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एक भाई की वासना
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Nice...Update- 37
आपने अभी तक पढ़ा..
सूरज ने अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा और अपने लंड को बाहर निकालते हुए बोला- देख.. तेरी जवानी को देख कर क्या हालत हो गई है इसकी!
रश्मि एक अदा के साथ बोली- तो मैं क्या करूँ भाई.. जाओ भाभी के पास और उन्हें इसकी यह हालत दिखाओ।
सूरज ने रश्मि का हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रखने की कोशिश करने लगा। सूरज की कोशिशों के वजह से रश्मि का हाथ अपने भाई की अकड़े हुए लंड से छुआ भी.. और एक लम्हे के लिए उसकी मुठ्ठी में उसका लंड आ भी गया।
रश्मि- भाई यह तो बहुत गरम हो रहा है और सख़्त भी..
सूरज उसका हाथ अपनी लंड पर रगड़ते हुए बोला- हाँ.. तो थोड़ा ठंडा कर दे ना इसे..
अब आगे..
रश्मि इठलाते हुए बोली- जाओ भाभी से कहो ना.. इसे ठंडा कर दें.. मैं क्यों करूँ..
सूरज- इसमें आग तूने लगाई है.. तो ठंडा भी तो तुझे ही करना होगा ना मेरी जान.. आज तू मेरे साथ कॉलेज चल, फिर रास्ते मैं तुझे बताऊँगा.. देखना तू..
रश्मि जोर-जोर से हँसने लगी, रश्मि की एक चूची अभी तक नंगी थी और अब वो उसे छुपाने की कोशिश भी नहीं कर रही थी। सूरज अब भी बार-बार अपनी बहन को अपने जिस्म के साथ चिपका कर चूम रहा था
और ऐसे चूमते चूमते उसके चूतड को भी दबाने लगा।
मैंने अब दोनों को ब्रेक देने का फ़ैसला किया और अन्दर से ही आवाज़ लगाई- अरे रश्मि.. यार कहाँ चली गई हो.. अभी तक चाय ही नहीं बनाई यार तुमने?
रश्मि और सूरज जल्दी से एक-दूसरे से अलग हुए और रश्मि अपने टॉप को ठीक करते हुए बोली- भाभी बस चाय लेकर आ रही हूँ.. आप जल्दी से भाई को उठा दें।
उसके इस झूठ पर मैं हैरान भी हुई और मुस्करा भी दी कि उसका भाई उसके पास खड़ा उसके साथ छेड़छाड़ कर रहा है और वो मुझसे छुपाते हुए शो कर रही है कि उसे पता ही नहीं कि उसका भाई कहाँ है।
यही सोचती हुई मैं बिस्तर पर आ गई और थोड़ी देर में बाथरूम का दरवाज़ा खुला और सूरज अन्दर आ गया।
थोड़ी देर में ही रश्मि भी चाय लेकर आ गई, उसके चेहरे पर एक शरारती और सेक्स से भरी हुई मुस्कान थी।
मैंने देखा कि वो मेरी नज़र बचा कर बड़ी अदा के साथ अपने भाई की तरफ देख रही थी।
जब वो बिस्तर पर चाय रखने लगी.. तो काफ़ी ज्यादा ही झुक गई.. जिससे उसकी दोनों चूचियों बिल्कुल जैसे बाहर को निकलते हुए उसके भाई को नज़र आने लगीं।
रश्मि ने एक नज़र उठा कर उसी हालत में ही अपने भाई को देखा और कटीली अदा से मुस्करा कर सीधी होकर बैठ गई।
मैं उन दोनों की हरकतों को नजरंदाज कर रही थी.. जैसे कि मुझे कुछ पता ही ना हो।
चाय पीने के बाद सूरज उठा और बोला- चलो रश्मि.. जल्दी कर लो.. कॉलेज को देर हो जाएगी.. तैयार हो जाओ..
रश्मि ने एक शरारती मुस्कराहट से अपने भाई की तरफ देखा और बोली- नहीं भाई.. आज मैं कॉलेज नहीं जा रही हूँ।
सूरज जो कपबोर्ड के पास खड़ा था.. चौंकते हुए मुड़ कर अपनी बहन की तरफ देखने लगा और बोला- क्यों.. आज क्यों नहीं जाना तूने?
