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Incest एक पाकीजा परिवार

बताओ किस्से ओर कैसा सेक्स पढ़ना चाहोगे ?


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Vinita

Member
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93
लगता है कोई अलग ही तरह की कहानी लिख रहे हो, सोच से परे की लगती है, देखते है आगे क्या होता है, लेकिन शुरु किया है तो अधूरी मत छोड़ना
 

paarth

Member
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123
Ye kahani kuchh unique lg Rahi hai. Naya point of view hai and har baar alag perspective se likhi ja rahi hai har update mai Acha ha rahe ho
 

prasha_tam

Well-Known Member
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5,294
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Bhaut Shandar Story Hai:applause:Superb update
:superb:
👌

Keep it up
👍

Waiting for next update
 

Shaantaar

New Member
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3
अपडेट 3
घर आकर में बाथरूम में घुस गई और महसूस किया कि मेरी कच्छी गीली हो गयी है। पता नही ये जवानी आग क्या क्या कराएगी मुझसे। मेने झुंझलाते हुए सलवार निकाली और कच्छी देखी तो उसपर पानी लगा हुआ था। कच्छी निकाल कर मेने उसे गौर से देखा तो उसपर कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था।
जो शायद मेरी पुद्दी का पानी था। मुझे अपने आप से घिन आने लगी कि इतनी गंदी चीज से में इतनी गर्म कैसे हो गयी। ये मेरी जवानी का शोर था जो मुझे बहका रहा था। मैं अपनी पाकीजगी जितना बचाना चाहती थी ये जिस्म की गर्मी उतना मुझे बेपर्दा कर रही थी।
मेने कच्छी निकाल कर हेंगर पर लटका दी और पुद्दी धोकर बाहर निकल आई।
मैं सीधे अम्मी के कमरे में गयी तो सामने अम्मी दीनी किताब पढ़ रही थी।

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अम्मी से दुआ सलाम किया और उसके पास बैठ गयी
अम्मी:- बेटी केसी हो पढ़कर आ गयी ?
अंजुम:- हाँ अम्मी आ गयी।
अम्मी:- बेटी कैसे चल रही है पढ़ाई, तुझे बहुत बड़ी आलिमा बनना है जो आगे चलकर औरतों को दीन की बातें बताये ओर गुनाहों से रोके।
अंजुम:- अम्मी पढ़ाई अच्छी जा रही है बस कोशिश है मैं अपनी अम्मी की तरह एक पाकीजा ओर दीनदार औरत बनू। ओर मेने अम्मी को गले लगा लिया
अम्मी:- देखना मेरी बेटी एक दिन बहुत बड़ा नाम रोशन करेगी।
अंजुम:- हाँ अम्मी आपका नाम रोशन जरूर करूंगी ओर मेने अम्मी के सीने लग गयी। मेरा मुँह अम्मी के बूब्स से ऊपर था। मुझे अम्मी के जिस्म की महक अच्छी लग रही थी।
फिर अम्मी मेरे सर पे हाथ फेरा ओर उठकर कहने लगी
चल बेटी दोपहर की नमाज पढ़ ले।
मैं अम्मी के साथ वजू बनाने लगी, अचानक मेरी निगाहें अम्मी के क्लीवेज पर गयी जहां दुप्पट्टा नही था।
(वजू के लिए अम्मी ने दुपट्टा पीछे डाल रखा था और थोड़ा झुक कर वजू कर रही थी)
अम्मी के बूब्स की लकीर दिख रही थी। फिर अम्मी थोड़ा आगे हुई और उसके बूब्स के 40% हिस्सा दिखने लगा। मैं सोचने लगी कि अम्मी के बूब्स बहुत प्यारे हैं

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मेने अपने बूब्स से नापतोल किया तो अम्मी के बूब्स थोड़े बड़े थे। और गदराए हुए जिस्म पर चार चांद लगा रहे थे। अचानक ही अम्मी का ध्यान सामने बैठी मुझपर पड़ा और कहने लगी बेटी क्या हुआ कैसे रुक गयी।
अम्मी ने मेरी निगाहों का पीछा किया तो उसे शर्म हुई और जल्दी से दुपट्टा सीने पर रख लिया ओर कहा
बेटी तुम क्या देख रही थी। मैंने कहा अम्मी आपका दुपट्टा गलती से वहां से हट गया था मैं आपको बोलने ही वाली थी।
बेटी कोई बात नही चलो अब जल्दी फारिक होकर नमाज़ पढ़ो।
हमने फिर नमाज़ पढ़ी ओर अपने गुनाहों की माफी मांगी।

