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poora scene 2 bhaago me likha hai, ek me likhta to bahut bada ho jaata. aur alag alag scene the, ek me description hai, dusre me dialogue and action haiitne dino baad bas ek update, wo bhi itna chhota
aapke review ka bahut bahut dhanyawaad, dil se shukriya. bahut accha laga aapka review padhakar.मनमोहक अपडेट था , जिसे पढ़ कर जैसे दिन ही बन जाये.. वैसे फेंटसी अपनी अलग ही लेवल पर पहुंच चुकी है.. बड़े खतरनाक और भयावह प्राणी प्रकट हुए है अपडेट में। खैर... अपडेट लिखते-लिखते आप कई बातें ऐसी पहलुओं को जोड़ देते हैं जो की मन को लुभा दे.. आप अपडेट और कहानी के अभी तक के सार को बड़े अच्छे से जोड़ते हो.. किरदारों के बीच के बातचीत और उनके क्रियाकलाप की परिभाषा को आपने अपने अपडेट में बहुत अच्छे से पेश किए है...
वेसे narrations में आपने कमाल कर दिया है... शब्दों का ऐसा कमाल काफी कम देखने को मिलता है... हर शब्द के अंदर भावनाये कूट कूट के भरी हुई है.. हर किसी के बस की बात नहीं होती भावनाओ को प्रदर्शित करना जो की आपने बेहतरीन ढंग से किया है...
ऐसे ही लिखते रहिये और हम पाठको का मनोरंजन करते रहिये....
next updates aur bhi interesting honge, ye poora raat ka scene jab tak chalega, bahut hi juicy aur majedaar hone waala haigajab aur majedar update ..
jis tarah shaitan ki duniya ka varnan kiya hai wo padhkar maja aa gaya ..
pandit sabke baare me pandey ko batata hua aage badh raha hai ..
shaitan ke saamne jyada bolne me mana kar diya pandey ko .
kanchan ko haasil karne ki laalsa badi majboot hai pandit ki ..
Romanchak and umda upDate.Awesomeअपडेट- 36………
सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥
सीन भाग- मनोहर पंडित और शैतान की पूजा
रात गुलाबी…….
पिछले भाग मे।।
मनोहर ने पांडे को देखते हुए मंत्र पढ़ने जारी रखे, और हवन की उठ रही आग की लपटों के ऊपर एक काले रंग का साया बनने लगा, और मंत्रों के साथ उस साय का आकार बढ़ने लगा, फिर उस हवन के बीचों बीच आकाश से एक तेज लाल रंग की रोशनी निकली जो हवन कुंड के बीचों बीच जाके टकरा गई, और जिसकी वजह से वो काले रंग के साए मे से लाल रंग की रोशनी निकालने लगी और देखते ही देखते एक दूसरी दुनिया उस साय मे से दिखने लगी, कोठी के बाहर हो रही घमासान लड़ाई एक पल के लिए रुक गई और सब उस रोशनी को देखने लगे।
अब आगे।।
आगे कहानी मे भीमसिंघ- BS, रामलाल- RL,चन्दा- Ch, कंचन- KN
मनोहर-MN लिखा जाएगा
गतिशील सीन :
जैसे ही दूसरी दुनिया बादलों मे घिरे गोल साय मे दिखने लगी, पंडित और पांडे जिस घेरे मे बैठे थे वो घेर आग के घेरे मे बदल गया अब उसमे से कोई बाहर या अंदर नहीं जा सकता था। दूसरा घेरे के 10 फिट बाहर तक अजीब अविस्वसनीय घुप अंधेरे का काला बादल छा गया था। काला बादल बहुत घना था उसके अंदर बस ये पता लग रहा था की भयंकर आग जल रही है। मुखिया चिमनी मे छुपा हुआ कुछ देर पहले तक पांडे और पंडित को देख रहा था, पर अब वो कुछ भी नहीं देख पा रहा था, उसकी दिल की धड़कने तेज चल रही थी, उसका भरा बलवान शरीर होने के बाद भी उसको मौत का आभास हो रहा था, उसके अपने जीवन का अंत होने का आभास हो रहा था। ये सब शैतान की शक्ति की वजह से हुआ था, कोठी के बाहर सभी लोगों को मौत का आभास हो रहा था, ऐसा लग रहा की बड़ी अनहोनी होने वाली है।
