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Incest एक पाकीजा परिवार

बताओ किस्से ओर कैसा सेक्स पढ़ना चाहोगे ?


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malikarman

Well-Known Member
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अपडेट 2
मैं भूल गयी कि मैं एक पाकीज़ा, एक मदरसे में पढ़ने वाली लड़की जो अपने रब से डरकर दीनी तालीम हासिल करने वाली हूँ, में इतनी परहेजगार की किसी को अपना बदन यहां तक कि चेहरा भी नही दिखाया। और आज जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर होकर अपनी प्यारी सी पुद्दी को उंगली से घिस घिस कर रगड़ दे रही हूं। लेकिन मेरा दिमाग उस लज्जत के आगे बेबस था ।
ओर उसी बेबसी में मैने अपनी सलवार निकालने का सोचा, ओर खड़ी हो गयी और सबसे पहले अपनी कमीज निकाली, उसके बाद अपनी सलवार निकाली और साइड में रख दी।
मेरे मम्मे ओर मेरी गुलाबी पुद्दी अब ब्रा ओर कच्छी में कैद थी। एक बार तो मेरा दिमाग डगमगाने लगा कि अंजुम ये तुम क्या कर रही हो, आजतक तूने ऐसा नही किया, करना तो दूर की बात ऐसा ख्याल नही आया।
ओर आज तुम नंगी होकर अपनी फुद्दी मसलने वाली हो।
कुछ देर इसी सोच में डूबी रही और फैसला किया कि आज कर लेती उसके बाद कभी ऐसा नही करूंगी।
ब्रा को निकाला और मम्मे उछल कर बाहर आ गए और लंबी लम्बी सांस लेने लगे। मम्मे ऐसे की कोई भी देखे तो देखता रहे, मम्मे के बीच में वो निप्पल जो हल्का सा काला था मम्मे के मुताबिक अकड़ा हुआ था।

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फिर मेने कच्छी को निकाला और साइड में फेंक कर शीशे के सामने आ गयी।
शीशे में मेरा जिस्म चमक रहा था, ओर गवाही दे रहा था के कोई माई का लाल आजतक मुझे मसल नही पाया, दबोच नही पाया।
मेरी पुद्दी एकदम साफ , पुद्दी के होंठ आपस मे चिपके हुए किश कर रहे थे, जैसे किसी को अंदर आने ही नही देंगे। कुछ देर शीशे में बदन देखकर में बिस्तर पर आई और पुद्दी पर उंगली चलाने लगी।
उंगली चलाते हुए मेरे दिमाग मे भाई का लन्ड आ गया।
मैं उस लज्जत में इतना खो गयी कि मेरी सारी नेक, परहेजगारी, शर्म, दीनी तालीम बह गई। भूल गयी कि वो मेरा भाई है, ओर भाई के बारे में ऐसा कैसे सोच सकती हूँ। अंजुम तुम कितनी नमाज की पाबंद, रब से डरने वाली, ओर एक सरीफ घर से ताल्लुक रखने वाली पर्दा नसीन लड़की हो।
अपने भाई का लन्ड ही सोचने लगी, मेरा दिमाग काम करना बंद हो गया, पुद्दी ओर उंगली अपना काम कर रही थी और दिमाग अपना।
आखिर पुद्दी की मांग सुनकर मेने उंगली चलानी जारी रखी और दिमाग मे भाई का लन्ड रखकर फिंगरिंग करने लगी। उंगली को पुद्दी के लिप्स के बीच रगड़ा तो मजे की इंतहा पार कर गयी।
भाई का लन्ड बराबर दिमाग मे था और सोचने लगी कि उन बच्चों ने कहा था कि तेरी बहन की पुद्दी मार लूंगा।
क्या सच मे बहन की पुद्दी मारी जाती है।
पुद्दी तो इतनी छोटी है तो लन्ड कैसे घुसता होगा। अगर वो लन्ड भाई जितना हुआ तो कभी नही।
मैं अनाप शनाप सोचने लगी और उंगली चलाने की गति बढ़ा दी। आज भाई का लन्ड जिसने मुझे ये काम करने पर मजबूर कर दिया वो जेहन में घर बनाता गया।
फिर एक ऐसा लम्हा आया कि मुझे अपने भाई का लन्ड अपनी उंगली की जगह महसूस हुआ।
जैसे कि भाई अपना लन्ड पुद्दी पर रगड़ रहा है
आंखे बंद थी और फिंगरिंग जारी रही।
मजा बढ़ता गया और मुझे पुद्दी से कुछ गर्म गर्म निकलता महसूस हुआ जैसे कोई गर्म लावा, जैसे कोई ज्वालामुखी फटकर बाहर आने को है
ओर फिर वही हुआ पुद्दी से एक फव्वारा इतनी तेज निकला और बिस्तर पर दूर जाकर गिरा और लगातार निकलता रहा। कोई एक मिनट तक पानी बहता रहा।