वक़ार की जुबानी:- मैं एक बेहद शर्मिला लड़का हूँ जो अपने काम से काम रखता हूँ। गंदी चीजो के बारे में थोड़ा बहुत दोस्तों से पता चला जब कॉलेज में थे।
मैं बाजी ओर अम्मी का लाडला था और मैं भी उन्हें बहुत प्यार करता था। में दिन भर पढ़ाई करता ताकि पढ़ लिखकर अच्छी नोकरी कर सकू ओर घर की जिम्मेदारी संभालू।
जिंदगी अच्छी चल रही थी एक दिन मैं पेशाब करने बाथरूम गया तो मुझे हेंगर एक कच्छी पर अचानक निगाहे चली गयी।
मैंने इतना ध्यान नही दिया, मैं पेशाब करके निकलने वाला था कि शैतान मुझपर हावी होने लगा। मैं कभी कभी कभार मुठ मार लेता था जब हवस ज्यादा बढ़ जाती थी। मुझे सेक्स के बारे में पता था और इतना ध्यान नही देता था।
शैतान के आगे बेबस होकर में पलटा ओर कच्छी को हेंगर से लेकर देखने लगा।
कच्छी ओर कुछ दाग ओर चिपचिपा सा था।

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मेने उसे गोर से देखता रहा और बेख्याली से उसे नाक के पास लाकर सूंघने लगा।
कच्छी से एक मादक महक मेरे नाक में प्रवेश कर गयी जो मेरे तन बदन की गर्मी को बढ़ा गयी।
मुझे कच्छी को सूंघने लगा, मुझे इतना होश नही रहा कि ये कच्छी किसकी है ओर क्यों सूंघ रहा हूँ।
(अबसे कच्छी को पैंटी लिखूंगा)
मुझपर एक नशा सा होने लगा ये पहली बार था जब मैं इतना गर्म हुआ था।
मैंने अपना पजामा नीचे किया और लन्ड जो फूल कर 9 इंच का हो गया था उसे हिलाने लगा।
पैंटी पर लगे दाग की खुशबू मेरे दिल दिमाग पर छा गयी और अच्छा बुरा भूल कर मैं अपना लन्ड हिलाने लगा।
मेरा लन्ड काफी गर्म हो गया था और मैं उस पैंटी को सूंघकर पागल हो गया।

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ओर अचानक ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और लन्ड से एक पिचकारी छूटी जो दीवार से टकराई।
पिचकारी इतनी तेज थी के दीवार पर लगकर उसे छींटे जगह जगह गिरे। ढेर सारा माल बाथरूम में पड़ा था।
मैं बेबस खड़ा होकर हाथों में पैंटी लिए इस घिनोनी हरकत पर पश्चात कर रहा था।
मदहोशी की दुनिया से बाहर आकर मेने पैंटी की तरफ देखा और सोचने लगा कि ये बाजी की पैंटी है या अम्मी की। देखने से लग रहा था कि बाजी ही इस तरह की पैंटी पहनती है। क्योंकि पैंटी का साइज अम्मी के मुताबिक छोटा था।
पैंटी को हेंगर पर लटका कर मैं वापस कमरे में आया और उस हरकत पर गौर करने लगा।
आज मैंने अपनी ही प्यारी ओर मासूम बाजी के लिए ये घिनोनी सोच रखकर बहुत बड़ा गुनाह किया है
मेरी पाकीजा बाजी जो हर दम पाकीजा बनकर रहती, दीन की नॉलेज के लिए मदरसे जाती उसकी पैंटी के साथ मैंने ये गुनाह किया।
मैं इस गुनाह के लिए अपने लिए मलामत ओर गालिया निकालता रहा और कब सो गया पता ही नही चला।

