- 1,415
- 3,453
- 143
एक भाई की वासना
INDEX
Last edited:
Thanks for reading the story, aur ye kahani hi sirf teen kirdaron mein based hai so aage kheench ne ka sawal hi paida nahi hotaBhai lamba mat khichna. Naye characters ya unnatural situation dal ke
Ye meri rai hai. Story bahut kamuk hai.
Thanks for the compliment...Wah bahot hi jabadarst kahani.. aur udpate..
upar se pics n gif se sath to kahani mein aapne char chand laga diye hai...
normally main incest kahaniya nahi padhta par isko pad kar maja aagaya
Amazing update brother...sach maza aa gya ...kaya scene create kiya hai ....bilkul hot update hai .Update- 40
पहले तो रश्मि ने अपना हाथ हटाने की कोशिश की.. लेकिन फिर उसने आख़िर अपने भाई का लंड पकड़ ही लिया।
कुछ देर तक सूरज के लंड को सहलाने के बाद रश्मि बोली- बस भाई.. अब मुझे छोड़ दो प्लीज़.. फिर कर लेना..
सूरज- फिर कब?
रश्मि- जब मौका मिले तब.. आप कौन सा अब मुझे छोड़ने वाले हो.. जब भी मौका मिलेगा.. कुछ ना कुछ तो करोगे ही ना आप..
सूरज ने मुस्कुरा कर रश्मि के होंठों को जोर से चूमा और रश्मि ने भी एक बार जोर से उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में जोर से दबाया और फिर उससे अलग होने लगी।
सूरज ने पीछे को हट कर अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके सामने खुद को नंगा कर दिया।
रश्मि अपनी मुँह पर हाथ रखते हुए बोली- ऊऊऊ.. ऊऊओफफ.. उफफफ्फ़.. भैया.. आप कितने बेशरम हो.. कुछ तो भाभी का ख्याल करो.. किसी ने देख लिया.. तो क्या सोचेगा कि आप अपनी बहन के साथ ही यह सब कर रहे हो?
सूरज अपने लंड को हिलाते हुए बोला- हाँ.. तो क्या है.. मैं अपनी बहन के साथ ही कर रहा हूँ ना.. किसी और की बहन के साथ तो नहीं ना..
रश्मि चुप होकर मुस्कुराने लगी।
सूरज- यार एक किस तो कर दो इस पर..
रश्मि- नहीं भैया.. अभी नहीं करूँगी।
सूरज- प्लीज़्ज़.. मेरी प्यारी सी बहना हो ना.. तो जल्दी से एक बार कर दो..
रश्मि- भैया आप बहुत ही ज़िद्दी और बेसब्र हो।
यह कहते हुई वो नीचे को झुकी और अपने हाथ में अपने भैया का लंड पकड़ कर उसकी मोटी फूली हुई टोपी पर एक किस किया और फिर जल्दी से बाहर की तरफ भागने लगी।
सूरज ने फ़ौरन ही उसे पकड़ा और बोला- अब एक किस मुझे भी तो दे कर जाओ ना..
रश्मि ने अपने होंठों को उसके आगे कर दिए.. लेकिन सूरज ने नीचे बैठ कर उसकी टाइट लेगिंग के संगम पर उसकी लेग्गी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अपनी होंठों रखा और एक जोरदार चुम्बन करके बोला- ठीक है.. अब जाओ.. बल्कि ठहरो.. मैं पहले जाता हूँ.. तुम बाद में आना..
उनकी बात सुन कर मैं जल्दी से रसोई में आ गई और फिर सूरज बाहर आ कर बैठ गया और उसने वहीं से मुझे आवाज़ दी- डार्लिंग.. क्या बात है इतनी देर लगा दी है.. कहाँ रह गई हो?
मैं मुस्कुराई और फिर खाने की ट्रे लेकर बाहर आ गई और बाहर आते हुए रश्मि को भी आवाज़ दी- आ जाओ जल्दी से खाने के लिए..
खाने के दौरान भी मेरा दिल खाने में नहीं लग रहा था.. बल्कि मैं दोनों बहन-भाई को ही देखने की कोशिश कर रही थी कि मेरे सामने बैठ कर भी वो कैसी हरकतें कर रहे हैं।
अचानक सूरज बोला- डार्लिंग.. क्या बात है.. तुम खाना ठीक से नहीं खा रही हो.. तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?