मुखिया को भी अब डर लगने लगा था, उसको डर था की कही वो पंडित और पांडे को खो न दे, क्यू की वो तीनों एक परिवार की तरह थे, पर मुखिया को पता था की कुछ भी हो जाए जब तक हवन खतम नहीं होता वो अपनी जगह से नहीं हिलेगा, वो देखता है की पुलिस वालों से और गाँव वालों ने हलचल शुरू कर दी है। वो रेडियो पर बाहर अपने आदमिओ को संदेश पहुचाता है।
मुखिया- विशाल सुन मेरी बात गोलिया चलनी शुरू कर दे, कोठी के अंदर जो भी कुछ हो रहा है उसे होने दो, फिलहाल कोई भी कोठी के नजदीक तक नहीं आना चाहिए
विशाल- ठीक है मुखिया समझ गया
इन्स्पेक्टर ने 5-5 लोगों की 3 टीम बना दी थी, हर टीम मे 2 पुलिस वाले थे और वो खुद 2 गाँव के बड़े जमीदारों के साथ था। इन्स्पेक्टर के पास एक बड़ी स्नाइपर राइफल थी। और दोनों जमीदारों के पास बड़ी निशाने की बंदूक थी।
5 लोगों की टीम मे हर एक के पास कोई न कोई बंदूक या पिस्टल थी, और एक आदमी के पास मशाल थी। तूफान और बिजली मे मशाल की आग भुजने को हो रही थी, और सबके ऊपर डर हावी होता जा रहा था। मुखिया ने ये देख लिया था की वो लोग 3 टीम बनाकर आगे बढ़ रहे है। और मशाल की वजह से विशाल को भी ये दिख रहा था, समीर बाकी लोग को सावधान का रहा था।
3 टीम दूर दूर घेरा बनाकर, तीन तरफ से आग बढ़ रही थी, कोठी के पीछे घना जंगल था तो पीछे से जाने का कोई मतलब नहीं था, रात मे मांसाहारी जानवर घूमते थे।
विशाल और समीर ने भी अपने सभी आदमियों को आगाह कर दिया था, उन्होंने भी 4-4 लोगों की 3 टीम बना ली था, लगभग सभी को बंदूक चलाना आता था, सभी गुंडे लड़ने मे माहिर थे, कुछ कुछ पलड़ा विशाल की तरफ भारी था, वो बंदूक चलाने मे निपुण था, और उसने लड़ने के सभी दाव पेच सीख रखे थे। पर फिर भी वो पुलिस के सामने कमजोर ही थे, सभी पुलिस वाले बंदूक चलाने मे निपुण थे, और इन्स्पेक्टर एक बड़िया स्नाइपर था। कोठी के साथ लगे हुए पेड़ और झाड़ियों मे विशाल और उसके आदमी छुपे हुए थे, पर पुलिस और गाँव वाले खुले मे आगे बढ़ रहे थे। ऐसे मे विशाल और उसके आदमिओ के लिए बहुत अच्छा था। पीछे इन्स्पेक्टर और 2 गाँव वालों, देवसिंघ और फूलसिंघ। ने sniper की बंदूक ताने अपनी अपनी जगह बना ली थी। इन्स्पेक्टर का आदेश था, जहा भी गोली चले उधर निशाना लगाकर गुंडों को मार डालना।
विसशल के लोगों मे और पुलिस वालों मे 100 फिट की दूरी थी, जो धीरे धीरे कम होती जा रही थी।
मुखिया (रेडियो पे)- विशाल मुझे दिख रहा था, ये लोग आगे बढ़ और 3 लोग पीछे छुपकर गोली चालने की फिराक मे है। तुम लोग मेरे इशारे का इंतज़ार करना। तब तक छुपे रहकर अपनी जगह पर डटे रहो
विशाल- ठीक है सरदार
समीर विशाल के साथ था तो उसने ये बात सुन ली थी, धीमे धीमे से उसने बाकी साथियों को रेडियो पर आगाह कर दिया।
मुखिया के पास सबसे बड़िया किसम की स्नाइपर बंदूक थी जो की रात के अंधेरे मे छिपे हुए लोगों उनके शरीर के तापमान के जरिए ढूंढ सकती थी। और ऐसे ही बड़े बड़े हथियार विशाल और बाकी लोगों के पास थे, पंडित ने काले पैसे से बहुत बड़िया किसम के हथियार खास लोगों को दे रखे थे। और आज सभी खास गुंडों को अपनी सुरक्षा के इंतेजाम मे लगाया हुआ था।
पुलिस वाले आग की रोशनी मे आगे बढ़ रहे थे, चमकती बिजली के कारण उन्हे साफ दिख रहा था, और दूसरी दुनिया का दरवाजा खुलने से पूरे आकाश मे लाल प्रकाश फैल गया था, अभी उनके लिए मोका अच्छा था इसीलिए वो आगे बढ़ रहे थे। रात के 12 बज रहे थे, अमावस लाभग अपने चरम पर थी ।
इधर अंदर कोठी मे………..