अंजुम की जबानी:- शाम को खाना तैयार हुआ ओर मैं भाई को जगाने के लिए ऊपर कमरे में गयी।
दरवाजा खटकाया पर कोई जवाब नही मिला,
एक दम से पिछले दिन वाली बात दिमाग मे आई कैसे भाई के लोअर में तंबू बना हुआ था।
दरवाजे पर खड़ी होकर इसी सोच में घूम थी के अंदर जाऊं या नही।
आखिर मेने अंदर चलने का निर्णय लिया और दरवाजा हटाया ओर अंदर घुस गई।
अंदर भाई सोये हुए थे। मैंने उसे जगाया ओर खाने के लिए बोला।
भाई खड़े हुए और बाथरूम में हाथ मुँह धोने चले गए
हम सब ने खाना खाया और अम्मी के साथ बर्तन धो कर अपने अपने कमरें में आ गए।
सुबह नमाज पढ़ी ओर अम्मी के साथ नास्ता बनाया।
नास्ता करके मैं मदरसे निकल जायेगी, ओर सबक सुना कर वापस आ गयी आज कोई ऐसी घटना नही हुई जो मुझे बहका सकती थी।
घर आकर मैने कपड़े लिए ओर नहाने चली गयी।
बाथरूम में घुसकर मेने कपड़े हेंगर पर टांके तभी मुझे फर्श ओर कुछ चिपचिपा पानी नजर आया।
मैं नीचे झुककर उसे गौर से देखने लगी और सोचने लगी कि ये क्या है कुछ चिपचिपा सा कुछ समझ नही आ रहा।
मैंने उसपर उंगली लगाई और उंगलियों के बीच मसला तो कुछ अजीब सा अहसास हुआ।
शैतान मुझपर हावी होने लगा, ओर जोर देने लगा कि मैं ये चीज सूंघ कर चेक करू की क्या है ये
मैं अपनी उंगली नाक के पास लाई ओर उसे सुंघा, लेकिन कुछ खास पता नही चला तो मैंने उसे जीभ से टच किया तो एक कसेला का स्वाद आया, मैंने पूरी उंगली को मुँह में लिया और उसे चाटने लगी।
मुझे उसका स्वाद मदहोश करने लगा और मैं एक बार फिर लज्जतों की राह पर निकल पड़ी।
मेने अपनी उंगली को चाट चाटकर साफ किया, उसका स्वाद मुझे ऐसा भाया की मेने फर्श पर पड़े उस चिपचिपे पानी को कुतिया की तरह झुक कर चाटने लगी।
चाट चाटकर मेने फर्श पर पड़ी उस चीज को साफ कर दिया और हलक में उतार लिया

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मैं भूल गयी कि मेरी क्या तालीम है, मैं कितनी दीनदार ओर परहेजगार आलिमा हूँ। मेरा जिस्म मुझसे वो गुनाह करा रहा था जो मैं तो क्या कोई भी नही करना चाहता।
Bhai story mast hai per request hai ke plz english font me likiye
Agar aap bura na mano tho
 

Ass licker

❤️❤️
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लगता है कोई अलग ही तरह की कहानी लिख रहे हो, सोच से परे की लगती है, देखते है आगे क्या होता है, लेकिन शुरु किया है तो अधूरी मत छोड़ना
kya alag lga tumhe?
or kya suggestion dena chahoge??
 

Mr. X.

Loan Wolf
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बहुत ही मस्त स्टार्ट है भाई।
लेकिन एक रिक्वेस्ट है की सब कुछ धीरे धीरे करवाना और स्टोरी पूरी जरूर करना।
ज्यादा online नहीं हो पाता हुं तो मेरे कमैंट्स कम ही आएंगे लेकिन रोज एक बार तो होसला अफजाई जरूर करूंगा
 

Ass licker

❤️❤️
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अपडेट 4
वक़ार भाई की जुबानी:-