मैं- तबीयत.. हाँ हाँ.. ठीक ही है.. कुछ नहीं हुआ मुझे.. मैं ठीक हूँ।
सूरज- लेकिन तुम ठीक लग तो नहीं रही हो।
अचानक से मेरे दिमाग में एक ख्याल कौंधा- हाँ.. बस दोपहर से थोड़ी तबीयत ठीक नहीं है.. मेरा जिस्म थोड़ा गरम हो रहा है.. और मुझे तो बुखार सा महसूस हो रहा है।
सूरज- तो कोई दवा लिया है ना..
मैं- हाँ.. मैं खाना खाकर कोई दवा लेती हूँ।
ऐसी ही बातें करते हुए हमने खाना खत्म किया और रश्मि ने ही बर्तन समेटने शुरू कर दिए।
कुछ बर्तन लेकर रश्मि रसोई में गई तो बाक़ी के बर्तन उठा कर सूरज भी उसके पीछे ही चला गया.. हालांकि कभी उसने पहले ऐसे बर्तन नहीं उठाए थे।
अन्दर रसोई में बर्तन छोड़ कर उसने बाहर आने में काफ़ी देर लगाई। मुझे पता था कि अन्दर क्या हो रहा होगा.. लेकिन मैं सोफे पर लेटी रही और उठ कर देखने नहीं गई।
थोड़ी देर के बाद सूरज बुखार की दवा लाया और मुझे पानी के साथ दी। मैंने वो दवा खा ली और बोली- तुम लोग एसी वाले कमरे में सो जाओ आज.. मैं रश्मि के कमरे में सो जाऊँगी.. एसी में तो ज्यादा सर्दी लगेगी ना..
सूरज के चेहरे पर फैलती हुई ख़ुशी की लहर को मैंने फ़ौरन ही महसूस कर लिया और दिल ही दिल में मुस्कुरा दी।
मैं उठ कर रश्मि वाले कमरे में गई और वहीं बिस्तर पर लेट गई।
कुछ ही देर में रश्मि मेरा हाल पूछने आई और बोली- भाभी मैं भी आपके पास ही सो जाती हूँ.. थोड़ा रेस्ट ही तो करना है ना..
मैं- नहीं नहीं.. तुम उधर एसी में सो जाओ जाकर.. ऐसे हम बातें ही करते रहेंगे.. मैं थोड़ी देर के लिए आँख लगाना चाहती हूँ.. तुम जाओ.. मैं ठीक हूँ।
रश्मि मुस्कुराई और बोली- लगता है कि भाभी सुबह आपकी जिस्म की गर्मी नहीं निकल पाई ना.. इसलिए आपको बुखार हो गया है।
मैं मुस्कुराई और बोली- तुझे बड़ी बातें आने लग गईं हैं ना..
वो हँसने लगी और बोली- भाभी आप कहो तो मैं आपकी कुछ ‘मदद’ करूँ?
मैं मुस्कुराई और बोली- नहीं रहने दे तू.. और करने ही है.. तू जाके अपने भैया की ‘मदद’ कर देना..
रश्मि थोड़ा घबराई और फिर बोली- नहीं भाभी.. अब मैं जाग रही हूँ ना.. तो उनको कोई ऐसा मौका नहीं दूँगी..
पता नहीं क्यों.. वो सब कुछ मुझसे छुपाना चाहती थी और मैं भी अभी इस गेम को इसी तरह से खेलते रहना चाह रही थी।
खैर.. रश्मि चली गई.. तो मैं भी उसके बिस्तर पर लेट कर सोने का इन्तजार करने लगी।
क़रीब 5 मिनट की बाद मैं उठी और बाथरूम के रास्ते जाकर अन्दर झाँकने लगी.. तो अन्दर कमरे की रोशनी में मेरे ही बिस्तर पर दोनों बहन-भाई एक-दूसरे से लिपटे हुए पड़े थे।
रश्मि- प्लीज़ भैया.. भाभी आ जाएंगी..
सूरज- अरे यार.. नहीं आती वो अब दवा लेकर सो गई है।
सूरज ने रश्मि को सीधा किया और उसकी टी-शर्ट को ऊपर करने लगा। टी-शर्ट को ऊपर तक उसकी गले तक ले जाकर उसे निकालने लगा।
तो रश्मि बोली- नहीं भैया.. यहीं तक रहने दो.. फिर जल्दी में पहनने में दिक्कत होगी।
सूरज ने ‘ओके’ कहा और फिर झुक कर अपनी बहन की ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची पर किस करके बोला- बहुत खूबसूरत चूचियाँ हैं तुम्हारे. इतने दिन से देख रहा था और दिल ललचा रहा था।
रश्मि- सिर्फ़ दिल ही नहीं ललचा रहा था.. बल्कि मुझे रातों में तंग भी कर रहे थे ना आप.. और आपने पहले से ही इनको छू-छू कर भी चैक कर लिया हुआ है।
सूरज चौंक कर रश्मि के चेहरे की तरफ देखता हुआ बोला- तो क्या तुमको पता था कि मैं ऐसे कर रहा हूँ?
