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Incest एक पाकीजा परिवार

बताओ किस्से ओर कैसा सेक्स पढ़ना चाहोगे ?


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❤️❤️
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थोड़ी देर हम दोनों खामोश बैठे रहे। कमरे का माहौल एक दम शांत था।
आखिर मेने ही बोलना का फैसला किया और बाजी की तरफ देखकर
मैं:- बाजी मुझे माफ़ कर दो मुझसे गलती हो गयी है
बाजी:- किस बात की माफी भाई ?
मैं:- बाजी मैंने आप पर गलत निगाहें डाली जो मुझे नही करना चाहिए था, मुझे क्या किसी को भी नही करना चाहिए था।
बाजी खड़ी हुई और मेरे पास आकर मेरे मुँह पर थप्पड़ जड़ दिया 1.....2...3....4 लगातार थप्पड़ मारती गयी। मैं बाजी के इस बर्ताव पर हैरान था। बाजी ओर मेरे बीच आजतक कोई गुस्से वाली लड़ाई नही हुई थी। हम दोनों आपस मे एक दूसरे से मिल झूल कर रहते थे और एक दूसरे की इज्जत करते थे। लेकिन आज सब बदल गया था ओर बाजी मेरे मुँह ओर पीठ और थप्पड़ मारती रही और फिर खुद ही रोने लगी।
बाजी:- तूने ऐसा कैसे कर दिया, क्या तुझे शर्म नही आई कि मैं तेरी बड़ी बहन हूँ। तुझसे बड़ी हूँ।
तेरी शर्म ओ हया कहाँ चली गयी जो तू इतनी गंदी हरकत छी.ई.ईई... बोलने में भी शर्म आ रही है।
लेकिन तुझे शर्म ना आई, क्या यही तरबियत दी ही अम्मी अब्बू ने तुम्हे। क्या यही सीख रहे हो तुम
मैं:- बाजी मैं माफी चाहता हूं इस गुनाह के लिए, मुझे नही पता मैंने ऐसा क्यों किया।
बाजी:- हरामजादे तुझे ये भी नही पता था कि सामने तेरी बाजी है। कुत्ते क्या सोच कर तुमने ये काम किया बता मुझे ओर जोर जोर से रोने लगी।
मैं बेचैन हो गया और उठकर खड़ा हुआ और बाजी के पैरों में जाकर उसके पैर पकड़ लिए प्लीज बाजी मुझे माफ़ करदो, अम्मी अब्बू को पता चलेगा तो वो मेरी जान ले लेंगे। बाजी प्लीज रहम करो मुझपर आइंदा ऐसी गलती नही होगी
ओर मेरी आँख से भी आंसू आने लगे.मैं रोता रहा और बाजी से माफी मांगता रहा, मेरी आँखों से आंसू टपक कर बाजी के पैरों पर गिरने लगे
तो बाजी ने मेरे कंधों से पकड़कर उठाया और मेरी तरफ देखने लगी।
बाजी भी रो रही थी और मेरी आँखों से भी आंसू लगातार जारी थे।
बाजी ने मुझे रोता देख अपने सीने से लगा लिया और चुप कराने लगी।
बाजी:- चुप होजा भाई, तुमने माफी मांग ली यही बहुत है मेरे लिए। लेकिन भाई तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए था
मैं:- बाजी में शर्मिंदा हूँ अपनी हरकत पर.
बाजी:- चल अपने आँसू साफ कर ओर बैठ इधर

मैंने अपने आंसू पोंछे ओर बाजी के पास बैठ गया
बाजी:- भाई मैं तुमसे ओर लड़ना नही चाहती पर इतना पूछना चाहूंगी कि तुम्हारा मन मे ये बात कैसे आई कि तुम अपनी बाजी की तरफ गंदी नजरों से देखो।
मैं:- मैं क्या जवाब देता की बाजी आपकी गाँड़ में मुझे पागल कर दिया था ओर आपकी गाँड़ में फंसी हुई कमीज ने मुझसे ये गुनाह कराया है,
बाजी मुझे माफ़ करना, मुझे ऐसा नही करना था, आप मेरी बड़ी बाजी हो
बाजी:- भाई कोई तो वजह होगी जिससे तुम ये हरकत कर गए, मैं बुरा नही मानूँगी बस तुम वजह बता दो क्या वजह थी इसके पीछे।
मैं:- बाजी आपको सुनकर बुरा लगेगा, इसलिये आप ना ही पूछे तो बेहतर रहेगा।
बाजी:- भाई जो होना था हो गया, ओर तुमने माफी भी मांग और मैंने माफ भी कर दिया। मैं बुरा नही मानूँगी
मैं:- बाजी वो...वो...वो आप जब किचन में काम कर रही थी तो आपकी कमीज फंस गई थी
बाजी:- कहाँ फंस गई थी
मैं:- बाजी रहने दो ना जो हो गया वो हो गया अब जाने दो इस बात को।
बाजी:- भाई बताओ मैं कुछ नही बोलूंगी तुमसे जो बात सच है वो बताओ अगर अपनी बाजी से थोड़ी बहुत मोहब्बत करते हो तो
मैं:- बाजी मैं भी आपसे मोहब्बत करता हूँ, एक आप ही तो मेरे साथ हो जिंदगी के हर मोड़ पर
बाजी:- हाँ तो बताओ
मैं:- बाजी आपकी कमीज आपके पीछे कमर में फंस गई थी।
बाजी:- ओह्ह ऊपर वाले ये कैसे हुआ। मुझे ध्यान ही नही रहा अपने कपड़ों का।
मैं:- बाजी इसमें आपकी कोई गलती नही है वो गलती से हो गया होगा। मेरी ही गलती है जो मैं देखकर नजर नही हटा पाया।
बाजी:- भाई तुम्हे क्या हो गया जो तुमने ऐसी कंडीशन देख कर अपनी निगाहों ओर काबू नही किया
मैं:- पता नही बाजी मुझे देखना अच्छा लग रहा था या कुछ और बात थी ,पर मैं नजर नही हटा पाया आपसे
बाजी:- चलो छोड़ो इस बात को अब आगे से ध्यान रखना ठीक है
इतना बोलकर बाजी रूम से जाने लगी और मैंने कहा बाजी एक बार फिर शुक्रिया मुझे माफ़ करने के लिए
इतना सुनकर बाजी बाहर चली गयी और फाइनली मेने राहत की सांस ली। मुसीबत तो टल गई लेकिन मेरी हवस जो मेरा साथ नही दे रही देखना है वो कहाँ ले जाएगी।
 
