर्य वर्मा था। उसका परिवार एक मिडिल क्लास फैमिली से belong करती थी। कल उसका अठारहवां जन्मदिन था। उसके परिवार में कुल 8 लोग थे। उसके माता पिता, और पांच बड़ी बहने। वह नीलम नाम की एक लड़की से प्यार करता था जो उसके ही क्लास में पढ़ा करती थी।
फ्लैसबैक
कल रात उसने अपने जन्मदिन की पार्टी रखी थी। जिसमे अपने दो दोस्त रोहन, सोहन और साथ ही नीलम को भी बुलवाया था। रोहन एक हाई क्लास परिवार का लड़का था। वही सोहन और नीलम मिडिल क्लास परिवार से थे।
शौर्य दिखने में ज्यादा हैंडसम नहीं था थोड़ा सांवला ही था। लेकिन उसके नैन नक्श बहुत ही अच्छे थे। वह और नीलम एक दूसरे से बहुत ही प्यार करते थे। लेकिन आज की पार्टी में कुछ देर केलिए नीलम और रोहन गायब हो गए थे। जब उसने सोहन से पूछा तो उसने उसे बताया की नीलम घर के पीछे गार्डन में गई है। वह भी वहा चला गया। घर के पीछे एक छोटा सा गार्डन था। वहा पर रोहन और नीलम एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले बैठे हुए थे।
"नीलू अब कब तक उस चपरगंजू के साथ रहेगी। छोर दे ना उसको और मैं तुमसे शादी करने केलिए तैयार हूं।" रोहन नीलम से बोलता है।
"रोहन तुम जानते हो उससे मुझे क्या काम है। मैने तो उसे अपने नोट्स बनाने केलिए साथ रखा है। वह एक मजदूर की तरह हम सभी के नोट्स बनाता है। इतना अच्छा मजदूर हम कहा ढूंढ कर लायेंगे।" इतना कहकर वह रोहन के होंठो पर एक किस कर देती है। और बोलती है "उसकी तो अभी तक हिम्मत ही नहीं हुई है मुझे एक किस भी कर सके। वह कहता की यह सब हम शादी के बाद करेंगे। हा हा हा…."
शौर्य उनकी बात सुनकर आग बबूला हो गया। अभी दोनो कुछ और बोलते पीछे से शौर्य ने एक मुक्का रोहन के कंधे पर मारा। जिससे रोहन दर्द से बिलबिलाता वहा से निकल गया।
वही शौर्य गुस्से से नीलम के पास गया और उसको एक थप्पड़ मारा। वह उसके चेहरे को पकड़कर उसको बुरी तरह किस करने लगा। शौर्य नीलम के कंधे को पकड़ा और उसके ड्रेस को कंधे से फाड़ते हुए बोला। "कितने पैसे लेगी यह सब करने के लिए बोल……"
"शौर्य मुझे छोड़ दो… मैं तुमसे हाथ जोड़कर कहती हूं।"
"बोल ना कितने पैसे चाहिए।" शौर्य अपना गुस्सा में सब कुछ भूल चुका था की वह कहा है और क्या कर रहा है आज उसके विश्वास को तोड़ा गया था।
उधर सोहन पार्टी में जाकर सबको गार्डन भेज देता है की शौर्य सबको पीछे बुला रहा है। जब सभी आ ही रहे थे की उन्हे दर्द में रोहन दिखाई देता है। पूछने पर रोहन बताता है की शौर्य नीलम के साथ बदतमीजी कर रहा था जब मैंने उसे समझने की कोसिस की तो उसने मुझे मुक्का मार दिया। जल्दी चलिए और नीलम को बचा लो वरना पता नहीं वह क्या करेगा।
सब जल्दी जल्दी वहा पहुंचे तो उनके कानो में शौर्य की गुस्से भरी आखिरी वाक्य पड़ी। जब सबने यह सुना तो सब लोग शौर्य को पीटने लगे केवल एक को छोड़कर वह थी प्रिया शौर्य की पांचवी बहन और उससे एक साल बड़ी।
प्रिया अपने भाई से बहुत प्यार करती थी। वह थोड़ी मोटी और सावली थी। उसे शौर्य पर पूरा भरोसा था। उसे दुख तो हुआ की उसके भाई ने ये शब्द कैसे बोले लेकिन वह अपने भाई को सबसे अच्छे से जानती थी। उसने आते हुए शौर्य के आंखो में आंसू देख लिए थे। उसे पता था की कुछ तो जरूर हुआ होगा इसीलिए शौर्य ने अपना आपा खो दिया है।
प्रिया बचपन से ही थोड़ी मोटी और सावली थी इसलिए उसके साथ कोई भी नही खेला करता उसकी चारो बहने गोरे थे। जब शौर्य का जन्म हुआ तो वह भी सांवला था। उसे भी कोई प्यार नही करता था। इसीलिए शौर्य बचपन से ही प्रिया के साथ खेलता था। प्रिया को पता था की अभी उसके बोलने से कोई फायदा नही है। घर में कोई भी शौर्य या उसकी बात नही सुनेगा। वह यह भी जानती थी की शौर्य को लोग बहुत बुरी तरह घायल करेंगे।
प्रिया अपने घर की तरफ तेजी से भागी। उसने अपने कार की चाभी, एटीएम कार्ड लिए। उसने शौर्य और अपने सारे डॉक्यूमेंट्स एक बैग में पैक किए साथ ही वह कुछ कपड़े भी पैक कर लिए थे। वह भागते हुए नीचे आई। उसने देखा की शौर्य को अभी भी सब मार रहे है। उसने सबको अलग किया। वह शौर्य को ले जाते हुए बोली "आपलोगो ने मेरे भाई के साथ जो किया है उसका फल ईश्वर आपको जरूर देगा। मैं घर छोड़कर जा रही हू। आप लोग रहिए इस घर में।" इतना बोलकर प्रिया वहा से निकल गई।
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शौर्य के सर में बहुत तेज चोट के कारण उसकी मौत सुबह ही हो गई थी और आरुष की आत्मा उसमे आ गई थी। आरुष ने अपने आप से कहा आज से वह शौर्य की जिंदगी जिएगा। उसकी सारी तकलीफ मेरी होगी। आज से आरुष दुनिया केलिए मार गया और रह गया तो शौर्य वर्मा!!!
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