रश्मि- तो भैया यह कैसे हो सकता है कि कोई किसी लड़की की चूचियों को और नीचे ‘उधर’ भी छुए और उसे पता ही ना चल सके?
सूरज मुस्कुराया और उसकी दोनों चूचियों को जोर से अपनी मुठ्ठी में दबाते हुए बोला- बहुत चालाक हो तुम..
सूरज ने अब झुक कर रश्मि की खूबसूरत चूचियों के बीच उसकी गोरी क्लीवेज को चूम लिया और फिर आहिस्ता आहिस्ता उसमें अपनी ज़ुबान को फेरने लगा।
रश्मि की चूचियों की चमड़ी इतनी सफ़ेद और नरम थी कि जैसे ही वो जोर से वहाँ पर किस करता.. तो उसकी चूचियों पर लाल निशान पड़ जाता।
रश्मि- भैया थोड़ा धीरे करो ना.. क्यों इतने उतावले बन रहे हो..
सूरज- तुम्हारी चूचियाँ भी तो इतनी सेक्सी हैं ना.. कि खुद पर कंट्रोल ही नहीं हो रहा।
रश्मि मुस्कुरा दी और अपने भाई की सिर के बालों में अपना हाथ फेरने लगी।
सूरज ने रश्मि की ब्रा के कप्स को ऊपर को उठाया और उसकी दोनों चूचियों को नंगा कर लिया।
उसकी अपनी सग़ी बहन की खुबसूरत छोटी-छोटी साइज़ की गोरी-गोरी चूचियाँ और गुलाबी निप्पल उसकी नजरों के सामने खुले हुए थे।
सूरज ने झुक कर आहिस्ता से अपनी बहन की नंगी चूचियों को चूमा और फिर अपने होंठ उसके गुलाबी छोटे से निप्पल पर रख कर एक किस कर लिया।
रश्मि का जिस्म तड़फ उठा।
सूरज ने अब आहिस्ता-आहिस्ता उसके निप्पलों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा।
कभी अपनी बहन के एक निप्पल को अपने मुँह में डालता और कभी दूसरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगता।
सूरज का एक हाथ फिसलता हुआ नीचे को अपनी बहन की कुँवारी चूत की तरफ आने लगा और फिर अपनी बहन की टाइट लैगी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
कुछ देर तक रश्मि की चूत को सहलाने और उसकी चूचियों को चूसने के बाद सूरज उठ गया और नीचे उसकी टाँगों की तरफ आ गया।
सूरज ने उसकी लेग्गी को पकड़ा और नीचे खींच कर उतारने लगा। रश्मि ने एक बार उसे रोका.. लेकिन फिर खुद से ही अपनी गाण्ड को ऊपर उठा दिया और सूरज ने अपनी बहन की लेग्गी को उसकी टाँगों से निकाल कर बिस्तर पर रख दिया।
अब रश्मि का निचला जिस्म लगभग पूरी तरह से उसके भाई की सामने नंगा था। रश्मि ने फ़ौरन से अपनी चूत को छुपा लिया।
सूरज ने मुस्कुरा कर उसे देखा और फिर उसका हाथ पकड़ कर उसकी चूत से हटा दिया।
रश्मि की बिल्कुल गोरी रूई जैसे नरम बालरहित चूत.. अपने भाई की आँखों की सामने थी।
सूरज- वाउ.. क्या प्यारी चूत है.. लगता है तुमने आज ही हेयर रिमूविंग की है।
रश्मि ने शर्मा कर कहा- हाँ सुबह आपके जाने के बाद किए थे।
सूरज- यानि कि तुमने मेरे लिए अपनी चूत के बाल साफ़ किए हैं ना?
रश्मि शर्मा कर बोली- अब ज्यादा भी गलतफहमी में ना रहें आप.. मैंने तो वैसे ही बस रुटीन में साफ़ कर लिए थे। अब मुझे क्या पता था कि आप आकर इसे देखोगे?