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malikarman

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वक़ार भाई की जुबानी:-

बाजी की पैंटी को सूंघकर हवस ने मुझे अलग तरह की दुनियां में पहुंचा दिया था। बाजी को सोच सोचकर में परेशान था। आखिर मुझे अपनी बाजी ही मिली थी जिसकी पर्सनल चीज को देखकर मैंने अपना माल गिराया था। मैंने कभी पोर्न देखी थी ना कभी कोई सेक्सी किताब पढ़ी, इज़लिये मैं इन गुनाहों से बचा रहा। और हमारी तरबियत भी ऐसी हुई के कभी इन चीजों को जानने की जरूरत पड़ी। पर जब से बाथरूम वाली घटना मेरे साथ हुई मुझे अब इन चीजों में इंटरेस्ट सा जाग गया था। मैं जानना चाहता था कि ये चीजें आखिर कुदरत ने क्यों बनाई है और कैसे इनको अंजाम दिया जाता है। शैतान अब मुझपर हावी होने लगा था। इन सब सोच से निकलकर मेने फ़ोन उठाया और सेक्सी वीडियो सर्च किया। मैं वीडियो में देखता हूँ कि तरह तरह के सेक्स और तरह तरह की अश्लीलता वीडियो में दिखाई गई है। मेरा सर चकराने लगा और शरीर एक दम पसीना पसीना हो गया।
लन्ड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया और मजे का अहसास तन बदन में फैलता गया।
अचानक एक पॉप अप स्क्रीन पर आया जिसमे एक लड़की बुर्के में थी और एक मर्द लेता हुआ था।
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मैंने उस पॉपअप पर क्लिक किया तो एक फोटो खुल कर सामने आया। गौर से देखने पर मेरी आँखें फ़टी की फटी रह गयी। छीईईई.......कितनी गंदी औरत है।
भला कोई वहां भी मुँह लगाता है। कितनी गंदी जगह जहां से आदमी अपनी गंदगी को निकलता है, ओर ये औरत उसी जगह को चाट रही है। आदमी भी मजे की दुनियां में आंखे बंद करके लेटा हुआ है।
मैंने फ़ौरन मोबाइल बंद किया और साइड में रख दिया
ओर सोचने लगा कि ऐसे भी लोग है क्या इस दुनियां में जो इतना गंदा काम करते हैं। क्या ये लड़कियां अपनी इज्जत आबरू, अपनी शर्मो हया का दामन इन गंदी चीजो के लिए छोड़ देती है। मैंने दोबारा फ़ोन उठाया और उस साइट पर क्लिक करके वीडियो देखने लगा
वीडियो में जितनी जहालत, ओर बेशर्मी थी वो आज मेरे सामने उजागर हो गयी थी। और मैं सेक्स की एक अलग परिभाषा को जान गया था।
मैं उठा और खाना खाने के लिए नीचे गया तो बाजी अम्मी के साथ मिलकर खाना बना रही थी।
बाजी सब्जियां काटने में अम्मी की मदद कर रही थी और जाकर सोफे पर बैठ गया। सोफे से किचेन की तरफ देखा जाए तो किचन के अंदर वाला इंसान दिख जाता था। मैं अम्मी ओर बाजी को देख रहा था कि दोनों माँ बेटी एक साथ हंस बोल कर काम कर रही थी।
अचानक मेरी निगाहें बाजी की कमर पर पड़ी तो उसकी कमीज सलवार या यु कहे उसके चूतड़ों के बीच फंसी हुई थी

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बाजी का कोई ध्यान ना तो उस फंसी हुई कमीज पर था और ना ही मेरी तरफ, बाजी अपनी मस्ती में ही किचन का काम कर रही थी।
मेरा दिमाग अब दिन पे दिन हवस का मोहताज होता जा रहा है। मुझे अब यह भी ख्याल नही रहता कि सामने मेरी बाजी है या कोई और।
भाइयों का हक़ होता है कि वो अपनी बहनों पर प्यार लुटाये, उनकी छोटी छोटी ख्वाइशों को पूरा करे।
अपनी बहनों की हिफाजत करें। लेकिन मेरा दिमाग इन सबसे दूर अपनी बाजी की गाँड़ पर जोर देना चाह रहा था। बाजी की गाँड़ उनके बाकी जिस्म के मुताबिक कुछ मोटी ओर भारी लग रही थी। बाजी के कूल्हों पर मास ज्यादा जो बाजी को ओर ज्यादा प्यारा बनाता है।

वैसे बाजी मेरी लाखों में एक थी, हुस्न तो भर भर दिया था रब ने हमारे घर मे।
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बाजी की गाँड़ देखने से कसी हुई लग रही थी। बाजी मेरी बाकायदा परहेजगार ओर नेक तालीम याफ्ता लड़की थी। बाजी की गाँड़ का जायजा लेते लेते मेरा शरीर गर्म होने लगा और मेरा हाथ लोअर की तरह बढ़ गया, जहां मेरा औजार हलचल मचाए हुए था। मेने देखा तो लन्ड अपनी सारी हदों को तोड़ता हुआ अपने फूल आकर में था जो कुछ ऐसा दिख रहा था