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जब तूफान थम गया तो आंखे खोली ओर नीचे गीला गीला महसूस हुआ। देखा तो हैरान रह गयी कि इतना सारा पानी पर उंगली रखकर नाक के पास लाई ओर सुंघा तो पेशाब की महक आने लगी।
या खुदा मेने तो पेशाब कर दिया। में हैरान रह गयी कि आज कैसे मेने बिस्तर पर ही मूत दिया।
कपड़े से फुद्दी साफ की ओर रब से माफी मांगी और बिस्तर की गीली चादर बदली ओर ओर लेट गयी
कब नींद आ गयी पता ही नही चला।
सुबह नमाज़ पढ़ी ओर नास्ता करके मदरसे के लिए निकल गयी।
मदरसे पहुंची तो लड़कियां सभी आई हुई थी पर मौलवी साहब नजर नही आये। मैं किताबें लेकर लड़कियों के साथ बैठ गयी। लड़कियों में मेरी 2-3 दोस्त थी। दोस्ती इतनी की बस दुआ सलाम ओर मदरसा टाइम हंस बोल लेना।
मेने अपनी दोस्त सना से पूछा कि मौलवी साहब कहाँ है अभी तक नही आये। तो सना ने बताया कि अभी गए है बाथरूम की तरफ सायद फ्रेश होने गए हों।
फिर हम सबक याद करने लगे थोड़ी देर बाद मौलवी साहब आ गए।
मौलवी साहब बारी बारी सबका सबक सुनने लगे, लड़कियां ज्यादा थी तो मेरा नंबर में आने में टाइम लग गई। सबक सुना कर मैं घर के लिए निकलने लगी तो मुझे पेशाब की हालत हुई। मेने सोचा घर जाकर कर लुंगी लेकिन पेशाब जोर से आ रहा था।
मदरसे के बाथरूम थोड़ा दूर थे जहाँ हम सबक सुनाते थे। मैं लड़कियों के बाथरूम में घुस गई और जगह तलाशने लगी। मैं देखती हूँ कि उसपर ताला लगा हुआ था। मैं दूसरे बाथरूम गयी तो उसमें पानी की नलकी खराब थी। मैं पानी लेने टंकी की तरफ लेकिन उसमें भी पानी नही था। (इन बाथरूम को लड़कियां कम इस्तेमाल करती थी क्योंकि सभी अपने अपने घर से फ्रेश होकर आती थी या कभी कभार इस्तेमाल कर लेती थी)
मैं परेशान क्या किया जाए पेशाब जोर लगा रहा था कहीं कपड़े ही खराब ना हो जाये। इसलिए मर्दो वाले बाथरूम की तरफ चल दी ये सोचकर कि मौलवी साहब तो सबक सुन रहे हैं किसी को क्या पता चलेगा।
एक ही बाथरूम था जो स्पेशल मौलवी साहब के लिए था। उसका दरवाजा हटाया ओर अंदर घुस गई।
अंदर जाकर देखा तो हैरान ओर शर्म से दोहरी हो गयी।