सूरज हंसा और अपनी होंठ रश्मि की चूत पर रख दिए और उसकी कुँवारी मुलायम चूत को चूम लिया।
फिर सूरज ने अपनी कुँवारी बहन की कुँवारी चूत की लबों को खोला और अपनी ज़ुबान से उसे अन्दर से चाटने लगा।
धीरे-धीरे जैसे-जैसे उसकी ज़ुबान अपनी बहन की चूत को चाट रही थी.. तो उसके साथ-साथ ही रश्मि की हालत खराब होती जा रही थी।
Another amazing update yr...Update- 41
आपने अभी तक पढ़ा..
रश्मि शर्मा कर बोली- अब ज्यादा भी गलतफहमी में ना रहें आप.. मैंने तो वैसे ही बस रुटीन में साफ़ कर लिए थे। अब मुझे क्या पता था कि आप आकर इसे देखोगे?
सूरज हंसा और अपनी होंठ रश्मि की चूत पर रख दिए और उसकी कुँवारी मुलायम चूत को चूम लिया।
फिर सूरज ने अपनी कुँवारी बहन की कुँवारी चूत की लबों को खोला और अपनी ज़ुबान से उसे अन्दर से चाटने लगा।
धीरे-धीरे जैसे-जैसे उसकी ज़ुबान अपनी बहन की चूत को चाट रही थी.. तो उसके साथ-साथ ही रश्मि की हालत खराब होती जा रही थी।
अब आगे..
वो अपने भाई के सिर पर अपना हाथ रख कर उसे अपने चूत पर दबा रही थी और आँखें बंद करके अपनी गाण्ड को ऊपर उठाते हुए अपनी चूत को उसके मुँह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी।
कुछ देर तक अपनी बहन की कोरी चूत को चाटने के बाद सूरज खड़ा हुआ और अपनी बहन के सामने अपनी शॉर्ट्स को उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।
फिर लेटी हुई रश्मि के ही ऊपर आ गया और अपनी मोटे खड़े हुए लंड को अपनी बहन की दोनों चूचियों की बीच में रगड़ने लगा।
रश्मि मुस्कुरा कर अपने भाई के लंड को देख रही थी।
सूरज ने अपनी बहन की दोनों छोटी-छोटी चूचियों के बीच अपने लंड को दबाया और फिर आगे-पीछे को करते हुए अपना लंड उसकी चूचियों के बीच आगे पीछे करने लगा। आगे को जाता तो उसका लंड रश्मि की ठोड़ी को टकराता था और उसकी गोटियाँ नीचे अपनी बहन के पेट पर रगड़ खा रही थीं।
थोड़ी देर के बाद सूरज बोला- रश्मि इसे मुँह में लेकर थोड़ा सा चूसो ना..
रश्मि ने अपने भाई के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बोली- नहीं भाई.. यह तो बहुत गंदा होता है.. मैं कैसे इसे मुँह में ले सकती हूँ।
सूरज- अरे यार कुछ भी गंदा नहीं होता.. इसे मुँह में लेकर तुम्हारी भाभी भी तो चूसती हैं ना..
रश्मि इठलाते हुए बोली- वो तो आपकी बीवी हैं.. मैं आपकी क्या लगती हूँ.. बहन ना..
सूरज अपने लंड की टोपी को अपनी बहन के गुलाबी होंठों पर आहिस्ता-आहिस्ता फिराता हुआ बोला- तुम आज से मेरी बहन भी हो और मेरी बीवी भी हो..
रश्मि- भाई.. अगर मुझे अपनी बीवी बनाना है.. तो फिर कर लो मुझसे भी शादी..
