Pankaj Singh
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Bhai story mast hai per request hai ke plz english font me likiyeअपडेट 3
घर आकर में बाथरूम में घुस गई और महसूस किया कि मेरी कच्छी गीली हो गयी है। पता नही ये जवानी आग क्या क्या कराएगी मुझसे। मेने झुंझलाते हुए सलवार निकाली और कच्छी देखी तो उसपर पानी लगा हुआ था। कच्छी निकाल कर मेने उसे गौर से देखा तो उसपर कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था।
जो शायद मेरी पुद्दी का पानी था। मुझे अपने आप से घिन आने लगी कि इतनी गंदी चीज से में इतनी गर्म कैसे हो गयी। ये मेरी जवानी का शोर था जो मुझे बहका रहा था। मैं अपनी पाकीजगी जितना बचाना चाहती थी ये जिस्म की गर्मी उतना मुझे बेपर्दा कर रही थी।
मेने कच्छी निकाल कर हेंगर पर लटका दी और पुद्दी धोकर बाहर निकल आई।
मैं सीधे अम्मी के कमरे में गयी तो सामने अम्मी दीनी किताब पढ़ रही थी।

अम्मी से दुआ सलाम किया और उसके पास बैठ गयी
अम्मी:- बेटी केसी हो पढ़कर आ गयी ?
अंजुम:- हाँ अम्मी आ गयी।
अम्मी:- बेटी कैसे चल रही है पढ़ाई, तुझे बहुत बड़ी आलिमा बनना है जो आगे चलकर औरतों को दीन की बातें बताये ओर गुनाहों से रोके।
अंजुम:- अम्मी पढ़ाई अच्छी जा रही है बस कोशिश है मैं अपनी अम्मी की तरह एक पाकीजा ओर दीनदार औरत बनू। ओर मेने अम्मी को गले लगा लिया
अम्मी:- देखना मेरी बेटी एक दिन बहुत बड़ा नाम रोशन करेगी।
अंजुम:- हाँ अम्मी आपका नाम रोशन जरूर करूंगी ओर मेने अम्मी के सीने लग गयी। मेरा मुँह अम्मी के बूब्स से ऊपर था। मुझे अम्मी के जिस्म की महक अच्छी लग रही थी।
फिर अम्मी मेरे सर पे हाथ फेरा ओर उठकर कहने लगी
चल बेटी दोपहर की नमाज पढ़ ले।
मैं अम्मी के साथ वजू बनाने लगी, अचानक मेरी निगाहें अम्मी के क्लीवेज पर गयी जहां दुप्पट्टा नही था।
(वजू के लिए अम्मी ने दुपट्टा पीछे डाल रखा था और थोड़ा झुक कर वजू कर रही थी)
अम्मी के बूब्स की लकीर दिख रही थी। फिर अम्मी थोड़ा आगे हुई और उसके बूब्स के 40% हिस्सा दिखने लगा। मैं सोचने लगी कि अम्मी के बूब्स बहुत प्यारे हैं
मेने अपने बूब्स से नापतोल किया तो अम्मी के बूब्स थोड़े बड़े थे। और गदराए हुए जिस्म पर चार चांद लगा रहे थे। अचानक ही अम्मी का ध्यान सामने बैठी मुझपर पड़ा और कहने लगी बेटी क्या हुआ कैसे रुक गयी।
अम्मी ने मेरी निगाहों का पीछा किया तो उसे शर्म हुई और जल्दी से दुपट्टा सीने पर रख लिया ओर कहा
बेटी तुम क्या देख रही थी। मैंने कहा अम्मी आपका दुपट्टा गलती से वहां से हट गया था मैं आपको बोलने ही वाली थी।
बेटी कोई बात नही चलो अब जल्दी फारिक होकर नमाज़ पढ़ो।
हमने फिर नमाज़ पढ़ी ओर अपने गुनाहों की माफी मांगी।
वक़ार की जुबानी:- मैं एक बेहद शर्मिला लड़का हूँ जो अपने काम से काम रखता हूँ। गंदी चीजो के बारे में थोड़ा बहुत दोस्तों से पता चला जब कॉलेज में थे।
मैं बाजी ओर अम्मी का लाडला था और मैं भी उन्हें बहुत प्यार करता था। में दिन भर पढ़ाई करता ताकि पढ़ लिखकर अच्छी नोकरी कर सकू ओर घर की जिम्मेदारी संभालू।
जिंदगी अच्छी चल रही थी एक दिन मैं पेशाब करने बाथरूम गया तो मुझे हेंगर एक कच्छी पर अचानक निगाहे चली गयी।
मैंने इतना ध्यान नही दिया, मैं पेशाब करके निकलने वाला था कि शैतान मुझपर हावी होने लगा। मैं कभी कभी कभार मुठ मार लेता था जब हवस ज्यादा बढ़ जाती थी। मुझे सेक्स के बारे में पता था और इतना ध्यान नही देता था।
शैतान के आगे बेबस होकर में पलटा ओर कच्छी को हेंगर से लेकर देखने लगा।
कच्छी ओर कुछ दाग ओर चिपचिपा सा था।
मेने उसे गोर से देखता रहा और बेख्याली से उसे नाक के पास लाकर सूंघने लगा।
कच्छी से एक मादक महक मेरे नाक में प्रवेश कर गयी जो मेरे तन बदन की गर्मी को बढ़ा गयी।