बाजी की पैंटी को सूंघकर हवस ने मुझे अलग तरह की दुनियां में पहुंचा दिया था। बाजी को सोच सोचकर में परेशान था। आखिर मुझे अपनी बाजी ही मिली थी जिसकी पर्सनल चीज को देखकर मैंने अपना माल गिराया था। मैंने कभी पोर्न देखी थी ना कभी कोई सेक्सी किताब पढ़ी, इज़लिये मैं इन गुनाहों से बचा रहा। और हमारी तरबियत भी ऐसी हुई के कभी इन चीजों को जानने की जरूरत पड़ी। पर जब से बाथरूम वाली घटना मेरे साथ हुई मुझे अब इन चीजों में इंटरेस्ट सा जाग गया था। मैं जानना चाहता था कि ये चीजें आखिर कुदरत ने क्यों बनाई है और कैसे इनको अंजाम दिया जाता है। शैतान अब मुझपर हावी होने लगा था। इन सब सोच से निकलकर मेने फ़ोन उठाया और सेक्सी वीडियो सर्च किया। मैं वीडियो में देखता हूँ कि तरह तरह के सेक्स और तरह तरह की अश्लीलता वीडियो में दिखाई गई है। मेरा सर चकराने लगा और शरीर एक दम पसीना पसीना हो गया।
लन्ड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया और मजे का अहसास तन बदन में फैलता गया।
अचानक एक पॉप अप स्क्रीन पर आया जिसमे एक लड़की बुर्के में थी और एक मर्द लेता हुआ था।
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मैंने उस पॉपअप पर क्लिक किया तो एक फोटो खुल कर सामने आया। गौर से देखने पर मेरी आँखें फ़टी की फटी रह गयी। छीईईई.......कितनी गंदी औरत है।
भला कोई वहां भी मुँह लगाता है। कितनी गंदी जगह जहां से आदमी अपनी गंदगी को निकलता है, ओर ये औरत उसी जगह को चाट रही है। आदमी भी मजे की दुनियां में आंखे बंद करके लेटा हुआ है।
मैंने फ़ौरन मोबाइल बंद किया और साइड में रख दिया
ओर सोचने लगा कि ऐसे भी लोग है क्या इस दुनियां में जो इतना गंदा काम करते हैं। क्या ये लड़कियां अपनी इज्जत आबरू, अपनी शर्मो हया का दामन इन गंदी चीजो के लिए छोड़ देती है। मैंने दोबारा फ़ोन उठाया और उस साइट पर क्लिक करके वीडियो देखने लगा
वीडियो में जितनी जहालत, ओर बेशर्मी थी वो आज मेरे सामने उजागर हो गयी थी। और मैं सेक्स की एक अलग परिभाषा को जान गया था।
मैं उठा और खाना खाने के लिए नीचे गया तो बाजी अम्मी के साथ मिलकर खाना बना रही थी।
बाजी सब्जियां काटने में अम्मी की मदद कर रही थी और जाकर सोफे पर बैठ गया। सोफे से किचेन की तरफ देखा जाए तो किचन के अंदर वाला इंसान दिख जाता था। मैं अम्मी ओर बाजी को देख रहा था कि दोनों माँ बेटी एक साथ हंस बोल कर काम कर रही थी।
अचानक मेरी निगाहें बाजी की कमर पर पड़ी तो उसकी कमीज सलवार या यु कहे उसके चूतड़ों के बीच फंसी हुई थी

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बाजी का कोई ध्यान ना तो उस फंसी हुई कमीज पर था और ना ही मेरी तरफ, बाजी अपनी मस्ती में ही किचन का काम कर रही थी।
मेरा दिमाग अब दिन पे दिन हवस का मोहताज होता जा रहा है। मुझे अब यह भी ख्याल नही रहता कि सामने मेरी बाजी है या कोई और।
भाइयों का हक़ होता है कि वो अपनी बहनों पर प्यार लुटाये, उनकी छोटी छोटी ख्वाइशों को पूरा करे।
अपनी बहनों की हिफाजत करें। लेकिन मेरा दिमाग इन सबसे दूर अपनी बाजी की गाँड़ पर जोर देना चाह रहा था। बाजी की गाँड़ उनके बाकी जिस्म के मुताबिक कुछ मोटी ओर भारी लग रही थी। बाजी के कूल्हों पर मास ज्यादा जो बाजी को ओर ज्यादा प्यारा बनाता है।

वैसे बाजी मेरी लाखों में एक थी, हुस्न तो भर भर दिया था रब ने हमारे घर मे।
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बाजी की गाँड़ देखने से कसी हुई लग रही थी। बाजी मेरी बाकायदा परहेजगार ओर नेक तालीम याफ्ता लड़की थी। बाजी की गाँड़ का जायजा लेते लेते मेरा शरीर गर्म होने लगा और मेरा हाथ लोअर की तरह बढ़ गया, जहां मेरा औजार हलचल मचाए हुए था। मेने देखा तो लन्ड अपनी सारी हदों को तोड़ता हुआ अपने फूल आकर में था जो कुछ ऐसा दिख रहा था

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मैंने अपना हाथ लन्ड पर रखा जो लोअर के अंदर था और उसे मसलने लगा। मैं बाजी की सलवार में ढकी हुई गाँड़ का मुआयना करने लगा और लन्ड पर हाथ आगे पिछे करने लगा। मजे से मेरी आँखें बंद हो गयी और ख्यालों में खो गया कि बाजी की गाँड़ कितनी चौड़ी है।

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कितना खुशकिस्मत होगा वो शख्स जो बाजी से शादी करेगा।मेरी बाजी को अपने बिस्तर की जीनत बनाएगा ओर उसके जिस्म के हर हिस्से ओर अपना हर्फ़ बख्शेगा।
आंखे जब खुली तो बाजी दरवाजे पर आकर मेरी तरफ हैरत भरी निगाहों से देख रही थी।

