अपडेट- 38………
सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥
सीन भाग- मनोहर पंडित और शैतान की पूजा
रात गुलाबी…….
पिछले भाग मे।।
दोनों अब उस जगह का मुआयना कर रहे होते है, शैतान की दुनिया मे काले और लाल बादल थे। जिनमे से लगातार बिजली चमक रही थी, सूरज और चाँद का कोई निशान नहीं था, आसमान मे बस एक काला अंधेरा था जो हर जगह फैला हुआ था।
जमीन पर देखते हुए उन्हे नजर आता है की लगभग हर जगह आग लगी हुई है, और किसी तर के अजीब प्राणी आपस मे लड़ रहे है। कुछ कुछ देखने मे मानव जैसे लगते थे पर सबमे कुछ न कुछ अजीब अलग तरीके के शरीर के अंग थे।
ऐसे अजीबो गरीब प्राणियों को देखकर पंडित औ पांडे दोंनो सन्न रह गए।
अब आगे।।
आगे कहानी मे भीमसिंघ- BS, रामलाल- RL,चन्दा- Ch, कंचन- KN
मनोहर-MN लिखा जाएगा
गतिशील सीन
पंडित और पांडे दोनों महल की और चलना शुरू करते है, महल की और सीढ़ियों पर चलते हुए, दोनों आजू बाजू दोनों तरफ जलती हुई उची उची आग की लपटों को देख रहे थे, आग की लपटों की गहराई का अनुमान नहीं लग रहा था, वो अनंत तक गहरी थी, पांडे और पंडित दोनों आत्मा के रूप मे थे, एक आम इंसान अगर ऐसी जगह होता तो उसका शरीर अब तक राख बन चुका होता, पर पंडित और पांडे आत्मा होने की वजह से उन्हे आग की गर्मी महसूस नहीं हो रही थी। बशर्ते दोनों आत्मा के रूप मे थे, पर उनका दिल इस जगह को देख कर दाहाल गया था। दोनों बस उम्मीद कर रहे थे की जल्दी जल्दी ये सब खतम हो।
महल की इमारत अजीबो ओ गरीब तरह से काली और लाल रंग की थी, शायद वो खून का रंग था या किसी तरह की जादुई आग, ये बताना मुस्किल था। पंडित और पांडे दोनों महल की और सीढ़ियों मे बढ़ रहे थे, सीढ़िया जगह जगह से टूटी हुई थी, और उन टूटी सीढ़ियों मे से आग निकाल रही थी।
थोड़ा चलने पर पंडित और पांडे दोनों देखते है की, महल बहुत बड़ा था और महल के चारों और 60-70 फुट उची दीवार थी, और दीवार के चारों और गहरी लाल रंग की आग निकल रही थी, जो की जाहीर था की महल की सुरक्षा के लिए थी। दोनों बहुत चकित थे ये सब देखकर, थोड़ा आगे चलने पर दोनों को महल और साफ दिखने लगता है।
15-20 मीटर चलने के बाद दोनों को महल का दरवाजा दिखता है। दोनों, पंडित और पांडे, महल की दवाजे की तरह देखते है तो उन्हे 2 20 फुट उचे cyclops दिखाई देते है, उनके सिर पर लाल रंग का छोटा सा मुकुट था और और काले रंग का अजीब सी धातु का कवच पहने हुए थे, उनकी एक आँख ही थी आग की जल रही थी और एक हाथ मे बड़ा मोटा लठ लिए हुए थे जो की लग भग 6-7 फुट का था, और 2 फुट मोटा था , जो आगे की तरफ से बहुत मोटा था और उस पर किले लगी हुई थी, जाहीर था की उस लठ का एक वार किसी को भी मौत के घाट उतार सकता था और दूसरा हाथ उनके कमर पर बंधी हुई तलवार पर था, तलवार किसी अलग तरह के धातु से बनी हुई थी, जो की हल्की लाल और काली थी। और लोहे का गमछा या लंगोट jaisa दोनों ने अपने यौन अंग छिपाने के लिए पहन हुआ था, पर उनके 20 फुट ऊंचे कद से साफ था की दोनों के यौन अंग बहुत बड़े थे और अजीब तरह के थे, ये सब पांडे और पंडित को दिख रहा था। ये दोनों cyclops बाकी cyclops जो पंडित और पांडे ने आने से पहले देखे थे उनसे अलग थे, दोनों काफी शक्तिशाली लग रहे थे। और शायद शाही पहरेदार थे।