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मैंने अपना हाथ लन्ड पर रखा जो लोअर के अंदर था और उसे मसलने लगा। मैं बाजी की सलवार में ढकी हुई गाँड़ का मुआयना करने लगा और लन्ड पर हाथ आगे पिछे करने लगा। मजे से मेरी आँखें बंद हो गयी और ख्यालों में खो गया कि बाजी की गाँड़ कितनी चौड़ी है।

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कितना खुशकिस्मत होगा वो शख्स जो बाजी से निकाह करेगा।मेरी बाजी को अपने बिस्तर की जीनत बनाएगा ओर उसके जिस्म के हर हिस्से ओर अपना हर्फ़ बख्शेगा।
आंखे जब खुली तो बाजी दरवाजे पर आकर मेरी तरफ हैरत भरी निगाहों से देख रही थी।

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जैसे ही मेने बाजी को अपनी चोरी पकड़ी जाने पर देखा तो शर्म से पानी पानी हो गया। और भाग कर अपने कमरे में चला गया।

कमरे में पहुंच कर मैं परेशान हाल इधर उधर चक्कर लगाने लगा और आने वाले खतरे को भांप कर मेरे शरीर से पसीना निकलने लगा।
मैं सोच में पड़ गया कि आज सब खत्म हो जाएगा और बाजी अम्मी अब्बू को सब बता देगी। मुझे आज अब्बू से डांट पड़ने वाली है, हो सकता है अब्बू मुझे घर से बाहर निकाल दे।
एक घण्टे बाद अम्मी ने आवाज लगाई और मुझे बुलाया।। मैं घबराया हुआ था कि आज तो मैं गया, बाजी ने सब कुछ बता दिया होगा।
मैं डरते डरते नीचे आने लगा और दिल जोर जोर से धड़क रहा था। नीचे आया और डाइनिंग टेबल पर अम्मी अब्बू दिखे। बाजी मुझे नजर ना आई।
डाइनिंग टेबल के पास गया तो अम्मी ने बैठने को कहा और मैं डरते हुए बैठ गया।
अम्मी अब्बू के चेहरे एक दम साफ थे, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। हमने खाना शुरू किया और अब्बू ने सवाल किया।
बेटा! पढ़ाई कैसे चल रही है
मैंने बताया अब्बू अच्छी चल रही है।
अब्बू ने पूछा तुम्हारा एग्जाम कब है, मैंने बताया अब्बू अभी तो कोई डेट नहीं है फिर भी 5-6 महीने बाद होने की उम्मीद है। दोस्तो मेंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और अब सरकारी नोकरी की पढ़ाई कर रहा हूँ।
हमने कहना शुरू किया लेकिन एक बात दिमाग मे थी के आज बाजी हमारे साथ खाना क्यों नही खा रही
मैंने अम्मी से पूछा कि अम्मी बाजी कहाँ है
अम्मी:- बेटा उसकी तबियत सही नही है तो वो खाना अपने कमरे में लेकर गयी बोल रही थी के अम्मी रूम में खा लुंगी मुझे कुछ चक्कर आ रहे हैं।
अब्बू:- हाँ बेटा जब तुम्हारी अम्मी उस बेचारी से इतना काम कराएगी तो मेरी बच्ची को चक्कर तो आएंगे ही।
मेरी फूल सी बच्ची को इतना काम करने की आदत नही है फिर भी तुम्हारी अम्मी उससे काम लेती है।
अम्मी:- हाँ उसकी साइड तो आप लोगे ही, वो बच्ची नही रही अब उसके लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दो आप।
अब्बू:- एक बार मेरी बच्ची आलिमा बन जाये तो मैं उसकी शादी धूम धाम से करूँगा।
इतने में हमने खाना खत्म किया और मैं पानी पीकर अपने कमरे की तरफ चल दिया।
मेरी हिम्मत नही हुई के मैं बाजी का हाल चाल पूछ सकू
कहीं ना कहीं बाजी की इस हालत का जिम्मेदार मैं ही हूँ। कमरे में पहुंच कर मैं बेड पर बैठ गया और बाजी के बारे में सोचने लगा। मुझे पछतावा हो रहा था कि मैने अपनी पाक साफ और नेक बाजी के लिए ये अहसास पैदा किये। काफी देर में इसी तरह सोचता रहा और बेड ओर लेट गया। कब नींद आ गयी पता ही नही चला।
रात करीब 10 बजे किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया, मैंने सोचा इस वक़्त कौन हो सकता है।
मैं उठकर दरवाजे पर गया और दरवाजा खोला तो बाजी सामने खड़ी थी और चेहरे से गंभीर लग रही है।
मैंने बाजी को अंदर आने को कहा तो बाजी अंदर आई और बेड के कोने पर बैठ गयी नजरें नीचे किये हुए।
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मैं डरते हुए बाजी के पास गया और चुपचाप बाजी से थोड़ा दूर बैठ गया।

दोस्तो लिखने में बहुत टाइम लगता है आप सब कमेंट करके हौसला बढ़ाये ताकि में आगे लिख सकू। किसी का कोई विचार हो तो वो भी बताएं
Shandar story aur update
 