पंडित और पांडे जिस घेरे मे बैठे थे, वो जगह और शैतान की दुनिया आपस मे जुड़ चुकी थी, जिसके अंदर समय दूसरी रफ्तार से चल रहा था। घेरे के बाहर बाहर समय दूसरे ढंग से चल रहा था।
दोनों को, पंडित को पांडे को पता था पूजा समाप्त तो हो गई है पर विधि अभी पूरी नहीं हुई। दोनों के शरीर मे उन्हे अपार गर्मी महसूस हो रही होती है, पंडित अभी तक गमछा और धोती पहने हुए था जो पसीने से गीली हो चुकी होती है, उसका पूरा शरीर ताप रहा था और पसीना चोद रहा था। उसकी साँसे अब उखड़ी हुई थी, उसे ऐसा लग रहा था की उसकी जान उसके शरीर से निकाल रही थी।
यही हाल पांडे का था, उसका शरीर मरने की हालत मे था, ऊपर से उसने अपनी बाह को काट कर बलि कर दिया था, उसका शरीर बहुत खून बहा चुका था।, वो बेहोश होने वाला था।
दूसरी दुनिया, शैतान की दुनिया का दरवाजा आकाश मे देखा जा सकता था, वहा से शैतान का महल और उसका राज्य दिख रहा था, पूरा दृश्य जैसे आग मे दाहक रहा हो, अचानक उस आकाश के घेरे मे लाल रोशनी बढ़ जाती है, और कुछ पल के लिए एक बाद भयंकर लाल दानव रूपी जीव दखाई देता है, उसका पूरा शरीर जैसे आग मे जल रहा था, उसके हाथ मे कोई छड़ जैसी चीज होती है, उसे वो घुमाता है।
जिससे पंडित और पांडे, दोनों का शरीर जल उठता है, दोनों दर्दनाक तरीके से चीखने चिल्लाने लगते है, पर ये कुछ ही क्षणों के लिए था, वो आग इतनी गरम थी की कुछ ही पलों मे ही दोनों के शरीर से प्राण निकाल गए, और 2 सफेद चमकती हुई रोशनी, कोठी से निकलती हुई आकाश मे दूसरी दुनिया के घेरे मे चली गई और वो दानव वह से गायब हो गया।
ये नजर देखकर मुखिया की दिल दहक उठा, उसे लगा की पंडित और पांडे इस धरती हो चोद चुके है, और उनकी मौत हो चुकी है, मुखिया ने उन दोनों की दर्द भरी आवाजें गूंज उठी थी, बाहर पुलिस वालों और विशाल के लोगों का भी दिल बैठ गया था, एक अजीब सा मौत का माहोल फैल गया था, कुछ देर पहले जो सन्नाटा था उसमए दर्द भरी चीखो ने दिल दहला देने वाला महोल बना दिया था, सबके मन मे ये था की आज यह से वो जिंदा बच पाएंगे या नहीं। क्या वो अपने घर जा पाएंगे या नहीं।
शैतान की दुनिया :
इधर, पांडे और पंडित दोनों की आतमा, आसमान मे गोल घेरे से होते हुए शैतान की दुनिया मे पहुच जाती है, दोनों की आत्मा हवा मे उड़ती हुई, लाल आसमान और बादलों के बीच तैर रही होती है, दोनों को होश आता है सबसे पहले देखते है की वो दोनों जिंदा है और दोनों के शरीर मे अब कोई दर्द नहीं है उनके हाथ पैर ठीक है, पर वो कुछ सफेद रोशनी मे चमक रहे है। फिर वो दोनों एक दूसरे की और देखते है, पंडित को पता चलता है की पांडे का हाथ वापस जुड़ चुका है, और वो उसके भी साथ साथ उड़ रहा है।
पांडे- उस्ताद ये हम कहा आ गए, हम उड़ कैसे रहे है, और कहा जा रहे है
पंडित- पांडे ये शैतान की दुनिया है, हवन पूरा हो चुका है और शैतान की ताकत से हम यह आ चुके है हमारी आत्माओ को उसके महल मे खिचा जा रहा है
पांडे- अब क्या होगा उस्ताद
पंडित- तू घबरा मत, जो करना था कर चुके है, अब सब अच्छा ह होगा, विधि पूरी हो चुकी है, बस हमे कुछ वक्त मे सब कुछ मिल जाएगा जिसको हमने चाहा।
पांडे- क्या सच मे उस्ताद
पंडित- हा पांडे
दोनों की आत्मा एक हल्की लाल रोशनी के रास्ते पर जा रही होती है। और वो एक महल की तरफ बढ़ रही होती है।
दोनों अब उस जगह का मुआयना कर रहे होते है, शैतान की दुनिया मे काले और लाल बादल थे। जिनमे से लगातार बिजली चमक रही थी, सूरज और चाँद का कोई निशान नहीं था, आसमान मे बस एक काला अंधेरा था जो हर जगह फैला हुआ था।
जमीन पर देखते हुए ऊँह नजर आता है की लगभग हर जगह आग लगी हुई है, और किसी तर के अजीब प्राणी आपस मे लड़ रहे है। कुछ कुछ देखने मे मानव जैसे लगते थे पर सबमे कुछ न कुछ अजीब अलग तरीके के शरीर के अंग थे।
ऐसे अजीबो गरीब प्राणियों को देखकर पंडित औ पांडे दोंनो सन्न रह गए।
बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
Bahut bahut dhanaywaad aapkaBohot hi badhiya update diya bhai..... welcome back
Romanchak and umda upDate.Awesome
Dhanyawaad aapka, aage kuch fantasy level aur badhega, aur sath me action bhi aayega. aap padhte rahiyeFebulous update Dungeon Master bhai.Ab ye kahani alag hi fatancy level par pahunch gayi hai.
Mindblowing....update....