सूरज- झुक कर अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए बोला- मेरी जान यह तो दिल की बात होती है.. जिसे भी दिल से अपना बना लो.. वो बीवी ही होती है।
सूरज ने थोड़ा सा जोर लगाया तो रश्मि ने अपने होंठों को थोड़ा सा खोला और उसके लण्ड को अन्दर दाखिल होने का रास्ता देने लगी।
सूरज ने भी आहिस्ता से अपनी लंड को उसके होंठों के बीच पुश किया और साथ ही रश्मि ने आहिस्ता आहिस्ता उसके लौड़े के टोपे के ऊपर अपनी ज़ुबान फेरनी शुरू कर दी।
रश्मि ने अपने दोनों होंठों के बीच अपने भाई के लंड के टॉप को पकड़ा और आहिस्ता से दोनों होंठों को बंद करके उसे चुम्बन कर लिया।
सूरज ने अपना लंड उसके होंठों से निकाला और धीरे-धीरे उसके होंठों के ऊपर टकराने लगा।
उसके लण्ड से प्रीकम की छोटी-छोटी चमकीली बूँदें निकल रही थीं.. जो कि उसकी बहन के होंठों से लग कर एक तार की तरह से उसके लण्ड से जुड़ रही थीं।
रश्मि ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और आहिस्ता आहिस्ता उसके लण्ड के अगले हिस्से पर फेरते हुए बोली- भाई अगर भाभी ने देख लिया ना.. तो बहुत बुरा होगा।
सूरज पीछे होकर रश्मि के ऊपर लेट गया और अपने नंगे लंड को अपनी बहन की नंगी चूत पर रगड़ते हुए बोला- कुछ नहीं होगा मेरी जान.. आज तो मैं तुम्हारी यह कुँवारी चूत लेकर ही रहूँगा।
रश्मि ने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपने भाई का लंड अपने कंट्रोल में लिया और आहिस्ता आहिस्ता अपनी चूत के दाने पर रगड़ते हुए बोली- नहीं भाई.. प्लीज़ ऐसा नहीं करो न.. हम कुछ भी नहीं कर सकते.. आप इसे पीछे करो न.. इससे तो आप मुझे और भी पागल कर रहे हैं।
रश्मि ने यह बोला और दूसरे हाथ से अपने भाई के सिर के बालों को पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों को चूसने और उसे चूमने लगी।
धीरे-धीरे दोनों की सिसकारियां बढ़ती जा रहा था। रश्मि ने अपनी दोनों टाँगें ऊपर कीं और उनको अपने भाई की कमर के गिर्द उसके चूतड़ों पर रख कर उसके जिस्म को जकड़ लिया.. जैसे कि उसका भाई उसे इतना गरम करने के बाद कहीं छोड़ कर भागने लगा हो।
सूरज भी अपनी बहन की चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूस रहा था और पीछे से हिलते हुए अपनी लंड को अपनी बहन की चूत पर रगड़ रहा था।
इधर मेरी हालत भी बहुत ही पतली हो रही थी.. मेरा हाथ मेरी चूत पर था और मेरी चूत बिल्कुल पानी-पानी हो रही थी।
सूरज उठा और अपनी बहन की दोनों टाँगों के बीच में बैठते हुए अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और उसकी टोपी को रश्मि की कुँवारी प्यासी चूत पर फिर से रगड़ने लगा।
अगले ही किसी भी पल में सूरज अपना लंड अपनी कुँवारी बहन की चूत में दाखिल करने वाला था।
मेरा ख्वाब पूरा होने वाला था कि ज़िंदगी में पहली बार किसी भाई को अपनी बहन को चोदते हुए देखूँ.. लेकिन पता नहीं क्यों मैं अभी उन दोनों बहन-भाई को ऐसा करने नहीं देना चाहती थी।
मैं अभी इन दोनों की चूत और लंड की प्यास को बरक़रार रखना चाहती थी ताकि यह दोनों एक-दूसरे के लिए अभी थोड़ा और भी तड़फें..
यही सोच कर मैं अपने कमरे की तरफ गई और सूरज को आवाज़ दी।
दूसरी आवाज़ के साथ ही रश्मि को छोड़ कर सूरज भागता हुआ आया। उसने अपने कपड़े पहन लिए हुए थे।
वो बोला- हाँ क्या बात है.. तुम ठीक तो हो?
मैंने उसे पानी लाने को कहा और वो रसोई में गया.. तो मैं उसके चेहरे की बेबसी और झुँझलाहट देख कर मेरी हँसी छूट गई।
कुछ देर के बाद मैं भी अन्दर उन दोनों के साथ ही जाकर लेट गई।
शाम को मेरी आँख खुली तो रश्मि कमरे से जा चुकी हुई थी और सिर्फ़ मैं और सूरज ही बिस्तर पर थे।
हम कुछ देर तक बातें करते रहे और फिर रश्मि चाय लेकर आ गई लेकिन अपनी चाय यह कहते हुए बाहर ले गई कि उसे कुछ काम करना था।
मैंने और सूरज ने चाय पी और फिर मैं रेस्ट करने का बहाना करके लेट गई और सूरज कमरे से बाहर चला गया।
मैंने फ़ौरन उठ कर देखा तो रश्मि सोफे पर बैठी हुई थी और सूरज उसके पीछे से झुक कर उसकी चूचियों को दबा रहा था।
रश्मि खुद को उससे छुड़ाते हुए बोली- भाई आपको तो हर वक़्त यही काम सूझता रहता है.. आप न.. भाभी को भी हर वक़्त तंग किए रखते हो.. और अब तो आपको सताने के लिए मैं भी मिल गई हूँ।
सूरज रश्मि के सामने की तरफ आया और अपने शॉर्ट में हाथ डाल कर अपना लंड बाहर निकाल कर बोला- एक किस तो कर दो प्लीज़..