वह के माहोल मे लोगों की चीखे और चिल्लाने की आवजे गूंज रही थी जाहीर था की उस जगह पर लोगों को मारा पीटा और हर दर्द का दर्द दिया जाता था
पांडे ये सब देख कर चौक गया था, और घबराकर पंडित से पूछता है, पंडित को भी इन सब हथियारों का अता पता नहीं था
पांडे- उस्ताद ये कैसे हथियार है ये इनके पास, ऐसे हथियार तो मैंने कभी ना सोचे और सुने
पंडित- पांडे मुझे भी इन हथियारों का नहीं पता, पर जाहीर सी बात है ये इस दुनिया के हथियार है तो धरती के हथियारों जैसे नहीं होंगे
पांडे- हा उस्ताद आप ठीक कह रहे है, इनके कद और शरीर के हिसाब से सही लग रहे है
पंडित- पांडे ऐसी बाते शैतान के सामने मत करना, हमे बस उनसे काम की बात करनी है
पंडित उन सब प्राणियों और हथियारों को देख अपने मन मे जाल बन रहा था, अब देखना ये था की वो शैतान से क्या बात करता है और क्या शैतान उसकी बात माँ लेगा।
उन दोनों की बाते चालू ही थी की, दोनों cyclops मे से एक ने बोला, और दूसरे cyclops ने उनकी और अपनी डरावनी एक आँख से मुंह खोलकर देखा, cyclops के सामने के ऊपर और नीचे के दो दांत बड़े बड़े नुकीले थे, जो की उनके बंद मुंह के बाहर दिखाई देते थे।
cyclops- एे छुटकू मानव अपनी पटर पटर बंद करो, राजा तेरी राह देख रहा है (उसकी आवाज इतनी उची और गहरी थी की आवाज गूंज उठी और पंडित और पांडे दोनों डर गए,)
पंडित और पांडे मे से पांडे चुप हो जाता है और पंडित बोलता है- जी ध्यानवाद आपका बताने के लिए (ऐसा बोलकर पंडित थोड़ा झुक गया और पांडे को भी झुकने का इशारा किया)
cyclops- रोग जमते हुए हा हा ठीक है छुटकू मानव अब जल्दी कर, राजा को और भी काम है
पंडित- जी बिल्कुल अभी जाते है।
दूसरा cyclops- चूजा मानव
और दोनों cyclops घुर्राते हुए अजीब हसी हसने लगते है
पंडित अपने मन मे (समय आने पर तू मेरा चौकीदार बनेगा मादरचोद)
ऐसा बोलकर पांडे और पंडित ने थोड़ा स्पीड पकड़कर चलना शुरू कर दिया, और जैसे ही वो महल मे घुसे, पहला कदम रखा, बाहर की आवजे आनी बंद हो गई और, cyclops ने महल के बाहर से दरवाजा बंद कर दिया।
अंदर जाते ही पांडे और पंडित दोनों की आंखे चका चौनद हो गई, महल पूरा हीरे और सोने से सजा हुआ था, बहुत ही अच्छी बनावट करी हुई थी, तरह तरह की सोने की डरावनी मूर्तिया बनी हुई थी। पूरा महल सोने और हीरे की वजह से चमक रहा था, अंदर जाते ही दोनों को तरह तरह के प्राणी दिखने शुरू हो गए, उनका रूप दानवी था, बहुत ही ड्रानवाने तरह के दानव थे, उनकी शक्ल और मुंह बहुत गंदे थे जिनमे से लगातार खून बह रहा था, और की दानव हवा मे पंछी जैसे पंखों के साथ उड़ रहे थे, पर कुछ दानव शाही लग रहे थे वो इधर उधर घूम रहे थे और शालीनता से बात कर रहे थे, पर जैसे ही उन सब की नजर पंडित और पांडे की आत्माओ पर पड़ती है वो सब एक दम से रुक जाते है, और बुत बनकर दोनों को देखने लगते है, और कुछ भूखी और खूंखार अंदाज से उनकी और देखने लगते है, ऐसा कुछ ही पल हुआ था की शाही दरबार से शैतान की आवाज आती है। सबसे बड़ी बात ये थी वह किसी से कपड़े नहीं पहने हुए थे, सभी नंगे या अधनंगे थे, सबके यौन अंग साफ दिख रहे थे। सिर्फ शाही दानवों और पिशाचों ने कुछ आभूषण और सुनहरे वस्त्र अपने तन पर डाले हुए थे, वो भी उनके नंगे शरीर को छिपाने मे असमर्थ थे। पांडे और पंडित ने भी ज्यादा वस्त्र नहीं डाले हुए थे, एक लंगोट ही था उनके शरीर पर, जिसका कपड़ा बहुत झीना था, और उनके यौन अंग सब दानव और पिशाच देख पा रहे थे।