रश्मि मुस्करा कर बोली- बस भाई आज घर पर ही कुछ काम कंप्लीट करना है.. इसलिए..
सूरज ने एक मायूस सी नज़र अपनी बहन पर डाली और अपनी तैयारी करने लगा।
मैं धीरे से मुस्कराई और उठ कर बाथरूम में जाते हुई बोली- चल ठीक है रश्मि.. आज अपने भाई को नाश्ता भी तू ही करवा दे।
रश्मि मुस्करा कर अपने भाई की तरफ देखते हुई बोली- जी भाभी.. वो तो करवा भी दिया।
मैं- क्या कहा.. करवा भी दिया.. कब??
रश्मि घबरा कर बोली- नहीं.. मैंने कहा है कि वो भी करवा देती हूँ।
मैं उसकी बात को अनसुनी करते हुए वॉशरूम में दाखिल हो गई। लेकिन दरवाज़ा लॉक करके भी मैं एक झिरी से बाहर का नजारा देखने लगी।
मेरे अन्दर जाते ही सूरज बिस्तर की तरफ बढ़ा और अपनी बहन पर झपटा और उसे बिस्तर पर गिराते हुए.. उस पर झुक गया और उसके होंठ को चूमते हुए बोला- क्यों नहीं जा रही तू आज.. डर गई है क्या?
रश्मि हँसते हुए बोली- जी भाई.. अपने भाई की बुरी नज़र से डर गई हूँ.. मेरी इज़्ज़त को आप से ख़तरा पैदा हो गया है।
सूरज अपना हाथ रश्मि के शॉर्ट्स में डाल कर उसकी चूत को अपनी मुठ्ठी में लेकर दबाते हुए
बोला- घर में रह कर तेरी इस चूत को ख़तरा कम नहीं होगा.. अब तू देखना.. तेरी इस कुँवारी चूत को मैं ही अपने लंड से फाड़ूँगा।
रश्मि ‘खीखी.. खीखी..’ करते हुए हँसने लगी और अपना हाथ सूरज के हाथ के ऊपर रख तो दिया.. लेकिन उसका हाथ चूत के ऊपर से बाहर नहीं खींचा।
सूरज ने अपने होंठ अपनी बहन के होंठों पर रख दिए और उसके होंठों को चूमने लगा।
उसने रश्मि का हाथ पकड़ा और अपने शॉर्ट के अन्दर घुसा दिया और अपना लंड पकड़ा दिया।
रश्मि ने भी अपना हाथ अपने भाई के शॉर्ट्स में से बाहर खींचने की कोशिश नहीं की।
अब सूरज अपनी बहन की चूत को सहला रहा था और रश्मि अपने भाई के शॉर्ट्स में हाथ डाले हुए उसके लण्ड से खेल रही थी।
रश्मि बोली- भाई अब छोड़िए.. भाभी आ जाएंगी।
सूरज ने एक नज़र बाथरूम के दरवाजे पर डाली और फिर एक बार किस करके उठ गया। फिर वहीं उसके पास खड़े होकर अपना शॉर्ट भी उतार दिया।
रश्मि बोली- भाई कुछ तो शरम करो अपनी बहन की सामने ही नंगे हो गए हो.. अगर भाभी ने देख लिया तो क्या सोचेंगी।
सूरज ने अपना अकड़ा हुआ लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसे रश्मि के चेहरे के पास लाते हुए बोला- अपने इन प्यारे प्यारे होंठों से.. एक किस तो कर दो प्लीज़..
रश्मि सिर हिलाते हुए बोली- नहीं भाई.. मैं नहीं करूँगी।
सूरज बोला- मैं भी फिर तुम्हारे सामने ऐसे ही खड़ा रहूँगा..
रश्मि हँसी और फिर सूरज का लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसकी नोक पर अपने होंठ रख कर उसने एक चुम्मी कर दी।
सूरज- थोड़ा सा मुँह के अन्दर लेकर चूस तो सही यार..
रश्मि ने अपने भाई का लंड झट से थोड़ा सा चूसा और फिर छोड़ दिया और उठते हुए बोली- नहीं.. बस अब और कुछ नहीं होगा भाई..