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क्योंकि अंदर मौलवी साहब लैटरिंग करके गये थे ओर शायद पानी कम होने की वजह से लैटरिंग बहा कर नही गए। (पानी का एक बाल्टी रखी थी जिसमे बहुत थोड़ा पानी बचा था बाकी पानी मौलवी ने गाँड़ धोने में लगा दिया होगा)
मुझे तेज़ पेशाब था अब कैसे इस गन्दे बाथरूम में पेशाब करू।
सामने मौलवी साहब की टट्टी पड़ी हुई थी जिससे बाथरूम में थोड़ी थोड़ी गंदी स्मेल आ रही थी।
मेने उसे इग्नोर करने का सोचा ओर लैटरिंग शीट पर बैठ गयी (ये लैटरिंग देसी थी विदेशी शीट नही थी क्योंकि उससे छींटे लगती है)

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मेने पेशाब शुरु किया और करने लगी, मेरे दिमाग मे नशा होने लगा उस टट्टी की स्मेल से ओर सोचा कि इसे अपने मुत की धार से बहा दु। मैं उल्टी होकर बैठ गयी और उस टट्टी पर पेशाब की धार मारने लगी। टट्टी की स्मेल बढ़ती जा रही थी जो मेरे नाक से होते हुए मेरे दिमाग मे घुस रही थी। मैं मदहोश होने लगी, पता नही मुझे वो स्मेल अब अच्छी लगने लगी। और मैं आंखे बंद करके स्मेल लेती रही और मुतती रही।
मेरा मुत खत्म हुआ और मैं मदहोशी की दुनिया से बाहर आई और आंखे खोली तो मुत ओर टट्टी दोनों बह चुकी थी। मैं हैरान थी के मैं इतनी पाकीजा, साफ़ सुथरी लड़की इतनी गन्दी चीज से बहक कैसे गयी।
शैतान इतना हावी कैसे हो रहा है मुझपर जो अच्छा बुरा सोचना ही भूल गयी हूँ।
मेने खड़ी होकर सलवार बांधी ओर बाथरूम से निकलकर घर के लिए चल दी।
जो आज हुआ उसके बारे में मुझे अपने अपने आप से घिन आने लगी थी। और कहीं ना कहीं मुझे अच्छा भी लग रहा था।
या यूं कहें कि ये मेरी बर्बादी की तरफ बढ़ने वाले कदम थे।
Behatareen update
 

Ass licker

❤️❤️
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घर आकर में बाथरूम में घुस गई और महसूस किया कि मेरी कच्छी गीली हो गयी है। पता नही ये जवानी आग क्या क्या कराएगी मुझसे। मेने झुंझलाते हुए सलवार निकाली और कच्छी देखी तो उसपर पानी लगा हुआ था। कच्छी निकाल कर मेने उसे गौर से देखा तो उसपर कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था।
जो शायद मेरी पुद्दी का पानी था। मुझे अपने आप से घिन आने लगी कि इतनी गंदी चीज से में इतनी गर्म कैसे हो गयी। ये मेरी जवानी का शोर था जो मुझे बहका रहा था। मैं अपनी हया जितना बचाना चाहती थी ये जिस्म की गर्मी उतना मुझे बेपर्दा कर रही थी।
मेने कच्छी निकाल कर हेंगर पर लटका दी और पुद्दी धोकर बाहर निकल आई।
मैं सीधे अम्मी के कमरे में गयी तो सामने अम्मी किताब पढ़ रही थी।

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अम्मी से दुआ सलाम किया और उसके पास बैठ गयी
अम्मी:- बेटी केसी हो पढ़कर आ गयी ?
अंजुम:- हाँ अम्मी आ गयी।
अम्मी:- बेटी कैसे चल रही है पढ़ाई, तुझे बहुत बड़ी स्कोलर बनना है जो आगे चलकर औरतों को अच्छी बातें बताये ओर गुनाहों से रोके।
अंजुम:- अम्मी पढ़ाई अच्छी जा रही है बस कोशिश है मैं अपनी अम्मी की तरह एक साफ ओर नेक औरत बनू। ओर मेने अम्मी को गले लगा लिया
अम्मी:- देखना मेरी बेटी एक दिन बहुत बड़ा नाम रोशन करेगी।
अंजुम:- हाँ अम्मी आपका नाम रोशन जरूर करूंगी ओर मेने अम्मी के सीने लग गयी। मेरा मुँह अम्मी के बूब्स से ऊपर था। मुझे अम्मी के जिस्म की महक अच्छी लग रही थी।
फिर अम्मी मेरे सर पे हाथ फेरा ओर उठकर कहने लगी
चल बेटी दोपहर की प्राथना की
मैं अम्मी के साथ बदन साफ करने लगी, अचानक मेरी निगाहें अम्मी के क्लीवेज पर गयी जहां दुप्पट्टा नही था।
(बदन साफ करते हुए अम्मी ने दुपट्टा पीछे डाल रखा था और थोड़ा झुक कर बदन साफ कर रही थी)
अम्मी के बूब्स की लकीर दिख रही थी। फिर अम्मी थोड़ा आगे हुई और उसके बूब्स के 40% हिस्सा दिखने लगा। मैं सोचने लगी कि अम्मी के बूब्स बहुत प्यारे हैं