Rudransh120

The Destroyer
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सलाम दोस्तो। मैंने बहुत सी कहानियां पड़ी अलग अलग फोरम पर, मेने सोचा क्यों ना एक कहानी मैं भी आपसे शेयर करू। कहानी ऐसी होगी कि आपको मजा मिलना तय है।
अपना प्यार बनाये रखना। पहली कहानी है तो कुछ गलतियां भी होंगी तो आप इग्नोर करना। मैं अपनी तरफ से आपका लन्ड ओर चुत गर्म करने की पूरी कोशिश करूंगा😊😊
हम पाकिस्तान में लाहौर के अजीज भट्टी तहसील में रहते हैं
मेरे अब्बू अकेले भाई है और दादा दादी इस दुनियां में नही है

फैमिली :- अब्बू हुसैन खान , जो एक बड़ी दुकान चलाते हैं जिससे महीने में 30-35 हजार रुपये बच जाते हैं जिससे हमारा गुजर काफी अच्छा हो जाता है। उनकी दुकान घर से 10 km दूर है। अभी अब्बू हट्टे कट्टे हैं और शरीर मजबूत बनाया हुआ है, सुबह जाते है और शाम को आते है

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अम्मी सुमैय्या खान, एक गदराए हुस्न की मालकिन, अम्मी की हाइट 5.6इंच है जो काफी अच्छी है। जिस्म ऐसा की बुड्ढे भी लन्ड लेकर लाइन में लग जाये। जिस्म का सबसे खूबसूरत और आकर्षित हिस्सा उसकी गाँड़ ओर चुचे है जो उसे ओर भी सेक्सी बनाते है। अम्मी नमाज़ रोजे की पाबंद ओर नेक औरत है। ओर मोहल्ले में होने वाली औरतों की तालीम में जाती है और खुद भी बयान करती है कभी कभी

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फिर आती है हमारी प्यारी बाजी अंजुम खान
इस कहानी की हीरोइन। बाजी की अभी 25 साल की है और नई नई जवानी में दाखिल हुए है। बाजी के चेहरे का नूर ऐसा की चांद भी शर्मा जाए। बाजी के होंठ गुलाब की तरह है, बाजी का जिस्म उम्र के हिसाब से ज्यादा लगता है क्योंकि बाजी की गाँड़ काफी मोटी-चौड़ी है। जो सूट सलवार में दिखाई देती है। बाजी घर पे ही रहती है और सुबह शाम मदरसे जाती है जो सिर्फ लड़कियों के लिए बना है । बाजी काफी पर्दा पसंद लड़की है और घर पर भी हिजाब में सलीके से रहती है और घर से बाहर बुर्के में जाती हूं। किसी गैर मर्द ने उसका चेहरा नही देखा है

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हीरो:- वक़ार खान (ये मैं हूँ) मेरा कद 5.11 इंच है। उम्र 23 साल रंग मेरा बाजी की तरह है जो हमे अम्मी से मिला है। मुझे देखकर हमारे मोहल्ले की लड़कियां आह भरती है। मैं ग्रेजुएशन कर चुका हूं और घर पर बैठ कर सरकारी एग्जाम की तैयारी कर रहा हूँ। लन्ड का साइज 8 इंच है जो फूल अकड़ कर 9 इंच तक पहुंच जाता है।

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बाकी किरदार अगर आएंगे तो आगे बता दूंगा। जो अभी बताना सही नही होगा क्योंकि आपको याद रखने में दिक्कत होगी।
हमारे घर में तीन कमरें है जिसमे 2 कमरे नीचे है और एक कमरा ऊपर बनाया हुआ है मेरे लिए क्योंकि मुझे पढ़ाई करनी होती है इसलिए अब्बू से कहकर मेने उसे अपना पर्सनल रूम बना लिया है। नीचे 2 कमरों में एक कमरा बाजी का ओर दूसरा कमरा अम्मी अब्बू का है। बाथरूम टॉयलेट ऊपर है जो मेरे कमरे के बराबर है।

हमारी सबकी दिनचर्या कुछ ऐसी है कि बाजी सुबह मदरसे जाती है जो दोपहर को आती है। बाजी को आलिमा बनना है। अम्मी सुबह उठकर नास्ता बनाना क्योंकि बाजी ओर अब्बू को जाना होता है तो अम्मी जल्दी उठकर उनके लिए नास्ता तैयार करती है कभी कभी बाजी भी उनकी मदद कर देती है।

ऐसे ही मजे से जिंदगी गुजर रही थी सब अपनी अपनी दुनियां में मस्त थे। फिर एक दिन ऐसा तूफान आया कि सब खाक हो गया ओर मैं क्या से क्या बन गया। कहानी अलग अलग लोगो के जुबानी पेश की जाएगी

बाजी की जुबानी:-
हुआ ऐसा की मैं सुबह मदरसे जा रही थी जो घर के पास ही था। रास्ते मे दो बच्चे आपस मे झगड़ रहे थे और एक दूसरे को गालियां दे रहे थे।" तेरी बहन की पुद्दी में मेरा लन्ड" तेरी माँ की पुद्दी मार दूंगा"
मेने जब सुना तो हैरान रह गयी कि कितने बत्तमीजी बच्चे है जो माँ बहन के बारे में ऐसा बोलते हैं।
मैंने उन बच्चों को डरा धमका कर चुप कर दिया और आगे बढ़ गयी। मदरसे पहुंच कर मैंने देखा कि लगभग सभी लड़कियां आ गयी है और मौलवी साहब को सबक सुना रही है। मौलवी साहब ओर लड़कियों के बीच एक कपड़े जैसा पर्दा होता था जो बीच मे लगा होता था।
लड़कियां ना तो मौलवी साहब को देख सकती थी, ओर ना मौलवी साहब लड़कियों को।
पर्दे का काफी एहतराम था इसलिए मेने अब्बू अम्मी से कहकर इसमें दाखिल ले लिया। मेने अपना सबक याद किया और अपनी बारी आने पर मौलवी साहब को सबक सुना दिया और सबक सुना कर वापस घर आ गयी। लेकिन एक नई बात जो मेरे साथ हुई के मेरे जेहन में उन बच्चों की कही गालियां जेहन में आने लगी।
मेने अपनी किताबे रखी और फ्रेश होंने बाथरूम में गयी।
मेने अपनी सलवार नीचे की ओर फिर कच्छी को नीचे किया और बेथ गयी पेशाब करने।