और फिर वो अपने भाई को मुस्करा कर अंगूठा दिखाते हुई कमरे से बाहर निकल गई।
सूरज अपने कपड़े पहनने लगा और मैं भी वॉशरूम से बाहर आ गई।
अब मैं दोबारा बिस्तर पर लेट गई ताकि रश्मि ‘अच्छी’ तरह से सूरज को नाश्ता करवा सके।
सूरज ने तैयार होकर मेरे पास आकर मेरे होंठों पर एक किस किया और फिर कमरे से बाहर निकला.. तो मैं भी फ़ौरन ही बाहर को देखने लगी।
रश्मि पहले ही सूरज के लिए नाश्ता टेबल पर लगा चुकी थी। सूरज वहीं बैठ गया और फिर रसोई से रश्मि उसकी लिए चाय लेकर आ गई और उसके पास ही बैठ गई।
अब टेबल पर बैठ हुए वो दोनों मेरे सामने दिख रहे थे।
सूरज- आओ तुम भी नाश्ता कर लो..
रश्मि- नहीं.. आप कर लो.. मैं भाभी के साथ कर लूँगी..
सूरज- अपना यह टॉप तो नीचे करो थोड़ा..
रश्मि- शरम करो भाई.. भाई तो अपनी बहनों के जिस्म ढकने के लिए कहते हैं.. और आप हो कि मुझे अपना जिस्म एक्सपोज़ करने के लिए कह रहे हो?
सूरज मुस्कराया और खुद ही हाथ आगे बढ़ा कर उसके कन्धों से उसके टॉप की डोरी को नीचे खींचते हुए उसकी चूची को नंगा करते हुए बोला- तेरे जैसी गर्म बहन हो.. तो भाई खुद ही बहनचोद बन जाता है डार्लिंग..
रश्मि हँसने लगी और बोली- भाई जल्दी से नाश्ता करो और चाय पी कर निकलो.. आपको बहुत देर हो गई है!
सूरज- लेकिन आज तो मैं चाय नहीं दूध पीऊँगा..
रश्मि- तो जाओ अन्दर जाकर पी आओ.. भाभी अन्दर ही हैं..
सूरज- लेकिन मैं तो आज तेरी इन चूचियों का दूध पीऊँगा..
सूरज ने रश्मि की चूची से खेलते हुए कहा और फिर झुक कर अपनी बहन की चूची के निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
रश्मि ने उसके बालों में हाथ फेरा और फिर बोली- आह्ह.. बस करो.. भाई क्या आपने एक ही दिन में सारे के सारे मजे लूट लेना हैं..
Superb updateUpdate- 35
आपने अभी तक पढ़ा..
थोड़ा सा आगे को झुक कर सूरज ने अपने होंठ रश्मि के गाल पर रखे और उसे आहिस्ता-आहिस्ता चूमने लगा। रश्मि के चेहरे की हालत भी मेरी आँखों की सामने थी.. उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। आख़िर जब उससे कंट्रोल ना हो सका तो उसने बंद आँखों के साथ ही करवट बदली और सीधी हो गई। सूरज ने फ़ौरन ही अपना हाथ उसकी चूची से हटा लिया और रश्मि ने भी जैसे नींद में ही होते हुए अपने टॉप को ठीक किया और अपनी चूची को अपने टॉप के अन्दर कर लिया।
सूरज सीधा होकर लेट चुका था।
अब आगे..