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मेने अपने बूब्स से नापतोल किया तो अम्मी के बूब्स थोड़े बड़े थे। और गदराए हुए जिस्म पर चार चांद लगा रहे थे। अचानक ही अम्मी का ध्यान सामने बैठी मुझपर पड़ा और कहने लगी बेटी क्या हुआ कैसे रुक गयी।
अम्मी ने मेरी निगाहों का पीछा किया तो उसे शर्म हुई और जल्दी से दुपट्टा सीने पर रख लिया ओर कहा
बेटी तुम क्या देख रही थी। मैंने कहा अम्मी आपका दुपट्टा गलती से वहां से हट गया था मैं आपको बोलने ही वाली थी।
बेटी कोई बात नही चलो अब जल्दी फारिक होकर प्राथना करो।
हमने फिर प्राथना की ओर अपने पापों की माफी मांगी।

वक़ार की जुबानी:- मैं एक बेहद शर्मिला लड़का हूँ जो अपने काम से काम रखता हूँ। गंदी चीजो के बारे में थोड़ा बहुत दोस्तों से पता चला जब कॉलेज में थे।
मैं बाजी ओर अम्मी का लाडला था और मैं भी उन्हें बहुत प्यार करता था। में दिन भर पढ़ाई करता ताकि पढ़ लिखकर अच्छी नोकरी कर सकू ओर घर की जिम्मेदारी संभालू।
जिंदगी अच्छी चल रही थी एक दिन मैं पेशाब करने बाथरूम गया तो मुझे हेंगर एक कच्छी पर अचानक निगाहे चली गयी।
मैंने इतना ध्यान नही दिया, मैं पेशाब करके निकलने वाला था कि शैतान मुझपर हावी होने लगा। मैं कभी कभी कभार मुठ मार लेता था जब हवस ज्यादा बढ़ जाती थी। मुझे सेक्स के बारे में पता था और इतना ध्यान नही देता था।
शैतान के आगे बेबस होकर में पलटा ओर कच्छी को हेंगर से लेकर देखने लगा।
कच्छी ओर कुछ दाग ओर चिपचिपा सा था।

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मेने उसे गोर से देखता रहा और बेख्याली से उसे नाक के पास लाकर सूंघने लगा।
कच्छी से एक मादक महक मेरे नाक में प्रवेश कर गयी जो मेरे तन बदन की गर्मी को बढ़ा गयी।
मुझे कच्छी को सूंघने लगा, मुझे इतना होश नही रहा कि ये कच्छी किसकी है ओर क्यों सूंघ रहा हूँ।
(अबसे कच्छी को पैंटी लिखूंगा)
मुझपर एक नशा सा होने लगा ये पहली बार था जब मैं इतना गर्म हुआ था।
मैंने अपना पजामा नीचे किया और लन्ड जो फूल कर 9 इंच का हो गया था उसे हिलाने लगा।
पैंटी पर लगे दाग की खुशबू मेरे दिल दिमाग पर छा गयी और अच्छा बुरा भूल कर मैं अपना लन्ड हिलाने लगा।
मेरा लन्ड काफी गर्म हो गया था और मैं उस पैंटी को सूंघकर पागल हो गया।