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मेरे दिमाग मे उन बच्चों की गलियां फिर से आने लगी और सोचने लगी कि क्या वे बच्चे एक दूसरे की माँ बहन चोद सकते हैं वो तो कितने छोटे बच्चे थे फिर भी ऐसे सोच रखते थे। सोचते सोचते मेरे ध्यान अपनी गुलाबी पुद्दी ओर गया तो देखा कि एक कतरा जो कुछ सफेद सा था पुद्दी के आखिरी हिस्से पर आ गया था ओर नीचे निकलने वाला था मेने उसे हैरत से देखा और हाथ नीचे ले जाकर उसे उंगली पर लिया और देखने लगी। ये क्या है और पहली बार ऐसी चीज मेरी हसीन पुद्दी से निकली जो कभी नही देखी।
मैंने उसे नाक के पास लेकर आई और उसे सुंघा तो कोई खास स्मेल नही आई। फिर मेने पेशाब किया और अपनी पुद्दी को धोया ओर बाथरूम से निकल कर अपने कमरे में आ गयी।
फ्रेश होकर मेने खाना खाया और अम्मी की तबियत वगेरह पूछने उसके कमरे में गयी। कमरे में झांक कर देखा तो अम्मी सो रही थी

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अम्मी की कमीज उसकी कमर से ऊपर हो गयी थी जो कुछ इस तरह हो गयी थी। अम्मी की गाँड़ पर नजर पड़ते ही मेरे दिमाग मे वो बच्चों की कही बात " तेरी माँ की पुद्दी मार लूंगा" याद आ गयी। बे ख्याली में मेरा ध्यान अम्मी की पूरी कमर पर गया और सोचने लगी कि अम्मी की गाँड़ कितनी मोटी है, अम्मी क्योंकि भरे हुए जिस्म की थी तो अम्मी की गाँड़ भारी थी। मेने अपनी नजरे हटाई ओर अम्मी को सोता देख वापस कमरे में आ गयी।
शाम को अब्बू भी आ गए थे अम्मी ने खाना टेबल ओर लगाया और मुझे भाई को बुलाने ऊपर भेजा
अम्मी:- अंजुम बेटी अपने भाई को बुला ला खाने के लिए
जा रही हूं अम्मी "ये भाई भी ना पता नही क्या करता है जो खाने का होश नही।
मेने भाई का रूम खटखटाया लेकिन जवाब नही मिला।
मैंने दरवाजा आराम से खोला ओर अंदर घुस गई और देखा कि भाई सो रहे हैं।
में उसके करीब जाकर उठाने के लिए आगे बढ़ी तो अचानक भाई के लोअर पर निगाहें गयी जो तंबू बना हुआ था।
मेरी सांस हलक में रह गयी क्योंकि भाई का लन्ड खड़ा हुआ था और लोअर फाड़ने की कमजोर कोशिस कर रहा था। देखने से लग रहा था कि उसकी मोटाई मेरी कलाई जितनी थी, या खुदा ये क्या है, ओर ऐसे कैसे फूला हुआ है।
मेने आज पहली बार भाई का लन्ड देखा था लेकिन लोअर में था। भाई हमेशा दरवाजा बंद करके सोता था। कोई आये तो पहले आवाज लगा दे या दरवाजा पीट दे।
लेकिन आज मेने जो देखा उसपर यकीन नही आया

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मेने अपने ख्यालो को पलटा ओर रूम से बाहर आकर भाई को जोर जोर से आवाज लगाई, भाई ने कोई 2 मिनट जवाब दिया "आया बाजी"
भाई दरवाजे पर आया और बोला क्या है बाजी?
भाई खाना तैयार है अम्मी बुला रही है जल्दी आ जाओ।
कुछ देर बाद भाई आये और सबने मिलकर खाना खाया और अब्बू ने पढ़ाई के बारे में पूछा वो हम भाई बहन ने बता दिया कि अब्बू अच्छी चल रही है।
खाना खा कर अब्बू ओर भाई अपने कमरे में चले गए और अम्मी बर्तन धोने लगी और मैने भी उसकी हेल्प की।

बर्तन धो कर में भी अपने कमरे में आ गयी और लेट कर आज की घटनाओं के बारे में सोचने लगी
उन बच्चों की गलियां ओर भाई का लन्ड दिमाग मे बार बार आ रहा था। मुझे इतना तो पता था कि लन्ड चुत की प्रजाति इस दुनियां में है लेकिन ये नही पता था कि लन्ड इतने लंबे लम्बे ओर मोटे होते होंगे। भाई का लन्ड सोचकर में गर्म होने लगी जो पहली बार हो रहा था। लन्ड को दिमाग मे सोच सोचकर मेरा हाथ कब चुत ओर पहुंच गया पता ही नही चला। और जिस्म की गर्मी में परेशान होकर मेने अपनी चुत ओर उंगली फिराई तो एक अनोखा सा मजा ओर लज्जत पाई, मेने उंगली फिराना जारी रखा और आनंद के सागर में नहाने लगी।
Bahot hi badiya suruat he kahani ki ..


Congratulations for the new story...
 