लेकिन ज़ाहिर है कि ज्यादा देर तक रुकने वाला वो भी नहीं था। कुछ समय ही इन्तजार करने के बाद उसने दोबारा से अपना हाथ रश्मि की चूची के ऊपर रख दिया और कुछ पल बाद दोबारा से उसे सहलाने लगा।
आहिस्ता आहिस्ता उसने दोबारा से अपनी बहन के टॉप को नीचे खींचा और फिर अपनी सग़ी छोटी बहन की कुँवारी चूची को बाहर निकाल लिया।
उसने रश्मि की तरफ ही करवट ली हुई थी और यक़ीनन उसका लंड अपनी बहन की जाँघों से टकरा रहा था।
रश्मि की चूची एक बार फिर से सूरज की नज़रों के सामने नंगी हो गई थी। सूरज वहीं पर नहीं रुका और फिर दूसरी चूची को भी बाहर निकाल लिया। वो कमरे में हो रहे अँधेरे का पूरा-पूरा फ़ायदा उठा रहा था और अपने मोबाइल की टॉर्च से रश्मि के नंगे जिस्म को देख रहा था।
दूसरी तरफ रश्मि भी खामोशी से पड़ी हुई थी। उसकी बाज़ू साइड में सीधा था मेरे बिल्कुल पास और उसने मेरा हाथ थाम रखा था।
जैसे-जैसे सूरज रश्मि की नेकेड चूचियों पर हाथ फेर रहा था.. वैसे-वैसे ही रश्मि मेरे हाथ को जोर से दबा रही थी जिससे मुझे उसकी हालत का अंदाज़ा हो रहा था।
मैं भी उसके हाथ को आहिस्ता आहिस्ता दबाते हुए उसे हौसला दे रही थी कि वो चुप रहे।
सूरज थोड़ा ऊँचा होकर रश्मि के सीने पर झुका और उसकी नेकेड चूची को चूम लिया। रश्मि खामोश रही तो सूरज ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और सूरज की चूची के गुलाबी निप्पल को अपनी ज़ुबान की नोक से छूने लगा।
सूरज के जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। सूरज आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के निप्पल को अपनी ज़ुबान से सहला रहा था और उसे छेड़ रहा था।
कुछ देर तक अपनी ज़ुबान से रश्मि के निप्पल के साथ खेलने के बाद सूरज ने रश्मि के गुलाबी निप्पल को अपने होंठों के बीच ले लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसे चूसने लगा।
उसका दूसरा हाथ रश्मि के नंगे पेट से होता हुआ उसके शॉर्ट्स के ऊपर से उसकी चूत पर आ गया और मुझे उसके हाथों की हरकत नज़र आने लगी।
इसी के साथ ही रश्मि के हाथ की गिरफ्त मेरे हाथ पर भी सख़्त हो गई। मुझे सूरज का हाथ हरकत करता हुआ नज़र आ रहा था और मुझे यह भी पता था कि जब सूरज मेरी चूत पर इसी तरह से मेरी पैंटी के ऊपर से सहलाता है..
तो कितना मज़ा आता है।
मुझे रश्मि की हालत का अंदाज़ा भी हो रहा था कि बेचारी कुँवारी चूत.. कुँवारी लड़की.. कितनी मुश्किल से यह सब बर्दाश्त कर रही होगी।
सूरज ने अपनी बहन के निप्पल को चूसते हुए आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ रश्मि के शॉर्ट्स के अन्दर डालने की कोशिश की और उसका हाथ उसके शॉर्ट्स की इलास्टिक के नीचे सरकता हुआ अन्दर दाखिल हुआ।
जैसे ही उसका हाथ रश्मि की चूत से टच हुआ.. तो रश्मि के बर्दाश्त की हद खत्म हो गई और फ़ौरन ही उसने अपना हाथ उठा कर सूरज के हाथ पर रख दिया और साथ ही सिसक पड़ी- नहीं.. भैया… आआआ.. प्लीज़्ज़्ज़्ज़..
रश्मि ने बहुत ही धीमी आवाज़ से कहा तो सूरज तो जैसे एक सेकंड के लिए चौंक गया कि यह क्या हुआ कि उसकी बहन जाग गई है और उसने अपने भाई के हाथ को अपनी चूत पर पकड़ लिया है।
सूरज के मुँह से रश्मि का निप्पल सरक़ चुका था.. लेकिन उसके होंठ अभी भी उसके निप्पलों से टच कर रहे थे।
सूरज को महसूस हुआ कि अब वापसी का रास्ता नहीं है।
कुछ समय के बाद सूरज ने अपना हाथ रश्मि के हाथ से छुड़ाए बिना ही आहिस्ता आहिस्ता हिलाते हुए रश्मि की चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
रश्मि- नहीं भाई.. प्लीज़.. ऐसा नहीं करो… ऊ.. इस्स्स.. आआहह..
सूरज ने दोबारा से अपनी बहन के नंगे निप्पल को अपने होंठों के बीच ले लिया और उसे चूसते हुए धीरे से बोला- श्ह.. चुप रहो.. बसस्स्स..
सूरज के होंठ दोबारा से अपनी बहन के निप्पल को चूसने लगे और उसके हाथ की उंगली शायद उसकी चूत से खेल रही थी। शायद उसकी चूत के सुराख पर भी क़ब्ज़ा जमा चुकी थी.. क्योंकि रश्मि के हाथ की गिरफ्त मेरे हाथ पर सख़्त होती जा रही थी।
मैं भी उसके हाथ को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाते हुए उसे हौसला दिए जा रही थी।
सूरज ने जैसे ही अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर सरकाई तो रश्मि तड़फ उठी।
रश्मि- उफफफ..भाई…आहह.. नहीं..ईईई..प्लीज़्ज़्ज़्ज़… भाभीईईई..।
सूरज- तुम जरा चुप रहो.. तुम्हारी भाभी ना उठ जाए कहीं..