मुझे कच्छी को सूंघने लगा, मुझे इतना होश नही रहा कि ये कच्छी किसकी है ओर क्यों सूंघ रहा हूँ।
(अबसे कच्छी को पैंटी लिखूंगा)
मुझपर एक नशा सा होने लगा ये पहली बार था जब मैं इतना गर्म हुआ था।
मैंने अपना पजामा नीचे किया और लन्ड जो फूल कर 9 इंच का हो गया था उसे हिलाने लगा।
पैंटी पर लगे दाग की खुशबू मेरे दिल दिमाग पर छा गयी और अच्छा बुरा भूल कर मैं अपना लन्ड हिलाने लगा।
मेरा लन्ड काफी गर्म हो गया था और मैं उस पैंटी को सूंघकर पागल हो गया।
ओर अचानक ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और लन्ड से एक पिचकारी छूटी जो दीवार से टकराई।
पिचकारी इतनी तेज थी के दीवार पर लगकर उसे छींटे जगह जगह गिरे। ढेर सारा माल बाथरूम में पड़ा था।
मैं बेबस खड़ा होकर हाथों में पैंटी लिए इस घिनोनी हरकत पर पश्चात कर रहा था।
मदहोशी की दुनिया से बाहर आकर मेने पैंटी की तरफ देखा और सोचने लगा कि ये बाजी की पैंटी है या अम्मी की। देखने से लग रहा था कि बाजी ही इस तरह की पैंटी पहनती है। क्योंकि पैंटी का साइज अम्मी के मुताबिक छोटा था।
पैंटी को हेंगर पर लटका कर मैं वापस कमरे में आया और उस हरकत पर गौर करने लगा।
आज मैंने अपनी ही प्यारी ओर मासूम बाजी के लिए ये घिनोनी सोच रखकर बहुत बड़ा गुनाह किया है
मेरी पाकीजा बाजी जो हर दम पाकीजा बनकर रहती, दीन की नॉलेज के लिए मदरसे जाती उसकी पैंटी के साथ मैंने ये गुनाह किया।
मैं इस गुनाह के लिए अपने लिए मलामत ओर गालिया निकालता रहा और कब सो गया पता ही नही चला।
अंजुम की जबानी:- शाम को खाना तैयार हुआ ओर मैं भाई को जगाने के लिए ऊपर कमरे में गयी।
दरवाजा खटकाया पर कोई जवाब नही मिला,
एक दम से पिछले दिन वाली बात दिमाग मे आई कैसे भाई के लोअर में तंबू बना हुआ था।
दरवाजे पर खड़ी होकर इसी सोच में घूम थी के अंदर जाऊं या नही।
आखिर मेने अंदर चलने का निर्णय लिया और दरवाजा हटाया ओर अंदर घुस गई।
अंदर भाई सोये हुए थे। मैंने उसे जगाया ओर खाने के लिए बोला।
भाई खड़े हुए और बाथरूम में हाथ मुँह धोने चले गए
हम सब ने खाना खाया और अम्मी के साथ बर्तन धो कर अपने अपने कमरें में आ गए।
सुबह नमाज पढ़ी ओर अम्मी के साथ नास्ता बनाया।
नास्ता करके मैं मदरसे निकल जायेगी, ओर सबक सुना कर वापस आ गयी आज कोई ऐसी घटना नही हुई जो मुझे बहका सकती थी।
घर आकर मैने कपड़े लिए ओर नहाने चली गयी।
बाथरूम में घुसकर मेने कपड़े हेंगर पर टांके तभी मुझे फर्श ओर कुछ चिपचिपा पानी नजर आया।
मैं नीचे झुककर उसे गौर से देखने लगी और सोचने लगी कि ये क्या है कुछ चिपचिपा सा कुछ समझ नही आ रहा।
मैंने उसपर उंगली लगाई और उंगलियों के बीच मसला तो कुछ अजीब सा अहसास हुआ।
शैतान मुझपर हावी होने लगा, ओर जोर देने लगा कि मैं ये चीज सूंघ कर चेक करू की क्या है ये
मैं अपनी उंगली नाक के पास लाई ओर उसे सुंघा, लेकिन कुछ खास पता नही चला तो मैंने उसे जीभ से टच किया तो एक कसेला का स्वाद आया, मैंने पूरी उंगली को मुँह में लिया और उसे चाटने लगी।
मुझे उसका स्वाद मदहोश करने लगा और मैं एक बार फिर लज्जतों की राह पर निकल पड़ी।
मेने अपनी उंगली को चाट चाटकर साफ किया, उसका स्वाद मुझे ऐसा भाया की मेने फर्श पर पड़े उस चिपचिपे पानी को कुतिया की तरह झुक कर चाटने लगी।
चाट चाटकर मेने फर्श पर पड़ी उस चीज को साफ कर दिया और हलक में उतार लिया

मैं भूल गयी कि मेरी क्या तालीम है, मैं कितनी दीनदार ओर परहेजगार आलिमा हूँ। मेरा जिस्म मुझसे वो गुनाह करा रहा था जो मैं तो क्या कोई भी नही करना चाहता।
kya alag lga tumhe?लगता है कोई अलग ही तरह की कहानी लिख रहे हो, सोच से परे की लगती है, देखते है आगे क्या होता है, लेकिन शुरु किया है तो अधूरी मत छोड़ना