Rudransh120

The Destroyer
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वक़ार भाई की जुबानी:-

बाजी की पैंटी को सूंघकर हवस ने मुझे अलग तरह की दुनियां में पहुंचा दिया था। बाजी को सोच सोचकर में परेशान था। आखिर मुझे अपनी बाजी ही मिली थी जिसकी पर्सनल चीज को देखकर मैंने अपना माल गिराया था। मैंने कभी पोर्न देखी थी ना कभी कोई सेक्सी किताब पढ़ी, इज़लिये मैं इन गुनाहों से बचा रहा। और हमारी तरबियत भी ऐसी हुई के कभी इन चीजों को जानने की जरूरत पड़ी। पर जब से बाथरूम वाली घटना मेरे साथ हुई मुझे अब इन चीजों में इंटरेस्ट सा जाग गया था। मैं जानना चाहता था कि ये चीजें आखिर कुदरत ने क्यों बनाई है और कैसे इनको अंजाम दिया जाता है। शैतान अब मुझपर हावी होने लगा था। इन सब सोच से निकलकर मेने फ़ोन उठाया और सेक्सी वीडियो सर्च किया। मैं वीडियो में देखता हूँ कि तरह तरह के सेक्स और तरह तरह की अश्लीलता वीडियो में दिखाई गई है। मेरा सर चकराने लगा और शरीर एक दम पसीना पसीना हो गया।
लन्ड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया और मजे का अहसास तन बदन में फैलता गया।
अचानक एक पॉप अप स्क्रीन पर आया जिसमे एक लड़की बुर्के में थी और एक मर्द लेता हुआ था।
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मैंने उस पॉपअप पर क्लिक किया तो एक फोटो खुल कर सामने आया। गौर से देखने पर मेरी आँखें फ़टी की फटी रह गयी। छीईईई.......कितनी गंदी औरत है।
भला कोई वहां भी मुँह लगाता है। कितनी गंदी जगह जहां से आदमी अपनी गंदगी को निकलता है, ओर ये औरत उसी जगह को चाट रही है। आदमी भी मजे की दुनियां में आंखे बंद करके लेटा हुआ है।
मैंने फ़ौरन मोबाइल बंद किया और साइड में रख दिया
ओर सोचने लगा कि ऐसे भी लोग है क्या इस दुनियां में जो इतना गंदा काम करते हैं। क्या ये लड़कियां अपनी इज्जत आबरू, अपनी शर्मो हया का दामन इन गंदी चीजो के लिए छोड़ देती है। मैंने दोबारा फ़ोन उठाया और उस साइट पर क्लिक करके वीडियो देखने लगा
वीडियो में जितनी जहालत, ओर बेशर्मी थी वो आज मेरे सामने उजागर हो गयी थी। और मैं सेक्स की एक अलग परिभाषा को जान गया था।
मैं उठा और खाना खाने के लिए नीचे गया तो बाजी अम्मी के साथ मिलकर खाना बना रही थी।
बाजी सब्जियां काटने में अम्मी की मदद कर रही थी और जाकर सोफे पर बैठ गया। सोफे से किचेन की तरफ देखा जाए तो किचन के अंदर वाला इंसान दिख जाता था। मैं अम्मी ओर बाजी को देख रहा था कि दोनों माँ बेटी एक साथ हंस बोल कर काम कर रही थी।
अचानक मेरी निगाहें बाजी की कमर पर पड़ी तो उसकी कमीज सलवार या यु कहे उसके चूतड़ों के बीच फंसी हुई थी

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बाजी का कोई ध्यान ना तो उस फंसी हुई कमीज पर था और ना ही मेरी तरफ, बाजी अपनी मस्ती में ही किचन का काम कर रही थी।
मेरा दिमाग अब दिन पे दिन हवस का मोहताज होता जा रहा है। मुझे अब यह भी ख्याल नही रहता कि सामने मेरी बाजी है या कोई और।
भाइयों का हक़ होता है कि वो अपनी बहनों पर प्यार लुटाये, उनकी छोटी छोटी ख्वाइशों को पूरा करे।
अपनी बहनों की हिफाजत करें। लेकिन मेरा दिमाग इन सबसे दूर अपनी बाजी की गाँड़ पर जोर देना चाह रहा था। बाजी की गाँड़ उनके बाकी जिस्म के मुताबिक कुछ मोटी ओर भारी लग रही थी। बाजी के कूल्हों पर मास ज्यादा जो बाजी को ओर ज्यादा प्यारा बनाता है।

वैसे बाजी मेरी लाखों में एक थी, हुस्न तो भर भर दिया था रब ने हमारे घर मे।
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बाजी की गाँड़ देखने से कसी हुई लग रही थी। बाजी मेरी बाकायदा परहेजगार ओर नेक तालीम याफ्ता लड़की थी। बाजी की गाँड़ का जायजा लेते लेते मेरा शरीर गर्म होने लगा और मेरा हाथ लोअर की तरह बढ़ गया, जहां मेरा औजार हलचल मचाए हुए था। मेने देखा तो लन्ड अपनी सारी हदों को तोड़ता हुआ अपने फूल आकर में था जो कुछ ऐसा दिख रहा था

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मैंने अपना हाथ लन्ड पर रखा जो लोअर के अंदर था और उसे मसलने लगा। मैं बाजी की सलवार में ढकी हुई गाँड़ का मुआयना करने लगा और लन्ड पर हाथ आगे पिछे करने लगा। मजे से मेरी आँखें बंद हो गयी और ख्यालों में खो गया कि बाजी की गाँड़ कितनी चौड़ी है।

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कितना खुशकिस्मत होगा वो शख्स जो बाजी से निकाह करेगा।मेरी बाजी को अपने बिस्तर की जीनत बनाएगा ओर उसके जिस्म के हर हिस्से ओर अपना हर्फ़ बख्शेगा।
आंखे जब खुली तो बाजी दरवाजे पर आकर मेरी तरफ हैरत भरी निगाहों से देख रही थी।