शैतान- कोई भी इन दोनों को कुछ नहीं करेगा ये हमारे मेहमान है, इन्हे शराफत से अंदर आने दो
(शैतान की आवाज बड़ी उची थी, पूरी महल जैसे कांप गया था, और सब दानव और पिशाच एक दम से जैसे अपने अपने किसी कोने मे जाकर छुप गए)
सब दानव और पिशाच शैतान की आवाज से डर गए और अपने अपने कोने मे चले गए, बस जो शाही पिशाच और दानव सिपाही थे, जो शाही कवच और सोने से सजे हुए थे, वो वैसे के वैसे तैनात रहे, और इशारे से पंडित और पांडे को शैतान की शाही बैठक का रास्ता दिखाया। बैठक की और जाते हुए दोनों पंडित और पांडे चुप थे दोनों कुछ भी बोलने से डर रहे थे, और बस महल की चका चौनद देख रहे थे, और कुछ महल के शाही कमरों का भी मुआयना कर रहे थे, जाते जाते दोनों की नजर कुछ औरत जैसी दिखने वाली दानवों और प्राणियों पर पड़ती है, पांडे उन दानवी औरतों को देखकर हवस मे बह जाता है। दोनों ने इतने खूंखार और दानवी प्राणियों के बीच पहली बार कोई औरत जैसी दानवी देखि थी, जो खूंखार के साथ बहुत कामुक और सुंदर लग रही थी।
दानवी औरतों के नयन नक्श की बात करे तो, वो बहुत सुंदर थे, उनकी लाल आंखे थी, काले सुनहरे बाल थे, जो की कमर से नीचे उनके लंबी गार्डन थी, बस उनके दांत किसी जानवर की नुकीले और बाहर की तरफ निकले हुए थे, पर होंठ दिखने मे बहुत लाल थे, जैसे उन पर खून लगा हो। उनका कद सामान्य लड़कियों के मुकाबले बड़ा था, वो 7 फुट ऊंची थी, उन सबकी त्वचा का रंग अलग अलग था कुछ का गहरी नीली, गहरा लाल और कुछ काला, बहुत कम औरतों का रंग वह हल्का भूरा या सफेद था। उन सब की आंखे और शरीर के अंग बहुत ही मादक और सुंदर थे, सब अधनंगी या पूरी नंगी थी, उन सबके स्तन और चूतड़ बहुत भरे हुए थे। और सबसे अलग बात ये थी उन सब की एक पूछ थी, जो की निचली कमर बिल्कुल चूतड़ों के ऊपर से जुड़ी हुई थी, लगभग उनके हाथ जितनी लंबी , उनकी पूछ का चोर तिकोने आकार का था, और उनकी पूछ हर एक हरकत के साथ हिल रही थी। ऐसी मादक महिलाय पंडित और पांडे ने पूरी ज़िंदगी मे नहीं देखि थी, सब दानवी महिलाये आपस मे हास खेल रही थी, उन्हे कोई खबर नहीं थी की कोई उनहे देख रहा है, उनके लिए वो रोजमर्रा का एक दिन था।
पर पांडे और पंडित, दोनों के आगे अलग ही हसीन नजारा चल रहा था, इतनी मार काट के बीच ऐसी सुंदरता ने उनका मन मौह लिया था, उन सब के बड़े बड़े स्तन और चूतड़ पंडित को और पांडे दोनों के अंदर हवस की आग को भड़का रहे थे, पर जो की वो एक आत्मी रूप मे थे, उनके यौन अंग ऐसी कामुक सुंदरियों को देखने के बाद भी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं कर रहे थे।