रश्मि मेरे कमरे की तरफ देखते हुए बोली- भाई.. आपको शर्म नहीं आती क्या.. अगर अभी भाभी बाहर आ जाएं तो.. और यह क्या है कि हर वक़्त इसी हालत में ही खड़ा रहता है?
सूरज- बस जब से इसने अपनी प्यारी सी बहना की कुँवारी चूत का दीदार किया है ना.. तो यह बैठता ही नहीं है.. हर वक़्त तुम्हारी चूत को याद कर करके खड़ा हुआ ही रहता है। जब तक अब यह तेरी चूत की अन्दर नहीं चला जाएगा.. इसको सुकून नहीं आने वाला।
रश्मि सूरज के लंड को अपने हाथ में लेकर आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए बोली- भाई प्लीज़, कोई जगह तो देख लिया करो ना..
सूरज अब नीचे रश्मि के पास ही बैठ गया। अब उन दोनों की पीठ मेरी तरफ थी.. तो मैं नहीं देख सकती थी कि वो दोनों क्या कर रहे हैं। इस हालत में वो दोनों सेफ थे.. लेकिन मैं भी उनको डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी।
सूरज- बस अब तो ठीक है ना.. यहाँ से तेरी भाभी भी हम दोनों को नहीं देख पाएगी.. चल अब जल्दी से नीचे आजा और इसे चूसा लगा दे।
रश्मि हँसी और बोली- भाई आप बाज़ आने वाले नहीं हो.. और ना ही मानने वाले हो..
यह कह कर रश्मि ने एक नज़र मेरे कमरे के दरवाजे की तरफ डाली और फिर झुक कर शायद अपने भाई का लंड चूसने लगी।
रश्मि- भाई एक ही बार काट कर खा ना लूँ इसको.. जो यह हर वक़्त मुझे तंग करता रहता है।
सूरज अपनी बहन के रेशमी बालों में हाथ फेरते हुए बोला- काट कर खा लोगी तो फिर तुम्हारी चूत की प्यास कौन बुझाएगा मेरी जान?
मैं अपने कमरे के बाथरूम में आई और दूसरे दरवाजे में से बाहर झाँका.. तो अब यह जगह उनको देखने के लिए ठीक थी.. और इधर से दोनों की हरकतें साफ़ नज़र आ रही थीं।
सूरज ने अपना हाथ नीचे झुकी हुई अपनी बहन की शर्ट की के नीचे डाला हुआ था और उसकी नंगी कमर को सहला रहा था और कभी उसकी चुस्त लैगी में फंसे हुए उसके चूतड़ों को सहलाने लगता था।
दूसरी तरफ रश्मि भी अपने भाई के लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी और कभी उसे चाट लेती थी।
सूरज- यार ठीक से चूस ना मेरा लंड..
रश्मि- भाई मैं कौन सा लंड चूसती रहती हूँ.. जो मुझे आता है कि कैसे चूसते हैं.. पहली बार तो चूस रही हूँ। मुझसे तो ऐसे ही चूसा जाएगा.. चुसवाना है तो बोलो.. नहीं तो मैं चली।
सूरज- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. जैसे भी चूस ले.. ठीक है, कोई बात नहीं.. आहिस्ता आहिस्ता तुझे मेरा लंड ठीक से चूसना भी आ जाएगा। तेरे पति तक पहुँचने से पहले तुझे बिल्कुल एक्सपर्ट बना दूँगा.. देखना तू..।
जाहिरा- मेरे पति के लिए कुछ बाकी छोड़ोगे.. तभी तो जाऊँगी ना उसके पास बरना फिर जाने का क्या फ़ायदा?
दोनों हँसने लगे..
सूरज- चल अब जल्दी से मेरा पानी निकाल दे ना..
Thanks for the compliment...Amazing update brother...sach maza aa gya ...kaya scene create kiya hai ....bilkul hot update hai .
Another amazing update yr...
Thanks for the compliment...Bdiya update brother