सूरज ने अपनी उंगली रश्मि की चूत से बाहर निकाली और उसे रश्मि के शॉर्ट्स से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाल लिया और अपनी बहन की चूत की पानी को चाटने लगा।
रश्मि ने अपनी आँखें अभी भी बंद ही की हुई थीं.. लेकिन अब सूरज को इससे कोई घबराहट नहीं थी कि उसकी बहन की आँखें खुली हैं कि बंद.. क्योंकि उसे पता था कि वो जाग रही है।
सूरज- रश्मि.. यू आर सो स्वीट.. बहुत मीठा है तेरा पानी..
‘भाई प्लीज़ छोड़ दें मुझे.. यह ठीक नहीं है..उम्म्म्म स्स्स्साआहह..’
सूरज ने कुछ कहे बिना ही थोड़ा सा ऊपर होकर अपने होंठ रश्मि के होंठों के ऊपर रख दिए और उसे चूमने लगा।
रश्मि अपने होंठों को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और ऐसे करते हुए अपने होंठों को पीछे हटा रही थी। लेकिन सूरज ने अपना एक हाथ रश्मि की नंगी चूची पर रखा और ऊपर रश्मि के होंठ को अपने होंठों में जकड़ लिया और उसे चूसने लगा।
रश्मि का बुरा हाल हो रहा था.. वो यह भी नहीं चाह रही थी कि उसके भैया पर मेरी हालत खुले और उसके भाई को पता चले कि मैं भी जाग रही हूँ और इस बात से वाक़िफ़ हूँ.. जो कुछ उन दोनों बहन भाई के बीच हो रहा है।
रश्मि ने अपने भाई का हाथ अपनी चूची से हटाया तो सूरज ने फ़ौरन ही अपना हाथ नीचे करते हुए रश्मि के शॉर्ट्स में डाल दिया और अपनी मुठ्ठी में रश्मि की चूत को पकड़ लिया..
रश्मि अब मछली की तरह से सूरज के हाथों में तड़फ रही थी और अपनी हरकत को कम से कम रखना चाह रही थी.. ताकि मेरा जिस्म ने हिले।
अचानक सूरज ने रश्मि का बाज़ू पकड़ कर अपनी तरफ करवट दिला दी और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसकी नंगी कमर पर अपने हाथ मज़बूती से जमा कर अपने होंठ उसकी पतले सुराहीदार गले पर रख दिए।
फिर वो आगे बढ़कर अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए उसे चूसने लगा।
रश्मि का बुरा हाल हो रहा था। नीचे से सूरज का लंड अकड़ कर उसकी चूत पर टक्करें मार रहा था और उसके शॉर्ट्स को फाड़ते हुए उसकी चूत के अन्दर तक घुसने की कोशिश में लग रहा था।
Thanks for the complimentSuper update Odin bhai pura maja le rahi hai apne bhai ke sath
Superb updateUpdate- 36
आपने अभी तक पढ़ा..
अचानक सूरज ने रश्मि का बाज़ू पकड़ कर अपनी तरफ करवट दिला दी और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसकी नंगी कमर पर अपने हाथ मज़बूती से जमा कर अपने होंठ उसकी पतले-पतले गुलाबी होंठों पर रख दिए।
अब वो अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए उसे चूसने लगा। रश्मि का बुरा हाल हो रहा था। नीचे से सूरज का लंड अकड़ कर उसकी चूत पर टक्करें मार रहा था और उसके शॉर्ट्स को फाड़ते हुए उसकी चूत के अन्दर तक घुसने की कोशिश में लग रहा था।
अब आगे..