इधर दानवी सुन्दरिया अपने खेल मे मस्त थी, पर एक दम से उन्मे से एक दानवी सुंदरी की नजर पंडित और पांडे की और पड़ती है, जो उन सबको हवस की नजरों से देख रहे थे, वो दानवी उनकी नजरों को पहचान जाती है, और अपने एक हाथ से दरवाजे की और इशारा करते हुए चिल्ला उठती है, उनके हाथों के बड़े बड़े नाखून थे, जो की काफी नुकीले थे, पर फिर भी ना जाने वो उनकी सुंदरता को बढ़ा रहे थे, जैसे ही उस दानवी की चिल्लाने की आवाज आई सभी दूसरी दानवी भी उनकी और एक तक देखने लगी, उन सब ने मानवों को पहले बार देखा था, ऐसा कुछ 2-3 पलों के लिए ही हुआ था सभी दानवी रुक कर उनको देख रही थी, फिर एक दानवी बड़े ही कातिल मुस्कान से दरवाज की और पंडित और पांडे की और आने लगती है और अपने दाय हाथ की पहली उंगली से उनको कमरे के अंदर आने को कहती है, पांडे पूरी तरह बहक चुका होता है, वो किसी सम्मोहित व्यक्ति की तरह अंदर जाने लगता है और अपने कदम भड़ने लगता है, इधर उस दानवी के भारी स्तन उसके हर एक कदम के साथ बड़ी मादकता से हिल रहे थे, और दानवी अपने लाल सुंदर होंठों पर जीब फेरते हुए, पंडित और पांडे को रिझाने की कोशिश कर रही थी, और इसी बीच अंदर सभी दानवी हसकर उनकी और देख रही थी, कुछ बिस्तर पर नंगी लेट कर उन्हे अपनी योनि दिखा रही थी।
पांडे के कदम उस कमरे की और बढ़ रहे थे और वो बस पहुचने ही वाला था की, पंडित ने पांडे का हाथ पकड़ लिया।
पंडित- पांडे क्या कर रहा है, होश मे आ
पांडे- मैं मैं उस्ताद वो,
पंडित- होश मे आ पांडे।
पांडे- इसी के साथ पांडे जैसे एक नींद से जागता है, हा उस्ताद हम कहा है
पंडित- पंडित पांडे के दोनों कंधे पकड़कर उसे हिलाता है, पांडे हम शैतान की दुनिया मे है, होश मे अआ
इसके साथ पांडे होश मे अअ जाता है
पांडे- क्या हुआ था उस्ताद हम तो शाही बैठक की और जा रह थे यहा क्यू रुक गए
ये सुनकर पंडित भी हल्का मुस्कुरा उठता है और कहता है हा आज जल्दी आज
सभी दानवी ये सब देखकर बड़ी जोर से खिल खिला के हास पड़ती है, और जो दानवी दरवाजे के पास थी, वो बाकी कामुक कातिल मुस्कान देते हुए हल्के से एक आपण एक हाथ से एक चुंबन हवा मे उनकी और फेक देती है और इसके साथ दरवाजे को बंद कर देती है।
कुछ ही पलों मे पंडित और पांडे शाही बैठक मे पहुच जाते है। वो ध्यान देते है बैठक मे से कुछ औरतों की मादक आवजे अअ रही है, वो साफ था की वो संभोग के दौरान जो आवएजे आती है वैसी ही थी, पर जब वो बैठक मे घुस है तो उन दोनों की आंखे चक चौनद हो जाती है, शाही बैठक पूरी जादुई थी, छत पर जगह जगह किसी और दुनियाओ के घेरे थे जिनमे से दस दुनिया के लोगों को देखा जा सकता था, जिनमे से एक दुनिया मानव की थी और और उस दुनिया मे पंडित देखता है की कंचन उसमे अपने कमरे मे सजी बैठी है, और अपने आप को सज सवार रही है, पंडित और पांडे दोनों का सिर चक्करा जाता है ये सब देख कर।
शैतान अपनी शैतानी मुस्कान के साथ दोनों को एक टक देख रहा था, पंडित और पांडे जब दोनों की नजर शैतान पर पड़ती है तो उनके होश उड़ जाते है, शैतान की शक्ल और शरीर पूरा दिल दहला देने वाला था। वो एक 15 फुट लंबा कद वाला, गहरे लाल रंग की चमड़ी थी, और चेहरे पर जैसे कोई तवचा ना हो बस एक खोपड़ी की हड्डी हो।