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ओर अचानक ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और लन्ड से एक पिचकारी छूटी जो दीवार से टकराई।
पिचकारी इतनी तेज थी के दीवार पर लगकर उसे छींटे जगह जगह गिरे। ढेर सारा माल बाथरूम में पड़ा था।
मैं बेबस खड़ा होकर हाथों में पैंटी लिए इस घिनोनी हरकत पर पश्चात कर रहा था।
मदहोशी की दुनिया से बाहर आकर मेने पैंटी की तरफ देखा और सोचने लगा कि ये बाजी की पैंटी है या अम्मी की। देखने से लग रहा था कि बाजी ही इस तरह की पैंटी पहनती है। क्योंकि पैंटी का साइज अम्मी के मुताबिक छोटा था।
पैंटी को हेंगर पर लटका कर मैं वापस कमरे में आया और उस हरकत पर गौर करने लगा।
आज मैंने अपनी ही प्यारी ओर मासूम बाजी के लिए ये घिनोनी सोच रखकर बहुत बड़ा गुनाह किया है
मेरी साफ सुथरी बाजी जो हर दम साफ बनकर रहती, धर्म की नॉलेज के लिए मदरसे जाती उसकी पैंटी के साथ मैंने ये गुनाह किया।
मैं इस गुनाह के लिए अपने लिए मलामत ओर गालिया निकालता रहा और कब सो गया पता ही नही चला।

अंजुम की जबानी:- शाम को खाना तैयार हुआ ओर मैं भाई को जगाने के लिए ऊपर कमरे में गयी।
दरवाजा खटकाया पर कोई जवाब नही मिला,
एक दम से पिछले दिन वाली बात दिमाग मे आई कैसे भाई के लोअर में तंबू बना हुआ था।
दरवाजे पर खड़ी होकर इसी सोच में घूम थी के अंदर जाऊं या नही।
आखिर मेने अंदर चलने का निर्णय लिया और दरवाजा हटाया ओर अंदर घुस गई।
अंदर भाई सोये हुए थे। मैंने उसे जगाया ओर खाने के लिए बोला।
भाई खड़े हुए और बाथरूम में हाथ मुँह धोने चले गए
हम सब ने खाना खाया और अम्मी के साथ बर्तन धो कर अपने अपने कमरें में आ गए।
सुबह प्राथना की ओर अम्मी के साथ नास्ता बनाया।
नास्ता करके मैं मदरसे निकल जायेगी, ओर सबक सुना कर वापस आ गयी आज कोई ऐसी घटना नही हुई जो मुझे बहका सकती थी।
घर आकर मैने कपड़े लिए ओर नहाने चली गयी।
बाथरूम में घुसकर मेने कपड़े हेंगर पर टांके तभी मुझे फर्श ओर कुछ चिपचिपा पानी नजर आया।
मैं नीचे झुककर उसे गौर से देखने लगी और सोचने लगी कि ये क्या है कुछ चिपचिपा सा कुछ समझ नही आ रहा।
मैंने उसपर उंगली लगाई और उंगलियों के बीच मसला तो कुछ अजीब सा अहसास हुआ।
शैतान मुझपर हावी होने लगा, ओर जोर देने लगा कि मैं ये चीज सूंघ कर चेक करू की क्या है ये
मैं अपनी उंगली नाक के पास लाई ओर उसे सुंघा, लेकिन कुछ खास पता नही चला तो मैंने उसे जीभ से टच किया तो एक कसेला का स्वाद आया, मैंने पूरी उंगली को मुँह में लिया और उसे चाटने लगी।
मुझे उसका स्वाद मदहोश करने लगा और मैं एक बार फिर लज्जतों की राह पर निकल पड़ी।
मेने अपनी उंगली को चाट चाटकर साफ किया, उसका स्वाद मुझे ऐसा भाया की मेने फर्श पर पड़े उस चिपचिपे पानी को कुतिया की तरह झुक कर चाटने लगी।
चाट चाटकर मेने फर्श पर पड़ी उस चीज को साफ कर दिया और हलक में उतार लिया

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मैं भूल गयी कि मेरी क्या शिक्षा क्या है, मैं कितनी पढ़ी लिखी ओर परहेजगार औरत हूँ। मेरा जिस्म मुझसे वो गुनाह करा रहा था जो मैं तो क्या कोई भी नही करना चाहता।
 
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