सूरज ने अपने शॉर्ट्स को नीचे करते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और अब उसका नंगा लंड अपनी बहन की नंगी मुलायम जाँघों से टकरा रहा था। वो अपने लौड़े को रश्मि की दोनों जाँघों के बीच में घुसा रहा था और फिर वो इसमें कामयाब भी हो गया कि उसने अपना लंड रश्मि की दोनों जाँघों के बीच धकेल दिया।
अब आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को उसकी जाँघों के बीच में फंसा कर सूरज रगड़ने लगा।
मैं फील कर रही थी कि रश्मि की विरोध दम तोड़ती जा रही थी और उसका जिस्म ढीला पड़ता जा रहा था। उसके बदन पर सूरज के हाथों की हरकतें तेज होती जा रही थीं। कभी उसका हाथ अपनी बहन की नंगी कमर को सहलाने लगता और कभी नीचे को जाकर उसके चूतड़ों को सहलाने लगता।
सूरज ने अपना हाथ रश्मि के टॉप के नीचे डाला और उसकी नंगी कमर को ऊपर तक सहलाने लगा।
उधर आगे सूरज ने अपनी ज़ुबान को रश्मि के होंठों के बीच में घुसेड़ दिया और उसे अपनी ज़ुबान को चूसने पर मजबूर करने लगा।
रश्मि जैसी कुँवारी और अनछुई लड़की के लिए यह बहुत ज्यादा हो रहा था। उसका दिमाग बंद होता जा रहा था और साँसें तेज हो चुकी थीं।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस सबसे खुद को कैसे बचाए। नीचे उसकी चूत गीली होती जा रही थी और पानी छोड़ने वाली थी। सूरज ने पीछे से उसके शॉर्ट्स के अन्दर अपना हाथ डाला और अपना हाथ उसकी नंगे चूतड़ों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा।
अचानक से शायद सूरज ने उसके चूतड़ों के बीच उंगली डाल कर उसकी गाण्ड के सुराख को छुआ जिसकी वजह से रश्मि फ़ौरन से उछल सी पड़ी और जोर से चिल्लाई- भैया आ आ आ..
मेरे लिए भी अब चुप रहना मुश्किल हो गया था। मैंने जैसे नींद से उठने की नाटक करते हुए कहा- हाँ.. बोल.. क्या हो गया है तुझे.. क्यूँ आधी रात को चिल्ला रही हो.. कोई बुरा सपना देख लिया है क्या?
मैंने उठ कर बैठते हुए कहा।
इतनी देर में सूरज अपनी जगह पर लेट कर नॉर्मल हो चुका था।
रश्मि भी उठ कर बैठ गई और मुस्करा कर अपने भाई की तरफ देख कर बोली- हाँ भाई.. सपना ही था शायद.. इसलिए डर गई मैं..
सूरज बोला- लेट जा चुप करके.. और सो जा.. सुबह तुझे कॉलेज भी जाना है।
रश्मि ने एक नज़र अपने भैया पर डाली और फिर मुस्कराते हुई बिस्तर से नीचे उतर कर वॉशरूम में चली गई।
कुछ देर बाद वापिस आई तो उसने मुझे बीच में धकेल दिया और खुद मेरी जगह पर लेट गई।
उसके चेहरे पर एक शरारती सी मुस्कराहट थी।
उसका भाई उसकी तरफ ही देख रहा था और मेरी नज़र बचा कर उसे बीच में आने का इशारा भी किया.. लेकिन मैंने देखा कि जाहिरा ने उसे अपना अंगूठा दिखाया और मुस्कराती हुई नीचे लेट गई।
अब मैं बीच में थी और मेरे दोनों तरफ दोनों बहन-भाई लेटे हुए थे।
सूरज भी अब कुछ उतावला हो गया हुआ था.. लेकिन अब अपना अकड़ा हुआ लंड वो मेरी जाँघों पर घुसा रहा था।
मेरे ऊपर से अपना बाज़ू डाल कर वो रश्मि की चूचियों को छूने की भी कोशिश कर रहा था। इसी तरह थोड़ी देर में हम तीनों को नींद आ गई।
सुबह जब मैं उठी तो मैंने रश्मि को जगाया कि जाओ जाकर चाय बना कर लाओ। रश्मि ने एक जोर की अंगड़ाई ली और फिर उठ कर कमरे से निकल गई।
फिर मैंने लेटे-लेटे ही सूरज को भी ऑफिस के लिए जगाया। वो उठा और बाथरूम में चला गया। मैं वहीं बिस्तर पर ही सुस्ती और नींद में लेटी रही।
जब काफ़ी देर हो गई कि सूरज बाथरूम से बाहर नहीं आया.. तो मैंने उठ कर बाथरूम का डोर नॉक किया.. लेकिन अन्दर से कोई जवाब नहीं आया। मैं समझ गई कि वो दूसरे दरवाजे से निकल गया होगा। मैंने अपने बेडरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोला तो सामने ही मेरी नज़र रसोई में गई। जहाँ पर दोनों बहन-भाई मौजूद थे। मैंने फ़ौरन ही दरवाज़ा बंद किया और थोड़ी सी जगह से उन दोनों को देखने लगी।
रश्मि अभी भी उसी छोटे से सेक्सी टॉप में थी.. जिसे नीचे करके रात को उसका भाई उसकी चूचियों को देख रहा था और चूसा भी था।
मैं हैरान थी कि दोनों क्या बातें कर रहे हैं। हमारा घर तो छोटा सा ही है.. तो दोनों की रसोई में बातें करने की आवाजें भी मुझे आने लगीं।
मैंने देखा कि सूरज रश्मि को बाज़ू से पकड़ कर अपनी तरफ खींच रहा है लेकिन वो शरमाते हुए खुद को छुड़ा रही है।
सूरज- अरे रश्मि.. क्यों शर्मा रही हो.. इधर तो आओ एक मिनट के लिए..