उसकी आंखे गहरी काली थी, जिनमे से रह रहकर आग निकाल रही थी, और सिर पर दो बड़े सिंह लगे हुए थे, और उसके साथ अजीब सा ताज लगा हुआ था, और शैतान का पूरा शरीर लाल रंग का था और अजीब तरीके से चमक रहा था, उसके मुंह के चार दांत बाहर से दिख रहे थे और एक शेर जैसे जानवर की तरह बड़े और नुकीले थे, और जैसे हल्का हल्का खून उसके मुंह से बह रहा था, वो अपने सिहासन पर बैठा था, जिसके बीचों बीच से एक लाल रंग की रोशनी बैठक की छत को चीरती हुई महल के बाहर सीधा आसमान मे जा रही थी। बड़ा ही जादुई और दिल दहला देने वाला नजर था, शैतान अपने सिहासन पर बैठ था उसके डाए हाथ मे एक बड़ी काले रंग की छड़ी थी जिसके ऊपरी चोर पर कल सफेद रंग का गोल कांच की गेंद थी, जो हड्डियों से बंधी हुई थी। और शैतान का दूसरा हाथ आराम से उसके पैर पर रखा था, जो की एक दानवी किसम का था, उसके बड़े काले नुकीले नाखून थे। और उसने भी बाकियों की तरह अपने शरीर को ढंकने के नाम पर हीरे और सोने के आभूषणों को पहना हुआ था, उसके गले मे काले और लाल रंग के बड़े हीरे की माला थी, जिसपर सोने की तराशी करी हुई थी, और हाथों की उँगलिओ मे हीरो और सोने की अंगूठिया थी। और दोनों हाथों और पैरों मे बड़े भारी सोने के कड़े थे, और कमर पर अपने यौन अंग को छुपाने के लिए एक रेशम लाल रंग का कपड़ा बांदा हुआ था।
इसके बाद बैठक मे बहुत सारे शाही सैनिक एक एक कोने मे तलवारों भालो और हथियारों के साथ खड़े हुए थे, कोई दानव था कोई पिशाच था, कोई भेड़ियादमी था और सबने शाही आभूसहन और पहनावा करा हुआ था, पर साथ मे वही पर एक मादक क्रिया हो रही थी।
शैतान के सामने ही बहुत सारी सुंदर दानवी औरते नजन अवस्था मे थी और सबसे बड़ी बात बहुत सारी दानवी औरते वही आपस मे काम क्रिया कर रही थी, आपस मे वो एक दूसरे को चूम और चाट रही थी, पूरे महोल मे सेक्स की आवाजे और सुगंध थी, सभी औरतों एक दूसरे के शरीर के यौन अंगों से छेड़ छाड़ कर रही थी, उन्हे चाट रही थी और सहला रही थी, बैठक की जमीन पर ही वो सब लेट कर एक दूसरे के ऊपर अपने शरीर को रगड़ रही थी, उनके भारी मोटे स्तन और चूतड़ और दूसरे पर रगड़ कहा रहे थे जिन्हे देखकर फिर से पंडित और पांडे हवस की आग मे अपना आपा खो रहे थे। शैतान पंडित और पांडे दोनों को देख रहा था, और वो समझ गया की दोनों दानवी औरतों से आकर्षित हो गए है, जो की उसको पता था ऐसा होना ये सब उसकी एक चाल थी।
दोनों का ध्यान सुंदरियों पर था इसी बीच, शैतान अपनी छड़ी को धरती पर जोर से मारता है, और जोर की आवाज महल मे गूंज जाती है, और शैतान बीच मे बोलता है- सुंदरियों हमे अकेला छोड़ दो हमे कुछ अकेले मे बात कर है (आवाज इतनी ऊंची और गहरी थी की पूरे महल मे गूंज उठी)
सभी दानवी सुन्दरिया हस्ती हुई वह से उठी और दाई और बने दरवाजे से बाहर की और निकाल गई, पंडित और पांडे भूखी आँखों से उनके मटकते और बलखाते बदन को देख रहे थे, वो सुन्दरिया सच मे इतनी कामुक और मादक थी, की पंडित और पांडे चाह कर भी अपनी नजर नहीं हट पा रहे थे।
पर पंडित ने अपने आपको संभाला और बोला- महाराज की जय हो
शैतान- आओ पंडित, इस पल हमे बहुत व्यक्त से इंतज़ार था और आज वो घड़ी आ गई है (शैतान की आवाज इतनी ऊंची और गहरी थी की उसका एक एक शब्द बैठक मे गूंज रहा था)