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जैसे ही मेने बाजी को अपनी चोरी पकड़ी जाने पर देखा तो शर्म से पानी पानी हो गया। और भाग कर अपने कमरे में चला गया।

कमरे में पहुंच कर मैं परेशान हाल इधर उधर चक्कर लगाने लगा और आने वाले खतरे को भांप कर मेरे शरीर से पसीना निकलने लगा।
मैं सोच में पड़ गया कि आज सब खत्म हो जाएगा और बाजी अम्मी अब्बू को सब बता देगी। मुझे आज अब्बू से डांट पड़ने वाली है, हो सकता है अब्बू मुझे घर से बाहर निकाल दे।
एक घण्टे बाद अम्मी ने आवाज लगाई और मुझे बुलाया।। मैं घबराया हुआ था कि आज तो मैं गया, बाजी ने सब कुछ बता दिया होगा।
मैं डरते डरते नीचे आने लगा और दिल जोर जोर से धड़क रहा था। नीचे आया और डाइनिंग टेबल पर अम्मी अब्बू दिखे। बाजी मुझे नजर ना आई।
डाइनिंग टेबल के पास गया तो अम्मी ने बैठने को कहा और मैं डरते हुए बैठ गया।
अम्मी अब्बू के चेहरे एक दम साफ थे, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। हमने खाना शुरू किया और अब्बू ने सवाल किया।
बेटा! पढ़ाई कैसे चल रही है
मैंने बताया अब्बू अच्छी चल रही है।
अब्बू ने पूछा तुम्हारा एग्जाम कब है, मैंने बताया अब्बू अभी तो कोई डेट नहीं है फिर भी 5-6 महीने बाद होने की उम्मीद है। दोस्तो मेंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और अब सरकारी नोकरी की पढ़ाई कर रहा हूँ।
हमने कहना शुरू किया लेकिन एक बात दिमाग मे थी के आज बाजी हमारे साथ खाना क्यों नही खा रही
मैंने अम्मी से पूछा कि अम्मी बाजी कहाँ है
अम्मी:- बेटा उसकी तबियत सही नही है तो वो खाना अपने कमरे में लेकर गयी बोल रही थी के अम्मी रूम में खा लुंगी मुझे कुछ चक्कर आ रहे हैं।
अब्बू:- हाँ बेटा जब तुम्हारी अम्मी उस बेचारी से इतना काम कराएगी तो मेरी बच्ची को चक्कर तो आएंगे ही।
मेरी फूल सी बच्ची को इतना काम करने की आदत नही है फिर भी तुम्हारी अम्मी उससे काम लेती है।
अम्मी:- हाँ उसकी साइड तो आप लोगे ही, वो बच्ची नही रही अब उसके लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दो आप।
अब्बू:- एक बार मेरी बच्ची आलिमा बन जाये तो मैं उसकी शादी धूम धाम से करूँगा।
इतने में हमने खाना खत्म किया और मैं पानी पीकर अपने कमरे की तरफ चल दिया।
मेरी हिम्मत नही हुई के मैं बाजी का हाल चाल पूछ सकू
कहीं ना कहीं बाजी की इस हालत का जिम्मेदार मैं ही हूँ। कमरे में पहुंच कर मैं बेड पर बैठ गया और बाजी के बारे में सोचने लगा। मुझे पछतावा हो रहा था कि मैने अपनी पाक साफ और नेक बाजी के लिए ये अहसास पैदा किये। काफी देर में इसी तरह सोचता रहा और बेड ओर लेट गया। कब नींद आ गयी पता ही नही चला।
रात करीब 10 बजे किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया, मैंने सोचा इस वक़्त कौन हो सकता है।
मैं उठकर दरवाजे पर गया और दरवाजा खोला तो बाजी सामने खड़ी थी और चेहरे से गंभीर लग रही है।
मैंने बाजी को अंदर आने को कहा तो बाजी अंदर आई और बेड के कोने पर बैठ गयी नजरें नीचे किये हुए।
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मैं डरते हुए बाजी के पास गया और चुपचाप बाजी से थोड़ा दूर बैठ गया।

दोस्तो लिखने में बहुत टाइम लगता है आप सब कमेंट करके हौसला बढ़ाये ताकि में आगे लिख सकू। किसी का कोई विचार हो तो वो भी बताएं
Bahot hi badiya update he bhai...
To Anjum sex ki duniya me apne kadam aage badha rahi he aur sath me Vakar ke man me bhi apni baji ke liye aese hi vichar aa rahe he...
 