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जैसे ही मेने बाजी को अपनी चोरी पकड़ी जाने पर देखा तो शर्म से पानी पानी हो गया। और भाग कर अपने कमरे में चला गया।

कमरे में पहुंच कर मैं परेशान हाल इधर उधर चक्कर लगाने लगा और आने वाले खतरे को भांप कर मेरे शरीर से पसीना निकलने लगा।
मैं सोच में पड़ गया कि आज सब खत्म हो जाएगा और बाजी अम्मी अब्बू को सब बता देगी। मुझे आज अब्बू से डांट पड़ने वाली है, हो सकता है अब्बू मुझे घर से बाहर निकाल दे।
एक घण्टे बाद अम्मी ने आवाज लगाई और मुझे बुलाया।। मैं घबराया हुआ था कि आज तो मैं गया, बाजी ने सब कुछ बता दिया होगा।
मैं डरते डरते नीचे आने लगा और दिल जोर जोर से धड़क रहा था। नीचे आया और डाइनिंग टेबल पर अम्मी अब्बू दिखे। बाजी मुझे नजर ना आई।
डाइनिंग टेबल के पास गया तो अम्मी ने बैठने को कहा और मैं डरते हुए बैठ गया।
अम्मी अब्बू के चेहरे एक दम साफ थे, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। हमने खाना शुरू किया और अब्बू ने सवाल किया।
बेटा! पढ़ाई कैसे चल रही है
मैंने बताया अब्बू अच्छी चल रही है।
अब्बू ने पूछा तुम्हारा एग्जाम कब है, मैंने बताया अब्बू अभी तो कोई डेट नहीं है फिर भी 5-6 महीने बाद होने की उम्मीद है। दोस्तो मेंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और अब सरकारी नोकरी की पढ़ाई कर रहा हूँ।
हमने कहना शुरू किया लेकिन एक बात दिमाग मे थी के आज बाजी हमारे साथ खाना क्यों नही खा रही
मैंने अम्मी से पूछा कि अम्मी बाजी कहाँ है
अम्मी:- बेटा उसकी तबियत सही नही है तो वो खाना अपने कमरे में लेकर गयी बोल रही थी के अम्मी रूम में खा लुंगी मुझे कुछ चक्कर आ रहे हैं।
अब्बू:- हाँ बेटा जब तुम्हारी अम्मी उस बेचारी से इतना काम कराएगी तो मेरी बच्ची को चक्कर तो आएंगे ही।
मेरी फूल सी बच्ची को इतना काम करने की आदत नही है फिर भी तुम्हारी अम्मी उससे काम लेती है।
अम्मी:- हाँ उसकी साइड तो आप लोगे ही, वो बच्ची नही रही अब उसके लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दो आप।
अब्बू:- एक बार मेरी बच्ची पढ़ लिख जाये तो मैं उसकी शादी धूम धाम से करूँगा।
इतने में हमने खाना खत्म किया और मैं पानी पीकर अपने कमरे की तरफ चल दिया।
मेरी हिम्मत नही हुई के मैं बाजी का हाल चाल पूछ सकू
कहीं ना कहीं बाजी की इस हालत का जिम्मेदार मैं ही हूँ। कमरे में पहुंच कर मैं बेड पर बैठ गया और बाजी के बारे में सोचने लगा। मुझे पछतावा हो रहा था कि मैने अपनी पाक साफ और नेक बाजी के लिए ये अहसास पैदा किये। काफी देर में इसी तरह सोचता रहा और बेड ओर लेट गया। कब नींद आ गयी पता ही नही चला।
रात करीब 10 बजे किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया, मैंने सोचा इस वक़्त कौन हो सकता है।
मैं उठकर दरवाजे पर गया और दरवाजा खोला तो बाजी सामने खड़ी थी और चेहरे से गंभीर लग रही है।
मैंने बाजी को अंदर आने को कहा तो बाजी अंदर आई और बेड के कोने पर बैठ गयी नजरें नीचे किये हुए।

मैं डरते हुए बाजी के पास गया और चुपचाप बाजी से थोड़ा दूर बैठ गया।

दोस्तो लिखने में बहुत टाइम लगता है आप सब कमेंट करके हौसला बढ़ाये ताकि में आगे लिख सकू। किसी का कोई विचार हो तो वो भी बताएं
 
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