पंडित- हम समझते है इस घड़ी की अहमियत और इस घड़ी को बिल्कुल व्यर्थ नहीं अकरण चाहिए और आपको तो पता है की हमे क्या चाहिए
शैतान- पंडित इतनी भी क्या जल्दी है थोड़ा बातचीत कर लो ये तुम्हारा दोस्त कौन है इनसे नहीं मिलाओगे हमे (ये बोलकर शैतान थोड़ा मुस्कुरा पडा, इसके पीछे शैतान की एक चाल थी)
शैतान अपने शैतानी दिमाग मे ये सब सोच रहा था
शैतान अपने दिमाग मे सालों से प्लान बना रहा है, उसको अब इंसानों के साथ खेलना अअ चुका था, उसने सदियाँ ऐसा करते हुए बिता दी थी, और वो योनिदे और लिंगदेव के सभी तरह की साजिशों से वाकई था।
शैतान को मालूम था की कंचन योनिदेवी का अवतार है और योनिदेवी और लिंगदेव दोनों की देख रेख मे और सुरक्षा मे धरती चल रही है, वो धरती पर अपनी दुनिया बसाना चाहता था, और धरती पर राज करना चाहता था, और उसकी योजना के अनुसार वो तभी हो सकता था जब वो लिंगदेव और योनिदेवी की शक्तियों को पा ले, जो सिर्फ तभी हो सकता था जब कंचन से पंडित संभोग करले और कंचन की कोख मे शैतान का बीज पनप कर कंचन एक बच्चे को जनम दे जो खुद शैतान का रूप हो। पिछले जनम मे शैतान ने ऐसा करने की कोशिश करी पर वो नाकाम हो गया था (ऐसा कैसे हुआ था वो आगे पता लगेगा)
कंचन के साथ मनोहर ने पिछले जनम से सेक्स कर लिया था, और वो पेट से भी हो गई थी, पर कंचन को अपनी पूरी शक्तियां नहीं मिली थी क्यू की उसे पूरी शक्तियां मिलने के लिए अपने पति यानि की बलदेव के साथ संभोग करना था परंतु ये बात शैतान को पता नहीं थी, मनोहर ने पहले ही बलदेव का रूप धारण कर कंचन के साथ संभोग करके उसको पेट से कर दिया था, इसीलिए उसका बच्चा जो था उसको शैतान की पूरी शक्तियां नहीं मिल पाई और वो अपनी दुनिया मे फसा रह गया था। पर उसके बच्चे और उसके आगे के वंशजों ने शैतान का साम्राज्य फैला दिया और उसके वंशजों मे जानवरों की बुद्धि और शक्ति थी, क्यू की वो पाप से जन्मे थे और शैतान की वजह से उन्मे मानव के अंश के साथ साथ शैतान का अंश भी था, पर इस बार शैतान को अपनी गलती सुधारने का मोका मिल था, उसे सब पता था की क्या करना है वो हर हाल मे धरती पर राज करना चाहता था, और मनोहर बस उसके लिए एक मोहरा था वो सब हासिल करने का।
इस तरफ मनोहर के दिमाग मे उसके पिछले जनम की बाते तो उसे याद आ गई थी की उसने कंचन के साथ संभोग किया था और उसका एक बच्चा भी हुआ था, पर वो कंचन को हासिल नहीं कर पाया था, क्यू की बच्चा शैतान का था और वो कंचन के शरीर से शक्ति खीच रहा था और पूरी शक्ति ना होने की वजह से कंचन की मौत हो गई थी, और मनोहर का प्लान था की पूरी ज़िंदगी बलदेव के रूप मे बिताए। इस तरह मनोहर का सपना बस अधूरा बन कर रह गया और उसने अपनी पिछले जनम की ज़िंदगी कांचन की याद मे बिताई, क्यू की वो शैतान को अपनी मानवता और ज़िंदगी दे चुका था, उसकी आत्मा भी उसी दर्द मे घूमती रही थी। और 50 की उम्र मे ही उसकी मौत हो गई थी। मनोहर को आज भी शैतान का प्लान नहीं पता था, उसको लगा था की वो बच्चा उसका और कंचन का है, पर सच्चाई ये थी वो बच्चा शैतान का था।
बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।