रश्मि- भैया यह आपको क्या होता जा रहा है.. रात को भी आपने मुझे इतना तंग किया और फिर बारिश में नहाते हुए भी आपने ऐसे ही किया था।
सूरज ने उसे खींच कर अपने सीने से लगाते हुए कहा- तुम भी तो इतने दिनों से घर में इतनी नंगी होकर फिर रही हो.. उसका नहीं पता कि मेरे ऊपर क्या गुज़र रही होगी।
रश्मि ने अपने भाई की बाजुओं में कसमसाते हुए शरारत से कहा- ऐसे कपड़े पहनने का यह मतलब तो नहीं कि आप अपनी बहन पर ही बुरी नज़र रख लो।
सूरज ने ज़बदस्ती रश्मि के गाल को किस करते हुए कहा- बुरी नज़र कहाँ है.. मैं तो प्यार करना चाह रहा हूँ।
यह कहते हुए सूरज ने रश्मि के टॉप की डोरी को नीचे खींचा और उसकी चूची को नंगा कर लिया।
रश्मि जल्दी से अपनी चूची को छुपाते हुए तड़फ उठी।
रश्मि- छोड़ दो भैया.. वरना मैं फिर से भाभी को जगा लूँगी.. जैसे रात को उठा लिया था।
सूरज- रात को भी तूने मेरा सारा काम खराब कर दिया था.. मेरे मना करने के बावजूद अपनी भाभी को जगा लिया था।
सूरज ने रश्मि की एक चूची को अपनी मुठ्ठी में लेकर मसलते हुए कहा।
रश्मि अपने भाई की बाँहों में मचलते हुए हंस रही थी और चहक रही थी।
साफ़ लग रहा था कि एक-दूसरे के सामने ओपन होने के बाद दोनों बहन-भाई बजाए शर्मिंदा होने के.. एक-दूसरे के साथ और भी इन्वॉल्व होने लगे थे।
दोनों बहन-भाई की इस तरह की हरकतों को देखते हुए मुझे भी मज़ा आने लगा था।
मैंने अपने शॉर्ट्स में हाथ डाल कर अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया, मुझे फील हुआ कि मेरी चूत भी गीली हो रही है।
सूरज ने अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा और अपने लंड को बाहर निकालते हुए बोला- देख.. तेरी जवानी को देख कर क्या हालत हो गई है इसकी!
रश्मि एक अदा के साथ बोली- तो मैं क्या करूँ भैया.. जाओ भाभी के पास और उन्हें इसकी यह हालत दिखाओ।
सूरज ने रश्मि का हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रखने की कोशिश करने लगा। सूरज की कोशिशों के वजह से रश्मि का हाथ अपने भाई की अकड़े हुए लंड से छुआ भी.. और एक लम्हे के लिए उसकी मुठ्ठी में उसका लंड आ भी गया।
रश्मि- भैया यह तो बहुत गरम हो रहा है और सख़्त भी..
सूरज उसका हाथ अपनी लंड पर रगड़ते हुए बोला- हाँ.. तो थोड़ा ठंडा कर दे ना इसे..