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Rudransh120

The Destroyer
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थोड़ी देर हम दोनों खामोश बैठे रहे। कमरे का माहौल एक दम शांत था।
आखिर मेने ही बोलना का फैसला किया और बाजी की तरफ देखकर
मैं:- बाजी मुझे माफ़ कर दो मुझसे गलती हो गयी है
बाजी:- किस बात की माफी भाई ?
मैं:- बाजी मैंने आप पर गलत निगाहें डाली जो मुझे नही करना चाहिए था, मुझे क्या किसी को भी नही करना चाहिए था।
बाजी खड़ी हुई और मेरे पास आकर मेरे मुँह पर थप्पड़ जड़ दिया 1.....2...3....4 लगातार थप्पड़ मारती गयी। मैं बाजी के इस बर्ताव पर हैरान था। बाजी ओर मेरे बीच आजतक कोई गुस्से वाली लड़ाई नही हुई थी। हम दोनों आपस मे एक दूसरे से मिल झूल कर रहते थे और एक दूसरे की इज्जत करते थे। लेकिन आज सब बदल गया था ओर बाजी मेरे मुँह ओर पीठ और थप्पड़ मारती रही और फिर खुद ही रोने लगी।
बाजी:- तूने ऐसा कैसे कर दिया, क्या तुझे शर्म नही आई कि मैं तेरी बड़ी बहन हूँ। तुझसे बड़ी हूँ।
तेरी शर्म ओ हया कहाँ चली गयी जो तू इतनी गंदी हरकत छी.ई.ईई... बोलने में भी शर्म आ रही है।
लेकिन तुझे शर्म ना आई, क्या यही तरबियत दी ही अम्मी अब्बू ने तुम्हे। क्या यही सीख रहे हो तुम
मैं:- बाजी मैं माफी चाहता हूं इस गुनाह के लिए, मुझे नही पता मैंने ऐसा क्यों किया।
बाजी:- हरामजादे तुझे ये भी नही पता था कि सामने तेरी बाजी है। कुत्ते क्या सोच कर तुमने ये काम किया बता मुझे ओर जोर जोर से रोने लगी।
मैं बेचैन हो गया और उठकर खड़ा हुआ और बाजी के पैरों में जाकर उसके पैर पकड़ लिए प्लीज बाजी मुझे माफ़ करदो, अम्मी अब्बू को पता चलेगा तो वो मेरी जान ले लेंगे। बाजी प्लीज रहम करो मुझपर आइंदा ऐसी गलती नही होगी
ओर मेरी आँख से भी आंसू आने लगे.मैं रोता रहा और बाजी से माफी मांगता रहा, मेरी आँखों से आंसू टपक कर बाजी के पैरों पर गिरने लगे
तो बाजी ने मेरे कंधों से पकड़कर उठाया और मेरी तरफ देखने लगी।
बाजी भी रो रही थी और मेरी आँखों से भी आंसू लगातार जारी थे।
बाजी ने मुझे रोता देख अपने सीने से लगा लिया और चुप कराने लगी।
बाजी:- चुप होजा भाई, तुमने माफी मांग ली यही बहुत है मेरे लिए। लेकिन भाई तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए था
मैं:- बाजी में शर्मिंदा हूँ अपनी हरकत पर.
बाजी:- चल अपने आँसू साफ कर ओर बैठ इधर

मैंने अपने आंसू पोंछे ओर बाजी के पास बैठ गया
बाजी:- भाई मैं तुमसे ओर लड़ना नही चाहती पर इतना पूछना चाहूंगी कि तुम्हारा मन मे ये बात कैसे आई कि तुम अपनी बाजी की तरफ गंदी नजरों से देखो।
मैं:- मैं क्या जवाब देता की बाजी आपकी गाँड़ में मुझे पागल कर दिया था ओर आपकी गाँड़ में फंसी हुई कमीज ने मुझसे ये गुनाह कराया है,
बाजी मुझे माफ़ करना, मुझे ऐसा नही करना था, आप मेरी बड़ी बाजी हो
बाजी:- भाई कोई तो वजह होगी जिससे तुम ये हरकत कर गए, मैं बुरा नही मानूँगी बस तुम वजह बता दो क्या वजह थी इसके पीछे।
मैं:- बाजी आपको सुनकर बुरा लगेगा, इसलिये आप ना ही पूछे तो बेहतर रहेगा।
बाजी:- भाई जो होना था हो गया, ओर तुमने माफी भी मांग और मैंने माफ भी कर दिया। मैं बुरा नही मानूँगी
मैं:- बाजी वो...वो...वो आप जब किचन में काम कर रही थी तो आपकी कमीज फंस गई थी
बाजी:- कहाँ फंस गई थी
मैं:- बाजी रहने दो ना जो हो गया वो हो गया अब जाने दो इस बात को।
बाजी:- भाई बताओ मैं कुछ नही बोलूंगी तुमसे जो बात सच है वो बताओ अगर अपनी बाजी से थोड़ी बहुत मोहब्बत करते हो तो
मैं:- बाजी मैं भी आपसे मोहब्बत करता हूँ, एक आप ही तो मेरे साथ हो जिंदगी के हर मोड़ पर
बाजी:- हाँ तो बताओ
मैं:- बाजी आपकी कमीज आपके पीछे कमर में फंस गई थी।
बाजी:- ओह्ह खुदा! ये कैसे हुआ। मुझे ध्यान ही नही रहा अपने कपड़ों का।
मैं:- बाजी इसमें आपकी कोई गलती नही है वो गलती से हो गया होगा। मेरी ही गलती है जो मैं देखकर नजर नही हटा पाया।
बाजी:- भाई तुम्हे क्या हो गया जो तुमने ऐसी कंडीशन देख कर अपनी निगाहों ओर काबू नही किया
मैं:- पता नही बाजी मुझे देखना अच्छा लग रहा था या कुछ और बात थी ,पर मैं नजर नही हटा पाया आपसे
बाजी:- चलो छोड़ो इस बात को अब आगे से ध्यान रखना ठीक है
इतना बोलकर बाजी रूम से जाने लगी और मैंने कहा बाजी एक बार फिर शुक्रिया मुझे माफ़ करने के लिए
इतना सुनकर बाजी बाहर चली गयी और फाइनली मेने राहत की सांस ली। मुसीबत तो टल गई लेकिन मेरी हवस जो मेरा साथ नही दे रही देखना है वो कहाँ ले जाएगी।
Are bhai ye pasa hi palat gaya ulta chor kotwal ko dante...

Wah bhai wah Vakar ne sirf dekh kya liya aur khud nangi ho ke apne bhai ke lund ke bare me sochkaar chut me ungli kare vo kya he fir...

Ye Anjum to Vakar ka badhiya vala kat gayi...

Ab aage kehna raha ke kese Vakar aur Anjum ek dusre ke karib aate he yaa attract hote he...

Agle update ki pratiksa rahegi...
 
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